Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HTH विभाग: 2 800 संपादकः संशोधकथ्य प्र.पन्यास श्रीजिनेन्द्रविजयजी गणिवर -AM Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-६४ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः / ___ तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयकपूरसूरिगुरुभ्यो नमः हालारदेशोद्धारक-पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / . श्री आगम-सुधा-सिन्धुः द्वितीयो विभागः पञ्चमगणधर श्रीसुधर्मस्वामि-प्रणीतस्य श्रीमद्भगवतीसूत्रापरनाम्नः श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्रस्य पूर्वाधात्मकः .. संपावकः संशोधकश्च तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयक: रसूरीश्वर-पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक___ कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः पंन्यास-श्री-जिनेन्द्रविजय-गणी प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखावावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) गुजरात पौर सं० 2502 ] ... विक्रम सं० 2032 [सन 1976 है आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छे. मूल्य रु. 65-00 गौतम श्रआर्ट प्रिन्टर्स न्यावर (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NIWANA NIMLNNNIVENTS * संपादकीय निवेदन जो जEETIREMIERRIERE निष्कारणवंधु विश्ववत्सल चरमशासनपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान छे अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मानुए शासन परम आलंबन रूप छे. तीर्थंकरदेवोनी अविद्यमानतामा तेओश्रीनी वाणी शासनना प्राण स्वरूप होय छे. श्री तीर्थकरदेवो अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवो सूत्रथी गूथेल जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छे. विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे. ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसाबे बीजु पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छे. आगम सूत्रो उपर नियुक्तिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचायेल छे. अने अथी सूत्र सहित आगमनी पंचांगी जैन शासनमा मान्य छे. तेना आधारे वर्तमान ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छे, सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यग्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवर्तमान छे. पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमा सम्यग्ज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तेनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने अ चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल. वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशासन उज्वल. ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्ते छः / .: आम शासननो आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, अ श्री जिनवाणी छे अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे. पंचांगीने अनुसरता प्रकरण ग्रन्थो यावत् स्तवन सज्झाय के नाना निबंध के वाक्य स्वरूप छे. उपशम विवेक संवर अ त्रिपदी स्वरूप जिनवाणीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गथी नीकली प्रगतिमार्गना मुसाफीर बनी गया हता. :: .. 45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छे, साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक सूत्र आदि मूल सूत्रोना तेमज श्रीआचारांग सूत्रना योगवहन करवा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] संपादकीय निवेदन पर्वक अधिकारी छे. श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र उपरांत दशवकालिकसूत्रना षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रुतना अधिकारी छे. आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे के अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणीनु पान करावी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छे. 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छे. (1) अंगसूत्रो-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-२. आ सूत्रोनु स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमा सळंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रो 14 विभागमा संपादन थशे. ____ पहेलो, चोथो, आठमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थया पछी आ बीजो विभाग संपादित थयेल छे. आ विभागमा श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति अपरनाम श्री भगवतीसूत्रना 12 शतक सुधी पूर्वार्ध आपवामां आवेल छे. श्रीभगवतीसूत्रनी रचना गणधरदेव श्रीमत्सुधर्मस्वामी भगवाने करी छे. आ श्री भगवतीसूत्रना संपादनमा बाबुश्री धनपतसिंहजी प्रकाशित सटीक भगवतीसूत्र, पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेवश्रीसागरानंदसूरीश्वरजी महाराज संशोधित श्री आगममंजूषा, श्री आगमोदयसमिति प्रकाशित पूज्य आचार्यदेव श्री अभयदेवसूरीश्वरजी महाराज विरचित टीका सहितनु श्रीभगवतीसूत्र, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी पेढी प्रकाशित सटीक श्री भगवती सूत्र, तेमज पूज्य आचार्यश्री दानशेखरसूरीश्वर विरचित टीका तेमज पं. हीरालाल हंसराज प्रकाशित श्री भगवतीसूत्र, श्रीमहावीरविद्यालय प्रकाशित श्रीभगवतीसूत्र प्रथम भाग विगेरे प्राप्त प्रकाशनोनो उपयोग कयों छे. ते सौ प्रत्ये कृतज्ञता प्रगट करूं छु. . टीकाओ आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौंशमा आपेला छे. श्री श्रमण संघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोनु पुनरावर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादन थी घणी अनुकूलता रहेशे. अने अथी उत्साही मुनि भगवंतो होंशे होंशे सूत्रो कंठस्थ करीने आगम श्रुतने धारण करवा माटे पण समर्थ बनी शकशे. 2, 5, के 10, 20 सूत्र कंठस्थ करनाराण Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन घणा मुनिवरो तैयार थशे अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमां थइ शकशे. 'ज्ञानधनाः साधवः' 'शास्त्रचक्षुषः साधवः' अ विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम सूत्रोनु श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे. अने आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छे. प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स (ब्यावर) ना व्यवस्थापक श्री छगनलालभाई जे खंत अने उत्साह बताव्या के तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्यां छे. चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे. ओ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजव अजवालनारो बने अने जिनवाणीनी आ उपासनाभक्तिमा भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु तेनो भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामा उजमाल बनीओ एज मारा अंतरनी शुभ अभिलाषा छे. वीर सं० 2502 वि० सं० 2032 हालारदेशोद्धारक ] ज्येष्ठ वद 5 बुधवार कविरत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराजानो ता. 16-6-76 भाराधना भवन एस. के. बोले रोड - चरणसेवक दादर मुबइ-२८ पं० जिनेन्द्र विजय गणी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NEDEDEDEDEDEDEEDEDIA प्रकाशकीय निवेदन DEREDDEDEDEDEDIA अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीआगमसुधासिन्धु बीजो विभाग मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए. हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानु काम शरू करता आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छे. आ प्रकाशन पूर्व श्री आगम-सुधा-सिन्धुना पहेलो, चोथो, आठमो, बारमो, तेरमो चौदमो विभाग प्रगट थई गया छे. हाल त्रीजा, छट्ठा अने अग्यारमा विभागनु मुद्रण चाली रा छे. आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू० आचार्यदेव श्रीमद्-. विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्र विजयजी गणिवरे घणी खंत थी करेल छे. ___ कागल छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धार्या करतां वधु आवे छे. मोटा टाइपमा मुद्रित करतां पेज वधारे थाय छे. परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहेशे. आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरूकुलवासी सुविहित मुनिओछे. ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमा आगम वाचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए. श्री भगवतीसूत्रना 12 शतक सुधीना सूत्रो आ बीजा विभागमा प्रगट थइ रह्यां छे. त्रीजा भागमां थी भगवती सूत्र पूरु थशे. 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे. सटीक आगमोमां श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदन्तरोपपातिकदशा अने श्रीमदुपासकदशा सूत्र तैयार थइ गयां छे. मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापकोओ सारी खंत राखी छे तो तेमनो आभार मानी छीओ. ) लि: वीर संवत् 2502 वि० सं० 2032 अषाड सुद६ शनिवार ता.३-७७६ छोटालाल डायालाल नागडा देवचंद कचराभाइ गुढका Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कमः ... 128 128 128 121 126 135 137 # अनुक्रमणिका प्रथमशतक क्रमः उद्देशकः उद्देशकः 8 अधिपति .. .... १चलन 9 इन्द्रिय 2 दुःखविषय 10 परिषद् 3 काङक्षाप्रदोष चतुर्थश 4 प्रकृति 1-4 विमान 5 पृथिवी 5.8 राजधानी 6 यावन्त नारक 7 नारक 10 लेश्या 8 आयु पञ्चमशतक गुरुत्व 10 चलनादि . ' ... 1 चम्पारवि . द्वितीयशतक 2 अनिल 3 ग्रन्थी 1 उच्छवास-स्कन्दक 4 शब्द 2 समुद्घात 5 छद्मस्थ 3 पृथिवी 6 आयु 4 इन्द्रिय 7 एजन 5 अन्ययूथिक 8 निर्ग्रन्थिपुत्र .... .6 भाषा 1 राजगृह . 7 देव 10 चम्पाचं दिमा चमरचम्चा षष्ठशतक र समयक्षेत्र 10 मस्तिकाय 1 वेदना 2 आहार तृतीयशतक 3 महाश्रव १षिकुर्वणा ....... 4 प्रदेश 2 चमर 5 तमस्काय 3 क्रिया 113 7 शाली .... ... 5 स्त्रीविकुर्वणा 8 पृथिवी 6 नगर * लोकपाल 121 / 10 अन्ययूथिक .... 139 146 147 151 161 164 164 167 167 175 6 भव्य .. 185 118 / कर्म Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका सप्तमशतक पृष्ठांकः 346 352 201 355 क्रमः उद्देशकः 1 आहार २विरति 3 स्थावर 4 जीव 5 पक्षी 6 आयु 7 अणगार छद्मस्थ 9 असंवत 10 अन्ययूथिक ... 358 363 364 364 225 2 . 4 दशमशतक पृष्ठांकः क्रमः उद्देशकः 112 1 दिक 2 संवृतानगार 3 आत्मर्द्धि 204 4 श्यामहस्ति 204 5 देवी 205 6 सुधर्मसभा 7 उत्तरान्तीप - एकादशमशतक 1 उत्पल 220 2 शालूक 3 पलाश 4 कुम्मि 5 नालिका 6 पद्म 251 7 कर्णिका नलिन 6 शिवराजर्षि 10 लोक 261 11 काल (महाबल) ... 265 12 आलमिका .. द्वादशमशतक 286 1 शङ्खश्रमणोपासक ... 2 जयन्तिश्रमणोपासिका 3 पृथिवी 4 पुद्गल 262 5 अतिपात 263 264 / लोक 303 नाग देव 347 | 10 आत्मा अष्टमशतक 1 पुद्गल 2 आशीविष 3 वृक्ष 4 क्रिया 5 आजीविका 6 प्रासुकदान * अदत्तादान 8 प्रत्यनीक . १बन्ध 10 आराधना 252 370 370 370 370 370 371 379 383 366 257 272 403 408 412 262 नवमशतक 1 जंबूद्वीप 2 ज्योतिष्क 5-30 अन्तरद्वीप 31 अश्रुत्वा 22 गानोय 23 ब्राह्मणकुण्डग्राम 412 425 428 434 435 434 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * * सादर समर्पण * ** xx तपोनिधि पू. पन्न्यास श्री मणिविजयजी दादाना शिष्यरत्नपूज्यपाद शासनशिरोमणि पंन्यास श्री बुद्धिविजयजी __ (वुटेरायजी) गणिवरना शिष्यरत्न विद्वान् चारित्ररत्न निस्पृहीशिरोमणि प्रखरप्रभावशाली प्रदादागुरुदेव... पूज्य पन्न्यास श्री आणंदविजयजी गणिवर जेओश्रीए विद्वद्वर्य पू. पं. श्री मणिविजयजी गणिवरनी पासे संयम लइ महानतपोनिधि पू. प. श्री बुडिविजयजी (बुटेरायजी) गणिवरना शिष्यरत्न बनी, तेओश्रीना तथा पू पं. श्री मुक्तिविजयजी गणिवरना सानिध्यमा प्रभावना करी, 1947 मां लींबडीमां गणी पन्न्यास पद पामी जैन शासननी भव्य आराधना करी करावी जीवन धन्य बनाव्यु छे. तेओश्रीनी पुनीत स्मृतिमा शी म सुधा सिन्धु बीजो विभाग सादर कोटिशः वंदना साथै समर्पण करी कृतकृत्यता अनुभवु छु. गुरुचरणचंचरिक जिनेन्द्रविजय Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // शुद्धिपत्रकम् // पृष्ठं पंक्तिः अशुद्ध शुद्धम् | पृष्ठ पंक्तिः अशुद्धं शुद्धम् 1 13 सहसंबुद्धं सयंसंबुद्धे 74 16 पच्चम पञ्चम 2 6 समुप्मन्नसंसंए समुप्पन्नसंसए | 81 13 एवंमहिड्डीए एवं महिडीए 10 15 उमसोभेमाणे उवसोभेमाणे 84 11 असुराया असुरराया 10 18 अवगाढा अवगाढगाढा 90 6 पव्वइत्तए पवज्जाए पव्वइत्तए 15 1 पन्नत्ता पन्नत्ताओ 96 21 पाउब्मवित्तीए पाउभवित्तए 16 1 उववाहा उववाए 109 2 मम्हिमनु (म्हि पमा) मम्हिमनुपमावेण 18 22 जीरिए वीरिए प्रभावेण 21 15 कडे कम्मे कडे पावे कम्मे 116 3 पासमि पासामि 22 10 णामंतं णमंतं 120 1 समोहणमि , समोहणामि 22 15 पडुप्प पडुप्प 128 6 ०द्देशकाः ०द्देशकः 126 16 थ अथ 24 20 जयव्वा णेयव्या 130 1 ०देशका: ०द्देशकः 25 14 तत्पाउग्गु० . तप्पाउपगु० 136 किं संघयणी 5 मंदवाया , मंदावाया 25 21 किंसंघणी 151 16 पञ्चमंतशके ... पञ्चमशतके 27 16 असीति अ सीर्ति 155 8 तसकयं तसकार्य 28 1 जावंवेति० जावंतेति 161 7 पञ्चमतशके पञ्चमशतके 30 7 उसंतारे। उब संतरे 168 8 सुहुत्ताए सुहत्ताए 35 16 आयारियं / आयरियं 170 10 तेत्तीसं तेत्तीस 36 21 उववज्जवति / उववज्जति 171 20 मासाए - भासए 3. 3 मणुम्सस्स - मणुसस्स 173 18 काउलेस्ला काउलेस्सा 37 13 दहति दहसि 176 18 तमुक्वायं तमुक्कायं 44 1 कालसवसियपुत्तं कालासवेसियपुत्त 176 20 समते समट्र 51 2 वत्तव्य वत्तव्वं 177. .5 चे दिम० चंदिम 52 13 णे खंदए से खंदए 177 12 वीतीवण्ज्जा . वीतीवएज्जा 53 5 निस्सेयासए निस्सेय साए .1743 -वक्खत्त-त्तारारूवा नक्खत्त-तारारूवा 53 8 करेमणा... करेमाणा / 182 10 परिणमेज्ज परिणामेज्ज 55 1 पडुच्चुप्पन्न- पच्चुपपन्न- 1856 मुसमसुसमाए ‘सुसमसुसमाए 56 21 परिक्खेवेणं पण्णत्ता, परिक्खेवेणं 195 22 निग्गथो . निग्गंथे 60 12 विहरत्तिए, विहरित्तए 117 13 सव्वपाकेहिं सवपाणेहिं 62 13 पुडवी० पुढवी० 16 22 ०जोणिय जोणिया 63 24 कंदयं खंडय 213 5 लामसन्ना लोमसन्ना 64 23 द्वितीय द्वितीय० 218 15 पडिक्खिमति पडिनिक्खमति 65 15 ०द्देशकाः ०द्देशकः 216 13 पच्चखाणा० पञ्चक्खाण '65 20 अन्यूथि० अन्ययूथि० 235 3 कप्पतीत- -कप्पातीत. $$******************** *: Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुद्धिपत्रकम् [ 11 पृष्ठ पंक्तिः अशुद्धि शुद्धिः / पृष्ठ पंक्तिः अशुद्धि शुद्धिः 236 15 अहया अहवा 361 16 किन्नस किन्नरस्स 238 22 करेति करेंति 366 8 तियायंजोग- तियासंजोग२३६ 2 जवुद्दीव० जंबुद्दीव. 366 15 अट्ठ अट्ठ 245 6 पंचिविहा पंचविहा 367 24 सवं एवं 247 18 पूच्छा पुच्छा 366 1 उववज्जति उववज्जंति 247 . 21 एगानाणी एगनाणी 371 20 चं 246 3 नपुंसक० एवं नपुसक० 373 23 सिव सिवे 251 16 अणेगविया अणेगविहा 375 24 दीया दीवा 266 17 अयगय वेदा अवगयवेदा 376 22 सगंधाइ सगंधाइंपि 271 2 सीयंतीयं 376 24 धागइस धायसंडे 271 10 किरिमा किरिया 378 .2 पडिक्खिमति पडिनिक्खमति 273 17 तुमरासीण . तुसरासीण 383 3 नट्रियं नट्रियं 253 22 पागारऽट्ठालग- पागारऽट्ट लग- 384 4 ०परिक्खत्ते परिक्खित्ते 283 सरीर जाव- सरीरप्पयोगबंधे 385 3 दरिवडमाणी परिवडमाणी प्पयोगबंधे 385 21 मुहुनभाणा मुहुत्तभागूणा 287 5 माणियव्वा य माणियव्वा 361 16 मंगल्लाकारए मंगल्लकारए 286 12 पण्णात्ता पण्णत्ता 397 24 आपुच्छइ आपुच्छइ 262 7 दशमः दसमो 3684 इन्छामो इच्छामो 264 10 तप्पट्टिखय- तपक्खिय- 369 14 ०मोशद्देशकः ०मोद्द शकः 265 7 अत्थेतगिए अत्थेगतिए 405 14 वंभयारी . बंमयारी 266 1 केवलेणं केवले गं सव रेणं 411 10, दुबलिस्स . दुबलियस्स 296 22 सुयनाण सुयनाणा 412 15 परम्माणु परमाणु० 266 24 माणिकव्वे 413 23 4 266 7 सागरोव उत्ते सागारोव उत्ते 414 14 पंचमाणु- पंचपरमाणु-पोग्गला 302 15 पवावेज्जा पवावेज्ज . पोगग्ला 304 3 उवट्टति उव्वति 414 21 पोगग्ला पोग्गला 304 16 वालुयपप्पभाए वालुयप्पभाए 416 6 दुप्पएसिवा दुप्पएसिया 316 20 तिरिक्णजोणिय -तिरिक्खजोणिय- 417 22 एगयाओ एगयओ 318 13 मणुस्समवेसणए मणुस्सपवेसणए 426 22 वेउविय.. वेउव्विय 216 20 संतरंति संतरंपि 427 11 अणगारोवओगे अणागारोवओगे 324 16 धम्मिमं धम्मियं 428 1 द्वादशमो० द्वादशम 336 20 तस तस्स 432 5 चेव तं चेव 342 21 तुज्जे 438 11 अवडं अवडू 352 8 संवडस्स संवुडस्स 438 13 ०परिट्ट परियट्ट 353 1 अराहणा आराहणा / 439 2 विहति विहरति तुज्मे Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्रद्धा भने संस्कार पोषक, सर्व श्रेष्ठ साहित्य पीरसतुं लाखाबावल (सौराष्ट्र) थी 24 वर्ष थी नियमित रीते दर महिनानी 1 ली तारीखे प्रगट थतु शासन मान्य मासिक - श्री महावीर शासन वार्षिक लवाजम रु. 5-00 सभ्य थवाना प्रकारो द्विवर्षीय शुभेच्छक सभ्य 11-00 * आजीवन सहायक सभ्य 251-00 पंचवर्षीय शुभेच्छक सभ्य 25-00 * आजीवन सरक्षक सभ्य 351-00 दशवर्षीय शुभेच्छक सभ्य 51-00 * जीवनदाता आजीवन शुभेच्छक सभ्य 151-00 * प्रधान जीवनदाता 1001-00 आ धार्मिक मासिक आफ्ना श्री संघ, संस्था के घरमा खास वसाववा जेवु के. भाजे ज लखो। महेता मगनलाल चत्रभुज ___ नंत्री-श्री महावीर शासन शाक मारकेट सामे, निशाल फली बामनगर (सौराष्ट्र) . .. //////////////////////////////////////////////////////////// Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः // // श्रीमणिबुद्धयाणंदहर्षकर्पूरामृतसूरिगुरुभ्यो नमः // 45 आगम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना * श्री भागम-सुधा-सिन्धुः * 2266 3700 संपादकः-तपोमूर्ति पूज्य आचार्यदेवश्री विजयकपूरसूरीश्वरजी म. ना पट्टधर हालारदेशोद्धारक . पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी म. ना शिष्यरत्न पू. पं. श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अग्यार अंग सूत्रो: सप्तमो विभागः प्रथमो विभागः 5. श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र 4454 40 नाम . श्लोक 6. , चंद्र प्रज्ञप्ति , 2200 1. श्री आचारांग . सूत्र 2554 7. , सूर्य प्रज्ञप्ति 2., सूत्रकृताङ्ग 2100 8. , कलिका ___ सूत्र 3. , ठाणांग 1., कल्पावतंसिका 4., समवायांग 1660 10. , पुष्पिका 1106 11 , पुष्पचूलिका द्वितीय-तृतीय-विभागः 12 , वह्निदशा 5. श्री भगवती 15752 चतुर्थो विभागः 10 पयन्ना सन्त्रो:६.श्री ज्ञाता . सूत्र 5464 7., उपासकदशा , 812 - अष्टमो विभागः८., अंतकृद्दशा " नाम * . , अनुत्तरोपपातिक , 1. श्री चउशरण 10. , प्रश्नव्याकरण 1250 2, आउरपच्चक्खाण , 11., विपाक 1216 " महापच्चक्खाण 4., भक्त परिज्ञा पार उपांग सूत्रो: 5., तंदुलवैयालीय पञ्चमो विभागः 6., संस्तारक 7, गच्छाचार *. नाम श्लोक 8, गणिविज्जा 1. श्री उववाह 9., देवेन्द्र स्तव 375 2., राजप्रश्नीय 2120 10, मरणसमाधि 3., जीवाभिगम 1, चंद्र वेध्यक षष्ठो विभागः 2, वीरस्तव .., पन्नवणा सूत्र श्लोक 162 215 155 7787 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाम 2 श्लोक 105 -: 6. छेद सूत्रो:-- 4 मूल सूत्रो:-- - नवमो विभागः द्वादशमो विभागः 1 श्री आवश्यक सूत्र (नियुक्ति भाष्य सह) 1. श्री निशीथ सूत्र 821 2500 2. 2, ओधनियुक्ति , (भाष्य सह) 1355 बृहत्कल्प , 437 / , पंचकल्पभाष्य , 3135 " व्यवहार 373 त्रयोदशमो विभागः 4., दशाश्रुत 2106 3 श्री दशवकालिक सूत्र 700 5., जीतकल्प : - , | , पिंडनियुक्ति , 835 . 4, उत्तराध्ययन , .. 2000 दशमो विभाग 6 श्री महा निशीथ सूत्र 2 चूलिका सूत्रो चतुर्दशमो विभागः एकादशमो विभागः श्री कल्पसूत्र सूत्र (प्रताकार ३६पोइन्ट टाइप) 1 श्री नंदी सूत्र | 2 श्री अनुयोगद्वार सूत्र . 1866 सटीक आगमो आदि / नं. नाम मूल श्लोक -टोकाकार , टीका श्लोक 1 श्री आचारांग: सूत्र 2554 / श्री शीलांकाचार्य 12000 2 श्री उपासकदशांग , 812 श्री अभयदेवसूरिजी ... 800 3 श्री अंतकृदशांग , ४.श्री अनुत्तरोपपातिक , 182 5 नवस्मरणानि गौतमस्वामिरासश्च 4548 .. 1215 समकदशांग".... 86 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 अागम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना अंगे * निवेदन . जणावतां आनद थाय छे के परम करुणानिधि चरम तीर्थपति श्रमण भगबान महावीरदेवे भव्य जोवोना श्रेयना हेतु रूप तीर्थनी स्थापना करी अने गणधर देवीने त्रिपदीनु प्रदान कयु. लब्धिनिधान श्री गणधर देवो द्वादशांगीनी रचना करी. जेमनी पाट परंपरा विद्यमान छे ते श्रीमत्सुधर्मस्वामीजीनी द्वादशांगी प्रवर्तमान रही अने वर्तमानमा अग्यार अंग आदि अंग प्रविष्ट अने बार उपांग दश पयन्ना छ छेद, 4 मूल अने 2 चूलिका सूत्रो एम अंग बाह्य श्रुतज्ञान आदि विद्यमान छे ते सूत्रो उपर पूर्वाचार्य महापुरूषो विरचित, नियुक्ति, भाष्य, चूणि, टीका, अवचूरि विगेरे आगमानुसारी श्रुत विद्यमान छे. आ कल्याणकारी श्रुतना आधारे श्री महावीर परमात्मानुशासन प्रवर्तमान छे. पूज्य आचार्य भगवंतो आदि मुनिराजो आदि योगवहन, गुरुकुलवास, गुरूआज्ञा आदि योग्यता मुजब अ श्रुतना अधिकारी छे. अने अथी से शास्त्रीय मर्यादामा रहेता पूज्योने आ श्रुतज्ञानना स्वाध्याय आदिनी अनु. कुलता रहे ते हेतुथी श्रुत भक्तिरूपे 45 आगमो मूल तेमज केटलाक सूत्रोनी टीका आदि मुद्रित करवानुनक्को कर्यु छे तेनु संशोधन अने संपादन हालार-देशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य पूज्य पन्न्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अथाग परिश्रम पूर्वक करी रह्या छे. . आ सूत्रो श्री संघना भंडारोमा पूज्य गुरुदेवोने अर्पण करवा प्रसारित करवानो अमे निणय कर्यो छ. तेनी मर्यादित नकलो प्रकाशित थाय छे अने जे श्री संघो के श्रुतभक्ति रूपे श्रावकोअ आ प्रतिओ मेळववी होय तेमणे पोतानी नकल नी यादी लखावी देवा विनंति छे. सूत्रोनी नकलो मर्यादित प्रकाशित थाय छे वळी बुकसेलरोने ते वेंचवा आपवानी नथी अटले पाछलथी प्रतिम्रो प्राप्त थवी मुश्केल पडशे. जेथी भंडारोने सुव्यवस्थित अने समृद्ध बनाववा श्री संघोओ पोताना सेट तरतमा लखावी देवा, पूज्य गुरुदेवो के संघोने अर्पण करवा या श्री शासननी मिल्कत रूपे सुरक्षित राखी, पूज्य गुरुदेवोने स्वाध्याय आदि माटे अर्पग करवा सुश्रावको पण आ सेट खरीदी शकशे. तेओ आ सेट वांची के वेंची शकशे नहीं. 45 आगमो अने 4 सूत्रोनी टोकाओ आदि जे कार्य हाथ उपर घरायु छे तेनु मूल्य 10 700 थशे. ___ चौद विभागमा 45 आगम प्रगट थशे. Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 निवेदन पहोंचाडवानी सगवडता रहे ते माटे 8 थी 10 सूत्रो तैयार थयेथो रवाना कराशे. जेथी सेट मंग बनारे पोताने मोकलवानां प्रन्थो रेल्वे के ट्रान्सपोर्ट द्वारा प्राप्त थाय तेव सरनामु जणाववं. . आ आगम श्रेणी अंगे नाम नोंधाववा तथा रकम मोकलवाना सरनामा:(१) महेता मगनलाल चत्रभुज (4) शा. वेलजी हीरजी गुढका शाक मारकेट सामे निशाल फली, 52 बी एम. आझाद रोड, रंगवाला चाल, जामनगर, (सौराष्ट्र) मुंबई-४०००११ - (2) शा. मनसुखलाल जीवराज भाडलावाला (5) शा. रीखवचंद फुलचंद शराफ बजार, राजकोट (सौराष्ट्र) सी. पी. टेन्क पहेलो पारसीवाडो खलीफ मेन्सन, वी. पी. रोड, मुंबई-४ (3) शा. वालजी गणशी C/0 हीरा एम्पोरीयम, आनंदरोड, (6) नवीनचंद्र बाबुलाल शाह मलाड (वेस्ट) मुंबई-४०००६४ डेली फली लालबाग सामे, जामनगर (7) संघवी जयंतिलाल त्रिभोवनदास Co महावीर स्टोर 2681 फुवारा बजार . गांधी रोड, अमदावाद आ आगम श्रेणी उपरांत अप्रगट तथा अप्राप्य ग्रन्थोनु विशाल पाया उपर प्रकाशन करवानी पण अमारी धारणा छे. श्रुतज्ञाननी आ भक्तिना कार्यमा सौनो साथ मलशे तो अमे बहेलासर सफल पशु अघी मा अंगे योग्य सहकारनी अपेक्षा राखी श्रुतज्ञान भक्तिना कार्यमा साथ आपवा नम्र विनंति छे. Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणधरवरश्रीमत्सुधर्मस्वामिप्रणीतं // श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति-सूत्रम् // (श्रीमद्भगवति-सूत्रम्) // 1 // अथ प्रथमशतके चलनाख्य-प्रथमोद्देशकः // णमो अरि(र,रु)हंताणं गमो सिद्धाणं णमो पायरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो (लोए) सव्वसाहूणं ॥सू० 1 // मो बंभीए लिवीए॥सू० 2 // रायगिह चलण दुक्खे कखपत्रोसे य पगइ पुढवीत्रो / जावंते नेरइए वाले गुरुए य चलणाश्रो // 1 // नमो सुयस्स // सू० 3 // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्या, वराणो, तस्स णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए गुणसिलए नामं चेइए होत्था, सेणिए राया, चेलणा देवी // सू० 4 // ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे श्राइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थीए लोगुत्तमे लोगनाहे लोगप्पदीवे लोगपजोयगरे अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए धम्मदेसए (धम्मदए) धम्मसारहीए धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी अप्पडिहयवरनाणदंसणधरे वियट्टछउमे जिणे जाणए बुद्धे बोहए मुत्ते मोयए सव्वन्नू सव्वदरिसी सिव-मयल-मस्य-मणंत-मक्खयमवाबाह-मपुणरावत्तयं सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपाविउकामे जाव समोसरणं // सू० 5 // परिसा निग्गया, धम्मो कहियो, परिसा पडिगया ॥सू० 6 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूती नामं अणगारे गोंयमसगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंस-संगणसंठिए वजरिसह-नारायसंघयणे कणगपुलग-णिहस-पम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे. Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः महातवे श्रोराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोखंभघेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्त-विउलतेयलेसे चोदसपुव्वी चउनाणोवगए सव्वक्खर-सन्निवाई समणस्स भगवश्री महावीरस्स. अदूरसामते उहजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ॥ सू०७॥ तए णं से भगवं गोयमे जायसढे जायसंसए जायकोउहल्ले उप्पन्नसड्ढे उप्पन्नसंसए उप्पन्नकोउहल्ले संजायसवे संजायसंसए संजायकोउहल्ले समुप्पन्नसड्ढे समुप्मन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले उट्ठाए उट्ठई उट्ठाए उद्वेत्ता जेणेब समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो थायाहिणपयाहिणं करेइ 2 ता वंदइ नमसइ 2 ता णासन्ने णाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पन्जुवासमाणे एवं वयासी-से नूणं भंते ! चलमाणे चलिए 1, उदीरिजमाणे उदीरिए 2. वेइजमाणे वेइए 3, पहिजमाणे पहीणे 4, छिजमाणे छिन्ने ५,भिजमाणे भिन्ने 6, डज्म(दड)माणे दड्ढे 7, मिजमाणे मए 8, निजरिजमाणे निजिन्ने 1?, हंता गोयमा ! चलमाणे चलिए जाव णिजरिजमाणे णिजिराणे // सू० 7 // एए णं भंते ! नव पया किं एगट्टाणाणाघोसा नाणावंजणा उदाहु नाणट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा ?, गोयमा ! चलमाणे चलिए 1 उदीरिजमाणे उदीरिए 2 वेइजमाणे वेइए 3 पहिजमाणे पहीणे 4 ते एए णं चत्तारि पया एगट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा उप्पन्नपक्खस्स, छिजमाणे छिन्ने भिजमाणे भिन्ने डझ(दह)माणे द8, मिजमाणे मडे, निजरिजमाणे निजिराणे, एए णं पंच पया णाणट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा विगयपक्खस्स // सू० 8 // नेइरयाणं भंते ! केवइकालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पनत्ता 1 / नेरइयाणं भंते ! केवइकालस्स प्राणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा ग्रीससंति वा ?, जहा ऊसासपए 2 / नेरइया णं भंते श्राहारट्ठी ?, जहा Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 1 : उद्देशकः 1 ] [3 पन्नवणाए पढमए याहारुद्दसए तहा भाणियव्वं 3 / ठिई उस्साहारे किं वाऽऽहारेंति 36 सवयो वावि 37 / कतिभागं ? 38 सव्याणि व 31 कीस व भुजो परिणमंति ? // 1 // सू० 1 // नेरइयाणं भंते ! पुवाहारिया पोग्गला परिणया ? 1, थाहारिया श्राहारिजमाणा पोग्गला परिणया ? 2, अणाहारिया याहारिजिस्समाणा पोग्गला परिणया ? 3, अणाहारिया अणाहारिजिस्ममाणा पोग्गला परिणया ? 4, गोयमा ! नेरइयाणं पुवाहारिया पोग्गला परिणया 1, पाहारिया श्राहारिजमाणा पोग्गला परिणया परिणमति य 2, अणाहारिया याहारिजिस्समाणा पोग्गला नो परिणया परिणमिस्संति 3, अणाहारिया अणाहारिजिस्समाणा पोग्गला नो परिणता णो परिणमिस्संति 4 // सू० 10 // नेरइयाणं भंते : पुव्वाहारिया पोग्गला चिया पुच्छा, जहा परिणया तहा चियावि, एवं चिया उबचिया उदीरिया वेइया निजिन्ना, गाहा-परिणय चिया उवचिय उदीरिया वेइया य निजिन्ना। एक्केक्कमि पदंमि चउविहा पोग्गला होंति // 1 // सू० 11 // नेरइयाणं भंते ! कइविहा पोग्गला भिज्जंति ?, गोयमा ! कम्मदव्व-वग्गणमहिकिञ्च दुविहा पोग्गला भिज्जंति, तंजहाअणू चेव बायरा चेव 1 / नेरइयाणं भंते ! कतिविहा पोग्गला चिजति ?, गोरमा ! याहारदव्व-वग्गणमहिकिञ्च दुविहा पोग्गला चिज्जति, तंजहाअणू चेव बायरा चेव 2 / एवं उवचिज्जति 3 / नेरइयाणं भंते ! कइविहा पोग्गला उदीरेंति ? गोयमा ! कम्मदव्व-वग्गणमहिकिच दुविहे पोग्गले उदीरेंति, तंजहा-अणू चेव बायरा चेव, सेसावि एवं चेव भाणियब्बा 4 / एवं वेदेति 5 निजरेंति 6 उयट्टिसु 7 उव्वति 8 उव्वट्टिस्संति 1 संकामिंसु 10 संकामेंति 11 संकामिस्संति 12 निहत्तिंसु 13 निहत्तेति 14 निहत्तिस्संति 15 निकायंसु 16 निकायंति 17 निकाइस्संति 18, सव्वेसुवि कम्मदव्व-वग्गणमहिकिच्च, गाहा-भेइयचिया उवचिया उदीरिया वेइया य Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 // [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / द्वितीयो विभागः निजिन्ना / उयट्टण-संकामण-निहत्तण-निकायणे तिविह कालो ॥१॥सू० 12 // नेरइयाणं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेराहंति ते कि तीतकालसमए गेगहंति ? पडुप्पन्नकालसमए गेराहंति ? अणागयकाल समए गेराहंति ?, गोयमा ! नो तीयकालसमए गेराहंति पडुप्पन्नकालसमए गेरहंति नो अणागयकालसमए गिरहंति ।नेरइयाणं भंते ! जे पोग्गला तेयाकम्मत्ताए गहिए उदीरेंति ते किं तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति ?, गोयमा ! अतीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति नो पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति नो गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति 2 / एवं वेदेति 3 / निजरेंति 4 // सू० 13 // नेरइयाणं भंते ! जीवाश्रो कि चलियं कम्मं बंधति अचलियं कम्मं बंधंति ?, गोयमा ! नो चलियं कम्म बंधति अवलियं कम्मं बंधति 1 / नेरझ्याणं भंते ! जीवायो किं चलियं कम्मं उदीरेंति अचलियं कम्मं उदीरेंति ?, गोयमा ! नो चलियं कम्म उदीरेंति अवलियं कम्म उदीरेंति 2 / एवं वेदेति 3 उयोति 4 / संकाति '5 / निहत्तेति 6 / निकायेंति, सब्वेसु अचलियं नो चलियं 7 / नेरझ्याणं भंते ! जीवायो किं चलियं कम्मं निजरेंति अचलियं कम्मं निजरेंति ?, गोयमा ! चलियं कम्मं निजरेंति नो अचलियं कम्मं निजरेंति 8 | गाहा = बंधोदय-वेदोयट्ट-संकमे तह निहत्तणनिकाये / श्रचलियं कम्मं तु भवे चलियं जीवाउ निजरए॥ 1 // सू० 14 // एवं ठिई आहारो य भाणियब्वो, ठिती-जहा ठितिपदे तहा भाणियव्वा, सव्वजीवाणं श्राहारोऽवि जहा पनवणाए पढमे श्राहारुद्द सए तहा भाणियव्यो, एत्तो थाढत्तो-नेरइयाणं भंते ! थाहारट्ठी ? जाव दुक्खत्ताए भुजो भुजो परिणमंति, गोयमा ! 1 / असुरकुमाराणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, जहन्नेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं सातिरेगं सागरोवमं, असुरकुमाराणं भंते ! केवइयं Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 1 :: उ० 1] [5 कालस्स श्राणमंति वा पाणमंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तराहं थोवाणं उक्कोसेणं साइरेगस्स पक्खस्स आणमंति वा पाणमंति वा, असुरकुमाराणं भंते ! श्राहारट्ठी ?, हंता याहारट्ठी, असुरकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स याहारट्टे समुप्पज्जइ ?. गोयमा ! असुरकुमाराणं दुविहे याहारे पन्नत्ते, तंजहा-याभोगनिव्वत्तिए य अणाभोगनि वत्तिए य, तत्थ णं जे से श्रणाभोगनिन्वत्तिए से अणुसमयं अविरहिए आहारट्टे समुप्पज्जइ, तत्थ णं जे से याभोगनिव्धत्तिए से जहन्नेणं चउत्थभत्तस्स उक्कोसेणं साइरेगस्स वाससहस्सस्स अाहारटे समुप्पज्जइ, असुरकुमाराणं भंते ! किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा ! दव्वो अणंतपएमियाई दव्वाइं खित्तकालभावपन्नवणागमेणं सेसं जहा नेरइयाणं जाव तेणं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुजो भुजो परिणमंति ?, गोयमा ! सोइंदियत्ताए सुरूवत्ताए सुवन्नत्ताए ? इट्टत्ताए इच्छियत्ताए भिजियत्ताए उड्डत्ताए णो ग्रहत्ताए सुहत्ताए णों दुहत्ताए भुजो भुजो परिणमंति, असुरकुमाराणं पुवाहारिया पुग्गला परिणया असुरकुमाराभिलावेण जहा नेरइयाणं जाव नो अचलियं कम्म निजरंति 2 / नागकुमाराणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिश्रोवमाई, नागकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स ग्राणमंति वा पाणमंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तरहं थोवाणं उक्कोसेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स प्राणमंति वा पाणमंति वा, नागकुमाराणं श्राहारट्ठी ?, हंता थाहारट्ठी, नागकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स थाहारट्टे समुप्पज्जइ ?, गोयमा / नागकुमाराणं दुविहे श्राहारे पन्नत्ते, तंजहा-श्राभोगनिव्वत्तिए य यणाभोगनिव्वत्तिए य, तत्थ णं जे से अणाभोगनिव्वत्तिए से अणुसमयमविरहिए आहारट्टे समुप्पज्जइ, तत्थ णं जे से श्राभोगनिव्वत्तिए से जहन्नेणं चउत्थभत्तस्स उकोसेणं दिवसपुहुत्तस्स थाहारट्टे समुप्पज्जइ, सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव नो अचलियं कम्म Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमागः निजरंति 3 / एवं सुवन्नकुमारावि जाव थणियकुमाराणंति 4 / पुढविक्काइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पत्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई, पुढविक्काइया केवइकालस्स श्राणमंति वा पाणमंति वा ?, गोयमा ! वेमायं प्राणमंति वा पाणमंति वा ?, पुढविकाइया आहारट्ठी ?, हंता श्राहारट्ठी, पुढविक्काइयाणं केवइकालस्स श्राहारट्टे समुप्पजइ ?, गोयमा ! अणुसमयं अविरहिए श्राहारट्टे समुप्पज्जइ, पुढविकाया किमाहारेति !, गोयमा ! दवयो जहा नेरइयाणं जाव निव्वाघाएणं छदिसि वाचायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसि, वन्नयो कालनील-पीतलोहिय-हालिहसुकिल्लाणि, गंधयो सुरभिगंध 2 रसयो तित्त 5 फासयो कक्खड 8 सेसं तहेव, णाणत्तं कइभागं श्राहारेंति ? कइभागं फासाइंति ?, गोयमा ! असंखिजइभागं ाहारेन्ति अणंतभागं फासाइंति जाव तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुजो भुजो परिणमंति ?, गोयमा ! फासिंदियवेमायत्ताए भुजो भुजो परिणमंति, सेसं जहा नेरइयाणं जाव नो यवलियं कम्मं निजरंति 5 / एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, नवरं ठिती वन्नेयव्वा जा जस्स, उस्सासो वेमायाए 6 / बेइंदियाणं ठिई भाणियब्वा ऊसासो वेमायाए, बेइंदियाणं आहारे पुच्छा, गोयमा ! श्राभोगनिव्वत्तिए य अणाभोगनिव्वत्तिए य तहेव, तत्थ णं जे से श्राभोगनिव्वत्तिए से णं असंखेजसमए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए याहारट्टे समुप्पजइ, सेसं तहेब जाव अणंतभागं अासायंति, बेइंदियाणं भंते ! जे पोग्गले थाहारत्ताए गेराहंति ते किं सबे याहारेंति णो सव्वे थाहारंति ?, गोयमा- बेइंदियाणं दुविहे श्राहारे पन्नत्ते, तंजहा-लोमाहारे पक्खेवाहारे य, जे पोग्गले लोमाहारसाए गिराहंति ते सव्वे यपरिसेसिए श्राहारेंति, जे पोग्गले पक्खेवाहारलाए गिगहंति तेसि णं पोग्गलाणं असंखिन्जइभागं थाहारेंति अणेगाइं च मैं भागसहस्साई अणासाइजमाणाई अफासिज्जमाणाई विद्धंसमागच्छंति, Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) स्त्रं : शतकं 1:: 301 ] एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं अणासाइजमाणाणं अफासाइजमाणाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पुग्गला अणासाइजमाणा अफासाइजमाणा अणंतगुणा, बेइंदियाणं भंते ! जे पोग्गला आहारत्ताए गिरहंति ते णं तेसिं पुग्गला कीसत्ताए भुजो भुजो परिणमंति ?, गोयमा ! जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए भुजो भुजो परिणमंति, बेइंदियाणं भंते ! पुवाहारिया पुग्गला परिणया तहेव जाव चलियं कम्मं निजरंति 7 / तेइंदियचउरिदियाणं णाणत्तं ठिईए जाव णेगाइं च णं भागसहस्साई श्रणाघाइजमाणाई श्रणासाइजमाणाई अफासाइजमाणाई विद्धंसमागच्छंति(मावज्जति), एएसिणं भंते ! पोग्गलाणं अणाघाइजमाणाई 3 पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला श्रणाघाइजमाणा अणासाइजमाणा अणंतगुणा अफासाइजमाणा अणंतगुणा, तेइंदियाणं घाणिंदिय-जिभिदिय-फासिंदियवेमायाए भुजो 2 परिणमंति, चउरिदियाणं चक्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियत्ताए भुजो भुजो परिणमंति 8 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं ठिई भणिऊणं ऊसासो वेमायाए, श्राहारो अणाभोगनिव्वत्तिए श्रणुसमयं अविरहियो, श्राभोगनिव्वत्तियो जहन्नेणं अंतोमुहुत्तस्स उक्कोसेणं छट्ठभत्तस्स, सेसं जहा चउरिदियाणं जाव चलियं कम्मं निजरेंति 1 / एवं मणुस्साणवि, नवरं श्राभोगनिव्वत्तिए जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अट्ठमभत्तस्स सोइंदिय-वेमायत्ताए भुजो भुजो परिणामति सेसं जहा चरिदियाणं, तहेव जाव निजरेंति 10 / वाणमंतराणं ठिईए नाणत्तं, परिणमंति अवसेसं जहा नागकुमाराणं, एवं जोइसियाणवि, नवरं उस्सासो जहन्नेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स उक्कोसेणवि मुहुत्तपुहुत्तस्स, थाहारो जहन्नेणं दिवसपुहुत्तस्स उकोसेणवि दिवसपुहुत्तस्स सेसं तहेव 11 / वेमाणियाणं ठिई भाणियव्वा श्रोहिया, ऊसासो जहन्नेणं मुहत्तपुहुत्तस्स उक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं, Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितोयो विभाग: श्राहारो श्राभोगनिबत्तियो जहन्नेणं दिवसपुहुत्तस्स उकोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्साणं, सेसं बलियाइयं तहेव जाव निजरेंति 12 // सू०. 15 // जीवा णं भंते ! कि आयारंभा परारंभा तदुभयारंभा अनारम्भा ?, गोयमा ! अत्थेगइया जीवा आयारंभावि परारंभावि तदुभयारंभावि नो अणारंभा, अत्थेगइया जीवा नो पायारंभा नो परारंभा नो तदुभयारंभा अणारंभा 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-अत्थेगइया जीवा अायारंभावि ? एवं पडिउच्चारेयव्वं, गोयमा ! जीवा दुविहा पगणत्ता, तंजहा-संसारसमावन्नगा य असंसारसमावन्नगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावन्नगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं नो पायारंभा जाव अणारम्भा, तत्थ णं जे ते संसारसमावनगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संजया य असंजया य, तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पमत्तसंजया य अप्पमत्तसंजया य, तत्थ ण जे ते अप्पमत्तसंजया ते णं नो पायारंभा नो परारंभा जाव अणारंभा, तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया ते सुहं जोगं पडुच नो अायारंभा नो परारंभा जाव अणारंभा, असुभं जोगं पडुच पायारंभावि जाव नो अणारंभा, तत्थ णं जे ते असंजया ते अविरतिं पडुच्च श्रायारंभावि जाव नो अणारंभा, से तेणढणं गोयमा ! एवं वुन्चइ-अत्थेगइया जीवा जाव अणारंभा 2 / नेरइयाणं भंते ! किं पायारंभा परारंभा तदुभयारंभा श्रणारंभा ?, गोयमा ! नेरइया पायारंभावि जाव नो अणारंभा, से केण?णं भन्ते एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! अविरतिं पडुच्च, से तेण?णं जाव नो अणारंभा, एवं जाव असुरकुमारावि जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया, मणुस्सा जहा जीवा, नवरं सिद्धविरहिया भाणियब्बा, वाणमंतरा जाव वेमाणिया जहा नेरइया 3 / सलेस्सा जहा श्रोहिया, किराहलेसस्स नीललेसस्स काउलेसस्स जहा श्रोहिया जीवा, नवरं पमत्तअप्पमत्ता न भाणियव्वा, तेउलेसस्स पम्हलेसस्स सुक्कलेसस्स जहा श्रोहिया जीवा, नवरं सिद्धा न Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 1 ] भाणियबा 4 // सू० 16 // इहभविए भंते ! नाणे, परभविए नाणे, तदुभयभविए नाणे ?. गोयमा ! इहभविएवि नाणे परभविएवि नाणे तदुभयभविएवि णाणे 1 / दंसणंपि एवमेव 2 / इहभविए भंते ! चरित्ते परभविए चरित्ते तदुभयभविए चरित्ते ?, गोयमा ! इहभविए चरित्ते नो परभविए चरित्ते नो तदुभयभविए चरित्ते 3 / एवं तवे संजमे 4 // सू० 17 // असंवुडे णं भंते ! अणगारे किं सिज्मइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिब्वाइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ ?, गोयमा ! नो इण8 समढे 1 / से केण?णं जाव नो अंतं करेइ ?, गोयमा ! असंवुडे अणगारे ग्राउयवजायो सत्त कम्मपगडीयो सिढिलबंधणबद्धायो धणियबंधणबद्धायो पकरेइ हस्सकालटिईयायो दीहकालटिईयायो पकरेइ मंदाणुभावायो तिव्वाणुभावायो पकरेइ अप्पपएमग्गायो बहुप्पएसग्गायो पकरेइ पाउयं च णं कम्मं सिय बंधइ सिय नो बंधइ अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं भुजो भुजो उचिणाइ अणाईयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टइ, से एएणतुणं गोयमा ! असंवुडे अणगारे णो सिज्झइ 5, 2 / संवुडे णं भंते ! अणगारे सिज्मइ 5?, हंता सिज्झइ जाव अंतं करेइ, से केण?णं ?, गोयमा ! संवुडे अणगारे ग्राउयवजायो सत्त कम्मपगडीयो धणियबंधणबद्धायो सिदिलबंधणबद्धायो पकरेइ दीहकालट्टिईयायो हस्सकालट्ठिईयायो पकरेइ तिव्वाणुभावायो मंदाणुभावायो पकरेइ बहुप्पएसग्गायो अप्पपएसग्गायो पकरेइ, अाउयं च णं कम्मं न बंधइ, अस्सायावेयणिज्जं च ण कम्मं नो भुजो भुजो उवचिणाइ, अणाईयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं वीईवयइ, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-संवुडे अणगारे सिज्मइ जाव अंतं करेइ 3 // सू० 18 // जीवे णं भंते ! अस्संजए अविरए अप्पडिहय-पच्चक्खाय-पावकम्मे इयो चुए पेचा देवे सिया ?, गोपमा ! अत्थेगइए देवे सिया Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1.] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः अत्थेगइए नो देवे सिया 1 / से केणटेणं जाव इयो चुए पेचा अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए नों देवे सिया ?, गोयमा ! जे इमे जीवा गामागर. नगर-निगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-सन्निवेसेसु अकामतराहाए अकामछुहाए अकामबंभचेरवासेणं अकाम-सीतातव-दंसमसगअगहाणग(अकामगहाणग सेय-जल्ल-मल-पंकपरिदाहेणं अप्पतरं वा भुजतरं वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति अप्पाणं परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु वाणमंतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति 2 / केरिसा णं भंते ! तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पराणत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए-इहं मणुस्सलोगंमि असोगवणे इ वा सत्तवन्नवणे इ वा चंपयवणे इ वा चूयवणे इ वा तिलगवणे इ वा लाउयवणे इ वा निग्गोहवणे इ वा छत्तोववणे इ वा असणवणे इ वा सणवणे इवा अयसिवणे इ वा कुसुभवणे इ वा सिद्धत्थवणे इ वा बंधुजीवगवणे इ वा णिच्चं कुसुमिय-माइय-लवइय-थवइय-गुलझ्य-गोच्छिय-जमलिय-जुवलिय-विणमिय-पणमिय-सुविभत्त-पिंडिमंजरिवडेंसगधरे सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणे उमसोभेमाणे चिट्टइ, एवामेव तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा जहन्नेणं दसवाससहस्सट्टितीएहिं उक्कोसेणं पलियोवमट्टितीएहिं बहूहिं वाणमंतरेहिं देवेहिं तदेवीहि य ाइराणा वितिकिराणा उवत्थडा संथडो फुडा अवगाढा सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणा चिट्ठति, एरिसगा णं गोयमा ! तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पराणत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ-जीवे णं असंजए जाव देवें सिया 3 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं-गोयमें समण भगवं महावीरं वंदति नमंसति वंदइत्ता नमंसइत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति 4 // सू० 11 // पढमे सए पढमो उद्दे सो समत्तो // // इति प्रथमशतके प्रथमोह शकः // 1-1 // Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवत्ति) सूत्र : शतकं 1 : उ० 2] [11 // अथ प्रथमशतके दुःखविषय-द्वितीयोद्देशकः // रायगिहे नगरे समोसरणं, परिसा निग्गया जाव एवं वयासी-जीवे णं भंते ! सयंकडं दुक्खं वेदेइ ?, गोयमा ! अत्थेगइयं वेएइ यत्थेगइयं नो वेएइ, से केणतुणं भंते ! एवं दुच्चइ-अत्थेगइयं वेदेइ अत्थेगइयं नो वेएइ ?, गोयमा ! उदिन्नं वेण्इ अणुदिन्नं नो वेएइ, से तेण?णं एवं वुच्चइ-अत्थेगइयं वेएइ यत्थेगतियं नो वेएइ, एवं चउव्वीसदंडएणं जाव वेमाणिए 1 / जीवा णं भंते ! सयंकडं दुक्खं वेएन्ति ?, गोयमा! अत्थेगइयं वेयन्ति प्रत्येगइयं णो वेयन्ति, से केण?णं ?, गोयमा ! उदिन्नं वेयन्ति नो अणुदिन्नं वेयन्ति, से तेण?णं, एवं जाव वेमाणिया 2 / जीवे णं भंते ! सयंकडं बाउयं वेएइ ? गोयमा ! अत्थेगइयं वेएइ अत्थेगइयं नो वेएइ, जहा दुवखेणं दो दंडगा तहा श्राउएणवि दो दंडगा एगत्तपुहुत्तिया, एगत्तेणं जाव वेमाणिया पुहुत्तेणवि तहेव 3 // सू० 20 // नेरइया णं भंते ! सव्वे समाहारा सव्वे समसरीरा सव्वे समुस्सासनीसासा ?, गोयमा ! नो इण8 सम8 1 / से कणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरझ्या नो सव्वे समाहारा नो सव्वे समसरीरा नो सव्वे समुस्सासनिस्सासा ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-महासरीरा य अप्पसरीरा य, तत्थ णं जे ते महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले श्राहारेति बहुतराए पोग्गले परिणामेंति बहुतराए पोग्गले उस्ससंति बहुतराए पोग्गले नीससंति अभिक्खणं पाहारेंति अभिक्खणं परिणामेति अभिक्खणं ऊससंति अभिक्खणं नीस्ससंति, तत्थ णं जे ते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पुग्गले याहारेंति अप्पतराए पुग्गले परिणामेंति अप्पतराए पोग्गले उस्ससंति अप्पतराए पोग्गले नीससंति बाहच्च श्राहारेंति पाहाच परिणामेति थाहच उस्ससंति ग्राहच नीससंति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ-नेरइया नो सम्बे समाहारा जाव नो सम्वे समुस्सासनिस्सासा 2 / नेरईया णं भंते ! सव्वे समकम्मा ?, गोयमा ! णो इण? सम8, से केण?णं ?, गोयमा ! नेरइया Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विभागः दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्योववन्नगा य पच्छोववन्नगा य, तत्थ णं जे ते पुयोववन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा, से तेण?णं गोयमा !0 3 / नेरइया णं भंते ! सव्वे समवन्ना ?, गोयमा ! नो इण? सम8, से केणढणं तहेव ? गोयमा ! जे ते पुब्बोववन्नगा ते णं विसुद्धवन्नतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अविसुद्धवन्नतरागा तहेव से तेण?णं एवं० 4 / नेरझ्या णं भंते ! सव्वे समलेस्सा ?, गोयमा ! नो इण? सम?, से केणटेणं जाव नो सव्वे समलेस्सा ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्योववन्नगा य पच्छोववन्नगा य, तत्थ णं जे ते पुब्बोववन्नगा ते णं विसुद्धलेस्सतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अविसुद्धलेस्सतरागा, से तेण?णं० 5 / नेरइया णं भंते ! सव्वे समवेयणा ?, गोयमा ! नो इण? सम?, से केण?णं ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सन्निभूया य असनिभूया य, तत्थ णं जे ते सन्निभूया ते णं महावयणा, तत्थ णं जे ते असन्निभूया ते णं अप्पवेयणतरागा, से तेण?णं गोयमा !0 6 / नेरइया णं भंते ! सब्बे समकिरिया ?, गोयमा ! नो इण? सम8, से केणटेणं ?, गोयमा ! नेरइया तिविहा पराणत्ता, तंजहा-सम्मदिट्टी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी तेसि णं चत्तारि किरियायो पराणत्तायो, तंजहा-यारंभिया 1 परिग्गहिया 2 मायावत्तिया 3 अप्पञ्चक्खाणकिरिया 4, तत्थ णं जे ते मिच्छादिट्टी तेसि णं पंच किरियायो कज्जति तंजहा-प्रारंभिया जाव मिच्छादंसणवत्तिया, एवं सम्मामिच्छादिट्ठीणंपि, से तेण?णं गोयमा !0 7 / नेरइया णं भंते ! सब्वे समाउया सब्वे समोववन्नगा ?, गोयमा ! नो इणढे सम?, से केणटेणं ?, गोयमा ! नेरइया चउव्विहा पन्नत्ता, तंजहा-पत्थेगइया समाउया समोववन्नगा 1 अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा 2 अत्थेगइया विसमाउया समोवववगा Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [13 श्रीमद्व्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 1 ] 3 अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा 4 से तेण?णं गोयमा ! 8 | असुरकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा सव्वे समसरीरा, जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं कम्मवन्नलेस्सायो परिवराणेयवायो (परित्थल्लेयव्वायो) पुब्बोववनगा महाकम्मतरागा अविसुद्धवन्नतरागा अविसुद्धलेसतरागा, पच्छोववन्नगा पसत्था, सेसं तहेव, एवं जाव थणियकुमाराणं / पुढविकाइयाणं याहारकम्मवन्नलेस्सा जहा नेरझ्याणं 1 / पुढविकाइया णं भंते ! सव्वे समवेयणा ?, हंता समवेयणा, से केण?णं भंते ! समवेयणा ?, गोयमा ! पुढविकाइया सब्बे असन्नी असन्निभ्या अणिदाए वेयणं वेदेति से तेण?णं. 10 / पुढविकाइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया 1, हंता समकिरिया, से केण?णं ?, गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे माई मिच्छादिट्ठी ताणं णिययायो पंच किरियायो कज्जंति, तंजहा-प्रारंभिया जाव मिच्छादंसणवत्तिया, से तेणटेणं 11 / समकिरिया समाउया समोववन्नगा, जहा नेरझ्या तहा भाणियब्वा, जहा पुढविकाइया तहा जाव चउरिंदिया 12 / पंचिंदियतिरिक्ख जोणिया जहा नेरइया नाणत्तं किरियासु, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! सब्बे समकिरिया ?, गोयमा ! णो तिण8 समढे, से केण?णं गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पन्नत्ता, तंजहा–सम्मदिट्टी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, तत्थ णं जे ते सम्मदिट्टी ते दुविहा पनत्ता, तंजहाअस्संजया य संजयासंजया य, तत्थ णं जे ते संजयासंजया तेसि णं तिन्नि किरियायो कज्जति, तंजहा-थारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया, असंजयाणं चत्तारि, मिच्छादिट्ठीणं पंच, सम्मामिच्छादिट्ठीणं पंच, मणुस्सा जहा नेरइया, नाणत्तं जे महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले अाहारेंति अाहच्च याहारेंति जे अप्पसरीरा ते अप्पतराए श्राहारेंति अभिक्खणं अाहारेंति सेसं जहा नेरझ्याणं जाव वेयणा 13 / मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! णो तिण? सम?,से केण?णं ?, गोयमा ! मणुस्सा तिविहा पन्नत्ता, तंजहा Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्टी, तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी ते तिविहा पराणत्ता, तंजहा–संजया अस्संजया संजयासंजया य, तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सरागसंजया य वीयरागसंजा य, तत्थ णं जे ते वीयरागसंजया ते णं अकिरिया, तत्थ णं जे ते सरागसंजया ते दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पमत्तसंजया य अपमत्तसंजया य, तत्थ णं जे ते अप्पमत्तसंजया तेसि णं एगा मायावत्तिया किरिया कजइ, तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया तेसि णं दो किरियायो कज्जति, तंजहा-श्रारंभिया य मायावत्तिया य, तत्थ णं जे ते संजयासंजया तेसि णं आइलायो तिन्नि किरियायो कज्जंति, तंजहा-प्रारंभिया 1 परिग्गहिया 2 मायावत्तिया 3, अस्संजयाणं चत्तारि किरियायो कज्जंति, तंजहा-श्रारंभिया 1 परिग्गहिया 2 मायावत्तिया 3 अप्पञ्चक्खाणकिरिया 4, मिच्छादिट्ठीणं पंच-श्रारंभिया 1 परिग्गहिया 2 मायावत्तिया 3 अप्पचक्खाणकिरिया 4 मिच्छादंसणवत्तिया 5, सम्मामिच्छदिट्ठीणं पंच 5, 14 / वाणमंतरजोतिसवेमाणिया जहा असुरकुमारा, नवरं वेयणाए नाणत्तं-मायिमिच्छादिट्ठी-उववनगा य अप्पवेदणतरा अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य महावेयणतरागा भाणियब्वा, जोतिस-वेमाणिया 15 / सलेस्सा णं भंते ! नेरइया सव्वे समाहारगा ?, श्रोहियाणं सलेस्साणं सुक्कलेस्साणं, एएसि णं तिराहं एको गमो, कराहलेस्साणं नीललेस्साणंपि एको गमो नवरं वेदणाए-मायिमिच्छादिट्ठी-उववनगा य अमायिसम्मदिट्टीउववन्नया य भाणियव्वा 16 / मणुस्सा किरियासु सरागवीयराग-पमत्तापमत्ता ण भाणियव्वा 17 / काउलेसाएवि एसेव गमो, नवरं नेरइए जहा श्रोहिए दंडए तहा भाणियव्वा, तेउलेस्मा पम्हलेस्सा जस्स अस्थि जहा श्रोहियो दंडश्रो तहा भाणियव्वा नवरं मणुस्सा सरागा वीयरागा य न भाणियव्वा, गाहा-दुक्खाउए उदिन्ने थाहारे कम्भवन्नलेस्सा य 18 / समवेयण-समकिरिया समाउए चेव बोद्धव्वा 11 // 1 // सू० 21 // कइ णं भंते ! लेस्सायो Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 1 : उ० 2] [15 पन्नत्तायो ?, गोयमा ! छल्लेस्सायो पन्नत्ता, तंजहा-लेसाणं बीययो उद्दे सयो भाणियव्यो जाव इड्डी // सू० 22 // जीवस्स णं भंते ! तीतद्धाए यादिट्ठस्म कइविहे संसारसंचिट्ठणाकाले पराणत्ते ?, गोयमा ! चउबिहे संसारसंचिट्ठणकाले पराणत्ते, तंजहा-णेरझ्यसंसार-संचिट्ठणकाले तिरिक्खजोणिय संसारसंचिट्ठणकाले मणुम्ससंसारसंचिट्ठणकाले देवसंसारसंचिट्ठणकाले य परागत्ते 1 / नेरइयसंसारसंचिट्ठणकाले णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-सुन्नकाले असुन्नकाले मिस्सकाले 2 / तिरिक्खजोणियसंसार पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-असुन्नकाले य मिस्सकाले य, मणुस्साण य देवाण य जहा नेरइयाणं 3 / एयस्स णं भंते ! नेरइयसंसारसंचिट्ठणकालस्स सुन्नकालस्स असुन्नकालस्स मीसकालस्म य कयरे 2 हिंतो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सव्वथोवे असुन्नकाले मिस्सकाले अणंतगुणे सुन्नकाले अणंतगुणे 4 / तिरिक्खजोणिय-संसारसंचिट्ठणकालस्स भंते ! पुच्छा, सव्वथोवे असुन्नकाने, मिस्सकाले अणंतगुणे, मणुस्सदेवाण य जहा नेरइयाणं 5 ।एयस्स णं भंते ! नेरइयस्स संसारसंचिट्ठणकालस्स जाव देवसंसारसंचिट्टण जाव विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकाले, नेरइयसंसारसंचिट्ठणकाले असंखेजगुणे, देवसंसारसंचिट्ठणकाले असंखेजगुणे, तिरिक्खजोणिए अणंतगुणे 6 // सू० 23 // जीवे णं भंते ! अंतकिरियं करेजा ?, गोयमा ! अत्यंगतिया करेजा अत्यंगतिया नो करेजा, अंतकिरियापयं नेयव्वं // सू० 24 // ग्रह भंते ! असंजयभवियदव्वदेवाणं 1 अविराहियसंजमाणं 2 विराहियसंजमाणं 3 अविराहियसंजमासंजमाणं 4 विराहियसंजमासंजमाणं 5 असन्नीणं 6 तावसाणं 7 कंदप्पियाणं - चरगपरिवायगाणं 1 किदिवसियाणं 10 तेरिच्छियाणं 11 श्राजीवियाणं 12 याभियोगियाणं 13 सलिंगीणं दंसणवावन्नगाणं 14 एएसि Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विभागः णं देवलोगेसु उववजमाणाणं कस्स कहिं उववाह। पराणते ?, गोयमा ! अस्संजयभवियदव्वदेवाणं जहन्नेणं भवणवासीसु उक्कोसेणं उरिमगेविजएसु 1, अविराहियसंजमाणं जहन्नेणं सोहम्मे कप्पे उक्कोसेण सबट्टसिद्धे विमाणे 2, विराहियसंजमाणं जहन्नेणं भवणवासीसु उकोसेणं सोहम्मे कप्पे 3, अविराहियसंजमासंजमाणं णं जहराणेणं सोहम्मे कप्पे उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे 4, विराहियसंजमासंजमाणं जहन्नेणं भवणवासीसु उकोसेणं जोतिसिएसु 5, श्रसन्नीणं जहन्नेणं भवणवासीसु उकोसेणं वाणमंतरेसु 6, अवसेसा सव्वे जहराणेणं भवणवासीसु उक्कोसेणं वोच्छामि-तावसाणं जोतिसिएसु, कंदप्पियाणं सोहम्मे कप्पे चरगपरिवायगाणं बंभलोए कप्पे, किब्विसियाणं लंतगे कप्पे तेरिच्छियाणं सहस्सारे कप्पे याजीवियाणं अच्चुए कप्पे अाभियोगियाणं अच्चुए कप्पेसलिंगीणं दंसणवावनगाणं उपरिमगेवेज्जएसु 14 // सू० 25 // कतिविहे णं भंते ! असन्नियाउए पराणत्ते ?, गोयमा ! चउब्धिहे असन्निपाउए पराणत्ते, तंजहानेरइयअसनियाउए तिरिक्खजोणिय-असगिणयाउए मणुस्सयसरिणयाउए देवयसरिणयाउए 1 / असन्नी णं भन्ते !जीवे किं नेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयं पकरेइ ?, हंता गोयमा ! नेरझ्याउयपि पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेइ मणुस्साउयंपि पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ, नेरझ्याउयं पकरेमाणे जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागं पकरेति तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागं पकरेइ, मणुस्साउएवि एवं चेव, देवाउयं पकरेमाणे जहा नेरइया 2 / एयस्स णं भन्ते ! नेरइयश्रसन्निपाउयस्स तिरिक्खजोणियअसन्निपाउयस्स मणुस्सअप्सन्निपाउयस्स देवअसन्निपाउयस्स य कयरे कयरे हितो जाव विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सम्बत्योवे देव असन्निपाउए, मणुस्सअसन्निपाउए असंखे Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतक 1 : उ० 3] [10 जगुणे, तिरियजोणियअसनियाउए असंखेजगुणे, नेरइए असन्निपाउए असंखेजगुणे 3 / सेवं भन्ते ! सेवं भन्ते ! ति जाव विहरति // सू० 26 // वितियो उद्दे सश्रो समत्तो॥ // इति प्रथमशतके द्वितीय उद्देशकः // 1-2 // // अथ प्रथमशतके काङक्षाप्रदोषाख्य-तृतीयोद्देशकः // _____ जीवा णं भन्ते ! कंखामोहणिज्जे कम्मे कडे ?, हंता कडे 1 / से भन्ते ! किं देसेणं देसे कडे ? 