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छः काय के बोल
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सीमा पर 'शिखरी' नामक पर्वत है, जो 'चुल्ल हेमवन्त' पर्वत के सामान है । इस शिखरी नामक पर्वत के पूर्व पश्चिम के सिरो पर भी २८ अन्तर द्वीप है । इस प्रकार दो पर्वत के सिरो पर कुल छप्पन अन्तर द्वीप है ।
संमूच्छिम मनुष्य के भेद -
समूच्छिम मनुष्य-गर्भज मनुष्यके एक सौ एक क्षेत्र में १४ स्थानों ( जगह ) में उत्पन्न होते है ।
१४ उत्पत्ति स्थानो के नाम :
१ उच्चारेसुवा - बडी नीति - विष्टा मे ।
२ पासवणेसुवा -- लघु नीति - पेशाब (मूत्र) में । ३ खेलेसुवा - खँखार मे ।
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४ संघारण सुवा - श्लेष्म नाक के मेल मे ।
५ वसुवा - वमन - उल्टी मे ।
६ पित्सुवा - पित्त में ।
७ पुइयेसुवा - रस्सी - पीप मे ।
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सोणियेसुवा - रुधिर - रक्त मे । ९ सुक्केसुवा - वीर्य रज मे ।
१० सुक्कपोग्गलप डिसाडिया एसुवा - वीर्य के सूखे पुद्गल पुनः गीले होवे उसमे ।
मृतक शरीर मे ।
११ विगयजीव कलेवरेसुवा - मनुष्य के १२ इत्थि पुरिससजोगेसुवा - स्त्री पुरुष के १३ नगरनिद्धमनियाएसुवा - नगर की गटर आदि में ।
सयोग मे ।
१४ सव्व असुईठाणेसुवा - सर्व मनुष्य सम्बन्धी अशुची स्थानों में । गर्भज मनुष्य की स्थिति जघन्य अन्तमुहूर्त की, उत्कृष्ट तीन पल्यो