Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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ज्ञाताधर्म कथाङ्गसुत्रे निद्रादिपरिहारेण संयममार्गे स्थित्ता, प्राणानां भूतानां जीवानां सत्वानां सयमेन संयमो-रक्षा तेन, संयन्तव्यम् संयतितव्यमित्यर्थः। ततः स मेघकुमारः श्रमणस्य भगवतो महावीरम्य इममेतद्रूपं धार्मिकमुपदेशं सम्यक पतीच्छतिगृह्णाति-स्वीक रोति, प्रतीष्य तथैव-भगवदुपदेशानुसारेणैव 'चिट्ठइ' तिष्ठति यावत् संयमेन संयतते । ततः खलु स मेघः-अनगारो जातः ईमिमितः अनगारवर्णको भणितव्यः, औपपातिकमूत्रात् सविस्तरो विज्ञेगः । ततः खलु स मेघोऽनगारः श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य तथा पाणां स्थविराणामन्तिके सामाइस प्रकार यतना से आहार का सेवन करना चाहिये थतना पूर्वक बोलना चाहिये-इस प्रकार यतना से गमनादिकक्रिया करनी चाहिये-और इस प्रकार सचेत हो हो कर प्रमाद निद्रा आदि प्रमादों के परित्याग से संयम मार्गमें स्थित होकर प्राणियों, यूतों, जीवों
और सत्वोंकी रक्षा करते हुए उसमें प्रति करनी चाहिये । (तएणं से मेहे समणस्स भगवओ महावीरस्स अयमेया रूवं धम्मियं उनएसं सम्म पडिच्छइ) इस प्रकार श्रमगभगवान महावीर के मुख से निगत इस धार्मिक उपदेश को मेघकुमारने अच्छी तरह स्वीकार कर लिया (पडिच्छित्ता तह चिट्ठइ जाय संमेजणं संजमइ) और स्वीकार करके उसी के अनुसार अपनी प्रवृत्ति करना प्रारम्भ करदी यावत् वे संयम पूर्वक अपना प्रत्येक कार्य करने लग गये। (तएणं से मेहे अणगारे जाए ईरियासमिए अणगारवन्नओ भाणियबो) इस तरह वे मेघकुमार अनगार ईर्यासमितिसंपन्न अनगार बन गये। इस तरह अनगार आस्था का सविस्तरवर्णन औषपातिक सूत्र में किया गया है अतः जिज्ञासु के लिये राह वहां से जान लेना चाहिये । (तएणं से मेहे' अणगारे પ્રમાણે સાવચેત થઈને પ્રમદ નિદ્રા વગેરે પ્રમાને ત્યાગ કરીને સંયમ માર્ગમાં સ્થિત થઈને પ્રાણીઓ, ભૂત, જીવે, અને સર્વેની રક્ષા કરવામાં પ્રવૃત્ત થવું જોઈએ. (तए णं से मेहे समगरम भगवओ महावीरस्म अप मेयारूबं धम्मियं उवएस सम्म पडिच्छ) मा शत श्रमाणु भगवान महावीरना भुणेथी नीता धामि उपदेशने मेघमारे २॥ शते स्वीयो. (पडिच्छित्ता तह चिट्ठइ जाव
जमेणं संजमइ) मने स्वारीने ते प्रमाण संयमपूर्व पातानी प्रवृत्ति २१ ४१. ( तएणं मेहे अनगारे जाए ईरियासमिए अणगारवन्नओ भागियो ) प्रमाणे भेधभार मना२ ध्यासमिति संपन्न मन॥२ ५४ ગયા, ચનગાર અવસ્થાનું વિસ્તૃત વર્ણન “પપાતિક સૂત્ર” માં કરવામાં આવ્યું छ. जिज्ञासुओ तेमाथी onी देवु नये. (तएणं से मेहे अमगारे समणस्स
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