Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणीटीका. अ,१ स.२८ मातापितृभ्यां मेघकुमारस्य संवाद : ३३९ जोग=विरहं सहित्तए' सोढुम् । 'त' तत्-तस्मात् 'भुंजाहि'भुड्श्व मानुष्यकान् कामभोगान् तावत्=तावत्कालपर्यन्तं यावत्-यावत् कालं वयं 'जीवामो' जीवाम: प्राणान् धारयामः ततः पश्चात् 'परिणयवए' परिणतवयस्का वृद्धः सन् 'ड्डियकुलवंसतंतुकजमि' वर्धितकुलवंशतन्तु कार्य-वर्षितः-कुलवंश. तन्तुः=कुलवंशरूपस्तन्तुस्तद्रूपं यत् कार्य तस्मिन् संपन्ने सति-पुत्रपौत्रादिभिः कुलवंशरूपं सन्तानं वधेयित्वेत्यर्थः। अतएव-'निरावयक्खे' निरपेक्ष:-कृतपुण पासणयाए ) तुम्हारे दर्शन-देखने की बात ही क्या हो सकती है-मतलब देखने को बात तो दूर रही-बेटा तुम्हारा दर्शन भी बड़ा दुर्लभ है-जिसने पूर्वभव में पुण्य का उपार्जन किया है ऐसे भाग्यशाली को ही तुम्हारे जैसे बेटे के दर्शन हो सकते हैं तो-फिर क्यों बेटा मुझे दर्शन देकर अब उससे वंचित्त करना चाहते हो। (णो खलुजाया अम्हे इच्छामो खणमवि विप्पओगं सहित्तए) हमलोग तो एक क्षण भी तुम्हारा वियोग सहन नहीं कर सकते हैं (तं भुंजाहि ताव जाया विपुले माणुस्सए कामभोगे जाव ताव वयं जीवामो) इसलिये हे पुत्र ! तुम विपुल इन मनुष्य भव संबन्धी कामभोगों की जबतक हम लोग जीते हैं आनन्द के साथ भोगो (तो पच्छा अम्हे हिं कालगएहि परिणयवए वढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि) बाद में जब तुम्हारी ऊमर ढल जावे और जब कुल वंश तन्तु रूप कार्य तुम्हारा संपन्न हो जावे-अर्थात्-पुत्र पौत्र आदि द्वारा जब कुल वंश रूप संतान परंपरा बढ जावे-तब तुम (निराश्यक्खे ) निरपेक्ष होकर-निश्चित होकर पुणपासणयाए) तमाश शननी वात शी २४ ॐ ? मतमो छ જેવું તો ઠીક પણ બેટા ! તમારું દર્શન પણ ઉદંબરના ફૂલની જેમ બહુ જ દુર્લભ છે. જેણે પૂર્વ જન્મમાં પુણ્યોપાર્જન કર્યું છે, એવા ભાગ્યશાળીને જ તમારા જેવા પુત્રના દર્શન થઈ શકે છે તે બેટા ! અમને દર્શન દઈને શા માટે તે લાભથી वयित ४२१॥ थाहा छ. (णो खलु जाया अम्हे इच्छामोख णमवि विप्प
ओगं सहित्तए) अमे तो ४. क्षण प तमा। वियोग भी शीये कोम नथी. (तं भुंजाहि ताव जाया विपुले माणुस्सए कामभोगे जाव ताव त्रयं जीवामो) गेटमा भाटे पुत्र! सभे न्यांसुधी ७वीये छीमे त्यांसुधी तभे पर मनुष्यमवना आभापता लोगवीन सानन्द पाभी. (तओ पच्छा अम्हे हिं कालगएहिं परिणयवए वद्रिय कुलवंसतंतु कजमि) पछी त में ઘરડા થાઓ અને તમારું કુળ-વંશ, તન્ત રૂપ કાર્ય જ્યારે પુરું થઈ જાય એટલે पुत्र-पौत्र वगेरथी तमा। ' वृद्धि पामे त्या तमे (निरावयक्खे) निश्छि
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