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जैनागम स्तोक संग्रह
७ कर्म की उदीरणा द्वार
पहले जीवस्थानक पर सात, आठ अथवा छः कर्म की उदीरणा करे ( सात की करे तो वेदनीय कर्म छोड़कर व छः कर्म की करे तो वेदनीय व आयुष्य कर्म छोडकर ) ।
दूसरे, तीसरे, चौथे व पाँचवे जीवस्थानक पर सात अथवा आठ कर्म की उदीरणा करे (सात की करे तो आयुष्य कर्म छोड़कर ) ।
छः, सात, आठ व नववे जोवस्थानक पर सात, आठ, छः की उदीरणा करे (सात की करे तो आयुष्य छोड़कर और छ: की करे तो आयुष्य और वेदनीय कर्म छोड़कर) ।
- दसवे जीवस्थानक पर छः व पॉच की उदीरणा करे ( छ. की करे तो आयुष्य और वेदनीय छोड़कर और पॉच की करे तो आयुष्य, वेदनीय व मोहनीय ये तीन छोड़कर) ।
ग्यारहवे जीवस्थानक पर पांच कर्म की उदीरणा करे (आयुष्य, वेदनीय और मोहनीय कर्म छोड़कर ) ।
वारहवे, तेरहवे जीवस्थानक पर दो कर्म की उदीरणा करे, नाम और गोत्र कर्म की ।
चौदहवे जीवस्थानक पर एक भी कर्म की उदीरणा नही करे । कर्म का उदय व ६ कर्म की निर्जरा द्वार
पहले से दसवे जीवस्थानक तक आठ कर्म का उदय और आठ कर्म की निर्जरा ग्यारहवे व बारहवे जीव स्थानक पर मोहनीय कर्म छोड कर शेष सात कर्म का उदय और सात कर्म की निर्जरा तेरहवे चौदहवे जीव स्थानक पर चार कर्म का उदय और चार कर्म की निर्जरा - १ वेदनीय, २ आयुष्य, ३ नाम और ४ गौत्र ।
१० छः भाव का द्वार
छः भाव का नाम :- १ औदयिक, २ औपशमिक, ३ क्षायिक, ४ क्षायोपशमिक, ५ पारिणामिक, ६ सान्निपातिक ।