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तेतीस बोल
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२१ प्रतिमाधारी साधु घोडा, वृषभ, हाथी, पाडा, वराह (सूअर), श्वान, बाघ इत्यादिक दुष्ट जीव सामने आते हो तो डर कर एक पाव भी पीछे धरे नही परन्तु खुवाला (सीधा) भद्र जीव सामने आता हो तो दया के कारण यत्ना के निमित्त पांव पीछे फिरे।
२२ प्रतिमाधारी साधु धूप से छांया मे नही जावे और छांया से धूप में नही जावे, शीत और ताप सम परिणाम पूर्वक सहन करे।
२ दूसरी प्रतिमा एक मास की । इसमे दो दाति आहार की और दो दाति जल की लेवे।
३ तीसरी प्रतिमा एक माह की। इसमे तीन दाति आहार की और तीन दाति जल की लेना कल्पे ।
४ चोथी प्रतिमा एक माह की । इसमे चार दाति आहार की और चार दाति जल की लेना कल्पे ।
५ पाचवी प्रतिमा एक माह की। इसमे पांच दाति आहार की और पांच दाति जल की लेना कल्पे।
६ छट्ठी प्रतिमा एक माह की । इसमें ६ दाति आहार की और ६ दाति जल की लेना कल्पे।
७ सातवी प्रतिमा एक माह की। इस मे सात दाति आहार की और सात दाति जल की लेना कल्पे ।
८. आठवी प्रतिमा सात अहोरात्रि की। इसमे जल बिना एकान्तर उपवास करे। ग्राम, नगर, राजधानी आदि के बाहर स्थानक करे, तीन आसन से बैठे, चित्ता सोवे, करवट से मोवे, पलाठी मारकर सोवे । परन्तु किसी भी परिषह से डरे नही। ___. नववी प्रतिमा-सात अहोरात्रि की। ऊपर समान, विशेष तीन में से एक आसन करे, दण्ड आसन, लगड़ आसन और उत्कट आसन ।