1 देसेणं सव्वे कडे ? 2 सव्वेणं देसे कडे ? 3 सब्वेणं सब्बे कडे ? 4, २।गोयमा !नो देसेणं देसे कडे 1 नो देसेणं सब्वे कडे 2 नो सब्वेणं देसे कडे 3 सव्वेणं सव्वे कडे 4, 3 / नेरइया णं भन्ते ! कंखामोहणिज्जे कम्मे कडे ?, हंता कडे, जाव सव्वेणं सव्वे कडे 4, 5 / एवं जाव वेमाणियाणं दंडयो भाणियव्यो 6 // सू० 27 // जीवा णं भन्ते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं करिसु ?, हंता करिंसु 1 / तं भन्ते ! किं देसेणं देसं करिसु ?, एएणं अभिलावेणं दंडयो भाणियब्वो जाव वेमाणियाणं, एवं करेंति एत्थवि दंडयो जाव वेमाणियाणं, एवं करेस्संति, एत्थवि दंडयो जाव वेमाणियाणं 2 / एवं चिए चिणिंसु चिणंति चिणिस्संति, उवचिए उवचिणिंसु उवचिणंति उवचिणिस्संति, उदीरेंसु उदीरेंति उदीरिस्संति, वेदिसु, वेदेति वेदिस्संति, निजरेंसु निजरेंति निजरिस्संति,गाहा-कडचिया उवचिया उदीरिया वेदिया य निजित्रा / ग्रादितिए चउभेदा तियभेदा पच्छिमा तिन्नि॥१॥ 3 // मू० 28 // जीवा णं भन्ते ! कंखामोहणिज्ज कम्मं वेदेति ?, हंता वेदेति / कहन्नं भन्ते : जीवा कंखामोहणिज्ज कम्मं वेदेति ?, गोयमा ! तेहिं तेहिं कारणेहिं संकिया कंखिया वितिगिन्छिया भेदसमावना कलुससमावन्ना, एवं खलु जीवा कंखामोहणिज्ज कम्मं वेदेति // सू० 21 // से नृणं भन्ते ! तमेव सच्चं णीसंकं जं जिणेहिं पवेइयं ?, हंता गोयमा ! Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [: श्रीमवागमसुवासिन्धुःना वितीयो विमाणा तमेव सञ्चं णीसंकं जं जिणेहिं पवेदितं // सू० 30 // से नूणं भन्ते ! एवं मणं धारेमाणे एवं परेमाणे एवं चिट्ठमाणे एवं संवरेमाणे पाणाए बाराहए भवति ?, हंता गोयमा ! एवं मणं धारेमाणे जाव भवइ ।सू० 31 // से नूणं भन्ते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ ?, हंता गोयमा ! जाव परिणमइ 1 / जगणं भन्ते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ तं किं पयोगसा वीससा ?, गोयमा ! पयोगसावि तं वीससावि तं 2 / जहा ते भन्ते ! अत्थित्तं अस्थित्ते परिणमइ तहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ ? जहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ तहा ते अस्थित्तं अस्थित्ते परिणमइ ?, हंता गोयमा ! जहा मे अत्थित्तं अस्थित्ते परिणमइ तहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, जहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ तहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ 3 / से गाणं भन्ते ! अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं जहा परिणमइ दो पालावगा तहा ते इह गमणिज्जेणवि दो पालावगा भाणियव्वा जाव जहा मे अस्थित्तं अस्थित्ते गमणिज्ज 4 // सू० 32 // जहा ते भन्ते ! एत्थ गमणिज्ज तहा ते. इहं गमणिज्जं, जहा ते इहं गमणिज्जं तहा ते एत्थं गमणिज्जं ?, हंता ! गोयमा !, जहा ! मे एत्थं गमणिजं जाव तहा मे एत्थं इहं गमणिज्जं // सू० 33 // जीवा णं भन्ते ! कंखामोहणिज्ज कम्मं बंधंति ?, हंता बंधति / कहं णं भन्ते ! जीवा कंखामोहणिज्जं कम्मं बंधंति ?, गोयमा ! पमादपच्चया जोगनिमित्तं च 1 / से णं भन्ते / पमाए किंपवहे ?, गोयमा ! जोगप्पवहे / से णं भन्ते ! जोए किंपवहे ?, गोयमा ! वीरियप्पवहे / से णं भन्ते वीरिए किंपवहे ?, गोयमा ! सरीरप्पवहे / से णं भन्ते ! सरीरे किंपवहे ?, गोयमा ! जीवप्पवहे 2 / एवं सति अत्थि उट्ठाणे ति वा कम्मे ति वा बले इ वा बीरिए इ वा पुरिसकारपरक्कमे इ वा 3 // सू० 34 // से गुणं भन्ते ! अप्पणा चेव उदीरेइ 'अप्पणा चेव गरहइ अप्पणा चेक संवरइ ?, हता! गोयमा ! अप्पणा चेव Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 1 : उ० 3] [16 तं चेव उच्चारेयव्वं 3, १।जंतंभन्ते ! अप्पणा चेव उदीरेइ अप्पणा चेव गरहेइ अप्पणा चेव संवरेइ तं किं उदिन्नं उदीरेइ 1 अणुदिन्नं उदीरेइ 2 अणुदिन्नं उदीरणाभवियं कम्म उदीरेइ 3 उदयाणंतरपच्छाकडं कम्मं उदीरेइ 4 ?, गोयमा ! नो उदिराणं उदीरेइ 1 नो अणुदिन्नं उदीरेइ 2 अणुदिन्नं उदोरणाभवियं कम्मं उदीरेइ 3 णो उदयाणंतरपच्छाकडं कम्म उदीरेइ 4, 2 / जं तं भन्ते ! अणुदिन्नं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेइ तं किं उट्ठाणेणं कम्मेणं बलेणं वीरिएणं पुरिसकारपरक्कमेणं अणुदिन्नं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेइ ? उदाहु तं अणुट्टाणेणं अकम्मेणं अवलेणं अवीरिएणं अपुरिसकारपरकमेणं अणुदिन्नं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेइ ?, गोयमा ! तं उट्ठाणेणवि कम्मेणवि बलेणवि वीरिएणवि पुरिसक्कारपरकमेणवि अणुदिन्नं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेइ, णोतं अणुटाणेणं अकम्मेणं शबलेणं अवीरिएणं अपुरिसकारपरकमेणं अणुदिन्नं उदीरणामवियं कम्मं उदीरेइ, एवं सति अस्थि उटाणे इ वा कम्मे इ वा बले इ वा वीरिए इ वा पुरिसकारपरकमे इ वा३ / से नूणं भन्ते ! अप्पणा चेव उवसामेइ अप्पणा चेव गरहइ अप्पणा चेव संवरइ ?, हंता गोयमा ! एत्थ वि तहेव भाणियव्वं, नवरं अणुदिन्नं उवसामेइ सेसा पडिसेहेयव्या तिन्नि 4 / जं तं भन्ते ! अणुदिन्नं उक्सामेइ तं किं उट्ठाणेणं जाव पुरिसकारपरक्कमेति वा, से नूणं भन्ते ! अप्पणा चेव वेदेइ अप्पणा चेव गरहइ ?, एत्थवि सच्चेव परिवाडी, नवरं उद्दिन्नं वेएइ नो अणुदिन्नं वेएइ, एवं जाव पुरिसकारपरिकमे इ वा 5 / से नूणं भन्ते ! अप्पणा चेव निजरेति अप्पणा चेक गरहइ, एत्थवि सञ्चेव परिवाडी नवरं उदयाणंतरपच्छाकर्ड कम्मं निजरेइ, एवं जाव परिकमेइ वा 6 // सू० 35 // नेरइयाणं भन्ते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं वेएइ ?, जहा श्रोहिया जीवा तहा नेरझ्या, जाव थणियकुमारा 1 / पुढविकाइया णं भंते ! कंखामोहणिज्ज कम्मं वेइंति, हंता वेइंति, कहराणं भन्ते ! पुढविक्काइया णं कंखामोहणिज्जं Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2.] - [ भीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः कम्मं वेदेति ?, गोयमा ! तेसिणं जीवाणं णो एवं तका इ वा सराणा इ वा पराणा इ वा मणे इ वा वइ ति वा-अम्हे णं कंखामोहणिज्ज कम्मं वेएमो, वेएंति पुण ते 2 / से गुणं भन्ते ! तमेव सच्चं नीसंके जं जिणेहिं पवेइयं, सेसं तं चेव, जाव पुरिसकारपरिकमेइ वा 3 / एवं जाव चरिंदियाणं पंचिदियतिरिक्खजोणिया जाव वेमाणिया जहा श्रोहिया जीवा 4 // सू० 36 // अत्थि णं भन्ते ! समणावि निग्गंथा कंखामोहणिज्ज कम्मं वेरइ ?, हंता अत्थि, कहन्नं भन्ते ! समणा निग्गंथा कंखामोहणिज्ज कम्मं वेएइ ?, गोयमा ! तेहिं 2 नाणंतरेहि दंसणंतरेहिं चरितंतरेहि लिंगंतरेहिं पवयणंतरेहिं पावयणंतरेहिं कप्पंतरेहिं मग्गंतरेहिं मतंतरेहिं भगतरेहिं णयंतरेहि नियमंतरेहिं पमाणंतरेहिं संकिया कंखिया वितिगिच्छिया भेयसमावन्ना कलुससमावन्ना, एवं खलु समणा निग्गंथा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेइंति, से नृणं भन्ते ! तमेव सच्चं नीसंके जं जिणेहिं पवेइयं, हंता गोयमा : तमेव सच्चं नीसंक, जाव पुरिसकारपरकमेइ वा सेवं भन्ते ? सेवं भन्ते ! // सू० 37 // पढमसए ततियो॥ // इति प्रथमशतके तृतीय उद्देशकः // 1-3 // // अथ प्रथमशतके प्रकृतिनामक-चतुर्थोद्देशकः // कति णं भन्ते ! कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, कम्मप्पगडीए पढमो उद्देसो नेयम्यो जाव अणुभागो सम्मत्तो / गाहा-कइ पयडी कह बंधइ कइहि व गणेहि बंधई पयडी / कइ वेदेइ य पयडी अणुभागो कइविहो कस्स ? // 1 // सू० 38 // जीवे णं भन्ते ! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उदिन्नेणं उवट्ठाएजा ? हंता उवट्टाएजा 1 / से भन्ते ! कि वीरियत्ताए उवट्टाएजा अवीरियत्ताए उवट्ठाएजा ? गोयमा ! वीरियत्ताए उवट्ठाएजा नो अवीरियत्ताए उवट्ठा Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) स्त्र : शतकं 1 . उ०४] [21 एजा, जइ वीरियत्ताए उवट्टाएजा किं बालवीरियत्ताए उवट्ठाएजा पंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएजा बालपंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएजा ?, गोयमा ! बालवीरियत्ताए उवट्ठाएजा णो पंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएजा णो बालपंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएजा 2 / जीवे णं भन्ते! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उदिन्नेणं अवकमेजा ? हंता अवकमेजा, से भन्ते ! जाव बालपंडियवीरियत्ताए अवकमेजा (3) ?, गोयमा ! बालवीरियत्ताए अवकमेजा नो पंडियवीरियत्ताए अवकमेजा, सिय बालपंडियवीरियत्ताए अवकमेजा। जहा उदिन्नेणं दो पालावगा तहा उवसंतेणवि दो पालावगा भाणियव्वा, नवरं उवट्ठाएजा पंडियवीरियत्ताए श्रवक्कमेजा बालपंडियवीरियताए 3 / से भन्ते ! कि आयाए अवकमइ अणायाए श्रवक्कमइ ? गोयमा! थायाए अवकमइ णो अणायाए अवकमइ, मोहणिज्ज कम्म वेएमाणे से कहमेयं भन्ते ! एवं ? गोयमा ! पुदि से एयं एवं रोयइ झ्याणिं से एयं एवं नो रोयइ एवं खलु एतं एवं 4 // सू० 31 // से नूणं भन्ते ! नेरझ्यस्स वा तिरिक्खजोणियस्स वा मणूसस्स वा देवस्स वाजे कडे कम्मे नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो ?, हंता गोयमा ! नेरइयस्स वा तिरिक्खजोणियस्स वा मणुसस्स वा देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे नत्थि तस्स अवेइत्ता मोक्खो 1 / से केण?णं भन्ते ! एवं वुचति-नेरइयस्स वा जाव मोक्खो ? एवं खलु मए गोयमा ! दुविहे कम्मे पराणत्ते, तंजहापएसकम्मे य अणुभागकम्मे य, तत्थ णं जं तं पएसकम्मं तं नियमा वेएइ, तत्थ णं जंतं अणुभागकम्मं तं अत्थेगइयं वेएइ अत्थेगइयं नो वेएइ 2 | णायमेयं अरहया सुयमेयं अरहया विनायमेयं अरहया इमं कम्मं अयं जीवे अझोरगमियाए वेयणाए वेदिस्सइ इमं कम्मं अयं जीवे उवकमियाए वेदणाए वेदिस्सइ, हाकम्मं ग्रहानिकरणं जहा जहा तं भगवया दिटुंतहा तहा तं विष्परिणमिस्सतीति, से तेणढेणं गोयमा ! नेरइयस्स वा 4 जाव मोक्खो 3 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22) ["श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः ॥सू० 40 // एस णं भन्ते ! पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्यं सिया ?, हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले अतीतमणतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया 1 / एस णं भन्ते ! पोग्गले पडुप्पन्नसासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! तं चेव उचारेयव्वं 2 / एस णं भन्ते ! पोग्गले अणागयमणंतं सासयं समयं भविस्सतीति' वत्तव्वं सिया ?, हन्ता गोयमा ! तं चेव उच्चारेयव्वं 3 / एवं खंधेणवि तिन्नि बालावगा, एवं जीवेणवि तिन्नि बालावगा भाणियव्याशा सू० 41 // छउमत्थे णं भन्ते ! मणुसे अतीतम तं सासयं समयं भुवीति केवलेणं संजमेणं केवलेणं संवरेणं केवलेणं बंभवेरवासेणं केवलाहिं पवयणमाईहिं सिज्मिसु बुझिसु जाव सव्वदुक्खाणामंतं करिंसु ? गोयमा ! नो इण? समढे 1 / से केण?णं भन्ते ! एवं वुचइ-तं चेव जाव अंतं करेंसु ? गोयमा ! जे कइ अंतकरा या अंतिमसरीरिया वा सम्बदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा सव्वे ते उप्पननाणदंसणधरा अरहा जिणे केवली भवित्ता तयो पच्छा सिझति बुझति मुच्चंति परिनिब्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा, से तेण?णं गोयमा ! जाव सव्वदुक्खामामंतं करेंसु(३), पडुप्मन्नेवि एवं चेव नवरं सिझति भाणियव्वं, अणागएवि एवं चेव, नवरं सिज्झिस्संति भाणियवं, जहा छउमत्थो तहा पाहोहियोवि तहा परमाहोहिमोवि (परमोहियोऽवि) तिन्नि तिन्नि बालावगा भाणियव्वा 2 / केवली णं भन्ते ! मणूसे तीतमणंतं सासयं समयं जाव अंतं करेंसु ? हंता सिमिसु जाव अंतं करेंसु, एते तिन्नि बालावगा भाणियब्बा छउमत्थस्स जहा नवरं सिभिलु सिझति सिज्झिस्संति 3 / से गुणं भन्ते ! तीतमणंतं सासयं समयं पडुप्पन्नं वा सासयं समयं श्रणागयमणंतं वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा, सव्वे ते उप्पन्ननाणदंसणधरा परहा जिणे केवली भवित्ता Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 1 . उ. 5 ] [23 तश्रो पच्छा सिझति जाव अंतं करेस्संति वा ? हता गोयमा / तीतमणतं सासयं समयं जाव अंतं करेस्संति वा 4 / से नूणं भन्ते ! उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवलि अलमत्थुत्ति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! उप्पन्ननाणदसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थुत्ति वत्तव्वं सिया। सेवं भन्ते ! सेवं भन्ते ! त्ति 5 // सू० 42 // चउत्यो उद्देसो समत्तो॥ // इति प्रथमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 1-4 // // अथ प्रथमशतके पृथिवीनामक-पञ्चमोद्देशकः // कति णं भन्ते ! पुढवीश्रो पन्नत्तायो ?, गोयमा! सत्त पुढवीयो पन्नत्तायो, तंजहा-रयणप्पभा जाव तमतमा 1 / इमीसे णं भन्ते ! रयणप्पभाए पुढवीए कति निरयावाससयसहस्सा पत्नत्ता ?, गोयमा ! तीसं निर. यावास-सयसहस्सा पन्नत्ता, गाहा-तीसा य पन्नवीसा पनरस दसेव या सयसहस्सा / तिन्नेगं पंचूणं पंचेव अणुत्तरा निरया // 1 // 2 / केवइया णं भन्ते ! असुरकुमारावाससयसहस्सा पन्नत्ता ?, एवं-चउसट्ठी असुराणं चउरासीई य होइ नागाणं / बावत्तरि सुवन्नाण वाउकुमाराण छन्नई // 1 // दीवदिसाउदहीणं विज्जुकुमारिंदाणयमग्गीणं / छराहंपि जुयलयाणं छावत्तरिमो सयसहस्सा // 2 // केवड्या णं भन्ते ! पुढविकाइयावाससयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पराणत्ता, गोयमा ! जाव असंखिजा जोतिसियविमाणावाससयसहस्सा पराणत्ता 3 / सोहम्मे णं भन्ते ! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पराणत्ता, एवं-बत्तीसट्ठावीसा बारस अट्ट चउरो सयसहस्सा / पन्ना चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे // 1 // श्राणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिन्नि / सत्त विमाणसयाइं चउसुवि एएसु कप्पेसु // 2 // एकारसुत्तरं हेट्ठिमेसु Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः सत्तुत्तरं सयं च मभिमए। सयमेगं उवरिमए पंचेव अणुत्तरविमाणा ॥३॥सू० 43 // पुढवि द्विति योगाहण-सरीर-संघयणमेव संठाणे / लेस्सा दिट्ठी णाणे जोगुव श्रोगे य दस ठाणा // 1 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ठितिठाणा परणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा वितिठाणा पगणत्ता, तंजहा-जहनिया ठिती समयाहिया जहनिया ठिई दुसम्याहिया जहनिया द्विती जाव असंखेजसमयाहिया जहनिया ठिई तप्पाउग्गुकोसिया ठिती 1 / इमीसे णं भन्ते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगसि निरयावासंसि जहनियाए ठितीए वट्टमाणा नेरझ्या कि कोहोवउत्ता माणोवउत्ता. मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?, गोयमा ! सब्वेवि ताव होजा कोहोवउत्ता 1, ग्रहवा. कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य 2, अहवा कोहोवउत्ता य माणोउवत्ता य 3, अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ते य 4, अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ता य 5, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ते य 6, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ता य 7, 2 / अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य 1, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ता य 2, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायोवउत्ते य 3, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायाउवउत्ता य 4 एवं कोहमाणलोभेणवि चउ 4, एवं कोहमायालोभेणवि चउ 4 एवं 12, पच्छा माणेण मायाए लोभेण य कोहो भइयब्बो, ते कोहं अमुचता 8, एवं सत्तावीसं भंगा णयव्वा 3 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि समयाहियाए जहन्नहितीए वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?, गोयमा ! कोहोवउत्ते य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य लोभोवउत्ते य, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमाख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) एवं // शतक 1.7.5] य मायोवउत्ता य लोभोवउत्ता य, अहवा कोहोवउत्ते य माणोवउतें य, अहवा कोहोवउत्ते य माणोवउत्ता य एवं असीति भंगा नेयव्वा, एवं जाव संखिजसमयाहिया ठिई असंखेजसमयाहियाए ठिईए तप्पाउग्गुकोसियाए ठिईए सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा 4 // सू० 44 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया श्रोगाहणाठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा श्रोगाहणाठाणा पन्नत्ता, तंजहाजहन्निया योगाहणा, पदेसाहिया जहन्निया योगाहणा, दुप्पएसाहिया जहनिया श्रोगाहणा, जाव असंखिजपएसाहिया जहनिया भोगाहणा, तप्पाउग्गुकोसिया भोगाहणा 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि जहनियाए योगाहणाए वट्टमाणा नेरइया कि कोहोवउत्ता ?, असीइभंगा भाणियव्वा जाव संखिजपएसाहिया जहन्निया योगाहणा, असंखेजपएसाहियाए जहनियाए योगाहणाए वट्टमाणाणं तत्पाउग्गुक्कोसियाए श्रोगाहणाए वट्टमाणाणं नेरइयाणं दोसुवि सत्तावीसं भंगा 2 / इसीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं कइ सरीरया पराणता ?, गोयमा ! तिनि सरीरया पराणत्ता, तंजहा-वेउब्विए तेयए कम्मए 3 / इमीसे णं भंते / जाव वेउब्वियसरीरे वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता ? सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा, एएणं गमएणं तिन्नि सरीरा भाणियव्वा 4 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढविए जाव नेरइयाणं सरीरया किंसंघणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! छराहं संघयणाणं असंघयणी, नेवट्ठी नेव हिरा नेव राहारूणि जे पोग्गला अणिट्ठा अर्कता अप्पिया असुहा अमणुन्ना श्रमणामा, एतेसिं सरीरसंघायत्ताए परिणमंति 5 / इमीसे णं भंते ! जाव छराहं संघयणाणं असंघयणे वट्टमाणाणं नेरइया Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26 ] [ श्रीमदगिमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः किं कोहोवउत्ता ? सत्तावीसं भंगा . 6 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभा जाव सरीरिया किंसंठिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरविउब्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिजा ते हुंडसंठिया पराणत्ता, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउब्बिया तेवि हुंडसंठिया पराणत्ता / इमीसे णं जाव हुंडसंठाणे वट्टमाणा नेइरया किं कोहोवउत्ता ? सत्तावीसं भंगा 7 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयाणं कति लेस्सायो पन्नत्ता ?, गोयमा ! एगा काउलेस्सा पराणत्ता / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव काउलेस्साए वट्टमाणा सत्तावीसं भंगा 8 ॥सू० 45 // इमीसे णं जाव किं सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, तिन्निवि 1 / इमीसे णं जाव सम्मदसणे वट्टमाणा नेरइया सत्तावीसं भंगा, एवं मिच्छादसणेवि, सम्मामिच्छदंसणे असीति, भंगा 2 / इमीसे णं भंते ! जाव किं नाणी अन्नाणी, गोयमा ! णाणीवि अन्नाणीवि, तिनि नाणाई नियमा, तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 3 / इमीसे णं भंते ! जाव श्राभिणिबोहियनाणे वट्टमाणा जाव सत्तावीसं भंगा, एवं तिन्नि नाणाई तिनि अन्नाणाई भाणियव्वाइं 4 / इमीसे णं जाव किं मणजोगी वइजोगी कायजोगी,? तिन्निवि। इमीसे णं जाव मणजोए वट्टमाणा कोहोवउत्ता ?, जाव सत्तावीसं भंगा / एवं वइजोए एवं कायजोए 5 / इमीसे णं जाव नेरइया किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?, गोयमा ! सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि / इमीसे णं जाव सागारोवोगे वट्टमाणा किं कोहोवउत्ता ?, जाव सत्तावीसं भंगा 6 / एवं अणागारोवउत्तावि सत्तावीसं भंगा 7 / एवं सत्तवि पुढवित्रो नेयवायो, णाणतं लेसासु गाहा-काऊ य दोसु तइयाए मीसिया नीलिया चउत्थीए। पंचमियाए मीसा कराहा तत्तो परमकराहा // 1 // सू० 46 // चउसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमाराणं केवइया ठिाणा. पराणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा ठितिठाणा पराणत्ता, तंजहा-जहनिया ठिई जहा Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं ? : उ० 5 ] नेरइया तहा, नवरं पडिलोमा भंगा भाणियब्वा-सव्वेवि ताव होज लोभोवउत्ता, अहवा लोभोवउत्ता य मायोवउत्ते य, अहवा लोभोवउत्ता य मायोवउत्ता य, एएणं गमेणं नेयव्वं जाव थणियकुमाराणं, नवरं णाणतं जाणियव्वं // सू० 47 // असंखेज्जेसु णं भंते ! पुढविकाइयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयाणां केवतिया ठितिठाणा पराणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा ठितिठाणा पराणन्ना, तंजहा-जहनिया ठिई जाव तप्पाउग्गुकोसिया ठिई 1 / असंखेज्जेसु णं भंते ! पुढविकाइयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविकाइयावासंसि जहनियाए ठितीए वट्टमाणा पुढविकाइया किं कोहोवउत्ता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?, गोयमा ! कोहोवउत्तावि माणोवउत्तावि मायोवउत्तावि लोभोवउत्तावि, एवं पुढविक्काइयाणं सव्वेसुवि ठाणेसु अभंगयं, नवरं तेउलेस्साए असीति भंगा, एवं थाउकाझ्यावि, तेउकाइय-वाउकाइयाणं सव्वेसुवि ठाणेसु अभंगयं 2 / वणस्सइकाइया जहा पुढविक्काइया 3 // सू० 48 // बेइंदियतेइंदियचउंरिंदियाणं जेहिं ठाणेहि नेरतियाणं असीइभंगा तेहिं ठाणेहिं असीई चेव, नवरं अभहिया सम्मत्ते ग्राभिणिबोहियनाणे सुयनाणे य, एएहिं असीइभंगा, जेहिं ठाणेहिं नेरतियाणं सत्तावीसं भंगा तेसु ठाणेसु सम्बेसु अभंगयं 1 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं जेहिं सत्तावीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्वं जत्थ असीति तत्थ ग्रासीति चेव 2 / मणुस्साणवि जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं असीतिभंगा तेहिं गणेहिं मणुस्साणवि असीतिभंगा भाणियब्वा, जेसु ठाणेस सत्तावीसा तेसु अभंगयं, नवरं मणुस्साणं अभहियं जहन्निया ठिई थाहारए य असीति भंगा 3 / वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया जहा भवणवासी नवरं णाणत्तं जाणियव्वं जं जस्स, जाव अणुत्तरा, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति 4 // सू० 41 // पंचमो उद्दसो सम्मत्तो // // इति प्रथमशतके पञ्चम उद्देशकः // 1-5 // Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुना द्वितीयो विमागा // अथ प्रथमशतके जावंवेतिनामक-षष्ठोद्देशकः // जावइयायो य णं भंते ! उवासंतरायो उदयंते सूरिए चक्खुप्फासं हबमागच्छति अत्थमंतेवि य णं सूरिए तावतियायो चेव उवासंतरात्रो चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति ?, हंता ! गोयमा ! जावइयायो णं उवासंतरायो उदयंते सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति अस्थमंतेवि सूरिए जाव हबमागच्छति 1 / जावइयाणं भंते ! खित्तं उदयंते सूरिए बातावेणं सवयो समंता योभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ, अत्थमंतेवि य णं सूरिए तावइयं चेव खित्तं पायावेणं सव्वश्रो समंता योभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ ?, हंता गोयमा ! जावतियराणं खेत्तं जाव पभासेइ 2 / तं भंते ! कि पुटुं श्रोभासेइ अपुढे श्रोभासेइ ?, जाव छहिसिं श्रोभासेति, एवं उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ जाव नियमा छद्दिसिं 3 / से नूणं भंते ! सव्वंति सव्वावंति फुसमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतियं फुसमाणे पुट्ठति वत्तव्वं सिया ?, हंता ! गोयमा ! सव्वंति जाव वत्तव्वं सिया 4 / तं भंते ! किं पुटुं फुसइ अपुटुं फुसइ ? जाव नियमा छदिसिं 5 / // सू० 50 // लोयंते भंते ! अलोयंतं फुसइ अलोयंतेवि. लोयंतं फुसइ ?, हंता गोयमा ! लोयंते अलोयंतं फुसइ अलोयंतेवि लोयंत फुसइ 3, 1 / तं भंते ! किं पुढे फुसइ अपुट्ट फुसइ ? जाव नियमा छदिसि फुसइ 2 / दीवंते भंते ! सागरंतं फुसइ सागरतेवि दीवंतं फुसइ ?, हंता जाव नियमा छदिसि फुसइ, एवं एएणं अभिलावेणं उदयंते पोयतं फुसइ छिइते दूसंतं छायंते श्रायवंतं जाव नियमा छदिसि फुसइ 3 // सू० 51 // अस्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कन्जइ ?, हंता अस्थि 1 / सा भंते ! किं पुट्ठा कजइ अपुट्ठा कजइ ?, जाव निवाघाएणं छदिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसिं 2 / सा भंते ! किं कडा कजइ अकडा कज्जइ ?, गोयमा ! कडा कजइ नो अकडा Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं ? :: उ० 6 ] [ 26 कजइ 3 / सा भंते ! किं अत्तकडा कजइ परकडा कजइ तदुभयकडा कजइ ?, गोयमा ! अत्तकडा कज्जइ यो परकडा कज्जइ णो तदुभयकडा कज्जइ 4 / सा भंते ! किं आणुपुब्बिं कडा कजइ अणाणुपुब्धि कडा कज्जइ ?, गोयमा ! आणुपुचि कडा कज्जइ नो अणाणुपुब्धि कडा कजइ, जा य कडा जा य कन्जइ जा य कजिस्सइ सव्वा सा थाणुपुब्धि कडा नो श्रणाणुपुब्धि कडत्ति वत्तव्वं सिया 5 / अस्थि णं भंते ! नेरइयाणं पाणाइवायकिरिया कजइ ?, हंता अस्थि 6 / सा भंते ! किं पुट्ठा कजइ अपुट्ठा कन्जइ ? जाव नियमा छदिसि कज्जइ, सा भंते ! किं कडा कजइ अकडा कन्जइ ?, तं चेव जाव नो अणाणुपुब् िकत्ति वत्तव्वं सिया, जहा नेरइया तहा एगिदियवजा भाणियव्वा, जाव वेमाणिया, एगिदिया जहा जीवा तहा भाणियब्वा, जहा पाणाइवाए तहा मुसावाए तहा श्रदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे कोहे जाव मिच्छादंसणसल्ले, एवं एए अट्ठारस, चउवीसं दंडगा भाणियव्वा 7 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति भगवं गोयमे समणं भगवं जाव विहरति 8 // सू० 52 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतेवासी रोहे नामं अणगारे पगइभद्दए पगइमउए पगइविणीए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोमे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे भद्दए विणीए समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अदूरसामंते उडजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ, तए णं से रोहे नामं अणगारे जायसड्ढे जाव पज्जुवासमाणे एवं वदासी-पुयि भंते ! लोए पच्छा अलोए पुवि अलोए पच्छा लोए ?, रोहा ! लोए य अलोए य पुविपेते पच्छापेते दोवि एए सासया भावा, अणाणुपुब्बी एसा रोहा ! 1 / पुब्बिं भंते ! जीवा पच्छा अजीवा पुचि अजीवा पच्छा जीवा ?, जहेव लोए य अलोए य तहेव जीवा य अजीवा य, एवं भवसिद्धीया य अभवसिद्धीया य सिद्धी प्रसिद्धी सिद्धा असिद्धा, Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः पुब्धि भंते ! अंडए पच्छा कुक्कुडी पुब्बि कुक्कुडी पच्छा अंडए ?, रोहा ! से णं अंडए को ?, भयवं ! कुक्कुडीयो, सा णं कुनकुडी कयो ?, भंते ! अंडयायो, एषामेव रोहा ! से य अंडए मा य कुक्कुडी, पुदिपेते पच्छापेते दुवेते सासया भावा, अणाणुपुब्बी एसा रोहा ! 2 / पुब्बि भंते ! लोयंते पच्छा अलोयंते पुव्वं अलोयंते पच्छा लोयंते, रोहा ! लोयते य अलोयंते य जाव अणाणुपुब्वी एसा रोहा ! 3 / पुब्बि भंते ! लोयंते पच्छा सत्तमे उवासंतारे पुच्छा, रोहा ! लोयंते य सत्तमे उवासंतरे पुविपि दोवि एते जाव अणाणुपुब्बी एसा रोहा ! 4 / एवं लोयंते य सत्तमे य तणुवाए, एवं घणवाए घणोदहि सत्तमा पुढवी, एवं लोयंते एक्केकेणं संजोएयव्वे इमेहिं ठाणेहि-तंजहा-बोगसवाय-घणउदहि पुढवी दीवा य सागरा वासा / नेरइयाई अस्थिय समया कम्माइं लेस्सायो // 1 // दिट्ठी दंसण णाणा सन्न सरीरा य जोग उवयोगे। दवपएसा पजव श्रद्धा कि पुब्बि लोयंते ? // 2 // पुबि भंते / लोयंते. पच्छा सब्बद्धा ? 5 / जहा लोयंतेणं संजोइया सव्वे ठाणा एते एवं अलोयंतेणवि संजोएयव्वा सव्वे 6 / पुनि भंते ! सत्तमे उवासंतरे पच्छा सत्तमे तणुवाए ?, एवं सत्तमं उवासंतरं सव्वेहिं समं संजोएयव्वं जाव सव्वद्धाए 7 / पुब्बिं भंते : सत्तमे तणुवाए पच्छा सत्तमे घणवाए, ऐयंपि तहेव नेयध्वं जाव सव्वद्धा, एवं उवरिल्लं एक्केक्कं संजोयंतेणं जो जो हिट्ठिलो तं तं छड्डतेणं नेयव्वं जाव अतीयश्रणागयद्धा पच्छा सव्वद्धा जाव अणाणुपुब्बी एमा रोहा ! सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति ! जाव विहरइ 8 // सू० 53 // भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं जाव एवं वयासी-कतिविहा णं भंते ! लोयट्टिती पराणत्ता ?, गोयमा ! अट्ठविहा लोट्टिती पराणत्ता, तंजहा-अागासपइट्ठिए वाए 1 वायपइट्ठिए उदही 2 उदहीपइट्ठिया पुढवी 3 पुढविपइट्ठिया तसा थावरा पाणा 4 अजीवा जीवपइट्ठिया 5 जीवा Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं ? :: उ०६] [31 कम्मपइट्ठिया 6 अजीवा जीवसंगहिया 7 जीवा कम्मसंगहिया 8, 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?-अट्टविहा जाव जीवा कम्मसंगहिया ?, गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ वत्थिमाडोवित्ता उप्पि सितं बंधइ 2 मज्झेणं गंठिं बंधइ 2 उवरिल्लं गंठिं मुयइ 2 उवरिल्लं देसं वामेइ 2 उवरिल्लं देसं वामेना उवरिल्लं देसं पाउयायस्स पूरेइ 2 उप्पिसि तं. बंधइ 2 मझिल्लं गंठि मुयइ 2 / से नूणं गोयमा ! से श्राउयाए तस्स वाउयायस्स उप्पिं उपरितले चिट्ठइ ?, हंता चिट्ठइ, से तेण?णं जाव जीवा कम्मसंगहिया, से जहा वा केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ 2 कडीए बंधइ 2 अत्थाहमता(पा)रमपोरसियंसि उदगंसि भोगाहेजा, से नूणं गोयमा ! से पुरिसे तस्स पाउयायस्स उवरिमतले चिट्ठइ ?, हंता चिटइ, एवं वा अट्टविहा लोयट्टिई पराणत्ता जाव जीवा कम्मसंगहिया 3 // सू० 54 // अस्थि णं भंते ! जीवा य पोग्गला य अन्नमन्न-बद्धा अन्नमन्न-पुटा अन्नमन-मोगाढा अन्नमन्न-सिणेह-पडिबद्धा अन्नमनघडताए चिट्ठति ?, हता! अस्थि 1 / से केण?णं भंते ! जाव चिट्ठांति ?, गोयमा ! से जहानामए-हरदे सिया पुराणे पुराणाप्पमाणे वोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरघडताए चिट्टइ, अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरदंसि एगं महं नावं सयासवं सयछिड्डयोगाहेजा, से नूणं गोयमा ! सा णावा तेहिं पासवदारेहिं यापूरमाणी 2 पुराणा पुराणप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठइ ?, हंता चिट्टइ, से तेणढेणं गोयमा ! अस्थि णं जीवा य जाव चिट्ठति 2 // सू० 55 // अस्थि णं भंते ! सया समियं सुहुमे सिणेहकाये पवडइ ! हंता अस्थि / से भंते ! किं उड्डे पवडइ अहे पवडइ तिरिए पवडइ ?, गोयमा ! उड्ढोवि पवडइ अहे पवडइ तिरिएवि पवडइ, जहा से बादरे ग्राउयाए अन्नमन्नसमाउत्ते चिरंपि दीहकालं चिट्ठइ तहा णं सेवि !, नो इण? सम?, से णं खिप्पामेव Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [श्रीमदाममतुषासिन्धुः। द्वितीयो विभागः विद्धंसमागच्छइ / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति // सू० 56 // छट्ठो उद्देसो समत्तो॥ ___ // इति प्रथमशतके षष्ठ उद्देशकः // 1-6 // // अथ प्रथमशतके-सप्तमोद्देशकः // नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववजमाणे किं देसेणं देसं उववजइ देसेणं सव्वं उववज्जइ सव्वेणं देसं उववजइ सव्वेणं सव् उववजइ ?, गोयमा ! नो देसेणं देसं उववजह नो देसेणं सव्वं उववजइ. नो सव्वेणं देसं उववजइ सव्वेणं सव्वं उववजइ, जहा नेरइए एवं जाव वेमाणिए १॥सू० ५णा नेरइए णं भंते ! नेरइएसुउववजमाणे किं देसेणं देसं पाहारेइ 1 देसेणं सव्वं श्राहारेइ 2 सव्वेणं देसं पाहारेइ 3 सव्वेणं सव्वं श्राहारेइ ! 4, गोयमा ! नो देसेणं देसं पाहारेइ नो देसेणं सव्वं श्राहारेइ सव्वेण वा देसं थाहारेइ सब्वेण वा सव्वं श्राहारेइ, एवं जाव वेमाणिए 2, 1 / नेरइएणं भंते ! नेरइएहितो उब्वट्टमाणे किं देसेणं देसं उववट्टइ ? जहा उववजमाणे तहेव उववट्टमाणेऽवि दंडगो भाणियब्यो 3, 2 / नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उववट्टमाणे किं देसेणं देसं पाहारेइ तहेव जाव सब्वेण वा देसं पाहारेइ ? सव्वेण वा सव् श्राहारेइ 1, एवं जाव वेमाणिए 4, 3 / नेरइएणं भंते ! नेरइएसु उववन्ने किं देसेणं देसं उववन्ने, एसोऽवि तहेव जाव सव्वेणं सव्वं उववन्ने ?, जहा उववजमाणे उववट्टमाणे य चत्तारि दंडगा तहा उववन्नेणं उव्वदृणवि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा, सव्वेणं सव्वं उववन्ने सव्वेण वा देसं पाहारेइ सव्वेण वा सव्वं श्राहारेइ, एएणं श्रभिलावणं उववन्नेवि उध्वट्टणेवि नेयव्वं 8, 4 / नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववजमाणे किं अद्धणं श्रद्धं उबवजइ ? 1 श्रद्धेणं सव्वं उवक्जइ ? 2 सव्वेणं श्रद्धं उववजइ ? 3 सवेणं सव्वं उववजइ ? 4, जहा पढमिल्लेणं Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (भीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं. 1 : उ० 7 ] [33. अट्ठदंडगा तहा श्रद्धेणवि अट्ठ दंडगा भाणियव्वा, नवरं जहिं देसेणं देसं उववज्जइ तहिं श्रद्धेणं अद्धं उववजइ इति भाणियव्वं, एयं णाणत्तं एते सव्वेवि सोलसदंडगा भाणियव्वा 5 // सू० 58 // जीवे णं भंते ! किं विग्गहगतिसमावन्नए अविग्गहगतिसमावन्नए ?, गोयमा सिय विग्गहगइसमावन्नए सिय अविग्गहगतिसमावन्नगे, एवं जाव वेमाणिए 1 / जीवा णं भंते ! कि विग्गहगइ-समावन्नया अविग्गहगइ-समावन्नगा ?, गोयमा ! विग्गहगइसमावन्नगावि अविग्गहगइसमावन्नगावि 2 / नेरझ्या णं भंते ! किं विग्गहगतिसमावन्नया अविग्गहगतिसमावन्नगा ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा अविग्गहगतिसमावन्नगा 1 अहवा अविग्गहगतिसमावन्नगा य विग्गहगतिसमावन्ने य 2 अहवा अविग्गहगतिसमावनगा य विग्गहगइसमावनगा य 3, एवं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो 3 // सू० 51 // देवे णं भंते ! महिड्डिए महज्जुईए महब्बले महायसे महासुक्खे महाणुभावे अविउक्कंतियं (चयं) चयमाणे किंचिवि कालं हिरिवत्तियं दुगुछावत्तियं परिसबत्तियं श्राहारं नो याहारेइ, अहे णं अाहारेइ, पाहारिजमाणे श्राहारिए परिणामिन्जमाणे परिणामिए पहीणे य ग्राउए भवइ जत्थ उववज्जइ तमाउयं पडिसंवेएइ, तंजहा-तिरिवखजोणियाउयं वा मणुस्साउयं वा ?, हंता गोयमा ! देवे णं महिड्डीए जाव मणुस्साउयं वा // सू० 60 // जीवे णं भंते गभं वकमाणे कि सईदिए वक्कमइ अणिदिय वक्कमइ ?, गोयमा ! सिय सइंदिए वक्कमइ सिय अणिदिए वक्कमइ, से केणढणं ?, गोयमा ! दविदियाई पडुच्च अणिदिए वक्कमइ, भाविंदियाई पडुच्च सइंदिए वक्कमइ, से तेण?णं. 1 / जीवे णं भंते ! गभं वकममाणे किं ससरीरी वकमइ असरीरी वक्कमइ ?, गोयमा। सिय ससरीरी वकमइ सिय असरीरी वकमइ, से केणटेणं ?, गोयमा ! पोरालिय-वेउब्विय-याहारयाई पडुच्च असरीरी वक्कमइ तेयाकम्माइं पडुच्च ससरीरी वक्कमइ, से तेण?णं गोयमा !0 2 / Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गभगए बाहिमिंज-केसमंसुरोपाइ त सोइंदियत्ताणं 34 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः जीवे णं भंते ! गम्भं वकममाणे तप्पढमयाए किमाहारमाहारेइ ?, गोयमा ! माउगोयं पिउसुक्कं तं तदुभयसंसिर्ल्ड कलुसं किविसं तप्पढमयाए थाहारमाहारेइ 3 / जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे किमाहारमाहारेइ ?, गोयमा ! जं से माया नाणाविहायो रसविगईयो थाहारमाहारेइ तदेकदेसेणं योयमाहारेइ 4 / जीवस्स णं भंते ! गभगयस्स समागास्स अस्थि उच्चारेइ वा पासवणेइ वा खेलेइ वा सिंघाणेइ वा वंतेइ वा पित्तेइ वा ?, णो इण? सम?, से केण?णं ?, गोयमा ! जीवे णं गभगए समाणे जमाहारेइ तं विणाइ तं सोइंदियत्ताए जाव फासिंदियत्ताए अट्ठि-अट्टिमिंज-केसमंसु-रोमनहत्ताए, से तेण?णं 0 5 / जीवे णं भंते ! गभगए समाणे पभू मुहेणं कावलियं श्राहारं पाहारित्तए ?, गोयमा ! णो इण? सम8, से केण?णं ?, गोयमा ! जीवे णं गभगए समाणे सव्वो थाहारेइ सव्वश्रो परिणामेइ सव्वयो उस्ससइ सव्वश्रो निस्तसइ अभिक्खणं थाहारेइ अभिक्खणं परिणामेइ अभिक्खणं ऊस्ससइ अभिक्खणं निस्ससइ अाहच्च श्राहारेइ थाहच्च परिणामेइ ग्राहच उस्ससइ थाहच्च नीससइ 6 / माउजीवरसहरणी पुत्तजीवरसहरणी माउजीवपडिबद्धा पुत्तजीवं फुडा तम्हा आहारेइ तम्हा परिणामेइ, अवरावि य णं पुत्तजीवपडिबद्धा माउजीवफुडा तम्हा चिणाइ तम्हा उवचिणाइ से तेण?णं. जाव नो पभू मुहेणं कावलियं याहारं पाहारित्तए 7 / कइ णं भंते ! माइग्रंगा पराणत्ता ?, गोयमा! तयो माइयंगा पराणत्ता, तंजहा-मंसे सोणिए मत्थुलुंगे 8 / कइ णं भंते ! पिइयंगा पराणत्ता ?, गोयमा ! तयो पिइयंगा पण्णत्ता, तंजहा-अट्ठि अट्ठिमिंजा केसमंसुरोमनहे 1 / अम्मापिइए णं भंते ! सरीरए केवइयं कालं संचिट्ठइ ?, गोरमा ! जावइयं से कालं भवधारणिज्जे सरीरए अव्वावन्ने भवइ एवतियं कालं संचिट्टइ, अहे णं समए समए वोकसिन्जमाणे 2 चरमकालसमयंसि Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं / शतकं 1 :: उ०७] [35 वोच्छिन्ने भवइ 10 // सू० 61 // जीवे णं भंते ! गभगए समाणे नेरइएसु उववज्जेजा?, गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेजा अत्थेगइए नो उववज्जेजा, से केण?णं ?, गोयमा ! से णं सन्नी पंचिंदिए सव्वाहिं पजत्तीहिं पज्जत्तए वीरियलद्धीए वेउब्बियलडीए पराणीएणं आगयं सोचा निसम्म पएसे निच्छुभइ 2 वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ 2 चाउरंगिणिं सेन्नं विउध्वइ चाउरंगिणीसेन्नं विउव्वेत्ता चाउरंगिणीए सेणाए पराणीएणं सद्धि संगाम संगामेइ, से णं जीवे अत्थकामए रजकामए भोगकामए कामकामए अत्थकंखिए रजकंखिए भोगकंखिए कामकंखिए अत्थपिवासिए रजपिवासिए भोगपिवासिए कामपिवासिए तचित्ते तम्मणे तल्लेसे तदझवसिए तत्तिव्वझवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तब्भावणाभाविए एयंसि णं अंतरंसि कालं करेज नेरइएसु उववज्जइ, से तेणटेणं गोयमा ! जाव अत्थेगइए उववज्जेज्जा अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा 1 / जीवे णं भंते ! गभगए समाणे देवलोगेसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेजा अत्थेगइए नो उववज्जेजा, से केणटेणं ?, गोयमा ! से णं सन्नी पंचिदिए सव्वाहिं पजत्तीहिं पजत्तए तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि अायारियं धम्मियं सुवयणं सोचा निसम्म तयो भवइ संवेगजायसड्ढे तिव्वधम्माणुरागरते, से णं जीवे धम्मकामए पुराणकामए सग्गकामए मोक्खकामए धम्मकंखिए पुराणकंखिए सग्गकंखिए मोक्खकंखिए धम्मपिवासिए पुराणसग्गमोदखपिवासिए तचित्ते तम्मणे तल्लेसे तदभवसिप तत्तिव्वज्झवसाणे तदट्टोवउत्ते तदप्पियकरणे तव्भावणाभाविए एयंसि णं अंतरंसि कालं करेज देवलोएसु उववजति, से तेणटेणं गोयमा !0 2 / जीवे णं भंते ! गभगए समाणे उत्ताणए वा पासिल्लए वा अंबखुजए वा अच्छेज वा चिटेज वा निसीएज वा तुयटेज वा माऊए सुयमाणीए सुवइ जागरमाणीए जागरइ सुहियाए सुहिए भाइ दुहियाए दुहिए भवइ ?, हंता Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिरियमागच्छ निहत्ताई कडाई पट्टावा वे दुव्बन्ने दुग्गा 36 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागा गोयमा ! जीवेणं गभगए समाणे जाव दुहियाए दुहिए भवइ, अहे णं पसवणकालसमयंसि सीसेण वा पाएहिं वा श्रागच्छइ सम(म्म)मागच्छइ तिरियमागच्छइ विणिहायमावजति(गच्छइ) 3 / वराणवज्झाणि य से. कम्माई बधाई पुट्ठाइं निहत्ताई कडाइं पट्टवियाई अभिनिविट्ठाई अभिसमन्नागयाइं उदिन्नाई नो उवसंताई भवंति तो भवइ दुरूवे दुव्बन्ने दुग्गंधे दूरसे दुप्फासे अणि8 अकते अप्पिए असुभे अमणुन्ने अमणामे हीणस्सरे दीणस्सरे अणिट्ठस्सरे अकंतस्सरे अप्पियस्सरे असुभस्सरे श्रमणुन्नस्सरे अमणामस्सरे अणाएजवयणे पचायाए यावि भवइ. वनवज्झाणि य से कम्माइं नो बद्धाइं जाव पसत्थं नेयव्वं जाव श्रादेजवयणं पचायाए यावि भवइ, सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति 4 // सू० 62 // सत्तमो उद्दे सो समत्तो॥ ॥इति प्रथमशतके सप्तम उद्देशकः // 1-7 / / // अथ प्रथमशतके आयुनामाष्टमोद्देशकः // रायगिहे समोसरणं जाव एवं वयासी-एगंतबाले णं भंते ! मासे कि नेरइयाउसं पकरेइ तिरिक्खजोगियाउयं मणुस्साउयं देवाउयं पकरेइ ?, नेरइयाउयं किचा नेरइएसु उववजइ तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववजइ मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सएसु उववजइ देवाउयं किच्चा देवलोएसु उववजइ ?, गोयमा ! एगंतवाले णं मणुस्से नेरइयाउयंपि पकरेइ तिरियाउयं मणुस्साउयं देवाउयंपि पकरेइ, नेरझ्याउयंपि किच्चा नेरइएसु उववजइ तिरियाउयं मणुस्साउयं देवाउयं किच्चा तिरिएसु मणुस्सएसु देवलोएसु उववज्जइ // सू० 63 // एगंतपंडिए णं भंते ! मणुस्से किं नेस्याउयं पकरेइ जाव देवाउयं किच्चा देवलोएसु उववज्जवति ?, गोयमा ! एगंतपंडिए णं मणुस्से थाउयं सिय पकरेइ सिय नो पकरेइ, जइ पकरेइ नो नेरइयाउयं पकरेइ नो तिरियाउयं पकरेइ नो मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयं पकरेइ, नो नेरइयाउयं किचा. Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतक 1 :: उ०८] [37 नेरइएसु उववजइ णो तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववजइ णो मणुस्साउयं किचा मणुस्सएसु उववजइ देवाउयं किच्चा देवेसु उववजइ, से केणटेणं जाव देवाउयं किचा देवेसु उववज्जइ ?, गोयमा ! एगंतपंडियस्स णं मणुस्सस्स केवलमेव दो गईश्रो पन्नायंति, तंजहा-अंतकिरिया चेव कप्पोववत्तिया चेव, से तेण?णं गोयमा ! जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जइ 1 / बालपंडिएणं भंते ! मगुस्से कि नेरइयाउयं पकरेइ जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जइ ?, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववजइ, से केणटेणं जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववजइ ?,गोयमा ! बालपंडिए णं मणुस्से तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि पारियं धम्मियं सुवयणं सोचा निसम्म देसं उवरमइ देसं नो उवरमइ देसं पञ्चक्खाइ देसं णो पञ्चक्खाइ, से तेण?णं देसोवरम देसपञ्चक्खाणेणं नो नेरझ्याउयं पकरेइ जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववजइ, से तेण?णं जाव देवेसु उववजइ 2 // सू० 64 // पुरिसे णं भंते ! कच्छसि वा 1 दहंति वा 2 उदगंसि वा 3 दवियंसि वा 4 वलयंसि वा 5 नूमंसि वा 6 गहणंसि वा 7 गहणविदुग्गंसि वा 8 पव्वयंसि वा 1 पव्वयविदुग्गंसि वा 10 वणंसि वा 11 वणविदुगंसि वा 12 मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मिएत्तिकाउं अन्नयरस्स मियस्स वहाए कूडपासं उद्दाइ, ततो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए पराणते ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे कच्छंसि वा 12 जाव कूडपासं उद्दाइ तावं च णं से पुरिसे सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पचकिरिए, से केण?णं भंते ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए ?, गोयमा ! जे भविए उद्दवणयाए णो बंधणयाए णो मारणयाए तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए तिहिं किरियाहिं पुढे, जे भविए उद्दवणयाएवि बंधणयाएवि णो मारणयाए तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए पारियावणियाए Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभाग चउहि किरियाहिं पुढे, जे भविए उद्दवणयाएवि बंधणयाएवि मारणयाएवि तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, से तेणटेणं जाव पंचकिरिए // सू० 65 // पुरिसे णं भंते ! कच्छसि वा जाव वणविदुग्गंसि वा तणाई उसविय 2 अगणिकायं निसिरइ तावं च णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, से केण?णं !, गोयमा जे भविए उस्सवणयाए तिहिं, उस्सवणयाएवि निस्सिरणयाएव नो दहणयाए चउहि, जे भविए उस्सवणयाएवि निसिरणयाएवि दहणयाएवि तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, से तेणटेणं गोयमा ! / / मू. 66 // पुरिसे णं भंते ! कच्छसि वा जाव वणविदुग्गंसि वा मियवित्तीए(मियसंवित्तीए) मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मियेत्ति काउं अन्नयरस्स मियस्स वहाए उसु निसिरइ, ततो णं भंते ! से पुरिसे कइकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, से केणटणं. ?, गोयमा ! जे भविए निसिरणयाए नो विद्धंसणयाएवि नो मारणयाए तिहिं, जे भविए निसिरणयाएवि विद्धंसणयाएवि नो मारणयाए चउहि, जे भविए निस्सिरणयाएवि विद्धंसणयाएवि मारणयाएवि तावं च णं से पुरिसे जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, से तेण?णं गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरए सिय पंचकिरिए // सू० 67 // पुरिसे णं भंते ! कच्छसि वा जाव अन्नयरस्स मियस्स वहाए अाययकन्नायत्तं उसु यायामेत्ता चिट्ठिजा, अन्नयरे(अन्ने य से) पुरिसे मग्गयो आगम्म सयपाणिणा असिणा सीसं छिदेजा से य उसु ताए चेव पुवायामणयाए तं विंधेजा से णं भंते ! पुरिसे किं मियवरेणं पुढे पुरिसवेरेणं पुढे ?, गोयमा ! जे मियं मारेइ से मियवरेणं- पुटे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव से Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 1 :: उ०८] [36 पुरिसवेरेणं पुढे ?, से नूणं गोयमा ! कन्जमाणे कडे संधिजमाणे संधिए निव्वत्तिजमाणे निव्वत्तिए निसिरिजमाणे निसि?त्ति वत्तव्यं सिया ?, हंता भगवं ! कन्जमाणे कडे जाव निसि?त्ति वत्तव्वं सिया, से तेणटेणं गोयमा ! जे मियं मारेइ से मियवरेणं पुढे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे 1 / अंतो छराहं मासाणं मरइ काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, बाहिं छगह मासाणं मरइ काइयाए जाव पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे 2 // सू० 68 // पुरिसे णं भंते ! पुरिसं सत्तीए समभिधंसेजा संयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिदेजा तो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीएअ(सम)भिसंधेइ सयपाणिणा वा से असिणा सीसं विंदइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, श्रासन्नवहएण य अणवकंखवत्तिएणं पुरिसवेरेणं पुढे // सू० 61 // दो भंते ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिव्वया सरिस-भंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नेणं सद्धिं संगामं संगामेन्ति, तत्थ णं एगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइजइ, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! सीरिए पराइाइ अवीरिए पराइजइ, से केण?णं जाव पराइजइ ?, गोयमा ! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माइं णो बद्धाई णो पुट्ठाई जाव नो अभिसमन्नागयाई नो उदिन्नाई उवसंताई भवंति से णं पराइणइ, जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई बढ़ाई जाव उदिन्नाई नो उवसंताई भवंति से णं पुरिसे पराइज्जइ, से तेणढे गां गोयमा ! एवं वुच्चइ सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइजइ ॥सू० 70 // जीवा णं भंते ! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! सवीरियावि अविरियावि, से केण?णं ?, गोयमा ! जीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहासंसारसमावनगा य असंसारसमावनगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावनगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अवीरिया, तत्थ णं जे ते संसारसमावनगा ते Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमागा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा सेलेसिपडिवनगा य असेलेसिपडिवनगा य, तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिबन्नगा ते णं लद्धिवीरिएणं सीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवनगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सवीरियावि अवीरियावि, से तेण?गां गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सवीरियावि अवीरियावि 1 / नेरझ्या णं भंते ! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! नेरइया लडिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सीरियावि अवीरियावि, से केण?गां ?, गोयमा ! जेसि णं नेरझ्याणां अत्थि उटाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे ते णं नेरइया लद्धिवीरिएणवि सवीरिया करणवीरिएणवि सवीरिया, जेसि णं नेरइयाणं नत्थि उटाणे जाव परकमे ते णं नेरइया लद्धिवीरिएणं सबीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, से तेण?णं गोयमा !0 2 / जहा नेरइया एवं जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया, मणुस्सा जहा श्रोहिया जीवा, नवरं सिद्रवजा भाणियब्बा, वाणमंतर-जोइसवेमाणिया जहाँ नेरइया, सेवं भंते ! सेवं भंते त्ति 3 // सू० 71 // पढमसए गट्ठमो उद्देसो समत्तो / / // इति प्रथमशतके अष्टम उद्देशकः // 1-8 // .. // अथ प्रथमशतके गुरुकाख्य-नवमोद्देशकः // कहन्नं भते ! जीवा गरुयत्तं हबमागच्छन्ति ?, गोयमा ! पाणाइवाएणं मुसावाएणं अदिनादाणेणं मेहुणेणं परिग्गहेणं कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं पेज्जेणं दोसेणं कलहेणं अभक्खाणेणं पेसुन्नेणं रतियरतिए परपरिवायेणं मायामोसेणं मिच्छादंसणसल्लेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवा गरुयत्तं हवमागच्छंति 1 / कहन्नं भंते ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति ?, गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादंसण-सल वेरमणेणं एवं खलु गोयमा ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छन्ति 2 / एवं संसारं Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 1 :: उ० है ) पाउलीकरेंति एवं परित्तीकरेंति दीहीकरेंति हस्सीकरेंति एवं अणुपरियट्टति एवं वीईवयंति-पसत्था चत्तारि अप्पसत्था चत्तारि 3 // सू० 72 // सत्तमे णं भंते ! अोवासंतरे किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए ?, गोयमा ! नो गुरुए नो लहुए नो गुरुयलहुए अगुरुयलहुए 1 / सत्तमे णं भंते ! तणुवाए किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए श्रगुरुयलहुए ?, गोयमा ! नो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुए नो अगुरुयलहुए 2 / एवं सत्तमे घणवाए सत्तमे घणोदही सत्तमा पुढवी, उवासंतराई सब्वाई जहा सत्तमे योवासंतरे, (सेसा) जहा तणुवाए, एवं अोवासवायघणउदहि पुढवी दीवा य सागरा वासा 3 / नेरइया णं भंते ! कि गुरुया जाव अगुरुलहुया ?, गोयमा ! नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुयावि अगुरुयलहुयावि, से केस?णं ?, गोयमा ! वेउब्धियतेयाइं पडुच्च नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुया नो अगुरुयलहुया, जीवं च कम्मणं च पडुच नो गुरुया नो लहुया नो गुरुयलहया अगुरुयलहुया, से. तेणढणं जाव वेमाणिया, नवरं णाणलं जाणियव्वं सरीरेहिं 4 / धम्मत्थिकाए जाव जीवत्थिकाए चउत्थपएणं 5 / पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए ?, गोयमा ! णो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुएवि अगुरुयलहुएवि, से केण?णं ? गोयमा ! गुरुयलहुयदव्वाइं पडुच्च नो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुए नो अगुरुयलहुए, ! अगुरुयलड्डयदव्वाइं पडुच्च नो गुरुए नो लहुए नो गुरुयलहुए अगुरुयलहुए, समया कम्माणि य चउत्थपदेणं 6 / कराहलेसा णं भंते ! किं गुरुया जाव अगुरुयलाया ?, गोयमा ! नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुयावि अगुरुयलहुयावि, से केणटेणं ?, गोयमा, दव्वलेसं पडुच्च ततियपदेणं भावलेसं पडुच्च चउत्थपदेणं, एवं जाव सुकलेसा 7 / दिट्टी-दसण-नाण-अन्नाण-सराणायो-चउत्थपदेणं णेयव्वाश्रो, हेट्ठिला चत्तारि सरीरा नेयव्वा ततियपदेणं, केम्म य Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः चउत्थयपएणं, मणजोगो वइजोगो चउत्थएणं पदेणं, कायजोगो ततिएणं पदेणं, सागारोवनोगो अणागारोवोगों चउत्थपदेणं, सबदव्वा सव्वपदेसा सव्वपजवा जहा पोग्गलत्थिकात्रो, तीतद्धा अणागयद्धा सव्वद्धा चउत्थएणं पदेणं 8 // सू० 73 // से नूणं भंते ! लापवियं अप्पिच्छा अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं णिग्गंथाणं पसत्यं ?, हंता गोयमा ! लाघवियं जाव पसत्थं 1 / से नणं भंते ! अकोहत्तं प्रमाणत्तं अमायत्तं अलोभत्तं समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं ?, हंता गोयमा ! अकोहत्तं श्रमाणत्तं जाव पसत्थं 2 / से नूणं भंते ! कंखापदोसे खीणे समणे निग्गंथे अंतकरे भवति अंतिमसारीरिए वा बहुमोहेवि य णं पुचि विहरित्ता श्रह पच्छा संवुडे कालं करेति तो पच्छा सिज्मति 3 जाव अंतं करेइ ?, हंता गोयमा ! कंखापदोसे खीणे जाव अंतं करेति 3 // सू० 74 // अरणउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति एवं भासेंति एवं घराणवेंति एवं परूवेति-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो बाउयाई पकरेति, तंजहा-इहभवियाउयं च परभवियाउयं च, जं समयं इहभवियाउयं पकरेति तं समयं परभवियाउयं पकरेति, जं समयं परभवियाउयं पकरेति तं समयं इहभवियाउयं पकरेति, इहभवियाउयस्स पकरणयाए परभवियाउयं पकरेइ, परभवियाउयस्स पकरणयाए इहभवियाउयं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो बाउयाइं पकरेति, तंजहा-इहभवियाउयं च परभवियाउयं च, 1 / से कहमेवं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अराणउत्थिया एवमातिखंति जाव परभवियाउयं च, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव पख्वेमि-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं पाउयं पकरेति, तंजहा-इहभवियाउयं वा परभवियाउयं वा, जं समयं इहभवियांउयं पकरेति णो तं समयं परभवियाउयं पकरेति, जं समयं परभवियाउयं पकरेइ णो तं समयं इहभवियाउयं पकरेइ, इहभवियाउ. Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्यापाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतक 6 ) यस्स पकरणताए णो परभवियाउयं पकरेति, परभवियाउयस्स पकरणताए णो इहभवियाउयं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं पाउयं पकरेति, तंजहा-इहभवियाउयं वा परभवियाउयं वा, सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति भगवं गोयमे जाव विहरति 2 // सू० 75 // तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावचिज्जे कालामवेसियपुत्ते णामं अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव आगच्छति 2 थेरे भगवंते एवं वयासी-थेरा सामाइयं ण जाणंति थेरा सामाइयस्स अट्ठ ण याणंति, थेरा पञ्चक्खाणं ण याणंति थेरा पञ्चक्खाणस्स अटुंण याणंति, थेरा संजमं ण याणंति थेरा संजमस्स अट्टण याणंति, थेरा संवरं ण याणंति थेरा संवरस्स अटुंण याणंति, थेरा विवेगं ण याणंति थेरा विवेगस्स अट्टण याणंति, थेरा विउस्सग्गं ण याणंति थेरा विउस्सग्गस्स अट्टण याणंति 6, 1 / तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-जाणामो णं अजो ! सामाइयं जाणामो णं अजो ! सामाइयस्स अट्ठ जाव जाणामो णं अजो ! विउस्सग्गस्स अट्ठ 2 / तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वयासी-जति णं अजो ! तुम्भे जाणह सामाइयं जाणह सामाइयस्स अट्ठ जाव जाणह बिउस्सग्गस्म अट्ठ किं भे अजो ! सामाइए ! किं भे अजो सामाइयस्स अट्ठे ? जाव किं भे विउस्सग्गस्स अट्ठ?, तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-अाया णे अजों ! सामाइए, श्राया णे अजो ! सामाइयस्स अट्ठ, जाव विउस्सग्गस्स अट्ठ 3 / तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वयासी-जति भे अजो ! आया सामाइए, आया सामाइयस्स अट्ठ एवं जाव आया विउस्सग्गस्स अट्ठ, अवहट्ट कोहमाणमायालोभे किमटुं थजो ! गरहह ?, कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-गरहा णं राजा ! संजमट्टयाए, से भंते ! कि गरहा संजमे अगरहा संजमे ?. Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभाग कालसवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-गरहा णं यजो ! संजमे नो अगरहासंजमे, गरहावि य णं सव्वं दोसं पविणेति सव्वं बालियं परिगणाए, एवं खु णे थाया संजमे उवहिए भवति, एवं खु णे श्राया संजमे उवचिए भवति, एवं खु णे अाया संजमे उवट्ठिए भवति 4 / पत्थ णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे संबुद्धे थेरे भगवंते वंदति णमंसति 2 एवं वयासी-एएसि णं भंते ! पयाणं पुब्बिं अण्णाणयाए असवणयाए अबोहिए अणभिगमेणं अदिट्ठाणं असुयाणं अस्सुयाणं अविराणायाणं अब्बोगडाणं श्रवोच्छिन्नाणं अणिज्जूढाणं अणुवधारियाणं एयमटुं णो सदहिए णो पत्तिइए णो रोइए इयाणिं भंते / एतेसिं पयाणं जाणयाए सरणयाए बोहीए अभिगमेणं दिवाणं सुयाणं मुयाणं विराणायाणं वोगडाणं वोच्छिन्नाणं णिज्जूढाणं उवधारियाणं एयमट्ठ महहामि पत्तियामि रोएमि एवमेयं से जहेयं तुब्भे वदह 5 / तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-सदहाहि अजों ! पत्तियाहि अजो ! रोएहि अजो ! से जहेयं अम्हे वदामो 6 / तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंतो वंदइ नमसइ 2 एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुभं अंतिए चाउज्जामायो धम्मायो पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्मं उपसंपजित्ता णं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंचं करेह 7 / तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता चाउजामायो धम्मायो पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपजित्ता णं विहरइ 8 / तए णं से कालासवेसियपुत्ते श्रणगारे बहूणि वासाणि सामगणपरियागं पाउणइ जस्सट्टाए कीरइ नग्गभावे मुडभावे. अराहाणयं अदंतधुवणयं अच्छत्तयं अणोवाहणयं भूमिसज्जा फलहसेजा कट्ठसेजा केसलोश्रो बंभचेरवासो परघरपवेसो लंदावलद्धी उच्चावया गामकंटगा बावीसं परिसहोवसग्गा अहियासिज्जंति तमट्ट Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 10 ] ( 45 श्राराहेइ 2 चरिमेहिं उस्सासनीसासेहिं सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे सव्वदुक्खप्पहीणे 1 // सू० 76 // भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-से नूणं भंते ! सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपञ्चक्खाणकिरिया कन्जइ ?, हंता गोयमा ! सेट्ठियस्स य जाव अपञ्चक्खाणकिरिया कन्जइ, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! अविरतिं पडुच्च से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सेट्ठियस्स य तणुयस्स जाव कजइ // सू० 77 // श्राहाकम्मं भुजमाणे समणे निग्गंथे किं बंधइ किं पकरेइ किं चिणाइ कि उवचिणाइ ?, गोयमा ! पाहाकम्मं णं भुजमाणे पाउयवजागो. सत्त कम्मप्पगडीयो सिढिलबंधणबद्धायो धणियबंधणबद्धाश्रो पकरेइ जाव अणुपरियट्टइ, से केण?