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उन्नति ।
आत्मार्पण-आदेश आत्मार्पण-पु० [सं०] आत्मनिवेदन, अपनेको अर्पित कर -बाद-पु० वह वाद या मत जिसके अनुसार रचनामें देना।
आदर्श चरित्र आदिकी स्थापना की जाती है। ऊँचे आत्मावलंबी (बिन्)-वि० [सं०] अपने भरोसे सब | सिद्धान्तोंके अनुसरणपर जोर देना। काम करनेवाला ।
आदाता (त)-वि० [सं०] लेने, पानेवाला । आत्मिक-वि० [सं०] आत्म-संबंधी।
आदान-पु० [सं०] लेना, ग्रहण; रोग-लक्षण; बॉधना; आत्मीय-वि० [सं०] अपना । पु० स्वजन, निकट संबंधी। अश्वसज्जा । -प्रदान-पु० लेना-देना, अदल बदल । आत्मीयता-स्त्री० [सं०] अपनापन, मैत्री।
आदाब-पु० [फा०] व्यवहार-नियम; अदब-कायदा; शिष्टाआत्मोत्कर्ष-पु० [सं०] अपना अभ्युदय, आत्मोन्नति । । चार नमस्कार । ('अदब'का बहु०)।-अज़-पु०नमस्कार । आत्मोत्सर्ग-पु० [सं०] दूसरेके हितके लिए अपनेको संकट- | आदायी (यिन)-वि० [सं०] लेने, पानेवाला। में डालना; अपना जीवन अर्पित कर देना।
आदि-वि० [सं०] प्रथम; मूल; प्रधान । पु० आरंभ मूलआत्मोदय-पु० [सं०] अपना अभ्युदय ।
कारण; परमेश्वर; । अ० वगैरह, इत्यादि । -कर्ता (1)आत्मोद्धार-पु० [सं०] अपना उद्धार, मुक्ति अपने ही पु० स्रष्टा । -कवि-पु. वाल्मीकि; ब्रह्मा । -कांडप्रयत्नसे अपना छुटकारा।
पु० रामायणका प्रथम कांड, बालकांड । -कारण-पु० आत्मोन्नति-स्त्री० [सं०] अपनी या अपनी आत्माकी सृष्टिका मूल कारण, उपादान (सांख्यमतसे मूल प्रकृति,
वैशेषिकमतमे परमाणु, वेदांतमतसे ब्रह्म) । -काव्यआत्मोपजीवी (विन्)-पु० [सं०] अपने ही श्रमसे पु० वाल्मीकीय रामायण । -देव-पु० परमेश्वर, नाराजीविका चलानेवाला; मजदूर, अभिनेता ।
यण, विष्णु । -पर्व (न्)-पु. महाभारतका पहला आत्यंतिक-वि० [सं०] जिसकी अतिशयता हो, अत्यधिक। पर्व। -पुराण-पु० ब्रह्मपुराण । -पु(पू)रुष-पु० आग्रेय-वि० [सं०] अत्रि-संबंधी; अत्रिसे या उनके गोत्रमें परमेश्वर, नारायण, विष्णु । -रस-पु० श्रृंगार (सा०)। उत्पन्न | पु० अत्रि-पुत्र (दत्त, दुर्वासा, चंद्रमा); अत्रिका -राज-पु० पृथुः मनु । -शक्ति-स्त्री० महामाया; वंशज।
दुर्गा । -वासी(सिन्)-पु० किसी देशके मूल निवासी। आत्रेयी-स्त्री० [सं०] अत्रि-पत्नी; अत्रिगोत्रकी स्त्री रज- आदिक-अ० [सं०] वगैरह, इत्यादि । स्वला ।
आदित्य-पु० [सं०] सूर्य देव; अदितिके इन बारह पुत्रों आथना*-अ० क्रि० होना।
