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जैनागम स्तोक संग्रह (६) छठ्ठी नरक में १६ बोल की आगति-उक्त २० बोल मे से १ भुजपर (सर्प), २ खेचर, ३ स्थल चर, ४ उरपरि सर्प चार छोड़ शेष १६ बोल । गति ४० वोल की पहली नरक समान ।
(७) सातवी नरक में १६ बोल की आगति पन्द्रह कर्मभूमि और १ जलचर एव १६ वोल । इसमें स्त्री मर कर नहीं आती है, केवल पुरुप तथा नपुंसक मर कर आते है । गति दस बोल की-पाँच संजी तिर्यच का पर्याप्ता और अपर्याप्ता।
२५ भवनपति और २६ वारण व्यन्तर । इन ५१ जाति के देवताओ मे आगति १११, वोल की-१०१, संज्ञी मनुष्य का पर्याप्ता, पाँच संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय और पॉच असज्ञी तियंच एवं १११ का पर्याप्ता । गति ४६ वोल की-१५ कर्मभूमि, पाँच संज्ञी तिर्यच, वादर पृथ्वी काय, बादर अपकाय, बादर वनस्पति काय एवं तेवीस का पर्याप्ता और अपर्याप्ता। ___ ज्योतिषी और पहला देवलोक में ५० बोल की आगति-१५ कर्म भूमि, ३० अकर्म भूमि, ५ संज्ञी तिर्यंच एवं ५० का पर्याप्ता। गति ४६ बोल की भवनपति समान ।
दूसरा देवलोक में ४० बोल की आगति-१५ कर्मभूमि, पाँच सज्ञी तिर्यञ्च ये २० और ३० अकर्मभूमि मे से पॉच हेमवय और पाँच हिरणवय छोड़ शेष २० अकर्मभूमि एवं ४० बोल का पर्याप्ता । गति ४६ वोल की भवनपति समान ।
पहला किल्विषी में ३० बोल की आगति-१५ कर्मभूमि, ५ संज्ञी तिर्यञ्च, ५ देव कुरु, ५ उत्तर कुरु एवं ३० का पर्याप्ता। गति ४६ वोल की भवनपति समान ।
तीसरे देवलोक से आठवे देवलोक तक, नव लोकातिक और दूसरा तीसरा किल्विपी-इन १७ प्रकार के देवताओं में २० वोल की आगति १५ कर्म भूमि, ५ सज्ञी तिर्यञ्च एवं २० बोल का पर्याप्ता।