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जैनागम स्तोक सग्रह ११ इन तीन प्रकार की शय्या की याचना करना कल्पे । १२ इन तीन प्रकार की शय्या का भोग करना कल्पे ।
१३ प्रतिमाधारी साधु जिस स्थानक में रहते होवे उस में यदि कोई स्त्री प्रमुख आवे तो स्त्री के भय से बाहर निकले नही, यदि कोई दूसरा बाहर निकाले तो स्वयं इर्यासमिति शोध कर निकले।
१४ प्रतिमाधारी साधु जिस घर में रहते होवे वहाँ यदि कोई अग्नि लगावे तो भय से बाहर निकले नही, यदि कोई दूसरा निकालने का प्रयास करे तो स्वयं इर्यासमिति शोध कर निकले।
१५ प्रतिमाधारी साधु के पांव में यदि कंटक प्रमुख लगा होवे तो उन्हे निकालना नही कल्पे ।
१६ प्रतिमाधारी साधु के आंख में छोटे जीव तथा नाना बीज व रज प्रमुख गिरे तो उन्हे निकालना नहीं कल्पे, इर्यासमिति से चलना कल्पे।
१७ प्रतिमाधारी साधु को सूर्यास्त होने के बाद एक पांव भी आगे चलना नही कल्पे अर्थात प्रति लेखन करने के समय तक विहार करे। __ १८ प्रतिमाधारी साधु को सचित्त पृथ्वी पर सोना बैठना व थोड़ी निद्रा भी निकालना नही कल्पे, और पहिले देखे हुए स्थानक पर उच्चार प्रमुख परिठवना कल्पे ।
१६ सचित्त रज से यदि पांव प्रमुख भरे हुवे हो तो ऐसे शरीर से गृहस्थ के घर पर गौचरी जाना नही कल्पे।।
२० प्रतिमा धारी साधु को प्रासुक शीतल तथा ऊष्ण जल से हाथ, पांव, कान, नाक, आंख प्रमुख एक बार धोना, बारंबार धोना नहीं कल्पे, केवल अशुचि से भरे हुवे तथा भोजन से भरे हुए शरीर के अङ्ग धोना कल्पे अधिक नही ।