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छ. काय के बोल
११ जल वृक्ष :
१ पोरगा (छोटे कमल की एक जाति) २ कमल पोयरणा ३ घीतेलां ' ( जलोत्पन्न एक फल ) ४ सिघाडे ५ कमल काकडी (कमल गट्टा ) ६ सेवाल आदि जल वृक्ष के अनेक भेद है ।
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१२ कोड ( कुहाण) :
१ वेल्ली के वेले २ वेल्ली के टोप आदि जमीन फोड़ कर जो निकाले सो कोसंड | इस प्रत्येक वनस्पति में उत्पन्न होते वक्त व जिनमें चक पडे उनमे अनन्त जीव, हरी रहे, उस समय तक असँख्यात जीव व पकने बाद जितने बीज हो उतने या संख्यात जीव होते है । प्रत्येक वनस्पति का वृक्ष दश बोल से शोभा देता है - १ मूल २ कद ३ स्कध ४ त्वचा ५ शाखा ६ प्रशाखा ७ पत्र ८ फूल & फल १० वीज । साधारण वनस्पति के भेद
कद मूल आदि की जाति को साधारण वनस्पति कहते है । १ लसण २ डुगली ३ अदरक ४ सूरण (कन्द ) ५ रतालु ६ पेडालु ( तरकारी विशेष ) ६ बटाटा ८ थेक (जुवार जैसे दाने की एक जाति) & सकरकन्द १० मूला का कन्द ११ नीली हलद १२ नीली गली (घास की जड ) १३ गाजर १४ अकुरा १५ खुरसारणी १६ थुअर १७ मोथी १८ अमृत वेल १६ कु वार (ग्वार पाठा) २० बीड़ (घासविशेष) २१ asat (अरवी) का गाठिया २२ गरमर आदि कन्द मूल के अनेक भेद है | इन्हे साधारण वनस्पति कहते है । सुई की अग्र (अनी ) ऊपर आवे इतने छोटे से कन्द मूल के टुकडे मे उन निगोदिये जीवो के रहने की असख्यात श्रेणी है । एक एक श्र ेणी मे असख्यात प्रतर है । एक एक प्रतर मे असख्यात गोले है । एक एक गोले मे असख्यात शरीर है । एक एक शरीर मे अनन्त जीव है । इस प्रकार ये साधारण वनस्पति