Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणीटीका मू. १३ अकालमेघदोहदनिरूपणम् १८१ गाइ' नो परिजानाति, एताः काः सन्ति मत्पुरतः इत्यपि नावबुध्यते, अनाद्रियमाणा तासामादरमकुर्वाणा, अपरिजनाना तदुपस्थिति मनवबुध्यमाना तूष्णोका संतिष्ठते=मौनमवलम्ब्य निष्ठतिस्म । ततः खलु ताः अङ्गपरिचारिका आभ्य न्तरिकादासचेटयः धारिणीं देवीं 'दोच्चपि तच्चंपि' द्वितीयवारमपि तृतीयवारमपि, एवमवादिषुः, 'किन्न' किंवलु-किमर्थ हे देवानुप्रिये ! त्वम् अवरुग्णा अवरुग्णशरीरा यावद् ध्यायसि-आर्तध्यानं करोषि । ततःखलु सा ताभिरङ्गपरिचारिकाभिः आभ्यन्तरिकाभिः दासचेटिकाभिर्द्वितीयवारमपि तृतीयवारमपि इस तरह उन आभ्यन्तरिक अंगपरिचारिकाओं एवं दोसचेटियों द्वारा पूछी जाने परभी उस धारिणी देवी ने प्रत्युनर देकर उनका कुछ भी आदर नहीं किया और न उसे यह भी भान रहा कि ये मेरे समक्ष कौन खडोर बोलरही हैं। इस प्रकार (अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणीया संघिट्टइ) उनका अनादर करती हुई और उनकी उपस्थिति को नहीं जानती हुई वह धारिणी देवी उस समय केवल चुप ही रही। (तएणं ताओअंगपरियास्यिाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ धारिणी देवी दोच्चंपि तच्चंषि एवं वयासी किन्नं तुमे देवाणुप्पिए ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा झियायसि ?) धारिणी देवी को इस तरह जब उन्होंने मौनाश्रित देखा तो पुनः अभ्यन्तरिक परिचारिकाओने तथा दास चेटिकाओंने उस धारिणीदेवी से दुवारा और तिबारा भी ऐसा ही कहा हे देवानुपिये ? तुम कृश शरीर होकर क्यों आतध्यान में मग्न बनी हुई बैठी रहती हो? तुम्हें क्या चिन्ता है कहो (तएणं सा धारिणी देवो ताहि अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहि दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ता समाणी णो अढाइ णो પૂછ્યું પણ ધારિણી દેવીએ જવાબ આપીને તેઓને આવકાર આપે નહિ તેને આટલી પણ સુધબુધ રહી નહિ કે અમારી સામે કોણ ઉભું છે અને મને કંઈક પૂછી રહ્યું छ. २॥ शत (अणाहायमाणी अपरियाणमाणी तसिणीया संचिह) तेमाने જરાપણ આવકાર આપ્યા વગર અને તેઓની ઉપસ્થિતિને પણ નહિ જાણતી ધારિણીहेवी ते समये मौन । सेवती २४ी. (तएणं ताओ अंगपरिचारियाओ अभितरिया
ओ धारिणी देवों दोच्चंपितच्चंपि एवंवयासी किन्नं तुमे देवाणुप्पिए ओलुगा ओलुग्गसरीरा झियायसि ?) २॥ प्रमाणे पारिवाने मौन ने २वासनी પરિચારિકાઓ અને દાસચેટિકાઓએ ફરી બે વાર ત્રણવાર એમ જ કહ્યું કે હે દેવાનું પ્રિયે! દુર્બળ થયેલા તમે ચિંતામગ્ન શા માટે રહો છો? તમને શું ચિન્તા છે? सभने ४. [तएणं सा धारिणीदेवी ताहिं अंगपडियारियाहिं आभतरियाहिं
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