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जैनागम स्तोक संग्रह
पम की । संमूच्छिम मनुष्य की स्थिति जघन्य अन्तरमुहूर्त की उत्कृष्ट भी अन्तमुहूर्त की । मनुष्य का "कुल" बारह लाख करोड़ जानना । ४ : देव के भेद :
भवनपति २ वाणव्यन्तर ३ ज्योतिषी
देव के चार भेद - १
४ वैमानिक |
१ भवनपति के २५ भेद :-१० दश असुर कुमार, १५ पन्द्रह परमाधामी ।
दश असुर कुमार :- १ असुर कुमार २ नाग कुमार ३ सुवर्ण कुमार ४ विद्युतकुमार ५ अग्निकुमार ६ द्वीपकुमार ७ उदधि कुमार ८ दिशा कुमार पवन कुमार १० स्तनित कुमार ।
पन्द्रह परमाधामी - १ आम्र ( अम्ब) २ अम्बरोप ३ श्याम ४ सबल ५ रुद्र ६ महारुद्र ७ काल ८ महाकाल ९ असिपत्र १० धनुष्य ११ कुम्भ १२ वालुका १३ वैतरणी १४ खरस्वर १५ महाघोष ।
इस प्रकार कुल २५ प्रकार के भवनपति कहे। पहली नरक में एक लाख अठ्योतर हजार योजन का पोलार है । जिसमे वारह आंतरा है । जिसमे से नीचे के दश आंतरो मे भवनपति देव रहते है | वाणव्यन्तर देव :– वारणव्यन्तर देवो के २६ भेद । १६ सोलह जाति के देव, १० दश जातिके जृम्भक देव, कुल २६ ॥
१ सोलह जाति के देव -१ पिशाच २ भूत ३ यक्ष : राक्षस ५ किन्नर ६ किंपुरुप ७ महोरग गधर्व आणपत्री १० पाणपत्नी ११ इसीवाई १२ भूइवाई १३ कदीय १४ महाकदीय १५ कोहंड १६ पयंग ।
दश जाति के जृम्भक -आण जृम्भक, पारण जृम्भक, लयन जृम्भक, शयन जृम्भक, वस्त्र जृम्भक, पुष्प जृम्भक, फल जृम्भक, पुष्पफलजृम्भक, विद्या जृम्भक, अव्यक्त जृम्भक |
ये (१६+१०) २६ जाति के वारणव्यन्तर देव हुए। पृथ्वी का दल