Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 725
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनगारधर्मामृतवर्षिणीटीका अ ३. जिनदत्त-सागरदत्तचरित्रम् ७१३ 'सिक वावेहशिक्षयत.। ततस्तानन्तरं खलु 'से ते मयरपोषका जिनदत्तपुत्रस्य 'एयमद्वं' एता प्रतिपनि पातत्य च तं मापोयम्' तं मयामोत गृहन्त गृहीत्वा च 'जे' यत्र 'सए गि' स्वकीयं गृह वर्तते तेगे तोयागच्छन्ति उगगत्य च तं मयूरपोतकं पोप गन्ति पालयन्ति यावत् नृत्यं च सिवावेति' शिक्षयन्लि. ॥ मू. १४ ॥ __ मूलम्-तएणं से मऊरपोयए उम्मुक्कबालभावे विन्नाय परिणयमेत्ते जोठवणगमणु पत्ते लक्खणवंजणगुणोववेए माणुम्माणपनाग पडियुनावपेणकलाचे विचित्तपिच्छे सतचंदए नील कंठए नच्चणसीलए एगाए चप्पुडियाए कयाए समागीए अणे. गाई नछुल्लगसयाई केकारवसयाणि य करेमाणे विहाइ । तए गं से मऊरपोसग्गा तं मऊरयोयगं उम्मुजाव करेमाणं पासइ पासित्ता तं मऊरपोयगं गेहिंति गेहिता जिगदलपुत्ते सत्थवाहदारए हट्टतु तेसिं घिउलं जीवियाम्हिं पीइदाणंजाव पड विसज्जेइ, ॥सू. १५ ॥ पामा, पासित्ता हट्टतु] म उरपोसए महावेइ) जिनदत्तने मयूरपोतक को देखा-तो देवका वह बहुत अधिक हर्षित एवं तुष्ट हुमा-बादमे उसने मयुरपोषकों को बुलाया (सहावित्ता एव वयासी) बुलाकर उनसे एसा कहानया मार्जार आदिकन उपद्रवों से बचाते हुए बढाओ-और (नटुल्लगंच सिकवावेह)नृत्य भी मिव लाओ। (तएणं मऊरपामगा. जिगदत्तपु त्तस्स एयमटुं पडिसुणे ति) इस प्रकार उन मयरपोपकोंने जिनदत्तपुत्र के इस कथन को स्वीकार कर लिया (पडिसुणित्ता तं मऊरपोययं गेहूतिगेह्निता जेणेव सए गिहे तोणेव उवागच्छंति) स्वीकार कर बाद में वे उस मयूर'-शिशुको ले चले-लेचल कर वे जहां अपना यर थावहां आगये । (उवागच्छिना त मऊरपोयगं जाव नहललगं सिकावावे नि) आकर उन्होंने उस मयर शिशु को पालो यावत उसे नृत्यकला भी मिावलाई म. १४। (मल्लगं च मिरवावेह) मे थाय त्य३ नायता शिull. (नाण ते मऊ पोसगा जिणदत्त यूनस्प एयमटुं पडिमुणेति) २ ते मारना पाये जिनातन पुत्रनुमा ४थन स्पीआय (पडिप्लुणिला तपऊपोय गेहात गेण्हित्ता जेगेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति) वीर्या मा६ तेो दाना पथ्याने साथे 4 . सने साउने ज्यो तमनु घ२ तु. त्यां गया' (उवाग च्छिता तं मापोयग जाप मालगं सिक्खावे ति) त्यो भने तेगा ते હેલન બ થાનું પણ કર્યું તેમજ મેટું થયું ત્યારે તેને નાચતાં પણ શીખવાડ્યું સૂ. ૧૪ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762