Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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शाताधर्मकथासूत्रे
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टीका – 'तरणं इत्यादि । ततः खलु अभयकुमारसमीपे मित्रदेवस्व समागमनानन्तरं ' से देवे' असौ मित्रदेवः अंतलिक्ख पडिवन्ने' अन्तरिक्षप्रतिपन्नः आकाशम्थः । ननु कथमसौ गगनस्थ एवे ? ति श्रृणु देवाः स्वभावतो भूमि न स्पृशन्ति भूमितचतुर कुलमूर्ध्वमेवावतिष्ठन्ते तथा ते निमेष रहिता मनसैव सर्वकार्य साधका अम्लानपुष्पमालाधारिणो भवन्ति । अथ सुरवस्त्रं वर्ण्यते— 'दसवन्नाई' दशार्द्धवर्णानि=पञ्चवर्णानि 'सखिखणियाई ?' सकिङ्किणिकानि= क्षुद्रघंटिकायुक्तानि 'पवरवत्थाई ' प्रवरवस्त्राणि = तादृशानि श्रेष्ठवत्राणि 'परि हिए' परिधृतः 'एक्को ताव एसो गमो' एकस्तावत् एषः गमः प्रथमो बोधः अभयकुमारस्य पूर्वसंगतिकदेवदर्शनं जातमित्यर्थः । 'अष्णोवि गमो' अन्योऽपि गमः 'तएण से देवे' इत्यादि ॥
टीकार्य - (तएण से देवे ) ईसके बाद कि यह देव पौषधशाला में अभयकुमार के पास आया- सो वह वहां भूमि पर नहीं उतरा किन्तु (अंतलिक्ख पडिवन्ने) भूमि से ४ अंगुल ऊपर आकाश में ही स्थित रहा। कारण देवों का ऐसा स्वभाव होता है कि वे भूमि का स्पर्श नही करते। भूमि से ४ अंगुल ऊपर अधर ही रहते हैं । उनकी आंखों के पलक नहीं गिरतेकिन्तु वे निर्निमेष होते हैं। तथा अपने भक्तों के कार्य की सिद्धि वे मन से ही कर दीया करते हैं (सदा इनके कंठ में अम्लान पुष्पों की माला रहा करती है । (दसद्भवन्नाई सखिखिणियाई पवरवत्थाई परिहिए) इस देवने जो हिरे हुए थे वे ५ पंचवर्णवाले एवं क्षुद्रघंटिकाओं से युक्त थे । और बहु ही उत्तम थे । (एक्को ताव एसो गमो ) इसतरह अभयकुमार को पूर्वसंगतिक उस देव के दर्शन हुए (अण्णो वि गलः) तथा उपके
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'न एग से देवे' इत्यादि
टीअर्थ - (न एवं से देवे) त्यारगाह ते देव चौषधशाणाभां अभयकुमारनी पासे याच्यो. त्यां ते भूभि उपर उतय नहि पशु (अंलिक्ख पडिवन्ने) लूभिथी थार भांगण ઉપર આકાશમાં જ અદ્ધર સ્થિર રહ્યો. કેમકે દેવાના સ્વભાવ એવા હાય છે કે તેઓ ભૂમિને સ્પર્શીતા નથી. ભૂમિથી ચાર આંગળ ઉપર અદ્ધર જ રહે છે. આંખના પલકારા થતા નથી. તેઓ નિનિમેષ હાય છે. પેાતાના ભકતોની કાર્યસિદ્ધિ તેએ મન દ્વારા ४ पुरे छे. सभ्यान पुण्पोनी भाषा हमेशां खेभना उठे शोलती रहे छे. (दसद्धचन्ना affairs परस्थाई परिहिए ) | देवे पहेरेसा वस्त्रो पांथ रंगना तेभन क्षुद्र (नानी) सुंदर धूधरीगोवाणा हुता. तेथून उत्तम हुता. (एकको तात्र एसो गमो) मारीत पूर्व संगति: हेवना समयकुमारने दर्शन थयां ( अण्णो विगमः) हेवना भागभननु वार्जुन मील रीते पशु वामां भाव्यु छे.
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