________________
1
१२८
जैनाराम स्तोक संग्रह
नोकषाय चारित्र मोहनीय की नव प्रकृति
१ हास्य २ रति ३ अरति ४ भय ५ शोक ६ दुगु छा ७ स्त्रीवेद ८ पुरुषवेद ६ नपुंसकवेद ।
मोहनीय कर्म छः प्रकार से बाँधे
१ तीव्र क्रोध २ तीव्र मान ३ तीव्र माया ४ तीव्र लोभ ५ तीव्र दर्शन मोहनीय ६ तीव्र चारित्र मोहनीय |
मोहनीय कर्म पांच प्रकारे भोगवे
१ सम्यक्त्व मोहनीय २ मिथ्यात्व मोहनीय ३ सम्यक्त्व मिथ्यात्व (मिश्र) मोहनीय ४ कषाय चारित्र मोहनीय ५ नोकषाय चारित्र मोहनीय |
मोहनीय कर्म की स्थिति
जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट ७० करोड़ाकरोड़ सागरोपम की, अबाधा काल ज० अन्तर मुहर्त का उ० सात हजार वर्ष का ।
आयुष्य कर्म का विस्तार
आयुष्य कर्म की चार प्रकृति :- १ नरक का आयुष्य २ तिर्यञ्च का आयुष्य ३ मनुष्य का आयुष्य ४ देव का आयुष्य ।
आयुष्य कर्म सोलह प्रकारे बाँधे
१ नरक आयुष्य चार प्रकारे बाँधे २ तिर्यच का आयुष्य चार प्रकारे बाँधे ३ मनुष्य का आयुष्य चार प्रकारे बाँधे ४ देव आयुष्य चार प्रकारे बाँधे ।
नरक आयुष्य चार प्रकारे बाँधे :- - १ महा आरम्भ २ महापरिग्रह ३ मद्य-मॉस का आहार ४ पचेन्द्रिय वध |
तिर्यंच आयुष्य चार प्रकारे वॉधे :- - १ कपट २ महा कपट ३ मृषावाद ४ खोटा तोल, खोटा माप ।