Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका. सू. १०उपस्थानशालासज्जीकरणादिनिरूपणम् १२१९
कुरुत 'कारवेह य' कारयत च कृत्वा कोरयित्वा च एताम् = उपवेशनशाला सज्जीकरणरूपाम् 'आणित्तियं' आज्ञप्तिकाम् = आज्ञां 'पच्चप्पिणह' प्रत्यर्पयत = उपस्थान शालां सुसज्जीकृत्य सूचयत । 'तरणं' तदनु ते कौडम्बियपुरिसा' ते कौटु म्विक पुरुषाः = राजाज्ञाकारिणः, 'सेणिएणं रन्ना' श्रेणिकेन राज्ञा ' एवंवुत्तासमाणा' एवम् = पूर्वाभिहित प्रकारेण उक्ताः - आज्ञप्ताः सन्तः 'हट्टतुट्टा' हृष्टतुष्टाः = आनन्दित संतुष्टा 'जाव'' यावत् - आदेशानुसारं कार्यम् = आस्थानशालाया सुसज्जितकरणरूपं विधाय तस्य राज्ञआदेशं समर्पयन्ति । 'तरुणं सेणिए राया' तदनु= तत्पश्चात् श्रेणिको राजा 'कलं' कल्ये - प्रभातकाले 'पाउप्पभायाए' पादुःप्रभातायां 'रयणीए' रजन्यां रात्रौ 'फुल्लप्पलकमलकोमलुम्मिलियंमि' फुल्लोत्पलय मल लोग स्वयं (करेय) करो तथा ( कारवेहय) दूसरो से करवाओ। (करिता कारवित्ताय ) जब इस प्रकार की उसकी सजावट पूर्ण रूप से तुम कर चुको और ar aataa (raमाणत्तियं पच्चपिणह) हमने आपकी आज्ञानुसार आस्थान मंडप सुसज्जित कर दिया है इस बात की सूचना हमें दो (तएण ते कोडुंबिय पुरिसा सेणिएणं रन्ना एवं वृत्ता समाणा) इस तरह श्रेणिक राजा द्वारा आज्ञापित किये गये वे कौटुम्बिक पुरुष (हट्टतुट्ठा जाव पच्चपिति) बहुत अधिक आनन्दित एवं परम संतुष्ट हुए। और राजा के आदेशानुसार आस्थान शाला को सुसज्जित करने रूप कार्य को अच्छी तरह करके पीछे नाथ, आपकी आज्ञानुसार सब कार्य हो चुका है 'ऐसी सूचना राजा को आकर दि । (तएण सेणिए राया कल्लं पाउप्पभायाए trity) इसके बाद जब कि रजनी प्रभात प्राय हो चुकी थी और
वाणी धूपसणीनी प्रेम था लय तेम लते या रीते तेनी सलवट (करेहय) उसे मने (कारवेहय) जीन भाणुसो पासेथी उशवडावा. ( करिता कारवित्ताय) જ્યારે તમે તે સ્થળની આ પ્રમાણે સજાવટ સંપૂર્ણ રીતે પતાવી દો, અને પતાવડાવી हो त्यारे (एयमाणत्तियं पञ्चपिगह ) "अमे आपनी आज्ञा प्रमाणे आस्थानभउंच सुंदर रीते सन्नवी हीधी छे, मे वातनी सूचना भने आयो. (त एणं ते कोडंविपुरिसा सेगिएणं रन्ना एवंवुत्तासमाणा) या प्रमाणे श्रेणिङ रानथी आज्ञा पाभेला ते अटुम्मि पु३ष अर्थात्-रानना आज्ञाअरी पुरुष (हातुडा जाब पच्च पित) अत्यंत प्रसन्न मने संतुष्ट थया. मने शन्ननी आज्ञानुसार मा स्थानभ उपने સુંદર રીતે શણગાર્યા પછી હું સ્વામિ ! આપની આજ્ઞા પ્રમાણે બધુજ કામ સ’પૂર્ણ था गयुं छे.” शेवी अगर तेयोमे शनने साथी (त एणं सेणिए राया कल्यं पाउप्पभायाए रयणीए ) त्यारणाह न्यारे रात्री पूरी था भने परोढ थयुं, त्यारे
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