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जैनागम स्तोक संग्रह
नेन्द्रिय निग्रह १० स्पर्शेन्द्रिय निग्रह ११ क्रोध विजय १२ मान विजय १३ माया विजय १४ लोभ विजय १५ भाव सत्य १६ करण सत्य १७ योग सत्य १८ क्षमा १९ वैराग्य २० मनसमाधारणा २१ वचन समाधारणा २२ कायसमाधाररणा २३ ज्ञान २४ दर्शन २५ चारित्र २६ वेदना सहिष्णुता २७ मरण सहिष्णुता ।
२८ अठावीस प्रकार का आचार कल्प :
१ माह (मासिक) प्रायश्चित २ माह और पांच दिन ३ माह और दश दिन ४ माह और पन्द्रह दिन ५ माह और वीस दिन ६ माह और पच्चीस दिन ७ दो माह ८ दो माह और पांच दिन 8 दो माह और दश दिन १० दो माह और पन्द्रह दिन ११ दो माह और वीस दिन १२ दो माह और पच्चीस दिन १३ तीन माह १४ तीन माह और पांच दिन १५ तीन माह और दश दिन १६ तीन माह और पन्द्रह दिन १७ तीन माह और वीस दिन १८ तीन माह और पच्चीस दिन १६ चार माह २० चार माह और पांच दिन २१ चार माह और दश दिन २२ चार माह और पन्द्रह दिन २३ चार माह और वीस दिन २४ चार माह और पच्चीस दिन २५ पांच माह ये पच्चीस उपघातिक २६ अनुघातिकारोपण २७ कृत्स्न (सम्पूर्ण) २८ अकृत्स्न (असम्पूर्ण) ।
२६ उन्तीस प्रकार का पाप सूत्र :
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१ भूमिकंप शास्त्र २ उत्पात शास्त्र ३ स्वप्न शास्त्र ४ अंतरीक्ष शास्त्र ५ अगस्फुरण शास्त्र ५ स्वर शास्त्र ७ व्यंजन शास्त्र ( मसा तिल सम्बन्धी) लक्षण शास्त्र ये आठ सूत्र से आठ वृत्ति से और आठ वार्तिक से एव २४, २५ विकथा अनुयोग २६ विद्या अनुयोग २७ मंत्र अनुयोग २८ योग अनुयोग २६ अन्य तीर्थिक प्रवृत्त अनुयोग । ३० तीस प्रकार के मोहनीय के स्थानक :
१ स्त्री, पुरुष, नपुंसक को अथवा किसी त्रस प्राणी को जल मे बैठा कर जलरूप शस्त्र से मारे तो महामोहनीय कर्म बांधे ।