णं जाव अणुपरियट्टइ ?, गोयमा ! श्राहाकम णं भुजमाणे आयाए धम्मं अइकमइ अायाए धम्मं अइक्कममाणे पुढविकायं णावकंखइ जाव तसकायं णावकंखइ, जेसिपि य णं जीवाणं सरीराई अाहारमाहारेइ तेवि जीवे नावकंखइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-श्राहाकम्मं णं भुजमाणे पाउयवजारो सत्त कम्मपगडीयो जाव अणुपरियट्टइ 1 / फासुएसणिज्ज भंते ! भुजमाणे किं बंधइ जाव उवचिणाइ ?, गोयमा ! फासुएसणिज्ज णं भुजमाणे ग्राउयवजायो सत्त कम्मपयडीयो धणियबंधणबद्धायो सिढिलबंधणबद्धायो पकरेइ जहा संवुडे णं, नवरं पाउयं च णं कम्मं सिय बंधइ सिय नो बंधइ, सेसं तहेव जाव वीईवयइ, से केण?णं जाव वीईवयइ ?, गोयमा ! फासुएसणिज्जं भुंजमाणे समणे निग्गंथे आयाए धम्मं नो अइक्कमड, आयाए धम्म अणइकममाणे पुतविकाइयं अवकंखति जाव तसकायं अवकंखइ, जेसिपि य णं जीवणं सरीराइं अाहारेइ तेवि जीवे अवकंखति से तेण?णं जाव वीईवयइ 2 // सू० 78 // से नूणं भंते ! अथिरे पलोट्टइ नो थिरे Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुवासिन्धुः। द्वितीयो विभागः पलोदृति श्रथिरे भजइ नो थिरे भजइ सासए बालए बालियसं असासयं सासए पंडिए पंडियत्तं असासयं ?, हंता गोयमा ! अथिरे पलोट्टइ जाव पंडियतं असासयं सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति // सू० 71 // नवमो उद्देसो समत्तो॥ // इति प्रथमशतके नवम उद्देशकः // 1-9 // // अथ प्रथमशतके चलनादिनामक-दशमोद्देशकः // __ अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइवखंति जाव एवं पति -एवं खलु चलमाणे अचलिए जाव निजरिजमाणे अणिजिगणे, दो परमाणुपोग्गला एगयो न साहणंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगततो न साहणंति ?, दोराहं परमाणुपोग्गलाणं नत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो न साहणंति, तिनि परमाणुपोग्गला एगययो साहणंति, कम्हा ? तिनि परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति, तिराहं परमाणुपोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा तिगिण परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहणंति ते भिजमाणा दुहावि तिहावि कन्जंति, दुहाकजमाणा एगयो दिवड्डे परमाणुपोग्गले भवति एगयथोवि दिवड्डे परमाणुपोग्गले भवति, तिहा कजमाणा तिगिण परमाणुपोग्गला भवंति, एवं जाव चत्तारि पंचपरमाणुपोग्गला एगयो साहणंति, एगयो साहणित्ता दुवखताए कज्जति 1 / दुक्खेवि य णं से सासए सया समियं उवचिजइ य अवचिजइ य पुब्बिं भामा भामा भासिजमाणी भासा अभासा, भासासमयवीतिक्कंतं च णं भासिया भासा, जा सा पुब् िभासा भासा, भासिजमाणी भासा अभासा, भासासमयवीतिक्कंतं च णं भासिया भासा, सा किं भासाम्रो भासा ? अभासश्रो भासा ?, अभासश्रो णं सा भासा, नो खलु सा भामयो भासा 2 / पुदि किरिया दुक्खा कजमाणी किरिया Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्यात्प्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) भूत्र :: शतकं 1. ] [ 47 अदुक्खा किरियासमयवीतिवकंतं च णं कडा किरिया दुवखा, जा सा पुब्बि किरिया दुक्खा कन्जमाणी किरिया अदुक्खा, किरियासमयवीइकतं चणं कडा किरिया दुक्खा, सा किं करणयो दुक्खा अकरणयो दुक्खा ?, अकरणो णं सा दुक्खा, णो खलु सा करणयो दुक्खा 3 / सेवं वत्तव्वं सिया-अकिच्चं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकजमाणकडं दुक्खं अकटु अकटु पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदेतीति वत्तव्वं सिया 4 / से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अरणउत्थिया एवमातिक्खंति जाव वेदणं वेदेति, वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंस, अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि, एवं खलु चलमाणे चलिए जाव निजरिजमाणे निजिराणे, दो परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहणंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहराणंति ?, दोराहं परमाणुपोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति, ते भिजमाणा दुहा कज्जंति, दुहा कजमाणे एगयो परमाणुपोग्गले एगयो परमाणुपोग्गले भवंति, तिगिण परमाणुपोग्गला एगो साहणंति, कम्हा तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति ?, तिराहं परमाणुपोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा तिरिण परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति, ते भिजमाणा दुहावि तिहावि कन्जंति, दुहा कजमाणा एगो परमाणुपोग्गले एगययो दुपदेसिए खंधे भवति, तिहा कजमाणा तिरिण परमाणुपोग्गला भवंति, एवं जाव चत्तारिपंच-परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति साहणित्ता खंधत्ताए कज्जति, खंधेवि य णं से असासए सया ममियं उचिजइ य अवचिज्जइ य 5 / पुबि भासा अभासा भासिन्जमाणी भासा 2 भासासमयवीतिकंतं च णं भासिया भासा अभासा जा सा पुब्बि भासा अभासा भासिज्जमाणी भासा 2 भासासमयवीतिक्कतं च णं भासिया भासा अभासा सा कि भासयो भासा अभासयो भासा ?, भासयो णं Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः भासा नो खलु सा अभासयो भासा 6 / पुदि किरिया अदुक्खा जहा भासा तहा भाणियव्वा, किरियावि जाव करणो णं सा दुक्खा नो खलु सा करणयो दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया-किच्चं फुसं किच्चं दुक्खं कजमाणकडं दुक्खं कटु 2 पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदेंतीति वत्तव्वं सिया 7 // सू० 80 // अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव एवं परूवेंति-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियायो पकरेंति, तंजहा-इरियावहियं च संपराइयं च, परउत्थियवत्तव्यं णेयव्वं [ जं समयं इरियावहियं पकरेइ तं समयं संपराइयं पकरेइ, जं समयं संपराइयं पकरेइ ते समयं इरियावहियं पकरेइ, इरियावहियाए पकरणताए संपराइयं पकरेइ संपराइयपकरणयाए इरियावहियं पकरेइ, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियानों पकरेति, तंजहा-इरियावहियं च संपराइयं च।] ससमयवत्तव्वयाए णेयव्वं जाव [से कहमेयं भंते एवं ?, गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति तं चेव जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि ४-एवं खलु एगे जीवे एगसमए एक्कं किरियं पकरेइ तंजहा-] इरियावहियं वा संपराइयं वा // सू० 81 // निरयगई णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं बारस मुहुत्ता, एवं वक्कंतीपयं भाणियब्वं निरवसेसं, सेवं भंते ! सेवं भंते ति जाव विहरइ // सू० 82 // पढमं सयं समत्तं // // इति प्रथमशतके दशम उद्देशकः // 1-10 / / // इति प्रथमं शतकं // 1 // Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र में शतकं 2 : उ० 1 ] ॥अथ द्वितीयशतके उच्छवास-स्कन्दकाख्य-प्रथमोद्देशकः॥ - गाहा-ऊसासखंदए वि य 1 समुग्धाय 2 पुढवि 3 (तह ई) दिय 4 अन्नउत्थिभासा 5 य (मन्नामि) 6 / देवा 7 य चमरचंचा(नयरी) 8 समयखित्त 1 स्थिकाय 10 बीयसए (दसुद्देसा) // 1 // " तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था, वराणो, सामी समोसढे परिसा निग्गया धम्मो कहियों पडिगया परिसा 1 / तेणं कालेणं 2 जे? अंतेवासी जाव पन्जुवासमाणे एवं वयासी-जे इमे भंते ! बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया जीवा एएसिणं ग्राणामं वा पाणामं वा उस्सासं वा नीसासं वा जाणामो पासामो, जे इमे पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया एगिदिया जीवा एएसि णं प्राणामं वा पाणामं वा उस्सासं वा निस्सासं वाण याणामो ण पासामो, एएसि णं भंते ! जीवा श्राणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा ? हंता गोयमा ! एएवि य णं जीवा प्राणमंति वा पाणमंवि वा उस्ससंति वा नीससंति वा 2 // सू० 84 // किराणं भंते ! जीवा प्राणमंति पाणमंति उस्ससंति नीससंति ?, गोयमा ! दव्वयो णं अणंतपएसियाई दव्वाइं खेत्तयो णं असंखपएसोगाढाई कालो अन्नयरद्वितीयाइं भावत्रो वराणमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई श्राणमंति वा पाणमंति वा उससंति वा नीससंति वा, जाई भावो वनमंताई श्राणमंति पाणमंति उससंति नीससंति ताई कि एगवराणाई प्राणमंति, पाणमंति ऊससंति नीससंति ?, श्राहारगमो नेयम्वो जाव तिचउपंचदिसि 1 / किरणं भंते ! नेरइया पाणमंति पाणमंति उससंति नीससंति ! तं चेव जाव'नियमा छदिसिं पाणमंति पाणमंति उस्ससंति नीससंति जीवा एगिदिया वाघाया य निव्वाघाया य भाणियव्वा, सेसा नियमा छदिसिं . 2 / वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव श्राणमंति वा पाणमंति वा Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विमानः ऊससंति वा नीससंति वा ?, हंता गोयमा ! वाउयाए णं जाव नीससंति वा 3 // सू० 85 // वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुनो उद्दाइत्ता 2 तत्थेव भुजो भुजो पचायाति ?, हंता गोयमा ! जाव पच्चायाति / से भंते ! कि पुढे उद्दाति अपु?' उद्दाति ?, गोयमा ! पुढे उद्दाइ नो अपुढे उद्दाइ 1 / से भंते ! किं ससरीरी निक्खमइ असरीरी निक्खमइ ?, गोयमा ! सिय ससरीरी निक्खमइ सिय असरीरी निकखमइ 2 / से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ सिय ससरीरी निक्खमइ सिय असरीरी निक्खमइ ? गोयमा ! वाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पनत्ता, तंजहा-पोरालिए वेउत्रिए तेयए कम्मए, ओरालियवेउब्बियाई विप्पनहाय तेयकम्मएहिं निक्खमति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी सिय असरीरी निक्खमइ 3 // सू० 86 // मडाई णं भंते ! नियंठे नो निरुद्धभवे नो निरुद्धभवपवंचे णो पहीणसंसारे णो पहीणसंसारवेयणिज्जे णो वोच्छिराणसंसारे णो वोच्छिण्णसंसारवेयणिज्जे नो निट्ठिय? नो निट्ठियट्टकरणिज्जे पुणरवि इत्थत्तं हव्वमागच्छति ?, हंता गोयमा ! मडाई णं नियंठे जाव पुणरवि इत्थत्तं हब्बमागच्छइ // सू० 87 // से णं भंते ! किं वत्तव्वं सिया गोयमा ! पाणेति वक्तव्यं सिया भूतेति वत्तव्वं सिया जीवेत्ति वत्तव्वं सिया सत्तेत्ति वत्तव्वं सिया विन्नूति वत्तव्वं सिया वेदेति वत्तव्यं सिया, पाणे भूए जीवे सत्ते विन्नू वेएति वत्तव्वं सिया, से केणटेणं भंते ! पाणेत्ति वत्तव्वं सिया जाव वेदेति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! जम्हा प्राणमइ पाणमइ उस्ससइ नीस्ससइ तम्हा पाणेत्ति वत्तव्वं सिया, जम्हा भूते भवति भविस्सति य तम्हा भूएत्ति वत्तव्वं सिया, जम्हा जीवे जीवइ जीवत्तं पाउयं च कम्म उवजीवइ तम्हा जीवेत्ति वत्तव्यं सिया, . जम्हा सत्ते सुहासुहेहिं कम्मेहिं तम्हा सत्तेति वत्तव्वं सिया, जम्हा तित्त-कडुय-कसाय-अंबिल-महुरे रसे जाणइ तम्हा विन्नूत्ति Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 2 : उ० 1] [ 51 वत्तव्वं सिया, वेदेइ य सुहदुक्खं तम्हा वेदेति वत्तव्वं सिया, से तेण?णं जाव पाणेत्ति वत्तव्यं सिया जाव वेदेति वत्तव्वं सिया // सू० 88 // मडाई णं भंते ! नियंठे निरुद्धभवे निरुद्धभवपवंचे जाव निट्ठियट्टकरणिज्जे णो पुणरवि इत्थत्तं हन्धमागच्छति ?, हंता गोयमा ! मडाई णं नियठे जाव नो पुणरवि इत्थत्तं हव्यमागच्छति से रणं भंते ! किति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! सिद्धत्ति वत्तव्यं सिया बुद्धेति वत्तव्वं सिया मुत्तेत्ति वत्तव्वं सिया पारगएत्ति वत्तव्वं सिया परंपरगएत्ति वत्तव्वं सिया सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिनिव्वुडे अंतकडे सव्वदुक्खप्पहीणेत्ति वत्तव्यं सिया, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति / / सू० 81 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समो भगवं महावीरे अन्नया कयाई पाडिहारियं पीढफलगसिजा-संथारगं पञ्चप्पिणाइ 2 रायगिहायो नगरायो गुणसिलायो चेइयायो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं कयंगलानाम नगरी होत्था वरणयो, तीसे णं कयंगलाए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए छत्तपलासए नामं चेइए होत्था वरायो, तए णं समणे भगवं महावीरे उप्पराणनाणदंसणधरे जाव समोसरणं परिसा निगच्छति 2 / तीसे णं कयंगलाए नगरीए अदूरसामंते सावत्थी नामं नयरी होत्था वगणयो, तत्थ णं मावत्थीए नयरीए गहभालिस्स अंतेवासी खंदए नाम कमायणस्सगोत्ते परिवायगे परिवसइ रिउव्वेद-जजुब्वेद सामवेद-यहव्वणवेद-इतिहासपंचमाणं निग्धंदुछट्ठाणं चउराहं वेदाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं सारए वारए धारए पारए सडंगवी सद्वितंतविसारए संखाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदै निरुत्ते जोतिसामयणे अन्नेसु य बहुसु बंभराणएसु परिवायएसु य नयेसु सुपरि. निट्ठिए यावि होत्था 3 / तत्थ णं सावत्थीए नयरीए पिंगलए नामं नियंठे Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 52] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः दितीयो विमामा वेसालियसावए परिवसइ, तए णं से पिंगलए णामं णियठे वेसालियसावए अण्णया कयाइं जेणेव खंदए कच्चायणस्सगोते तेणेव उवागच्छइ 2 खंदगं कचायणस्सगोत्तं इणमक्खेवं पुच्छे-मागहा ! किं सते लोए अणंते लोए 1 सयंते जीवे अणंते जीवे 2 सयंता सिद्धी अणंता सिद्धी 3 सयंते सिद्धे अणंते सिद्धे 4 केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्डति वा हायति वा 5 ?, एतावं ताव श्रायक्खाहि वुच्चमाणे एवं, तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते पिंगलएणं णियठेणं वेसालीसावएणं इणमक्खेवं पुच्छिए समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुसमावन्ने णो संचाएइ पिंगलयस्स नियंठस्स वेसालियसावयस्स किंचित्रि पमोक्खमक्खाइउं, तुसिणीए संचिट्ठइ 4 / तए णं से पिंगलए नियंठे वेसालीसावए खंदयं कचायणस्सगोत्तं दोच्चंपि तच्चपि इणमक्खेवं पुच्छे-मागहा ! किं सयते लोए जाव केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्डइ वा हायति वा ? एतावं ताव अाइक्खाहि वुच्चमाणे एवं, ततेणं णे खंदए कच्चायणस्स गोत्ते पिंगलएणं नियंठेगणं वेसालीसावएणं दोच्चंपि तच्चपि इणमवखेवं पुच्छिए समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावराणे कलुसमावराणे नो संचाएइ पिंगलयस्स नियंठस्स वेसालिसावयस्स किंचिवि पमोक्खमक्खाउं तुसिणीए संचिट्ठइ 5 / तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जाव महापहेसु महया जणसंमद्दे इ वा जणवूहे इ वा [जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी इ वा जणुकलिया इ वा जणसंनिवाए इ वा बहुजणो अरणमरणस्स एवमाइक्खइ ४–एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे 3 बाइगरे जाव संपावि. उकामे पुव्वाणुपुत्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे कयंगलाए नयरीए छत्तपलासए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता सजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं महाफलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्सवि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 2 :: उ० 1. ] [ 53 पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्सवि पायरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए ?, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ?, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो, एयं णो पेच्चभवे हियाए सुहाए खमाए निस्सेयामए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइत्तिकटु बहवे उग्गा उग्गपुत्ता एवं भोगा राइराणा खत्तिया माहणा भडा जोहा मलई लेच्छई अराणे य बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहपभियो जाव उकिट्ठ-सीहनाय-बोलकलयलरवेणं समुद्द-रवभूयंपिव करेमणा सावत्थीए नयरोए मज्झ मज्झेणं निगच्छंति] परिसा निगच्छइ 6 / तए णं तस्स खंदयस्स कच्चायणस्सगोत्तस्स बहुजणस्स अंतिए एयम8 सोचा निसम्म इमेवास्वे अभत्थिए वितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था एवं खलु समणे भगवं महावीरे कयंगलाए नयरीए बहिया छत्तपलासए चेइए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ, तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि नमसामि, सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता णमंसित्ता सकारेत्ता सम्माणित्ता कलाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासित्ता इमाई च णं एयाख्वाइं अट्ठाई हेऊइं पसिणाई कारणाइं वागरणाई पुच्छित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइ 2 जेणेव परिवायावसहे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता तिदंडं च कुडियं च कंचणियं च करोडियं च भिसियं च केसरियं च छन्नालयं च अंकुसयं च पवित्तयं च गणेत्तियं च छत्तयं च वाहणायो य पाउयायो य धाउरत्तायो य गेराहइ गेराहइत्ता परिवायावसहीयो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमइत्ता तिदंड-कुडिय कंचणिय-करोडिय-भिसिय-केसरिय-छन्नालय-ग्रंकुसयपवित्त-गणेत्तिय हत्थगए छत्तोवाहणसंजुत्ते धाउरत्त वत्थपरिहिए सावत्थीए नगरीए मझमझेणं निगछइ निगच्छइत्ता जेणेव कयंगला नगरी जेणेव छत्तपलासए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए 7 / Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54.] __ [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विमागः गोयमा ! इ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-दच्छिसि णं गोयमा ! पुव्वसंगतियं, कहं भंते ! ?, खंदयं नाम, से काहं वा किहं वा केवचिरेण वा ?, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं 2 सावत्थीनामं नगरी होत्था वनयो, तत्थ णं सावत्थीए नगरीए गहभालिस्स अंतेवासी खंदए णामं कच्चायणस्सगोत्ते परिवायए परिवसइ तं चेव जाव जेणेव ममं अंतिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए, से तं अदूरागते बहुसंपत्ते श्रद्धाणपडिघराणे अंतरापहे वट्टइ, अज्जेव णं दच्छिसि गोयमा !, भंतेत्ति भगवं गोयमे. समणं भगवं वंदइ नमसइ 2 एवं वदासी-पहू णं भंते ! खंदए कचायणस्सगोत्ते देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगारात्रो अणगारियं पव्वइत्तए ?, हंता पभू, जावं च णं समणे भगवं महावीरे भगवत्रो गोयमस्स एयमट्ठ परिकहेइ तावं च ग से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते तं देसं हव्वमागते 8 / तए णं भगवं गोयमे खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं अदूरयागयं जाणित्ता खिप्पामेव अभुठेति खिप्पामेव पच्चुवगच्छइ 2 जेणेव खंदए कच्चायणस्सगोत्ते तेणेव उवागच्छइ 2 ता खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं एवं वयासी-हे खंदया ! सागयं खंदया ! सुसागयं खंदया ! अणुरागयं खंदया ! सागयमणुरागयं खंदया ! से नूणं तुमं खंदया ! सावत्थीए नयरीए पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावएणं इणमक्खेवं पुच्छिए-मागहा ! किं सते लोगे शणते लोगे ? एवं तं चेव जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए, से नूणं खंदया ! अद्वै समठे ? हृता अस्थि 1 / तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी-से केण?णं गोयमा ! तहारूवे नाणी वा तवस्सी वा जेणं तव एस अट्ठ मम ताव रहस्सकडे हव्बमक्खाए ? जो णं तुमं जाणसि ? तए णं से भगवं गोयमे खंदयं कचायणस्सगोत्तं एवं वयासी-एवं खलु खंदया ! मम धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे उप्पराण-णाणदंसणधरे Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमझेगवति) सूत्र :: शतकं 2 : उ०१] अरहा जिणे केवली तीय-पडुच्चुप्पन्न-मणागय-वियाणए सब्वन्नू सव्वदरिसी जेणं ममं एस अट्ठ तव ताव रहस्सकडे हब्बमक्खाए जयो णं अहं जाणामि खंदया ! 10 / तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी-गच्छामो णं गोयमा ! तव धम्मायरियं धम्मोवदेसयं समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो जाव पज्जुवासामो, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह, तए णं से भगवं गोयमे खंदएणं कच्चायणस्स-गोत्तेणं सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमणयाए 11 / तेणं कालेणं 2 समणे भगवं महावीरे वियडभोतीयावि होत्था, तए णं समणस्स भगवश्री महावीरस्स वियट्टभोगियस्स सरीरं अोरालं सिंगारं कल्लाणं सिवं धराणं मंगल्लं सस्सिरीयं अणलंकिय-विभूसियं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं सिरीए अतीव 2 उपसोभेमाणे चिट्ठइ 12 / तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोते समणस्स भगवश्रो महावीरस्स वियट्टभोगिस्स सरीरं पोरालं जाव अतीव 2 उपसोभेमाणे पासइ 2 ता हट्टतुट्ट-चित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस-विसप्पमाणहियए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उबागच्छइ 2 त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणप्पयाहिणं करेइ जाव पज्जुवासइ 13 / खंदया ? ति समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणस्सगोतं एवं वयासी-से नूणं तुमं खंदया ! सावत्थीए नयरीए पिंगलएणं णियंठेणं वेसालियसावएणं इणमक्खेवं पुच्छिए-मागहा ! किं सयंत्ते लोए अणंते लोए ? एवं तं चेव जाव जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए, से नूणं खंदया ! अयम? सम? ?, हंता अस्थि, जेवि य ते खंदया ! अयमेयाख्वे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था-किं सते लोए अणंते लोए ? तस्सवि य णं अयम?-एवं खलु मए खंदया ! चउबिहे लोए पनत्ते, तंजहा-दबयो खेत्तयो कालो भावो / दब्बो णं एगे लोए सयंते 1, खेत्तयो णं लोए असंखेजात्रो Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदामासिस्टम-द्वितीयो विभाग जोयणकोडाकोडीनो आयामकिासभेणं, असंखेबायो जोयणकोयकोड़ीयो परिक्खेषेणं पराणत्ते, अस्थि पुण सते. 2, कालोःणं लोए ण कयाकि न श्रासी न कयावि न भवति नाकयावि न भविस्सति भविंसु य भवति य भविस्सइ य धुवे णितिए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे, णत्थि पुण से अंते 3, भावोणं लोए अणंता वराणपजवा अणंता मंधपजवा अणंता रसपजवी अणंता. फासपजवाज्यणता संठाणपजवा अणंता गस्यलहुयपजवा अणंता अगरुयलहुयपजवा, नत्थि पुग्ण से अंते 4, सेत्तं खंदगा ! दव्वयो लोएसयंते खेत्तो लोए सते कालयो लोए अणते भावो लोए अणंते 14 / जेवि य ते खंदया ! जाव सयंते जीवे अणंते जीवे ? तस्सवि य णं अयम?-एवं खलु जाय दबश्रो णं .एगे जीवे सयंते, खेत्तश्रो णं जीवे असंखेजपएसिए असंखेजपदेसोगाढे अस्थि पुण से अंते, कालो णं जीवे न कयावि न पासि जाव निच्चो नत्थि पुण से अंते, भावो 'ण जीवे अणंता णाणपजवा- अणंता दंसणपजवा अणंता चरित्तपजवा अणंता गुरुयलहुयपन्नवा अणंता अगुरुलहुयपजवा नत्थि पुण से अंते, से तं दव्वश्रो जीवे सयंते खेत्तत्रो जीवे सश्रते कालो जीवे अणते भावो जीवे अणंते 25 / जेवि य ते खंदया ! पुञ्छा [ इमेयारूवे चितिए जाव सयंता सिद्धी अणंता सिद्धी, ] तस्सवि य णं श्रयम? खंदया !-मए एवं खलु चाविहा सिद्धी पराणत्ता, तंजहा-दबो 4, दवो णं एगा सिद्धी संयंता, खेत्तयोणं सिद्धी पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं पायामविक्खंभेग, एगा जोयणकोडी बायालीसं च जोयणसयसहस्साइं तीसं च जोयणसहस्साईदोनिय अउणापन्नजोयणसए किंषिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणत्ता, अस्थि पुण से अंते, कालो णं सिद्धी न कयावि न पासि न कयावि न भवति न कयावि न भविस्सति भुविसु य भवति य भविस्सइ य, धूवा नितिया, सासया अक्खया अब्बया अवट्टिया णिचा, णत्थि पुण से अंते, Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 2 : उ०१] [57 भाषयो य जहा लोपस्स तहा भाणियबा, तत्थ दव्वयो सिद्धी सयंता खेतयो सिद्धी सयंता कालो सिद्धी अणंता भावो सिद्धी श्रणंता 16 / जेवि य ते खंड्या ! जाव किं अणंते सिद्धे ? तं चेव जाव दव्वयो णं एगे सिद्धे सयंते, खेत्तयो णं सिद्धे असंखेजपएसिए असंखेजपदेसोगाढे, अस्थि पुण से यंते, कालयो णं सिद्धे सादीए अपज्जवसिए नत्थि पुण से अंते, भावयो सिद्धे अणंता णाणपजवा अणंता दंसणपजवा जाव यणता गुरुलहुयपजवा, नत्थि पुण से अंते, सेत्तं दवयो सिद्धे सयंते खेतयो सिद्धे सयंते कालयो सिद्धे अणंते भावयो सिद्धे अणंते 17 / जेवि य ते खंदया ! इमेयारूवे अब्भस्थिए चिंतिए जाव समुप्पजित्था-केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्डति वा हायति वा ?, तस्सवि य णं अयम? एवं खलु खंदया ! मए दुविहे मरणे पराणत्ते, तंजहा-बालमरणे य पंडियमरणे य, से किं तं बालमरणे ?, 2 दुवालसविहे पराणत्ते, तंजहा-वलयमरणे वसट्टमरणे अंतोसल्लमरणे तब्भवमरणे गिरिपडणे तरुपडणे जलप्पवेसे जलणप्पवेसे विसभवखणे सत्थोवाडणे वेहाणसे गिद्धपट्टे / इच्चेतेणं खंदया ? दुवालसविहेणं बालमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहिं नेरइयभवग्गहणेहिं अप्पाणं संजोएइ तिरियमणुदेव-भवग्गहणेहिं अप्पाणं संजोएइ, श्रणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टइ, सेत्तं मरमाणे वडइ वा हायइ वा सेत्तं बालमरणे / से किंतं पंडियमरणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा–(पं० 1000) पायोवगमणे य भत्तपञ्चक्खाणे य 18 / से किं तं पायोवगमणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-नीहारिमे य अनीहारिमे य, नियमा अप्पडिकमे, सेत्तं पायोवगमणे / से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-नीहारिमे य अनीहारिमे य, नियमा सपडिकमे, सेत्तं भत्त्पचक्खाणे / इच्चेते णं खंदया ? दुविहेणं पंडियमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहिं नेरइयभवरगहणेहिं अप्पाणं विसंजोएइ जाव वीईवयति, Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58.] [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमागः सेत्तं मरमाणे हायइ, सेत्तं पंडियमरणे 11 / इच्चेएणं खंदया ? दुविहेणं मरणेणं मरमाणे जीवे वडइ वा हायति वा 20 // सू० 11 // एत्थ णं से खंदए कच्चायणस्स गोत्ते संबुद्धे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भं अंतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं निसामेतए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 1 / तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयस्स कचायणस्सगोत्तस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ, धम्मकहा भाणियब्वा 2 / तए णं से खंदए कचायणस्सगोत्ते समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतु? जाव हियए उठाए उ?ई 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो थायाहिणं पयाहिणं करेइ 2 एवं वदासी-सदहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते ! निग्गंथं पावयगां, अभुट्टमि णं भंते ! निग्गंथं पावयगां, एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भंते ! से जहेयं तुब्भे वदहत्तिकटु समणां भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 उत्तरपुरच्छिमं दिसीभायं श्रवक्कमइ 2 तिदंड च कुडियं च जाव धाउरत्तानो य एगते एडेइ 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणां भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहियां पयाहियां करेइ करेइत्ता जाव नमंसित्ता एवं वदासी-ग्रालित्ते गां भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, थालित्ते पंलित्ते णं भंते ! लोए जरामरणेण य 3 / से जहानामए-केइ गाहावती श्रागारंसि झियायमाणंसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पसारे मोल्लगरूए तं गहाय आयाए एगंतमंतं अवकमइत्ति, एस मे नित्यारिए समाणे पच्छा पुरा हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए पाणुगामियत्ताए भविस्सइ, एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झवि आया एगे भंडे इवे कते पिए मणुन्ने मणामे थेज्जे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 2 : उ०१ ] [56 भंड-करंडग-समाणे मा णं सीयं मा णं उगहं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइय-पित्तियसंभिय-संनिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्तिकटु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए अणुगामियत्ताए भविस्सइ, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सयमेव पव्वावियं सयमेव मुंडावियं सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं सयमेव अायारगोयरं विणय-वेणइयचरण-करण-जाया-मायावत्तियं धम्ममाइविखग्रं 4 ।तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं सयमेव पवावेइ जाव धम्ममातिक्खइ, एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं एवं निसीतियव्वं एवं तुयट्टियव्वं एवं भुजियव्वं एवं भासियव्वं एवं उट्टाए 2 पाणेहिं भूएहिं जीवेहि सत्तेहिं संजमेणं संजमियत्वं, अस्ति च णं अट्ठ णो किंचिवि पमाइयव्वं 5 / तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते समणस्स भगवयो महावीरस्स इमं एयाख्वं धम्मियं उवएसं सम्मं संपडिवजति तमागाए तह गन्छइ तह चिट्ठइ तह निसीयति तह तुयट्टइ तह भुजइ तह भासइ तह उठाए 2 पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमइ, अस्सि च णं अट्ठ णो पमायइ 6 / तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते अणगारे जाते, ईरियासमिए भासासमिए एसणासमिए पायाण-भंडमत्त-निक्खेवणासमिए उचार-पासवण-खेल-सिंघाणजल-पारिट्ठावणियासमिए मणसमिए वयसमिए कायसमिए मणगुत्ते वइगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुतिदिए गुत्तवंभयारी चाई लज्जू धरणे खंतिखमे जिइंदिए सोहिए अणियाणे अप्पुस्सुए अबहिल्लेस्से सुसामराणरए दंते इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरयो काउं विहरइ 7 // सू० 12 // तए णं समणे भगवं महावीरे कयंगलायो नयरीयो छत्तपलासयायो चेइयायो पडिनिक्खमइ 2 बहिया जणवयविहारं विहरति 1 / तए णं से खंदए यणगारे समणस्स भगवयो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामा Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6.] उपसंपाजन खंदए अणगार मामयं मिला अहासुतं अाति प्र [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विभागः इयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिजइ 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 एवं वयासीइच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अभणुराणाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरित्तए, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 2 / तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुराणाए समाणे हटे जाव नमंसित्ता मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरइ, तए णं से खंदए अणगारे मासियभिक्खुपडिमं ग्रहासुत्तं ग्रहाकप्प ग्रहामग्गं ग्रहातच्चं अहासम्मं कारण फासेति पालेति सोभेति तीरेति पूरेति किट्टति अणुपालेइ थाणाए बाराहेइ संमं कारण फासित्ता जाव बाराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं जाव नमं सित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अभणुराणाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरत्तिए, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 3 / तं चेव, एवं तेमासियं चाउम्मासिय पंचछसत्तमासियं, पढमं सत्तराइंदियं दोच्चं सत्तराइंदियं तच्चं सत्तरातिदियं अहोरातिदियं एगरातिदियं तए णं से खंदए अणगारे एगराइंदियं भिक्खुपडिमं ग्रहासुत्तं जाव धाराहेता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं जाव नमंसित्ता एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुराणाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं उवसंपजित्ता णं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 4 / तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अभणुराणाए समाणे जाव नमंसित्ता गुणरयणसंबच्छरं तवोकम्म उवसंपजित्ता णं विहरति, तंजहापढमं मासं चउत्थंचउत्थेण अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेण य 5 / एवं दोच्चं मासं छटुंछ?णं एवं तच्च मासं अट्ठमंटमेणं चउत्थं Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 2 : उ० 1] [61 मासं दसमंदसमेणं पंचमं मासं बारसमंबारसमेणं छटुं मासं चोदसमंचोद्दसमेणं सत्तमं मासं सोलसमं 2 अट्ठमं मासं अट्ठारसमं 2 नवमं मासं वीसतिमं 2 दसमं मासं बावीसं 2 एकारसमं मासं चउव्वीसतिम 2 बारसमं मासं छब्बीसतिमं 2 तेरसमं मासं अट्ठावीसतिमं 2 चोदसमं मासं तीसइमं 2 पन्नरसमं मासं बत्तीसतिमं 2 सोलसमं मासं चोत्तीसइमं 2 अनिक्खित्तेणं तबोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए यायावेमाणे रत्ति वीरासणेणं अवाउडेणं, 6 / तए णं से खंदए अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं ग्रहासुत्तं ग्रहाकप्पं जाव धाराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 बहूहिं चउत्थछट्टम-दसम-दुवालसेहि मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणे विहरति 7 / तए णं से खंदए अणगारे तेणं अोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहएणं कलाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाते यावि होत्था जीवंजीवेण गच्छइ जीवंजीवेण चिट्ठइ भासं भासित्तावि गिलाइ भासं भासमाणे गिलाति भासं भासिस्सामीति गिलायति 8 / से जहा नामए–कट्ठसगडिया इ वा पत्तसगडिया इ वा पत्त-तिल-भंडग-सगडिया इ वा एरंड-कट्टसगडिया इ वा इंगालसगडिया इ वा उराहे दिराणा सुका समाणी ससद गच्छइ ससह चिट्ठइ एवामेव खंदएवि श्रणगारे ससह गच्छइ ससह चिट्ठइ उवचित्ते तवेणं अवचिए मंससोणिएणं हुयासणेविव भासरासिपडिच्छन्ने तवेगां तेएगां तवतेयसिरीए अतीव 2 उवसोभेमाणे 2 चिट्टइ 1 // सू० 13 // ते गां काले गां 2 रायगिहे नगरे जाव समोसर जाव परिसा पडिगया, तए गां तस्स खंदयस्स अणगारस्स अराणया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62] f श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमागः इमेयारूवे अभत्थिए चिंतिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु अहं इमेगां एयारूवेणं थोरालेगां जाव किसे धमणिसंतए जाते जीवंजीवेगां गच्छामि जीवंजीवेगां चिट्ठामि जाव गिलामि जाव एवामेव अहंपि ससद गच्छामि ससहचिट्ठामि तं अस्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे तं जाव ता मे अस्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरकमे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ ताव ता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पल-कमल-कोमलुम्मिल्लियंमि अहापंडुरे पभाए रत्तासोय-पकास-किंसुयसुयमुह-गुजद्धरागसरिसे कमलागरसंडबोहए उठ्ठियमि सूरे सहस्सरसिमि दिणयरे तेयसा जलते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता जाव पज्जुवासित्ता समणेणं भगवया महावीरेगां अब्भणुराणाए समाणे सयमेव पंच महत्वयाणि श्रारोवेत्ता समणा य समणीयो य खामेत्ता तहास्वेहि थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं 2 दुरूहित्ता मेघणसन्निगासं देवसन्निवातं पुडवीसिलावट्टयं पडिलेहित्ता दम्भसंथारयं संथरित्ता दम्भ-संथारोवगयस्स संलेहणा-जोसणाजूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पायोवगयस्स कालं अणवक्खमाणस्स विहरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ 2 ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते जेणेव समणे भगवं महावीरे जाव पज्जुवासति 1 / खंदयाइ समणे भगवं महावीरे खंदयं अणगारं एवं वयासी-से नूणं तत्र खंदया ? पुवरत्तावरत्ताकालसमयंसि जाव जागरमाणस्स इमेयारूचे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं तवेणं अोरालेणं विपुलेणं तं चेव जाव कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेसि 2 कल्लं पाउप्पभायाए जाव जलंते जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए, से नूणं खंदया ? अढे सम? ?, हंता अस्थि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 2 // सू० 14 // तए णं से खंदए अणगारे समणेणं Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 2: उ०१ ] भगवया महावीरेणं अब्भणुराणाए समाणे हट्टतुट्ठ जाव हयहियए उठाए उद्वेइ 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ 2 जाव नमंसित्ता सयमेव पंच महब्बयाई श्रारहेइ 2 ता समणे य समणीयो य खामेइ 2 ता तहारूवेहि थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं 2 दुरूहेइ मेहघणसन्निगासं देवसन्निवायं पुढविसिलावट्टयं पडिलेहेइ 2 उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ 2 दब्भसंथारयं संथरेइ 2 दम्भसंथारयं दुरूहेइ 2 दम्भसंथारोवगते पुरत्याभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वदासी-नमोऽत्थु णं अरहताणं भगवंताणं जाव संपत्तागां, नमोऽत्थु गां समणस्स भगवयो महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, वंदामि गां भगवंतं तत्थ गयं इहगते, पासउ मे भयवं तत्थगए इहगयंतिकटु वंदइ नमसति 2 एवं वदासीपुबिपि मए समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए जाव मिच्छादसणसल्ले पञ्चक्खाए जावज्जीवाए इयाणिपि य गां समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जावजीवाए जाव मिच्छादसणसल्लं पञ्चक्खामि, एवं सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चरविहंपि श्राहारं पञ्चक्खामि जावजीवाए, जंपि य इम सरीरं इट्ट कंतं पियं जाव फुसंतुत्तिक? एयंपिणं चरिमेहिं उस्सासनीसासेहिं वोसिरामित्तिकटु संलेहणा-जूसणाजूसिए भत्तपाण-पडि. याइक्खिए पात्रोवगए कालं अणवकंखमाणे विहरति 1 / तए गां से खंदए अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स तहारूवाणां थेराणं अंतिए सामाइयमादियाई इक्कारस अंगाई अहिन्जित्ता बहुपडिपुराणाई दुवालसवासाई सामनपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झसित्ता सर्टि झत्ताई अणसणाए छेदेत्ता पालोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते प्राणुपुबीए कालगए // सू० 15 // तए गां ते थेरा भगवंतो कंदयं अणगारं Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54] { श्रीमदागमसुधासिन्धु / द्वितीयो विभागः कालगयं जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति 2 पत्तचीवराणि गिराहंति 2 विपुलायो पबयायो सणियं 2 पचोरुहंति 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति 2 समां भगवं महावीरं वंदति नमसंति 2 एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए नामं अणगारे पगइभइए पगतिविणीए पगतिउवसंते पगति-पयणु-कोहमाण-मायालोभे मिउमदवसंपन्ने अल्लीणे भदए विणीए, से णं देवाणुप्पिएहिं अभणुराणाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाणि अारोवित्ता समणे य समणीयो य खामेत्ता, अम्हेहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं तं चेव निरवसेसं जाव आणुपुवीए कालगए इमे य से पायारभंडए 1 / मते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए नामं अणगारे कालमासे कालं किचा कहिं गए ? कहिं उववरणे ?, गोयमाइ ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! मम अंतेवासी खंदए नामं अणगारे पगतिभद्दए जार से णं मए अब्भणुराणाए समाणे सयमेव पंचे महव्वयाई श्रारुहेत्ता तं चेव सव्वं अविसेसियं नेयव्वं जाव आलोतियपडिवकते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववराणे, तत्थ णं अत्यंगइयाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पराणत्ता, तस्स णं खंदयस्सवि देवस्स बावीसं सागरोवमाई ठिती पराणत्ता 2 / से णं भंते ! खंदए देवे तायो देवलोगायो अाउक्खएणं भवक्खएणं ठितीक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुझिहिति मुचिहिति परिनिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति 3 // सू० 16 // खंदश्रो समत्तो // बितीयसयस्स पढमो॥ // इति द्वितीयशतके प्रथमोद्देशकः // 2-1 // Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 2: उ० 2-3-4-5 ) (65 // अथ द्वितीयशतके समुद्घाताख्य-द्वितीयोद्देशकः // कति णं भंते ! समुग्धाया पराणत्ता ?, गोयमा ! सत्त समुग्घाया पराणत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए एवं समुग्घायपदं छाउमत्थियसमुग्घायवज्ज भाणियव्वं, जाव वेमाणियाणं कसायसमुग्घाया अप्पाबहुयं / श्रणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो केवलिसमुग्घाय जाव सासयमणागयद्धं चिट्ठति, समुग्घायपदं नेयव्वं ॥सू०१७ // वितीयसए बितीयोहे सो॥ .... // इति वितीयशतके द्वितीय उद्देशकः // 2-2 // // अथ द्वितीयशतके पृथिवीनामक-ततीयोद्देशकः // - कति गां भंते ! पुढवीयो पन्नत्तायो ?, जीवाभिगमे नेरइयाणं जो वितियो उद्दे सो सो नेयव्यो,-पुढविं योगाहित्ता निरया संठाणमेव बाहल्लं / विक्खंभपरिक्खेवो वराणो गंधो य फासो य // 1 // जाव किं सव्वपाणा उववरणपुव्वा ?, हंता गोयमा ! असतिं अदुवा अणंतखुत्तो॥ सू० 18 // पुढवी उद्दे सो॥ // इति द्वितीयशतके तृतीय उद्देशकः // 2-3 // // अथ द्वितीयशतके इन्द्रियाख्य-चतुर्थोद्देशकाः // - कति गां भंते ! इंदिया पत्नत्ता ?, गोयमा ! पंचिंदिया पन्नत्ता, तंजहा-पढमिल्लो इंदियउद्देसो नेयम्वो, संगणं बाहल्लं पोहत्तं जाव अलोगो॥ सू० 11 // इंदियउद्दे सो॥ // इति द्वितीयशतके चतुर्थ उद्देशकः // 2-4 // // अथ द्वितीयशतके अन्यूथिकाख्य-पञ्चमोद्देशकः // ____अण्णउत्थिया गां भंते ! एवमाइक्खंति भासंति पनवेंति परुति, तंजहा-एवं खलु नियंठे कालगए समाणे देवभूएणं अप्पाणेणं से णं तत्थ णो अन्ने देवे नो अन्नेसिं देवाणं देवीयो अहिजुजिय 2 Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभावः परियारेइ 1 णो अप्पणच्चियायो देवीयो अभिजुजिय 2 परियारेइ 2 अप्पणामेव अप्पाणं विउब्विय 2 परियारेइ 3 एगेवि य णं जीवे एगेणां समएणं दो वेदे वेदेइ, तंजहा-इत्थिवेदं पुरिसवेदं च, एवं परउत्थियवत्तव्वया नेयव्वा जाव (जं समयं इत्थिवेयं वेएइ तं समयं पुरिसवेयं वेण्इ जं समयं पुरिसवेयं वेएइ तं समयं इत्थिवेयं वेइए, इत्थिवेयस्स वेयणयाए पुरिसवेयं वेएइ पुरिसवेयस्स वेयणयाए इत्थीवेयं वेएइ एवं खलु एगेवि य णं जीवे एगेणं समएणं दो वेदे वेदेइ, तंजहा-) इत्थिवेदं च पुरिसवेदं च 1 ।से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव इत्थिवेदं च पुरिसवेदं च, जे ते एवमाहसु मिच्छं ते एवमाहंस, अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि भासामि पनवेमि परूवेमि–एवं खलु नियठे कालगए समाणे अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवन्ति महिडिएसु जाव महाणुभागेसु दूरगतीसु चिरट्टितीएसु, से णं तत्थ देवे भवति महिड्डीए जाव दस दिसायो उज्जोवेमाणे पभासेमाणे जाव पडिरूवे 2 / से णं तत्थ अन्ने देवे अन्नेसि देवाणं देवीयो अभिजुजिय 2 परियारेइ. 1 थप्पणचियायो देवीयो अभिजुजिय 2 परियारेइ 2 नो अपणामेव अप्पाणं विउब्विय 2 परियारेइ 3, एगेविय णं जीवे एगेणं समएणं एगं वेदं वेदेइ, तंजहाइत्थिवेदं वा पुरिसवेदं वा, जं समयं इत्थिवेदं वेदेइ णो तं समयं पुरुसवेयं वेएइ जं समयं पुरिसवेयं वेएइ नो तं समयं इथिवेयं वेदेइ, इत्थिवेयस्स उदएणं नो पुरिसवेदं वेएइ, पुरिसवेयस्स उदएणं नो इत्थिवेयं वेएइ, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं वेदं वेदेइ, तंजहा-इत्थीवेयं वा पुरिसवेयं वा, इत्थी इथिवेएणं उदिन्नेणं पुरिसं पत्थेइ, पुरिसो पुरिसवेएणं उदिन्नेणं इत्थिं पत्थेइ, दोवि ते अन्नमन्नं पत्थेति, तंजहाइत्थी वा पुरिसं पुरिसे वा इत्थिं 3 // सू० 100 // उदगगब्भे-णं भंते ! उदगगठभेत्ति कालतो केवचिरं होड़ 2. गोयमा। जहन्नेां एक्कं समयं Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शराक 2 उ०५] (6. उकोसेणं छम्मासा 1 / तिरिक्खजोणियगम्भे गां भंते ! तिरिक्खजोणियगभेत्ति कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अट्ठ संवच्छराई 2 / मणुस्सीगम्भे गां भंते ! मणुस्सीगभत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई 3 // सू० 101 // कायभवत्थे णं भंते ! कायभवत्थेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं चउव्वीसं संवच्छराई // सू० 102 // मणुस्स-पंचेंदिय-तिरिक्ख-जोणियबीए णं भंते ! जोणियभूए केवतियं कालं संचिट्ठइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता // सू० 103 // एगजीवे णं भंते ! जोणिए बीयभूए (एगभवग्गहणेणं) केवतियाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छइ ?, गोयमा / जहन्नेणं इकस्म वा दोराहं वा तिराहं वा, उक्कोसेणं सयपुहुत्तस्स जीवाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति // सू० 104 // एगजीवस्स णं भंते ! एगभवग्गहणेणं केवइया जीवा पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति ? गोयमा ! जहन्नेणं इको वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जाव हबमागच्छइ ?, गोयमा ! इत्थीए य पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणीए मेहुणवत्तिए नामं संजोए समुप्पजड, ते दुहयो सिणेहं संचिणंति 2 तत्थ गां जहन्नेणं एको वा दो वा तिरिण वा उकोसेणं सयसहस्सपहुत्तं जीवाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति, से तेण?णं जाव हव्वमागच्छइ // सू० 105 // मेहुणे णं भंते ! सेवमाणस्स केरिसिए असंजमे कन्जइ ?, गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे ख्यनालियं वा बूरनालियं वा तत्तेणं कणएणं समभिधंसेजा एरिसएणं गोयमा ! मेहुणं सेवमाणस्स. असंजमे कन्जइ, सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति // सू० 106 // तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाथो नगरायो गुणसिलायो चेइयायो पडिनिक्खमइ 2 बहिया जणवयविहारं विहरति / lilishna Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64] 1 श्रीमंदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः तेणं कालेणं 2 तुगिया नाम नगरी होत्था वराणयो, तीसे णं तुगियाए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए पुप्फवतिए नामं चेतिए होत्था, वराणो 2 / तत्थ णं तुगियाए नयरीए बहवे समणोवासया परिवसंति अड्डा दित्ता विच्छिण्ण-विपुल-भवण-सयणासण-जाणवाहणाइराणा बहुधण बहुजायस्वरयया अायोग-पयोग-संपउत्ता विच्छड्डिय-विपुलभत्तपाणा बहुदासी-दासगो-महिस-गवेलयप्पभूया बहुजणस्स अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुराणपावा यासव-संवर-निजर-किरियाहिकरण-बंध-मोक्खकुसला असहेज-देवासुर-नागसुवराण-जक्खरक्खस-किंनरकिंपुरिस-गरुलगंधव-महोरगादीएहिं देवगणेहिं निग्गंथायो पावयणाश्रो अणतिकमणिज्जा णिग्गंथे पावयणे निस्संकिया निक्कंखिया निवितिगिच्छा लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियहा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्ठिमिन-पेम्माणुरागरत्ता, अयमाउसो ! निग्गंथे पावयणे अट्ठ अयं परम8 सेसे अण? उसियफलिहा अवंगुयदुवारा चियत्तंतेउर-घरप्पवेसा बहूहिं सीलब्बय-गुणवेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं, चाउद्दसट्टमुट्ठि-पुराणमासिणीसु पडिपुन्नं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणे समणे निग्गंथे फासुएसणिज्जेणं असणपाण-खाइमसाइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंवल-पायपुछणेणं पीढफलग-सेज्जासंथारपणं श्रोसह-- भेसज्जेण य पडिलामेमाणा ग्रहापडिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणा विहरंति 3 // सू० 107 // तेणं कालेणं 2 पासावचिन्जा थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना बलसंपन्ना रूवसंपन्ना विणयसंपन्ना णाणसंपन्ना दंसणसंपन्ना चरित्तसंपन्ना लजासंपन्ना लाघवसंपन्ना बोयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जियनिदा जितिंदिया जियपरीसहा जीवियास-मरणभय-विप्पमुक्का जाव कुत्तियावणभूता बहुस्सुया बहुपरिवारा पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं परिवुडा ग्रहाणुपुचि चरमाणा गामाणुगामं दृइन्जमाणा सुहसुहेणं विहरमाणा जेणेव तुगिया नगरी Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवत्ति)-सत्रशतके 1 0 5 ] [66 जेणेव पुष्फवतीए चेइए तेणेव उवागच्छंति 2 ग्रहापडिरूवं उग्गह उगिरिहत्ता णं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरंति // सू० 108 // तए णं तुगियाए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चर-महापहपहेसु जाव एगदिसाभिमुहा णिजायंति, तए णं ते समणोवासया इमीसे कहाए लट्ठा समाणा हट्टतुट्टा जाव सदाति 2 एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पासावच्चेजा थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना जाव अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता णं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति, तं महाफलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं थेराणं भगवंताणं णामगोयस्सवि सवणयाए किमंग पुण अभिगमण वंदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए जाव गहणयाए ?, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! थेरे भगवंते वंदामो नमंसामो जाव पज्जुवासामो, एयं णं इहभवे वा परभवे वा जाव अणुगामियत्ताए भविस्सतीतिकटु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठ पडिसुणेति 2 जेणेव सयाइं 2 गिहाई तेणेव उवागच्छति 2 गहाया कयबलिकम्मा कय-कोउयमंगलपायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवराई परिहिया (पवरपरिहिया) अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरा सएहिं 2 गेहेहिंतो पडिनिक्खमंति 2 त्ता एगयो मेलायति 2 पायविहारचारेणं तुगियाए नगरीए मझमज्झेणं णिगच्छंति 2 जेणेव पुष्फवतीए चेइए तेणेव उवागच्छंति 2 थेरे भगवंते पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छंति, तंजहा-सचित्ताणं दव्वाणं विसरणयाए 1 अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए 2 एगसाडिएणं उत्तरासंगकरणेणं 3 चक्खुप्फासे अंजलिप्पग्गहेणं 4 मणसो एगत्तीकरणेणं 5 जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति 2 तिक्खुत्तो पायाहिणं पयाहिणं करेइ 2 जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति, तंजहा-काइयाए वाइयाए माणसियाए, तत्थ काइयाए-संकुचिय-पाणियाए सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएण पंजलिउडे (सुसमाहिय Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः पसंतसाहरिय-पाणिपाया अंजलि-मउलियहत्था) पन्जुवासंति। वाइयाएजं जं भगवं वागरेति (तं तं)-एवमेयं भंते ?, तहमेयं भंते !, अवितहमेयं भंते !, असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते !, पडिच्छियमेयं भंते !, इच्छियपडिच्छियमेयं भंते !, सच्चे णं एसम8, से जहेयं तुब्भे वदह-वायाए अंपडिकुलेमाणे पज्जुवासंति, "माणसियाए महया संवेगं जणयंता(इत्ता) तिव्वधम्माणुरागरत्ता विगह-विसोत्तिय-परिवजियमई (तचित्ता तम्मणा तल्लेस्सा तयझवसिया तत्तिव्वज्झवसाणा तदप्पियकरणा तयट्ठोवउत्ता तभावणभाविया एगमणा अविमणा अणन्नमणा जिणवयण-धम्माणुरागरत्तमणा वियसिय-वर-कमल-नयण-वयणा) अन्नत्थ कथइ मणं अकुब्वमाणा विणएणं पज्जुवासंति // सू० 101 // तए णं ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं तीसे य महतिमहालियाए परिसाए चाउज्जामं धम्म परिकहेंति जहा केसिलामिस्स जाव समणोवासियत्ताए आणाए बाराहगे भवति जाव धम्मो कहियो 1 / तए णं ते समणोवासया थेराणं भगवंताणं अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ट तुट्ट जाव हयहियया तिक्खुत्तो पायाहिणप्पयाहिणं करेंति 2 जाव तिविहाए पज्जुयासणाए पज्जुवासति 2 एवं वदासी-संजमे णं भंते ! किंफले ? तवे णं भंते / किंफले ?, तए णं ते थेरा भगवंतो ते समणोवासए एवं वदासी-संजमें णं अजो ! अणराहयफले तवे वोदाणफले 2 / तए णं ते समणोवासया थेरे भगवंते एवं वदासी-जति णं भंते ! संजमे अणराहयफले तवे वोदाणफले, किंपत्तियं णं भंते ! देवा देवलोएसु उववज्जंति, तत्थ णं कालियापुत्ते नाम थेरे ते समणोवासए एवं वदासीपुब्बतवेणं अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जति, तत्थ णं मेहिले नाम थेरे ते समणोवासए एवं वदासी-पुब्वसं जमेणं अजो! देवा देवलोएसु उववजंति, तत्थ णं आणंदरक्खिए णाम थेरे ते समणोवासए एवं वदासी-कम्मियाए अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जति, ताथ णं कासवे णामं थेरे ते समणो Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञष्टि श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतक 2: उ० 5 ] वासए एवं वदासी-संगियाए अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जति, पुठवतवेणं पुव्वसंजमेणं कम्मियाए संगियाए अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जति सच्चे णं एस 8 नो चेव णं पायभाववत्तव्ययाए 3 / तए णं ते समणोवासया थेरेहिं भगवंतेहिं इमाइं एयारूवाइं वागरणाई वागरिया समाणा हट्टतुट्ठा थेरे भगवंते वंदंति नमसंति 2 पसिणाई पुच्छंति 2 अट्ठाई उवादियंति 2 उट्ठाइ उट्ठति 2 थेरे भगवंते तिक्खुत्तो वंदति णमंसंति 2 थेराणं भगवंताणं अंतियायो पुप्फवतियायो चेइयायो पडिनिक्खमंति 2 जामेव दिसि पाउम्भूया तामेव दिसि पडिगया 4 / तए णं ते थेरा अन्नया कयाई तुगियायो पुष्फवतिचेइयायो पडिनिगच्छंति (पडिनिक्खमंति) 2 बहिया जणवयविहारं विहरंति 5 ॥सू० 110 // तेणं कालेणं 2 रायगिहे नाम नगरे जाव परिसा पडिगया 1 / तेणं कालेणं 2 समणस्स भगवश्रो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूतीनामं अणगारे जाव संखित्तविउल-तेयलेस्से छ8छट्टेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे जाव विहरति 2 / तए णं से भगवं गोयमे छट्टक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ बीयाए पोरिसीए झाणं झियायइ तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेहेइ 2 भायणाई वत्थाई पडिलेहेइ 2 भायणाई पमज्जइ 2 भायणाई उग्गाहेइ 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 एवं वदासीइच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुनाए छट्ठक्खमणपारणगंसि रायगिहे नगरे उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करेह 3 / तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुनाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियायो गुणसिलायो चेइयायो पडिनिक्खमइ 2 अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरयो रियं सोहेमाणे 2 जेणेव रायगिहे Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 72] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः नगरे तेणेव उवागच्छइ 2 रायगिहे नगरे उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अडइ 4 / तए णं से भगवं गोयमे रायगिहे नगरे जाव श्रडमाणे बहुजणसद निसामेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुङ्गियाए नगरीए बहिया पुष्फवतीए चेएइ पासावचिजा थेरा भगवंतो समणोवासएहिं इमाई एयारूवाई बागरणाइं पुच्छिया-संजमे णं भंते ! किंफले ? तवे णं भंते ! किंफले ?, तए णं ते थेरा भगवंतो ते समणोवासए एवं वदासी-संजमे णं अजो! अणराहयफले तवे वोदाणफले तं चेव जाव पुव्वतवेणं पुव्वसंजमेणं कम्मियाए संगियाए अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जति, सच्चे णं एसम? णो चेव णं पायभाववत्तव्वयाए 5 / से कहमेयं भंते ! मरणे एवं ?, तए णं समणे भगवं गोयमे इमीसे कहाए लट्ठ समाणे जायसड्ढे जाव समुप्पन्नकोउहल्ले अहापजत्तं समुदाणं गेराहइ 2 रायगिहायो नगरायो पडिनिक्खमइ 2 अतुरियं जाव सोहेमाणे जेणेव गुणसिलए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स अदूरसामंते गमणागमणाए पडिकमइ एसणमणेसणं बालोएइ 2 भत्तपाणं पडिदंसेइ 2 समणं. भगवं महावीरं जाव एवं वयासी-एवं खलु भंते ! ग्रहं तुम्भेहिं अब्भणुराणाए समाणे रायगिहे नगरे उच्चनीयमज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणसद निसामेमि 6 / एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुगियाए नगरीए बहिया पुष्फवईए चेइए पासावच्चिजा थेरा भगवंतो समणोवासएहिं इमाइं एयारूवाई वागरणाइं पुच्छिया-संजमे णं भंते ! किफले ? तवे किंफले ? तं चेव जाव सच्चे णं एसम8 णों चेव णं यायभाववत्तव्वयाए, तं पभू णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयाख्वाइं वागरणाई वागरित्तए उदाहु अप्पभू , समिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयाख्वाई वागरणाई वागरित्तए उदाहु असमिया ? आउजिया णं Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 73 श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूर्ग :: शतकं 2 : उ०५) भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाई एयारूवाई वागरणाई वागरित्तए उदाहु अणाउजिया ? पलिउजिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समगोवासयाणं इमाई एयारूवाई वागरणाई वागरित्तए उदाहु अपलि. उजिया ?, पुवतवेणं अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जति पूब्द संजमेणं अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जति, कम्मियाए अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जति, संगियाए अजो ? देवा देवलोएसु उववज्जंति, पुव्वतवेणं पुब्बसंजमेणं कम्मियाए संगियाए अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जंति, सच्चे णं एसम? णो चेव णं पायभाववत्तव्वयाए 7 / पभ णं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाई वागरणाइं वागरेत्तए, णो चेव णं अप्पभू, तह चेव नेयव्वं अवसेसियं जाव पभू समियं पाउजिया पलिउजिया जाव सच्चे णं एसमढे णो चेव णं श्रायभाववत्तव्वयाए, अहंपि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि भासेमि पराणवेमि परूवेमि पुवतवेणं देवा देवलोएसु उववज्जंति, पुव्वसंजमेणं देवा देवलोएसु उववज्जति, कम्मियाए देवा देवलोएसु उववज्जंति, संगियाए देवा देवलोएसु उववज्जंति, पुव्वतवेणं पुव्वसंजमेणं कम्मियाए संगियाए अजो ! देवा देवलोएसु उववज्जंति, सच्चे गां एसमढे णो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए 8 // सू० 111 // तहास्वं भंते ! समणं वा माहणं वा पज्जुवासमाणस्स किंफला पज्जुवासणा ?, गोयमा ! सवणफला 1 / से णं भंते ! सवणे किंफले ?, णाणफले 2 / से णं भंते ! नाणे किंफले ?, विगणाणफले 3 / से णं भंते ! विनाणे किंफले ?, पञ्चक्खाणफले 4 / से णं भंते ! पञ्चक्खाणे किंफले ?, संजमफले 5 / से णं भंते ! संजमे किंफले ?, अणराहयफले 6 / एवं अणराहये तवफले 7 / तवे बोदाणफले 8 / वोदाणे अकिरियाफले 1 / से णं भंते ! अकिरिया किं फला ?, सिद्धिपजवसाणफला पराणत्ता गोयमा ! 