Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणीटीका अ २ सू. ७ देवदत्तवर्णनम्
६१३ क वा पान्थकस्य दासचेटकस्य हस्ते ददाति । ततः खलु स पान्थको दासचेको भद्रायाः सार्थवाह्या हस्ताद् देवदत्तं दारकं कटयां गृह्णाति, गृहीत्वा स्वकाद् गृहात् प्रतिनिष्क्रामति, प्रतिनिष्क्रम्य बहुभिः डिम्भकैश्च डिम्भिकाभिश्च दारकैश्च दारिकाभिश्च, कुमारकैश्च कुमारिकाभिश्च मार्द्ध संपरिवृतो यत्रैव राजमार्गस्तत्रैवोपगच्छति, उमगत्य देवदत्तदारकमेकान्ते 'ठवेह' स्थापयति-उपवेशयति उपवेश्य बहुभिः डिम्भकैश्च यावत्कुमारिकाभिश्च सार्द्ध संपरितः ‘पमते' प्रमतः तद्रक्षणे प्रमादवान् चापि 'विहरइ' विहरति बालकबालिकादिभिः सहान्यत्र रमते । चरित कर समस्त अलंकारों से विभूषित किया (करित्ता पंथयम्स दासचेट यस्म हत्थयंसि दलयह) विभूषित करके बाद में उसने उसे पांथक दास चेटथ के हाथमें दे दिया! (तएणं से पंथए दासचेडए भदाए मत्थवा हीए हत्थाओ देवदिन्न दारयं कडिए गिण्हइ) उस पांथकदासचेटकने भद्रा सार्थवाहीके हाथ से लेकर देवदत्त को अपनी कटी गोद में ले लिया। (गिहिना सयाओ गिहाभो पडिनिक्वमइ) और लेकर वह अपने घर से बाहर निकला । (पडिनिकवमित्ता बहहिं डिम्भिएहिं डिम्भयाहिय कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं संपरिखुडे जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ) निकल कर वह अनेक डिम्मिकों से अनेक डिम्भिकाओं से कुमार और कुमारिकाओं से घिरा हा होकर जहां राजमार्ग था वहां पर ग (उवागच्छित्ता देवदिन्नं दारयं एगंते ठावेइ, ठावित्ता बहू हिं डिभएर्टि जाव कुमाः यारि य सद्धिं संपरिखुडे पमत्ते यावि विहरइ। जाकर उसने म त यो. (करित्ता पंथयस्स दासचेट यस्स हत्ययंसि दल यइ) ने. ઘરેણુઓથી અલંકૃત કર્યા. બાદ માતાએ તેને પાંચક દાસ ચેટકને સેંપી દીધું. (नए णं से पथए दासचेडए भहाए मत्थवाहीए हत्थाओ देवदिन्न दारयं कडिए गिण्डइ) पांथ हासयेट भद्रा साथ वाडीन डायमाथी मारने साधन पोताना mi 4 बीघा. (गिण्डित्ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्ख. मह) मने लाने ते धेरथी मा२ निज्यो. (पडिनिक खमित्ता बहूहि डिम्भ एहि डिम्भियाहि य कुमारयाहि य कुमारियहि य सद्धिं संपपिवुडे जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ) नीजीने ते घ SAl-Int-3भिકાઓ-બાળાઓ, તેમજ કુમાર અને કુમારીઓની સાથે જ્યાં રાજभाग तो त्यां गयो. (उवागच्छित्ता देवदिन्न दारयं एगते ठवे ठावित्ता बहहिं डिं एहिं नाम कुमारियाडि य सद्धिं संपरिखुडे पमने गान
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