________________
जैनागम स्तोक संग्रह
२४८
२६ भरत क्षेत्र में उत्कृष्ट २१ पदवी पावे - वासुदेव, वलदेव नही । ३० उर्ध्व लोक में ५ पदवी पावे - १ केवली २ साधु ३ श्रावक ४ समकित ५ मांडलिक राजा ।
३१ अधः लोक तथा तिर्यक् ( तिछें) लोक में २३ पदवी पावे ।
३२ स्व लिङ्ग मे ४ पदवी पावे - १ तीर्थंकर २ केवली ३ साधु
४ श्रावक ।
३३ अन्य लिङ्ग में ४ पदवी पावे -१ केवली २ साधु ३ श्रावक ४ समकित ।
३४ गृहस्थ लिङ्ग मनुष्य में १४ पदवी पावे - नव उत्तम पदवी, और सात पंचेन्द्रिय रत्न में से गज अश्व को छोड़ शेष पॉच एवं ( 2 + ५ ) १४ पदवी ।
३५ संमूर्छिम में ८ पदवी पावे - सात एकेन्द्रिय रत्न और एक समकित |
३६ गर्भज में १६ पदवी पावे - २३ में से सात एकेन्द्रिय रत्न छोड़ शेष १६ पदवी |
३७ अगर्भज में ८ पदवी पावे - समूर्छिम समान ।
३८ एकेन्द्रिय में ७ पदवी पावे - सात एकेन्द्रिय रत्न ।
३६ तीन विकलेन्द्रिय में १ पदवी पावे - समकित ।
-
४० पंचेन्द्रिय में १५ पदवी पावे - २३ में से सात एकेन्द्रिय रत्न और केवली - ये आठ नही ।
४१ अनिन्द्रिय में ४ पदवी पावे - १ तीर्थकर २ केवली ३ साधु ४ समकित |
४२ संयति में ४ पदवी पावे - अनिन्द्रिय समान ।
४३ असंयति में २० पदवी पावे - २३ में से १ केवली २ साधु ३ श्रावक ये तीन छोड़ शेष २० पदवी |