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चौबीस दण्डक
पल्य की, देव कुरु उत्तर कुरु में जघन्य तीन पल्य में देश उण उत्कृष्ट तीन पल्य की।
छप्पन्न अन्तर द्वीप में जघन्य पल्य के असंख्यातवे भाग में देश उण उत्कृष्ट पल्य के असंख्यातवे भाग ।
२१ मरण द्वार :-मरण दो-१ समोहिया और २ असमोहिया। २३ आगति द्वार :-इनमें दो गति का आवे-१ मनुष्य और २ तिर्यञ्च। २४ गति द्वार :-ये एक गति मनुष्य मे जावे।
सिद्धों का विस्तार १ शरीर द्वार-सिद्धों के शरीर नहीं।
२ अवगाहना द्वार :-५०० धनुष्य अवगाहना वाले जो सिद्ध हुए है उनकी अवगाहना ३३३ धनुष्य और ३२ अंगुल ।
सात हाथ के जो सिद्ध हुए है उनकी अवगाहना चार हाथ और सोलह अंगुल की।
दो हाथ के जो सिद्ध हुए है उनकी एक हाथ और आठ अंगुल की।
३ संघयन द्वार :- सिद्ध असघयनी (सघयन नही)। ४ सस्थान द्वार :- सिद्ध असस्थानी (सस्थान नहीं)। ५ कषाय द्वार:- सिद्ध अकषायी (कषाय नही)। ६ सज्ञा द्वार :- सिद्ध मे सज्ञा नही। ७ लेश्या द्वार :- सिद्ध मे लेश्या नही। ८ इन्द्रिय द्वार :- सिद्ध में इन्द्रिय नही । ६ समुद्घात द्वार !- सिद्ध में समुद्घात नही ।