10 / गाहा-सवणे णाणे य विराणाणे पञ्चक्खाणे य संजमे / श्रणाहए तवे चेव Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 743 भीमदोगमसुधासिन्धु / द्वितीयो विभागः वोदाणे अकिरिया सिद्धी // 1 // सू० 112 // अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमातिखंति भासंति पराणवेंति परुति-एवं खलु रायगिहस्स नगरस्स बहिया वेभारस्स पव्वयस्स ग्रहे एस्थ णं महं एगे हरए अधे (थप्पे) पन्नते श्रणेगाई जोयणाई श्रायामविक्खंभेणं नाणादुमसंड-मंडितउद्दे से सस्सिरीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं बहवे श्रीराला बलाहया संसेयंति सम्मुच्छिति वासंति तव्वतिरित्ते य णं सया समिश्रो उसिणे 2 पाउकाए अभिनिस्सवइ / से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते श्रराण- . उस्थिया एवमातिक्खंति जाव जे ते एवं परुति मिच्छं ते एवमातिक्खंति जाव सव्वं नेयव्वं, जाव अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि भासेमि पनवेसि पख्वेमि एवं खलु रायगिहस्स नगरस्स बहिया वेभारपब्वयस्स श्रदूरसामंते, एत्थ णं महातवोवतीरप्पभवे नामं पासवणे पन्नत्ते पंचधणुसयाणि थायामविक्खंभेणं नाणादुमसंडमंडिउद्दे से सस्सिरीए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे तत्थ णं बहवे उसिणजोणिया जीवा. य पोग्गला य उदगत्ताए वकमंति विउक्कमति चयंति उववज्जति तव्वतिरित्तेवि य aaN सया समियं उसिणे 2 अाउयाए अभिनिस्सवइ, एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवे पासवणं, एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवस्स पासवणस्स अट्ठ पन्नत्ते, सेवं भंते 2 त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति // सू० 113 // // इति रितीयशतके पच्चम उद्देशकः // 1-5 // // अथ द्वितीयशतके भाषाख्य-षष्ठोद्देशकः // से गुणं भंते ! मराणामीति श्रोहारिणी भासा, ऐव भासापदं भाणियव्वं // सू० 114 // ... ॥इति द्वितीयशतके षष्ठ उद्देशकः // 1-6 // Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतक 2 : उ० 7-8 ] [7 * // अथ द्वितीयशतके देवाख्य-सप्तमोद्देशकः // कतिविहा णं भंते ! देवा पराणता ?, गोयमा ! चउन्विहा देवा पराणत्ता, तंजहा-भवणवइ-वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया 1 / कहि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं ठाणा पराणता ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जहा ठाणपदे देवाणं वत्तव्वया सा भाणियव्वा, नवरं भवणा पराणत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे 2 / एवं सव्वं भाणियव्वं जाव सिद्धगंडिया समत्ता-कप्पाण पइट्ठाणं बाहुल्लुच्चत्तमेव संठाणं 3 / जीवाभिगमे जाव वेमाणिउद्देसो भाणियव्वो सव्वो // सू० 115 // // इति द्वितीयशतके सप्तम उद्देशकः // 2-7 // // अथ द्वितीयशतके चमरचंचा-नामकाष्टमोद्देशकः // कहि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सभा सुहम्मा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लायो वेइयंतायो अरुणोदयं समुद्दबायालीसं जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररराणो तिगिच्छियकूडे नामं उप्पायपव्वए पराणत्ते, सत्तरसएकवीसे जोयणसए उड्ड उच्चत्तेणं चत्तारि जोयणसए कोसं च उव्वेहेणं गोत्थुभस्स श्रावासपव्वयस्स पमाणेणं णेयव्वं नवरं उवरिल्लं पमाणं मज्झे भाणियव्वं [ मूले दसबावीसे जोयणसए विक्खंभेणं मझे चत्तारि चउवीसे जोयणसते विक्खंभेणं उवरिं सत्ततेवीसे जोयणसते विक्खंभेणं मूले तिगिण जोयणसहस्साइं दोरिण य बत्तीसुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं मज्झे एगं जोयणसहस्सं तिरिण य इगयाले जोयणसते किंचिविसेसूणे परिवखेवेणं उवरिं दोगिण य जोयणसहस्साई दोरिण य छलसीते जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं ] जाव मूले Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः। द्वितीयो विमाणा वित्थडे मन्झे संखित्ते उप्पिं विसाले मज्झे वरखइरविग्गहिए महामउंदसंगणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे 1 / से णं एगाए पउमवर. वेड्याए एगेणं वणसंडेण य सव्वो समता संपरिक्खित्ते, परमवरवेड्याए वणसंडस्स य वरणयो 2 / तस्स णं तिगिच्छिकूडस्स उप्पायपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, वराणयो तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं एगे पासायवडिसए पन्नत्ते अड्डाइजाइं जोयणसयाई उड्डे उच्चत्तेणं पणवीसं जोयणसयाई विक्खंभेणं, पासायवराणो उल्लोयभूमिवन्नो अट्ठ जोयमाई मणिपेढिया चमरस्स सीहासणं सपरिवारं भाणियव्वं 3 / तस्स णं तिगिच्छिकूडस्स दाहिणेणं छक्कोडिसए पणपन्नं च कोंडीश्रो पणतीसं च सयसहस्साई पण्णासं च सहस्साई अरुणोदे समुद्दे तिरियं वीइबइत्ता अहे रयणप्पभाए पुढवीए चत्तालीसं जोयणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररगणो चमरचंचा नामं रायहाणी पराणत्ता 4 / एर्ग जोयणसयसहस्सं थायामविक्खंभेणं जंबद्दीवप्पमाणं, पागारो दिवढ जोयणसयं उड्ड उच्चत्तेणं, मूले पन्नासं जोयणाई विक्खंभेणं, उवरिं अद्धतेरसजोयणा कविसीसगा श्रद्धजोयणथायाम कोसं विक्खंभेणं देसूणं श्रद्धजोयणं उड्डे उच्चत्तेणं एगमेगाए बाहाए पंच 2 दारसया अड्डाइजाई जोयणसयाई 250 उड्ड उच्चत्तेणं श्रद्धं 125 विक्खंभेणं उवयारियलेणं सोलसजोयणसहस्साई यायामविक्खंभेणं पन्नासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउयजोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं सब्बप्पमाणं वेमाणियप्पमाणस्स अद्धं नेयव्वं 5 / सभा सुहम्मा, उत्तरपुरच्छिमे णं जिणघरं, ततो उववायसभा हरयो अभिसेय. अलंकारो जहा विजयस्स उववायो संकप्पो अभिसेयविभृसणा य ववसायो 6 / अञ्चणिय सिद्धायण गमोवि य णं. चमर परिवार इडत्तं 7 // सू० 116 // बीयसए अट्ठमो॥ ...... // इति द्वितीयशतके अष्टम उद्देशकः // 2-8 // Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्ध्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शेतकं 2 :: 70 9-10 ] [77. // अथ द्वितीयशतके समयक्षेत्राख्य-नवमोद्देशकः // किमिदं भंते / समयखेत्तेत्ति पचति ?, गोयमा ! अड्डाइजा दीवा दो य समुद्दा एस णं एवइए समयखेत्तेति पवुच्चति 1 / तत्थ णं श्रयं जंबूद्दीवे 2 सम्बदीवसमुदाणं सव्वभंतरे एवं जीवाभिगमवत्तव्वया जोइस(अ)विहणं नेयव्वा जाव अभितरं पुक्खरद्धं जोइसविहूणं जाव इमा गाहा-अरिहंत समय बायर विज्जू थणिया बलाहगा अगणी / श्रागर निहि नइ उवराग निग्गमे बुड्डिवयणं च // 1 // सू० 117 // वितीयस्स नवमो उद्देसो // .. // इति द्वितीयशतके नवम उद्देशकः // 2-9 // // अथ द्वितीयशतके अस्तिकायाख्य-दशमोद्देशकः // कति णं भंते ! अत्थिकाया पन्नता ?, गोयमा ! पंच अत्थिकाया पराणत्ता, तंजहा-धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए भागासस्थिकाए जीवत्थिकाए पोगलत्थिकाए 1 / धम्मत्थिकारणं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे ?, गोयमा ! अवराणे अगंधे अरसे अफासे अरुवे अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे, से समासश्रो पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वश्रो खेत्तयो कालश्रो भावनो गुणो, दव्वश्रो णं धम्मत्थिकाए एगे दव्वे, खेत्तयो णं लोगप्पमाणमेत्ते, कालो न कयावि न पासि न कयाइ नत्थि जाव निच्चे, भावो अवराणे अगंधे अरसे अफासे, गुणो गमणगुणे 2 / अहम्मत्थिकाएवि एवं चेव, नवरं गुणत्रो ठगणगुणे, श्रागासस्थिकाएवि एवं चेव, नवरं खेत्तो णं श्रागासत्थिकाए लोयालोयप्पमाणमेत्ते अणंते चेव जाव गुणयो अवगाहणागुणे 3 / जीवस्थिकाए णं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कइफासे ?, गोयमा / अवगणे जाव अस्वी जीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे, से समासयो पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वत्रो जाव गुणयो, दव्वयो णं जीवत्थिकाए अणंताई जीवदव्वाई, खेत्तयो लोगप्प Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 78] [श्रीमदागमसुधासिन्धु द्वितीयो विमाग माणमेत्ते कालो न कयाइ न पासि जाव निच्चे, भावो पुण अवराणे अगंधे अरसे अफासे, गुणयो उपयोगगुणे 4 / पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! कतिवराणे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे ?, गोयमा ! पंचवरणे पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे रूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे 5 / से समासयो पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वयो खेत्तयो कालो भावयो गुणो, वो णं पोग्गलत्थिकाए अणंताई दबाई, खेत्तयो लोयप्पमाणमेत्ते, कालयो न कयाइ न यासि जाव निच्चे, भावयो वराणमंते गंधमंते रसमंते फासमंते, गुणो गहणगुणे 6 // सू० 118 // एगे भंते ! धम्मत्थिकायपदेसे धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! णो इण? समढे 1 / एवं दोनिवि तिन्निवि चत्तारि पंच छ सत्त अट्ठ नव दस संखेज्जा, असंखेजा भंते ! धम्मस्थिकायप्पासा धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! णो इण? समढे 2 / एगपदेसूणेवि य णं भंते ! धम्मत्थिकाए 2 ति वत्तव्वं सिया ? णो तिण? समढे 3 / से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ ? एगे धम्मस्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणेवि य णं धम्मस्थिकाए नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ?, से नूणं गोयमा ! खंडे चक्के सगले चक्के ?, भगवं ! नो खंडे चक्के सकले चक्के, एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे घाउहे मोयए, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणेवि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया / से किंखातिए णं भंते ! धम्मस्थिकाए ति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! असंखेजा धम्मस्थिकायपएसा ते सव्वे कसिणा पडिपुराणा निरवसेसा एगगहणगहिया एस णं गोयमा ! धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया 5 / एवं अहम्मत्थिकाएवि, अागासत्थिकाएवि, जीवत्थिकाय-पोग्गलत्थिकायावि एवं चेव, नवरं तिराहपि पदेसा अणंता भाणियव्वा, सेसं तं चेव 6 ॥सू० 116 // Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... . HTTOMAN' E-VIRL गवत) श्रीमव्याख्य प्रज्ञान (श्रीमद्भगवति) सूर्ण : शतके 2 0 1.] [n जीवे णं भंते ! सउटाणे सकम्मे सबले सीरिए सपुरिसकारपरकमे पायभावेणं जीवभाव उवदंसेतीत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा! जीवे णं सउट्ठाणे जाव उवदंसेतीत्ति वत्तव्वं सिया 1 / से केण?णं जाव वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! जीवे णं अणंताणं श्राभिणिबोहिय-नाणपजवाणं एवं सुयनाणपजवाणं श्रोहिनाणपजवाणं मणपज्जवनाणपज्जवाणं केवलनाणपज्जवाणं मइअन्नाणपजवाणं सुयअन्नाणपजवाणं विभंगणाणपजवाणं चक्खुदंसणाजवाणं अवखुदंसणपजवाणं श्रोहिदंसणपजवाणं केवलदसणपजवाणं उपयोगं गच्छइ, उवयोगलक्खणे णं जीवे, से तेण?णं एवं वुचइ-गोयमा ! जीवेणं सउटाणे जाव वत्तव्वं सिया 2 // सू० 120 // कतिविहे णं भंते ! भागासे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे यागासे पराणत्ते तंजहा-लोयागासे य अलोयागासे य 1 / लोयागासे णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा जीवपदेसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! जीवावि जीवदेसावि जीवपदेसावि अजीवावि अजीवदेसावि अजीवपदेसावि जे जीवा ते नियमा एगिदिया बेदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया अणिदिया, जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा, जे जीवपदेसाते नियमा एगिदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता; तंजहा-रूवी य अस्वी य, जे ख्वी ते चउब्विहा पराणत्ता, तंजहा-खंधा खंधदेसा खंधपदेसा परमाणुपोग्गला, जे अरूवी ते पंचविहा परासत्ता, तंजहा-धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए नो अधम्मत्थिकायस्स देसे अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, श्रद्धासमए 2 // सू० 121 // अलोगागासे णं भंते / किं जीवा ? पुच्छा तह चेव, गोयमा ! नों जीवा जाव नो अजीवप्पएसा' एगे अजीवदबदेसे गुरुयलहुए अणंतेहिं अगुरुलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासे अणंतभागणे // सू० 122 // धम्मत्थिकाए णं भंते ! किं (के) महालए Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ L.श्रीमदाममसुधासिन्धुः / द्वितीयो-विभागः पराणते?, गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ, एवं अहम्मत्थिकाए लोयागासे जीवस्थिकाए पोग्गलथिकाए पंचवि एकाभिलावा // सू० 123 // अहेलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवइयं फुसति ?, गोयमा ! सातिरेगं अद्धं फुसति 1 / तिरियलोए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! असंखेजइभागं फुसइ 2 / उडलोए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! देसूणं अद्धं फुसइ 3 // सू० 124 // इमा ण भन्ते ! रयणप्पभापुढवी धम्मस्थिकायस्स किं संखेजइभागं फुसति ? असंखेजइभागं फुसइ ? संखिज्जे भागे फुसति ? असंखेज्जे भागे फुसति ? सव्वं फुसति ?, गोयमा ! णो संखेजइभागं फुसति असंखेजइभागं फुसइ णो संखेज्जे भागे फुसति णो असंखेज्जे भागे फुसति नो सव्वं फुसति 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवासंतरे घणोदही धम्मत्थिकायस्स पुच्छा, किं संखेजइभागं फुसति ? असंखेजइभागं फुसति जाव सव्वं फुसति ? जहा रयणप्पभा तहा घणोदहि घणवाय-तणुवायावि 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवासंतरे धम्मत्थिकायस्स किं संखेजतिभागं फुसति असंखेजइभागं फुसइ जाव सव्वं फुसइ ?, गोयमा ! संखेजइभागं फुसइ णो असंखेजइभागं फुसइ नो संखेज्जे भागे फुसइ नो असंखेज्जे भागे फुसइ नो सव्वं फुसइ, उवासंतराइं सव्वाइं जहा रयणप्पभाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया 3 / एवं जाव अहेसत्तमाए, जंबुद्दीवाइया दीवा लवणसमुद्दाइया समुद्दा, एवं सोहम्मे कप्पे जाव ईसिप-भारापुढवीए, एते सव्वेऽवि असंखेजतिभागं फुसति, सेसा पडिसेहेयव्वा 4 / एवं अधम्मत्थिकाए, एवं लोयागासेवि, गाहा-पुढवोदही-घण-तणुकप्पा गेवेजणुत्तरा सिद्धी / संखेजतिभागं अंतरेसु सेसा असंखेजा // 1 // सू० 125 // बितियं सयं समत्तं // // इति द्वितीयशतके दशम उद्देशकः // 2-10 // . // इति दितीयं शतकम् // 2 // Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 3 : उ०१] // अथ तृतीयशतके विकुर्वणाख्य-प्रथमोद्देशकः // केरिसविउवणा चमर किरिय जाणित्थि नगर पाला य / अहिवइ इंदियपरिसा ततियम्मि सए दसुद्दे सा // 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं मोया नामं नगरी होत्था वराणयो, तीसे णं मोयाए नगरीए बहिया उत्तरपुर. च्छिमे दिमीभागे णं नंदणे नामं चेतिए होत्था, वराणयो, तेण कालेणं 2 सामी समोसड्ढे, परिसा निग्गच्छइ पडिगया परिसा ? / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवयो महावीरस्स दोच्चे अंतेवासी अग्गिभूतीनामं अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव पज्जुवासमाणे एवं वदासी-चमरे णं भंते ! असुरिदे असुरराया केमहिड्डीए ? केमहज्जुत्तीए ? केमहाबले ? केमहायसे ? केमहासोक्खे ? केमहाणुभागे ? केवइयं च णं पभू विउवित्तए ?.गोयमा! चमरेणं असुरिंदे असुररावा महिटीए जाव महाणुभागे से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावास-सयसहस्साणं चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं जाव विहरइ 2 / एवंमहिड्डीए जाव महाणुभागे, एवतियं च णं पभू विउवित्तए से जहानामए-जुवतीजुवाणे हत्थेणं हत्थे गेराहेजा, चक्कस्स वा नाभी घरगाउत्ता सिया,एवामेव गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ 2 संखेजाइं जोयणाई दंडं निसिरइ, तंजहा-रयणागां जाव रिटाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ 2 अहासुहुमे पोग्गले परियाति 2 दोच्चंपि वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहणति 2, पभू णं गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया केवलकप्पं जंबूद्दीवं 2 बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य थाइराणं वितिकिराणं उवत्थडं संथडं फुडं अवगाढायवगाढं करेत्तए 3 / अदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चमरे असुरिंदे असुरराया तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य ाइराणे वितिकिराणे उवत्थडे संथडे फुडे अवगाढावगाढे करेत्तए, एस णं गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररगणो अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते वुइए णो चेव णं संपत्तीए Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62j ( श्रीमदागमसुधासिन्धु : द्वितीयो विभागः विकुब्बिसु वा विकुञ्चति वा विकुधिस्सति वा 4 // सू० 126 // जति णं भंते ! चमरे असुरिदे असुरराया एमहिड्डीए जाव एवइयं च णं पभू विकुवित्तए, चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररनो सामाणिया देवा केमहिड्डीया जाव केवतियं च णं पभू विकुवित्तए ?, गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो सामाणिया देवा महिड्डीया जाव महाणुभागा, ते णं तत्थ साणं 2 भवणाणं साणं 2 सामाणियाणं साणं 2 अग्गमहिसीणं जाव दिवाई भोगभोगाइं भुजमाणा विहरंति, एवंमहिड्डीया जाव एवइयं च णं पभू विकुवित्तए, से जहानामए-जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेराहेजा चक्कस्स वा नाभी अरयाउत्ता सिया एवामेव गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो एगमेगे सामाणिए देवे वेउब्वियसमुग्याएणं समोहणइ 2 जाव दोच्चपि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणति 2 पभू णं गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो एगमेगे सामाणिए देवे केवलकप्पं जंबद्दीवं 2 बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य पाइन्नं वितिकिन्न उवत्थडं संथडं फुडं अवगाढावगाढं करेत्तए, अदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चमरस्स असुरिंदस्स असुररनो एगमेगे सामाणियदेवे तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवोहि य थाइराणे वितिकिराणे उपत्थडे संथडे फुडे अवगाढावगाढे करेत्तए, एस णं गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो एगमेगस्स सामाणियदेवस्स अयमेयारूचे विसए विसयमेत्ते बुइए, णो चेव णं संपत्तीए विकुब्बिसु वा विकुव्वति वा विकुबिस्सति वा 1 / जति णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो सामाणिया देवा एवंमहिड्डीया जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररन्नो तायत्तीसिया देवा केमहिड्डीया ?, तायत्तीसिया देवा जहा सामाणिया तहा नेयव्वा, लोयपाला तहेव, नवरं संखेजा दीवसमुद्दा भाणियव्वा, बहूहिं यसुरकुमारेहिं 2 श्राइन्ने जाव विउव्विस्संति Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 3 : उ० 1] वा 2 / जति णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो लोगपाला देवा एवंमहिड्डीया जाव एवतियं च णं पभू विउवित्तए 3 / चमरस्स णं भंते ! यसुरिंदस्स असुररन्नो अग्गमहिसीयो देवीयो केमहिड्डीयायो जाव केवतियं च णं पभू विकुवित्तए ?, गोयमा ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररन्नो अग्गमहिसीयो महिंड्डीयायो जाव महाणुभागायो, तायो णं तत्थ साणं 2 भवणाणं साणं 2 सामाणियसाहस्सीणं साणं 2 महत्तरियाणं साणं 2 परिसाणं जाव एमहिड्डियायो अन्नं जहा लोगपालाणं अपरिसेसं 4 / सेवं भंते ! 2 ति 5 // सूत्रं 127 // भगवं दोच्चे गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 जेणेव तच्चे गोयमे वायुभूतियणगारे तेणेव उवागच्छति 2 तच्चं गोयमं वायुभूति गुणगारं एवं वदासि-एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया एवंमहिड्डीए तं चेव एवं सव्वं अपुट्ठवागरणं नेयव्वं अपरिसेसियं जाव अग्गमहिसीणं वत्तव्वया समता 1 / तए णं से तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे दोचस्स गोयमस्स अग्गिभूइस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स भासमाणस्स पराणवमाणस्स परूवमाणस्स एयमटुं नो सहहइ नो पत्तियइ नो रोयइ एयम? असदहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे उट्टाए उठेइ 2 जेणेव समणे भगृवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव पज्जुवासमाणे एवं बयासी-एवं खलु भंते ! दोच्चे गोयमे अग्गिभूतियणगारे मम एवमातिक्खइ भासइ पनवेइ परूवेइ-एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्डीए जाव महाणुभावे से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं एवं तं चेव सव्वं अपरिसेसं भाणियव्वं जाव अग्गमहिसीणं वत्तव्वया समत्ता 2 / से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे तच्चं गोयमं वाउभूति अणगारं एवं वदासि-जराणां गोयमा ! दोच्चे गोयमे अग्गिभूइयणगारे तव एवमातिक्खइ ४-एवं खलु गोयमा ! Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 84] __[ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः चमरे 3 महिड्डीए एवं तं चेव सव्वं जाव अग्गमहिसीणं वत्तव्वया समत्ता, सच्चे णं एसम8, ग्रहपि णं गोयमा ! एवमातिक्खामि भासेमि पराणवेमि परूवेमि एवं खलु गोयमा .! चमरे 3 जाव महिड्डीए सो चेव बितियो गमो भाणियवो जाव अग्गमहिसीओ, सच्चे णं एसम?, सेवं भंते 2 ति जाव विहरति 3 / तच्चे गोयमे ! वायुभूती अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 जेणेव दोच्चे गोयमे अग्गिभूती अणगारे तेणेव उवागच्छइ 2 दोच्चं गोयमं अग्गिभूतिं अणगारं वंदइ नमसति 2 एयम8 सम्मं विणएणं भुजो 2 खामेति 4 // सूत्रं 128 // तए णं से तच्चे गोयमे वाउभूती यणगारे दोच्चेणं गोयमेणं अग्गिभूतीणामेणं अणगारेणं सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासिजति णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुराया एवंमहिड्डीए जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए, बली णं भंते ! वइरोयणिंदे वइरोयणराया केमहिड्डीए जाव केवइयं च णं पभू विकुवित्तए ?, गोयमा ! बली णं वइरोयणिंदे वइरोयणराया महिड्डीए जाव महाणुभागे, से णं तत्थ तीसाए भवणावास-सयसहस्साणं सट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा चमरस्स तहा बलियस्सवि णेयव्वं, णवरं सातिरेगं केवलकप्पं जंबद्दीवंति भाशियव्यं, सेसं तं चेव णिरवसेसं ोयव्वं, णवरं णाणत्तं जाणियव्वं भवणेहिं सामाणिएहिं, सेवं भंते 2 ति तच्चे गोयमे वायुभूती जाव विहरती 1 / भंते ! त्ति भगवं दोच्चे गोयमे अग्गिभूतीणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ 2 एवं वदासी-जइ णं भंते ! बली वइरोयणिंदे वइरोयणराया एमहिड्डीए जाव एवइयं च णं पभू विकुवित्तए, धरणे णं भंते ! नागकुमारिंदे नागकुमारराया केमहिड्डीए जाव - केवतियं च णं पभू विकुवित्तए ? गोयमा ! धरणेणं नागकुमारिदे Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमौद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 3 : उ० 1] [85 नागकुमारराया एमहिड्डीए जाव से णं तत्थ चोयालीसाए भाणावाससयसहस्साणं छगहं सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं चउराहं लोगपालाणं छराहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिगहं परिसाणं सत्तरहं अणियाणं सत्तरहं अणियाहिवईणं चउत्तीसाए श्रायरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च जाव विहरइ, एवतियं च णं पभू विउवित्तए से जहानामए-जुवतिं जुवाणे जाव पभू केवलकप्पं जंबद्दी 2 जाव तिरियं संखेज्जे दोवसमुद्दे बहहिं नागकुमारेहिं नागकुमारीहिं जाव विउबिस्संति वा 2 / सामाणिया तायत्तीसलोगपालगा महिसीयो य तहेव, जहा चमरस्स एवं धरणे णं नागकुमारराया महिड्डिए जाव एवतियं जहा चमरे तहा धरणेवि, नवरं संखेज्जे दीवसमुह भाणियव्वं, एवं जाव थणियकुमारा वाणमंतरा जोइसियावि, नवरं दाहिणिल्ले सव्वे अग्गिभूती पुच्छति, उत्तरिल्ले सब्वे वाउभूती पुच्छइ 3 / भंतेत्ति भगवं दोच्चे गोयमे अग्गिभूती अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-जति णं भंते ! जोइसिंदे जोतिसराया एवंमहिड्डीए जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए सक्के णं भंते ! देविंदे देवराया केमहिड्डीए जाव केवतियं च णं पभु विउवित्तए ?, गोयमा ! सक्के णं देविदे देवराया महिड्डीए जाव महाणुभागे, से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साणं चउरासीए सामाणियसाहस्सीगां जाव चउराहं चउरासीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च जाव विहरइ, एवंमहिड्डीए जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए 4 / एवं जहेव चमरस्स तहेव भाणियव्वं, नवरं दो केवलकप्पे जंबद्दीवे 2 अवसेसं तं चे 5 / एस णं गोयमा ! सकस्स देविंदस्स देवरगणो इमेयारूवे विसए विसयमेत्ते णं बुइए नो चेव णं संपत्तीए विउब्बिसु वा विउब्वति वा विउव्विस्सति वा 6 // सू० 126 // जइ णं भंते ! सक्के देविंद देवराया एमहिड्डीए जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए 1 / एवं खलु देवाणुप्पियाणं Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5.- - - - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागा अंतेवासी तीसए णामं अणगारे पगतिभदए जाव विणीए छट्ठ?णं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणां अप्पाणं भावेमाणे बहुपडिपुराणाई युट्ट संवच्छराइं सामराणपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं भूसेत्ता सर्टि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता थालोतियपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे सयंसि विमाणंसि उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिए अंगुलस्स असंखेजइभागमेत्ताए योगाहणाए सकरस देविंदस्स देवरगणो सामाणियदेवत्ताए उववराणे 2 / तए णं तीसए देवे पहुणोव. वनमेत्ते समाणे पंचविहाए पजत्तीए पन्जत्तिभावं गच्छइ, तंजहा-याहारपजत्तीए सरीरपजत्तीए इंदियपजत्तीए प्राणुपाणुपजत्तीए भासामणपजत्तीए, तए णं तं तीसयं देवं पंचविहाए पजत्तीए पन्जत्तिभावं गयं समाणं सामाणियपरिसोववन्नया देवा करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वदाविति 2 एवं वदासि-ग्रहो णं देवाणुप्पिए ! दिव्या देविड्डी दिव्वा देवजुत्ती दिवे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागते, जारिसिया णं देवाणुप्पिएहि दिवा देविड्डी दिव्वा देवजुत्ती दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागते तारिसिया णं सक्केणं देविदेणं देवरना दिव्या देविड्डी जाव अभिसमन्नागया, जारिसिया णं सक्केणं देविदेणं देवरराणा दिव्या देविड्डी जाव अभिसमराणागया तारिसिया णं देवाणुप्पिएहिं दिबा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया 3 / से णं भंते ! तीसए देवे केमहिड्डीए जाव केवतियं च णं पभू विउवित्तए ?, गोयमा ! महिड्डीए जाव महाणुभागे, से णं तत्थ सयस्स विमाणस्स चउराहं सामाणियसाहस्सीणं चउराहं अग्गमहिसीणं सपरिवारागां तिराहं पस्सिाणं सत्तराहं अणियाणं सत्तराहं अणियाहिबईणं सोलसराह पायरक्खदेवसाहस्सीणं अराणेसिं च बहूणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य जाव विहरति, एवंमहिड्डीए जाव एवइयं च णं पभू विउवित्तए, से जहाणामए-जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेराहेजा जहेव सकरस तहेव जान एस Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 3 : उ० 1 ] [ 87 णं गोयमा ! तीसयस देवस्स अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए नो चेव णं संपत्तीए विउब्बिसु वा 3, 4 / जति णं भंते ! तीसए देवे महिड्डीए जाव एवइयं च णं पभू विउवित्तए सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो अवसेसा सामाणिया देवा केमहिड्डीया तहेव सव्वं जाव एस णं गोयमा ! सकस्स देविदस्स देवरन्नो एगमेगस्स सामाणियस्स देवस्स इमेयारूवे विसयमेत्ते बुइए नो चेव णं संपत्तीए विउब्बिसु वा विउविति वा विउविस्संति वा, तायत्तीसा य लोगपाल-अग्गमहिसीणं जहेव चमरस्स नवरं दो केवलकप्पे जंबूद्दीवे 2 अराणं तं चेव, सेवं भंते ! 2 त्ति दोच्चे गोयमे जाव विहरति 5 // सू० 130 // भंतेत्ति भगवं तब्चे गोयमे वाउभूती अणगारे समणं भगवं जाव एवं वदासी-जति णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया एमहिड्डीए जाव एवइयं च णं पभू विउवित्तए, ईसाणे णं भंते ! देविदे देवराया केमहिड्डीए ? एवं तहेव, नवरं साहिए दो केवलकप्पे जंबूदीवे 2 श्रवसेसं तहेव // सू० 131 // जति णं भंते ! ईसाणे देविदे देवराया एमहिड्डीए जाव एवतियं च णं पभू विउवित्तए 1 / एवं खलु देवाणुप्पियाणां अंतेवासी कुरुदत्तपुत्ते नाम पगतिभदए जाव विणीए अट्ठमंट्टमेणं अणिक्खित्तेणं पारणाए श्रायविलपरिग्गहिएगां तवोकम्मेणं उड बाहायो पगिझिय 2 सूराभिमुहे थायावणभूमीए यायावेमाणे बहुपडिपुन्ने छम्मासे सामराणपरियागं पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणां झोसित्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदित्ता पालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे सयंसि विमाणंसि जा चेव तीसए वत्तव्वया ता सम्वेव अपरिसेसा कुरुदत्तपुत्तेवि, नवरं सातिरेगे दो केवलकप्पे जंबूद्दीवे 2, अवसेसं तं चेव 2 / एवं सामाणिय-तायत्तीस-लोगपाल-अग्गमहिसीणं जाव एस णं गोयमा ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरनो एवं एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा 3, Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः 3 // मू० 132 // एवं सणंकुमारेवि, नवरं चत्तारि केवलकप्पे जंबूद्दीवे दीवे अदुत्तरं च णं तिरियमसंखेज्जे, एवं सामाणिय-तायत्तीस-लोगपालअग्गमहिसीणं असंखेज्जे दीवसमुद्दे सव्वे विउव्वंति, सणंकुमारायो पारद्धा उपरिला लोगपाला सम्धेवि असंखेज्जे दीवसमुह विउब्धिति 1 / एवं माहिंदेवि, नवरं सातिरेगे चत्तारि केवलकप्पे जंबद्दीवे 2, 2 / एवं भिगोएवि नवरं अट्ठ केवलकप्पे जंबूद्दीवे 2, 3 / एवं लंतएवि, नवरं सातिरेगे अट्ट केवलकप्पे जंबूद्दीवे 2, 4 / महासुक्के सोलस केवलकप्पे जंबद्दीवे 2, 5 / सहस्सारे सातिरेगे सोलस केवलकप्पे जंबूद्दीवे 2, 6 / एवं पाणएवि, नवरं बत्तीसं केवलकप्पे जंबूद्दीवे 2, 7 / एवं यच्चुएवि, नवरं सातिरेगे बत्तीसं केवलकप्पे जंबूद्दीवे 2, अन्नं तं चेव 8 / सेवं भंते 2 ति, तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसति जाव विहरति 1 / तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई मोयायो नगरीयो नंदणायो चेतियायो पडिनिक्खमइ 2 बहिया जणश्यविहारं विहरइ 10 // सू० 133 // ते णं काले णं तेगां समए णं रायगिहे नाम नगरे होत्था, वनयो, जाव परिसा पन्जुवासइ 1 / तेणं कालेणं 2 ईसाणे देविंदे देवराया सूलपाणी वसभवाहणे उत्तरड्डलोगाहिबई अट्ठावीस-विमाणावास-सयसहस्साहिबई अरयंबरवत्थधरे बालइयमालमउडे नवहेम-चारुचित्त-चंचलकुडल-विलिहिजमाणगंडे जाव दस दिसायो उज्जोवेमाणे पभासेमाणे ईसाणे कप्पे ईसाणवडिंसए विमाणे जहेव रायप्पसेणइज्जे जाव दिव्यं देविढि जाव जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए 2 / भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वंदति णमंसति 2 एवं वदासीअहो णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया महिड्डीए, ईसाणस्स णं भंते ! सा दिव्या देविड्डी कहिं गता ? कहिं अणुपविट्ठा ?, गोयमा ! सरीरं गता 2, से केण?णं भंते ! एवं बुञ्चति-सरीरं गता 2, ? गोयमा ! से जहानमाए Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [E श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं शतकं 3 :: उ० 1 / कूडागारसाला सिया दुहयो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगंभीरा तीसे णं कूडागारे जाव कूडागारसालादिढतो भाणियव्वो 3 / ईसाणेगां भंते ! देविदेणां देवरराणा सा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुत्ती दिव्वे देवाणुभागे किराणा लद्धे ? किन्ना पत्ते ? किराणा अभिसमन्नागए ? के वा एस यासि पुत्वभवे ? किराणामए वा ? किगोत्ते वा ? कयरंसि वा गामंसि वा नगरंसि वा जाव संनिवेसंसि वा ? किं वा सुच्चा ? किं वा दचा ? किं वा भोचा ? किं वा किच्चा ? किं वा समायरित्ता ? कस्स वा तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि यायरियं धम्मियं सुवयां सोचा निसम्म जराणां ईसाणेगां देविंदेशां देवरराणा सा दिव्या देविड्डी जाव अभिसमन्नागया ?, एवं खलु गायमा ! तेणं कालेगां 2 इहेव जंबूद्दीवे 2 भारहे वासे तामलित्ती नाम नगरी होत्था, वन्नयो, तत्थ णं तामलित्तीए नगरीए तामली नाम मोरियपुत्ते गाहावती होत्था, गड्ढ दित्ते जाव बहुजणस्स अपरिभृए यावि होत्या 4 / तए णं तस्स मोरियपुत्तस्स तामलित्तस्स गाहावइयस्स अराणया कयाइ पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे यज्झथिए जाव समुप्पजित्था अस्थि ता मे पुरा पोराणाणं सुचिनाणं सुपरक्कंताणां सुभाणां कलाणागां कडागां कम्मागां कलाणफल-वित्तिविसेसो जेणाहं हिरराणेणं वड्डामि सुवन्नेणं वड्डामि धणेणं वड्डामि धन्नेणं वड्वामि पुत्तेहिं वडामि पसूहिं वड्डामि विउल-धण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संखसिल पवाल-रत्तरयण-संतसार सावतेज्जेणं अतीव 2 अभिवड्डामि, तं किराणं अहं पुण पोराणाणं सुचिन्नाणं जाव कडाणं कम्माणं एगंतसोक्खयं उवेहमाणे विहरामि ?, तं जाव ताव अहं हिरगणेणं वडामि जाव अतीव 2 अभिवट्ठामि जावं च णं मे मित्त-नाति-नियग-संबंधिपरियणो आढाति परियाणाइ सकारेइ सम्माणेइ कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासइ ताव ता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते सयमेव Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10] ..... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः दारुमयं पडिग्गहियं करेत्ता विउलं असणं पाणं खातिमं सातिमं उबक्खडावेत्ता मित्तणाति-नियगसयण-संबंधिपरियणं ग्रामंतेत्ता तं मित्तनाइ-नियगसंबंधिपरियणं विउलेणं असणपाण-खातिम-सातिमेणं वत्थगंध-मल्लाऽलंकारेण य सकारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्तणाइ-नियग-संबंधिपरियणस्स पुरतो जेट्टपुत्तं कुटु'बे मवेत्ता तं मित्तणाति-णियग-संबंधिपरियणं जेट्टपुत्तं च यापुच्छित्ता सयमेव दारुमयं पडिग्गहं गहाय मुडे भवित्ता पाणामाए पव्वइत्तए, पब्बइएऽवि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिरिहस्सामि-कप्पइ मे जावजीवाए छट्टछ? गां अणिक्खित्तेगां तवोकम्मेगां उड्डबाहायो पगिज्झिय 2 सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए पायावेमाणस्स विहरित्तए, छट्टरसवि य णं पारणयंसि यायावणभूमीतो पचोरुभित्ता सयमेव दारुमयं पडिग्गहयं गहाय तामलित्तीए नगरीए उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता सुद्धोदणं पडिग्गाहेत्ता तं तिसत्तखुत्तो उदएणं पक्खालेत्ता तयो पच्छा याहारं पाहारित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ 2 कल्लं पाउपभायाए जाव जलते सयमेव दारुमयं पडिग्गहयं करेइ 2 विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ 2 तो पच्छा राहाए कयवलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छिते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पत्रपरिहिए. अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए, तए णं मित्तणाइ-नियगसयण-संबंधिपरिजणेणं सद्धिं तं विउलं असणं पाणं खातिमं साइमं यासादेमाणे वीसाएमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरइ 5 / जिमिय-भुत्तुत्तरागरवि य णं समाणे अायते चोक्खे परमसुइभए तं मित्त जाव परियणं विउलेणं असणपाण खाइमलाइमेणं पुप्फवस्थगंधमलालंकारेण य सकारेइ 2 तस्सेव मित्तणाइ जाव परियणस्स पुरो जेट्ठ पुत्तं कुटुंबे गवेइ 2 त्ता तं मित्तनाइ-णियगसयण-संबंधिपरिजणं जेट्टपुत्तं च श्रापुच्छइ 2 मुंडे भवित्ता पाणामाए पव्वजाए पव्वइए, पव्वइएवि य णं समाणे इमं Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 3 : उ० 1] [61 एयारूवं अभिग्गहं अभिगिगहइ-कप्पइ मे जावजीवाए छट्ठट्ठणं जाव थाहारित्तएत्तिकट्टु इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहइ 2 ता जावजीवाए छटुं. छट्टणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्डे बाहायो पगिज्झिय 2 सूराभिमुहे अायावणभूमीए पायावेमाणे विहरइ, छट्ठस्सवि य णं पारणयंसि यायावणभृमीयो पचोरुहइ 2 सयमेव दारुमयं पडिग्गहं गहाय तामलित्तीए नगरीए उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडइ 2 सुद्धोयणं पडिग्गाहेइ 2 त्तिसत्तखुत्तो उदएणं पक्खालेइ, तयो पच्छा अाहारं पाहारेइ 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-पाणामा पव्वज्जा 2 ?, गोयमा ! पाणामाए णं पव्वजाए पब्वइए समाणे जं जत्थ पासइ इंदं वा खंद वा रुद्द वा सिवं वा वेसमणं वा अज्ज वा कोट्टकिरियं वा रायं वा जाव सत्थवाहं वा कागं वा साणं वा पाणं वा उच्चं पासइ उच्चं पणामं करेइ नीयं पासइ नीयं पणामं करेइ, जं जहा पासति तस्स तहा पणामं करेइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पाणामा जाव पव्वजा 7 // सू० 134 // तए णं से तामली मोरियपुत्ते तेणं योरालेणं विपुलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं बालतबोकम्मेणं सुक्क भुक्खे जाव धमणिसंतऐ जाए यावि होत्था 1 / तए णं तस्स तामलिस्स बालतवस्सिस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अणिचजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु अहं इमेणं अोरालेणं विपुलेणं जाव उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणां सुक्के भुक्खे जाव धमणिसंतए जाए, तं अत्थि जा मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे ताव ता मे सेयं कल्लं जाव जलते तामलित्तीए नगरीए दिट्ठाभ? य पासंडत्थे य पुव्वसंगतिए य गिहत्थे य पच्छासंगतिए य परियायसंगतिए य श्रापुच्छित्ता तामलितीए नगरीए मझमझेणं निग्गच्छित्ता पाउग्गं कुडियमादीयं उवकरणं दारुमयं च पडिग्गहियं एगंत्ते एडेइ एडित्ता तामलित्तीए नगरीए Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माणस विकतामलिती तां कान बलिदान दिया बलिया / श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए णियत्तणियमंडलं पालिहइ श्रालिहित्ता संलेहणाअसणाभूसियस्त भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पायोवगयस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ एवं संपेहेत्ता कल्लं जाव जलते जाव आपुच्छइ 2 तामलित्तीए एगते एडेए (जाव जलते) जाव भत्तपाणपडियाइविखए पायोवगमणां निवन्ने 2 / तेणं कालेणं 2 बलिचंचारायहाणी अगिंदा अपुरोहिया यावि होत्था 3 / तए णं ते बलिचंबारायहाणिवत्थव्वया बहवे यसुरकुमारा देवा य देवीयो य तामलिं बालतवस्सि श्रोहिणा श्राहोयंति 2 अन्नमन्नं सदावेंति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! बलिचंचा रायहाणी अणिंदा अपुरोहिया अम्हे णं देवाणुप्पिया ! इंदाहीणा इंदाधिट्ठिया इंदाहीणकज्जा अयं च णं देवाणुप्पिया ! तामली वालतवस्सी तामलित्तीए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए नियत्तणियमंडलं आलिहित्ता संलेहणाभूसणाझसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पायोवगमणं निवन्ने, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं तामलिं बालतवस्सि बलिचंचाए रायहाणीए ठितिपकप्पं पकरावेत्तएत्तिकटु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमटुं पडिसणेति 2 बलिचंचाए रायहाणीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छति 2 जेणेव रुयगिंदे उप्पायपव्वए तेणेव उवागच्छंति 2 वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति जाय उत्तरवेउब्बियाई स्वाइं विकुब्वंति 4 / ताए उकिट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए दिवाए उद्धृयाए देवगतीए तिरियमसंखेजाणं दीवसमुदाणं मझमझेणं जेणेव जंबूद्दीवे 2 जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नगरी जेणेव तामली मोरियपुत्ते तेणेव उवागच्छति 2 ला तामलिस्स बालतवस्सिस्स उप्पिं सपक्खि सपडिदिसिं ठिचा दिव्वं देविढिं दिव्वं देवज्जुत्तिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसविहं नट्टविहिं उवदंसंति 2 तामलिं बालतवस्सि तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति वंदंति नमसंति 2 एवं वदासी Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (पीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 3 : उ० 1] [1 // एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे बलिचंचारायहाणीवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य देवाणुप्पियं वंदामो नमसामो जाव पज्जुवासामो, अम्हाणं देवाणुप्पिया ! बलिचंचा रायहाणी अणिंदा अपुरोहिया अम्हेऽवि य णं देवाणुप्पिया ! इंदाहीणा इंदाहिट्टिया इंदाहीणकज्जा तं तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! बलिचंचं रायहाणिं श्रादाह परियाणह सुमरह अट्ठ बंधह निदानं पकरेह ठितिपकप्पं पकरेह, तते णं तुब्भे कालमासे कालं किचा बलिचंचारायहाणीए उववजिस्सह, तते णं तुम्भे श्रम्हं इंदा भविस्सह, तए णं तुब्भे अम्हेहिं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणा विहरिस्सह 5 / तए णं से तामली बालतवस्सी तेहिं बलिचंचा-रायहाणिवत्थव्वएहिं बहहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य एवं वुत्ते समाणे एयमट्ट नो आढाइ नो परियाणेइ तुसिणीए संचिट्टइ, तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य तामलिं मोरियपुत्तं दोच्चपि तच्चपि तिक्खुत्तो थायाहिण-प्पयाहिणं करेंति 2 जाव अम्हं च गा देवाणुप्पिया ! बलिचंचारायहाणी अणिंदा जाव ठितिपकप्पं पकरेह जाव दोच्चंपि तच्चंपि, एवं वुत्ते समाणे जाव तुसिणीए संचिट्टइ 6 / तए णं ते बलिचंचा-रायहाणि-वस्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीश्रो य तामलिणा बालतवस्सिणा अणाढाइजमाणा अपरियाणिजमाणा जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया 7 ॥सू० 135 // तेणं कालेणं 2 ईसाणे कप्पे अणिदे अपुरोहिए यावि होत्था 1 / तते णं से तामली बालतवस्सी बहुपडिपुन्नाई सद्धिं वाससहस्साई परियागं पाउणित्ता दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सवीसं भत्तसयं श्रणसणाए छेदित्ता कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे ईसाणवडिंसए विमाणे उबवायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिये अंगुलस्स असंखेजभागमेत्ताए श्रोगाहणाए ईसाणदेविंद-विरहकालसमयंसि ईसाणदेविंदत्ताए उववरणे, तए णं से Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ #] .. [-श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वित्तीयो विभागः ईसाणे देविदे देवराया अहुणोववन्ने पंचविहाए पज्जत्तीए पजत्तीभावं गच्छति, तंजहा-याहारपज्जत्तीए जाव भासमणपज्जत्तीए 2 / तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य तामलिं बालतवस्सि कालगयं जाणित्ता ईसाणे य कप्पे देविंदत्ताए उववराणं पासित्ता श्रासुरुत्ता कुविया चंडिकिया मिसिमिसेमाणा बलिचंचारायहाणीए मझ मज्झेणं निग्गच्छंति 2 ताए उकिट्ठाए जाव जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नयरी जेणेव तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरए तेणेव उवागच्छंति 2 वामे पारा सुबेणं बंधति 2 तिक्खुत्तो मुहे उटूहंति 2 तामलित्तीए नगरीए सिंघाडग-तिग--चउक्क-चच्चर-चउम्मुहमहापहपहेसु ग्राकट्ट(ड)विकट्टि(डि) करेमाणा महया 2 सद्देणं उग्घोसेमाणा 2 एवं वयासि-केस णं भो से तामली बालतवस्सी सयंगहियलिंगे पाणामाए पव्वजाए पव्वइए ? केस णं भो (भते) से ईसाणे कप्पे ईसाणे देविंद देवरायाइतिकटु तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरयं हीलंति निंदति खिसंति गरिहिंति अवमन्नति तज्जति तालेंति परिवहति पव्वति प्राकट्टविकट्टि करेंति हीलेत्ता जाव ग्राकट्टविकट्टि करेत्ता एगते एडंति 2 जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया 3 // सू० 136 // तए णं ते ईसाणकप्पवासी बहवे वेमाणिया देवा य देवीयो य बलिचंचा-रायहाणि-वत्थव्वएहिं बहुहिं असुरकुमारेहिं देवेहि देवीहि य तामलिस्स बालतबस्सिस्स सरीरयं हीलिजमाणं निदिजमाणं जाव ग्राकट्टविकट्टि कीरमाणं पासंति 2 श्रासुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणा जेणेव ईसाणे देविदे देवराया तेणेव उवागच्छंति 2 करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएगां विजएगां वद्धाति 2 एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य देवाणुप्पिए कालगए जाणित्ता ईसाणे कप्पे इंदत्ताए उववन्ने पासेत्ता पासुस्ता जाव एगते एडेंति 2 Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूर्ण :: शतकं 3 . उ० 1] (15 जामेव दिसि पाउञ्या तामेव दिसि पडिगया 1 / तए णं से ईसाणे देविंदे देवराया तेसि ईसाणकप्पवासीणं बहूणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य अंतिए एयमढे सोचा निसम्म आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तत्थेव सयणिज्जवरगए तिवलियं भिउडिं निडाले साहट्ट बलिचंचारायहाणि अहे सपक्खि सपडिदिसिं समभिलोएइ 2 / तए णं सा बलिचंचारायहाणी ईसाणेणं देविदेणं देवरना अहे सपक्खि सपडिदिसिं समभिलोइया समाणी तेणं दिव्वप्पभावेणं इंगालब्भूया मुम्मुरभूया छारियभूया तत्तकवेल्लकम्भूया तत्ता समजोइभूया जाया यावि होत्था 3 / तए णं ते बलिचंचा-रायहाणिवत्थ वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य तं बलिचंचं रायहाणिं इंगालब्भूयं जाव समजोतिभूयं पासंति 2 भीया तत्था तसिया उविग्गा संजायभया सव्वयो समंता श्राधावेंति परिधावेंति 2 अन्नमन्नस्स कायं समतुरंगेमाणा 2 चिट्ठति 4 / तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य ईसाणं देविंदं देवरायं परिकुवियं जाणित्ता ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो तं दिव्वं देविढि दिव्वं देवज्जुइं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणा सव्वे सपक्खि सपडिदिसिं ठिचा करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं बद्धाविति 2 एवं वयासी-ग्रहो णं देवाणुप्पिएहिं दिव्या देविड्डी जाव अभिसमन्नागता तं दिव्या णं देवाणुप्पियाणं दिव्या देविट्ठी जाव लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खमंतु-मरिहंतु णं देवाणुप्पिया ! णाइ भुजो 2 एवंकरणयाएत्तिकटु एयम४ सम्मं विणएणं भुजो 2 खामेंति 5 / तते णं से ईसाणे देविदे देवराया तेहिं बलिचंचारायहाणीवत्थव्वेहिं बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य एयम४ सम्मं विणएणं भुजो 2 खामिए समाणे तं दिव्वं देविढि जाव तेयलेस्सं पडिसाहरइ, तप्पभितिं च णं गोयमा! ते Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमागः बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य ईसाणं देविंदं देवरायं श्रादंति जाव पज्जुवासंति, ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो प्राणा-उववाय-वयण-निद्दे से चिट्ठति 6 / एवं खलु गोयमा ! ईसाणेणं देविदेण देवरन्ना सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया 7 / ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरनो केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा / सातिरेगाइं दो सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता 8 / ईसाणे णं भंते ! देविदे देवराया तायो देवलोगायो बाउक्खएणं जाव कहिं गच्छिहिति ? कहिं. उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहेति 1 // सू० 137 // सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो विमाणेहिंतो ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो विमाणा ईसिं उच्चयरा चेव ईसिं उन्नयतरा चेव ? ईसाणस्स वा देविंदस्स देवरनो विमाणेहिंतो सकस्स देविंदस्स देवरन्नो विमाणा ईसिं णीययरा चेव ईसिं निन्नयरा चेव ?, हंता ! गोयमा ! सकस्स तं चेव सव्वं नेयव्वं 1 / से केणढे गां ?, गोयमा ! से जहानामएकरयले सिया देसे उच्चे देसे उन्नए देसे णीए देसे निन्ने, से तेण? गां गोयमा ! सकस्स देविंदस्स देवरन्नो जाव ईसिं निराणवरा चेव 2 // सू० 138 // पभू णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउभवित्तए ?, हंता पभू, से णं भंते ! किं पाढायमाणे पभू अणाढायमाणे पभू ?, गोयमा ! अाढायमाणे पभू नो अणाढायमाणे पभू 1 / पभू णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउभवित्तीए ?, हंता पभू, से भंते ! किं पाढायमाणे पभू अणाढायमाणे पभू ?, गोयमा ! पाढायमाणेवि पभू, अणाढायमाणेवि पभू 2 / पभू णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया ईसाणं देविंदं देवरायं सपक्खि सपडिदिसिं समभिलोपत्तए ? जहा पादुम्भवणा तहा दोवि घालावगा नेयव्वा 3 / पभू णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया ईसाणेणं देविदेणं Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 3 : उ० 1] [17 देवरन्ना सद्धिं घालावं वा संलावं वा करेत्तए ?, हंता ! पभू जहा पादुभवणा 4 / अस्थि णं भंते ! तेसिं सकीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं किचाई करणिजाई समुपजंति ?, हंता ! अत्थि, से कहमिदाणिं पकरेंति ?, गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्के देविंदे देवराया ईसाणस्त देविंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउभवति, ईसाणे णं देविंदे देवराया सक्कस्स देविंदरस देवरायस्स अंतियं पाउम्भवइ 5 / इति भो ! सक्का ! देविंदा ! देवराया ? दाहिणड्डलोगाहिवइ, इति भो ! ईसाणा ! देविंदा ! देवराया ! उत्तरडलोगाहिवइ, इति भो ! इति भो ति ते अन्नमन्नस्स किच्चाई करणिजाई पचणुभवमाणा विहरंति 6 // सू० 136 // अस्थि णं भंते ! तेसि सकीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं विवादा समुपज्जति ?, हंता ! अस्थि 1 / से कहमिदाणि पकरेंति ?, गोयमा ! ताहे चेव णं ते सकीसाणा देविंदा देवरायाणो सणंकुमारं देविदं देवरायं मणसीकरेंति 2 / तए णं से सणंकुमारे देविंदे देवराया तेहिं सकीसाणेहिं देविंदेहिं देवराईहिं मणसीकए समाणे खिप्पामेव सकीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं अंतियं पाउन्भवति, जं से बदइ तस्स आणा-उवाय-वयणनि से चिट्ठांति 3 // सू 140 // सणंकुमारे णं भंते ! देविदे देवराया किं भवसिद्धिए अभवसिद्धिए सम्मट्टिी मिच्छदिट्टी परित्तसंसारए अणंतसंसारए सुलभवोहिए दुलभवोहिए याराहए विराहए चरिमे यचरिमे ?, गोयमा ! सणंकुमारे णं देविदे देवराया भवसिद्धीए नो अभवसिद्धीए, एवं सम्मदिट्टी परित्तसंसारए सुलभवोहिए श्राराहए चरिमे पसत्यं नेयव्वं 1 / से केणटेणं भंते ! ?, गोयमा ! सणंकुमारे देविंदे देवराया बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं हियकामए सुहकामए पत्थकामए आणुकंपिए निस्सेयसिए हियसुहनिस्सेसकामए, से तेण?णं गोयमा ! सणंकुमारे णं भवसिद्धिए जाव नो अचरिमे 2 / सणकुमारस्स णं भंते ! Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 ] .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमागः देविंदस्स देवरन्नो केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! सत्त सागरोवमाणि ठिती पन्नत्ता 3 / से णं भंते ! तायो देवलोगायो ग्राउक्खएणं नाव कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति 4 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 2, 5 / गाहायो-छट्टममासो अद्धमासो वासाई अट्ठ छम्मासा। तीसगकुरुदत्ताणं तबभत्त-परिगणपरियायो // 1 // उच्चत्तविमाणाणं पाउब्भव पेच्छणा य संलावे / किंचि विवादुप्पत्ती सणंकुमारे य भवियव्वं(तं) // 2 // // सू० 141 // मोया समत्ता / तईयसए पढमो उद्दसो समत्तो॥ // इति तृतीयशतके प्रथम उद्देशकः // 3-1 // // अथ तृतीयशतके चमराख्य-द्वितीयोद्देशकः // , तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था जाव परिसा पज्जुवासइ 1 / तेणां कालेणं तेणं समएणं चमरे असुरिंदे असुरराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसट्टीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता जामेव दिसि पाउ भए तामेव दिसि पडिगए 2 / भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति 2 एवं वदासी-अस्थि गां भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! नो इण? सम8 एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए, सोहम्मस्स कप्पस्स अहे जाव अस्थि णं भंते ! ईसिपब्भाराए पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति ?, णो इण? सम? 3 / से कहिं खाइ णं भंते ! असुरकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयण-सयसहस्सबाहल्लाए, एवं असुरकुमारदेव-वत्तव्यया जाव दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणा विहरंति 4 / अस्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए पराणते ?, Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) मूर्य :: शतकं 3 : उ० 2] 99 हंता अत्यि, केवतियं च णं पभू ! ते असुरकुमाराणं देवाणं हे गतिविसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! जाव अहेसत्तमाए पुढवीए तच्चं पुण पुढविं गया य गमिस्संति य 5 / कि पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा तच्चं पुढविं गया य गमिस्संति य ?, गोयमा ! पुब्बवेरियस्स वा वेदणउदीरणयाए पुव्वसंगइयस्स वा वेदणउवसामणयाए, एवं खलु असुरकुमारा देवा तच्चं पुढविं गया य गमिस्संति य 6 / अस्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गतिविसए पन्नत्ते ?, हंता अस्थि, केवतियं च णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गइविसए पन्नत्ते ?. गोयमा ! जाव असंखेजा दीवसमुद्दा नंदिस्सरवरं पुण दीवं गया य गमिस्संति य 7 / किं पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा नंदीसरवरदीवं गया य गमिस्संति य ?, गोयमा ! जे इमे अरिहंता भगवंता एएसि णं जम्मणमहेसु वा निक्खमणमहेसु वा णाणुप्पयमहिमासु वा परिनिव्वाणमहिमासु वा, एवं खलु असुरकुमारा देवा नंदीसरखरदीवं गया य गमिस्संति य 8 / अस्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं उड्ड गतिविसए पराणत्ते ?, हंता ! अस्थि, केवतियं च णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं उड्ड गतिविसए ?, गोयमा ! जावऽच्चुए कप्पे सोहम्मं पुण कप्पं गया य गमिस्संति य 1 / किं पत्तियगणं भंते ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य ?, गोयमा ! तेसि णं देवाणं भवपञ्चइयवेराणुबंधे, ते णं देवा विकुवेमाणा परियारेमाणां वा श्रायरक्खे देवे वित्तासेंति बहालहुस्सगाई रयणाइं गहाय आयाए एगंतमंतं अवकमंति 10 / अस्थि णं भंते ! तेसिं देवाणं अहालहुस्सगाई रयणाई ?, हंता अस्थि / से कहमियाणिं पकरेंति ?, तयो से पच्छा कायं पव्वहंति 11 / पभू णं भंते ! ते असुरकुमारा देवा तत्थ गया चेव समाणा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणा विहरितए ?, णो तिण? समढे, ते णं तश्री पडिनियत्तंति 2 Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10.] -:: - [ श्रीमदागमसुवासिन्धुः। द्वितीयो विभाग: त्ता इहमागच्छंति 2 जति णं तायो अच्छरायो पाढायंति परियाणंति 12 / पभू णं भंते ! ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणा विहरित्तए अहन्नं तायो अच्छरायो नो पाढायति नो परियाणंति, णो णं पभू ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणा विहरित्तए, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य 13 // सू० 142 // केवइकालस्स णं भंते ! असुरकुमारा देवा उट्ठ उप्पयति जाव सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य ?, गोयमा ! अणंताहिं उस्तप्पिणीहिं गणंताहिं अवसप्पिणीहिं समतिक्कंताहिं, अस्थि णं एस भावे लोयच्छेरयभूए समुप्पजइ जन्नं असुरकुमारा देवा उड्ड उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो 1 / किं निस्साए णं भंते ! असुरकुमारा देवा उड्ड उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ?, से जहानामए-इह सबरा इ वा बब्बरा इ वा टंकणा इ वा भुत्तुया(चुच्चुया) इ वा पल्हया इ वा पुलिंदा इ वा एगं महं गड्डे वा (खड्ड वा) दुग्गं वा दरिं वा विसमं वा पव्वयं वा णीसाए सुमहलमवि पासबलं वा हथिवलं वा जोहबलं वा धणुबलं वा पागलेंति, एवामेव असुरकुमारावि देवा, णराणत्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाणि वा अणगारे वा भावियप्पणो निस्साए उट्ठ उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो 2 / सव्वेवि णं भंते ! असुरकुमारा देवा उट्ठ उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ?, गोयमा ! णो इणढे सम४, महिड्डिया णं असुरकुमारा देवा उट्ठ उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो 3 / एसवि णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया उड्ड उप्पइयपुदि जाव सोहम्मो कप्पो ?, हंता गोयमा ! 