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__ आठ कर्म की प्रकृति
१३१ (E) वर्ण नाम के पाच भेद.-१ कृष्ण २ नील ३ रक्त ४ पीत ५ श्वेत,-४४
(१०) गध के दो भेद:-१ सुरभिगध २ दुरभिगध,-४६
(११) रस के पाच भेद -१ तीक्ष्ण २ कटुक ३ कषाय ४ क्षार (खट्टा) ५ मिष्ट,-५१
(१२) स्पर्श के आठ भेद.-१ लघु २ गुरु ३ कर्कश ४ कोमल ५ शीत ६ उष्ण ७ रुक्ष ८ स्निग्ध,-५६
(१३) अगुरु लघु नाम का एक भेद, ६० (१४) उपघात नाम का एक भेद, ६१ (१५) पराघात नाम का एक भेद, ६२
(१६) अणुपूर्वी के चार भेद:-१ नरक की अणुपूर्वी २ तिर्यञ्च की अणुपूर्वी ३ मनुष्य की अरणपूर्वी ४ देव की अणुपूर्वी, ६६
(१७) उच्छ्वास नाम का एक भेद , ६७ (१८) उद्योत नाम का एक भेद, ६८ (१६) आताप नाम का एक भेद, ६६
(२०) विहाय गति नाम के दो भेदः-१ प्रशस्त विहाय गतिगन्ध हस्ती के सामान शुभ चलने की गति २ अप्रशस्त विहाय गति, ऊँट के सामान अशुभ चलने की गति, ७१
शेष २२ बोल जो रहे उनमे से प्रत्येक का एक भेद एवं (७१+२२) ६३ प्रकृति ।
नाम कर्म आठ प्रकार से बांधे : शुभ नाम कर्म चार प्रकार से बाधेः-१ काया की सरलताकाया के योग अच्छे प्रकार से प्रवर्तावे २ भाषा की सरलता-वचन के योग अच्छे प्रकार से प्रवर्तीवे ३ भाव की सरलता -मन के योग अच्छे प्रकार से प्रवर्तीवे ४ अक्लेशकारी प्रवर्तन खोटा व झूठा विवाद नही करे।
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