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: कुमार. दध्यंग ऋषि के गये और उनसे कहा कि आप हमको मधुविद्या सिवा देवें। ऋषिने कहा कि यदि यह विद्या सिखाऊंगा तो इन्द्र मेरा सर काट लेगा उसने ऐसा ही कहा है। इन्होंने ऋषि का सर काट कर किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर रख दिया और उसकी जगह अव का सर लगा दिया ऋषि ने उस अश्वमुख से अश्विनी कुमारों को मधु विद्या पढ़ा हो. जब इन्द्र को ज्ञात हुआ तो इन्द्र आया और ऋषि का अश्व सिर काट दिया, इस पर अश्विनी कुमारों ने तुभ्यंग का असली सर पुनः जोड़ दिया । श० १४ । १ । १
वेद में भी यह इतिहास आया है। श्रथर्वणायाश्विना दीवेऽश्वयं शिरः प्रत्यैरयतम् ।। ऋ० । १ । ११७ । २२
अर्थ- हे अपि श्रपुत्र दर्भाची के श्रश्र का शिर जोड़ते है ।
अन्य स्थानों में भी ऐसा ही उल्लेख आया है तथा च वेद में लिखा है कि
मद्या जंघा मायसीं विपतायें ॥ ऋ० १११६/१५
इसके भाग्य में श्री सायणाचार्य लिखते हैं कि- खेल नामक एक सुप्रसिद्ध राजा था. विश्पला क्षत्राणी उसकी सेनापति श्री संग्राम में उसकी जंघा टूट गई. इसपर अश्विनी ने एक लोहे को जंघा लगा दो इनपर यह विश्पला पुनः पूर्ववत संग्राम करने लगी ।" मुल मन्त्र में भी राजा खेल के संग्राम का ही कथन है। इस प्रकार अनेक मन्त्रों में देवों का रूप में वर्णन किया है | अतः सिद्ध है कि यह सुप्रसिद्ध वैध थे। भारत में