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तेतीस बोल
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गया हो उसे पुनः जागृत करे १४ अकाले स्वाध्याय कर १५ सचित्त पृथ्वी से हाथ पाँव भरे हुवे होने पर भी आहारादि लेने जावे १६ शान्ति के समय तथा प्रहर रात्रि बीत जाने पर जोर २ से आवाज करे १७ गच्छ मे भेद उत्पन्न करे १८ गच्छ मे क्लेश उत्पन्न कर के परस्पर दुख उत्पन्न करे १६ सूर्योदय से लगाकर सूर्यास्त तक अशनादि भोजन लेता ही रहे २० अनेषणिक अप्रासुक आहार लेवे।
२१ इकवीस प्रकार के शबल कर्म : १ हस्तकर्म २ मैथुन सेवे ३ रात्रि भोजन करे ४ आधा कर्मी भोगवे ५ राज पिंड जिमे ६ पांच बोल सेवे-१ खरीद कर देवे तथा लेवे २ उधार देवे तथा लेवे ३ बलात्कार से देवे तथा लेवे ४ स्वामी की आज्ञा बिना देवे तथा लेवे ५ स्थानक मे सामा जाकर देवे तथा लेवे ७ बारबार प्रत्याख्यान करके भोगवे ८ महीने के अन्दर तीन उदक लेप करे (नदी उतरे खडा रहे) ६ छः माह से पहले एक गण से दूसरे गण मे जावे १० एक माह के अन्दर तीन माया का स्थान भोगवे ११ शय्यातर का आहार करे १२ इरादा पूर्वक हिंसा करे १३ इरादा पूर्वक असत्य बोले १४ इरादा पूर्वक चोरी करे १५ इरादा पूर्वक सचित्त पृथ्वी पर शय्या व बैठक करे १६ इरादा पूर्वक सचित मिश्र पृथ्वी पर शय्यादिक करे १७ सचित्त शिला, पत्थर, सूक्ष्म जीव जन्तु रहे ऐसा काष्ट तथा अड प्राणी बीज, हरित आदि जीव वाले स्थानक पर आश्रय, बैठक, शय्या करे १८ इरादा पूर्वक मूल, कन्द, स्कन्ध त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज इन १० सचित्त का आहार करे १६ एक वर्ष के अन्दर दश उदक लेप करे (नदी उतरे) २० एक वर्ष के अन्दर दश माया का स्थानक सेवे २१ जल से हाथ पात्र, भाजन आदि गीले करके अशनादि देवे तथा लेकर इरादा पूर्वक भोगवे।