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तेतीस बोल
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___ (१०) मित्र दोष दण्ड-माता, पिता तथा मित्र वर्ग को अल्प अपराध के लिये भारी दण्ड करे।
(११) माया दण्ड-कपट करे। (१२) लोभ दण्ड-लालच तृष्णा करे। (१३) इर्यापथिक दण्ड-मार्ग में चलने से होने वाली हिसा ।
१४ चौदह प्रकार के जीव : (१) सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त (२) सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त (३) बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त (४) बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त (५) बे इन्द्रिय अपर्याप्त (E) बे इद्रिय पर्याप्त (७) त्रि इन्द्रिय अपर्याप्त (८) त्रि इन्द्रिय पर्याप्त (E) चौरिन्द्रिय अपर्याप्त (१०) चौरिन्द्रिय पर्याप्त (११) असज्ञी पचेन्द्रिय अपर्याप्त (१२) असंज्ञी पचेन्द्रिय पर्याप्त (१३) संज्ञी पचेन्द्रिय अपर्याप्त (१४) सज्ञी पचेन्द्रिय पर्याप्त ।
१५ पन्द्रह प्रकार के परमाधामी देव : (१) आम्र २ आम्र रस ३ शाम ४ सबल ५ रुद्र ६ वैरुद्र ७ काल ८ महाकाल । ६ असिपत्र १० धनुष्य ११ कुंभ १२ वालु (क) १३ वैतरणी १४ खरस्वर १५ महाघोष । १६ सोलवे सूत्रकृत का प्रथम श्रु तस्कन्ध के सोलह अध्ययन:
१ स्वसमय परसमय २ वैदारिक ३ उपसर्ग प्रज्ञा ४ स्त्री प्रज्ञा ५ नरक विभक्ति ६ वीर स्तुति ७ कुशील परिभाषा ८ वीर्याध्ययन ६ धर्मध्यान १० समाधि ११ मोक्ष मार्ग १२ समवसरण १३ यथातथ्य १४ न थी १५ यमतिथि १६ गाथा ।
१७ सत्तरह प्रकार का संयम : १ पृथ्वी काय सयम २ अप्काय सयम ३ तेजस् काय सयम ४ वायु काय सयम ५ वनस्पति काय सयम ६ बे इन्द्रिय काय संयम