Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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ज्ञाताधर्मकच ङ्गसूत्रे भूतः-धन्याः खलु ता अम्बाः तथैव 'पुयगमेणं' पूर्वगमेन-पूर्वोक्तपाठेन यावत् 'विगिजाम गिनयामि-पूरयामि । 'तन्न' तत्नम्मान बलु त्वं हे देवानुपिय! मम लघुमातुर्धारिण्या देव्या इममेतपमकालदोहदं विणेडि' विनय-पूरय । ततः खलु स देवः अभयेन कुमारेणैवमुक्तः सन् हृष्टतुष्टः अभयकुमारमेवमवादीत-त्वं खलु हे देवानुप्रिय! 'मुणिव्यवीसत्थे' सुनिर्धतविश्वस्त मुष्ठु नितः स्वस्थ विश्वस्त विश्वासयुक्तः 'अच्छाहि' आस्ब-तिष्ठ, तपोऽनुष्ठानादिरूपं कष्टं मा कुरु इति भावः, 'श्रहणं' अहं खलु तव लघुमातु र्धारिण्या तरह कहा-(एवं खलु देवानुप्पिया! मम चुल्लमाउयाए धारिणोए देवीए अपमेयारूवे अकालडोहले पाउन्भूए) हे देवानुप्रिय ? आपसे यह काम है कि मेरो छोटी माता जो धारिणी देवी है उसे ऐसा सकार दोला उत्पन्न हुआ है जो इस तरह है (धन्नाओ णं ताओ अम्नयाओ तहेव पुधगमेणं जाव विणिज्जामि) कि वे माताएँ धन्य हैं आदिर यह सब पहिले कह दिया गया है। इस प्रकार अभयकुमारने उस देव को अपनी छोटी माता धारिणीदेवी के समस्त दोहले को यहां दुहरा कर सुनादिया। (तन्नं तुमं देवानुप्पिया ? मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेया रूवे अकालडोहलं विणेहि) इसलिये, हे देगनुप्रिय ? मेरा मनोभिलषित यही हैं कि तुम मेरीछोटी माता धारिणी देवी के इस अकालोदभूत दोहले की पूर्ति करी। (तएणं से देवे अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ने मनाणे हतुद्र अभयकुमारे एवं बयासी) इस प्रकार अभयकुमार के द्वारा कहे गये उस देवने हरित हृदय होकर अभयकुमार से ऐसा कहा-(तुमण देवाणुपिया? सुणियुथवीमत्थे अच्छोति, अहणं तव चुल्लमा उगए धारिणोए थयेा समय :मारे वने घु-(एवं खल देवानुपिया! मम चुरस वारयार धारिणीए देवोए अपमेयारवे अकालडोहले पाउभूए) के हेयानु प्रिय ! भास नाना (अ५२) भाताने मे se अत्पन्न छ. (धन्नाओ, णं ताओ अम्म याओं तहेव पुधगमेणं जाव विणिज्जामि) ते माता। धन्य छ, माम पूर्व वामां मापेक्षा होनी ची वात वने ही समावी. (तन्नं तुम देवानप्पिया? मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवे अकालडोहलं विणेहि) भाटे व नुप्रिय ! भारी ममिला। 22 छतमे भा। (५५२) भाता पारिवीन PAL होनी पूति ४२१. (Aण से देवे अभएणं कुमारेणं एवं बुत्ते बनाणे हद्वःतु अभयकुमार एवं वयासी) । प्रभारी समयभारनी पात समगीन प्रसन्न थये। वे तेने धु-तुमण्णं देवाणुप्पिया? मुणिव्वुय वीसत्थे अच्छाहिं, अहणं तब चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं
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