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जैनागम स्तोक संग्रह
४ स्वामी द्वार
१ औदारिक शरीर का स्वामी - मनुष्य व तिर्यञ्च । २ वैक्रिय शरीर का स्वामी -चार ही गति के जीव । ३ आहारक शरीर का स्वामी - चौदह पूर्वधारी मुनि । ४-५ तेजस् कार्मण शरीर के स्वामी - सर्व संसारी जीव ।
५ अवगाहना द्वार
औदारिक शरीर की अवगाहना - जघन्य आंगुल के असंख्यातवे भाग उत्कृष्ट हजार योजन की ।
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२ वैक्रिय शरीर की अवगाहना – जघन्य आंगुल के असख्यातवे भाग उत्कृष्ट ५०० धनुष्य । उत्तर वैक्रिय करे तो ज० आंगुल के असंख्यातवे भाग उ० लक्ष योजन जाजेरी ( अधिक ) ।
३ आहारक शरीर की अवगाहना - जघन्य एक हाथ न्यून उत्कृष्ट एक हाथ की ।
४-५ तेजस् कार्मण शरीर की अवगाहना -- जघन्य आंगुल के असं - ख्यातवे भाग उ० चौदह राजू लोक प्रमाण ।
६ पुद्गल चयन द्वार
( आहार कितनी दिशाओ का लेवे )
औदारिक, तेजस्, कार्मरण शरीर वाला तीन, चार, पाँच यावत छ: दिशाओ का आहार लेवे ।
वैक्रिय और आहारक शरीर वाला छः दिशाओं का लेवे ।
७ संयोजन द्वार
१ औदारिक शरीर मे आहारक वैक्रिय की भजना ( होवे और नही भी होवे ), तेजस् कार्मण की नियमा ( जरूर ) होवे ।