________________
६५
छः काय के बोल
इनके नाम-१ भद्र २ सुभद्र ३ सुजात। इस पहली त्रिक में१११ विमान है। यहां से असख्यात योजन करोडाकरोड़ प्रमाण ऊंचा जाने पर दूसरी त्रिक्. आती है । यह भी गागर वेवड़े के (आकार) समान है। इनके नाम-४ सुमानस, ५ प्रियदर्शन व ६ सुदर्शन । इस त्रिक मे १०७ विमान है । यहा से असख्यात योजन के करोडा करोड प्रमाण ऊंचा जाने पर तीसरी त्रिक आती है, जो गागर बेवड़े के समान है। इनके नाम ७ अमोघ, ८ सुप्रतिबद्ध, ६ यशोधर । इस त्रिक मे १०० विमान है।
__पांच अनुत्तर विमान नौ वेयक के ऊपर असख्यात करोडाकरोड योजन प्रमाण ऊंचा जाने पर पाँच अनुत्तर विमान आते है। इनके नाम-१ विजय, २ वैजयन्त, ३ जयन्त, ४ अपराजित, ५ सर्वार्थसिद्ध ।
ये सर्व मिल कर ८४,६७,०२३ विमान हुए। देव की जघन्य आयु दस हजार वर्ष की व उत्कृष्ट ३३ सागरोपम की है । देवका "कुल" २६ लाख करोड़ जानना ।
सिद्धशिला का वर्णन सर्वार्थसिद्ध विमान की ध्वजा-पताका से १२ योजन ऊंचा जाने पर सिद्ध शिला आती है। यह ४१ लाख योजन की लम्बी चोडी व गोल और मध्य में ८ योजन की जाडी और चारो तरफ से घटतीघटती किनारे पर मक्खी के पख से भी अधिक पतली है। शद्ध सुवर्ण से भी अधिक उज्वल, गोक्षीर, शङ्ख, चन्द्र, वक (बगुला) रत्न चॉदी मोती का हार व क्षीर सागर के जल से भी अत्यन्त उज्वल है।
इस सिद्ध शिला के बारह नाम है-१ इषत्, २ इषत् प्रभार, ३ तनु, ४ तनु-तनु, ५ सिद्ध, ६ सिद्धालय ७ मुक्ति, ८ मुक्ता लय, लोकाग्र