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तेईस पदवी
२४७ १४ पुरुष वेद में १४ पदवी पावे-सात एकेन्द्रिय रत्न केवली ओर स्त्री रत्न ये नव छोड शेष (२३-६) १४ पदवी।
१५ अवेदी मे ४ पदवी पावे-१ तीर्थ कर २ केवली ३ साधु ४ समकित।
१६ नरक गति में एक पदवी पावे-समकित की।
१७ तिर्यच गति मे ११ पदवी पावे-सात एकेन्द्रिय रत्न ८ गज ६ अश्व १० श्रावक ११ समकित ।
१८ मनुष्य गति में १४ पदवी पावे-नव उत्तम पदवी और सात पंचेन्द्रिय रत्न में से गज अश्व छोड शेष ५ एव (8+५) १४ पदवी ।
१६ देवगति में एक पदवी पावे-समकित की।
२० आठ कर्म वेदक मे २१ पदवी पावे तीर्थंकर और केवली ये दो नही।
२१ सात कर्म वेदक मे २ पदवी पावे-साधु और श्रावक ।
२२ चार कर्म वेदक मे चार पदवी पावे-१ तीर्थंकर २ केवली ३ साधु ४ समकित।
२३ जघन्य अवगाहना मे १ पदवी पावे-समकित की।
२४ मध्यम अवगाहना मे १४ पदवी पावे-नव उत्तम पुरुष, पाच पचेन्द्रिय रत्न-गज अश्व छोड कर एवं ६+५१४ पदवी पावे।
२५ उत्कृष्ट अवगाहना मे एक पदवी पावे-समकित । २६ अढाई द्वीप मे २३ पदवी पावे ।
२७ अढाई द्वीप के बाहर ४ पदवी पावे-१ केवली २ साधु ३ श्रावक ४ समकित।
२८ भरत क्षेत्र मे मध्यम पदवी ८ पावे-उत्तम पदवी में से चक्रवर्ती छोड़ शेष ८ पदवी।