2, 4 / ग्रहो णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया महिड्डीए महज्जुईए जाव कहिं पविठू ?, कूडागारसालादिट्ठतो भाणियव्यो 5 // सू० 143 // चमरे णं भंते ! असुरिदेणां Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 3 : उ० 2 ] [101 असुररन्ना सा दिव्वा देविड्डी तं चेव जाव किन्ना लद्धा पत्ता अभिसमनागया ? एवं खलु गोयमा ! तेगां कालेसं तेषां समएणं इहेव जंबहीवे 2 भारहे वासे विझगिरिपायमूले बेभेले नामं संनिवेसे होत्था, वनश्रो 1 / तत्थ णं बेभेले संनिवेसे पूरणे नामं गाहावती परिवसति घड्ढे दित्ते जहा तामलिस्स वत्तव्वया तहा नेयव्या, नवरं चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहयं करेत्ता जाव विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं जाव सयमेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहयं गहाय मुंडे भवित्ता दाणामाए पव्वजाए पवइत्तए पव्वइएऽवि य णं समाणे तं चेव, जाव अायावणभूमीश्रो पञ्चोरुभइ 2 त्ता सयमेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहियं गहाय बेभेले सन्निवेसे उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडेता जं मे पढमे पुडए पडइ कप्पइ मे तं पंथे पहियाणां दलइत्तए, जं मे दोच्चे पुडए पडइ कप्पइ मे तं कागसुणयाणां दलइत्तए, जं मे तच्चे पुडए पडइ कप्पइ मे तं मच्छकच्छभागां दलइत्तए, जं मे चउत्थे पुडए पडइ कप्पइ मे तं अप्पणा पाहारं श्राहारित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ 2 कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए तं चेव निरवसेसं जाव जं से(मे)चउत्थे पुडए पडइ तं अप्पणा पाहारं याहारेइ 2 | तए णं से पूरणे बालतवस्सी तेणं अोरालेगां विउलेगां पयत्तेगां पग्गहिएगां बालतवोकम्मेणां तं चेव जाव बेभेलस्स सन्निवेसस्स मझमज्झेणां निग्गच्छति 2 पाउयं कुडियमादीयं उवकरणां चउप्पुडयं च दारुमयं पडिग्गहियं एगंतमंते एडेइ 2 वेभेलस्स सन्निवेसस्स दाहिणपुरच्छिमे दिसीभागे श्रद्धनियत्तणियमंडलं आलिहित्ता संलेहणाभूसणाझसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पायोवगमणां निवराणे 3 / तेगां कालेगां तेषां समएगां अहं गोयमा ! छउमत्थकालियाए एकारसवासपरियाए छ8 छ8 गां अनिक्खित्तेगां तवोकम्मेणां संजमेणां तवसा अप्पाणां भावेमाणे पुव्वाणुपुर्दिवं चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव सुसमारपुरे नगरे जेणेव असोयवणसंडे उजाणे जेणेव Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1.2] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः असोयवरपायवे जेणेव पुढविसिलावट्टयो तेणेव उवागच्छामि 2 असोगवरपायवस्स हेट्ठा पुढविसिलापट्टयंसि अट्ठमभत्तं प(रि)गिराहामि, दोवि पाए साहट्ट वग्धारियपाणी एगपोग्गल-निविट्ठदिट्ठी अणिमिसनयणे ईसिंपन्भारगएगां काएगां ग्रहापणिहिएहिं गत्तेहिं सबिदिएहिं गुत्तेहिं एगराइयं महापडिमं उपसंपजित्ताणां विहरामि 4 / तेणां कालेगां तेषां समएणां चमरचंचारायहाणी अणिंदा अपुरोहिया यावि होत्था 5 / तए णं से पूरणे बालतवस्सी बहुपडिपुन्नाई दुवालसवासाइं परियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए यत्तागां झूसेत्ता सढि भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता कालमासे कालं किचा चमरचंचाए रायहाणीए उववायसभाए जाव इंदत्ताए उववन्ने 6 / तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया अहुणोववन्ने पंचविहाए पजत्तीए पजत्तिभावं गच्छइ, तंजहा-याहारपज्जत्तीए जाव भासमणपजत्तीए, तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया पंचविहाए पजत्तीए पजत्तिभावं गए समाणे उड्ड वीससाए श्रोहिणा श्राभोएइ जाव सोहम्मो कप्पो, पासइ य तत्थ सक्कं देविंदं देवरायं मघवं पाकसासगां सयकतु सहस्सक्खं वजपाणिं पुरंदरं जाव दस दिसायो उज्जोवेमाणं पभासेमाणं सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासणंसि जाव दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणं पासइ 2 इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुष्पन्जित्या-केस णं एस अपत्थियपत्थए दुरंतपंतलक्खणे हिरिसिरि. परिवजिए हीणपुन्नचाउद्दसे जे णं ममं इमाए एयारूवाए दिव्वाए देविड्डीए जाव दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए उप्पिं अप्पुस्सुए दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ ? एवं संपहेइ 2 सामाणियपरिसोरवन्नए देवे सदावेइ 2 एवं वयासी-केस णं एस देवाणुप्पिया ! अपस्थियपत्थए जाव भुजमाणे विहरइ ? 7 / तए णं ते सामाणिय-परिमोववन्नगा देवा चमरेणं असुरिंदेणं असुररन्ना एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव हयहियया करयल Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्रिं (श्रीमद गवति) सूत्र :: शतकं 3 : उ०१] / 103 परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धाति 2 एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! सक्के देविंदे देवराया जाव विहरइ 8 / तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया तेसिं सामाणियपरिसोववन्नगाणं देवाणं अंतिए एयम? सोचा निसम्म यासुरुत्ते कुविए चंडिकिए मिसिमिसेमाणे ते सामाणियपरिसोववन्नए देवे एवं वयासी-यन्ने खलु भो ! से सक्के देविंदे देवराया अन्ने खलु भो ! से चमरे असुरिंदे असुरराया, महिड्डीए खलु से सक्के देविंद देवराया, अप्पडिए खलु भो ! से चमरे असुरिंदे असुरराया, तं इच्छामि णं देवागुप्पिया ! सक्कं देविंदं देवरायं सयमेव अचासादेत्तएत्तिकटु उसिणे उसिणभूए यावि होत्था 1 / तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया थोहिं पउंजइ 2 ममं योहिणा याभोएइ 2 इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु समणे भगवं महावीरे जंबूद्दीवे 2 भारहे वासे सुसमारपुरे नगरे असोगवणसंडे उजाणे असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलावट्टयंसि अट्ठमभत्तं प(डि)गिरिहत्ता एगराइयं महापडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति 10 / तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं नीसाए सक्कं देविंदं देवरायं सयमेव अचासादेत्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ 2 सयणिज्जायो श्रभुदुइ 2 ता देवदूसं परिहेइ 2 उवधायसभाए पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं णिग्गच्छइ 11 / जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे तेणेव उवागच्छइ 2 ता फलिहरयणं परामुसइ 2 एगे अबीए फलिहरयणमायाए महया अमरिसं वहमाणे चमरचंचाए रायहाणीए मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव तिगिच्छकूडे उप्पायपव्वए तेणामेव उवागच्छइ 2 ता वेउब्धियसमुग्घाएणं समोहणइ 2 ता संखेन्जाइं जोयणाई जाव उत्तरवेउब्वियरूवं विउव्वइ 2 ता ताए उकिट्ठाए जाव जेणेव पुढविसिलापट्टए जेणेव मम अंतिए तेणेव उवागच्छति 2 मम तिक्खुत्तो श्रायाहिणं पयाहिणं Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 ] ..[ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः करेति जाव . नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भं नीसाए सक्कं देविंदं देवरायं सयमेव अचासादित्तएत्तिकटु उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागे अवकमइ 2 वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ 2 जाव दोच्चपि वेउवियसमुग्घाएणं समोहणइ 2 एगं महं घोरं घोरागारं भीम भीमागारं भासुरं भयाणीयं गंभीरं उत्तासणयं कालडरत्त-मासरासि-संकासं जोयणसयसाहस्सीयं महावोंदि विउव्वइ 2 अप्फोडेइ 2 वग्गइ 2 गजइ 2 हयहेसियं करेइ 2 हत्थिगुलगुलाइयं करेइ 2 रहघणघणाइयं करेइ 2 पायदद्दरगं करेइ 2 भूमिचवेडयं दलयइ 2 सीहणादं नदइ 2 उच्छोलेइ 2 पच्छोलेइ 2 तिपइं छिदइ 2 वामं भुयं ऊसवेइ 2 दाहिणहत्थ-पदेसिणीए य अंगुट्ठणहेण य वितिरिच्छमुहं विडंबेइ 2 महया 2 सद्दे णं कलकलरवेणं करेइ, एगे अबीए फलिहरयणमायाए उट्ठ वेहासं उप्पइए 12 / खोभंते चेव अहेलोयं कंपेमाणे च मेयणितलं साकट्ठ (प्राकट्ट) तेव तिरियलोयं फोडेमाणेव अंबरतलं कत्थइ गज्जतो कत्थइ विज्जुयायंते कत्थइ वासं वासमाणे कत्थइ रउग्घायं पकरेमाणे कत्थइ तमुक्कायं पकरेमाणे वाणमंतरदेवे वित्तासेमाणे जोइसिए देवे दुहा विभयमाणे 2 श्रायरक्खे देवे विपलायमाणे 2 फलिहर. यणां अंबरतलंसि वियट्टमाणे 2 विउज्झाएमाणे 2 ताए उकिट्ठाए जाव तिरियमसंखजाणं दीवसमुदाणं मझ मझेणं वीयीवयमाणे 2 जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सोहम्मवडेंसए विमाणे जेणेव सभा सुधम्मा तेणव उवागच्छइ 2 एगं पायं पउमवरवेइयाए करेइ एगं पायं सभाए सुहम्माए करेइ फलिहरयणेणं महया 2 सद्देणं तिक्खुत्तो इंदकीलं पाउडेइ 2 एवं वयासी-कहि णं भो ! सक्के देविंदे देवराया ? कहि णं तारो चउरासीइ सामाणियसाहस्सीयो ? जाव कहि णं तायो चत्तारि चउरासीइयो थायरक्खदेवसाहस्तीयो ? कहि णं तायो अोगायो अच्छराकोडीश्रो अज हणामि अज महेमि अज वहेमि अज ममं अवसायो अच्छरायो वसमुवण Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 3 : उ० 2. ] मंतुतिकटु तं अणिट्ट अकंत अप्पियं असुभं श्रमणुराणां श्रमणाम फरसं गिरं निसिरइ 13 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया तं अणि? जाव अमणामं अस्तुयपुव्वं फरुसं गिरं सोचा निसम्म आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहटु चमरं असुरिंदं असुररायं एवं वदासी-हं भो चमरा ! असुरिंदा ! असुरराया ! अपत्थियपत्थया ! जाव हीणपुनचाउद्दस्सा अज्जं न भवसि नाहि ते सुहमत्थीत्तिकटु तत्थेव सीहासणवरगए वज्ज परामुसइ 2 तं जलंतं फुडतं तडतडतं उकासहस्साई विणिम्मुयमाणं जालासहस्साई पमुचमाणं इंगालसहस्साइं पविक्खिरमाणं 2 फुलिंगजालामालासहस्सेहिं चक्खुविखेव-दिट्ठिपडिघायं पकरेमाणं हुयवहअइरेगते-दिप्पंतं जतिणवेगं फुल्लकिंसुयसमाणं महन्भयं भयंकरं चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो वहाए वज्ज निसिरइ 14 / तते णं से चमरे असुरिंदे असुरराया तं जलंतं जाव भयंकरं वजमभिमुहं श्रावयमाणं पासइ पासित्ता झियाति पिहाइ झियायित्ता पिहाइत्ता तहेव संभग्गमउडविडए सालंबहत्थाभरणे उट्ठपाए अहोसिरे कक्खागयसेपि व विणिम्मुयमाणे 2 ताए उकिट्ठाए जाव तिरियमसंखेजाणं दीवसमुदाणं मझमज्झेणं वीईवयमाणे 2 जेणेव जंबूद्दीवे 2 जाव जेणेव असोगवरपायवे जेणेव मम अंतिए तेगोव उवागच्छइ 2 ता भीए भयगग्गरसरे भगवं सरणमिति बुयमाणे ममं दोराहवि पायाणं अंतरंसि झत्ति वेगेण समोवडिए 15 // सू० 144 // (ग्रन्थाग्रं 2000) तए णं तस्स सकस्स देविंदस्स देवरन्नो इमेयारूवे अज्मथिए जाव समुप्पन्जित्था-नो खलु पभू चमरे असुरिंदे असुरराया, नो खलु समत्थे चमरे असुरिंदे असुरराया, नो खलु विसए चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो अप्पणो निस्साए उड्ड उप्पइत्ता जाव सोहम्मो कप्पो 1 / णरणत्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाणि वा अणगारे वा भावियप्पणो णीसाए उट्ठ उप्पयति जाव सोहम्मो कप्पो, तं महादुम्खं खलु तहाख्वाणं अरहंताणं Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदार्गमसुधार्सिन्धु में द्वितीयो विमागः भगवंताणं अणगाराण य अचासायणाएत्तिकटु योहिं पउंजति 2 ममं श्रोहिणा श्राभोएति 2 हा हा ग्रहो हतोऽहमंसित्तिकटु ताए उकिटाए जाव दिवाए देवगतीए वजस्स वीहिं अणुगच्छमाणे 2 तिरियमसंखेजाणं दीवसमुदाणं मझमज्झेणं जाव जेणेव असोगवरपायवे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ 2 ममं चउरंगुलमसंपत्तं वज्जं पडिसाहरइ 2 // सूत्रं 145 // अवियाई मे गोयमा ! मुट्ठिवाएणं केसग्गे वीइत्था, तए णं से सक्के देविंद देवराया वज्जं पडिसाहरित्ता ममं तिक्खुत्तो श्रायाहिणं पयाहिणं करेइ 2 वंदइ नमसइ 2 एवं वयासी-एवं खलु भंते ! अहं तुम्भं नीसाए चमरेणं असुरिंदेणं असुररन्ना सयमेव अचासाइए, तए णं मए परिकुविएणं समाणेणं चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो वहाए वज्जे निस? 1 / तए णं मे इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-नो खलु पभू चमरे असुरिंदे असुरराया तहेव जाव श्रोहिं पउंजामि देवाणुप्पिए श्रोहिणा श्राभोएमि हा हा ग्रहो हतोमीतिकटु ताए उक्ट्ठिाए जाव जेणेव देवाणुप्पिए तेणेव उवागच्छामि देवाणुप्पियाणं चउरंगुल-मसंपत्तं वज्जं पडिसाहरामि वजपडिसाहरणट्टयाए णं इहमागए इह समोसढे इह संपत्ते इहेव यज उवसंपजित्तो णं विहरामि 2 / तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खमंतु मरहंतु णं देवाणुप्पिया ! णाइभुजो एवं पकरणयाएत्तिकटु ममं वंदइ नमसइ 2 उत्तरपुरच्छिमं दिसीमागं अवकमइ 2 वामेणं पादेणं तिक्खुत्तो भूमि दलेइ 2 चमरं असुरिंदं असुररायं एवं वदासीमुक्कोऽसि णं भो चमरा ! असुरिंदा ! असुरराया ! समणस्स भगवयो महावीरस्स पभावेणं न हि ते दाणिं ममायो भयमत्थीत्तिकटु जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए 3 // सूत्रं 146 // भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति 2 एवं वदासि-देवे णं भंते ! - महिड्डीए महज्जुतीए जाव महाणुभागे पुव्वामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अणु Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) : शतकं 3 : उ० 2] [100 परियट्टित्ता णं गिरिहत्तए ?, हंता पभू 1 / से केण?णं भंते ! जाव गिरिहत्तए ?, गोयमा ! पोग्गले निक्खित्ते समाणे पुवामेव सिग्धगती भवित्ता ततो पच्छा मंदगती भवति, देवे णं महिड्डीए पुलिपिय पच्छावि सीहे सीहगती चेव तुरियतुरियगती चेव, से तेणटेणं जाव पभू गेरिहत्तए 2 / जति णं भंते ! देविदे महिड्डीए जाव अणुपरियट्टित्ता णं गेरिहत्तए कम्हा णं भंते ! सक्के णं देविदेणं देवरना(राया) चमरे असुरिंदे असुरराया नो संचाइए णं साहत्थि गेरिहत्तए ?, गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए सीहे 2 चेव तुरिए 2 चेव उड्ढ गतिविसए अप्पे 2 चेव मंद मंदे चेव वेमाणियाणं देवाणं उड्ढे गतिविसए सीहे 2 चेव तुरिए 2 चेव अहे गतिविसए अप्पे 2 चेव मंदे 2 चेव, जावतियं खेतं सक्के देविंद देवराया उड्ड उप्पयति एक्केणं समएणं तं वज्जे दोहिं, जं वज्जे दोहिं तं चमरे तिहिं, सव्वत्थोवे सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो उड्डलोयकंडए अहेलोयकंडए संखेजगुणे, जावतियं खेतं चमरे असुरिंदे असुरराया अहे अोवयति एक्केणं समएणं तं सक्के दोहिं जं सक्के दोहिं तं वज्जे तिहिं, सब्वत्थोवे चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो अहेलोयकंडए उडलोयकंडए संखेजगुणे 3 / एवं खलु गोयमा ! सक्केणं देविदेणं देवरगणा चमरे असुरिंदे असुरराया नो संचाइए साहत्थि गेरिहत्तए 4 / सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो उड्डे अहे तिरियं च गतिविसयस्स कयरेशहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवं खेत्तं सक्के देविंदे देवराया अहे अोवयइ एक्केणं समएणं तिरियं संखेज्जे भागे गच्छइ उड्ड संखेज्जे भागे गच्छइ 5 / चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररन्नो उड्ड अहे तिरियं च गतिविसयस्स कयरे२हिंतो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?, गोयमा ! सम्बत्थोवं खेत्तं चमरे असुरिदे असुरराया उड्डे उप्पयति एक्केणं EEEEEEE Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1.] " [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः समएणं तिरियं संखेज्जे भागे गच्छइ अहे संखेज्जे भागे गच्छइ, वज्ज जहा सकस्स देविंदस्स तहेव नवरं विसेप्ताहियं कायव्वं 6 / सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो ओवयणकालस्स य उप्पयणकालस्स य कयरेशहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेप्ताहिए वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे सकस्स देविंदस्स देवरन्नो उट्ठ उप्पयणकाले श्रोवयणकाले संखेजगुणे 71 चमरस्सवि जहा सक्कस्स णवरं सव्वत्थोवे ग्रोवयणकाले उप्पयणकाले संखेजगुणे 8 / वजस्स पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्थोवे उप्पयण. काले अोवयणकाले विसेसाहिए 1 / एयस्स णं भंते ! वजस्स वजाहिवइस्स चमरस्स य असुरिंदस्स असुररनो श्रोवयणकालस्स य उप्पयणकालस्स य कयरेशहितों अप्पे वा 4 ?, गोयमा ! सकस्स य उप्पयणकाले चमेरस्स य श्रोवयणकाले एए णं दोन्निवि तुला सव्वत्थोवा, सकस्स य श्रोवयणकाले वजस्स य उप्पयणकाले एस गं दोराहवि तुल्ले संखेजगुणे, चमरस्स य उप्पयणकाले वजस्स य ओवयणकाले एसणं दोराहवि तुल्ले विसेसाहिए 10 // सू० 147 // तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया वजभयविप्पमुक्के सक्केणं देविदेणं देवरन्ना महया अवमाणेणं अवमाणिए समाणे चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासगांसि ग्रोहयमणसंकप्पे चिंतासोयसागरसंपविट्ठ करयलपल्हत्थमुहे अट्टज्माणोवगए भूमिगदिट्ठीए झियाति 1 / तते णं तं चमरं असुरिंदं असुररायं सामाणियपरिसोववन्नया देवा श्रोहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासंति 2 करयल जाव एवं वयासि-किरणं देवाणुप्पिया योहयमणसंकप्पा जाव झियायह ?, तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया ते सामाणियपरिसोववन्नए देवे एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए समणं भगवं महावीरं नीसाए सक्के देविंदे देवराया -सयमेव अचासादिए 2 / तए णं तेणं परिकुविएगां समाणेगां ममं वहाए वज्जे Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमगाख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 3 :: उ० 2] [16 निसिढे तं भदरा भवतु देवाणुप्पिया ! समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जस्स मम्हिमनु(म्हि पभा)पभावेण अकि? अव्वहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसड्ढे इह संपत्ते इहेव अज्ज उवसंपजित्ता णं विहरामि 3 / तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणां भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो जाव पज्जुवासामोत्तिकटु चरसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव सब्विड्डीए जाव जेणेव असोगवरपायवे जेणेव मम अंतिए तेणेव उवागच्छइ 2 ममं तिक्खुत्तो अायाहिणं पयाहिगां जाव नमंसित्ता एवं वदासि–एवं खलु भंते ! मए तुभं नीसाए सक्के देविंदे देवराया सयमेव अचासादिए जाव त भणं भवतु देवाणुप्पियाणां मम्हि जस्स अणुपभावेगा अकि? जाव विहरामि तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ 2 त्ता जाव बत्तीसइबद्धं नट्टविहिं उवदंसेइ 2 जामेव दिसि पाउभूए तामेव दिसं पडिगए 4 / एवं खलु गोयमा / चमरेगां असुरिंदेण असुररन्ना सा दिव्वा देविड्डी लद्धा पत्ता जाव अभिसमन्नागया, ठिती सागरोवमं, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति 5 // सूत्रं 148 // किं पत्तिए णं भंते ! असुरकुमारा देवा उखु उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ?, गोयमा ! तेसियां देवाणां बहुणोववन्नगाण वा चरिमभवत्थाण वा इमेयाख्वे अज्झथिए जाव समुप्पजइ-ग्रहो णं अम्हेहिं दिव्या देविड्डी लद्धा पत्ता जाव अभिसमन्नागया, जारिसिया णं अम्हेहिं दिव्या देविड्डी जाव अभिसमन्नागया तारिसिया णं सक्केगां देविदेणां देवरना दिव्वा देविट्ठी जाव अभिसमन्नागया, जारिसिया णं सक्केगां देविदेणां देवरना जाव अभिसमन्नागया तारिसियागां अम्हेहिवि जाव अभिसमन्नागया तं गच्छामो णं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियं पाउभवामो पासामो ताव सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो दिव्वं देविढि जाव अभिसमन्नागयं पासतु ताव अम्हवि सक्के देविंदे देवराया दिव्वं देविदि जाव अभिसमगणागयं 1 / तं जाणामों Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागःताव सकस्स देविंदस्स देवरन्नो दिव्वं देविहिं जाव अभिसमन्नागयं जाणउ ताव अम्हवि सक्के देविंदे देवराया दिव्वं देविढि जाव अभिसमराणागयं 2 / एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा उड्ड उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो। सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 146 // चमरो समत्तो // // इति तृतीयशतके द्वितीय उद्देशकः // 3-2 // // अथ तृतीयशतके क्रियाभिध-ततीयोद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था जाव परिसा पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव अंतेवासी मंडियपुत्ते णाम अणगारे पगतिभदए जाव पज्जुवासमाणे एवं वदासी-कति णं भंते ! किरियायो पराणत्तायो ?, मंडियपुत्ता ! पंच किरियायो पराणत्तायो, तंजहा-काइया अहिगरणिया पाउसिया पारियावणिया पाणाइवायकिरिया 2 / काइया णं भंते ! किरिया कतिविहा पराणत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-अणुवरयकायकिरिया य दुप्पउत्तकायकिरिया य 3 / अहिगरणिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पराणत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा परांणत्ता, तंजहा.-संजोयणाहिगरणकिरिया य निव्वत्तणाहिगरणकिरिया य 4 / पायोसिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पराणत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-जीवपांयोसिया य अजीवपादोसिया य 5 / पारियावणिया णं भंते ! किरिया कइविहा पराणत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पराणत्ता,तंजहा-सहत्थपारियावणिया य परहस्थपारियावणिया य 6 / पाणाइवायकिरिया णं भंते ! (पुच्छा, पाणाइवाय)किरिया कइविहा पराणता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सहत्थपाणाडवायकिरिया य परहत्थपाणाइवायकिरिया य 7 // सूत्रं 150 // पुबि भंते ! किरिया पच्छा वेदणा, पुदि वेदणा पच्छा किरिया ?, मंडि. Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्यख्यिाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 3 : उ० 3 ] [ 111 यपुत्ता ! पुब्धि किरिया पच्छा वेदणा, णो पुब्बि वेदणा पच्छा किरिया // सूत्रं 151 // अस्थि णं भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कजइ ?, हंता ! अत्थि 1 / कहं णं भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कजइ ?, मंडियपुत्ता ! पमायपचया जोगनिमित्तं च, एवं खलु समणाणं निग्गंथाणं किरिया कजति 2 // सूत्रं 152 // जीवे णं भंते ! सया समियं एयति वेयति चलति फंदइ घट्टइ खुभइ उदीरइ तं तं भावं परिणमति ?, हन्ता ! मंडियपुत्ता / जीवे णं सया समियं एयति जाव तं तं भावं परिणमइ 1 / जावं च णं भंते ! से जीवे सया समितं जाव परिणमइ तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवति ?, णो तिण? सम?, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइजावं च णं से जीवे सया समितं जाव घेते अंतकिरिया न भवति ?, मंडियपुत्ता ! जावं च णं से जीवे सया समितं जाव परिणमति तावं च णं से जीवे श्रारंभइ सारंभइ समारंभइ . प्रारंभे वट्टइ सारंभे वट्टइ समारंभे वट्टइ श्रारंभमाणे सारंभमाणे समारंभमाणे प्रारंभे वट्टमाणे सारंभे वट्टमाणे समारंभे वट्टमाणे बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खावणयाए सोयावणयाए जूरावणयाए तिप्पावणयाए पिट्टावणयाए परियावणयाए (किलामणयाए उद्दावणयाए) वट्टइ, से तेणटेणं मंडियपुत्ता ! एवं वुच्चइजावं च णं से जीवे सया समियं एयति जाव परिणमति तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया न भवइ 2 / जीवे णं भंते ! सया समियं णो एयइ जाव नो तं तं भावं परिणमइ ?, हंता, मंडियपुत्ता ! जीवे णं सया समियं जाव नो परिणमति 3 / जावं च णं भंते ! से जीवे नो एयति जाव नो तं तं भावं परिणमति तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ ? हंता ! जाव भवति 4 / से केणटुणं भंते ! जाव भवति ?, मंडि. यपुत्ता ! जावं च णं से जीवे सया समियं णो एयति जाव णो परिणमइ तावं च णं से जीवे नो यारंभइ नो सारंभइ नो समारंभइ नो श्रारंभे Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ....... -1 श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमागा वट्टइ णो सारंभे वट्टइ णो समारंभे वट्टइ अणारंभमाणे असारंभमाणे असमारंभमाणे प्रारंभे अवट्टमाणे सारंभे अवट्टमाणे समारंभे अवट्टमाणे बहूणं पाणाणं 4 अदुक्खावणयाए जाव अपरियावणयाए वट्टइ 5 / से जहानामए केइ पुरिसे सुक्कं तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेजा, से नूणं मंडियपुत्ता ! से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविजइ ? हंता ! मसमसाविजइ, से जहानामए-केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदयबिंदू पक्खिवेजा, से नूण मंडियपुत्ता ! से उदयबिदू तत्तंसि अयकवल्लंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ ?, हंता ! विद्धंसमागच्छइ, से जहानामए हरए सिया पुराणे पुराणप्पमाणे वोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरघडताए चिट्ठति ?, हंता चिट्टति, श्रहे णं केइ पुरिसे तंसि हरयसि एगं महं णावं सतासवं सयच्छिदं योगाहेजा से नूणं मंडियपुत्ता ! सा नावा तेहिं पासवदारेहि श्रापूरेमाणी 2 पुराणा पुराणप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति ? हंता ! चिट्ठति, अहे णं केइ पुरिसे तीसे नावाए सव्वतो समंता पासवदाराइं पिहेइ 2 नावाउसिंचणएगां उदयं उस्सिचिजा से नूणं मंडियपुत्ता ! सा नावा तंसि उदयसि उसिंचिज्जंसि (उस्सितंसि) समाणंसि खिप्पामेव उड उदाइ ?, हंता ! उदाइजा, एवामेव मंडियपुत्ता ! अत्तत्तासंवुडस्स अणगारस्स ईरियासमियस्स जाव गुत्तवंभयारियस्स पाउत्तं गच्छमाणस्स चिट्ठमाणस्स निसीयमाणस्स तुयट्टमाणस्स अाउत्तं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछणं गेराहमाणस्स णिक्खिवमाणस्स जाव चक्खुपम्ह-निवायमवि वेमाया सुहुमा ईरियावहिया किरिया कजइ, सा पढमसमयबद्धपुट्ठा बितियसमयवेतिया ततिय-समयनिजरिया सा बद्धा पुट्ठा उदीरिया वेदिया निजि Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) र शवकं 3 : 01 [ 113 राणा सेयकाले अकम वाविः भवति, से तेण?णं मंडियपुत्ता ! एवं वुचतिजावं च णं से जीवे सया समियं नो एयति जाव घेते अंतकिरिया भवति 6 // सूत्रं 153 // पमत्तसंजय णं भंते ! पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्वावि यणं पमत्तछा कालयो केवचिरं होइ ?, मंडियपुत्ता ! एगजीवं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं उकासेणं देसूणा पुन्चकोडी, णाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धा 1 / अप्पमत्तसंजयस्स णं भंते ! अप्पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्वावि य णं अप्पमत्तद्धा कालयो केवचिरं होइ ?, मंडियपुत्ता ! एगजीवं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी देसूणा, णाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धं, सेवं भंते ! 2 ति भयवं मंडियपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 2 ॥सू० 154 // भंते ! ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 ता एवं वयासी-कम्हा णं भंते ! लवणसमुद्दे चाउद्दसट्टमुद्दिट्ट-पुन्नमासिणीसु अतिरेयं वहति वा हायति वा ?, जहा जीवाभिगमे लवणसमुद्दवत्तव्वया नेयवा जाव लोयट्टिती, जगणं लवणसमुद्दे जंबूद्दीवं 2 णो उप्पीलेति णो चेव णं एगोदगं करेइ लोयट्टिई लोयाणुभावे 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 2 // किरिया समत्ता // सूत्रं 155 // ततियस्स सयस्स तइयो // // इति तृतीयशतके तृतीय उद्देशक // 3-3 // // अथ तृतीयशतके ज्ञानाभिध-चतुर्थोद्देशकः // श्रणगारे णं भंते ! भावियप्पा देवं विउव्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ पासइ ? गोयमा ! अत्थेगइए देवं पासइ णो जाणं पासइ 1 अत्थेगइए जाणं पासइ नो देवं पासइ 2 अत्थेगइए देवपि पासइ जाणंपि पासइ 3 अत्थेगइए नो देवं पासइ नो जाणं Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 ] or : --[ श्रीनदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागे। पासइ 4, 1 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा देविं वेउब्वियसमुग्याएणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणिं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! एवं चेव 2 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा देवं सदेवीयं वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! अत्थेगइए देवं सदेवीयं पासइ नो जाणं पासइ, एएणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा 4, 3 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा रुक्खस्स किं अंतो पासइ बाहिं पासइ ? चउभंगो 4 / एवं किं मूलं पासइ कंदं पासइ ?, चउभंगों, मूलं पासइ खंधं पासइ चउभंगो 5 / एवं मूलेणं बीजं संजोएयव्वं, एवं कंदेणवि समं संजोएयव्वं जाव बीयं, एवं जाव पुप्फेण समं बीयं संजोएयव्वं 6 / अणगारे गां भंते ! भावियप्पा रुक्खस्स किं फलं पासइ बीयं पासइ ?, चउभंगो 7 / // सू० 156 // पभू णां भंते ! वाउकाए एगं महं इत्थिरुवं वा पुरिसरुवं वा हत्थिरूवं वा जाणरूवं वा एवं जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीय-संदमाणियरूवं वा विउवित्तए ?, गोयमा ! णो तिणटे सम?, वाउकाएगां विकुबमाणे एगं महं पडागासंठियं रूवं विकुबइ 1 / पभू गां भंते ! वाउकाए एगं महं पडागासंठियं रूवं विउवित्ता अणेगाई जोयणाई गमित्तए ?, हंता ! पभु 2 / से भंते ! किं पायड्डीए गच्छइ परिडीए गच्छइ ?, गोयमा ! अायडीए गच्छइ णो परिड्डीए गच्छइ जहा अायड्डीए एवं चेव श्रायकम्मुणावि अायप्पयोगेणवि भाणियव्वं 3 / से भंते ! किं ऊसियोदगं गच्छइ पतोदगं गच्छइ ?, गोयमा ! ऊसियोदयंपि गच्छइ पयोदयंपि गच्छइ 4 / से भंते ! कि एगोपडागं गच्छइ दुहयोपडागं गच्छइ ?, गोयमा ! एगो पडागं गच्छइ नो दुहयो पडागं गच्छइ 5 / से गां भंते ! किं वाउकाए पडागा ?, गोयमा ! वाउकाए गां से नो खलु सा पडागा 6 // सूत्रं 157 // पभू गां भंते ! बलाहगे एगं महं इत्थिरूवं वा जाव संदमाणियरूवं वा परिणामेत्तए ?, हंता, पभू 1 / पभू गां भंते ! बलाहए एगं महं इथिरुवं परिणामेत्ता Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 3 : उ० 4 ] [ 115 यणेगाई जायणाई गमित्तए ?, हंता पभू 2 / से भंते ! किं अायडीए गच्छइ परिडीए गच्छइ ?, गोयमा ! नो यायड्डीर गच्छति, परिडीए गच्छइ, एवं नो पायकम्मुणा परकम्मुणा नो यायपयोगेणं परप्पयोगेणं ऊसितोदयं वा गच्छइ पयोदयं वा गच्छड़ 3 / से भंते ! किं बलाहए इत्थी ?, गोयमा ! बलाहए णं से, णो णलु सा इत्थी, एवं पुरिसे श्रासे हत्थी 4 / पभू णं भंते ! बलाहए एगं महं जाणरूवं परिणामेत्ता अणेगाई जोय गाइं गमित्तए जहा इत्थिरूवं तहा भाणियव्वं, णवरं एगोचकवालंपि दुहयोचकवालंपि गच्छइत्ति भाणियव्वं, जुग्ग-गिल्लि. थिल्लि सोया संदमाणि पाणं तहेव 5 // सूत्रं 158 // जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! किलेसेसु उववजति ?, गोयमा ! जल्लेसाई दब्वाइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेसेसु उववजइ, तंजहा-कराहलेसेसु वा नीललेसेस वा काउनेसेसु वा 1 / एवं जस्स जा लेस्सा सा तस्स भाणियव्वा जाव जीवे णं भंते ! जे भविए जोतिसिएसु उववजित्तए ? पुच्छा, गोयमा ! जल्लेसाई दव्वाइं परियाइति 2 ता कालं करेइ तल्लेसेसु उववज्जइ, तंजहा-तेउलेस्सेसु 2 / जीवे णं भंते ! जे भविए वेमाणिएसु उववजित्तए से णं भंते ! किलेस्सेसु उववजइ ?, गोयमा ! जल्लेस्साई दबाइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेसेसु उववजइ, तंजहातेउलेस्सेसु वा पम्हलेसेसु वा सुक्कलेसेसु वा 3 // सूत्रं 151 // अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू वेभारं पव्वयं उल्लंघेत्तए वा पलंधेत्तए वा ?, गोयमा ! णो तिण? समढे 1 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू वेभारं पव्वयं उल्लंघेत्तए वा पलंघेत्तए वा ?, हंता, पभृ 2 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता जावइयाइं रायगिहे नगरे ख्वाई एवइयाई विकुवित्ता वेभारं पव्वयं अंतो अणुप्पविसित्ता पभू समं वा Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 ] [ श्रीमदागेमसुभासिन्धुः में द्वितीयो विभागा विसमं करेत्तए विसमं वा समं करेत्तए ?, गोयमा ! णो इण? सम8, एवं चेव दितियोऽवि घालावगो णवरं परियातित्ता पभू 3 / से भते ! किं माई विकुब्वति अमाई विकुब्वइ ? गोयमा ! माई विकुब्वइ नो अमाई विकुब्वति 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव नो अमाई विकुम्वइ ?, गोयमा ! माईपणियं पागाभोयणं भोचा 2 वामेति तस्स णं तेणं पणीएणं पाणभोय. णेणं अट्ठि अट्टिमिजा वहलीभवंति पयणुए मंससोणिए भवति, जेवि य से अहाबायरा पोग्गला तेवि य से परिणमंति, तंजहा-सोतिदियत्ताए, जाव फासिंदियत्ताए पट्टि-ट्टिमिंजकेस-मंसुरोम-नहत्ताए सुक्कत्ताए सोणियत्ताए, अमाईणं लूहं पागभोरणं भोचा 2 णो वामेइ, तस्स णं तेणं लूहेणं पाणभोयणेणं अट्टि-ट्टिमिजा-केसमंसुरोम-नहत्ताए पयणु भाति बहले मंससोणिए, जेवि य से ग्रहाबादरा पोग्गला तेवि य से परिणमंति, तंजहा-उच्चारत्ताए पासवणताए जाव सोणियत्ताए, से तेणटेणं जाव नो अमाई विकुब्बइ 5 / माईणं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिवकते कालं करेइ नत्थि तस्स श्राराहणा 6 / अमाई गां तस्स गणस्स आलोइयपडिक्कते कालं करेइ अत्थि तस्स पाराहणा 7 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 8 / // सूत्रं 160 // तईयसए चउत्थो उद्दे सो समत्तो // ॥इति तृतीयशतके चतुर्थ उद्देशकः // 3-4 // // अथ तृतीयशतके स्त्रीविकुर्वणाख्य-पञ्चमोद्देशकः // . अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं इत्थिरूवं वा जाव संदमाणियरूवं वा विउवित्तए ? णो तिण? समढे 1 / अणगारे णं भंते ! भावियपा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगं महं इथिरुवं वा जाव संदमाणियरूवं वा विउवित्तए ?, हंता पभू 2 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू इत्थिरूवाई विकुवित्तए ?, Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 3 : उ० 5 ] [ 117 गोयमा ! से जहानामए जुवई जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेगहेजा चकस्स वा नाभी परगा उत्तासिया एवामेव ग्रंणगारेवि भावियप्पा वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ जाव पभू णं गोयमा ! अणगारेणं भावियप्पा केवलकप्पं जंबूद्दीवं 2 बहूहिं इत्थीरूवेहिं श्राइन्नं वितिकिन्नं जाव एस णं गोयमा ! यणगारस्स भाविअप्पणो अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते वुच्चइ नो चेव णं संपत्तीए विकुब्बिसु वा 3, एवं परिवाडीए नेयव्वं जाव संदमाणिया 3 / से जहानामए केइ पुरिसे असिचम्मपायं गहाय गच्छेजा एवामेव भावियप्पा अणगारेवि . भाविअप्पा असि-चम्मपाय-हत्थकिञ्चगएणं अप्पाणेणं उ8 वेहासं उप्पइजा ?, हंता उप्पइजा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू असि-चम्म गाय-हत्थकिचगयाई रुवाई विउवित्तए ?, गोयमा ! से जहानामए-जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेराहेजा तं चेव जाव विउब्बिसु वा 3, 4 / से जहानामए केइ पुरिसे एगयोपडागं काउं गच्छेजा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा एगयो-पडाग-हत्थकिञ्चगएणं अप्पाणेणं उर्ल्ड वेहासं उप्पएन्जा ? हंता गोयमा ! उप्पएन्जा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू एगो-पडागा-हत्थकिचगयाइं रूवाई विकुवित्तए ? एवं चेव जाव विकुविसु वा 3, 5 / एवं दुहयोपडागपि 6 / से जहानामए-केइ पुरिसे एगयोजनोवइतं काउं गच्छेजा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा एगोजगणोवइयकिञ्चगएणं अप्पाणेगां उ8 देहासं उप्पएजा ? हंता ! उप्पएज्जा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू एगो-जराणोवइय-किचगयाई रूवाइं विकुवित्तए तं चेव जाव विकुब्बिसु वा 3, 7 / एवं दुहयोजराणोवइयंपि 8 / से जहानामए–केइ पुरिसे एगयो पल्हस्थियं काउं चिट्टे जा, एवामेव यण्गारेवि भावियप्पा एवं चेव जाव विकुब्बिसु वा 3, एवं दुहयो पलियंकं (पल्हत्थिय)पि 1 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं श्रासरूवं वा हत्थिरुवं वा सीहरूवं वा Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमानः वग्य-वग-दीविय-अच्छतरच्छ-परासररूवं वा अभिजित्तए ?, णो तिणट्टे सम8, अणगारे णं एवं बाहिरए पोग्गले परियादित्ता पभू 10 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा एगं महं वासरूवं वा अभिजु जित्ता पभू अणेगाई जोयणाई गमित्तए ? हंता ! पभू 11 / से भंते ! किं यायड्डीए गच्छति परिडीए गच्छति ?, गोयमा ! श्राइड्डीए गच्छइ नो परिड्डीए, एवं पायकम्मुणा नो परकम्मुणा पायप्पयोगेगां नो परप्पोगेगां उस्सियोदयं वा गच्छइ पयोदगं वा गच्छइ 12 / से णं भंते ! किं अणगारे यासे ?, गोयमा ! अणगारे णं से नो खलु से पासे, एवं जाव परासरस्वं वा 13 / से भंते ! किं मायी विकुब्बति अमायी विकुब्वति ?, गोयमा ! मायी विकुब्यति नो अमायी विकुवति, माई णं भंते ! तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ कहिं उववज्जति ?, गोयमा ! अन्नयरेसु अाभियोगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववजइ, अमाई णं तस्स ठाणस्त अालोइयपडिक्कते कालं करेइ कहिं उववजति ?, गोयमा ! अन्नयरेसु प्रणाभियोगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववज्जइ 14 / सेवं भंते 2 ति, गाहा-इत्थीग्रसीपडागा जगणोवइए य होइ बोद्धव्वे / पल्हत्थियपलियंके अभियोगविकुब्वणा माई // 1 // 15 // सूत्रं 161 // तईए सए पंचमो उद्दे सो समत्नो॥ // इति तृतीयशतके पञ्चम उद्देशकः // 3-5 // // अथ तृतीयशतके नगराभिधो-षष्ठोद्देशकः // अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छट्ठिी वीरियलद्धीए वेउवियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वाणारसि नगरिं समोहए समोहणित्ता रायगिहे नगरे ख्वाइं जाणति पासति ?, हंता जाणइ पासइ 1 / से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ ?, गोग्गमा ! णो तहाभावं जाणइ पासइ अराणहाभावं जाणइ पासइ 2 / से केणढेणं भंते ! Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 16 श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं / / शतकं 3 : उ० 6 ] एवं वुच्चइ नो तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! तस्स णं एवं भवति–एवं खलु यहं रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाइं जाणामि पासमि, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेण?णं जाव पासति 3 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी जाव रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, तं चेव जाव तस्स णं एवं होइ-एवं खलु यहं वाणारसीए नगरीए समोहए 2 रायगिहे नगरे ख्वाइं जाणामि पासामि, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेण?णं जाव अन्नहाभावं जाणइ पासइ 4 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउब्धियलद्धीए विभंगणाणलद्धीए वाणारसिं नगरि रायगिहं च नगरं अंतरा एगं महं जणवयवग्गं समोहए 2 वाणारसिं नगरिं रायगिहं च नगरं अंतरा एगं महं जणवयवग्गं जाणति पासति ? हंता जाणति पासति 5 / से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभा जाणइ पासइ ?, गोयमा ! णो तहाभावं जाणति पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ 6 / से केणटेणं जाव पासइ ?, गोयमा ! तस्स खलु एवं भवति एस खलु वाणारसी नगरी एस खलु रायगिहे नएरे एस खलु अंतरा एगे महं जणवयवग्गे, नो खलु एस महं वीरियलद्धी वेउब्वियलद्धी विभंगनाणलद्धी इड्डी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमराणागए, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेण?णं जाव पासति 7 // सू० 162 // अणगारे गां भते ! भावियप्पा अमाई सम्मदिट्ठी वीरियलद्रीए वेउब्धियलद्धीए श्रोहिनाणलद्धीए रायगिहे नगरे समोहए 2 वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणइ पासइ ?, हंता, से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणति पासति ?, गोयमा ! तहाभावं जाणति पासति नो अन्नहाभावं जाणति पासति 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 120 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमागः गोयमा ! तस्स णं एवं भवति-एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहणमि समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए स्वाइं जाणामि पासामि, से से दसणे अविवच्चासे भवति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुञ्चति 2 / बीयो बालावगो एवं चेव नवरं वाणारसीए नगरीए समोहणा नेयव्या रायगिहे नगरे ख्वाइं जाणइ पासइ 3 / अणगारे गां भंते ! भावियप्या श्रमाई सम्मदिट्ठी वीरियलद्धोए वेउब्बियलडीए योहिनाणलद्धीए रायगिहं नगरं वाणारसिं नगरिं च अंतराएगं महं जणवयवग्गं समोहए 2 रायगिहं नगरं वाणारसिं च नगरि तं च अंतरा एगं महं जणवयवग्गं जाणाइ पासइ ? हंता जाणइ पासइ 4 / से भंते ! कि तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पामइ ?, गोयमा ! तहाभावं जाणइ पासइ, णो अन्नहा. भावं जाणइ पासइ 5 / से केणटणं ? गोयमा ! तस्स गां एवं भवति-नो खलु एस रायगिहे णगरे णो खलु एस वाणारसी नगरी नो खलु एस अंतरा एगे जणवयवग्गे, एस खलु ममं वीरियलद्धी वेउब्वियलद्धी योहिणाणलद्वी इड्डी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे लद्रे पत्ते अभिसमन्नागए से से दसणे अविवचासे भवति से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति तहाभावं जाणति पासति नो अन्नहाभावं जाणति पासति 6 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं गामख्वं वा नगरख्वं वा जाव सन्निवेतरुवं वा विकुवित्तए ?, यो तिण8 समटे, एवं बितियोवि घालावगो, णवरं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू 7 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू गामख्वाइं विकुवित्तए ?, गोयमा ! से जहानामए जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेराहेजा त चेव जाव विकुब्बिसु वा 3, एवं जाव सन्निवेसरूवं वा 8 // सूत्रं 163 // चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररन्नो कति थायरक्खदेवसाहस्सी पराणत्ता ? गोयमा ! चत्तारि चउसट्ठीयो थायरक्ख-देवसाहस्सीयो Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 3 :: उ० 7 ] [ 121 परणत्तायो, ते णं श्रायरक्खा वराणो जहा रायप्पसेणइज्जे 1 / एवं सब्वेसि इंदाणं जस्स जत्तिया आयरक्खा ते भाणियबा 2 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरति // सूत्रं 164 // तझ्यसए छट्ठो उद्देसो समत्तो॥ // इति तृतीयशतके षष्ठ उद्देशकः // 3-6 / / // अथ तृतीयशतके लोकपालाख्य-सप्तमोद्देशकः // रायगिह नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो कति लोगपाला पराणता ?, गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पराणत्ता, तंजहा-सोमे जमे वरुणे वेसमणे 1 / एएसि णं भंते ! चउगह लोगपालाणं कति विमाणा पराणत्ता ? गोयमा ! चत्तारि विमाणा पराणत्ता, तंजहा-संझप्पभे वरसिट्ठ सयंजले वग्गू 2 / कहिं णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरगणो सोमस्स महारन्नो संझप्पभे णामं महाविमाणे पराणत्ते ?, गोयमा ! जंबद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए पुनीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो उड्ड चंदिम-सूरिय-गह-गणणक्खत्त-ताराख्वाणं बहुई जोयणाई जाव पंच वडिंसया पराणत्ता, तंजहाअसोयवडेंसए सत्तवन्नवडिसए चंपयवडिसए चूयवडिंसए मज्झे सोहम्मवडिसए 3 / तस्स णं सोहम्म-वडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरच्छिमेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाइं जोयणाई वीतिवइत्ता एस्थ णं सकस्स देविंदस्स देवस्नो सोमस्स महारनो संझप्पभे नामं महाविमाणे पराणत्ते, अद्धतेरस जोयणसयसहस्साई थायामविक्खंभेणं उयालीसं जोयणसयसहस्साई बावन्नं च सहस्साइं अट्ठ य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणत्ते, जा सूरियाभविमाणस्स वत्तव्वया सा अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अभिसेयो नवरं सोमे देवे 4 / संझप्पभस्स णं महाविमाणस्स अहे सपक्खि सपडिदिसिं असंखेन्जाइं जोयणसयसहस्साई भोगाहित्ता एत्थ णं सकस्स देविंदस्स Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागा देवरन्नो सोमस्स महारनो सोमा नाम रायहाणी पराणत्ता एगं जोयणसयसहस्सं पायामविक्खंभेणं जंबूद्दीवपमाणेण(पमाणा) वेमाणियाणं पमाणस्स श्रद्धं नेयध्वं जाव उवरियलेणं सोलस जोयणसहस्साई यायामविक्खंभेणं पन्नासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेण पराणत्ते, पासायाणं चत्तारि परिवाडीयो नेयब्वायो, सेसा नस्थि 5 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो इमे देवा याणाउववायवयणनिह से चिट्ठति, तंजहा-सोमकाइयाति वा सोमदेवकाइयाति वा विज्जुकुमारा विज्जुकुमारीयो अग्गिकुमारा अग्गिकुमारीयो वाउकुमारा वाउकुमारीयो चंदा सूरा गहा णक्खत्ता ताराख्वा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया तप्पक्खिया तभारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो प्राणाउववाय-वयणनिह से चिट्ठति 6 / जंबद्दीवे 2 मंदरस्स पअयस्स दाहिणेणं जाइं इसाई समुप्पज्जंति, तंजहा-गहदंडाति वा गहमुसलाति वा गहगजियाति वा, एवं गहयुद्धाति वा गहसिंघाडगाति वा गहावसव्वाइ वा अभाति वा अब्भरुक्खाति वा संभाइ वा गंधवनगराति वा उक्कापायाति वा दिसीदाहाति वा गजियाति वा विज्जुयाति वा पंसुवुट्ठीति वा जूवेत्ति वा जक्खालित्तत्ति वा धूमियाइ वा महियाइ वा रयुग्घायाइ वा चंदोवरागाति वा सूरोवरागाति वा चंदपरिवेसाति वा सूरपरिवेसाति वा पडिचंदाइ वा पडिसूराति वा इंदधणूति वा उदग-मच्छ-कपिहसिय-अमोहापाईणवायाति वा पडीणवाताति वा जाव संवट्टयवाताति वा गामदाहाइ वा जाव सन्निवेसदाहाति वा पाणक्खया जणक्खया धणखया कुलक्खया वसणभूया अणारिया जे यावन्ने तहप्पगारा ण ते सकस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारत्नो अराणाया अदिट्ठा असुया अमुया अविराणाया तेसिं वा सोमकाइयाणं देवाणं 7 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारनो इमे अहावच्चा अभिन्नाया होत्या, तंजहा-इंगालए वियालए Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं // शतकं 3 . उ० 7 ] लोहियक्खे सणिवरे चंदे सूरे सुक्के बुहे बहस्सती राहू 8 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सत्तिभागं पलियोवमं ठिती पराणत्ता, अहावच्चाभिन्नायाणं देवाणं एगं पलियोवमं लिई पराणत्ता, एवंमहिडीए जाव महाणुभागे सोमे महाराया // 1 // 1 // सू० 165 // कहिणं भंते ! सकस्स देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो वरसि? णामं महाविमाणे पराणत्ते ?, गोयमा ! सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स दाहिणेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाई जोयणसहस्साई वीइवतित्ता एत्थ णं सक्करस देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो वरसिटे णामं महाविमाणे पराणत्ते श्रद्धतेरस जोयणसयसहस्साइं जहा सोमस्स विमाणे तहा जाव अभिसेयो रायहाणी तहेव जाव पासायपंतीयो 1 / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारनो इमे देवा याणाउववाय-वयणनिह से चिट्ठति, तंजहाजमकाइयाति वा जमदेवकाइयाइ वा पेयकाइया इ वा पेयदेवकाझ्याति वा असुरकुमारा असुरकुमारीयो कंदप्पा निरयवाला श्राभियोगा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते तभत्तिगा तप्पक्खिया तभारिया सकस्स देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारनो प्राणाए जाव चिट्ठति 2 / जंबद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाइं इमाइं समुप्पज्जंति, तंजहाडिंबाति वा डमराति वा कलहाति वा बोलाति वा खाराति वा महायुद्धाति वा महासंगामाति वा महासत्थनिवडणाति वा एवं पुरिसनिवडणाति वा महारुधिरनिवडणाइ वा दुब्भूयाति वा कुलरोगाति वा गामरोगाति वा मंडलरोगाति वा नगररोगाति वा सीसवेयणाइ वा अच्छि. वेयणाइ वा कन्ननह-दंतवेयणाइ वा इंदगाहाइ वा खंदगाहाइ वा कुमारगाहाइ वा जक्खगाहाइ वा भूयगाहाइ वा एगाहियाति वा बेत्राहियाति वा तेयाहियाति चाउत्थहियाति वा उव्वेयगाति कासाखासाइ वा सासाति वा सोसेति वा जराइ वा दाहाइ वा कच्छकोहाति वा अजीरया पंडुरगा Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 124 ) ...: [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः हरिसाइ वा भगंदराइ वा हिययसूलाति वा मत्थयसूलाति वा जोणिसूलाति वा पाससूलाति वा कुच्छिमूलाति वा गाममारीति वा नगरमारीति वा खेडमारीति वा कब्बडमारीति वा दोणमुहमारीति वा मडंबमारीति वा पट्टणमारीति वा पासममारीति वा संवाहमारीति वा संनिवेसमारीति वा पाणक्खया धणक्खया जणक्खया कुलक्खया वसणभूया अणारिया जे यावन्ने तहप्पगारा न ते सकस्स देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो अराणाया अदिट्ठा असुया अमुया अविराणाया तेसिं वा जमकाइयाणं देवाणं 3 / सकस्स देविंदस्स देवरगणो जमस्स महारनो इमे देवा ग्रहावच्चा अभिराणाया होत्था, तंजहा-अंबे 1 अंबरिसे चेव 2, सामे 3 सबलेत्ति यावरे 4 / रुद्दो ५-वरुदे 6 काले 7 य, महाकालेत्ति यावरे 8 // 1 // असी 1 य असिपत्ते 10 कुभे 11 (असिपत्ते धणू कुभे) वालू 12 वेयरणीति य 13 / खरस्सरे 14 महाघोसे 15, एए पनरसाहिया // 2 // सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो सत्तिभागं पलिग्रोवमं ठिती पराणत्ता, अहावचाभिराणायाणं देवाणं एगं पलियोवमं ठिती पन्नता, एवंमहिडिए जाव जमे महाराया 4 // 2 // सूत्रं 166 // कहि णं भंते ! सकस्स देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारन्नो सयंजले नाम महाविमाणे पन्नत्ते ?. गोयमा ! तस्स णं सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स पचत्थिमेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाई जहा सोमस्स तहा विमाणरायहाणीयो भाणियवा जाव पासायवसिया नवरं नामणाणत्तं 1 / सकस्स गां वरुणस्स महारन्नो इमे देवा श्राणाउववाय-वयण-निद्द से चिट्ठति, तंजहा-वरुणाकाइयाति वा वरुणदेवयकाइयाइ वा नागकुमारा नागकुमारीयो उदहिकुमारा उदहिकुमारीयो थणियकुमारा थणियकुमारीयो जे यावगणे तहप्पगारा सब्वे ते तब्भत्तिया जाक चिट्ठति 2 / जंबद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाइं समुप्पज्जंति, Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 3 : उ०७ ] [ 125. तंजहा-अतिवासाति वा मंदवासाति वा सुट्टीति वा दुवुट्ठीति वा उदम्भेयाति वा उदप्पीलाइ वा उदवाहाति वा पव्वाहाति वा गामवाहाति वा जाव सन्निवेसवाहाति वा पाणक्खया जाव तेसिं वा वरुणकाइयाणं देवाणं सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारनो जाव अहावच्चाभिन्नाया होत्था, तंजहा-ककोडए कदमए अंजणे संखावालए पुंडे पलासे मोएजए दहिमुहे अयंपुले कायरिए 3 / सकस्स देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारराणो देसूणाई दो पलिग्रोवमाइं ठिती पराणत्ता, अहावचाभिन्नायाणं देवाणं एगं पलियोवमं ठिती पराणत्ता, एवंमहिड्डीए जाव वरुणे महारापा 4, 3 // सूत्रं 167 // कहि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरनो वेसमणस्त महारत्रो वग्गूणामं महाविमाणे पराणते ?, गोयमा ! तस्स णं सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरेणं जहा सोमस्स विमाणरायहाणि-वत्तम्बया तहा नेयवा जाव पासायवडिसया 1 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारनो इमे देवा पाणाउववाय-वयणनिहे से चिट्ठति, तंजहा-वेसमणकाइयाति वा वेसमणदेवकाइयाति वा सुवन्नकुमारा सुवन्नकुमारीयो दीवकुमारा दीवकुमारीयो दिसाकुमारा दिसाकुमारीयो वाणमंतरा वाणमंतरीश्रो जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया जाव चिट्ठति 2 / जंबद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाई समुप्पज्जंति, तंजहा-प्रयागराइ वा तउयागराइ वा तंबयागराइ वा एवं सीसागराइ वा हिरनगराइ वा सुवन्नगराइ वा रयणगराइ वा वयरागराइ वा वसुहाराति वा हिरन्नवासाति वा सुवन्नवासाति वा रयणवासाति वा वइरवासाति वा श्राभरणवासाति वा पत्तवासाति वा पुष्फवासाति वा फलवासाति वा बीयवासाति वा मल्लवासाति वावराणवासाति वा चुन्नवासाति वा गंधवासाति वा वत्थवासाइ वा हिरनवुट्टीइ वा सुवराणबुट्टीइ वा रयणवुट्टीइ वा वइरखुट्टीइ वा श्राभरणबुट्टीइ वा पत्तबुट्ठीइ वा पुप्फबुट्टीइ वा फलबुट्टीइ वा Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 126] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वितीयों विभाग बीयवुट्टीइ वा मल्लवुट्टीइ वा वराणबुद्दीइ वा चुन्नबुढीइ वा. गंधयुट्टीइ वा वत्थबुट्टीत्ति वा भायणबुट्ठीति वा खीरखुट्ठीति वा सुयालाति वा सुकालाति वा दुक्कालाति वा अप्पघाति वा महग्घाति वा सुभिक्खाति वा दुभिक्खाति वा कयविकयाति वा सन्निहियाति वा संनिचयाति वा निहीति वा णिहाणाति वा चिरपोराणाई पहीणमामियाति वा पहीणसेउयाति वा पहीणमग्गाणि वा पहीणगोत्तागाराइ वा उच्छिन्नसामियाति वा उच्छिन्नसेउयाति वा उच्छिन्नगोत्तागाराति वा सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चर-चउम्मुह-महापहपहेसु नगरनिद्धमणेसु वा सुसाण-गिरिकंदर-संतिसेलोवट्ठाण-भवणगिहेसु संनिक्खित्ताई चिट्ठति, एताई सकस्स देविंदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारनो (ण)अराणायाई अदिट्ठाई असुयाई अविनायाई तेसि वा वेसमणकाइयाणं देवाणं 3 / सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो इमे देवा ग्रहावचाभिन्नाया होत्था, तंजहापुन्नभद्दे माणिभद्दे सालिभद्दे सुमणभद्दे चक्के रक्खे पुन्नरक्खे सव्वाणे [पव्वाणे] सव्वजसे सव्वकामे समिद्धे अमोहे असंगे 4 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो दो पलियोवमाणि ठिती पराणत्ता, अहाबच्चाभिराणायाणं देवाणं एगं पलियोवमं ठिती पराणत्ता, 'एमहिड्डीए जाव वेसमणे महाराया। सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरति 5, 4 // सूत्रं 168 // .. // इति तृतीयशतके सप्तम उद्देशकः // 3-7 // // अथ ततीयशतके अधिपतिनामकाष्टमोद्देशकः // _रायगिह नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वदासी-असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं कति देवा अाहेवच्चं जाव विहरंति ?, गोयमा ! दस देवा श्राहेवच्चं जाव विहरीत, तंजहा-चमरे असुरिदे असुरराया सोमे जमे वरुणे वेसमणे बली वइरोयणिंदे वइरोयणराया सोमे जमे वरुणे वेसमणे 1 / नागकुमाराणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! दस देवा अाहेवच्चं जाव विहरंति, Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 3 . उ०८] [127 तंजहा-धरणे नागकुमारिंदे नागकुमारराया कालवाले कोलवाले सेलवाले संखवाले भूयाणंदे नागकुमारिंदे णागकुमारराया कालवाले कोलवाले संखवाले सेलवाले, जहा नागकुमारिंदाणं एयाए वत्तव्वयाए णेयव्वं एवं इमाणं नेयव्यं 2 / सुवन्नकुमाराणं वेणुदेवे वेणुदाली चित्ते विचित्ते चित्तावखे विचित्तपक्खे 3 / विज्जुकुमाराणं हरिक्कत हरिस्सह पभ 1 सुप्पम 2 पभकंत 3 सुप्पभकंत 4, 4 / अग्गिकुमाराणं अग्गिसीहे अग्गिमाणव तेउ तेउसीहे तेउकते तेउप्पभे 5 / दीवकुमाराणं पुराण-विसिट्ठ ख्य-सुख्य-रूयकंत-रूयप्पभा उदहिकुमाराणं जलकते जलप्पभ-जल-जलरूयजनकंत-जनप्पभा, 6 / दिसाकुमाराणं अमियगति अमियवाहण तुरियगति खिप्पगति सीहगति सीहविकमगति 7 / वाउकुमाराणं वेलंब पभंजण काल महाकाला ग्रंजण रिट्ठा 8 / थणियकुमाराणं घोस महाघोस थावत्त-वियावत्त-नंदियावत्त-महानंदियावत्ता, एवं भाणियव्वं जहा असुरकुमारा 1 / सोम 1 महाकाल 2 नित्त 3 प्पम 4 तेउ 5 रूव 6 जल 7 तुरियगई 8 काल 1 थाउत्त 10 पिसायकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! दो देवा थाहेवच्चं जाव विहरंति, तंजहा-काले य महाकाले सुरुवपडिरूव पुन्नभद्दे य। अमरवइ माणिभद्दे भीमे य तहा महाभीमे // 1 // किंनरकिंपुरिसे खलु सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे। अतिकाय महाकाए गीयरती चेव गीयजसे // 2 // एते वाणमंतराणं देवाणं 10 / जोतिसियाणं देवाणं दो देवा अाहेवच्चं जाव विहरंति, तंजहा-चंदे य सूरे य 11 / सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु कइ देवा आहेवच्चं जाव विहरंति ? गोयमा ! दस देवा जाव विहरंति, तंजहा–सक्के देविंदे देवराया सोमे जमे वरुणे वेसमो, ईसाणे देविंदे देवराया सोमे जमे वरुणे वेसमणे, एसा वत्तव्वया सब्वेसुवि कप्पेसु, एए चेव भाणियव्वा, जे य इंदा ते य भाणियबा 12 / सेवं भन्ते 2 ति जाव विहरति 13 // सूत्रं 161 // // इति तृतीयशतके अष्टम उद्देशका 3-8 // Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128] ... