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जैनागम स्तोक संग्रह परभव जाते समय जीव ६ बोल के साथ आयुष्य छोड़ते है१ जाति, २ गति, ३ स्थिति, ४ अवगाहना, ५ प्रदेश और ६ अनुभाव ।
आठवा आकर्ष द्वार तथाविध प्रयत्न करके कर्म पुद्गल का ग्रहण करने व खेचने को आकर्ष कहते है। जैसे गाय पानी पीते समय भय से पीछे देखे और फिर पीवे वैसे ही जीव जाति, निद्धतादि आयुष्य को जघन्य एक, दो, तीन उत्कृष्ट आकर्ष करके बाधता है ।
आकर्ष का अल्प तथा बहुत्व सबसे थोडा जीव आठ आकर्ष से जाति निद्धतायुष्य को बाधने वाले, उससे सात से बांधने वाले संख्यात गुणा, उससे छ: से बाधने वाले संख्यात गुणा, उससे पांच से बाधने वाले सख्यात गुणा, उससे चार से बांधने वाले संख्यात गुणा, उससे तीन से बांधने वाले संख्यात गुणा, उससे दो से बांधने वाले संख्यात गुणा, उससे एक से बांधने बाले संख्यात गुणा।