Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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शाताधर्म कथाङ्गसूत्रे ज्ञानसंपन्नाः, ताभिः 'विणीयाहिं' विनीताभिः स्वामिमनोऽनुकूलकार्यकरण शीलाभिः, 'चेडियाचकवाल बरिसघरकंचुइमह यरगविंदपरिविवत्ते' चेटिकाचक्रवालवर्षधरकंचुकिमहत्तरकन्दपरिक्षिप्तः तत्र चेटिकाः दास्यः, तासां चक्रवालं-समूहः, वर्षधराः नपुंसकीकृताः अन्तःपुररक्षकाः, कंचुकिनः अन्तपुर चारिणोद्धाः, उक्तं च
"अन्तःपुरचरोवृद्धो, विप्रो'गुणगणान्वितः ।
सर्वकार्यार्थ कुशलः, कंचुकीत्यभिधीयते ॥१॥” महत्तरकाः-अन्तःपुरकार्यचिन्तकाः, तेषां वृन्द-समूहःतेन परिक्षितः युक्ताः। अत्रायं विवेकः अनार्यदेशोत्पन्नानां किराती प्रभृतीनां ग्रहणं त तद्देशीयभाषा परिमानेन विदेशवृत्तान्तपरिज्ञानेन च स्वदेशरमादिद्योतनम्, स्वदेशग्रहणात स्वभाषा-स्व सदाचार-परिरक्षणेन इह परत्रकार्य सिद्धिर्जायते । 'हत्थाओ हत्थं संहरिजमाणे' हस्तात हस्तं संद्रियमाणः एकस्या'हस्तादपरस्या हस्ते संघ्रियमाणाः, 'अंकाो अंकं परिमुज्जमाणे' अङ्कादकं परिभुज्यमानः एकस्याःकोडतः अपरकोंडे परिपाल्यमानः, सुखानुभवं कुर्वाणः परिगिजमाणे' परिगीयमानः= शिशुप्रसादार्थ दयादाक्षिण्यशौर्याधर्थ गीत चिशेपैर्गीयमानः, 'उवलालिजमाणे' स्त्रियों से घिरा रहता था उसका कारण यह है कि उसे उनके द्वारा अपनी भाषा तथा अपने देशका आचार विचार ज्ञात होता रहे ताकि वह अपने देश में और पर देश में भी कार्य की सिद्धि करने में समर्थ बना रहे । (हत्थाओ हत्थं संहरिजमाणे) यह मेघकुमार एक स्त्री के हाथ से दूसरी स्त्री के हाथ में सदो रहता थो (अंकाओ अंकं परिभुजमणे) एक की गोदी से दूसरी की गोदी में सुखानुभव करता था। (परिगिजमाणे) इसे प्रसन्न रखने के लिये दामिया ऐसे२ गीत गाती रहती थीकि जिन गातों में दया दाक्षिम एवं शीय आदिवाय भरपूर रहते थे (चालिजमाण) यह 'धात्री आदिका की करांगुली पकड कर चलना था જન એ છે કે તેમના દ્વારા પિતાની ભાષા તેમજ પિતાના આચાર-વિચાર, રહેણીકરણીની જાણ થતી રહે, તેથી તે દેશ વિદેશમાં પોતાના કાર્યની સિદ્ધિ સહેલાઇથી કરી શકે. (हत्यामो हत्थं मंडरिजमाणे) भेघाभार से स्त्रीना हाथी मा खाना हायमा
भेशा तो. (अंकायो अंकं परिभुजमाणे)मेना गोमाथी भी मामा सुभानुभव भगवतो तो. (परिगिजमाणे) भेषमारने प्रसन्न वा भाटे हासी। ध्या, क्षिय भने वीर २सथी परिपूर्ण जगातो ती ती. (चालिजभाणे) भैधभार घायभाता मेरे नी डायनी माजी ५४ीने यासतो तो. (उवलालिजमाणे)
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