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जैनागम स्तोक संग्रह
के भेद जानना । जो जीव इस वनस्पति काय की दया पालेगा वह इस भव में परभव में निराबाध परम सुख पावेगा । वनस्पति का आयुष्य जघन्य अन्तर मुहुर्त का, उत्कृष्ट दश हजार वर्ष का इन में निगोद का आयुष्य जघन्य अन्तरर्मुहूर्त उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त । चवे और उत्पन्न होवे | वनस्पति काय का सस्थान अनेक प्रकार का है । इनका "कुल " २८ लक्ष करोड़ जानना ।
सकाय के भेद
त्रसकाय :
त्रस जीव, जो हलन चलन क्रिया कर सके । धूप में से, छाया में जावे व छाया मे से धूप में आवे उसे त्रस काय कहते है । उसके चार भेद - १ बेइन्द्रिय २ त्रीन्द्रिय ६ चौरिन्द्रिय ४ पचेन्द्रिय ।
बेइन्द्रिय के भेद :
जिसके काय और मुख ये दो इन्द्रियां होवे उसे बेइन्द्रिय कहते है । जैसे - १ शंख २ कोड़ी ३ सीप ४ जलोक ५ कीड़े ६पोरे ७ लट ८ अलसिये कृमी १० चरमी ११ कातर (जलजन्तु) १२ चुडेल १३ मेर १४ एल १५ वांतर (वारा) १६ लालि आदि बेइन्द्रिय के अनेक भेद है ! बेइन्द्रिय का आयुष्य जघन्य अन्तर्मुहूर्त का, उत्कृष्ट बारह वर्ष का है । इनका "कुल" सात लक्ष करोड जानना ।
त्रीन्द्रिय :
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जिसके १ काय २ मुख ३ नासिका - ये तीन इन्द्रियां होवे उसे त्रीन्द्रिय कहते है । जैसे - १ज २ लीख ३ खटमल ( मांकड़ ) ४ चांचड़ ५ कुथवे ६ घनेरे ७ उदई ( दीमक) = इल्ली (झिमेल ) झुंड १० कीड़ी ११ मकोड़े १२ जीघोड़े १३ जुआ १४ गधैये १५ कानखजुरे १६ सवा १७ ममोले आदि त्रीन्द्रिय के अनेक भेद है । इनका आयुष्य
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