Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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ज्ञाताधर्मकथासूत्रे
धारिणीं देवीं पृष्ठतोऽनुगच्छति । ततः खलु सा धारिणी देवी श्रेणकेन राज्ञा हस्तिस्कन्धवरगतेन पृष्ठतः पृष्ठतः समनुगम्यमानमार्ग हयगजरथयोधकलितया चतुरङ्गिण्या सेनया सार्धं संपरिवृता 'महया भडचडगर विदपरिक्खित्ता' महाभटच डगरवृन्दपरिक्षिप्ता, तत्र - महाभटानां चडगराः = समूहाः, यूथा इत्यर्थः, से निवृत्त हो गये थे । वायस आदिको अन्नादिभाग देने प बलिकर्म आदि कार्य ये सब कर चुके थे । यहाँ जो यावत् शब्द-आया है - वह इस पाठ का संग्राहक हैं-की राजा जब धारिणी देवी के साथ चल रहे थे तब उन्होंने भी अपने शरीर पर समस्त आभूषणों को धारण कर रक्खा था: विशिष्ट शोभा से ये उस समय शोभित हो रहे थे । (हस्थिधरगए सकोरंटमल्लदा मेणं छणं धरिज्जमाणेणं च चामराहि बीइज्जमाणाहि धारिणीं देवीं पिट्टओ अणुगच्छइ) दूसरे हाथी पर बैठे हुए थे, नौकर ने इनके ऊपर राजचिह्नरूप शुभ्र छत्र जो कोरण्टपुष्पों को माला से युक्त था तान रखा था ढोरते हुए चार चमरों से ये विराजित होते हुए रानी के पीछे पीछे चल रहे थे । (तरुणं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना हत्थिखंधवरगएणं पिट्ठओ पिओ समणुगम्ममाणमग्गाहयगय रहजोहक लियाए चाउरंगिणिए सेणाएसद्धिं संपरिवुए) इस तरह हस्ति के सुन्दर स्कंध पर आसीन हुए-श्रेणिक राजा जिस के पीछे मार्ग पर चले जा रहे हैं - ऐसी वह धारिणी देवी कि जो घोडे हाथी, रथ और योधाओं से युक्त चतुरंगिणी सेना से घिरी हुई है तथा (महया भटचङगरविंद
ક્યા પતાવી દીધી હતી, અલિ કમ વગેરે કા` પણ તેઓએ પૂરા કર્યાં હતાં. અહીં જે ચાવત્' શબ્દ છે, તે સૂચવે છે કે રાજા જ્યારે ધાીિદેવીની સાથે જઈ રહ્યા હતા ત્યારે તેમણે પણ પેાતાના શરીરે બધાં આભૂષણ પહેર્યા હતાં. એક જાતની सविशेष शोलाथी तेया शोभित थ रह्या हुता. (हत्थिधवरगए सकोरंटमल्लदामेगं छत्तेणं धारिज्जमाणेणं च चामराहिं वीइज्जमाणाहिं धारिणीं देवों पिओ अणुगच्छइ) तेथे मील हाथी उधर मेहा हता. अरंटे पुण्योनी માળાથી શાલતા રાજચિહ્નરૂપ સફેદ છત્ર નાકરાએ તેમના ઉપર તાણી રાખ્યો હતા. ઢોળાઇ રહેલાં શ્વેત ચમરાથી તે શાભતા હતા. આ રીતે તે રાણીની પાછળ પાછળ
उद्या हुता. (नएणं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना हत्थग्बंध वरगएणं पिट्ठओ समणुगम्ममाणमग्गा हयगय रहजोहकलियाए चाउरंगिणीए संगाए सद्धि संपरिवुए) या प्रमाणे डाथीना सुंदर सुध उपर मेला श्रेणि રાજા જેની પાછળ જઈ રહ્યા છે, હાથી, ઘેાડા, રથ અને પાયદલ આમ જે ચતુરगिल सेनाओोथी घेरामेली छे (महया भटगरविंद परिक्खित्ता) महायोद्धाओोना
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