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पाँच ज्ञान का विवेचन
०२३६ ४ कर्मभूमि मे सख्याता वर्ष का आयुष्य वाला को उत्पन्न होवे परन्तु असख्याता वर्ष का आयुष्य वाला को उत्पन्न नही होवे।
५ सख्याता वर्ष का आयुष्य मे पर्याप्त को उत्पन्न होवे अपर्याप्त को नहीं ।
६ पर्याप्त मे भी समदृष्टि को उत्पन्न होवे मिथ्या-दृष्टि मिश्र दृष्टि को नही होवे। __७ सम दृष्टि मे भी सयति को उत्पन्न होवे परन्तु अव्रती समदृष्टि व देशव्रती वाले को नही उत्पन्न होवे ।
८ सयति मे भी अप्रमत्त सयति को उत्पन्न होवे प्रमत्त सयति को नही होवे।
६ अप्रमत सयति मे भी लब्धिवान् को उत्पन्न होवे अलब्धिवान को नही । __ मन. पर्याय ज्ञान के दो भेद-१ ऋजुमति मन. पर्याय ज्ञान २ विपुलमति मन पर्याय ज्ञान । ___ ऋजुमति—सामान्य प्रकार से जाने सो ऋजुमति और विशेष प्रकार से जाने सो विपुलमति मन. पर्याय ज्ञान । ___मनः पर्याय ज्ञान के समुच्चये चार भेद है-१ द्रव्य से २ क्षेत्र से ३ काल से ४ भाव से। द्रव्य से ऋजुमति अनन्त प्रदेशी स्कन्ध जाने देखे (सामान्य से विपुल मति इससे अधिक स्पष्टता से व निर्णय सहित जाने देखे)
२ क्षेत्र से ऋजुमति जघन्य अगुल के असख्यातवे भाग उत्कृष्ट नीचे रत्न प्रभा का प्रथम काण्ड के ऊपर का छोटे प्रतर का नीचला तला तक अर्थात् समभूतल पृथ्वी से १००० योजन नीचे देखे, ऊर्ध्व ज्योतिपी के ऊपर का तल तक देखे अर्थात् समभूतल से ६०० योजन का ऊँचा देखे, तिर्यक् देखे तो मनुष्य क्षेत्र मे अढाई द्वीप तथा दो समुद्र के अन्दर सज्ञी पचेन्द्रिय पर्याप्त के मनोगत भाव जाने देखे. विपुलमति ऋजु मति से अढाई अंगुल अधिक विशेष स्पष्ट निर्णय सहित जाने देखे ।