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छः काय के बोल
पूर्व
पम की । संमूच्छिम तिर्यञ्च की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की उत्कृष्ट पूर्व करोड़ की ( विस्तार दण्डक से जानना ) ।
३ मनुष्य के भेद :
मनुष्य
के दो भेद - १ गर्भज २ समूच्छिम |
गर्भज के तीन भेद १ पन्द्रह कर्मभूमि के मनुष्य, २ तीस अकर्मभूमि के मनुष्य, ३ छप्पन्न अन्तरद्वीप के मनुष्य ।
१ पन्द्रह कर्मभूमिज मनुष्य के १५ क्षेत्र :
१ भरत, २ ऐरावत, ३ महाविदेह, ये तीन क्षेत्र एक लाख योजन वाले जम्बूद्वीप के अन्दर है । इसके (चारो ओर ) बाहर ( चूड़ी के - आकार ) दो लाख योजन का लवण समुद्र है । इसके बाहर चार लाख योजनका धातकीखण्ड जिसमे २ भरत २ ऐरावत, २ महाविदेह ये ६ क्षेत्र है । इसके बाद आठ लाख योजन का कालोदधि समुद्र है, जिसके बाहर आठ लाख योजन का अर्धपुष्करद्वीप है, जिसमें २ भरत, २ ऐरावत, २ महाविदेह ये ६ क्षेत्र है । इस प्रकार ये पन्द्र क्षेत्र हुए ।
जहा असि ( हथियार से ) मसि (लेखनादि व्यापार से ) और कृषि ( खेती से ) उपजीविका करने वाले है उसे कर्मभूमि कहते है । इन क्षेत्रो मे विवाह आदि कर्म होते है व मोक्ष मार्ग का साधन भी है ।
२ तीस अकर्मभूमिज मनुष्य के ३० क्षेत्र :
१ हेमवय १ हिरण्यवय १ हरिवास, १ रम्यकवास, १ देवकुरु, १ उत्तर कुरु । ये छ क्षेत्र एक लाख योजन वाले जम्बू द्वीप मे है इसके बाहर दो लाख योजन का लवण समुद्र है, जिसके बाहर चार लाख योजन का धातकी खण्ड जिसमे २ हेमवय २ हिरण्यवय, २ हरिवास २ रम्यक् वास, २ देव कुरु, २ उत्तरकुरु ये १२ क्षेत्र है । इसके बाहर आठ लाख योजन का कालोदधि समुद्र है ।
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इसके बाहर