Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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ज्ञाताधर्म कणसूत्रे समुत्पन्नः ? इत्याह-'अन्नयाय' इत्यादि। अन्यदो अन्यस्मिन् समये च मां श्रेणिको राजा 'एजमाणं' एजमानम् आगच्छन्तं पश्यति दृष्ट्वा आद्रियने परि. नानानि, सत्करोति, समानयति, आलपति, सलपति, अधीसनेन उपनिमन्त्रयति, मस्त के आजिघ्रति च, इंदानी मां श्रेणिको राजा नो आद्रिय ते, णो परिजाणाइ' नो परिजानाति='को ममाग्रे तिष्ठतीत्यपि नावबुध्यत इत्यर्थः, 'णो सक्कारेइ' नो सत्करोति मृदुवचनतः ‘णो सम्माणेई' न सन्मानयति, आसने उपवेशनार्थ नाज्ञापयति, ‘णो' न=न च 'इटार्दि' इष्टाभिः-इष्टकारिणीभिः, कान्ताभिः अभिलपणीयाभिः, प्रियाभिः प्रीतिकरीभिः, मनोज्ञाभिः प्रवणसुखतिए कपिए पत्थिए मगोगए संकप्पे समुप्पजित्था) देखकर उन को इस वक्ष्यमाण रूप से आत्मगत, चिन्तित, कल्पित एवं प्रार्थित मनोगत संकल्प उत्पन्न हुआ। (अन्नया ममं सेणिएराया एजमाणं पासइ, पासित्ता आढाइ, परिजाणाई, सकारेइ सम्माणेइ आलवइ, संलवइ. अद्धासणेण उव णिमंतेइ) जब भी कभी अणिक राजा मुझे आते देखते थे तो वे मेरा आदरकरते थे, मुझे जान लेते थे, मेरा सत्कार करते थे सन्मान करते थे मुझ से बोलते चालते थे और आधे आसन पर बैटो इस प्रकार से कहते थे (मत्स्यसि अग्धाइ) तथा मेरे मस्तक को संघते थे। (इयानि ममं सेणिए राया णो आढाइ णो परियाणइ णो सक्कारेइ, णो सम्प्राणेइ, णो इटाहि, कंताहि. पियाहि,, मणु. न्नाहि, ओरालाहिं वग्गूहि आलवेइ संलवे णो अद्धासणेणं उवणिमंतेड) पर अब इस समय वे न मेरा आदर करते हैं, और न मुझे पहिचानते है, न मेरा सत्कार करते हैं, न सन्मान करते हैं, और न इष्ट, कान्त प्रिय
अज्झथिए चितिए कपिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पन्जित्था भने ने તેમને પિતાની મેળે ચિંતિત, કલ્પિત અને પ્રાર્થિત મને ગત આ રીતે સંકલ્પ ઉત્પન્ન थयो 3 (अत्नयाय ममं सेगिए राया एन्जमाणं पासह पासिना आहाइ परिजाणाइ सकारेइ, सम्भाणेड, आलवइ, संलबइ, आद्वासणेण उमिलेइ) ગમે ત્યારે ણક રાજા મને આવતે જતા હતા ત્યારે તેઓ મારો આદર કરતા હતા, મને એ ખતા હતા મારો સત્કાર કરતા હતા, સન્માન કરતા હતા, મારી સાથે વાતચીત ક તા હતા અને મને પોતાની પાસે અડધા સિંહાસન ઉપર બેસાડીને કંઇક हेता ता (प्रत्ययंति अग्धाः) भाई भत्त: सूधता ता. (इयामिमं से जिए रामाणो आढाइ यो परियागड णो सकारेइ, णो सम्माणेड, गो इटाहि,कंताहि, पियाहि, मगुन्नाहिं, ओरालाहिं, बग्नहिं आलवेइ. संलवेद, णो अद्रासणेणं उपणिमंतेड) पहले मायारे तेम्मा भारी मा६२४२ता नथी, भने समता नथी भने
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