________________
१८४
जैनागम स्तोक संग्रह लघु ( ह्रस्व) स्वर (अ, इ, उ, ऋ, लु, ) के उच्चारण के काल प्रमाणे जानना।
४: क्रिया द्वार पहले तीसरे गुणस्थान में २४ क्रिया पावे इरियावहिया क्रिया छोड़कर। दूसरे चौथे गुण० २३ क्रिया पावे इरियावहिया, और मिथ्यात्व की ये दो छोड़ कर । पांचवे गुण० २२ क्रिया पावे मिथ्यात्व, अविरति इरियावहिया क्रिया छोड कर । छट्टे गुण० २ क्रिया पावे १ आरंभिया २ मायावत्तिया । सातवे गुणों से दशवे गुण० तक १ मायावतिया क्रिया पावे । ग्यारहवे, वारहवे, तेरहवे गुण० १ इरियावहिया क्रिया पावे । चौदहवे गण० क्रिया नही पावे ।
५ : सत्ता द्वार पहले गुणस्थान से ग्यारहवें गुण० तक आठ कर्म की सत्ता । बारहवें गुण० ७ कर्म की सत्ता मोहनीय कर्म छोड़ कर । तेरहवे चौदहवे गुण० ४ कर्म की सत्ता वेदनीय, आयुष्य, नाम, गोत्र एव चार कर्म ।
६ : बंध द्वार पहिले ग रणस्थान से सातवे गुण० तक (तीसरा गुण० छोड कर) ८ कर्म बधे या सात कर्म बंधे (आयुष्य कर्म छोड़ कर) तीसरे, आठवे नववे गुण० ७ कर्म बधे (आयुष्य छोड़ कर) दशवे गुण० ६ कर्म वधे (आयुष्य मोहनीय कर्म छोड़ कर ) ग्यारहवे, बारहवे तेरहवे गुण १ साता वेदनीय कर्म बंधे । चौदहवे गुण० कर्म नही वधे ।
७ : वेद द्वार और ८ उदय द्वार पहिले गुण से दशवे गुण० तक ८ कर्म वेदे और ८ कर्म का उदय । ग्यारहवे बारहवे ७ कर्म (मोहनीय छोड़ कर ) वेदे और ७