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जैनागम स्तोक संग्रह १७ उपयोग द्वार :-- ___ नरक, व भवनपति से नव वेयक तक उपयोग नव-१ मति ज्ञान उपयोग २ श्रु त ज्ञान उपयोग ३ अवधि ज्ञान उपयोग ४ मति अज्ञान उपयोग ५ श्रुत अज्ञान उपयोग ६ विभग ज्ञान उपयोग ७ चक्ष दर्शन उपयोग ८ अचक्षु दर्शन उपयोग ६ अवधि दर्शन उपयोग।
पांच अनुत्तर विमान मे ६ उपयोग-तीन ज्ञान और तीन दर्शन। १८ आहार द्वार :
नरक व देवलोक में दो प्रकार का आहार १ ओजस् २ रोम । छः ही दिशाओं से आहार लेते है। परन्तु लेते है एक प्रकार का-नेरिये अचित आहार करते है किन्तु अशुभ, और देवता भी अचित्त आहार करते है किन्तु शुभ । १६ उत्पत्ति द्वार और २२ च्यवन द्वार : ___ पहली नरक से छठ्ठी नरक तक मनुष्य व तिर्यच पंचेन्द्रियइन दो दण्डक के आते है-व दो ही (मनुष्य, तिर्यच) दण्डक मे जाते है।
सातवी नरक में दो दण्डक के आते है, मनुष्य व तिर्यच, व एक दण्डक में-तिर्य च पचेन्द्रिय-मे जाते है।
भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी तथा पहले दूसरे देवलोक में दो दण्डक-मनुष्य व तिर्यच के आते है व पांच दण्डक में जाते है ? पृथ्वी २ अप ३ वनस्पति, ४ मनुष्य ५ तिर्यच पंचेद्रिय ।
तीसरे देवलोक से आठवें देवलोक तक दो दण्डक-मनुष्य और तिर्य च-का आवे और दो ही दण्डक में जावे ।