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विभागः // अथ तृतीयशतके इन्द्रियाख्य-नवमोद्देशकः // ___ रायगिहे जाव एवं वदासी-कतिविहे णं भंते ! ते इंदियविसए पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे इंदियविसए पराणत्ते, तंजहा-सोतिदियविसए जीवाभिगमे जोतिसियउद्देसो नेयव्यो अपरिसेसो // सूत्रं 170 // // इति तृतीयशतके नवम उद्देशकः // 3-9 // // अथ तृतीयशतके परिषदभिध-दशमोद्दशकाः // ... रायगिहे जाव एवं वयासी-चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररन्नो कति परिसायो पण्णत्तायो ?, गोयमा ! तो परिसायो पराणत्तायो, तंजहा-समिता चंडा जाया, एवं जहाणुपुब्बीए जावऽच्चुत्रो कप्पो, सेवं भंते 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 171 // तइयसए दसमोद सो ततियं सयं समत्तं // // इति तृतीयशतके दशम उद्देशकः // 3-10 // // इति तृतीयं शतकम् // 3 // // अथ चतुर्थशतके विमानाख्याः चत्वारः उद्देशकाः // चत्तारि विमाणेहिं चत्तारि य होंति रायहाणीहिं / नेरइए लेस्साहि य दस उद्देसा चउत्थसए // 1 // रायगिहे नगरे जाव एवं वयासीईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरगणो कति लोगपाला परणता ?, गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पराणत्ता, तंजहा-सोमे जमे वेसमणे वरुणे 1 / एएसि णं भंते ! लोगपालाणं कति विमाणा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि विमाणा पराणत्ता, तंजहा-सुमणे सव्वयोभद्दे वग्गू सुवग्गू 2 / कहि णं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरनो सोमस्स महारनो सुमणे Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमलाग्न्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 4 : उ० 5-6-7-8-9 ] [ 126 नाम महाविमाणे पराणने ?, गोयमा ! जंबूद्दीचे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव ईसाणे णामं कप्पे पराणत्ते, तत्थ णं जाव पंचवडेंसया पराणत्ता, तंजहा-अंकवडेंसए फलिहवडिंसए रयणवडेंसए जायरूववडिसए मज्झे य तत्थ ईसाणवडेंसए, तस्स णं ईसाणवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरच्छिमेणं तिरियमसंखेजाइं जोयणसहस्साई वीतिवतित्ता एत्थ णं ईसाणस्स 3 सोमस्स 2 सुमणे नामं महाविमाणे पराणते अद्धतेरसजोयण जहा सकस्स वत्तव्यया ततियसए(सत्तमे उद्देसए) तहा ईमाणस्तवि जाव अचणिया समत्ता 3 / चउराहवि लोगपालाणं विमाणे 2 उद्देसयो, चउसु विमाणेसु चत्तारि उद्देसा अपरिसेसा, नवरं ठितिए नाणत्तं-'यादिदुय तिभागूणा पलिया 1 धणयस्स होंति दो चेव / दो सतिभागा वरुणे पलियमहावचदेवाणं // 1 // 4 // सूत्रं 172 // चउत्थे सए पढमबिइयतइयचउत्था उद्देरेसा समत्ता // // इति चतुर्थ शतके प्रथम-द्वितीय-तृतीय-चतुर्था उद्देशकाः // 4-1 // 4 // // अथ चतुर्थशतके राजधानीनामकाः पञ्चमषष्ठसप्तमाष्टमोद्देशकाः // रायहाणिसुवि चत्तारि उद्देसा भाणियव्वा जाव एवमहिड्डीए जाव वरुणे महाराया। सूत्रं १७३॥चउत्थे सए पंचमछट्ठसत्तमट्ठमा उद्देसा समत्ता॥ // इति चतुर्थशतके पञ्चम-षष्ठ-सप्तमाष्टमोद्देशकाः // 4-5 // 8 // // था चतर्थशतके नारकाभिध-नवमोद्देशकः // नेरइए णं भंते ! नेरतिएसु उववज्जइ ? अनेरइए नेरइएसु उबवजइ ? पनवणाए लेस्सापए ततियो उद्देसयो भाणियन्वो जाव नाणाई // सूत्रं 174 // चउत्थसए नवमो उद्देसो समत्तो। // इति चतुर्थशतके नवम उद्देशकः / / 4-9 / / Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः // अथ चतुर्थशतके लेश्याभिध-दशमोद्देशकः // से नूणं भंते ! कराहलेस्सा नीललेस्स पप्प तारूवत्ताए तावराणत्ताए एवं चउत्थो उद्दसत्रो पनवणाए चेव लेस्सापदे नेयम्बो जाव–परिणामव. राण-रसगंध-सुद्धअपसत्थ-संकिलिट्ठराहा / गतिपरिणाम-पदेसोगाह-वग्गणागणमप्पबहुं // 1 // सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 175 // चउत्थसए दसमो उद्दे सो समत्तो // चउत्थंसयं समत्तं // // इति चतुर्थशतके दशम उद्देशकः // 4-10 // // इति चतुर्थ शतकम् // 4 // // अथ पञ्चमशतके चम्पारविनामक-प्रथमोद्दशकाः // - चारवि 1 अनिल 2 गंठिय 3 सद्दे 4 छउमायु 5-6 एयण ७णियठे 8 / रायगिहं 1 चंपाचंदिमा 10 य दस पंचमंमि सए // 1 // तेणं कालेणं 2 चंपानामं नगरी होत्था, वनयो, तीसे णं चंपाए नगरीए पुराणभहे नामे चेइए होत्था वराणो, सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया 1 / तेणं कालेणं 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूतीणामं अणगारे गोयमगोत्तेणं जाव एवं वदासी-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उदीण-पादीण-मुग्गच्छ पादीण-दाहिणमागच्छति ? पादीणदाहिण-मुग्गच्छ दाहिण-पडीण मागच्छति ? दाहिणपडीण-मुग्गच्छ पडीण-उदीण-मागच्छंति ? पदीण-उदीणं उग्गच्छ उदीचि पादीण-मागच्छति ?, हंता ! गोयमा ! जंबूद्दीवे णं दीवे सूरिया उदीचि-पाईण-मुग्गच्छ जाव उदीचि-पाईण-मागच्छंति 2 // सूत्रं 176 // जया णं भंते ! जंबद्दीवे 2 दाहिणड्डे दिवसे भवति तदा णं उत्तरड्डे दिवसे भवति ?, जदा णं उत्तरड्डेवि दिवसे भवति, तदा णं जंबद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं राती भवति ?, हंता गोयमा ! जया णं जंबूद्दीवे 2 दाहिणड्डे वि दिवसे जाव राती भवति 1 / जदा णं Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तदा णं सपायस्स उत्तरा पचात्यमेणं दिवसे जदा णं श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्र : शतकं 5 : उ० 1 ) [ 131 भंते ! जंबद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं दिवसे भवति तदा णं पञ्चत्थिमेणवि दिवसे भवति ? जया णं पञ्चत्थिमेणं दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स परयस्स उत्तरदाहिणेणं राती भवति ?, हंता गोयमा ! जदा णं जंबूद्दीवे 2 मंदरपुरच्छिमेणं दिवसे जाव राती भवति 2 / जदा णं भंते ! जंबूद्दीवे 2 दाहिगड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं उत्तरडेवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति ? जदा णं उत्तरद्धे उकोमए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति ?, हंता गोयमा ! जदा णं जंबुद्दीवे 2 जाव दुवालसमुहुत्ता राती भवति 3 / जदा णं जंबदीवे 2 मंदरस्स पुरच्छिमेणं उक्कोसए अट्ठारस जाव तदा णं जंबूद्दीवे 2 पचत्थिमेणवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति ? जया णं पञ्चत्थिमेणं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं भंते ! जंबूद्दीवे 2 उत्तरद्धे उक्कोसए दुवालसमुहुत्ता जाव राती भवति ?, हंता गोयमा ! जाव भवति 4 / जया णं भंते ! जंबूदीवे 2 दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति ? जदा णं उत्तरे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं सातिरेगा दुवालस मुहुत्ता राती भवति ?, हंता गोयमा ! जदा णं जंबूद्दीवे 2 जाव राती भवति 5 / जदा णं भंते ! जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पब्वयस्स पुरच्छिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवनि तदा णं पञ्चत्थिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति ? जदा णं पञ्चत्थिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राती भवति ?, हंता गोयमा ! जाव भवति 6 / एवं एतेणं कमेणं अोसारेयव्वं सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ता राती भवति, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगा तेरसमुहुत्ता Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः राती, सोलसमुहुत्ते दिवसे चोदसमुहुत्ता राई, सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगचोद्दसमुहुत्ता राती, पन्नरसमुहुत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ता राती भवति, पन्नरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगा पन्नरसमुहुत्ता राती, चोदसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुत्ता राती, चोद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगा सोलसमुहुत्ता राती, तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राती, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगा सत्तरसमुहुत्ता राती 7 / जया णं जंबद्दीवे 2 दाहिणड्ढे जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरड्ढवि, जया णं उत्तरड्डे तया णं जंबूदीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति ?, हता गोयमा ! एवं चे उच्चारेयव्वं जाव राई भवति 8 / जया णं भंते ! जंबूद्दीचे 2 मंदरस्स पव्वयम्स पुरच्छिमेणं जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं पञ्चस्थिमेणवि, तया णं जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं उकोसिया अट्टारसमुहुत्ता राती भवति ?, हंता गोयमा ! जाव राती भवति 1 // सूत्रं 177 // जया णं भंते ! जंबद्दीवे 2 दाहिणड्डे वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं उत्तरड्डे वि वासाणं पढमे समए पडिवजइ ? जया णं उत्तरडेवि वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं अणंतरपुरक्खडसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवजइ ?, हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणढे वासाणं पढमे समए पडिवजइ तह चेव जाव पडिवजइ 1 / जया णं भंते ! जंबूद्दीवे 2 मंदरम्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं पञ्चत्थिमेणवि यासाणं पढमे समए पडिवज्जइ ? जया णं पञ्चत्थिमेणवि वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं जाव मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकडसमयंसि . वासाणं पढमे समए पडिवन्ने भवति ?, हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे . 2 . मंदरस्स. पव्वयस्स पुरिच्छमेणं, एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 5 :: उ० 1] [135 पडिवन्ने भवति 2 / एवं जहा समएणं अभिलावो भणियो वासाणं तहा श्रावलियाएवि 2 भाणियब्वो, प्राणापाणुणवि 3 थोवेणवि 4 लवेणवि 5 मुहुत्तेणवि 6 अहोरत्तेणवि 7 पक्खेणवि 8 मासेणवि 6 उउणावि 10, एएसिं सव्वेसिं जहासमयस्स अभिलावो तहा भाणियव्वो 3 / जया णं भंते ! जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पब्वयस्स दाहिणड्ढे हेमंताणं पढमे समए पडिवजति ? जहेब वासाणं अभिलायो तहेव हेमंताणवि 20 गिम्हाणवि 30 भाणियन्वो जाव उऊ, एवं एए तिन्निवि, एएसि तीसं पालावगा भाणियव्या 4 / जया णं भंते ! जंबद्दीवे 2 मंदरस्त पव्वयस्स दाहिणड्डे पढमे अयणे पडिवजइ तया णं उत्तरड्डेवि पढमे अयणे पडिवज्जइ, जहा समएणं अभिलावो तहेव थयणेणवि भाणियब्वो जाव अणंतरपच्छाकड. समयंसि पढमे अयणे पडिबन्ने भवति, जहा अयणेणं अभिलावो तहा संवच्छरेणवि भाणियव्यो, जुएणवि वाससएणवि वाससहस्सेणवि वाससयसहस्सेणवि पुवंगेणवि पुव्वेणवि तुडियंगेणवि तुडिएणवि, एवं पुव्वे 2 तुडिए 2 अडडे 2 अवव 2 हूहूए 2 उप्पले 2 पउमे 2 नलिणे 2 अच्छणिउरे 2 अउए 2 णउए 2 पउए 2 चूलिया 2 सीसपहेलिया 2 पलियोवमेण वि सागरोवमेणवि भाणियब्बो 5 / जया णं भंते ! जंबूद्दीवे 2 दाहिणड्डे पढमायोसप्पिणी पडिवजइ तया णं उत्तरड्डे वि पढमाअोसप्पिणी पडिवजइ ? जया णं उत्तरड्डेवि पडिवज्जइ तदा णं जंबद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणवि, णेवत्थि श्रोस प्पिणी नेवत्थि उस्सप्पिणी अवट्ठिए णं तत्थ काले पन्नत्ते ? समणाउसो !, हंता गोयमा ! तं चेव उच्चारेयव्वं जाव समणाउसो!, जहा श्रोसप्पिणीए घालावयो भणियो एवं उस्सप्पिणीएवि भाणियव्वो 6 // सूत्रं 178 // लवणेणं भंते ! समुद्दे सूरिया उदीचिपाईणमुग्गच्छ जच्चेव जंबूद्दीवस्स वत्त वया भणिया सच्चेव सव्वा अपरिसेसिया लवणसमुदस्सवि भाणियव्वा, Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः नवरं अभिलावा इमो णेयवो-जया णं भंते ! लवणे समुद्दे दाहिणड्डे दिवसे भवति तं चेव जाव तदा णं लवणे समुद्दे पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं राई भवति ?, एएणं अभिलावेणं नेयव्वं 1 / जदा णं भंते ! लवणसमुद्दे दाहिणड्डे पढमायोस्सप्पिणी पडिवजइ तदा णं उत्तरडेवि पढमायोस्सप्पिणी पडिवजइ ? जदा णं उत्तरड्डे पढमायोसप्पिणी पडिवजइ तदा णं लवणसमुद्दे पुरच्छिमपञ्चस्थिमेणं नेवत्थि योसप्पिणी 2 समणाउसो ! ?, हंता गोयमा ! जाव समणाउसो ! 2 / धायईसंडे णं भंते ! दीवे सूरिया उदीचिपादीणमुग्गच्छ जहेव जंबूद्दीवस्स वत्तव्वया भणिया सच्चेव धायइसंडस्सवि भाणियव्वा, 'नवरं इमेणं अभिलावेणं सब्वे घालावगा भाणियव्वा 3 / जया णं भंते ! धायइसंडे दीवे दाहिणड्डे दिवसे भवति तदा णं उत्तरड्ढे वि, जया णं उत्तरडेवि तदा णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं राती भवति ?, हंता गोयमा ! एवं चव जाव राती भवति 4 / जदा णं भंते ! पायइसंडे दीवे मंदराणं पब्बयाणं पुरच्छिमेणं दिवसे भवति तदा गां पचत्थिमेणवि, जदाणं पचत्थिमेण वि तदा णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं उत्तरेणं दाहिणेणं राती भवति ?, हंता गोयमा ! जाव भवति 5 / एवं एएणं अभिलावेणं नेयव्वं जाव जया णं भंते ! दाहिणड्ढे पढमाश्रोस्सप्पिणी पडिवजइ तया णं उत्तरड्डे जया णं उत्तरड्डे तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं नत्थि(नेवत्थि) श्रोस्सप्पिणी जाव समणाउसो ! ?, हता गोयमा ! जाव समणाउसो!, जहा लवणसमुइस्स वत्तवया तहा कालोदस्सवि भाणियब्वा, नवरं कालोदस्स नामं भाणियध्वं 6 / यभितरपुक्खरद्धे णं भंते ! सूरिया उदीचिपाईणमुग्गन्छ जहेब धायइसंडस्स वत्तव्वया तहेव अभितरपुक्खरदस्सवि भाणियव्वा, नवरं अभिलावो जाव जाणेयव्यो जाव Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं शतकं 5 :: उ०२] [ 136: ' तया णं अभितरपुक्खरद्धे मंदराणं पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं नेवत्थि श्रोस्सप्पिणी नेवत्थि उस्सप्पिणी अवधिए णं तत्थ काले पन्नते समणाउसो ! सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरति 7 // सूत्रं 171 // पंचमसए पढमो उद्दसो समत्तो॥ // इति पञ्चमशतके प्रथम उद्देशकः // 5-1 // // अथ पञ्चमशतके अनिलाख्य-द्वितीयोद्देशकः // रायगिह नगरे जाव एवं वदासी-अस्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाता पस्थावाता मंदाबाता महावाता वायंति ? हंता अत्थि 1 / यत्थि णं भंते ! पुरच्छिमेणं ईसि पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया महावाया वायंति ! हंता अस्थि 2 / एवं पञ्चत्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमेणं पुरच्छिमदाहिणेणं दाहिणपञ्चत्थिमेणं पच्छिमउत्तरेणं 3 / जया णं भंते ! पुरच्छिमेणं इसिं पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया महावाया वायंति तया णं पञ्चस्थिमेणवि इसिं पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया महावाया वायंति ! जया णं पञ्चस्थिमेणं ईसिं पुरेवाया तया णं पुरच्छिमेणवि ?, हंता गोयमा ! जया णं पुरच्छिमेणं तया णं पञ्चत्थिमेणवि ईसिं जया णं पचत्थिमेणवि ईसिं तया णं पुरच्छिमेणवि ईसिं, एवं दिसासु विदिसासु 4 / अस्थि णं भंते ! दीविचया ईसिं?, हंता अस्थि 5 / अत्थि णं भंते ! सामुद्दया ईसिं ?, हंता अत्थि 6 / जया णं भंते ! दीविचया ईसिं तया णं सा सामुद्दयावि ईसिं ? जया णं सामुद्दया ईसिं तया णं दीविच्चयावि ईसिं ?, णो इण? समढे 7 / से केणटेणं भंते ! एवं बुञ्चति जया णं दीविच्चया ईसिं णो णं तया सामुद्दया ईसिं ? जया णं सामुद्दया ईसि णो णं तया दीविचया ईसिं ?, गोयमा ! तेसि णं वायाणां यन्नमन्नस्स विवच्चासेगां लवणे समुद्दे वेलं नातिकमइ से तेण? गां जाव वाया वायंति 8 / अस्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया महावाया वायंति ?, हंता अस्थि 1 / कया णं भंते ! ईसिं जाव वायंति ?, Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 136 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विमागः गोयमा ! जया णं वाउयाए अहारियं रियंति तया णं ईसिं जाव वायं वायंति 10 / त्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्थवाया मंदावाया महावाया वायंति ?, हंता अस्थि 11 / कया णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया महावाया वायंति ?, गोयमा ! जया णं वाउयाए उत्तरकिरियं रियइ तया णं ईसि जाव वायंति 12 / अस्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्थवाया मंदवाया महावाया वायति ?, हंता अस्थि 13 / कया णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्थावाया मंदावाया महावाया वायंति ?, गोयमा ! जया णं वाउकुमारा वाउकुमारीयो वा अप्पणो वा परस्स वा तदुभयस्स वा पट्टाए वाउकायं उदीरेंति तया णं ईसिं पुरेवाया जाव वायंति 14 / वाउकाए णं भंते ! वाउकायं चेव श्राणमंति वा पाणमंति वा जहा खंदए 1, तहा चत्तारि अालावगा नेयव्वा प्रणेगसयसहस्स 2, पुढे उद्दाति वा 3, ससरीरी निक्खमति 4, 15 // सूत्रं 180 // अह भंते / श्रोदणे कुम्मासे सुरा एए णं किंसरीराति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! अोदणे कुम्मासे सुराए य जे घणे दव्वे एए णं पुब्वभावपन्नवणां पडुच्च वणस्सइजीवसरीरा तो पच्छा सत्थातीया सत्थपरिणामिया अगणिज्झामिया अगणिज्झसिया अगणिसेविया अगणिपरिणामिया अगणिजीवसरीरा वत्तव्वं सिया 1 / सुराए य जे दवे दब्बे एए णं पुव्वभावपन्नवणं पडुच्च पाउजीवसरीरा, तो पच्छा सत्थातीया जाव अगणिकायसरीराति वत्तव्वं सिया 2 / श्रहन्नं भंते ! अए तंबे तउए सीसए उवले कसट्टिया एए णं किंसरीराइ वत्तव्यं सिया ? गोयमा ! अए तंबे तउए सीसए उवले कसट्टिया, एए णं पुव्वभावपन्नवणं पडुच्च पुढविजीवसरीरा तो पच्छा सस्थातीया जाव अगणिजीवसरीराति वत्तव्वं सिया 3 / बहराणं भंते ! अट्ठी अटिज्झामे चम्मे चम्मज्झामे रोमे 2 सिंगे 2 खुरे 2 णखे 2 एते णं किंसरीराति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! अट्ठी चमे रोमे सिंगे खुरे नहे एए णं तसपाणजीवसरीरा अटिज्झामे चम्मज्मामे Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रक शतकं 5 : उ० 3 ] [137 रोमज्झामे सिंगज्झामे खुरझामे णहज्झामे एए णं पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च तसपाणजीवसरीरा तयो पच्छा सत्यातीया जाव अगणीजीवसरीरा त्ति वत्तव्वं सिया 4 / श्रह भंते ! इंगाले छारिए भुसे गोमए एए णं किसरीरा वत्त-वं सिया ?, गोयमा ! इंगाले छारिए भुसे गोमए एए णं पुव्वभावपराणवणं पडुच्च एगिदिय-जीवसरीर-प्पयोग-परिणामियावि जाव पंचिंदियजीवसरीरप्पयोग-परिणामियावि तो पच्छा सस्थातीया जाव अगणिजीवसरीराति वत्तव्वं सिया 5 // सूत्रं 181 // लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतियं चकवालविक्खंभेणं पन्नते ?, एवं नेयव्वं जाव लोगट्ठिती लोगागुभावे, सेवं भंते ! 2 त्ति भगवं जाव विहरइ // सूत्रं 182 // // इति पञ्चमशतके द्वितीय उद्देशकः // 5-2 // // अथ पञ्चमशतके ग्रन्थिनामक-ततीयोद्देशकः // अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमातिक्खंति एवं भासंति एवं पनवेंति एवं पवेति से जहानामए जालगंठिया सिया प्राणुपुट्विगढिया अणंतरगढिया परंपरगढिया अन्नमन्नगढिया अन्नमनगुरुयत्ताए यन्नमन्नभारियत्ताए अन्नमन्न-गुरुय-संभारियत्ताए अरणमराणघडताए जाव चिट्ठति, एवामेव बहूणं जीवाणं बहूसु श्राजाति-सयसहस्सेसु बहूइं ग्राउयसहस्साइं प्राणुपुब्बिंगढियाइं जाव चिट्ठांति 1 / एगेऽवि य णं जीवे एगेणं समएणं दो याउयाइं पडिसंवेदयति, तंजहा-इहभवियाउयं च परभवियाउयं च 2 / जं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ तं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ जाव से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोंयमा ! जन्नं ते अन्नउस्थिया तं चेव जाव परभवियाउयं च, जे ते एवमाहंसु तं मिच्छा, ते एवमाहंसु अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि जाव परूवेमि-से जहानामए जालगंठिया सिथा जाव अन्नमनघडताए चिट्ठति, एवामेव एगमेगस्स जीवस्स Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः बहूहिं श्राजातिसहस्सेहिं बहूई पाउयसहस्साई श्राणुपुग्विंगढियाइं जाव चिट्ठांति, एगेऽविय णं जीवे एगेणं समएणं एगं अाउयं पडिसंवेदेइ, तंजहाइहभवियाउयं वा परभवियाउयं वा, जं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ नो तं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेति जं समयं परभवियाउयं नो तं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेति, इहभवियाउयस्स पडिसंवेयणाए नो परभवियाउयं पडिसंवेदेइ परभवियाउयस्स पडिसंवेयणाए नो इहभवियाउयं पडि. संवेदेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एग ग्राउयं पडिसंवेदेति,तंजहाइहभवियाउयं वा परभवियाउयं वा 3 // सूत्रं 183 // जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! किं साउए संकमइ निराउए संकमइ ?, गोयमा ! साउए संकमइ नो निराउए संकमइ 1 / से णं भंते ! श्राउए कहिं कडे कहिं समाइराणे ?, गोयमा ! पुरिमे भवे कडे पुरिमे TERINISHRA भवे समाइराणे, एवं जाव वेमाणियाणं दंडयो 2 / से नूणं भंते ! जे जंभविए जोणि उववजित्तए से तमाउयं पकरेइ, तं जहा-नेरइयाउयं वा जाव देवाउयं वा ?, हंता गोयमा ! जे जंभविए जोणिं उववजित्तए से तमाउयं पकरेइ, तंजहा-नेरइयाउयं वा तिरिक्खजोणियाउयं वा मगुस्साउयं वा देवाउयं वा 3 / नेरइयाउयं पकरेमाणे सत्तविहं पकरेइ, तंजहारयणप्पभापुढविनेरइयाउयं वा जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयाउयं वा, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे पंचविहं पकरेइ, तंजहा-एगिदियतिरिक्खजोणियाउयं वा, भेदो सवो भाणियन्वो, मणुस्साउयं दुविहं, देवाउयं चउन्विहं 4 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 184 // // इति पञ्चमशतके तृतीय उद्देशकः // 5-3 // Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्त (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 5 : उ० 4 ] [ 136 // अथ पञ्चमशतके शब्दाभिध-चतुर्थोद्देशकः // छउमत्थे | भंते ! मगुस्से बाउडिजमाणाई सदाइं सुणेइ, तंजहासंखसहाणि वा सिंगसदाणि वा संखियसदाणि वा खरमुहिसदाणि वा पोयासदाणि वा. परिपिरियासदाणि वा पणवसहाणि वा पडहसदाणि वा भंभासदाणि वा होरंभसदाणि वा भेरिसदाणि वा झलरिसदाणि वा दुदुहिसदाणि वा तयाणि वा वितयाणि घणाणि वा झुसिराणि वा ?, हंता गोयमा ! छउमत्थे णं मणूसे याउडि जमाणाई सद्दाइं सुणेई, तंजहा-संखसहाणि वा जाव झुसिराणि वा 1 / ताई भंते ! किं पुट्ठाई सुणेइ अपुट्ठाई सुणेइ ?, गोयमा ! पुट्ठाई सुणेइ नो अपुट्ठाई सुणोइ, जाव नियमा छदिसिं सुणेइ 2 / छउमत्थे णं मणुस्से किं पारगयाइं सद्दाई सुणेइ पारगयाइं सदाई सुणेइ ?, गोयमा ! पारगयाइं सहाई सुणेइ नो पारगयाइं सहाई सुणेइ 3 / जहा णं भंते ! छउमत्थे मणुस्से पारगयाइं सदाई सुगोइ नो पारगयाइं सदाई सुणेइ तहा णं भंते ! केवली मणुस्से किं धारगयाई सदाइं सुणेइ पारगयाइं सदाइंसुणेइ ?, गोयमा ! केवली णं यारगयं वा पारगयं वा सव्वदूरमूलमणंतियं सद जाणेइ पासेइ 4 / से केण?णं तं चेव केवली णं थारगयं वा पारगयं वा जाव पासइ ?, गोयमा ! केवली णं पुरच्छिमेणं मियंपि जाणइ श्रमियंपि जागइ, एवं दाहिणेणं पञ्चत्थिमेणं उत्तरेणं उड्ढ अहे मियंपि जाणइ अमियंपि जाणइ, सव्वं जाणइ केवली सव्वं पासइ केवली, सव्वश्रो जाणइ पासइ, सव्वकालं जाणइ पासइ, सव्वभावे जाणइ केवली, सबभावे पासइ केवली 5 / अणंते नाणे केवलिस्स, अणते दंसणे केवलिस्स, निव्वुडे नाणे केवलिस्स, निबुडे दंसणे केवलिस्स, से तेणटेणं जाव पामइ 6 // सूत्रं 185 // छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से हसेज वा उस्सुयाएज वा ?, हंता, हसेज वा उस्सुयाएज वा 1 / जहा णं भंते ! Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः छउमत्थे मणुसे हसेज वा उस्सुयाएज वा, तहा णं केवलीवि हसेज वा उस्सुयाएज वा ?, गोयमा ! नो इण? समढे 2 / से केण?णं भंते ! जाव नो णं तहा केवली हसेज वा उस्सुयाएज वा ?, गोयमा ! जगणं जीवा चरित्तमोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं हसंति वा उस्सुयायंति वा से णं केवलिस्स नत्थि, से तेण?णं जाव नो णं तहा केवली हसेज वा उस्सुयाएज वा 3 / जीवे णं भंते ! हसमाणे वा उस्सुयमाणे वा कइ कम्मपयडीयो बंधइ ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा, एवं जाव वेमाणिए, पोहत्तिएहिं जीवेगिदियवजो तियभंगो 4 / छउमत्थे णं भंते ! माणूसे निदाएज वा पयलाएज वा ?, हंता निदाएज वा पयलाएज वा जहा हसेज वा तहा नवरं दरिसणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं निदायति वा पयलायंति वा, से णं केवलिस्स नत्थि, अन्नं तं चेव 5 / जीवे णं भंते ! निदायमाणे वा पयलायमाणे वा कति कम्नपयडीयो बंधइ ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविहबंधए वा, एवं जाव वेमाणिए, पोहत्तिएसु जीवेगिंदियवजो तियभंगो 6 ॥सूत्रं 186 // हरी णं भंते ! हरिणेगमेती सकदूए इत्थीगभं संहरे (साहर,, संहरण,)माणे किं गमायो गम्भं साहरड 1 गभायो जोणिं साहरइ 2 जोणीयो गभं साहरइ 3 जोणीयो जोणिं साहरइ 4 ?, गोयमा ! नो गम्भायो गम्भं साहरइ नो गभायो जोणिं साहरइ नो जोणीयो जोणिं साहरइ, परामुसिय 2 अब्बाबाहेणं अब्बाराहं जोणीयो गभं साहरइ 1 / पभू णं भंते ! हरिणेगमेसी सकस्स णं दूए इत्थीगभं नहसिरंसि वा रोमकूवंसि वा साहरित्तए वा नीहरित्तए वा ?, हंता पभू, नो चेव णं तस्स गम्भस्स किंचि वि श्राबाहं वा विवाहं वा उप्पाएजा छविच्छेदं पुण करेजा, एसुहुमं च णं साहरिज वा नीहरिज वा 2 // सूत्रं 187 // ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवयो महावीररस अंतेवासी अइमुत्ते णाम HEEEEEE THE Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) तं शतकं 5 : उ० 4 ] [ 141.. कुमारसमणे पगतिभदए जाव विणीए 1 / तए णं से अइम ते वुमारसमणे अराणया कयाइ महावुट्ठिकायंसि निवयमाणंसि कक्खपडिग्गह-रयहरणमायाए बहिया संपट्ठिए विहाराए 2 / तए णं से अइमुत्ते कुमारसमणे वाहयं वहमाणं पासइ 2 मट्टियाए पालिं बंधइ णाविया मे 2 नाविनोविव णावमयं पडिग्गहगं उदगंसि कटु पवाहमाणे 2 अभिरमइ 3 / तं च थेरा अदक्खु, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति 2 एवं वदासीएवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी अतिमुत्ते णामं कुमारसमणे से णं भंते ! अतिमुत्ते कुमारसमणे कतिहिं भवग्गहणेहिं सिझिहिति जाव अंतं करेहिति ?, अजो समणे भगवं महावीरे ते थेरे एवं वयासी-एवं खलु अजो ! मम अंतेवासी अइमुत्ते णामं कुमारसमणे पगतिभदए जाव विणीए से णं अइमुत्ते कुमारसमणे इमेणं चेव भवग्गहणेणं सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति, तं मा णं अजो ! तुम्भे अतिमुत्तं कुमारसमणं हीलेह निंदह खिंसह गरहह अवमन्नह, तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! अतिमुत्तं कुमारसमणं अगिलाए संगिरहह अगिलाए उबगिरहह अगिलाए भत्तेणं पाणेणं विणयेग वेयावडियं करेह, अइमत्ते णं कुमारसमणे अंतकरे चेव अंतिमसरीरिए चेव 4 / तए णं ते थेरा भगवंतो समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति अइमुत्तं कुमारसमणं अगिलाए संगिरहंति जाव वेयावडियं करेंति 5 // सूत्रं 188 // ते णं काले णं 2 महासुकायो कप्पाश्रो महासग्गायो महाविमाणायो दो देवा महिहीया जार महाणुभागा समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियं पाउन्भूया 1 / तए णं ते देवा समणं भगवं महावीरं मणसा वंदंति नमसंति 2 मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं पुच्छंति–कति णं भंते ! देवाणुपियाणं अंतेवासिसयाई सिज्झिहिंति जाव अंतं करेहिति ?, तए णं समणे भगवं महावीरे तेहिं देवेहि मणसा पुढे तेसिं देवाणं मणसा Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 142] ..श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः चेव इमं एतारुवं वागरणं वागरेति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम सत्त अंतेवासिसयाई सिज्झिहिति जाव अंतं करहिंति 2 / तए णं ते देवा समणेणं भगवया महावीरेणं मणसा पुढेणं मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरिया समाणा हट्टतुट्टा जाव हयहियया समणं भगवं महावीर वंदंति णमंसंति 2 ता मासा चेव सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा जाव पज्जुवासंति 3 / तेणं कालेणं 2 . समणस्स भगवथो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूती णामं यणगारे जाव अदूरसामंते उट्ठजाणू जाव विहरति, तए णं तस्स भगवयो गोयमस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स इमेयारूचे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था 1 / एवं खलु दो देवा महिड्डीया जाव महाणुभागा समणस्स भगवश्रो महावीरस्म अंतियं पाउन्भूया तं नो खलु अहं ते देवे जाणामि कयरात्रो कप्पायो वा सग्गायो वा विमाणायो कस्स वा अत्थस्स अट्टाए इहं हव्वमागया ?, तं गच्छामि णं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि जाव पज्जुवासामि इमाइं च णं एयारूवाई वागरणाई पुच्छिस्सामित्ति कटू एवं संपेहेति 2 उट्टाए उट्ठति 2 जेमेव समणे भगवं महावीरे जाव पज्जुवासति 5 / गोयमा ! इ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वदासी-से गृणं तव गोयमा ! झाणंतरियाए वट्टमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए जाव जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए से गूणं गोयमा ! अत्थे समत्थे ?, हंता अस्थि 6 / तं गच्छाहि णं गोयमा ! एए चेव देवा इमाइं एयारूवाई वागरणाई बागरेहिंति 7 / तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुनाए समाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसति 2 जेणेव ते देवा तेणेव पहारेत्थ गमणाए 8 / तए णं ते देवा भगवं गोयमं पज्जुवासमाणं (एजमाणां) पासंति 2 हट्टा जाव हयहियया खिप्पामेव अब्भुटुंति 2 खिप्पामेव पच्चुवागच्छति 2 जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति 2 ता जाव णमंसित्ता एवं वयासी- . Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 5 :: उ० 4 ] (146 एवं खलु भंते ! अम्हे महासुझातो कप्पातो महासग्गातो महाविमाणायो दो देवा महिड्डिया जाय पाउब्भूता, तए णं अम्हे समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंतामो 2 मणमा चे इमाई एयाख्वाई वागरणाई पुच्छामोकति णं भंते ! देवाणुप्पियाणं अंतेवासिसयाई सिझिहिंति जाव अंतं करेहिति ?, तए णं समणे भगवं महावीरे अम्हेहिं मणसा पुढे अम्हं मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरेति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम सत्त अंतेवासिसयाई जाव अंतं करेहिंति, तए णं अम्हे समणेणं भगवया महावीरेणं मणसा चेव पुटेणं मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरिया समाणा समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो 2 जाव पज्जुवासामोत्तिक? भगवं गोतमं वंदति नमसंति 2 जामेव दिसि पाउन्भूता तामेव दिसिं पडिगया 8 // सूत्रं 181 // भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं जाव एवं वदासी-देवा णं भंते ! संजयाति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! णो तिण? सम?, अभक्खाणमेयं 1 / देवा णं भंते ! असंजताति वत्तव्यं सिया ?, गोयमा ! णो तिण? सम, गिट्ठरवयणमेयं 2 / देवा णं भंते ! संजयासंजयाति वत्तव् सिया ?, गोयमा ! णो तिण? सम?, असन्भूयमेयं देवाणं 3 / से किं खाति णं भंते ! देवाति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! देवा णं नोसंजयाति वत्तव्वं सिया 4 // सूत्रं 110 // देवा णं भंते ! कयराए भासाए भासंति ?, कयरा वा भासा भासिन्जमाणी विसिस्सति ?, गोयमा ! देवा णं श्रद्धमागहाए भासाए भासंति, सावि य णं अद्धमागहा भासा भासिजमाणी विसिस्सति // सूत्रं 111 // केवली णं भंते ! अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणति पासइ ?, हंता गोयमा ! जाणति पासति 1 / जहा णं भंते ! केवली अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणति पासति तहा णं छउमत्थेवि अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणति पासति ?, गोयमा ! णो तिण? सम8, सोचा जाणति पासति, पमाणतो Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 144 ] ....: [श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः वा 2 / से किं तं सोचा ? सोचा णं, केवलिस्स वा केवलिसावयस्स वा केवलिसावियाए वा केवलिउवासगस्स वा केवलिउवासियाए वा तप्पम्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा तप्पक्खियसावियाए वा तप्पक्खियउवासगस्स वा तप्पक्खियउवासियाए वा, से तं सोचा 3 // सूत्र ११२॥से किं तं पमाणे ?, पमाणे चउविहे पराणत्ते, तंजहा-पञ्चवखे अणुमाणे योवम्मे यागमे, जहा अणुयोगदारे तहा णेयव्वं पमाणं जाव तेण परं नो अत्तागमे नो अणंतरागमे परंपरागमे // सू० 113 // केवली णं भंते ! चरिमकम्मं वा चरिमणिजरं वा जागति पासति ?, हंता गोयमा ! जाणति पासति 1 / जहा णं भंते ! केवली चरिमवम्म वा जहा णं अंतकरेणं घालावगो तहा चरिमकम्मेणवि अपरिसेसिश्रो ोयव्वो 2 // सू० 114 // केवली णं भंते ! पणीयं मणं वा वई वा धारेजा ?, हंता धारेज्जा 1 / जहा णं भंते ! केवली पणीयं मणं वा वई वा धारेजा ते णं वेमाणिया देवा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! अस्थेगतिया जाणंति पासंति अत्थेगतिया न जाणंति न पासंति 2 / से केण?गां जाव ण जाणंति ण पासंति ?, गोयमा ! वेमाणिया देवा दुविहा पराणत्ता, तंजहामाइ-मिच्छादिट्ठि-उववन्नगा य अमाइ-सम्मदिटि-उववन्नया य, तस्थ णं जे ते माइ-मिच्छादिट्ठि-उववन्नगा ते न याति न पासंति, तत्थ णं जे ते अमाई-सम्मदिट्ठी-उववन्नगा ते गणं जाणंति पासंति 3 / से केण?णं एवं वुच्चइ अमाईसम्मदिट्ठी जाव पासंति ?, गोयमा ! अमाईसम्मदिट्टी दुविहा पराणात्ता-अनंतरोववन्नगा य परंपरोववनगा य, तत्थ अणंतरोववन्नगा न जाणंति परंपरोववन्नगा जाणंति 4 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ परंपरोववन्नगा जाव जाणंति ?, गोयमा ! परंपरोववन्नगा दुविहा पराणत्तापजत्तगा य अपञ्जत्तगा य, पजत्ता जाणंति अपजत्ता न जाणंति, एवं अणंतर-परंपर-पजत्त-अपजत्ता य उवउत्ता अणुउवत्ता, तत्थ णं ने ते उपउत्ता Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 5 :: उ० 4 ] [145 ते जाणंति, पार्सति से तेण्डेणं तं चेव 5 // सूत्रं 115 // पभू णं भंते ! अणुत्तरोववाझ्या देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएणं केवलिणा सद्धिं घालावं वा संलावं वा करेत्ता ?, हंता पभू 1 / से केण?णं जाव पभू णं ग्रणुत्तरोक्वाइया देवा जाव करेत्तए ?, गोयमा ! जराणं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा ग्रट्ठ वा हेउं वा पसिणं वा वागरणं वा कारणं वा पुच्छंति तए णं इहगए केवली अट्ठ वा जाव वागरणां वा वागरेति से तेण?णं जाव करेत्तए 2 / जन्नं भंते ! इहगए चेव केवली अट्ठ वा जाव वागरेति तराणं अणुत्तरोववाझ्या देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति पासंति ?, हंता ! जाणंति पासंति 3 / से केणढे गां जाव पासंति ?, गोयमा ! तेसिणं देवाणं अणंतायो मणोदव्यवग्गणायो लद्धायो पत्तायो अभिसमन्नागयायो भवंति से तेणढे गां जगणं इहगए केवली जाव पासंति 4 // सूत्रं 116 // अणुत्तरोववाइया णं भंते ! देवा किं उदिन्नमोहा उवसंतमोहा खीणमोहा ?, गोयमा ! नो उदिन्नमोहा उवसंतमोहा णो खीणमोहा / सूत्रं 117 // केवली णं भंते ! श्रायाणेहिं जाणति पासति ?, गोयमा ! गो तिण8 समढे 1 / से केण?णं जाव केवली णं पायाणेहिं न जाणइ न पासइ ?, गोयमा ! केवली णं पुरच्छि. मेणं मियपि जाणइ अमियंपि जाणइ जाव निव्वुडे दंसणे केवलिस्स से तेण?णं जाव न पासइ 2 // सूत्रं 198 // केवली णं भंते ! अस्सिं समयंसि जेसु अागासपदेसेमु हत्थं वा पायं वा बाहुं वा उरुं वा योगाहित्ताणं चिट्ठति पभू णं भंते ! केवली सेयकालंसिवि तेसु चेव यागासपदेसेसु हत्थं वा जाव प्रोगाहित्ता णं चिट्ठित्तए ?, गोयमा ! णो तिण? समढे, 1 / से केण?णं भंते ! जाव केवली णं अस्सि समयंसि जेसु ागासपदेसेसु हत्थं वा जाव चिट्ठति णो णं पभू केवली सेयकालंसिवि तेसु चेव अागासपएसेसु हत्थं वा जाव चिट्ठित्तए ?, गोयमा ! केवलिस्स णं 16 Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 146 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमागः वीरिय-सजोगस-इव्वयाए चलाई उवकरणाई भवंति, चलोवगरणट्ठयाए य णं केवली असि समयंसि जेसु यागासपदेसेसु हत्यं वा जाव चिट्ठति णो णं पभू केवली सेयकालंसिवि तेसु चेव जाव चिट्टित्तए, से तेणटेणं जाव वुच्चइ-केवली णं अस्सिं समयंसि जाव चिट्ठित्तए 2 // सूत्रं 111 // पभू णं भंते ! चोदसपुब्बी घडायो घडसहस्सं पडायो पडसहस्सं कडायो 2 रहायो 2 छत्तायो छत्तसहस्सं दंडात्रो ढंडसहस्सं अभिनिव्वत्ता उवदंसेत्तए ?, हंता पभू 1 / से केण?णं पभू चोदसपुव्धी जाव उवदंसेत्तए ?, गोयमा ! चउद्दसपुट्विस्स णं अणंताई दवाई उकरियाभेएणं भिजमाणाई लद्धाई पत्ताई अभिसमन्नागयाइं भवंति, से तेण?णं जाव उवदंसित्तए / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ ति बेमि 2 // सूत्रं 200 // // इति पञ्चमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 5-4 // // अथ पञ्चमशतके छद्मस्थाख्य-पंचमोद्देशकः // ___ छउमत्थे णं भंते ! मणुसे तीयमणंतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं जहा पढमसए चउत्थुद्दे से घालावगा तहा नेयव्वा जाव अलमत्थुत्ति वत्तव्वं सिया // सूत्रं 201 // अन्नउस्थिया णं भंते ! एवमातिखंति जाव परुति सव्वे पाणा सव्वे भूया सब्वे जीवा सव्वे सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अन्नउत्थिया एवमातिक्खंति जाव वेदेति जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा / ऐवमातिखामि जाव पुरूवेमि प्रत्थेगड़या पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति प्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता अनेवंभूयं वेदणं वेदेति 1 / से केण?णं अत्थेगतिया ? तं चेव उच्चारेयव्वं, गोयमा ! जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा तहा Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 5 : उ० 6 ] [ 147 वेदणं वेदेति ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा नो तहा वेदणं वेदेति ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता अनेवंभूयं वेदणं वेदंति, से तेण?णं तहेव 2 / नेरइया णं भंते ! किं एवंभूयं वेदणं वेदेति अनेवंभूयं वेदणं वेदंति ? गोयमा ! नेरइया णं एवंभूयं वेदणं वेदेति अनेवंभूयपि वेदणं वेदंति 3 / से केणडेणं ? तं चेव उच्चारेयव्वं, गोपमा ! जे णं नेरइया जहा कडा कम्मा तहा वेयणं वेदेति ते णं नेरझ्या एवंभूयं वेदणं वेदेति, जे णं नेरतिया जहा कडा कम्मा णो तहा वेदणं वेदेति ते णं नेरझ्या अनेवंभूयं वेदणं वेदेति, से तेण?णं, एवं जाव वेमाणिया संसारमंडलं नेयव्वं 4 // सूत्रं 202 // जंबूद्दीवे णं भंते ! भारहे वासे इमीसे श्रोसप्पिणीए कइ कुलगरा होत्था ?, गोयमा ! सत्त, एवं तित्थयरा, तित्थयरमायरो पियरो, पढमा सिस्सिणीयो, चकवट्टीमायरो, इत्थिरयणं, बलदेवा, वासुदेवा, वासुदेवमायरो पियरो, एएसिं पडिसत्त, जहा समवाए परिवाडी तहा णेयव्वा, सेवं भंते ! 2 जाव विहरइ // सूत्रं 203 // पंचमप्सए पंचमुद्दे सयो॥ // इति पञ्चमशतके पञ्चम उद्देशकः // 5-5 // // अथ पंचमशतके आयुनामक-षष्ठोद्देशकः // कहराणं भंते ! जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?, गोयमा ! तिहिं ठाणेहिं, तंजहा-पाणे अइवाएत्ता मुसं वइत्ता तहारूवं समणं वा माहणं वा अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता, एवं खलु जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेइ 1 / कहराणं भंते ! जीवा दीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?, गोयमा ! तिहिं ठाणेहि-नो पाणे अतिवाइत्ता नो मुसं वइत्ता तहारूवं समणं वा माहणं वा फासुएसणिज्जेणं Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 148 ] - - ( श्रीमदागमसुधासिन्धु : द्वितीयो विभागः असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता एवं खलु जीवा दीहाउयत्ताए कम्म पकरेंति 2 / कहन्नं भंते ! जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?, गोयमा ! पाणे अइवाइत्ता मुसं वइत्ता तहारूवं समणं वा माहणं वा हीलित्ता निंदित्ता खिसित्ता गरहित्ता अवमन्नित्ता अन्नयरेणं अमान्नेणं अपीतिकारेणं असणपाणखाइमसाइनेणं पडिलाभत्ता एवं खलु जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति 3 / कहन्नं भंते ! जीवा सुभदीहाउयताए कम्मं पकरेंति ?, गोयमा ! नो पाणे अइवाइत्ता नो मुमं वइत्ता तहारूवं समणं वा माहणं वा वंदित्ता नमंसित्ता जाव पज्जुवासिता अन्नयरेणं मणुन्नेणं पीइकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभत्ता एवं खनु जीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति 4 // सूत्रं 204 // गाहावइस्स भंते ! भंडं विकिणमाणस्स केइ भंडं अवहरेजा ? तस्स णं भंते ! तं भंडं अणुगवेसमाणस्स किं ग्रारंभिया किरिया कजई परिग्गहिया किरिया कजइ ? मायावत्तिया किरिया कन्जइ ? अपञ्चखाणिया किरिया कन्जइ ? मिच्छादसणवत्तिया किरिया कजइ ?, गोयमा ! प्रारंभिया किरिया कजइ परिग्गहिया मायावत्तिया अपचक्खाणिया मिच्छादंसणकिरिया सिय कजइ सिय नो कजइ 1 / अह से भंडे अभिपमन्नागए भवति, तो से पच्छा सव्वायो तायो पयणुईभवंति 2 / गाहावतिस्स णं भंते ! तं भंडं विकिणमाणस्स कतिए भंडे सातिज्जेजा ?, भंडे य से अणुवणीए सिया, गाहावतिस्स णं भंते ! तायो भंडायो कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसणकिरिया कन्जइ ? कझ्यस्त वा तायो भंडायो कि प्रारंभिया किरिया कजइ जाव मिच्छादसणकिरिया कन्जइ ?, गोयमा ! गाहावइस्स तायो भंडायो प्रारंभिया किरिया कन्जइ जाव अपञ्चक्खाणिया मिच्छादंसणवत्तिया किरिया सिय कन्जइ सिय नो कजइ. कतियस्स णं ताश्रो सव्वायो पयणुईभवंति 3 / गाहावतिस्स णं भंते ! भंडं विकिणमाणस्स Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 5 :: उ०६] ( 149 जाव भंडे से उधणीए सिया ? कतियस्स णं भंते ! तायो भंडायो कि श्रारंभिषा किरिया कति जाव मिच्छादंसणकिरिया कजति ?, गाहावइस्स वा तायो भंडायो किं प्रारंभिया किरिया कजति जाव मिच्छादसणकिरिया कन्जति ?, गोयमा ! कइयस्स तायो भंडायो हेट्ठिलायो चत्तारि किरियाया कज्जंति मिच्छादसणकिरिया भयणाए गाहावतिस्स णं तायो सव्वायो पयणुईभवंति 4 / गाहावतिस्स णं भंते ! भंडं जाव धणे य से अणुवणीए सिया ? एवंपि जहा भंड उवणीए तहा नेयव्वं, चउत्थो बालावगो, धणे से उवणीए सिया जहा पढमो यालावगो भंडे य से अणुवणीए सिया तहा नेयव्यो, पढमचउत्थाणं एको गमो बितियतइयाणं एको गमो 5 / अगणिकाए णं भंते ! अहुणो(अहणु)जलिते समाणे महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेदणतराए चे भवति, अहे णं समए 2 वोकसिन्जमाणे 2 वोच्छिजमाणे 2 चरिमकालसमयंसि इंगालभूए मुम्मुरभूते छारियभूए तयो पच्छा अप्पकम्मतराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव अप्पवेदणतराए चेव भवति ?, हंता गोयमा ! अगणिकारणं अणु(अहुणो)जलिए समाणे तं चेव 6 // सूत्रं 205 // पुरिसे णं भंते ! धणु परामुमइ धणु परामुसित्ता उसु परामुसइ 2 ठाणं ठाइ ठाणं ठिचा पायतकराणाययं उसु करेंति प्राययकन्नाययं उसु करेत्ता उट्ठ वेहासं उसु उब्विहइ 2 ततो णं से उसु उड्ड वेहासं उविहिए समाणे जाई तत्थ पाणाई भूयाइं जीवाई सत्ताई अभिहणइ वत्तेति लेस्सेति संघाएइ संघट्टति परितावेइ किलामेइ ठाणायो ठाणं संकामेइ जीवियायो ववरोवेइ, तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे धणु परामुसइ 2 जाव उव्विहइ तावं च णं से पुरिसे कातियाए जाव पाणातिवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहिं(हिंतो) धणू निव्वत्तिए तेऽवि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरि. Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः याहिं पुढे, एवं धणुपुढे पंचहि किरियाहिं, जीवा पंचहिं, राहारू पंचहिं, उसू पंचहिं सरे पत्तणे फले राहारू पंचहिं / / सूत्रं 206 // अहे णं से उसु अप्पणो गुरुयत्ताए भारियत्ताए गुरुसंभारियत्ताए अहे वीससाए पचोवयमाणे जाई तत्थ पाणाइं जाव जीवियायो ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे कति. किरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से उसु अप्पणो गुरुययाए जाप ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे, जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए तेवि जीवा चरहिं किरियाहि, धणूपुढे चउहिं, जीवा चरहिं, राहारू चउहिं, उसू पंचहिं, सरे पत्तणे फले राहारू पंचहिं, जेवि य से जीवा अहे पचोवयमाणस्स उवग्गहे चिट्ठांति तेवि य णं जीवा कातियाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा // सूत्रं 207 // अराणउत्थिया णं भंते ! एवमातिखंति जाव परुति से जहानामएजुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेराहेजा चक्कस्स वा नाभी अरगा उत्तासिया एवामेव जाव चत्तारि पंच जोयणसयाई बहुसमाइन्ने मणुयलोए मणुस्सेहिं, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अरणउत्थिया जाव मणुस्सेहि जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि जाव एवामेव चत्तारि पंच जोयणसयाई बहुसमाइराणे निरयलोए नेरइएहिं // सूत्रं 208 // नेरझ्या णं भंते ! कि एगत्तं पभू विउवित्तए, पुहुत्तं पभू विउवित्तए ?, जहा जीवाभिगमे घालावगो तहा नेयव्यो जाव दुरहियासे // सूत्रं 201 // श्राहाकम्मं णं अणवज्जेत्ति मणं पहारेत्ता भवति, से गां तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिबकंते कालं करेइ नत्थि तस्स श्राराहणा, से णं तस्स ठाणस्स बालोइयपडिक्कते कालं करेइ अस्थि तस्स बाराहणा एएणं गमेणं नेयव्वं-कीयगडं ठवियगं रइयगं कतारमत्तं दुभिक्खभत्तं वदलियाभत्तं गिलाणभत्तं सेजायरपिंडं रायपिंडं 1 / याहाकम्मं णं श्रणवज्जेत्ति बहुजणमज्झे भासित्ता सयमेव परिभुजित्ता भवति से णं Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 5 :: उ०७ ] (151 तस्स गणस्त जाव अत्थि तस्स आराहणा, एयपि तह चेव जाव रायपिंडं 2 / श्राहाकम्मं णं अणवज्जेत्ति सयं अन्नमन्नस्स अणुप्पदावेत्ता भवति, से णं तस्स एवं तह चेव जाव रायपिंडं 3 / याहाकम्मं णं अणवज्जेत्ति बहुजणमज्झे पनवतित्ता भवति से णं तस्स जाव अस्थि पाराहणा जाव रायपिंडं 4 // सूत्रं 210 // पायरिय-उवज्झाए णं भंते ! सविसयंसि गणं अगिलाए संगिराहमाणे अगिलाए उवगिराहमाणे कतिहिं भवग्गहणेहिं सिझति जाव अंतं करेति ?, गोयमा ! प्रत्थे गतिए तेणेव भवग्गहणेणं सिझति अत्यंगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिझति तच्चं पुण भवग्गहणं णातिकमति // सूत्रं 211 // जे णं भंते ! परं अलिएणं असन्भूनेणं(असंतएणं) अभक्खाणेणं अभक्खाति तस्स णं कहप्पगारा कम्मा कज्जति ?, गोयमा जे णं परं अलिएणं असंतवयणेणं(असंतएणं) अभक्खाणेणं अभक्खाति तस्स णं तहप्पगारा चेव कम्मा कज्जंति, जत्थेव णं अभिसमागच्छंति तत्थेव णं पडिसंवेदेति ततो से पच्छा वेदेति सेवं भंते 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 212 // // इति पञ्चमशतके षष्ठ उद्देशकः // 5-6 // // अथ पञ्चमतशके एजनाख्य-सप्तमोद्देशकः // परमाणुपोग्गले णं भंते ! एयति वेयति जाव तं तं भावं परिणमति ?, गोयमा ! सिय एयति वेयति जाव परिणमति सिय णो एयति जाव णो परिणमति 1 / दुपदेसिए णं भंते ! खंधे एयति जाव परिणमइ ?, गोयमा ! सिय एयति जाव परिणमति सिय णो एयति जाव णो परिणमति, सिय देसे एयति देसे नो एयति 2 / तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति जाव परिणमइ ?, गोयमा ! सिय एयति, सिय नो एयति, सिय देसे एयति नो देसो एयति, सिय देसे एयति नो देसा एयंति, सिय देसा एयंति नो Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / द्वितीयो विभागः देसे एयति 3 / चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति जाव परिणमइ ?, गोयमा ! सिय एयति, सिय नो एयति, सिय देसे एयति णो देसे एयति, सिय देसे एयति णो देसा एयंति, सिय देसा एयंति नो देसे एयति, सिय देसा एयंति नो देसा एयंति 4 / जहा चउप्पदेसियो तहा पंचपदेसियो, तहा जाव अणंतपदेसियो 5 // सूत्रं 213 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा योगाहेजा ?, हंता ! योगाहेजा 1 / से णं भंते ! तत्थ छिज्जेज वा भिज्जेज वा ?, गोयमा ! णो तिण? समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमति, एवं जाव असंखेजपएसियो 2 / अणंतपदेसिए णं भंते ! खंधे असिधारं वा खुरधारं वा योगाहेज्जा ?, हंता ! योगाहज्जा 3 / से णं तत्थ छिज्जेज वा भिज्जेज वा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए हिज्जेज वा भिज्जेज वा अत्थेगतिए नो छिज्जेज वा नो भिज्जेज वा 4 / एवं अंगणिकायस्स मज्झमज्झेणं तहिं गवरं झियाएजा भाणितव्वं, एवं पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झणं तहिं उल्ले सया, एवं गंगाए महाणदीए पडिसोयं हवमागच्छेज्जा, तहिं विणिहायमावज्जेजा, उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा योगाहेजा से णं तत्थ परियावज्जेज्जा 5 // सूत्रं 214 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सयड्ढ समज्झे सपएसे ? उदाहु अणड्ढे अमझे अपएसे ?, गोयमा ! अणड्ढे अमज्झे अपएसे नो सड्ढे नो समझे नो सपएसे 1 / दुपदेसिए णं भंते ! खंधे किं सश्रद्धे समज्झे सपदेसे उदाहु अणद्धे अमज्झे अपदेसे ?, गोयमा ! सश्रद्धे श्रमज्झे सपदेसे णो अणद्धे णो समज्झे णो अपदेसे 2 / तिपदेसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! अणद्धे समज्झे सपदेसे नो सयद्धे णो श्रमज्झे णो अपदेसे 3 / जहा दुपदेसियो तहा जे समा ते भाणियबा, जे विसमा ते जहा तिपएसियो तहा भाणियबा 4 / संखेजपदेसिए णं भंते ! खंधे किं सयड्ढे 6 ? पुच्छा, गोयमा ! सिय सयुद्धे अमज्झे सपदेसे सिय अणड्ढे Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमीद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र / शतर्क 5 : उ०७ ] समज्झे सपदेसे जहा संखेजपदेसियो तहा असंखेजपदेसियोऽवि अणंतपदेमियोऽवि 5 // सूत्रं 215 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! परमाणुपोग्गलं फुसमाणे किं देसेणं देसं फुसइ 1 देसेणं देसे फुसइ 2 देसेणं सव्वं फुसइ 3 देसेहिं देसं फुसति 4 देसेहिं देसे फुसइ 5 देसेहिं सव्वं फुसइ 6 सव्वेणं देसं फुसति 7 सव्वेणं देसे फुसति 8 सव्वेणं सव्वं फुसइ 1 ?, गोयमा ! णो देसेणं देसं फुसइ, णो देसेणं देसे फुसति, णो देसेणं सव्वं फुसइ, णो देसेहिं देसं फुसति, नो देसेहिं देसे फुसइ, नो देसेहिं सव्वं फुसति, णो सव्वेणं देसं फुसइ, णो सब्वेणं देसे फुसति, सम्वेणं सव्वं फुसइ 1 / एवं परमाणुपोग्गले दुपदेसियं फुप्तमाणे सत्तमणवमेहिं फुसति, परमाणुपोग्गले तिपएसियं फुसमाणे णिप्पच्छिमएहिं तिहिं फुसइ, जहा परमाणुपोग्गले तिपएसियं फुसावियों एवं फुसावेयव्यो जाव अणंतपएसियो 2 / दुपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा, ततियनवमेहिं फुसति, दुपदेसियं फुसमाणो पढमतइयसत्तमणवमेहिं फुसइ, दुपदेसियो तिपदेसियं फुसमाणो श्रादिल्लएहि य पच्छिल्लएहि य तिहिं फुसति, मज्झमएहिं तिहिं विपडिसेहेयव्वं, दुपदेसियो जहा तिपदेसियं फुसावितो एवं फुसावेयव्यो जाव अणंतपएसियं 3 / तिपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा, ततियट्ठणवमेहिं फुसति, तिपएसियो दुपएसियं फुसमाणो पढमएणं ततिएणं चउत्थछट्टसत्तमणवमेहिं फुसति, तिपएसियो तिपएसियं फुसमाणो सव्वेसुवि ठाणेसु फुसति, जहा तिपएसियो तिपदेसियं फुसावितो एवं तिपदेसियो जाव अणंतपएसिएणं संजोएयवो, जहा तिपएसियो एवं जाव अणंतपएसियो भाणियव्यो 4 // सूत्रं 216 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालतो केवचिरं होति ? गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं, एवं जाव अणंतपएसियो 1 / एगपदेसोगाढे णं भंते ! पोग्गले सेए तम्मि वा ठाणे अन्नंमि वा ठाणे कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154 ] . ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः एगं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं, एवं जाव असंखेजपदेसोगाढे 2 / एगपदेसोगाढे णं भंते ! पोग्गले निरेए कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, एवं जाव असंखेजपदेसोगाढे 3 / एगगुणकालए णं भंते / पोग्गले कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेन्जं कालं, एवं जाव अणंतगुणकालए, एवं वनगंवरसफास. जाव अणंतगुणलुक्खे, एवं सुहुमपरिणए पोग्गले एवं बादरपरिणए पोग्गले 4 / सहपरिणए णं भंते ! पुग्गले कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एगं समय उक्कोसेणं बावलियाए असंखेजइभागं, असदपरिणए जहा एगगुणकालए 5 / परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवविरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं 6 / दुप्पएसियस्स णं भंते ! खंधस्त अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्ने एगं समयं उक्कोसेगां अणंतं कालं, एवं जाव अणंतपएसियो 7 / एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स सेयस्स अंतरं कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं, एवं जाव असंखेजपएसोगाढे 8 / एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स निरेयस्स अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेगा एगं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं, एवं जाव असंखेजपएसोगाढे 1 / वन्नगंधरसफास-सुहुमपरिणय-बायरपरिणयाणं एतेसिं जं चेव संचिट्ठणा तं चेव अंतरंपि भाणियव्वं 10 / सहपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं 11 / असहपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं 12 // सूत्रं 217 // एयस्स णं भंते ! Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्तज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्र :: शतकं 5 : उ० 7 ] [166 दवट्ठाणाउयस्स खेत्तढाणाउयस्स भोगाहणट्ठाणाउयस्स भावट्ठाणाउयस्स कयरे 2 जाब विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे खेत्तट्ठाणाउए योगाहणट्ठाणाउए असंखेनगुणे दबट्टाणाउए असंखेजगुणे भावट्ठाणाउए असंखेजगुणे-खेत्तोगाहणदव्वे भावट्ठाणाउयं च अप्पबहुँ / खेत्ते सव्वत्थोवे से सा गणा असंखेजा // 1 // सूत्रं 218 // नेरइया णं भंते ! किं सारंभा सपरिग्गहा उदाहु अणारंभा अपरिग्गहा ?, गोयमा / नेरइया सारंभा सपरिग्गहा नो अणारंभा णो अपरिग्गहा 1 / से केण?णं जाव अारिग्गहा ?, गोयमा ! नेरझ्या णं पुढविकायं समारंभंति जाव तसकयं समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिग्गहिया भवंति सचित्ताचित्तमीसयाई दव्याइं परिग्गहियाई भवंति, से तेणटेणं तं चैव 2 / असुरकुमारा णं भंते ! किं सारंभा 4 ? पुच्छा, गोयमा ! असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा नो अणारंमा अपरिग्गहा 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-असुरकुमारा जाव अपरिग्गहा ?, गोयमा ! असुरकुमारा णं पुढविकायं समारंभंति जाव तसकायं समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिग्गहिया भवंति भवणा परिग्गहिया भवंति देवा देवीयो मणुस्सा मणुस्सीयो तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीयो परिग्गहियायो भवंति श्रासणसयणभंडमत्तोंवगरणा परिग्गहिया भवंति सच्चित्ताचित्तमीसयाई दव्वाइं परिग्गहियाइं भवंति से तेणटेणं तहेव एवं जाव थणियकुमारा 4 / एगिदिया जहा नेरइया 5 / बेइंदिया णं भंते / किं सारंभा सपरिग्गहा ? तं चेव जाव सरीरा परिग्गहिया भवंति बाहिरिया भंडमत्तोवगरणा परिग्गहिया भवंति सचित्ताचित्तमीसयाइं जाव भवंति एवं जाव चउरिंदिया 6 / पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! तं चेव जाव कम्मा परिग्गहिया भवंति टंका कूडा सेला सिहरी पभारा परिग्गहिया भवंति, जलथल बिल गुहालेणा परिग्गहिया भवंति, उज्झर-निज्झर-चिल्लल-पल्लल-वप्पिणा परिग्गहिया Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः भवंति, अगड-तडाग-दह-नदीयो पावि-पुक्खरिणी-दीहिया गुजालिया सरा सरपंतियायो सरसरपंतियायो क्लिपंतीयायो परिग्गहियायो भवंति, बारामुजाणा काणणा वणाई वणसंडाइं वणराईयो परिग्गहियायो भवंति, देवउल-सभा-पवा-थूभाखातिय-परिखाग्रो परिग्गहियायो भवंति, पागारट्टालगचरियदार-गोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासाद-घर-सरणनेण-श्रावणा परि. गहिता भवंति, सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चर-चउम्मुह महापहा परिग्गहिया भवंति, सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्ली-सीय-संदमाणियायो परिग्गहियायो भवंति लोही-लोह-कटाह-कडुच्छुया परिग्गहिया भवंति, भवणा परिग्गहिया भवंति, देवा देवीयो मणुस्सा मणुस्सीयो तिरिक्खजोणियो तिरिक्खजोणिणीयो पासण-सयण--खंभ-भंड-सचित्ताचित्तमीसयाई दवाइं परिग्गहियाइं भवंति, से तेणट्ठणं जाव अपरिग्गहिया 7 / जहा तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्साणवि भाणियब्वा, वाणमंतरजोतिसवेमाणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्वा 8 // सूत्रं 211 // पंच हेऊ पराणत्ता, तंजहा-हेउं जाणइ हेउं पासइ हेउं बुज्झइ हेउं अभिसमागच्छति हेउं छउमत्थमरणं मरइ 1 / पंचेव हेऊ पराणत्ता, तंजहा-हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमत्थमरणं मरइ 2 | पंच हेऊ पराणत्ता, तंजहा-हेउं न जाणइ जाव हेउं अन्नाणमरणं मरइ 3 / पंच हेऊ पन्नत्ता, तंजहा-हेउणा ण जाणति जाव हेउणा अन्नाण मरणं मरति 4 / पंच अहेऊ पराणत्ता, तंजहा-अहेउं जाणइ जाव अहेउं केवलिमरणं मरइ 5 / पंच अहेऊ पराणत्ता, तंजहा-अहेउणा जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं मरइ 6 / पंच अहेऊ पराणत्ता, तंजहाअहेउं न जाणइ जाव अहेउं छउमस्थमरणं मरइ 7 / पंच अहेऊ पराणत्ता, तंजहा-अहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ 8 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 1 // सूत्रं 220 // // इति पत्रमशतके सप्तम उद्देशकः // 5-7 // Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 5 :: उ०८ ] // अथ पञ्चमशतके निर्ग्रन्थिपुत्राख्याष्टमोद्देशकः // ते णं काले णं 2 जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं 2 समणस्स 3 जाव यंतेवासी नारयपुत्ते नामं अणगारे पगतिभदए जाब विहरति 1 / तेणं कालेणं 2 समणस्म 3 जाव अंतेवासी नियंठिपुत्ते णामं यणगारे पगतिभदए जाव विहरति 2 / तए णं से नियंठीपुत्ते अणगारे जेणामेव नारयपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ 2 नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-सव्वा पोग्गला ते अजो / किं सग्रड्डा समझा सपएसा उदाहु अणड्डा अमज्मा अपएसा ?, अजोति नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वयासीसव्वपोग्गला मे अजो ! सग्रड्डा समज्झा सपदेसा नो अणड्डा अमझा थप्पएसा 3 / तए णं से नियंटिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वदासि-जति णं ते यजो ! सव्वपोग्गला सयड्डा समझा सपदेसा नो यणड्डा अमज्मा अपदेसा, किं दबादेसेणं अजो ! सव्वपोग्गला सहा समझा सपदेसा नो अणड्डा यमझा अपदेसा ? खेत्तादेसेणं अजो ! सव्वपोग्गला सयड्डा समझा सपएसा तहेव चेव, कालादेसेणं तं चेव, भावादेसेणं यजो ! तं चेव, तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं यणगारं एवं वदासी-दव्वादेसेणवि मे अजो ! सव्वपोग्गला साड्डा समज्मा सपदेसा नो अणड्डा श्रमज्झा अपदेसा, खेत्ताएसेणवि सव्वे पोग्गला सअड्डा समझा सपदेसा नो अणड्डा अमझा अपदेसा, तह चेव कालादेसेणवि, तं चेव भावादेसेण वि 4 / तए णं से नियंठीपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-जति णं हे अजो ! दवादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्डा समज्मा सपएसा नो अणड्डा अमज्मा अपएसा, एवं ते परमाणुपोग्गलेवि सअड्डे समज्मे सपएसे मो अणड्ढ अमझे अपएसे, जति णं अजो ! खेत्तादेसेणवि सव्वपोग्गला सअड्डा समझा सपदेसा जाव एवं ते एगपएसोगाढे वि पोग्गले सग्रड्डे समज्झे सपएसे, जति णं अजो ! काला सष्ठा मड्डे समगला सश्रष्टा जति र Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154] . : [श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागा देसेणं सब्बपोग्गला सअड्डा समन्मा सपएसा, एवं ते एगसमयठितीएवि पोग्गले सत्रड्ढे 3 तं चेव, जति णं अजो ! भावादेसेणं सव्वपोग्गला सग्रड्डा समझा सपएसा 3, एवं ते एगगुणकालएवि पोग्गले सयड्ढे 3 तं चेव, अह ते एवं न भवति तो जं वयसि दवादेसेणवि सव्वपोग्गला साड्डा 3 नो अणड्डा अमज्मा अपदेसा एवं खेत्तादेसेणवि कालादेसेणवि भावादेसेणवि तंन्न मिच्छा 5 / तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठीपुत्तं अणगारं एवं वयासी-नो खलु वयं देवाणुप्पिया ! पयम? जाणामो पासामो, जति णं देवाणुप्पिया ! नो गिलायंति परिकहित्तए तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाणं अंतिए एयम8 सोचा निसम्म जाणित्तए 6 / तए णं से नियंठीपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-दव्वादेसेणवि मे अजो सब्वे पोग्गला सपदेसावि अपदेसावि अणता खेत्तादेसेणवि एवं चेव कालादेसेणवि भावादेसेण वि.