Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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ज्ञाताधमकथासूत्रे
पुत्रस्य च मध्ये कः पूर्व मृत्युवशगतः परलोके गमनाय प्रवर्तिष्यते, क. पश्चाद गमनाय इति को जानाति ? न कोऽपीत्यर्थः 'तं' तत् तस्माद इच्छामि खलु हे मातापितरौ यावत् प्रनजितुम् ।२८।।
मूलम्-तएणं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमेणं ते जाया ! अजयपज्जयपिउपज्जयागए सुबहुहिरणे य सुवण्णे य कसे य दूसे य मणिमोत्तियसंखसियप्पवालरत्तरयणसंतसोरसावइज्जे य अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पगामं दाउं पगामं भोत्तुं पकामं परिमाण उं, तं अणुहिति ताव जाव जाया ! विपुलं माणुस्सगं इहिसकारसमुदयं तओ पच्छा अणुभूय कल्लोणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पव्वइस्ससि । तएणं से मेहेकुमारे अम्मापियरं एवं वयासी-तहेवणं अम्मयाओ! जण्णं तं वयह-इमे ते जाक! अजग पज्जग पिउपज-यागए जाव तओ पच्छो अणु भयकल्लाणे पव्वइस्ससि' एवं खलु अम्मयाओ! हिरणे य सुवण्णे य जाव सावते ए य अग्गिसाहिए चोर साहिए रायसाहिए दाइयसाहिए मच्चु. साहिए अग्गिसामन्ने जाव मच्चुसामन्ने सडणपडणविद्धंसगधग्मे पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिज्जे से केणं जाणइ पिता ! यह कौन जान सकता है कि आप और हममें से पहिले और पीछे कौन परलोक जाने वाले हैं इस लिये जब यह नही जाना जा सकता है (तं इच्छाभि णं अम्मयामो जाव पचहत्तए) तो मैं चाहता हूँ कि आप मुझे आज्ञा देखें ताकि मैं श्रवण भगवान महावीर के समीप मुंडित होकर उनसे मुनिदीक्षा ले लूँ। ॥सूत्र २८॥ કેણ કહી શકે કે તમારા અને અમારામાંથી પહેલાં પરલોક જવાની તૈયારી કોણ ४२शे ? भेटमा भाटे न्यारे । पात सापy onjी शता नथी त्यारे (तं इच्छामि णं अन्मयाओ जाव पवइत्तए ) हुँया छु त भने भुलित ने श्रभा लगवान महावीरनी पासे भुनि दीक्षा सेवानी २.ज्ञा २५1५1. ॥ सूत्र “२८" ॥
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