Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टोका अ.१सू.२७ मेवकुमारस्य भगवदर्शनादिनिरूपणम् ३३१ = मनसि-मनस्येव वतमानं यन्मानसिकं तन्मनोमानसिकं तेन वच्ने बहिरप्रकाशितेन मनोमात्रवर्तिनेत्यर्थः महता पुत्र दुःखेनाभिभूता=आक्रान्तासती, 'सेयागयरोमकूपगलंतविलीणगाया' स्वेदागत रोमकूपमगलद् विलीनगात्रा=" स्वेदा आगताः संजाताः रोमकूपेभ्यः मगलन्तः = प्रस्रवन्तः, अतएव विलीनाव गात्रेषु यस्याः सा तथा 'सोयभर पवेत्रियंगी' शोकभर प्रवेपिताङ्गी शोकाविक्येन प्रकम्पितशरीरा, 'णितेया' निस्तेजाः 'दीणविमणवयणा' दीनविमनो वदना, दीनस्येव विमनस इव वदनं यस्याः सा 'करयलमलियव्वकमलमाला' करतलमलितेव कमलमाला - करतलमस्तिकमलमाल सदृशी अतिम्लानेत्यर्थः, 'तवणओलुग्गदुब्बलसरीरा' तत्क्षणावरुग्ण दुर्बलशरीरा=तत्क्षण मे= छानोतिवचनश्रवण एव अवरु-रोगग्रस्त विम्लानं दुर्बल च शरीरं यस्याः सा, 'लावन्नसुन्ननिच्छायगय सिरीया' लावण्यशूचनिच्छायगम्य था-वचन से जिसका बाहर प्रकट किया जाना एक तरह से अशक्य था ( अभिभूया समाणी) दुःख से व्याप्त होती हुई (सोयागयरोमनपगलेत विलीणगाया' पसीने से तर हो गई (सोयभरणपत्रेवियगी) शोक की अधिकता के कारण उसका समस्त शरीर कपने लगा । (णि तैया, दीण विमणत्रयणा करयलमलियन कमलमाला) वह विलकुल तेज रहित बन गई । दीन दुःखी भागों की तरह तथा विमनस्क व्यक्ति की तरह उसका मुख हो गया करतल से मलित हुई कमल माला की तरह वह कुमलाई हुई दिखलाई देने लगी । 'नक्खणओलुग्ग दुब्बल सरीर मैं दीक्षा लेना चाहता हूँ ऐसा जब मेघकुमार ने कहा-तब से ही उसी क्षण से ही उसका शरीर रोगग्रस्त की तरह - म्लान एवं दुर्बल हो गया (लाइन्न सुन्नणिच्छायगयसिरीया, पसिहिल - भूसण- परंत खुम्मिय, संचुन्निय गाया ) परसेवाथी तरभोज थाई ४. ( सोयभरपवेत्रियंगा ) शोडा धियथी तेनु खाणुं शरीर हम धूवा भांड्यु ( णित्तया, दिणत्रिमणवगणा करयलमलियन्त्रकमलमाला) ते सहभ નિસ્તેજ થઈ ગઈ. દીન દુઃખી પ્રાણીની જેમ તેમજ વિમનસ્ક વ્યક્તિની જેમ તેનું માં થઈ ગયું. હથેળીથી તિ थमेवी उभजनी भाणानी प्रेम ते शिभणामेली देणावा लागी. ( तक्खण ओलुग्ग दुब्बलसरीरा ) ' भारे दीक्षा सेवी छे' मेवु क्यारे भेघडुभारे धुं त्यारथी, ते वतथी - तेमनु शरीर रोग ग्रस्तनी प्रेम दान भने इम था यु. ( लावन्न) सुन्न णिच्चायrय सिरीया, पसिडिल भूसण पर्यंत खुम्मियसंन्नियधवल
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