एवं चेव 7) जे दो अप्पदेसे से खेत्तयो नियमा अप्पदेसे कालो सिय सपदेसे सिय अपदेसे भावो सिय सपदेसे सिय अपदेसे 8 / जे खेत्तयो अप्पदेसे से दवयो सिय सपदेसे सिय अपदेसे कालो भयणाए भावो भयणाए 1 / जहा खेत्तो एवं कालो भावो 10 / जे दवयो सपदेसे से खेत्तयो सिय सपदेसे सिव अपदेसे, एवं कालयो भावबोवि, ज़े खेत्तयो सपदेसे से दबतो नियमा सपदेसे कालो भयणाए भावो भयणाए जाव दब्बयो तहा कालो भावग्रोवि 11 / एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं खेत्तादेसेणं कालादेसेणं भावादेसेणं सपदेसाण य अपदेसाण य कयरे कयरेहितो जाब विसेसाहिया वा ?, नारयपुत्ता ! सव्वत्थोवा पोग्गला भावादेसेणं अपदेसा कालादेसेणं अपदेसा असंखेजगुणा दवादेसेणं अपदेसा असंखेजगुणा खेत्तादेसेणं अपदेसा असंखेजगुणा खेत्तादेसेणं चेव सपदेसा असंखेजगुणा दब्वादेसेणं सपदेसा विसेसाहिया कालादेसेणं सपदेसा विसेसाहिया भावादेसेणं सपदेसा Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं शतकं 5 : उ०८ ] / 16 विसेसाहिया 12 / तए णं से नारयपुत्ते श्रणगारे नियंठीपुत्तं श्रणगारं वंदइ नमसइ नियंठिपुत्तं अणगारं वंदित्ता णमंसित्ता एयमट्ठ सम्मं विणएणं भुजो 2 खामेति 2 ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 13 // सूत्रं 221 // भंतेत्ति भगवं गोयमे जाव एवं वयासी-जीवा णं भंते ! किं वट्ठति हायंति अवट्ठिया ?, गोयमा ! जीवा णो वड्डति नो हायंति अवट्ठिया 1 / नेरझ्या णं भंते ! किं वड्डति हायंति अवट्ठिया ?. गोयमा ! नेरइया वट्ठतिवि हायंतिवि अवट्ठियावि, जहा नेरइया एवं जाव वेमाणिया 2 / सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा वड्डति नो हायंति अवट्ठियावि 3 / जीवा णं भंते ! केवतियं कालं अवट्ठियावि ?, सव्वद्धं 4 / नेरझ्या णं भंते ! केवतियं कालं वट्ठति ?, गोयमा ! जहराणेणं एगं समयं उकोसेणं श्रावलियाए असंखेजतिभागं, एवं हायति 5 / नेरइया णं भंते ! केवतियं कालं अवट्ठिया ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 6 / एवं सत्तसुवि पुढवीसु वढति हायंति भाणियव्वं,नवरं अवट्ठिएसु इमं नाणत्तं, तंजहा-रयणप्पभाए पुढवीए अडतालीसं मुहुत्ता सक्करप्पभाए चोदस रातिदियाणं वालुयाप्पभाए मासं पंकप्पभाए दो मासा धूमप्यमाए चत्तारि मासा तमाए अट्ठ मासा तमतमाए बारस मासा 7 / असुरकुमारावि वडति हायंति जहा नेरइया, अवटिया जहराणेणं एक समयं उकोसेणं अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता एवं दसविहावि 8 / एगिदिया वट्ठतिवि हायंतिवि श्रवट्ठियावि, एएहिं तिहिवि जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजतिभागं 1 / बेइंदिया वडति हायंति तहेव, अवट्ठिया जहराणेणं एक समयं उकोसेणं दो अंतोमुहुत्ता, एवं जाव चउरिदिया 10 / श्रवसेसा सव्वे वट्ठति हायंति तहेब, अवटियाणं णाणत्तं इमं, तंजहा-समुच्छिम-पंचिदिय-तिरिक्ख-जोणियागां दो अंतोमेहुत्ता, गब्भवक्कंतियाणां चउव्वीसं मुहुत्ता, संमुच्छिम-मणुस्साणां अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वासाई, एवं गेजवाणयपाणयाग संखजाम सडिं रातिदियसत. 160] . . . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः गम्भवक्कतिय-मणुस्साणां चउव्वीसं मुहुत्ता, वाणमंतर-जोतिस-सोहम्मीसाणेसु अट्टचत्तालीसं मुहुता, सणंकुमारे अट्ठारस रातिंदियाइं चतालीस य मुहुत्ता, माहिदे चवीसं रातिदियाइं वीस य मुहुत्ता, बंभलोए पंचत्रत्तालीसं रातिदियाइं लंतए नउति रातिदियाई, महासुक्के सढि रातिंदियसतं, सहस्सारे दो रातिंदियसयाइं पाणयपाणयाणां संखेजा मासा, धारणच्चुयाणां संखेजाई वासाई, एवं गेवेजदेवाणां विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियाणां असंखिजाई वाससहस्साई, सव्वट्ठसिद्धे य पलिग्रोवमस्स संखेजतिभागो, एवं भागिायव्वं, वडति हायति जहराणेगां एवकं समयं उकोसेणं श्रावलियाए असंखेजतिभागं, अवट्ठियाणं जं भणियं 11 / सिद्धा णं भंते ! केवतियं कालं वड्डांति ?, गोयमा ! जहराणेगां एक समयं उकोसेगां अट्ठ समया, केवतियं कालं अवट्ठिया ?, गोयमा ! जहराणेगां एकसमयं उक्कोसेगां छम्मासा 12 / जीवा णं भंते ! किं सोवचया सावचया सोवचयसावचया निरुवचय-निरवचया ?, गोयमा ! जीवा णो सोवचया नो सावचया णो सोवचय-सावचया निरुवचय-निरवचया 13 / एगिदिया ततियपए, सेसा जीवा चउहिवि पदेहिवि भाणियव्या 14 ।सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा! सिद्धा सोवचया णो सावचया णो सोवचय-सावचया निरवचयनिरवचया 15 / जीवा णं भंते ! केवतियं कालं निरुवचयनिरवचया ?, गोयमा ! सम्बद्धं 16 / नेरतिया णं भंते ! केवतियं कालं सोवचया ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं, केवतियं कालं सावचया ? एवं चेव, केवतियं कालं सोवचय-सावचया ?, एवं चेव, केवतियं कालं निस्वचय-निरवचया ?, गोयमा ! जहराणेणं एवक समयं उकोसेसरं कारसमुहत 17 / रमिंदिया सब्रे सोपवयसत्वच्या सव्वद्धं सेसा सव्वे सोवचयावि सावचयावि सोवचय-सावचया वि निरुवचयनिवचया वि जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेजतिभागं Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमाच्यारूपाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 5 :: उ०९] [261 अवट्टिएहिं वक्कंतिकालो भाणियब्यो 18 / सिद्धा णं भंते ! केवतियं कालं सोवचया ?, गोयमा ! जहरणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अट्ठ समया, केवतियं कालं निरुवचय-निरवचया ?, जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा। सेवं भंते 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 222 // पंचमसए अट्ठमो उद्देसो समत्तो॥ // इति पञ्चमशतके अष्टम उद्देशकः // 5-8 // // अथ पञ्चमतशके राजगृहाख्य-नवमोद्देशकः // .. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वयासी-किमिदं भंते ! नगरं रायगिहंति पवुच्चइ ?, किं पुढवी नगरं रायगिहंति पवुच्चइ, श्राऊ नगरं रायगिहंति पवुच्चइ जाव वणस्सइ ?, जहा एयणुद्देसए पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया तहा भाणियव्वं जाव सचित्ताचित्तमीसयाई दवाई नगरं रायगिहंति पवुच्चइ ?, गोपमा ! पुढवीवि नगरं रायगिहंति पवुच्चइ जाव सच्चित्ताचित्तमीसियाई दव्याई नगरं रायगिहंति पवुच्चइ 1 / से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-पुढवी जाव पवुच्चइ गोयमा ! पुढवी जीवातिय अजीवातिय नगरं रायगिहंति पवुचई जाव संचित्ताचित्तमीसियाई दव्वाई जीवातिय अजीवातिय नगरं रायगिहंति पवुञ्चति से तेण?णं तं चेव 2 // सूत्रं 223 // से नूणं भंते ! दिया उज्जोए रातिं अंधयारे ?, हता गोयमा ! दिया जाव अंधयारे 1 / से केण?णं भंते! एवं वुच्चइ-दिया जाव अंधयारे ? गोयमा ! दिया सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे राति असुभा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे, से तेण?णं जाव अंधयारे २।नेरइया णं भंते ! किं उज्जोए अंधयारे ?, गोयमा ! नेरइयाणं नो उज्जोए अंधयारे 3 / से केण?णं जाव अंधयारे ?, गोयमा ! नेरइया णं असुहा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे से तेण?णं जाव अंधयारे 4 / अंसुरकुमाराणं Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. / श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभाग: भंते ! किं उज्जोए अंधयारे ?,गोयमा ! असुरकुमाराणं उज्जोए नो अंधयारे 5 / से केणटेणं जाव अंधयारे ?, गोयमा ! असुरकुमाराणं सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे, से तेण?णं एवं बुच्चइ जाव अंधयारे 6 / एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइया जाव तेइंदिया जहा नेरइया 7 / चउरिदियाणं भंते ! किं उज्जोए अंधयारे ?, गोयमा ! उजोएवि अंधयारेवि 8 / से केण?णं जाव अंधयारे ?, गोयमा ! चउरिंदियाणं सुभासुभा पोग्गला सुभासुभे पोग्गलपरिणामे, से तेण?णं जाव अंधयारे, एवं जाव मणुस्साणं 1 / वाणमंतरजोतिसवेमाणिया जहा असुरकुमारा 10 / सूत्रं 224 // अस्थि णं भंते ! नेरझ्याणं तत्थगयाणं एवं पन्नायति-समयाति वा प्रावलियाति वा जाव श्रोसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति वा? णो तिण? समढे 1 / से केण?णं जाव समयाति वा श्रावलियाति वा जाव अोसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति वा ?, गोयमा ! इहं तेसिं माणं इहं तेसिं पमाणं इहं तेर्सि पराणायति, तंजहा-समयाति वा जाव उस्सप्पिणीति वा, से तेण?णं जाव नो एवं पराणायए, तंजहा-समयाति वा जाव उस्सप्पिणीति वा 2 / एवं जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं 3 / अस्थि णं भंते ! मणुस्साणं इहगयाणं एवं पन्नायति, तंजहा-समयाति वा जाव उस्सप्पिणीति वा ?, हंता ! अस्थि 4 / से केणटेणं जाव अस्थि ? गोयमा इहं तेसि माणं, इहं तेसि पमाणं, इह चेव तेसि एवं पराणायति, तंजहा-समयाति वा जाव उस्सप्पिणीति वा, से तेण?णं जाव अस्थि 5 / वाणमंतरजोतिसवेमाणियाणं जहा नेरझ्याणं 6 // सूत्रं 225 // तेणं कालेणं 2 पासावचिजा ते थेरा भगवंतो जेणेव समणे भगवं. महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा एवं वदासी-से नूणं भंते ! असंखेज्जे लोए अणंता रातिदिया उप्पजिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पजिस्संति वा ? विगच्छिसु वा विगच्छति वा विगच्छिस्संति वा ? परित्ता रातिंदिया Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 5 : उ० 1 ] [ 163 उप्पजिसु वा 3 ?, विगच्छिसु वा 3?, हंता अजो ! असंखेज्जे लोए अणंता रातिदिया तं चेव 1 / से केणढणं जाव विगच्छिस्संति वा ?, से नूणं : भंते अजो ! पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए वुइए अणादीए अणवदग्गे परित्ते परिवुडे हेट्ठा विच्छिराणे मज्झे संखित्ते उप्पिं विसाले अहे पलियंकसंठिए मज्झे वरवइरविग्गहिते उप्पिं उद्धमुइंगाकारसंठिए, तेसिं च णं सासयंसि लोगंसि प्रणादियंसि अणवदग्गंसि परित्तंसि परिवुडंसि हेट्ठा विच्छिन्नंसि मज्झ संखित्तंसि उप्पिं विसालंसि अहे पलियंकसंठियंसि मज्झ वरवइरविग्गहियंसि उप्पिं उद्धमुइंगाकारसंठियंसि अणंता जीवघणा उप्पजित्ता 2. निलीयंति परित्ता जीवघणा उप्पजित्ता 2 निलीयंति, से नूणं भुए उप्पन्ने विगए परिणए अजीवेहिं लोकति पलोकइ, जे लोकइ से लोए ?, हंता भगवं भिंते] !, से तेण?णं अजो ! एवं वुच्चइ असंखेज्जे तं चेव 2 / तप्पभितिं च णं ते पासावच्चेजा थेरा भगवंतो समणं भगवं महावीरं पञ्चभिजाणंति सव्वन्नू सबदरिसी [पं० 3000 ], तए णं ते थेरा भगवंतो समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति 2 एवं वदासि-इच्छामि णं भंते ! तुभं अंतिए चाउजामायो धम्माश्रो पंचमहव्वइयं सप्पडिकमणं धम्म उवसंपजित्ता णं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करेह, तए णं ते पासावच्चिजा थेरा भगवंतो जाव चरिमेहिं उस्सासनिस्सासेहिं सिद्धा जाव सव्वदुक्खप्पहीणा, अत्थेगतिया देवा देवलोएसु उववन्ना 3 // सूत्रं 226 // कतिविहा णं भंते ! देवलोगा पराणता ?, गोयमा ! चउबिहा देवलोगा पराणत्ता, तंजहा-भवणवासी-वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियभेदेण, भवणवासी दसविहा वाणमंतरा अट्टविहा जोइसिया पंचविहा वेमाणिया दुविहा 1 / गाहा-किमियं रायगिहंति य उज्जोए अंधयार समए य / पासंतिवासि पुच्छा रातिदिय देवलोगा य॥ 1 // सेवं भंते ! Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164] भीमदागमसुधासिन्धुः रितीयो दिमागः 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 227 // पंचमे सए नवमो उद्देसो समत्तो॥ ॥इति पञ्चमशतके नवम उद्देशकः / / 5-6 // // अथ पञ्चमशतके चंपाचंदिमाख्य-दशमोद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपानामं नयरी जहा पढमिल्लो उद्दसत्रो तहा नेयम्वो एसोवि, नवरं चंदिमा माणियव्वा // सूत्रं 228 // पंचमे सए दसमो उद्दे सो समत्तो // पंचमं सयं समत्तं // // इति पञ्चमशतके दशम उद्देशकः // 5-10 // // इति पञ्चमं शतकम् // 5 // // अथ षष्ठशतके वेदनाख्य-प्रथमोद्देशकः // वेयण 1 श्राहार 2 महस्सवे य 3 सपएस 4 तमुए य५ / भविए 6 साली 7 पुढवी = कम्म 1 अनउत्थी 10 दस छट्टगंमि सए // 1 // से नूणं भंते ! जे महावेयणे से महानिजरे जे महानिजरे से महावेदणे, महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिजराए ?, हता गोयमा ! जे महावेदणे एवं चे 1 / छट्ठसत्तमासुणं भंते ! पुढवीसु नेरइया महावयणा ?, हंता महावेयणा 2 / ते णं भंते ! समणेहितो निग्गंथेहितो महानिजरतरा ?, गोयमा ! णो तिण? समढे 3 / से केणटुणं भंते ! एवं वुच्चइ जे महावेदणे जाव पसत्थनिजराए ?, गोयमा ! से जहानामएदुवे वत्था सिया, एगे वत्थे कदमरागरते एगे वत्थे खंजणरागरत्ते, एएसि णं गोयमा ! दोराहं वत्थ कयरे वत्थे दुधोयतराए चेव दुवामतराए चेव दुपरिकम्मतराए चेव कयरे वा वत्थे सुधोयतराए चेव सुवामतराए चेव सपरिकम्मतराए चेव ?, जे वा से वत्थे कद्दमरागरते जे वा से वत्थे Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्राप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 6 : उ०१] [119 खंजणागरते ?, भगवं ! तत्थ णं जे से वत्थे कद्दमरागरत्ते से णं वत्थे दुधोयतराए चेव दुवामतराए चेव दुप्परिकम्मतराए चेव 4 / एवामेव गोयमा ! नेरझ्याणं पावाई कम्माई गाढीकयाई चिकणीकयाइं (थ) सिढिलीकयाई खिलीभूयाई भवंति संपगादपि य णं ते वेदणं वेदेमाणा णो महानिजरा णो महापज्जवसाणा भवंति, से जहा वा केइ. पुरिसे अहि. गरणीं श्राकोडेमाणे महया 2 सहणं महया 2 घोसेणं महया 2 परंपराघाएणं णो संचाएइ तीसे अहिगरणीए केई अहाबायरे पोग्गले परिसाडित्तए एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माइं गाढीकयाइं जाव नो महापजवसाणाई भवंति 5 / भगवं ! तत्थ जे से वत्थे खंजणरागरते से णं वत्थे सुधोयतराए चेव सुवामतराए चेव सुपरिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माई सिढिलीकयाइं निट्ठियाई कयाम्मा(डा)ई विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति, जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं वेदेमाणे महानिजरा महापजवसाणा भवंति, से जहानामए-केइ पुरिसे सुकतणहत्ययं जायतेयंसि पक्खिवेजा से नूणं गोयमा ! से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविजति ?, हता मसमसाविजति 6 / एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइ कम्माई जाव महापजवसाणा भवंति, से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदगबिंदू जाव हंता विद्धंसमागच्छइ, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं जाव महापज्जवसाणा भवंति 7 / से तेणटेणं जे महावेदणे से महानिजरे जाव निजराए 8 // सूत्रं 221 // कतिविहे णं भंते ! करणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउविहे करणे पन्नत्ते, तंजहा-मणकरणे वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे 1 ।णेरइयाणं भंते ! कतिविहे करणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउब्विहे पन्नत्ते, तंजहा-मणकरणे वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे 2 / पंचिंदियाणं सव्वेसिं चउबिहे करणे पन्नत्ते 3 / एगिदियाणं Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुम द्वितीयो दिमागः. दुविहे-कायकरणे. यः कम्मकरणे या 4 / विगलेंद्रियाणं.: ३-वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे 5 / नेरइयाणं भंते, किं. करणो असायं वेयणं क्यंति प्रकरणो असायं वेयणं वेदेति ?, गोयमा ! नेरइयाणं करणयो असायं वेयण वेयंति नो अकरणो असायं वेयणं वेयंति 6 / से केंण्टेणं जाव वेयंति ?, गोयमा ! नेरइयाणं चरविहे करणे पन्नत्ते, तंजहामणकरणे वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे, इच्चेएणं चउबिहेणं असुभेणं करणेणं नेरइया करणयो असायं वेयणं वेयंति नो अकरणयो, से तेणंटेणं जाव वेयंति 7 / असुरकुमाराणं किं करणयो अकरणयो ?, गोयमा ! करणों नो अकरणो, सें. केण?णं. जाव करणयो ?, गोयमा ! असुरकुमाराणं चउबिहे करणे पराणत्ते, तंजहा-मणकरणे वयकरणे कायकरणे कम्मकरणे, इच्चेएणं सुभेणं करणेणं असुरकुमाराणं करणयो सायं वेयणं वेयंति नो अंकरणश्रो, एवं जावं थणियकुमाराणं.८ / पुढविकाइयाणं एवामेव पुच्छा, नवरं इच्चेएणं सुभासुभेणं करणेणं पुढविकाइया करणो वेमायाए वेयणं वेयंति नो अकरणो, ओरालियसरीरा सव्वे सुभासुभेणं वेमायाए. 1 / देवा सुभेणं सायं 10 // सूत्रं.२३० // जीवा णं भंते ! किं महावेयणा महानिजरा 1 महावेदणा अप्पनिजरा 2 अप्पवेदणा महानिजरा 3 अप्पवेदणा अप्पनिजरा .. ?, गोयमा ! प्रत्येगतिया जीवा महावेदणा महानिजरा 1 अत्थेगतिया जीवा महावेयणा अप्पनिजरा 2' अत्यंगतिया जीवा अप्पवेदणा महानिजरा . 3 अत्थेगंतियां जीवा अप्पवेदणा अप्पनिजरा 4; / सेकेणढणं जाव . अप्पनिजरा ?, गोयमा ! पडिमापडिवन्नए अणगारे महावेदणे महानिजरे, छट्ठसत्तमासु पुढवीसु नेरइया महावेदणा! अप्पनिजरा, सेलेसिं पडिवन्नए अणगारे अप्पवेदणे महानिजरे, अणुत्तरोववाइया देवा अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा, सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरत्ति 2 / महवेदणे य वत्थे कदमखंजणमए य अहिगरणी। Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याश्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) की शतकं 6 : उ० 2-3 ] [1. तणहत्थे य कवल्ले करण महावेदणा जीवा॥ 1 // सूत्रं 231 // सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 3 // छट्ठसयस्स पढमो उद्दसो समत्तो॥ इति षष्ठशतके प्रथम उद्देसकः / / 6--1 // // अथ षष्ठशतके आहाराख्य-द्वितीयोद्देशकः // - रायगिहं नगरं जाव एवं वयासी-श्राहारुद्द सो जो पनवणाए सो सव्वो निरवसेसो नेयम्बो / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्र 23.2 / / छ? सए बीश्रो उद्देसो समत्तो॥ // इति षष्ठशतके द्वितीय उद्देशकः // 6-2 / / // अथ षष्ठशतके महावाख्य-तृतीयोद्देशकः // बहुकम्म 1 वत्थपोग्गल-पयोगसा-वीससा 2 य सादीए 3 / कम्मद्वितीथि 4-5 संजय 6 सम्मट्टिी 7 य सन्नी = य॥१॥ भविए 1 दंसण 10 पजत्ते 11 भासत्र 12 परित्त 13 नाण 14 जोगे 15 य / उवयोगाहारग 16.17 सुहुम 18 चरिम 11 बंधे य अप्पब९ 20 // 2 // से नूणं भंते ! महाकम्मस्स महाकिरियस्स महासवस्स महावेदणस्स सव्वश्रो पोग्गला बज्झति सबथो पोग्गला चिजति सव्वश्रो पोग्गला उवचिज्जंति सया समियं च णं पोग्गला बझति सया समियं पोग्गला चिज्जति सया समियं पोग्गला उवचिजति सया समियं च णं तस्स श्राया दुरूवत्ताए दुवन्नत्ताए दुगंधत्ताए दुरसत्ताए दुफासत्ताए अणि?त्ताए अकंतत्ताए अप्पियत्ताए असुभत्ताए अमणुन्नत्ताए अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए नो उड्डत्ताए दुक्खत्ताए नो सुहत्ताए भुजो 2 परिणमंति ?, हंता गोयमा ! महाकम्मस्स तं चेव 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुचइ-महाकम्मस्स जाव परिणमंति ?, गोयमा ! से जहा Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ E:भीमदागमसुधासिन्धुः / बिसीयो विभाग नामए-वत्थस्स ग्रहयस्स वा धोयस्स वा तंतुगयस्स वा प्राणुपुवीए परिभुजमाणस्स. सव्वों पोग्गला बझति सब्यो पोग्गला चिज्जति जाव परिणमंति से तेण?णं जाव परिणमंति 2 / से नूणं भंते ! अप्पासबस्स अप्पकम्मस्स अप्पकिरियस्स अप्पवेदणस्स सव्वो पोग्गला भिज्जति सवयो पोग्गला छिज्जति सबो पोग्गला विद्धंसंति सब्बो पोग्गला परिविद्धंसंति सया समियं पोग्गला भिज्जति छिज्जति विद्धस्संति परिविद्धस्संति सया समियं च णं तस्त अाया सुरूवत्ताए पसत्थं नेयव्वं जाव सुहृत्ताए नो दुक्खत्ताए भुजो 2 परिणमंति ?, हंता गोयमा ! जाव परिणमंति 3 / से केणटेणं जाव. परिणमंति ?, गोयमा ! से जहानामए-वत्थस्स जल्लियस्स वा पंकियस्स वा मइल्लियस्स वा रइल्लियस्स वा थाणुपुवीए परिकम्मिजमाणस्स सुद्धणं वारिणा धोवेमाणस्स सव्वयो पोग्गला भिज्जति जाव परिणमंति, से तेणटेणं जाव परिणमंति 4 // सूत्रं 233 // वत्थस्स णं भंते ! पोग्गलोवचए किं पयोगसा वीससा ?, गोयमा ! पयोगसाचि वीससावि 1 / जहाणं भंते ! वत्थस्स णं पोग्गलोवचए पयोगसावि श्रीससावि तहा णं जीवाणं कम्मोवचए किं पयोगसा वीससा ?, गोयमा ! पयोगसा नो पीससा 2 / से केण?णं जाव नो बीससा ?, गोयमा ! जीवाणं तिविहे पयोगे पराणत्ते, तंजहा-मणप्पयोगे वइप्पयोगे कायप्पयोगे इच्चेतेणं तिविहेणं पयोगेणं जीवाणं कम्मोवचए पोगसा नो वीससा, एवं सव्वेसि पंचेंदियाणं तिविहे पयोगे .. भाणियव्वे, पुढविकाइयाणं एगविहेणं पयोगेणं एवं जाव वणस्सइकाइयाणं विगलिदियाणं दुविहे पयोगे पराणत्ते, तंजहा-वइपयोगे य कायप्पयोगे य, इच्चेतेणं दुविहेणं पयोगेणं कम्मोवचए पयोगसा नो. वीससा, से एएणणं जाव नो वीससा एवं जस्स जो पयोगो जाव वेमाणियाणं 3 // सूत्रं 234 // वत्थस्स णं भंते / पोग्गलोवचए किं सादीए सपज Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगाची) : शतकं 6 : उ०३] [REE वसिए 1 सादीए अपजवसिते 2 अणादीए -सपजवसिते 3 श्रणादीए अपजवसिते 4 ?, गोयमा ! वत्थस्स णं पोग्गलोवचए सादीए सपजवसिए नो सादीए अपज्जवसिते नो अणादीए सपजवसिते नो अणादीए अाजवसिते 1 / जहा णं भंते ! वत्थस्स पोग्गलोवचए सादीए सपजवसिते नो सादीए अपजवसिते नो श्रणादाए सपज्जवसिते नो अणादीए अपज. वसिते, तहा णं जीवाणं कम्मोवचए पुच्छा, गोयमा ! प्रत्येगतियाणं जीवाणं कम्मोवचए सादीए सपजवसिए अत्थेगतियाणं जीवाणं कम्मोवचए अणादीए सपज्जवसिए अत्थेगतियाणं जीवाणं कम्मोवचए अणादीए अपजवसिए नो चेव णं जीवाणं कम्मोवचए सादीए अप्पज्जवसिए 2 / से केण?णं जाव सादीए अपजवसिए ?, गोयमा ! ईरियावहियाबंधयस्स कम्मोवचए सादीए सपज्जवसिए भवसिद्धियस्स कम्मोवचए अणादीए साजवसिए अभवसिद्धियस्स कम्मोवचए अणादीए अपजवसिए, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चति अस्थगतियाणं जीवाणं कम्मोवचए सादीए नो चेव णं जीवाणं कम्मोवचए सादीए अपज्जवसिए 3 / वत्थे णं भंते ! किं सादीए सपजवसिए ?, चउभंगो, गोयमा ! वत्थे सादीए सपजवसिए अवसेसा तिन्नि वि पडिसेहेयव्वा 4 / जहा णं भंते ! वत्थे सादीए सपज्जवसिए नो सादीए अपजवसिए नो प्राणादीए सपज्जवसिए नो अनादीए अपजवसिए तहा णं जीवाणं किं सादीया सपज्जवसिया ? चउभंगो पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिया सादीया सपजवसिया चत्तारिवि भाणियव्वा 5 / से केण?णं जाव श्रणादीया अपजवसिया ?, गोयमा ! नेरतिया तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा गतिरागतिं पडुच्च सादीया सपजवसिया, सिद्धि(द्धा)गतिं पडुच्च सादीया अपजवसिया, भवसिद्धिया लद्धिं पडुच अणादीया सपन्जवसिया, अभवसिद्धिया संसारं पडुन अणादीया अपजवसिया भवंति, से तेण?णं जाव अपजवसिया 6 // सूत्रं 235 // Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाणावरणिजस केवतियं का सागरोवमकालसो 2 / 170 ] बीमदागमसुवासिन्धु द्वितीयो दिमाग कति णं भंते / कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्टकम्मप्पगडीयो पराणत्ता, तंजहा-णाणावरणिज्ज दरिसणावरणिज्जं जाव अंतराइयं / / नाणावरणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं बंधठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहगणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो तिन्नि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेश्रो 2 / एवं दरिमणावरणिज्जपि 3 / वेदणिज्जं जहराणेणं दो समया उक्कोसेणं जहा नाणावरणिज्जं 4 / मोहणिज्जं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीयो, सत्त य वाससहस्साणि अबाधा, अबाहूणिया कम्मठिई कम्मनिसेगो 5 / अाउगं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं त्तेत्तीसं सागरोवमाणि पुवकोडितिभागमभहियाणि, (पुवकोडिति भागो अबाहा, अबाहूणिया) कम्मट्टितीकम्मनिसेश्रो 6 / नामगोयाणं जहराणेणं अट्ठ मुहुत्ता उक्कोसेण वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो दोरिण य वाससहस्साणि अबाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेयो 7 / अंतरातियं जहा नाणावरणिज्जं 8 // सूत्रं 236 // नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ पुरिसो बंधइ नपुसयो बंधइ ? णोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसको बंधइ ?, गोयमा ! इत्थीवि बंधइ पुरिसोवि बंधइ नपुंसयोवि बंधइ, नोइत्यी नोपुरिसो नोनपुसको सिय बंधइ सिय नो बंधइ एवं श्राउगवजायो सत्त कम्मप्पगडीयो 1 / बाउगे णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ पुरिसो बंधइ नपुंसश्रो बंधइ ? पुच्छा, गोयमा ! इत्थी सिय बंधइ सिय नो बंधइ, एवं तिन्निवि भाणियबा, नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसश्रो न बंधइ 2 / णाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं कि संजए बंघइ असंजए. बंधइ ? एवं संजयासंजए बंधइ ? नोसंजयनोसंजएनोसंजयासंजए बंधति ?, गोयमा ! संजए सिय बंधति सिय नो बंधति, असंजए बंधइ संजयासंजएवि बंधइ, नोसंजएनोअसंजएनोसंजयासंजए न बंधति, एवं अाउगवजारो Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 6 : उ०३ ] [11 सत्तवि, ग्राउगे हेट्ठिला तिनि भषणाए उवरिल्ले ण बंधइ 3 / णाणावर णिज्जं णं भंते ! कम्मं किं सम्मदिट्टी बंधइ मिच्छट्ठिी बंधइ सम्मामिच्छदिट्ठी बंधइ ?, गोयमा ! सम्मदिट्टी सिय बंधइ सिया नो बंधइ, मिच्छदिट्ठी बंधइ सम्मामिच्छदिट्ठी बंधइ, एवं ग्राउगवजायो सत्तवि, पाऊए हेट्ठिला दो भयणाए सम्मामिच्छदिट्ठी न बंधइ 4 / णाणावरणिज्जं किं सरणी बंधइ श्रसन्नी बंधइ नोसरणीनोग्रसरणी बंधइ ?, गोयमा ! सन्नी सिय बंधइ सिय नो बंधइ, अप्सन्नी बंधइ नोसन्नीनोसन्नी न बंधइ, एवं वेदणिजाउगवजाओ छ कम्मप्पगडीयो, वेदणिज्जं हेट्ठिला दो बंधति, उवरिल्ले भयणाए, पाउगं हेट्ठिला दो भवणाए, उवरिल्लो न बंधइ 5 / णाणावरणिज्ज कम्मं किं भवसिद्धीए बंधइ अभवसिद्धीए बंधइ नोभवसिद्धीएनोत्रभवसिद्धीए बंधति ?, गोयमा ! भवसिद्धीए भपणाए अभवसिद्धीए बंधति नोभवसिद्धीएनोअभवसिद्धीए न बंधइ, एवं ग्राउगवजायो सत्तवि, पाउगं हेट्ठिला दो भयणाए उवरिलो न बंधइ 6 / णाणावरणिज्जं किं चरखुदंसणी बंधति अचक्खुदंसणी श्रोहिदंसणी केवलदंसणी ?, गोयमा ! हेट्टिल्ला तिनि भयणाए उवरिल्ले ण बंधइ, एवं वेदणिजवजायो सत्तवि, वेदणिज्ज हेछिल्ला तिन्नि बंधंति केवलदंसणी भयणाए 7 / णाणावरगिगज्जं कम्मं कि पजत्तयो बंधइ अपजत्तयो बंधइ नोपज्जत्तएनोपजत्तए बंधइ ?, गोयमा ! पजत्तए भयणाए, अपजत्तए बंधइ, नोपजत्तएनोअपजत्तए न बंधइ, एवं ग्राउगवजायो, भाउगं हेट्ठिला दो भयणाए उवरिल्ले ण बंधइ = | नाणावरणिज्ज कि भासाए बंधइ अभासए० ?, गोयमा ! दोवि भयणाए, एवं वेदणियवजायो सत्त, वेदणिज्जं भासए बंधइ अभासए भयणाए / णाणावरणिज्जं कि परित्ते बंधइ अपरित्ते बंधइ नोपरित्तेनोअपरित्ते बंधइ ?, गोयमा ! परित्ते भयणाए अपरित्ते बंधइ नोपरित्तेनोपरित्ते न बंधइ, एवं श्राउगवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीयो, अाउए परित्तोवि अपरित्तोवि भयणाए, नोपरित्तो. Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 172 ] .... [श्रीमदानमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमाना नोपरित्तो न बंधइ 10 / णाणावरणिज्ज कम्मं किं आभिणिबोहियनाणी बंधइ सुयनाणी श्रोहिनाणी मणपजवनाणी केवलनाणी बंधड ?, गोयमा ! हेट्ठिला चत्तारि भयणाए केवलनाणी न वंधइ, एवं वेदणिजवजाश्रो सत्तवि वेदणिज्ज हेछिल्ला चत्तारिबंधंति केवलनाणी भयणाए 11 / णाणावरणिज्ज कि मतिअन्नाणी बंधइ सुयअन्नाणी बंधइ ? विभंगनाणी बंधइ ?, गोयमा ! (सव्वेवि) बाउगवजायो सत्तवि बंधति, पाउगं भयणाए 12 / माणावरणिज्जं कि मणजोगी बंधइ वयजोगी बंधइ कायजोगी बंधइ अजोगी बंधइ ? गोयमा ! हेट्ठिला तिन्नि भयणाए अजोगी न बंधइ, एवं वेदणिजवजारो, वेदणिज्ज हेटिला बंधति अजोगी न बंधइ 13 / णाणावरणिज्जं किं सागारोवउत्ते बंधइ अणागारोवउत्ते बंधइ ?, गोयमा ! अट्ठसुवि भयणाए 14 / णाणावरणिज्ज किं श्राहारए बंधइ अणाहारए बंधइ ?, गोयमा ! दोवि भयणाए, एवं वेदणिजाबाउगवजाणं छगह, वेदणिज्ज अाहारए बंधति श्रणाहारए भयणाए, ग्राउए श्राहारए भयणाए, अणाहारए न बंधति 15 / णाणावरणिज्जं कि सुहुमे बंधइ बायरे बंधइ नोसुहुमेनोबादरे बंधइ ?, गोयमा ! सुहुमे बंधइ बायरे भयणाए नोसुहुमेनोबादरे न बंधइ, एवं थाउगवजायो सत्तवि, श्राउए सुहुमे बायरे भयणाए नोसुहुमेनोबायरे ण बंधइ 16 / णाणावरणिज्जं किं चरिमे अचरिमे बंधइ ?, गोयमा ! अट्ठवि भयणाए 17 // सूत्रं 237 // एएसि णं भंते ! जीवाणं इत्थिवेदगाणं पुरिसवेदगाणं नपुंसगवेदगाणं अवेयगाण य कयरे 2 अप्पा वा 4?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पुरिसवेदगा इत्थिवेदगा संखेजगुणा अवेदगा अणंतगुणा नपुंसगवेदगा अणंतगुणा 1 / एएसि सव्वेसि पदाणं अप्पबहुगाई उच्चारेयव्वाइं जाव सव्वत्थोवा जीवा अचरिमा चरिमा अणंतगुणा 2 / सेवं भंते ! से भंते ! ति जाव विहरति 3 // सूत्र 238 // छट्टसए तइत्रो उद्दे सो समत्तो॥ // इति पहशतके तृतीय उद्देशकः // 6-3 // Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 6 : 04 ]. // अथ षष्ठशतके प्रदेशाख्य-चतुर्थोद्देशकः // ___जीवे णं भंते ! कालाएसेणं किं सपदेसे प्रादेसे ?, गोयमा ! नियमा सपदेसे 1 / नेरतिए णं भंते ! कालादेसेगां किं सपदेसे अपदेसे ?, गोयमा ! सिय सपदेसे सिय अपदेसे, एवं जाब सिद्धे 2 / जीवा णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा अपदेसा ?, गोयमा ! नियमा सपदेसा 3 / नेरइया णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा अपदेसा ?, गोयमा ! सव्वेसि ताव होजा सपदेसा 1 श्रवा सपएमा य अपदेसे य 2 अहवा सपदेसा य अपदेसा य 3, एवं जावं थणियकुमारा 4 / पुढविकाइया णं भंते ! किं सपदेसा अपदेसा ?, गोयमा ! सपदेसावि अपदेसावि, एवं जाव वणप्फइकाइया, सेसा जहा नेरइया तहा जाव सिद्धा 5 / श्राहारगाणां जीवेगेंदियवज्जो तियभंगो, अणाहारगाणां जीवेगिंदियवजा छन्भंगा एवं भाणियव्वा-सपदेसा वा 1 अपएसा वा 2 ग्रहवा सपदेसे य अप्पदेसे य 3 अहवा सपदेसे य अपदेसा य 4 अहवा सपदेसा य अपदेसे य 5 अहवा सपदेसा य अपदेसा य 6, सिद्धेहिं तियभंगो, भवसिद्धिया अभवसिद्धिया जहा श्रोहिया, नो भवसिद्धियनोत्रभवसिद्धिया जीवसिद्धेहिं तियभंगो, सगणीहिं जीवादियो तियभंगो, असरणीहिं एगिदियवजो तियभंगो, नेरइयदेवमणुएहिं छब्भंगो, नोसन्निनोअसन्निजीवमणुयसिद्धेहिं तियभंगो, सलेसा जहा श्रोहिया 6 / कराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्ला जहा आहारयो नवरं जस्स अस्थि एयायो, तेउलेस्साए जीवादियो तियभंगो, नवरं पुढविकाइएसु पाउवणप्फतीसु छभंगा, पम्हलेसमुक्कलेस्साए जीवादिश्रोहियो तियभंगो, अलेसीहिं जीवसिद्धेहिं तियभंगो मणुस्से छभंगा 7 / सम्मदिविहि जीवाइतियभंगो, विगलिदिएसु छन्भंगा, मिच्छदिट्टिहिं एगिदियवज्जो तियभंगो सम्मामिच्छदिटिहिं छभंगा 8 / संजएहिं जीवाइयो तियभंगो, असंजएहिं एगिदियवजो तियभंगो, संजयासंजएहिं तियभंगो जीवादियो, नोसंजयनोत्रसंजयनोसंजया Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 174 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / द्वितीयो विभागः संजय-जीवसिद्धेहिं तियभंगो / सकसाईहिं जीवादियो तियभंगो, एगिदिएसु अभंगकं, कोहकसाईहिं जीवएगिदियवजो तियभंगो, देवेहि छभंगा, माणकसाईमायाकलाई जीवेगिदियवजो तियभंगो, नेरतियदेवहिं छन्भंगा, लोभकसाईहिं जीवेगिदियवजो तियभंगो, नेरतिएसु छन्भंगा, अकसाईजीवमणुएहिं सिद्धेहिं तियभंगो 10 / श्रोहियनाणे श्राभिणियोहियनाणे सुयनाणे जीवादियो तियभंगो विगलिंदिहिं छन्भंगा, योहिनाणे मणपजवनाणे केवलनाणे जीवादियो तियभंगो, योहिए अन्नाणे मति अरणाणे सुयराणाणे एगिंदियवजो तियभंगो, विभंगनाणे जीवादियो तियभंगो, सजोगी जहा श्रोहियो 11 / मणजोगी वयजोगी कायजोगी जीवादियो तियभंगो नवरं काय जोगी एगिदिया तेसु अभंगकं, अजोगी जहा अलेसा, सागारोवउत्तेत्रणागारोवउत्ते जीवएगिदियवजो तियभंगो सवेयगा य जहा सकसाई 12 / इत्थिवेयगरिसवेयगनपुसगवेयगेसु जीवादियो तियभंगो, नवरं नसगवेदे एगिदिएसु, अभंगयं, अवेयगा जहा अकंसाई 13 / ससरीरी जहा श्रोहियो, थोरालियवेउब्वियसरीराणं जीवएगिदियवज्जो तियभंगो, थाहारगमरीरे जीवमणुएसु छभंगा, तेयगकम्मगाणं जहा श्रोहिया, असरीरेहिं जीवसिद्धेहिं तियभंगो 14 / आहारपजत्तीए सरीरपजत्तीए इंदियपज्जत्तीए ग्राणापाणुपज्जत्तीए जीवगिदियवजो तियभंगो, भासमणपजतीए जहा सराणी, आहारयजत्तीए जहा अणाहारगा, सरीरअपजत्तीए दियअपजत्तीए आणापाणअपजत्तीए जीवेगिदियवजो तियभंगो, नेरइयदेवमणुएहिं छभंगा, भासामणअपजत्तीए जीवादियो तियभंगो, णेरड्यदेवमणुएहिं छन्भंगा 15 / गाहा-सपदेसा श्राहारभवियसनिलेस्सा दिट्ठी संजयकसाए / णाणे जोगुपयोगे वेदे य सरीरपजत्ती // 1 // // सूत्रं 231 // जीवा णं भंते ! किं पञ्चक्खाणी अपञ्चरखाणी पञ्चक्खाणापञ्चखाणी ?, गोयमा ! पचक्खाणीवि अपञ्चक्खाणीवि पञ्चक्खाणापञ्चवखाणीवि Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्रं शतकं 6 : उ०५] [176 1 / सबजीवाणं एवं पुच्छा, गोयमा! नेरइया अपच्चक्खाणी जाव चारिदिया, सेता दो पडिसेहेयजा, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया नो पञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणीवि पञ्चक्खाणापचक्खाणीवि, मणुस्सा तिन्निवि, सेसा जहा नेरतिया 2 / जीवा णं भंते ! कि पच्चक्खाणं जाणंति अपञ्चक्खाणं जाणंति पञ्चक्खाणापञ्चाखाणं जाणंति ?, गोयमा ! जे पंचेंदिया ते तिन्निवि जाणंति श्रवसेसा पचक्खाणं न जाणंति 3, 3 / जीवा णं भंते ! किं पञ्चक्खाणं कुव्वंति अपञ्चक्खाणं कुवंति पञ्चक्खाणापच्चक्खाणं कुवंति ?, जहा श्रोहिया तहा कुवणा 4 / जीवा णं भंते ! किं पचक्खाणनिधत्तियाउया अपञ्चक्खाणणिबत्तियाउया पचक्खाणापञ्चक्खाणनिव्वत्तियाउया ?, गोयमा ! जीवा य वेमाणिया य पञ्चखाणणिव्वत्तियाउया तिन्निवि, श्रवसेसा अपञ्चक्खाणनिवत्तियाउया 5 / पञ्चक्खाणं 1 जाणइ 2 कुव्वति 3 तिन्नेव पाउनि बत्ती 4 / सपदेसुद्द संमि य एमेए दंडगा चउरो // 1 // सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाब विहरति // सूत्रं 240 // छ? सए चउत्थो उद्दे सो॥ // इति षष्ठशतके चतुर्थ उद्देशकः // 6--4 / / // अथ षष्ठशतके तमस्कायाख्य पञ्चमोद्देशकः // किमियं भंते ! तमुक्काएत्ति पवुच्चइ ? किं पुढवी तमुक्काएत्ति पवुञ्चति ? श्राऊ तमुक्काएत्ति पवुच्चति ? गोयमा ! नो पुढवी तमुक्काएत्ति पञ्चति श्राऊ तमुक्काएत्ति पवुच्चति 1 / से केण?णं जाव पवुञ्चति ?, गोयमा ! पुढविकाए णं अत्थेगतिए सुभे देसं पकासेति अत्यंगइए देसं नो पकासेइ, से तेण?णं जाव पवुञ्चति 2 / तमुकाए णं भंते ! कहिं समुट्ठिए ? कहिं संनिट्ठिए ?, गोयमा ! जंबुद्दीवस्स 2 बहिया तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवतित्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिलायो वेतियन्तायो अरुणोदयं समुह बायालीसं जोयणसहस्साणि श्रोगाहित्ता उवरिलायो जलंतायो Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमानी एकपदेसियाए सेटीए इत्थ णं तमुक्काए समुट्टिए, सत्तरस एकवीसे जोयणसए उड्डे उप्पइत्ता तो पच्छा तिरियं पवित्थरमाणे 2 सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिदे चत्तारिवि कप्पे प्रावरित्ताणं उड्डपि य णं जाव बंभलोगे कप्पे रिट्ठविमाणपत्थडं संपत्ते एत्थ णं तमुक्काए णं संनिट्ठिए 3 / तमुक्काए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! अहे मल्लगमूलसंठिए उप्पिं कुकडगपंजरगसंठिए पराणत्ते 4 / तमुक्काए णं भंते ! केवतियं विखंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा–संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडे य, तत्थ णं जे से संखेजवित्थडे से गं संखेजाई जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं असंखेजाइं जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पन्नताई, तत्थ णं जे से असंखिजवित्थडे से णं असंखेज्बाई जोयणसहस्साई विवखंभेणं असंखेजाई. जोयणसहस्साई परिवखेवेणं पराणत्ताई 5 / तमुक्काए णं भंते ! केमहालए पराणत्ते ?, गोयमा ! अयं णं जंबुद्दीवे 2 सव्वदीवसमुदाणं सव्वभंतराए जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते 6 / देवे णं महिड्डीए जाव महाणुभावे इणामेव 2 तिकट्टु केवलकप्पं जंबुद्दीवं 2 तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तखुत्तो घणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छिजा से णं देवे ताए उकिटाए तुरियाए जाव देवगईए वीईवयमाणे 2 जाव एकाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्कोसेणं छम्मासे वीतीवएजा अत्थेगतियं तमुक्कायं वीतीवएना अत्यंगतियं नो तमुक्कायं वीतीवएना, एमहालए. णं गोयमा / तमुक्काए पन्नत्ते 7 / अस्थि णं भंते ! तमुकाए गेहाति वा गेहावणाति वा ?, णों तिण? सम? 8 / अत्थि णं भंते !, तमुक्काए गामाति वा जाव संनिवेसाति वा ?, णो तिण? समढे 1 / अस्थि णं भंते ! तमुक्काए अोराला बलाहया संसेयंति संमुच्छति संवासंति वा ?, हंता अत्थि 10 / तं भंते ! किं देवो पकरेति असुरो पकरेति नागो पति ?, गोयमा ! देवोवि पकरेति अनुरोवि पकरेति Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मगदुष्पाख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सत्र : शतकं 6 : 30 ] 107 णागोवि पकरेति 11 / अस्थि णं भंते ! तमुकाए बादरे थणियसबे वायरे विज्जुए ?, हंता अस्थि 12 / तं भंते ! किं देवो पकरेति 3 ?, तिन्निवि पकरेति ? यत्थि णं भंते ! तमुकाए बायरे पुढविकाए बादरे अगणिकाए ?, णो तिण? सम? णरणत्थ विग्गहगति-समावन्नएणं 13 / अस्थि णं भंते ! तमुकाए चेदिमसूरिय-गहगण-णक्खत्त-तारारूवा ?, णो तिण8 समढे पलियस्सतो पुण अस्थि 14 / अस्थि णं भंते ! तमुकाए चंदाभाति वा सूराभाति वा ?, णो तिण? समढे, कादूसणिया पुण सा 15 / तमुकाए णं भंते ! केरिसए वन्नेणं पण्णत्ते ?, गोयमा ! काले कालावभासे गंभीरलोम-हरिसजणणे भीमे उत्तासणाए परमकिराहे वन्नेणं पराणत्ते, देवेवि णं प्रत्येगतिए जे णं तप्पढमयाए पासित्ता णं खुभाएजा अहे णं अभिसमागच्छेजा तो पच्छा सीहं 2 तुरियं 2 खिप्पामेव वीतीवराजा 16 / तमुकायस्स णं भंते ! कति नामधेजा पराणता ?, गोयमा ! तेरस नामधेजा परणत्ता, तंजहा-तमेति वा तमुकाएति वा अंधकारेइ वा महांधकारेइ वा लोगंधकारेइ वा लोगतमिस्सेइ वा देवंधकारेति वा देवतमिस्सेति वा देवरन्नेति वा देववूहेति वा देवफलिहेति वा देवपडि. क्खोभेति वा अरुणोदएति वा समुद्दे 17 / तमुकाए णं भंते ! किं पुढवीपरिणामे पाउपरिणामे जीवपरिणाम पोग्गलपरिणामे ?, गोयमा ! नो पुढवोपरिणामे पाउपरिणामेवि जीवपरिणामेवि पोग्गलपरिणावि.१८ / तमुकाए णं भंते ! सव्वें पाणा भूया जीवा सत्ता पुढविकाइयत्ताए जाव तसकाइयत्ताए उपवनपुव्वा ?, हंता गोयमा ! असतिं अदुवा अणंतखुत्तो णो चेव णं बादर-पुढविकाइयत्ताए बादर-अगणिकाइयत्ताए वा 11 // सूत्रं 241 // कति णं भंते ! कराहराईनो परणत्तायो ?, गोयमा अट्ट कराहराईश्रो पराणत्तायो 1 / कहि णं भंते ! एयायो अट्ट कराहराईश्रो पराणत्ताश्रो. ?, गोयमा ! उप्पिं सणंकुमार-माहिंदाणं Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदागमनुवासिन्धुः / द्वितीयो विमान कम्पाणं हिटुं भलोए: कप्पे : रिटे, धिमाणे : पत्थडे, एत्य णं अखाडग-समचउरंस-संगणसंठियायो अट्ठ :कराहरातीत्रो. पराणान्तायो, तंजहा-पुरच्छिमेणं दो पञ्चत्थिमेणं दो दाहिणेणं दो उत्तरेणं दो, पुरच्छिमभंतरा कराहराई दाहिणं बाहिरं कराहरातिं पुट्ठा, दाहिणमंतरा कराहराती पञ्चत्थिमबाहिरं कराहराई पुट्ठा, पचत्थिमभंतरा कराहराई उत्तरबाहिरं कराहरातिं पुट्ठा, उत्तरमभंतरा कराहराती पुरच्छिमबाहिरं कराहराति पुट्ठा, दो पुरच्छिमपञ्चत्थिमाश्रो बाहिरायो कराहरातीमो छलंसायो दो उत्तरदाहिणबाहिरायो कराहरातीनो तंसायो दो पुरच्छिमपञ्चत्थिमायो अभितरायो कराहरातीयो चउरंसायो दो उत्तरदाहिणायो अभितरायो कराहरातीयो चउरंसायो 2 / 'पुव्वावरा छलंसा तंसा पुण दाहिणुत्तरा बझा। अभंतर चरंसा सव्वावि य कराहरातीभो॥ 1 // ' कराहराईश्रो णं भंते ! केवतियं आयामेणं केवतियं विक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पराणत्तानों ?, गोयमा ! असंखेजाइं जोयणसहस्साइं पायामेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं असंखेजाइं जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पराणत्तायो 3 / कराहरातीणो णं भंते ! केमहालियायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अयगणं जंबुद्दीवे. 2 जाव श्रद्धमासं वीतीवएज्जा प्रत्थेगतियं कराहराती, वीतीवएज्जा अत्यंगइयं , कगहराती गो वीतीवएजा, एमहालियायो णं गोयमा / कराहरांतीयो पराणत्तायो। अस्थि णं भंते. ! कराहरातीसु गेहाति: वा गेहावणाति वा ?, नो तिण? समढे 4 / अस्थि णं, भंते ! कराहरातीसु गामाति. वा गामावणाति वा ?, णो तिण? सम? 5 / अस्थि णं भंते ! कराहरातीसु श्रोराला: बलाहया समुच्छंति 3 1, हंता अस्थि 6 / तं भते ! कि देवो पकरेति:३१, गोयमा ! देवो पकरेति नो असुरो नो नागो य / अस्थि णं भंते ! कपहराईसुबादरे थणियसद्दे ? जहा पोराला तहा 73 अस्थि णं भवे / Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदव्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 6 : उ०५] [1m कराहराईए बादरे श्राउकाए बादरे अगणिकाए बायरे वणप्फइकाए ?, णो तिण? सम8, णगणत्थं विग्गहगति-समावन्नएणं 8 / अस्थि णं भंते ! तमुकाए चंदिमसूरियगहगण-वक्खत्त-ताराख्वा ?, णो तिण? समढे 1 / अस्थि णं कराह० चंदाभाति वा 2 ?, णो तिण? समढे 10 / कराहरातीयो णं भंते ! केरिसियायो वन्नेणं पत्नत्तायो ?, गोयमा ! कालाो जाव खिप्पामेव वीतीवएजा 11 / कराहरातीयो णं भंते ! कति नामधेजा पराणत्ता ? गोयमा ! अट्ठनामधेजा पराणत्ता, तंजहा-कराहरातित्ति वा मेहरातीति वा मघा(घ)ति वा माघवतीति वा वायफलिहेति वा वायपलिक्खोभेइ वा देवफलिहेइ वा देवपलिक्खोभेति वा 12 / कराहरातीणो णं भंते ! किं पुढविपरिणामाश्रो ग्राउपरिणामायो जीवपरिणामायो पुग्गलपरिणामाश्रो ?, गोयमा ! पुढवीपरिणामायो नो श्राउपरिणामायो जीवपरिणामायो वि पुग्गलपरिणामायो वि 13 / कराहरातीसु णं भंते ! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता उववन्नपुब्बा ?, हंता गोयमा ! असइंअदुवा श्रणंतखुत्तो नो चेव णं बादर घाउकाइयत्ताए बादरअगणिकाइयत्ताए वा बादरवणप्फतिकाइयत्ताए वा 14 // सूत्रं 242 // एतेसि णं अट्ठराहं कराहराईणं अट्ठसु उवासंतरेसु अट्ठ लोगंतियविमाणा पराणत्ता, तंजहा-१ अची 2 अचिमाली 3 वइरोयणे 4 पभंकरे 5 चंदाभे 6 . सूराभे 7 सुकामे 8 सुपतिट्ठाभे मज्झे 1 रिटाभे 1 / कहि णं भंते ! अचीविमाणे पराणते ?, गोयमा ! उत्तरपुरच्छिमेणं 2 / कहि णं भंते ! अचिमालीविमाणे पराणते ?, गोयमा ! पुरच्छिमेणं, एवं परिवाडीए नेयव्वं जाव कहि णं भंते ! रिटे विमाणे पराणते ?, गोयमा ! बहुमज्झदेसभागे 3 / एएसु णं अट्ठसु लोगंतियविमाणेसु अट्ठविहा लोगंतियदेवा परिवसंति, तंजहा-सारस्सयमाइचा वराही वरुणा य गद्दतोया य। तुसिया अब्वाबाहा अग्गिचा चेव रिट्ठा य॥ 1 // कहि णं भंते ! सारस्सया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागेमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमागर अचिविमाणे परिवसंति 4 / कहि णं भंते ! श्रादिच्चा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! अचिमालिविमाणे परिवसंति 5 / एवं नेयव्वं जहाणुपुब्बीए जाव कहि णं भंते ! रिट्ठा देवा परिखसंति , गोयमा ! रिटुविमाणे 6 / सारस्सयमाइचाणं भंते ! देवाणं कति देवा कति देवसया पगणता ?, गोयमा ! सत्त देवा सत्त देवसया परिवारो पराणत्तो, वराहीवरुणाणं देवाणं चउद्दस देवा चउद्दस देवसहस्सा परिवारो पराणत्तो, गइतोयतुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्त देवसहस्सा पराणत्ता, श्रवसेसाणं नव देवा नव देवसया परणत्ता-पढमजुगलम्मि सत्त उ सयाणि बीयमि चोदससहस्सा / तइए सत्तसहस्सा नव चेव सयाणि सेसेसु // 1 // ' लोगंतिगविमाणा णं भंते ! किंपतिट्टिया पराणत्ता ?, गोयमा ! वाउपइट्ठिया (तदुभयपतिट्ठिया) पराणत्ता, एवं नेयव्वं 7 / विमाणाणं पतिट्ठाणं बाहल्लुच्चत्तमेव संगणं / ' बंभलोयवत्तव्वया नेयवा [जहा जीवाभिगमे देवुद्देसए ] जाव हंता गोयमा ! असतिं अदुवा अणंतखुत्तो। नो चेव णं देवित्ताए 8 / लोगंतियविमाणेसु णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! अट्ट सागरोवमाई ठिती पराणत्ता 1 / लोगंतियविमाणेहिंतो णं भंते ! केवतियं अबाहाए लोगंते पण्णत्ते ?, गोयमा ! असंखेजाई जोयणसहस्साई अबाहाए लोगंते पण्णत्ते 10 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 11 // सूत्रं 243 // // इति षष्ठशतके पश्चम उद्देशकः // 6-6 // // अथ षष्ठशतके भव्याख्य-पष्ठोद्देशकः // कति णं भंते ! पुढवीबो पराणत्तायो ?, गोयमा ! सत्त पुढवीयो पराणत्तायो, तंजहा-रयणप्पभा जाव तमतमा, रयणप्पभादीणं यावासा भाणियन्वा जाव अहेसत्तमाए, एवं जे जत्तिया श्रावासा ते भाणियव्वा Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमठ्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) : शतकं 6 : उ० 6 ] (181 जाव कति णं भंते ! अणुत्तरविमाणा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच श्रणुत्तरविमाणा पाणता, तंजहा-विजए जाव सबट्टसिद्धे // सूत्रं 244 // जीवे णं भंते ! मारणतिय समुग्पारणं समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास सयसहस्सेसु अन्नयरंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उपवजितए से णं भंते ! तत्थगते चेव अाहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेजा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए तत्थगए चेव थाहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेज वा, अत्यंगतिए तो पडिनियत्तति, ततो पडि. नियत्तित्ता इहमागच्छति 2 दोच्चंपि मारणंतियसमुग्घाएणं समोहणइ 2 इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अन्नयरंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववजित्तए, ततो पच्छा थाहारेज वा परिणामेज वा सरीरं या बंधेजा एवं जाव अहेमत्तमा पुढवी 1 / जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए 2 जे भविए चउसट्ठीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु अत्रयरंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारत्ताए उपवजित्तए जहा नेरझ्या तहा भाणियब्बा जाव थणियकुमारा 2 | जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए 2 जे भविए असंखेज्जेसु पुढवि. काइयावाससयसहस्सेसु अरणयरंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! मंदरस्स पब्वयस्स पुरच्छिमेणं केवतियं गच्छेन्जा केवतियं पाउणेजा ?, गोयमा ! लोयंत गच्छेजा लोयंत पाउणिजा, से णं भंते ! तत्थगए. चेव अाहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेजा ?, गोयमा ! प्रत्येगतिए तत्थगए चेव आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेज प्रत्येगतिए तो पडिनियत्तति 2 ता इह हव्वमागच्छइ 2 त्ता दोच्चपि मारणंतियसमुग्घाएणं समोहणति 2 ता मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं अंगुलस्स असंखेजभागमेत्तं वा संखेजतिभागमेत्तं वा वालग्गं वा वालग्गपुहुत्तं वा एवं लिक्खं जयं जवं अंगुलं जाव जोयणकोडिं वा Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 281 [ भीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागका जोयणकोडाकोडिं वा संखेज्जेसु वा असंखेज्जेसु वा जोयणसहस्सेसु लोगंते वा. एगरदेसियं सेढिं मोत्तूण असंखेज्जेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अनयरंसि पुढविकाइयावाससि ,पुढविकाइयत्ताए उववज्जेत्ता. तो पच्छा श्राहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेजा, जहा पुरच्छिमेणं मंदरस्स पव्वयस्स घालावो भणियो एवं दाहिणेणं पञ्चस्थिमेणं उत्तरेणं उड्डे अहे, जहा पुढविकाइया तहा एगिदियाणं सव्वेसि, एक्केकस्स छ अालावया भाणियन्वा 3 / जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए 2 ता जे भविए असंखेज्जेसु बेदियावास-सयसहस्सेसु श्रणयरंसि दियावासंसि बेइंदियत्ताए उववजित्तए से णं. भंते ! तत्थगए चेव श्राहारेज वा परिणमेज वा सरीरं वा बंधेजा ? जहा नेरइया, एवं जाव अणुत्तरोववाइया 4 / जीवे णं भंते ! मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहए 2 जे भविए एवं पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महाविमाणेसु. अन्नयरंसि श्रणुत्तरविमाणंसि अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववजित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव जाव श्राहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा बंधेज 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते / ति जाव विहरति 6 // सूत्रं . 215 // पुढविउद्दे सो समत्तो॥ // इति षष्टशतके षष्ठ उद्देशकः // 6-6 // // अथ षष्ठशतके शालीनामक-सप्तमोद्देशकः // . श्रह णं भंते ! सालीणं वीहीणं गोधूमाणं जवाणं जवजवाणं एएसि णं धन्नाणं कोढाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं. मंचाउत्ताणं मालाउत्ताणं उल्लिचाणं लित्ताणं पिहियाणं मुहियाणं लंछियाणं केवतियं कालं जोणी संचिट्ठइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि संवच्छराई तेण परं जोणी पमिलायह तेण परं जोणि पविद्धंसइ तेण परं बीए अबीए Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्यास्यविज्ञप्ति श्रीमद्भगवती) सत्रं : शतकं 6 : उ०७ ) [ 141 भवति सेण पर जोणीवोच्छेदे पत्नत्ते समणाउसो! / अंह भंते ! कलाय: मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निष्फाव-कुलत्थ-प्रालिसंदग--सतीण-पलिमंथगमादीणं एएसि धन्नाणं केवतियं कालं जोणी संचिट्ठति ?, जहा सालीणं तहा एयाणवि, नवरं पंच संबच्छराई, सेसं तं चेत्र 2 / यह भंते ! अयसिकुसुभग-कोद्दव-कंगु-वरग-रालग-कोदूसग-सण-सरिसव-मूलगबीयमादीणं एएसिणं धनाणं केवतियं कालं जोणी संचिट्ठति , एयाणिवि तहेव, नवरं सत्त संवच्छराई, सेसं तं चेव 3 // सूत्र 246 // एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवतिया ऊसासद्धा वियाहिया ?, गोयमा असंखेंजाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा श्रावलियत्ति पवुच्चइ, संखेजा श्रावलिया ऊसासो संखेजा श्रावलिया निस्सासो 1 / हट्टस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिटुस्स जंतुणो। एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुचति॥ 1 // सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे / लवाणं सत्तहत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए // 2 // तिन्नि सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरिं च ऊसासा / एस मुहुत्तो दिट्ठो सव्वेहि अणतनाणीहिं / / 3 // एएणं मुहृत्तपमाणेणं तीसमुहुत्तो अहोरत्तो, पनरस. अहोरत्ता पक्खो दो पक्खा मासो दो मासा उऊ तिन्निं उउए अयणे दो श्रयणे संवच्छरे पंचसंवच्छरिए जुगे वीसं जुगाई वाससयं दस वासंसयाई वासस. हस्सं सयं वाससहस्साई वाससयसहस्सं चउरासीति वाससयंसहस्साणि से एगे पुवंगे चउरासीती पुग्वंगसयसहस्साइं से एगे पुव्वे, एवं तुडिअंगे तुडिए, अडडंगे अडडे, अववंगे अववे, हुहुअंगे हुहुए, उप्पलंगे उप्पले, पउमंगे पउमे, नलिणंगे नलिणे, अत्यनिउरंगे अनिउरे, उअंगे श्रउए, पउअंगे पउए य, नउग्रंगे नउए यं, चूलिअंगे चूलिया य, सीसपहेलिअंगे सीसपहेलिया, एताव ताव गणिए एताव ताव गणियस्स. विसए, तेण परं श्रोवमिए 2 से किं तं श्रोवमिए, र दुविहे. पराणते तंजहा पलिग्रोवमे य सागरोवमे य, से कि तं पलिभोवमे ? से किं तं सागरोवमे ? सत्येण Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 184] [ भीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो दिमागरसुतिखेणवि छेत्तु भेत्तु च जं किर न सका / तं परमाणु सिद्धा बयंति श्रादि पमाणाणं // 1 // अणंताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा उस्मराहमरिहयाति वा सराहसरिहयाति वा उड्रेणूति वा तसरेणूति वा रहरेणूति वा वालग्गेइ वा लिक्खाति वा जूयाति वा जवमज्मेति वा अंगुलेति वा, अट्ठ उस्सराहसरिहयायो सा एगा सराहसरिहया अट्ठ सराहसरिहयात्रो सा एगा उढरेणू अट्ठ उढरेणूत्रो सा एगा तसरेणू अट्ठ तसरेणूत्रो सा एगा रहरेणू अट्ठ रहरेणूत्रो से एगे देवकुरु उत्तरकुरु- . गाणं मणूसाणं वालग्गे एवं हरिखास-रम्मग-हेमवत-एरनवयाणं पुव्वविदेहाणं मणूसाणं अट्ठ वालग्गा सा एगा लिक्खा अट्ट लिक्खायो सा एगा जूया, अट्ठ जूयात्रो से एगे जवमज्झे अट्ट जवमझायो से एगे अंगुले, एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाणि पादो बारस अंगुलाई विहत्थी चउव्वीसं अंगुलाई रयणी अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी छन्नउति अंगुलाणि से एगे दंडेति वा धणूति वा जूएति वा नालियाति वा अक्खेति वा मुसलेति वा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो घणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाई जोयणं, एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं थायामविक्खंभेणं जोयणं उडे उच्चत्तेणं तं तिउणं सविसेसं परिरएणं, से णं एगाहिय-बेयाहिय. तेयादिय उक्कोसं सत्तरत्तप्परूढाणं संमद्धे संनिचिए भरिए वालग्गकोडीणं, से णं वालग्गे नो अग्गी दहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुत्थेजा नो परिविद्धंसेजा नो प्रतित्ताए हव्वमागच्छेजा, ततो णं वाससए 2 गते एगमेगं वालग्गं अवहाय जावतिएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निम्मले निट्ठिए निल्लेवे अवहडे विसुद्धे भवति, से तं पलियोवमे 3 / गाहा-एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया। तं सागरोवमस्स उ एकस्स भवे परिमाणं // 1 // एएणं सागरोवमपमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयो कालों सुसमसुसमा 1 तिन्नि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसमा 2 दो Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याच्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 6 : उ०८] सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसमदूसमा 3 एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं उणिया कालो दूसमसुसमा 4 एकवीसं वाससहस्साई कालो दूसमा 5 एकवीसं वाससहस्साई कालो दूसमदूसमा 6, 4 / पुणरवि श्रोसप्पिणीए एकवीसं वाससहस्साई कालो दूसमदूसमा 1 एकवीसं वाससहस्साइं जाव चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसमसुसमा, दस सागरोवमकोडाकोडीयो कालों श्रोसप्पिणी दस सागरोवमकोडाकोडीयो कालो उस्सप्पिणी, वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो कालो श्रोसप्पिणी. य उस्सप्पिणी य 5 // सूत्रं 247 // जंबद्दीवे णं भंते ! दीवे इमीसे श्रोसप्पिणीए मुसमसुसमाए समाए उत्तमट्टपत्ताए: भरहस्स वासस्स केरिसए यागारभावपडोयारे होत्था ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहानामए-श्रालिंगपुक्खरेति वा एवं उत्तरकुरुवत्तव्वया नेयवा जाव ग्रासयंति सयंति, तीसे णं समाए भारहे वासे तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 बहवे अोराला कुदाला जाव कुस-विकुस-विसुद्ध-रुक्खमूला जाव छबिहा मणुस्मा अणुसजित्था पराणत्ता, तंजहा-पम्हगंवा. 