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जैनागम स्तोक संग्रह दो गति-मनुष्य और तिर्यञ्च का आवे और दो गति-मनुष्य और तिर्यञ्च में जावे। ___ नवे देवलोक से सर्वार्थसिद्ध तक एक गति-मनुष्य का आवे और एक गति-मनुष्य में जावे ।
पांच एकेन्द्रिय के पांच दण्डक
१ शरीर द्वार :वायु काय को छोड शेष चार एकेन्द्रिय में शरीर तीन १ औदारिक २ तेजस् ३ कार्माण। वायुकाय में चार शरीर १ औदारिक २ वैक्रिय ३ तेजस् ४ कार्माण ।
२ अवगाहना द्वार :पृथ्व्यादि चार एकेन्द्रिय की अवगाहना जघन्य अगुल के असंख्यातवे भाग।
वनस्पति की अवगाहना ज० अंगुल के असंख्यातवे भाग उ० हजार योजन झाझेरी कमल नाल आश्रित ।
३ संघयन द्वार : पांच एकेन्द्रिक में सेवार्त संघयन ।
४ संस्थान द्वार: पांच एकेन्द्रिय में हुण्डक संस्थान ।
५ कषाय द्वार : पांच एकेन्द्रिय में कषाय चार ।
६ संज्ञा द्वार: पांच एकेन्द्रिय में संज्ञा चार ।
७ लेश्या द्वार : पृथ्वी, अप व वनस्पति काय-अपर्याप्त में लेश्या चार १ कृष्ण