मेंसे कोई जो सभी सूर्य माने जाते हैं-धाता; मित्र,अर्यमा, आथर्वण-वि० [सं०] अथर्ववेद या अथर्वण ऋषिसे संबंध रुद्र, वरुण, सूर्य, भग, विवस्वान् , पूषा, सविता, त्वष्टा और रखनेवाला अथवा उनसे उत्पन्न । पु० अथर्ववेदका ज्ञाता विष्णुः विष्णुका वामन अवतार; १२ की संख्या; मदार । ब्राह्मण; अथर्ववेदोक्त कर्म करानेवाला पुरोहित ।
वि० अदितिसे उत्पन्न; आदित्य-संबंधी या आदित्यसे उत्पन्न । आथी*-स्त्री० पूँजी।
-मंडल-पु० सूर्यके चारों ओरका प्रभा-मंडल । -वारआद*-स्त्री० (?) दे० 'आदि' ।
पु० रविवार । -सूनु-पु० सूर्यपुत्र-सुग्रीव, यम, शनि आदत-स्त्री० [अ०] अभ्यास, बान, टेक, लत; व्यसन । और कर्ण। आदतन्-[अ०] अभ्यासतः, स्वभावतः; स्वभावानुरोधसे । आदिम-वि० [सं०] आदिमें उत्पन्न; पहला, पुराना । आदम-पु० [अ०] यहूदी, इसलाम आदि धर्मोंके अनुसार आदिल-वि० [अ०] अदल-इंसाफ करनेवाला, न्यायी। ईश्वरसृष्ट प्रथम मनुष्य, आदि-मानव; मनुष्य । -क़द- आदिष्ट-वि० [सं०] आदेश-प्राप्त; जिसे (कार्यका) आदेश वि० मनुष्यके आकारका । -खोर-वि०, पु० नरमांस- | किया गया हो, कथित । -धनादेश-पु० (आर्डरचेक) भक्षी । -जाद-पु० आदम-संतान, मनुष्य ।
वह धनादेश जिसकी पीठपर पानेवालेको अर्थात् जिसके आदमियत-स्त्री० दे० 'आदमीयत' ।
नाम वह जारी किया गया हो उसे, पहलेसे हस्ताक्षर आदमी-पु० [अ०] मनुष्य व्यक्ति नौकर; पति (बोल- | करना पड़ता है, तभी उसका भुगतान किसी अन्य आदिष्ट चाल)। मु०-बनना-मनुष्यताआना,सभ्यता, शिष्टता | आदमीके हाथ किया जा सकता है । सीखना; संपन्न होना, पैसा पैदा कर लेना ।
आदी-वि० [अ०] अभ्यरत; जिसे किसी चीजकी आदत, आदर्मायत-स्त्री० [अ०] मनुष्यता, इनसानियत; भल- लत लग गयी हो, व्यसनी । * अ० निपट; तनिक भी। मनसी।
स्त्रिी० अदरक । आदर-पु० [सं०] सम्मान; इज्जत; पूज्यभाव; कद्र; उत्सु- आदीपन-पु० [सं०] आग लगाना; उत्तेजित करना; कता प्रयत्न; आरंभ; प्रेम ।-भाव-पु० आदर-सत्कार । | दीवारकी सफेदी करना । आदरण-पु० [सं०] आदर करना ।
आहत-वि० [सं०] आदर-प्राप्त सम्मानित । आदरणीय-वि० [सं०] आदरके योग्य, सम्मान्य । आदेय-वि० [सं०] ग्रहण करने योग्य; जिसपर शुल्कादि आदरना*-स० क्रि० सम्मान करना।
लिया जा सके। पु० ( असेट्स) वह धन जो हमें दूसरोंसे आदरस*-पु० दे० 'आदर्श'।
पावना हो या जो हमें अपनी संपत्ति-घर, मेज, कुरसी आदर्श-पु० [सं०] आईना; मूल लेख; असल; वह व्यक्ति | आदि-बेचनेसे प्राप्त हो सकता हो, परिसंपत् । या कार्यादि जो अनुकरणीय हो नमूना; टीका, व्याख्या। आदेश-पु० [सं०] आज्ञा, हुक्म हिदायत सलाह; विवरण; -बिंब-पु० गोल आईना । -मंदिर-पु० शीशमहल ।। भविष्यकथन; एक अक्षरके स्थानपर दूसरे अक्षरका आना
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