1 मियगंधा 2 श्रममा 3 तेयली 4 सिहासणिं 5 चारि 6, 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाब विहरति 2 // सूत्रं 248 // // इति षष्टशतके सप्तम उद्देशकः // 6-7 // // अथ षष्ठशतके पृथिवीनामकाष्टमोद्देशकः // . / कइ णं भंते ! पुस्खीयो पन्नत्तायो?, गोयमा ! अट्ठ पुढवीयो पराणत्तायो, तंजहा-रयणप्पभा जाव इसीप्प भारा 1 / अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे गेहाति वा गेहावणाति या ?, गोयमा ! णो तिणढे सम? 2 / अस्थि aaN भंते ! इमीसे स्यणप्पभाए अहे गामाति वा जाव संनिवेसाति वा ? नो तिणढे सम? 3 / अस्थि णं भंते / इमीसे 24 Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमानः रयणप्पभाए पुढवीए श्रहे उराला बलाहया संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति ?, हंता अस्थि, तिन्निवि पकरेंति देवोवि पकरेति असुरोवि पकरेति नागोवि पकरेति 4 / अस्थि णं भते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बादरे थणियसबे ?, हेता अस्थि, तिन्निवि पकरेंति 5 / अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे बादरे अगणिकाए ?, गोयमा ! नो तिण? सम8, नन्नत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं 6 / अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे चंदिम जाव ताराख्वा ?, नो तिण? समढे 7 / अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुटवीए चंदाभाति वा 2 ?, णो इण8 सम?, एवं दोबाणवि पुढविए भाणियब्वं, एवं तच्चाएवि भाणियव्वं, नवरं देवो वि पकरेति असुरोवि पकरेति णोणागो पकरेति, चउत्थाएवि एवं नवरं देवो एकोपकरेति नो असुरो एको पकरेतिनो नागो एको पकरेति, एवं हेडिल्लासु सव्वासु देवो एको पकरेति 8 / अस्थि णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं अहे गेहाइ वा 2 ?, नो इण? सम? 1 / अस्थि णं भंते ! उराला बलाहया ? हंता अस्थि, देवो पकरेति असुरोवि पकरेइ नो नायो पकरेइ, एवं थणियसहोवि 10 / अत्थि णं भंते ! बायरे पुढविकाए बादरे अगणिकाए ?, णो इण8 समठे, नराणस्थ विग्गहगति-समावन्नएणं 11 / थथि णं भंते ! चंदिम-सूरिय-गहगण-नवखत्त-ताराख्वा ?, णो तिण? सम? .12 / अस्थि णं भंते ! गामाइ वा ?, णो तिण? सम? 13 / अस्थि णं भंते ! चंदाभाति वा ?, गोयमा / यो तिण8 सम? 14 / एवं सणकुमारमाहिदेसु नवरं देवो एगो पकरेति 15 / एवं बंभलोएवि 16 / एवं बंभलोगस्स उवरि सबहिं देवो पकरेति, पुच्छियव्वो य, बायरे पाउकाए बायरे अगणिकाए बायरे वणस्सइकाए, अन्नं तं चेव 17 / गाहा-तमुकाए कप्पपणए अगणी पुढवी य अगणि पुढवीसु / श्राऊतेउवणस्सइ कप्पुपरिमकराहराईसु // 1 // सूत्रं 241 // Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 6 :: 08] कतिविहे णं भंते ! पाउयबंधए पन्नत्ते ?, गोयमा ! छबिहा श्राउयगंधा पन्नत्ता, तंजहा-जातिनाम-निहत्ताउए 1 गतिनाम-निहत्ताउए 2 ठितिनाम-निहत्ताउए 3 ओगाहणानाम-निहत्ताउए 4 पएसनाम-निहत्ताउए 5 अणुभागनाम-निहत्ताउए 6 दंडयो जाव वेमाणियाणं 1 / जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिहत्ता जाव अणुभागनिहत्ता ?, गोयमा ! जातिनामनिहत्तावि जाव अणुभागनामनिहत्तावि, दंडयो जाव वेमाणियाणं 2 / जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिहत्ताउया जाव अणुभागनामनिहत्ताउया ?, गोयमा ! जाइनामनिहत्ताउयावि जाव अणुभागनामनिहत्ताउयावि, दंडयो जाव वेमाणियाणं 3 / एवं एए दुवालस दंडगा भाणियव्वा 4 / जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहत्ता 1 जाइनामनिहत्ताउया 21, 12 | जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिउत्ता 3 जातिनामनिउत्ताउया 4 जाइगोयनिहत्ता 5 जाइगोयनिहत्ताउया 6 जातिगोयनिउत्ता 7 जाइगोयनिउत्ताउया 8 जाइणामगोनिहत्ता 1 जाइणामगोयनिहत्ताउया 10 जाइणामगोयनिउत्ता 11 ? जीवा णं भंते ! किं जाइनामगोयनिउत्ताउया 12 जाव अणुभागनामगोयनिउत्ताउया ?, गोयमा ! जाइनाम गोयनिउत्ताउयावि जाव अणुभागनाम-गोयनिउत्ताउयावि दंडयो जाव वेमाणियाणं 5 // सूत्र 250 // लवणे णं भंते ! समुद्दे कि उस्सियोदए पत्थडोदए खुभियजले अखुभियजले ?, गोयमा ! लवणे णं समुद्दे उसियोदए नो पत्थडोदए खुभियजले नो अखुभियनले एत्तो थाढत्तं जहा जीवाभिगमे जाव से तेण० गोयमा ! बाहिरया णं दीवसमुद्दा पुन्ना पुन्नप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठांति संठाणयो एगविहिविहाणा विस्थारो अणेगविहिविहाणा दुगुणादुगुणप्पमाणश्रो जाव अस्सि तिरियलोए असंखेजा दीवसमुद्दा सयंभुरमणपजवसाणा पन्नत्ता समणाउसो ! 1 / दीवसमुद्दा णं भंते ! केवतिया नामधेज्जेहिं पत्नत्ता ?, गोयमा ! जावतिया Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 [ श्रीमदागमसुधासिन् / द्वितीयो विभागों लोए सुभा नामा सुभा ख्वा सुभा गंधा सुभा रसा सुभा फासा एवतिया णं दीवसमुद्दा नामवेज्जेहिं पत्नत्ता, एवं नेयवा सुभा नामा उद्धारो परिणामो सधजीवा णं 2 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 251 // छट्ठसयस्स अट्ठमो॥ ... // इति षष्टशतके अष्टम उद्देशकः // 6-8 // // अथ षष्ठशतके काख्य-नवमोद्देशकः // * जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मप्पगडीयो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा छविहबंधए वा, बंधु सो पनवणाए नेयन्यो। सू० 252 // देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महाणुभाए बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता(अपरियादिइत्ता) पभू एगवन्नं एगरूवं विउवित्तए ?, गोयमा ! नो तिण? सम? / देवे णं भंते ! बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पनू ?, हंता पभू, से णं भंते ! किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वति अन्नत्थगए पोग्गले. परियाइत्ता विउव्वति ?, गोयमा ! नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वति, नो अनत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, एवं एएणं ग(क)मेणं जाव एगवन्नं एगरूवं 1 एगवरणं अणेगरूवं 2 श्रणेगवन्नं एगरूवं 3 अणेगवन्नं अणेगरूवं 4 चउभंगो / देवे णं भंते ! महिट्ठीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालयं पोग्गलं नीलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? नीलगं पोग्गलं वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?, गोयमा ! नो तिण? समढे, परियाइत्ता पभू। से णं भंते ! किं इहगए पोग्गले-तं चेव नवरं परिणामेतित्ति भाणियव्वं, एवं कालगपोग्गलं लोहियपोग्गलचाए, एवं कालएणं जाव सुकिल्लं, एवं Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्योप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्रं : शतक 6 :: उ०६ ) णीलएणं जावं सुकिल्लं, एवं लोहियपोग्गलं जाव सुकिलत्ताए, एवं हालिदएणं जाव सुकिलं, एवं एयाए परिवाडीए गंधरसफासपोग्गलं, कक्खडफासपोग्गलं मउयफासपोग्गलत्ताए 2 एवं दो दो गरुयलहुय 2 सीयउसिण 2 गिद्धलुक्ख 2, वनाइ सव्वस्थ परिणामेइ, अालावगा य दो दो पोग्गले अपरियाइत्ता परियाइत्ता // सूत्रं 253 // अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देवि अन्नयरं जाणति पासति ? णो तिण8 समढे 1 / एवं अविसुद्धलेसेणं देवे असमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्रलेसं देवं 3, जाणति पासति ? णो इण? सम? 2 / अविसुद्धलेसे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? गो इण? सम? 3 / अविसुद्धलेसे देवे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? णो इण? सम? ४।अविसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? णो इण? सम? 5 / अविसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ?णो इण? सम? 6 / विसुद्धलेसे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? णो इण? समढे 1 / विसुद्धलेसे असमोहएणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? णो इण? सम? 2 / विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ ?, हंता जाणइ 3 / एवं विसुद्धलेसे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ ?, हंता जाणइ 4 / विसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ ? हंता जाणइ 5 / विसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ ? हंता जाणइ 6 / एवं हेट्ठिलएहिं अट्टहिं न जाणइ न पासइ उवरिल्लएहिं चाहिं जाणाइ पासइ / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाब विहरति // सूत्रं 254 // छट्टसए नवमो उद्दे सो॥ // इति षष्ठशतके नवम उद्देशकः // 6-9 // Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ....... .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धु: / द्वितीयो विमागः // अथ षष्ठशतके अन्ययूथिकाख्य-दशमोद्देशकः // ____अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परुति जावतिया रायगिहे .यरे जीवा एवइयाणं जीवाणं नो चकिया केइ सुहं वा दुई वा जाव कोलट्ठिगमायमवि निप्फावमायमवि कलममायमवि मासमायमवि मुग्गमायमवि जूयामायमवि लिक्खामायमवि अभिनिवत्ता उवदंसित्तए, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जन्नं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि सबलोएवि. य णं सव्वजीवाणं णो चकिया केई सुहं वा तं चेव जाव उवदंसित्तए 1 / से केण?णं जाव उवदंसित्तए ?, गोयमा ! अयन्नं जंबूद्दीवे 2 जाव विसेमाहिए परिक्खेवेणं पन्नत्ते, देवे णं महिड्डीए जाव महाणुभागे एगं महं सविलेवणं गंधप्तमुग्गगं गहाय तं अवद्दालेति तं अवदालित्ता जाव इणामेव कट्टु केवलकप्पं जंबुद्दीवं 2 तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हबमागच्छेजा, से नूणं गोयमा ! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे 2 तेहिं घाणपोग्गलेहिं फुडे ?, हंता फुडे, चकिया णं गोयमा ! केति तेसिं घाणपोग्गलाणं कोलट्ठियमायमवि जाव उवदंसित्तए ?, णो तिण? सम?,से तेणटेणं जाव उवदंसेत्तए 2 // सूत्रं 255 // जीवे णं भंते ! जीवे ? जीवे जीवे ?, गोयमा ! जीवे ताव नियमा जीवे जीवेवि नियमा जीवे 1 / जीवे णं भंते ! नेरइए ? नेरइए जीवे ?, गोयमा ! नेरइए ताव नियमा जीवे जीवे पुण सिय नेरइए सिय अनेरइए 2 / जीवे णं भंते ! असुरकुमारे असुरकुमारे जीवे ?, गोयमा ! असुरकुमारे तार नियमा जीवे जीवे पुण सिय असुरकुमारे सिय णो असुरकुमारे, एवं दंडयो भाणियव्वो जाव वेमाणियाणं 3 / जीवति भंते ! जीवे ? जीवे जीवति ?, गोयमा ! जीवति ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय जीवति सिय नो जीवति 4 / जीवति भंते ! नेइए ? 2 जीवति ?, गोयमा ! नेरइए तावं नियमां जीवति 2 पुण Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याल्याप्रशसि (श्रीमद्भागवली) पूर्व में शतक 6 4 39 10 (999 सिय नेरंइए सिय अनेरइए, एवं दंडयो नेयवो जाव वेमाणियाणं 5 / भासिद्धीए णं भंते ! नेरइए ? 2 भवसिद्धिए ? गोयमा ! भवसिद्धीए सिय नेरइर सिय अनेरइए नेरइएऽवि य सिय भासिद्धीए सिय यभवसिद्धीए, एवं दंडअो जाव वेमाणियाणं 6 // सूत्रं 256 // श्रनउत्थिया गणं भंते ! एवमाइक्खंति जाव पवेति एवं खलु सव्वे पाणा सब्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता एगंतदुक्खं वेयणं वेयंति, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जन्नं ते अन्नउत्थिया जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परुवेमि-श्रत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतदुक्खं वेयणं वेयंति थाहच्च सायं, अत्थेगतिया पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतसायं वेयणं वेयंति श्राहच्च अस्सायं वेयणं देयंति, अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता मायाए वेयणं वेयंति आहच सायमसायं 1 / से केगटेणं जाव ग्राहच्च सायमसायं ?, गोयमा / नेरइया एर्गत दुक्खं वेयणं वेयंति ग्राहच सायं, भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया एगंतसायं वेदणं वेयंति बाहच असायं, पुढविक्काइया जाव मणुस्सा वैमायाए वेयणं वेयंति श्राहच्च सायमसायं, से तेण?णं जाव अाहच सायमसायं // सूत्रं 257 // नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले अत्तमायाए श्राहारेंति ते किं पायसरीरखत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए अाहारेंति ? अणंतरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए थाहारेंति ? परंपरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमापाए श्राहारेति ?, गोयमा ! आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए श्राहारेंति नो अणंतरखेत्तोगाढे पाग्गले अत्तमायाए याहारेति नो परंपरखेत्तोगाढे, जहा नेरइया तहा जाव वेमाणियाणं दंडयो // सूत्रं 258 // केवली णं भंते ! प्रायाणेहिं जाणति पासति ?, गोयमा ! नो तिण? समढें / से केणटेणं जाव पासति ?, गोयमा ! केवली णं पुरच्छिमेणं मियंपि जाणइ श्रमियंपि जाणइ जाव निबुडे देसणे केवलिस्स से तेण?णं जाव पासति / गाहा Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदायमसुधासिन्धुः / द्वितीयों विभागः जीवाणं सुहं दुक्खं जीवे जीवति तहेव भविया य। एर्गतदुक्खवेयण अत्तमाया य केवली // 1 // सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्र 256 / / छ8 सयं समत्तं // // इति षष्ठशतके दशम उद्देशकः // 6-10 // // इति षष्ठं शतकम् // 6 // // अथ सप्तमशतके आहाराख्य-प्रथमोद्देशकः // थाहार 1 विरति 2 थावर 3 जीवा 4 पक्खी य-५ ग्राउ 6 अमंगारे 7 / छउमत्थ 8 असंवुड 6 नउत्थि 10 दस सत्तमंमि सए // 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वदामी-जीवे णं भंते ! कै समयमणाहारए भवइ ?, गोयमा ! पढमे समए सिय थाहारए सिय अणाहारए बितिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए ततिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए चउत्थे समए नियमा थाहारए, एवं दंडयो, जीवा य एगिदिया य चउत्थे समए सेसा ततिए समए 1 / जीवे णं भंते ! के समयं सबप्पाहारए भवति ?, गोयमा ! पढमसमयोववन्नए वा चरम. समए भवत्थे वा एत्थ णं जीवे णं सवप्पाहारए भवइ, दंडयो भाणियब्यो जाव वेमाणियाणं 2 // सूत्रं 260 // कि संठिए णं भंते ! लोए पन्नत्ते ?, गोयमा ! सुपइट्ठगसंठिए लोए पन्नत्ते, हेट्ठा विच्छिन्ने जाव उप्पिं उडमुईगागारसंठिए, तंसि च णं सासयंसि लोगंसि हेट्ठा विच्छिन्नंसि जाव उप्पि उड्डमुइंगागारसंठियंसि उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली जीवेवि जाणइ पासइ अजीवि जाणइ पासइ तो पच्छा सिझति जाव यंत करेइ // सूत्रं 261 // समणोवासगस्त णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवासए अच्छमाणस्स तस्स aaN भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ ? मोयमा ! नो ईरियावहिया - किरिया कज्जइ, Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 7 :: उ०१ संपराइया किरिया कजइ 1 / से केणटेणं जाव संपराइया किरिया कजइ ? गोयमा ! समणोवासयस्स णं सामाइयकडरस समणोवासए अच्छमाणस्स पाया अहिगरणीभवइ अायाहिगरणवत्तियं च णं तस्स नो ईरियारहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कन्जइ, से तेणटेणं जाव * संपराइया किरिया कन्जइ 2 // सूत्रं 262 // समणोवासगस्स णं भंते ! पुयामेव तसपाणसमारंभे पचक्खाए भाति पुडविसमारंभे अपचक्खाए भवइ से य पुढविं खणमाणेऽगणयरं तसं पाणं विहिंसेजा से णं भंते ! तं वयं अतिचरति ?, णो तिण8 सम?, नो खलु से तस्स अतिवायाए श्राउट्टति 1 / समणोवासयस्स णं भंते ! पुवामेव वणस्सइसमारंभे पञ्चक्खाए से य पुढविं खणमाणे अन्नयरस्म रुक्खस्स मूलं छिदेजा से णं भंते ! तं वयं अतिचरति ?, णो तिण? समढे, नो खलु तस्स अइवायाए अाउट्टति 2 // सूत्रं 263 // समालोवासए णं भंते ! तहाख्वं समणं वा माहणं वा फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलामेमाणे किं लब्भइ ?, गोयमा ! समणोवासए णं तहारूवं समणं वा जाव पडिलाभेमाणे तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा समाहिं उप्पाएति, समाहिकारएणं तमेव समाहिं पडिलभइ 1 / समणोवासए णं भंते ! तहारूवं समणं वा जाव पडिलामेमाणे किं चयति ?, गोयमा ! जीवियं चयति दुच्चयं चयति दुकरं करेति दुलहं लहइ बोहिं बुज्झइ तो पच्छा सिज्झति जाव अंतं करेति 2 // सूत्रं 264 // अत्थि णं भंते ! अकम्मस्स गती पन्नायति ?, हंता अत्थि 1 / कहन्नं भंते ! अकम्मस्स गती पन्नायति ?, गोयमा ! निस्संगयाए निरंगणयाए गतिपरिणामेणं बंधणछेयणयाए निरंधणयाए पुवपयोगेणं. अकम्मस्स गती पन्नायवि 2 / कहन्नं भंते ! निस्संगयाए निरंगणयाएं गइपरिणामेणं बंधणछेयणयाए निरंधणयाए पुव्वप्पयोगेणं अकम्मस्स गती पत्रायति ?, से जहानामए-केइ पुरिसे सुक्कं तुंब निच्छिड़े Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164] . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः निरुवयंति प्राणुपुञ्चीए परिकम्मेमाणे 2 दम्भेहि य कुसेहि य वेढेइ 2 अहिं मट्टियालेवेहिं लिंपइ 2 उरहे दलयति भूति 2 सुक्क समाणं श्रत्थाहमतारमपोरसियंसि उदगंसि पपिखवेजा, से नूणं गोयमा ! से तुबे तेसिं अट्ठराहं मट्टियालेवेणं गुरुपत्ताए भारियत्ताए गुरुसंभारियत्ताए सलिलतलमतिवइत्ता अहे धरणितलपइटाणे भवइ ?, हंता भवइ, अहे णं से तुबे तेसि अट्टराहं मट्टियालेवाणं परिक्खएणं धरणितलमतिवइत्ता उप्पि सलिलतलपइट्ठाणे भवइ ?, हंता भवइ, एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए निरंगणयाए गइपरिणामेणं अकम्मस्स गई पन्नायति 3 / कहन्नं भंते ! बंधणछेदणयाए अकम्मरस गई पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए-कलसिंबलियाइ वा मुग्गसिंदलियाइ वा माससिंबलियाइ वा सिंबलिसिंबलिपाइ वा एरंडमिंजियाइ वा उगणे दिना सुक्का समाणी फुडित्ता णं एगंतमंतं गच्छइ, एवं खलु गोयमा ! जाव गई पत्नत्ता 4 / कहन्नं भंते ! निरंधणयाए अकम्मस्स गती पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए-धूमस्स इंधणविप्पमुकस्स उ8 वीससाए निबाधाएणं, गती पवत्तति, एवं खलु गोयमा ! जाव पनत्ता 5 / कहन्नं भंते ! पुषणयोगेणं अकम्मस्स गती पन्नता ?, गोयमा ! से जहानामए-कंडस्स कोदंडविप्पमुकस्त लक्खाभिमुही निव्याघाएणं गती पवत्तइ, एवं खलु गोयमा ! नीसंगयाए निरंगणयाए जाव पुवषयोगेणं अकम्मस्स गती पराणत्ता // सूत्रं 365 // दुक्खी भंते ! दुक्खेणं फुडे अदुक्खी दुक्खेणं फुडे ?, गोयमा ! दुक्खी दुक्खेणं फुडे नो अदुक्खी दुक्खेणं फुडे 1 / दुक्खी णं भंते ! नेरतिए दुक्खेणं फुडे अदुखी नेरतिए दुक्खेणं फुडे ?, गोयमा ! दुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे नो अदुक्खी नेरतिए दुखेणं फुडे 2 / एवं दंडश्रो जाव वेमाणियाणं, एवं पंच दंडगा नेयवा-दुक्खी दुक्खेणं फुडे 1 दुक्खी दुक्खं परियादियइ 2 दुक्खी दुक्खं उदीरेइ 3 दुवखी दुक्खं वेदेति 4 दुक्खी दुवखं निजरेति Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 7:: उ० 1] 5, 3 // सूत्रं 266 // अणगारस्म णं भंते ! अबाउत्तं गच्छमाणस्स वा चिट्ठमाणस्स वा निसियमाणस्स वा तुयट्टमाणस्स वा अणाउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायछणं गेरहमाणस्स वा निक्खिवमाणस्त वा तस्स णं भंते ! कि ईरियारहिया किरिया कजइ ? संपराइया किरिया कजइ ? गोयमा ! नो ईरियावहिया किरिया कजति संपराइया किरिया कजति / से केण?णं जाव कजति ?, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोमा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं ईरियावहिया किरिया कज्जइ नो संपराइया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोहमाणमायालोभा श्रवोच्छिन्ना भवंति तस्स णं संपरायकिरिया कजइ नो ईरियावहिया, ग्रहासुत्तं रीयमाणस्स ईरियावहिया किरियो कन्जइ उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कन्जइ,से णं उस्सुत्तमेव रियति, से तेण?णं. जाव कजति // सूत्रं 267 // ग्रह भंते ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुट्ठस्स पाणभोयणस्स के अट्ठ पराणते ?, गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासएसणिज्ज असणपाण 4 पडिगाहित्ता मुच्छिए गिद्धे गदिए यझोववन्ने थाहारं याहारेति एस णं गोयमा ! सइंगाले पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिज्ज असणपाण 4 पडिगाहित्ता महया 2 अपत्तियकोहकिलामं करेमाणे थाहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! सधूमे पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा 2 जाव पडिग्गहेत्ता गुणुप्पायणहेउं अन्नदव्वेण सद्धिं संजोएत्ता आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! संजोयणादोसदुढे पाणभोयणे, एस णं गोयमा ! सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुटुस्स पाणभोयणस्स अट्ठ पन्नत्ते 1 / अह भंते ! वीतिगालस्स वीयधूमस्स संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाणभोयणस्स के अट्ठ पन्नत्ते ?, गोयमा ! जे णं निग्गंथो वा 2 जाव पडिगाहेत्ता अमुच्छिए जाव श्राहारेति एस णं गोयमा ! वीतिंगाले पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा जाव पडिगाहेत्ता णो महया अप्पत्तिय जाव Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागा थाहारेइ, एस णं गोयमा ! वीयमे पाणभोयणे, जे णं निगंथे वा निग्गंथी वा जान पडिगाहेत्ता जहालद्धं तहा श्राहारमाहारेइ. एस णं गोयमा ! संजोयणादोसविप्पमुक्के पाणभोयणे, एस णं गोयमा ! वीतिंगालस्स वीयधूमस्त संनोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाणभोयणस्स अट्ठ पन्नते 2 // सूत्रं 268 // श्रह भंते ! खेत्तातिरक्तस्स कालातिकंतस्त मग्गातिक्कंतस्स पमाणातिक्कतस्स पाणभोयणस्स के अट्ठ पत्नत्ते ?, गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिज्जं णं असणं 4 अणुग्गए सूरिए पडिग्गाहित्ता उग्गए सूरिए याहारमाहारेति एस णं गोयमा ! खित्तातिक्कते पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा 2 जाव साइमं पढमाए पोरिसीए पडिग्गाहेत्ता पच्छिमं पोरिसिं उवायणावेत्ता याहारं श्राहारेइ एस णं गोयमा ! कालातिक्कते पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा 2 जाव साइमं पडिगाहित्ता परं श्रद्धजोयणमेराए वीइकमावइत्ता याहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! मग्गातिक्कते पाणभोयणे, जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासुएसणिज्जं जाव साइमं पडिगाहित्ता परं बत्तीसाए कुवकुडि-अंडगपमाणमेत्ताणं कवलाणं आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! पमाणाइक्कते पाणभोयणे, अटकुक्कुडि-ग्रंडगप्पमाणमेत्ते कवले थाहारमाहारेमाणे अप्पाहारे दुवालस-कुक्कुडि-अंडगप्पमाणमेत्ते कवले थाहारमाहारेमाणे अवडोमोयरिया सोलस-कक्कुडि-अंडगप्पमाणमेत्ते कवले याहारमाहारेमाणे दुभागप्पत्ते चउव्वीसं कुक्कुडि-ग्रंडगप्पमाणमेत्ते जाव थाहारमाहारेमाणे श्रोमोदरिए बत्तीसं कुक्कुडि-ग्रंडगप्पमाणमेते कवले थाहारमाहारेमाणे पमाणप्पत्ते, एतो एक्केणवि गासेणं ऊणगं श्राहारमाहारेमाणे समणे निग्गंथे नो पकामरसभोई इति वत्तव्वं सिया, एस णं गोयमा ! खेत्तातिक्कंतस्स कालातिक्कंतस्स मग्गातिकंतस्स पमाणातिक्कंतस्स पाणभोयणस्स अट्ठ पन्नत्ते ॥सूत्रं 26 // श्रह भंते ! सत्यातीयस्स सत्थपरिणामियस्स एसियस्स वेसियस समुदाणि Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) : शतकं 7 :: उ०१) यस्सं पाणभोयणस्स के अट्ठ पत्नत्ते 2 गोयमा ! जे णं निग्ग्रंथे वा निग्गंथी वा निक्खित्तसत्यमुसले ववगय-मालावन्नग-विलेवणे ववगय-चुय-चइय-चत्तदेहं जीवविप्पजढं अकय-मकारिय मसंकप्पिय मणाहूय-मकीय-कडमणुट्टिनवकोडीपरिसुद्धं दसदोसविप्पमुवकं उग्गमुप्पायणेसणासुपरिसुद्धं वीतिगालं वीतधूमं संजोयणा दोसविप्पमुवकं असुरसुरं अचवचवं अदुयमविलंबियं अपरिसाडी अक्खोवंजण-वणाणुलेवणभूयं संयम-जायामायावत्त्यिं संजमभार-वह. णट्ठयार बिलमिव पनगभूएणं अप्पाणेणं श्राहारमाहारेति एस णं गोयमा ! सत्यातीयस्स सत्थपरिणामियस्स जाव पाणभोयणस्स अयम? पन्नत्ते 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 270 // सत्तमसण पढमो उद्देसो समत्तो॥ ॥इति सप्तमशतके प्रथम उद्देशकः // 7-1 // // अथ सप्तमशतके विरतिनामक-द्वितीयोद्देशकः // से नूणं भंते ! सव्वपाकेहि सव्वभूएहिं सव्वजीवहिं सबसत्तेहिं पच्चरखायमिति वदमाणस्स सुपञ्चक्खायं भवति दुपञ्चक्खायं भवति ?, गोयमा ! सव्वपाणेहिं जाव सब्वसत्तेहि पञ्चवखायमिति वदमाणस्स सिय सुपचाखायं भवति सिय दुपञ्चक्खायं भवति 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ सबपाणेहिं जाव सिय दुपचक्खायं भवति ?, गोयमा ! जस्स णं सव्वपाणेहिं जार सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वदमाणस्स णो एवं अभिसमनागयं भवति इमे जीवा इमे अजीवा इमे तसा इमे थावरा तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खामिति वदमाणस्स नो सुपञ्चवसायं भवति दुपञ्चक्खायं भवति, एवं खलु से दुपनक्साई सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पञ्चवखायमिति वदमाणो नो सच्चं भासं भासइ मोसं भासं भासइ, एवं खलु से मुसाबाई सधपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं तिविहं तिविहेणं असंजय Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः" विश्य-पडिहय-पचक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले यावि भवति, जस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वदमाणस्स एवं अभिसमन्नागयं भवइ-इमे जीवा इमे अजीवा इमे तसा इमे थावरा, तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वदमाणस्स सुपच्चक्खायं भवति नो दुपचक्खायं भवति, एवं खलु से सुपञ्चक्खाई सव्वपाणेहिं जाव सबसत्तेहिं पञ्चक्खामिति वयमाणे सच्चं भासं भासइ नो मोसं भासं भासइ, एवं खलु से सच्चवादी सव्वपाणेहिं जाव सबसत्तेहिं तिविहं तिविहेणं. संजय-विरय-पडिहय-पञ्चवखायपावकम्मे अकिरिए संबुडे एगंत-अदंडे एगंतपंडिए यावि भवति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव सिय दुपच्चक्खायं भवति 2 // सूत्रं 271 // कतिविहे णं भंते ! पञ्चक्खाणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पञ्चक्खाणे पन्नत्ते, तंजहा-मूलगुणपञ्चक्खाणे य उत्तरगुणपञ्चक्खाणे य 1 / मूलगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणे य देसमूलगुणपञ्चक्खाणे य 2 / सब्बमूलगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वायो पाणाइवायायो वेरमणं जाव सव्वाश्रो परिग्गहायो वेरमणं 3 / देसमूलगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-थूलायो पाणाइवायायो वेरमणं जाव थूलायो परिग्गहायो वेरमणं 4 / उत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणे य देसुत्तरगुणपचक्खाणे य 5 / सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पनते ?, गोयमा ! दसविहे पन्नत्ते, तंजहा-यणागय 1 मइक्कतं 2 कोडीसहियं 3 नियंटियं 4 चेव / सागार 5 मणागारं 6 परिमाणकडं 7 निरवसेसं 8 // 1 // साकेयं 1 चेव श्रद्धाए 10 पञ्चवखाणं भवे दसहा 6 / देसुत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पत्नत्ते ?, गोयमा ! सत्तविहे. पंन्नत्ते, Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सत्र : शतकं 7 : उ०२] तंजहा-दिसिधयं 1 उपभोगपरीभोगारिमाणं 2 अन्नत्थदंडवेरमणं 3 सामाइयं 4 देसावगासियं 5 पोसहोवधातो 6 अतिहिसंविभागो 7 अपछिम-मारणंतिय-सलेहणा-भूसणाराहणता 7 // सूत्रं 272 // जीवा णं भंते ! किं मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चवखाणी ?, गोयना ! जीश मूलगुण चक्खाणीवि उत्तरगुणपचक्खाणीवि अपञ्चवखाणीवि 1 / नेरझ्या णं भते ! किं मूलगुणपञ्चक्खाणी पुच्छा ?, गोयमा ! नेरइया नो मूलगुणपञ्चक्खाणी नो उत्तरगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी 2 / एवं जाव चारिदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोगि,या मणुस्सा य जहा जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया 3 / एएसि णं भंते ! जीवाणं मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चवखाणी य कयरे 2 हित जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सबत्यावा जीवा मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तर. गुणपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा अपञ्चक्खाणी अनंतगुणा 4 / एएसि णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! सम्बत्थोवा जीवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा अपचक्खाणी असंखिजगुणा 5 / एएसि णं भंते ! मणुस्साणं मूलगुणपञ्चक्खाणीणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्योवा मणुस्सा मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी संखेजगुणा अपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा 6 / जीवा णं भंते! किं सव्वमूलगुणपचक्खाणी ? देसमूलगुणपञ्चक्खाणी ? अपञ्चक्खाणी ?, गोयमा ! जीवा सवमूलगुणपचक्खाणी देसमूलगुणपचक्खाणी अपवाखाणीवि 7 / नेरशाणं पुच्छा, गोयमा ! नेरझ्या नो सयमूलगुणपन्चक्खाणी नो देसमूलगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी, एवं जाव चरिंदिया 8 / पंचिंदिययतिरिक्खपुच्छा, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिय नो सवमूलगुणपचक्खाणी देममूलगुणपञ्चक्खाणी अपच्चक्खाणीवि, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा नेरइया 1 / एएसि णं भंते ! Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "200 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयों विभागः जीवाणं सबमूलगुणपञ्चक्खाणीणं देसमूलगुणपञ्चक्खाणीणं अपञ्चक्खाणीण य कयरे२हिंतो जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणी देसमूलगुणपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा अपचक्खाणी . अणंतगुणा 10 / एवं अपाबहुगाणि तिन्निवि जहा पढमिल्लए दंडए, नवरं ' सबथोत्रा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी असंखेंजगुणा 11 / जीवा णं भंते ! कि सवुत्तरगुणपचक्खाणी ? देसुत्तरगुणपञ्चक्खाणी ? अपञ्चक्खाणी ?, गोयमा ! जीवा सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणीवि तिन्निवि; 'पंचिंदियतिरिक्ख जोणिया मणुस्सा य एवं चेव, सेसा अपञ्चखाणी जाव वेमाणिया 12 / एएसि णं भंते ! जीवाणं सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणी अप्पाबहुगाणि तिन्निवि जहा पढमे दंडए जाव मणूमाणं * 13 / जीवा णं भंते ! किं संजया असंजया संजयासंजया ?, गोयमा ! जीवा संजयावि असंजयावि संजयासंजयावि तिन्निवि, एवं जहेव पनवणाए तहेव भाणियब्वं, जाव वेमाणिया, अप्पाबहुगं तहेव तिराहवि भाणियव्वं 14 / जीवा णं भंते ! किं पचक्खाणी ? अपञ्चक्खाणी ? पञ्चक्खाणापचक्खाणी ?, गोयमा ! जीवा पञ्चक्खाणीवि एवं तिन्निवि, एवं मणुस्साणवि तिन्निवि, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया थाइलविरहिया सेसा सव्वे अपञ्चक्खाणी जाव वेमाणिया 15 / एएसि णं भंते ! जीवाणं - पचक्खाणीणं जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पञ्चक्खाणी पञ्चक्खाणापचक्खाणी असंखेजगुणा अपञ्चक्खाणी अणंतगुणा, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया सव्वत्थोवा पञ्चक्खाणापञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा, मणुस्सा सव्वत्थोवा पञ्चवखाणी पञ्चक्खाणापच्चक्खाणी संखेजगुणा अपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा 16 // सूत्र 273 // जीवा णं भंते ! किं सासया असासया ?, गोयमा ! जीवा सिय. सासया सिय , असासया 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ-जीवा सिय सासया सिय Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (पीमद्भगवती) स्त्र शत 7 : उ० 3 ] असामया ?, गोयमा ! दबट्टयाए सासया भारट्टयाए श्रमासया, से तेगडेणं गोयमा ! एवं वुनइ-जाव सिय प्रसासया 2 / नेरझ्या णं भंते ! किं सासया असामया ?, एवं जहा जीवा तहा नेरइयावि, एवं जाव वेमाणिया जार सिय सासयां सिय असामया 3 / सेवं भंते ! सेवं, भंते ! ति जाव विहरति 4 // सूत्रं 274 // सत्तमस्स विइयो उद्देसो समत्तो॥ // इति सप्तमशतके दितीय उद्देशकः // 7-2 // // अथ सप्तमशतके स्थावराख्य-तृतीयोद्देशकः // वणस्सइकाइया णं भंते ! किंकालं सबप्पाहारगा वा सव्वमहाहारगा वा भवंति ?, गोयमा ! पाउसररिसारत्तेसु णं एत्य णं वणस्सइकाझ्या सञ्चमहाहारगा भवंति तदाणंतरं च णं सरए तयाणंतरं च णं हेमंते तदाणंतरं चणं वसते तदाणंतरं च णं गिम्हे गिम्हासु णं वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवंति 1 / जइ णं भंते ! गिम्हासु वणस्तइकाइया सव्वप्पाहारगा भवंति, कम्हा णं भंते! गिम्हासु बहवे वणस्मइकाइया पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिजमाणा सिरीए अईव अईव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिट्ठति?,गोयमा! गिम्हासु णं वहवे उसिणजोणिया जीवा य पोग्गलाय वणस्सइकाइयत्ताए वकमंति विउमति चयंति उपवज्जति, एवं खलु गोयमा! गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया पुफिया जाव चिट्ठति 2 // सूत्रं 275 // से नूणं भंते ! मूला मूलजीवफुडा कंदा कंदजीवफुडा जाव बीया बीयजीवफुडा?, हता गोयमा ! मूला मूलजीफुडा जार बीया बीय जीवफुडा 1 / जति णं भंते ! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया बीयजीवफुडा कम्हा णं भंते ! वणस्सइ. काइया श्राहारते कम्हा परिणामेंति ?, गोयमा ! मूला मूलजीवफुडा पुढविजीवपडिबद्रा तम्हा आहारेंति तम्हा परिणामेंति कंदा कंदजीवफुडा मूलजीवपडिबद्धा तम्हा थाहारेति तम्हा परिणामेंति एवं जाव बीया Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 202] :- [श्रीमदार्गमसुवासिन्धुः द्वितीयो विभागः बीयजीवफुडा फलजीवपडिबद्धा तम्हा याहारेति तम्हा परिणामेति 2 // सूत्रं 276 // अह भंते ! थालुए मूलए सिंगबेरे हिरिली सिरिलि सिसिरिली किट्टिया छिरिया छीरिविरालिया कराहकदे वजकंदे सूरणकदे खेलूडे अदए भहमुत्था पिंडहलिदा लोही णीहू थीह थिरूगा मुग्गकन्नी अस्सकन्नी सीहकनी सीहंदी मुसुदी जे यावन्ने तहप्पगारा सब्वे ते अतजीवा विविहसत्ता ?, हंता गोयमा ! श्रालुए मूलर जाव अणंतजीवा विविहसत्ता (चित्ताविहि) // सूत्रं 277 // सिय भंते! कराहलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए नीललेसे नेरइए महाकम्मतराए ?, हंता गोयमा ! सिया 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-कराहलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए नीललेसे नेरइए महाकम्मतराए ?, गोयमा ! दिति पडुच्च, से तेणटेणं गोपमा ! जाव महाकम्मतराए 2 / सिय भंते ! नीललेसे नेरइए अपकम्मतराए काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ?, हंता सिया 3 | से केणटेणं भंते ! एवं वुचति-नीललेसे अप्पकम्मतराए काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ?, गोयमा ! ठितिं पडुच, से तेण?णं गोयमा ! जाव महाकम्मतराए 4 / एवं असुरकुमारे वि, नवरं तेउलेसा अमहिया एवं जाव वेमाणिया, जस्स जइ लेसायो तस्स तत्तिया भाणियब्वायो, जोइसियस्स न भन्नइ 5 / जाब सिय भंते ! पम्हलेसे वेमाणिए अप्पकम्मतराए सुकलेसे वेमाणिए महाकम्मतराए ?, हंता सिया 6 / से केण?णं जाव सिया ? सेसं जहा नेरइयस्स जाव महाकम्मतराए। सूत्रं 278 // से नूणं भंते ! जा वेदणा सा निजरा जा निजरा सा वेदणा ?, गोयमा ! णो तिण8 सम? 1 / से केणतुणं भंते ! एवं वुचई जा वेपणा न सा निजरा जा निजरा न सा वेयणा ?, गोयमा ! कम्म वेदणा णोकम्म निजरा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव न सा वेदणा 2 / नेरइयाणं भंते !जा वेदणा सा निजरा जा निजरा सा वेयणा ?, गोयमा ! णो तिण्डे सम? 3 / से केणद्वेणं भंते ! एवं Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती स्त्र में शराकं 7 // उ० 4 ] बुचइ नेरझ्याणं जा वेयणा न सा निजरा जा निजरा न सा वेयणा ?, गोयमा ! नेरइयाणं कम्म वेदणा णोकम्म निजरा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव न सा वेयणा, एवं जाव वेमाणियाणं ४।से नूणं भंते ! वेदेंसु तं निजरिंसु जं निजरिंसु तं वेद॑सु ? णो तिण? सम? 5 / से केण?णं भंते ! एवं बुबइ जं वेदेंसु नो तं निजरेंसु जं. निजरेंसु नो तं वेद॑सु ?, गोयमा ! कम्मं वेदेसु नोकम्मं निजरिंसु, से तेण?णं गोयमा ! जाव नो तं वेदेस, नेरझ्या णं भंते ! जं वेदेंसु तं निजरिंसु ? एवं नेरइयावि एवं जाव वेमाणिया 6 / से नूणं भंते ! जं वेदेति तं निजरेंति जं निजरेंति तं वेटेंति ?, गोरमा ! णो तिणढे सम? 7 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जात्र नो तं वेदेति ?, गोयमा ! कम्मं वेदेति नोकम्म निजरेंति, से तेण?णं-गोयमा ! जाव नो तं वेदेति, एवं नेरइयावि जाव वेमाणिया 8 / से नूणं भंते ! जं वेदिस्संति तं निजरिस्संति जं निजरिस्संति तं वेदिस्संति?, गोयमा ! णो तिण? सम? / से केणटेणं जाव णो तं वेदेस्संति ?, गोयमा! कम्मं वेदिस्सति नोकम्मं निजरिस्संति,से तेणटेणं जाव नो तं निजरिस्संति,एवं नेरइयावि जाव वेमाणिया 10 / से गुणं भंते ! जे वेदणासमए से निजरासमए जे निजरासमए से वेदणासमए ?, नो तिण? समढे 11 / से केणटुणं भंते ! एवं वुच्चइ जे वेंगणासमए न से निजरासमए जे निजरासमर न से वेदणासमए !, गोयमा ! जं समयं वेदेंते नो तं समयं निजरेंति जं समयं निजरेंति नो तं समयं वेदेति, अनम्मि समए वेदेति अनम्मि ममए निजरेंति अन्ने से वेदणासमए अन्ने से निजरासमए, से तेणद्वेणं जाव न से निजरासमए न से वेदणासमए 12 / नेरइयाणं भंते ! जे वेदणासमए से निजरासमए ? जे निजरासमए से वेदणासमए ?, गोयमा ! णो तिण? समढे 13 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ नेरइयाणं जे वेदणासमए न से निजरासमए जे निजरासमए न से वेदणासमए ?, गोयमा ! नेरइया ग जं समयं वेदेति Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदामिसुभासिन्थाः द्वितीयो विभाग णो तं समयं निजरेंति जै समयं निजरंति नो तं समयं वेदेति अन्नम्मि समए वेदेति अनम्मि समर निजरेंति श्रन्ने से वेदणासमए अन्ने से निजरासमए, से तेण?णं जाव न से वेदणासमए, एवं जाव वेमाणियाणं 14 // सूत्रं 276 // नेरइया णं भंते ! कि सामया असासया ?, गोपमा! सिय सासया सिय असासया 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ नेरझ्या सिय साप्सया सिप असासया ?, गोयमा ! अयोच्छित्तिणयट्टयाए सामया वोच्छित्तिणयट्टयाए असासया, से तेणटेणं जाव सिप सासया सिय श्रसासया 2 / एवं जार वेमाणिया जाब सिय असासया 3 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाब विरहति 4 // सूत्रं 280 // // इति सप्तमशतके तृतीय उद्देशकः // 7-3 // // अथ सप्तमशतके जीवाख्य-चतुर्थोद्देशकः // ... रायगिहे नगरे जाव एवं वदासी-कतिविहा. णं भंते ! संसारसमावनगा जीवा पन्नत्ता ? गोयमा ! विहा संसारसमावन्नगा जीवा पनत्ता, तंनहा-पुढविकाइया एवं जहा जीवाभिगमे जाव सम्मत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाब विहरति / (जीवा छविह पुवी जीवाण ठिती भवहिती काए / निल्लेवण अणगारे किरिया सम्मत्तमिच्छता // 1 // ) (जोणिसंगहलेसा दिट्ठी णाणे य जोग उपभोगे। अवायठिइसमुग्घाय-चवणजाई-कुलविहीश्रो // 1 // सूत्रं 281 // . . // इति सप्तमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 7-4 // // अथ सप्तमशतके पक्षिनामक-पञ्चमोद्देशकः // ---- रायगिहे जाव एवं वदासी-सहयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं भंते ! कतिविहे गं जोणीसंगहे पाणते ?, गोयमा ! तिविहे जोणीसंगहे Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदव्या स्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) एवं शतकं 7 :: उ०६ ] पराणते, तजहा-अंडया पोयया समुच्छिमा, एवं जहा जीवाभिगमे जाव नो चेव णं ते विमाणे वीतीवएजा 1 / एवंमहालयाणं गोयमा ! ते विमाणा पनत्ता 2 / जोणीसंगह लेसा दिट्टी नाणे य जोग उपयोगे / उववायवितिसमुग्घायचवण-जातीकुलविहीयो // 1 // सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विरहति 3 // सूत्रं 282 // ॥इति सप्तमशतके पाम उद्देशकः // 7-5 // // अथ सप्तमशतके आयुनामक-षष्ठोद्देशकः // . रायगिहे जाव एवं वदासी-जीवे णं भने ! जे भविए नेरइएसु अवजित्तए, से णं भंते ! कि इहगए नेरझ्याउयं पकरेति उबवजमाणे नेरइयाउयं पकरेइ उववन्ने नेरड्याउयं पकरेइ ?, गोयमा / इहगए नेरइयाउयं पकरेइ नो उववजमाणे नेरइयाउयं पकरेइ नो उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ, एवं असुरकुमारेसुवि एवं जाव वेमाणिएसु 1 / जीवे गं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववजितए से णं भंते ! कि इहगए नेरझ्याउयं पडिसंवेदेति ? उववजमाणे नेरझ्याउयं पडिसंवेदेति ? उववन्ने नेरइयाउयं पडिसंवेदेति ?, गोयमा ! गेरइए णो इहगए नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ उववजमाणे नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ उववन्नेवि नेरइयाउयं पडिसंवेदेति, एवं जाव वेमाणिएसु 2 / जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! कि इहगए : महावेदणे ? उववजमाणे महावेदणे ? उववन्ने महावेदणे ?, गोयमा ! इहगए सिय महावेयणे सिय अप्पवेदणे उववजमाणे सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, अहे णं उववन्ने भवति तो पच्छा एगंतदुक्खं वेयणं वेयति श्राहच सायं 3 / जीवे गं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए फुच्छा, गोयमा ! इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे उववजमाणे सिय महावेदणे सिय अप्पोदणे, अहे णं उववन्ने भवइ तो पच्छा एगंतसायं: Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... श्रीमदागमसुधासिन्धुः तिवी विभाग वेयणं वेदेति बाहच असायं, एवं जाव थणियकुमारेसु 4 / जीवेणं भंते ! जे भविए पुढविकाएसु उववजित्तर पुच्छा, गोयमा ! इहगए सिय महावेयणे सिय थप्पवेयणे, एवं उववजमाणेवि, अहे णं उववन्ने भवति तथो पच्छा वेमायाए वेयणं वेयति एवं जाव मणुस्सेतु, वाणमंतरजोइसियवेमाणिएसु जहा असुरकुमारेसु 5 // सूत्रं 283 // जीवा णं भंते ! कि श्राभोगनिव्वत्तियाउया अणाभोगनिबत्तियाउया ?, गोयमा ! नो आभोगनिवत्तियाउया अणाभोगनिवत्तियाउया, एवं नेरइयावि, एवं जाव वेमाणिया // सूत्रं 284 // अस्थि णं भंते ! जीवा णं ककसवे पणिजा कम्मा कति ?, गोयमा ! इंता अस्थि, कहन्नं भंते ! जीवा णं ककसवैयणिजा कम्मा कति ?, गोयमा ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवाणं ककसवेयणिज्जा कम्मा कन्जंति 1 / अत्यि णं भंते ! नेरइयाणं कासवेयणिज्जा कम्मा कज्जंति, एवं चेव एवं जाव वेमाणियाणं 2 / अस्थि णं भंते ! जीवा णं अकक्कसवेयणिजा कम्मा कज्जति ?, हन्ता अस्थि, कहन्नं भंते ! अककसवेयणिज्जा कम्मा कति ?, गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव परिग्गहवेरमणेणं, कोहविवेगेणं जाव मिच्छादंसमासल्लविवेगेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवाणं अककसवेयणिजा कम्मा कज्जति 3 / अस्थि णं भंते ! नेरइयाणं अककसवेयणिजा कम्मा कज्जति ?, गोयमा ! णो तिण? सम8, एवं जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्साणं जहा जीवाणं 4 // सूत्रं 285 // अस्थि णं भंते ! जीवाणं सायावेयणिज्जा कम्मा कज्जंति ?, हता अस्थि, कहन्नं भंते ! जीवाणं सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?, गोयमा! पाणाणुकंपाए भूयाणुकंपाए जीवाणुकंपाए सत्ताणुकंपाए, बहूणं पाणाणं जाव सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए अपरियावणयाए एवं खलु गोयमा ! जीवाणं सायावेयणिज्जा कम्मा कज्जति, एवं नेरइयाणवि, एवं जाव वेमाणियाणं 1 / अस्थि णं Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्रं : शतकं 7 3. 6 ] भंते ! जीवाणं अस्सायवेयणिज्जा कम्मा कति ?, हंता अस्थि, कहन्नं भंते ! जीवाणं अस्सायावेयणिजा कम्मा कज्जति ?, गोयमा ! परदुवखणयाए परसोयणयाए परजूरणयाए परतिप्पणयाए परपिट्टणयाए परपरियावणयाए बहूणं पाणाणं जाव सत्ताणं दुरखणयाए सोयणयाए जाव परियावणयाए, एवं खलु गोयमा ! जीवाणं अस्सायावेयणिज्जा कम्म कज्जंति, एवं नेरइयाणवि, एवं जाव वेमाणियाणं 2 // सूत्रं 286 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे श्रोसप्पिणीए दूसमदूसमाए समाए उत्तमकट्टपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविरसति ?, गोयमा ! कालो भविस्सइ हाहाभूए भंभाभूए कोलाहलभूए समयाणुभावेण य णं खरफरसधूलिमइला दुविसहा वाउला भयंकरा वाया संवट्टगा य वाईति, इह अभिक्खं धूमाइंति य दिसा समंता रउस्सला(स्यरसला)-(रयोसला)रेणुकलुसतमपडलनिरालोगा समयलुक्खयाए य णं अहियं चंदा सीयं मोच्छंति अहियं सूरिया तवइस्संति अदुत्तरं च णं अभिक्खणं बहवे अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खट्टमेहा अग्गिमेहा विज्जुमेहा विसमेहा असणिमेहा अप्पवणिजोदगा (अजवणिजोदया) वाहि-रोग-वेदणोदीरणा-परिणामसलिला अमणुनपाणियगा चंडानिल-पहय-तिक्खधारा निवायपउरं वासं वासिहिति 1 / जे णं भारहे वासे गामागर-नगर खेड-कबड-मडंब-दोणमुह-पट्टणाऽऽसमागयं जणवयं चउप्पय गवेलगए खहयरे य पक्खिसंघे गामाऽरनपयारनिरए तसे य पाणे बहुप्पगारे रुख-गुच्छ-गुम्म-लय-वल्लि-तण-पव्वग-हरितोसहि-पवालंकुरमादीए य तणवणस्सइकाइए विद्धंसेहिंति पव्वय-गिरिडोंगर-उच्छलभट्ठिमादीए वेयड्ढगिरिवज्जे विरावेहिंति सलिल-विल-गड्ड-दुग्गविसमं निराणुनयाई च गंगासिंधुवजाई समीकरहिंति 2 / तीसे णं भंते ! समाए भरहवासस्स भूमीए केरिसए श्रागारभावपडोयारे भविस्सति ?, गोयमा ! भूमी भविस्सति इंगालम्भूया मुम्मुरभूया छारियभूया तत्तकवेल्लयभूया Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयों विभागा तत्तममजोतिभूया धूलिबहुला रेणुबहुला पंकबहुला पण,गबहुला चलणिबहुला बहूणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दोनिकमा य भविस्सति 3 // सूत्र 287 // तीसे णं भंते ! समाए भारहे वासे मणुयाण केरिसए श्रागारभावपडोयारे भविस्सति ?, गोयमा ! मणुया भविस्संति दुरूवा दुवन्ना दुगंधा दुरसा दुफासा अणिट्ठा अकंता जाव अमणामा होणस्सरा दीणस्सरा अणि?स्सरा जाव अमणामस्सरा श्रणादेज-बयण-पञ्चायाया निल्लज्जा कूड-कबड. कलह-बह-गंध वेरनिरया मजायातिकमप्पहाणा अकजनिचुजता गुरुनियोयविणयरहिया ये विकलरूषा परूढ-नह केस-मंसुरोमा काला खर-फरुमझामवन्ना फुट्टसिरा कविलपलियकेसा बहुराहाणि]संपिनद्ध-दुईसणिजख्वा संकुडिय-वलीत-रंगपरिवेढियंगमंगा जरापरिणतव्व थेरगनरा पविरलपरिसडिय-दतसेढी उभडघडमुहा विसमनयणा वंकनासा वंक(ग)वलीविगयभेसणमुहा कच्छू-कसराभिभूया खर-तिम्ख-नख-कंडूइय-विक्खयतणू ददुकिडि-मसिंझ-फुडिय-फरसच्छवी चित्तलंगाटोल(ला)गति-विसम-संधि-बंधणउक्कुड्डुअट्टिग-विभत्त-दुब्बल कुसंघयण-कुप्पमाण-कुसंठिया कुरुवा कुठाणासणकुसैजकुभोइणो असुइणो अणेग-वाहि-परिपीलियंगमंगा खलंतवेज्मलगती निरुच्छाहा सत्तपरिवजिया विगयचिट्टा नट्टतेया अभिक्खणं सीयउराह-खर-फरूस-वापविज्झडिया मलिण-पंसुरअगुडियंगमंगा बहुकोहमाणमाया बहुलोभा असुहदुक्खभोगी योसन्नं धम्मप्तरण-सम्मत्तपरिरुभट्ठा उक्कोसेणं रयणिप्पमाणमेता सोलस-बीसति-वासपरमाउसो पुतनत्तुपरियालपणय(परिपालण)बहुला गंगासिंधूयो महानदीयो वेयड व पअयं निस्साए बावत्तरि निग्रोदा बीयं बीयामेत्ता बिलवासिणो भविस्संति 1 ते णं भंते ! मणुया किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा ! ते णं काले णं ते णं समए णं गंगासिंधूश्रो महानदीयो रहपहवित्थरायो अरखसोयप्पमाणमेत्तं जलं बोझिर्हिति सेवि य ग जले बहुमच्छकच्छभाइन्ने णो चेव णं पाउय Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बामव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र में शतकं 7 : उ०७] . बहुले भविस्सति, तए णं ते मणुया सुरुगमण-मुहुत्तंसि य सूरत्थमणमुहुर्तसि. य बिलेहितो निद्धाहिति बिलेहिंतो निद्धाइत्ता मच्छकच्छभे थलाई गाहेहिंति मच्छकन्छभे थलाइंगाहेत्ता सीयायव-तत्तएहि मच्छकच्छएहिं एकवीसं वाससहस्साइं वित्तिं कप्पेमाणा विहरिस्संति 2 / ते णं भंते ! मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पचक्खाण-पोसहोववासा श्रोसरणं मंसाहारा मन्छाहारा खोदाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति ? कहिं उववजिहिंति ?, गोयमा ! श्रोसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववजिहिंति 3 / ते णं भंते ! सीहा वग्धा वगा दीविया अच्छा तरच्छा परस्सरा निस्सीला तहेव जाव कहिं उववजिहिंति ?, गोयमा ! श्रोसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववजिहिंति / ते णं भंते ! ढंका कंका विलका मद्द गा सिही निस्सीला तहेव जाव श्रोसन्नं नरगतिरि. खजोणिएसु उबवजिहिंति 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्रं 288 // सत्तमस्स छट्ठो उद्देसयो॥ // इति सतमशतके षष्ठ उद्देशकः // 7-6 // . // अथ सप्तमशतके अणगाराभिध-सप्तमोद्देशकः // संवुडस्स णं भंते ! श्रणगारस्स पाउत्तं गच्छमाणस्स जाव पाउत्तं तुयट्टमाणस्स. पाउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं गेराहमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा, तस्स णं भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कन्जइ ? संपराइया किरिया कजइ ?, गोयमा ! संवुडस्स णं श्रणगारस्स जाव तस्स णं ईरियावहिया किरिया कजइ णो संपराइया किरिया कजइत्ति है। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-संवुडस्स णं जाव नो संपराइया किरिया कजइ ?, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोमा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं ईरियावहिया किरिया कन्जइ, तहेव जाव उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराड़या Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदागमसुशासिन्धु / वित्तीयो क्भिागः किरिया कजइ, सेणं हासुत्तमेव रीयइ, से तेण?णं गोयमा ! जाव नो संपराईया किरिया कजइ 2 // सूत्रं 286 // रुवी भंते ! कामा ? अस्वी कामा ?, गोयमा ! ख्वी कामा समणाउसो ! नो अस्वी कामा 1 / सचित्ता भंते ! कामा ? अचित्ता कामा ?, गोयमा ! सचित्तावि कामा अचित्तावि कामा 2 / जीवा भंते ! कामा ? अजीवा कामा ?, गोयमा ! जीवावि कामा अजीवावि कामा 3 / जीवाणं भंते ! कामा ? अजीवाणं कामा ?, गोयमा ! जीवाणं कामा नो अजीवाणं कामा 4 / कतिविहा णं भंते ! कामा पन्नता ?, गोयमा ! दुविहा कामा पन्नत्ता, तंजहा-सदा * य रूवा य 5 / रुवी भंते ! भोगा अस्वी भोगा?, गोयमा ! रुवी भोगा नो अरूवी भोगा 6 / सचित्ता भंते ! भोगा अचित्ता भोगा ?, गोयमा ! सचित्तावि भोगा अचित्तावि भोगा 7 / जीवा णं भंते ! भोगा ? पुच्छा, गोयमा ! जीवावि भोगा अजीवावि भोगा 8 / जीवाणं भंते ! भोगा अजीवाणं भोगा ?, गोयमा ! जीवाणं भोगा नो अजीवाणं भोगा / कतिविहा णं भंते ! भोगा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा भोगा पनत्ता तंजहा-गंधा रसा फासा 10 / कतिविहा णं भंते ! कामभोगा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा कामभोगा पन्नत्ता, तंजहा-सहा. रूवा गंधा रसा फासा 11 / जीवा णं भंते ! किं कामी भोगी ?, गोयमा ! जीवा कामीवि भोगीवि 12 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जीवा कामीवि भोगीवि ?, गोयमा ! सोइंदियचक्खिदियाई पडुच कामी घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियाई पडुच्च भोगी, से तेणटेणं गोयमा ! जाव भोगीवि 13 / नेरइया णं भंते ! किं कामी भोगी ?, एवं चेव एवं जाव थणियकुमारा 14 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो कामी भोगी 15 / से केण?णं जाव भोगी ?, गोयमा ! फासिदियं पडुच्च से तेणट्टणं जाव भोगी 16 / एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया एवं चेव नवरं जिभिदिय-फासिंदियाई Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याल्पायज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) : शतकं 7 :: उ०७] 25 पडुच भोगी, तेइंदियावि एवं चेव नवरं घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियाई पडुच्च भोगी 17 / चरिंदियाणं पुच्छा गोयमा ! चउरिदिया कामीवि भोगीवि 18 / से केणढणं जाव भोगीवि ?, गोयमा ! चक्खिदियं पडुच्च कामी घाणिदियजिभिदियफासिदियाइं पडुच्च भोगी, से तेण?णं जाव भोगीवि, अवसेसा जहा जीवा जाव वेमाणिया 11 / एएसि णं भंते ! जीवाणं कामभोगीणं नोकामीणं नोभोगीणं भोगीण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा कामभोगी नोकामीनोभोगी श्रणंतगुणा भोगी अणंतगुणा 20 // सूत्रं 210 // छउमत्थे णं भंते ! मणूसे जे भविए अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववजित्तए, से नूणं भंते ! से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेणं कम्मेणं बलेणं वीरिएणं पुरिसकारपरकमेणं विउलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए ?, से नूणं भंते ! एयमटुं एवं वयह ?, गोयमा ! णो इण? समढे, पभू णं उठाणेणवि कम्मेणवि बलेणवि वीरिएणवि पुरुसकारपरक्कमेणवि अन्नयराइं विपुलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी भोगे परिचयमाणे महानिजरे महापजवसाणे भवइ 1 / पाहोहिए णं भंते ! मणुस्से जे भविए अन्नयरेसु देवलोएसु, एवं चेव जहा छउमत्थे नाव महापजवसाणे भवति 2 / परमाहोहिए णं भंते ! मणुस्से जे भविए तेणेव भवग्गहणेणं सिभित्तए जाव अंतं करेत्तए ?, से नूणं भंते ! से खीणभोगी, सेसं जहा छउमत्थस्स 3 / केवली णं भंते ! मणुस्से जे भविए तेणेव भवग्गहणेणं, एवं जहा परमाहोहिए जाव महापजवसाणे भवइ 4 // सूत्रं 261 // जे इमे भंते ! असनिणो पाणा, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया छट्ठा य एगतिया तसा, एए णं अंधा मूढा तमंपविट्ठा तमपडल-मोहजाल-पडिच्छण्णा अकामनिकरणं वेदणं वेदंतीति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! जे इमे असनिणो पाणा जाव पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया छट्ठा य जाव वेदणं वेदेतीति Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 213] श्रीमदागंमसुधासिदितीयो विमानः वत्तव्वं सिया 1 / त्थि णं भंते ! पभूवि अकामनिकरणं वेदणं वेदंति ?, हता गोयमा ! अस्थि 2 / कहन्नं भंते ! पभूवि अकामनिकरणं वेदणं वेदेति ?, गोयमा ! जे णं णो पभू विणा पदीवेणं अंधकारसि स्वाई पासित्तए, जे णं नो पभू पुरो स्वाइं अणिज्झाइत्ता णं पासित्तए, जे णं नो पभू मग्गयो रुवाई अणवयक्खित्ता णं पासित्तए, जे णं नो पभू पासो रुवाई अणवलोएता (अणुलोइत्ता) णं पासित्तए, जे णं नो पभू उ8 रुवाई प्रणालोएत्ता णं पासित्तए, जेणं नो पभू अहे रूवाई प्रणालोयएत्ता णं पासित्तए, एस णं गोयमा ! पभूवि अकामनिकरणं वेदणं वेदेति 3 / अत्थि णं भंते ! पभूवि पकामनिकरणं वेदणं वेदेति ?, हंता त्थि 4 / कहन्नं भंते ! पभूवि पकामनिकरणं वेदणं वेदंति ?, गोयमा ! जे णं नो पभू समुदस्स पारं गमित्तर जे णं नो पभू समुदस्स पारगयाई रुवाई पासित्तए जे णं नो पभू देवलोगं गमित्तए जे णं नो पभू देवलोगगयाई ख्वाइं पासित्तए, एस णं गोयमा ! पभूवि पकामनिकरणं वेदणं वेदेति 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 6 // सूत्र 212 // सत्तमस्स सत्तमो उद्दे सो समत्तो॥ // इति सप्तमशतके सप्तम उद्देशकः // 7-7 // // अथ सप्तमशतके छद्मस्थाख्या-ष्टमोद्देशकः // छउमत्थे णं भंते ! मासे तीयमगांतं सासयं समयं केवलेगां संजमेणां एवं जहा पढमसए चउत्थे उद्देसए तहा भाणियव्वं जाव अलमत्थु ।।सूत्रं 213 // से गूगां भंते ! हत्थिस्स य कुथुस्स य समे चेव जीवे ?, हंता गोयमा ! हत्थिस्स कुंथुस्स य, एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव खुड्डियं वा महालियं वा से तेण?णं गोयमा ! जाव समे चेव जीवे // सूत्र 214 // नेरइयाणं भंते ! पावे कम्मे जे य कडे जे य कजइ जे य कजिस्सइ सवे से दुक्खे ? Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्योप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) एवं : शतकं 7 : उ० 1] [213 जे निजिन्ने से सुहे ?, हंता गोयमा ! नेरझ्याणं पावे कम्मे जाव सुहे, एवं जाव वेमाणियाणं // सूत्रं 215 / कति णं भंते ! सनायोपन्नत्तायो ?, गोयमा ! दस सन्नायो पत्नत्तायो, तंजहा-श्राहारसन्ना 1 भयसन्ना 2 मेहुणसना 3 परिग्गहसन्ना 4 कोहसन्ना 5 माणसन्ना 6 मायासन्ना 7 लाभसन्ना 8 लोगसन्ना 1 श्रोहसन्ना : 10, एवं जाव वेमाणियाणं 1 / नेरइया दसविहं वेयणं (वेयणिज्ज) पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-सीयं उसिणं खुहं पिवासं कंडु परझं जरं दाहं भयं सोगं // सूत्रं 216 // से नूणं भंते ! हत्थिस्स य कुथुस्स य समा चेव अपचक्खाणकिरिया कजति ?, हंता गोयमा ! हत्थिस्स य कुंथुस्स य जाव कजति 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव कजइ?, गोयमा ! अविरतिं पडुच्च, से तेणढेणं जाव कजइ 2 // सूत्रं 217 // श्राहाकम्मरणं भंते ! भुजमाणे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं. उवचिणाइ ? एवं जहा पढमे सए नवमे उद्देसए तहा भाणियव्वं जाव सासए पंडिए पंडियत्तं असासयं, सेवं भंते ! सेवं भंते !त्ति जाव विहरति॥सूत्रं 218 // सत्तमसयस्स अट्ठम उद्दे सो॥ ___ // इति सप्तमशतके अष्टम उद्देशकः // 7-8 // // अथ सप्तमशतके असंवृताख्य-नवमोद्देशकः // असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवन्नं एगरुवं विउवित्तए ?, णो तिण? समढे 1 / असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभु एगवन्नं एगरुवं जाव हंता पभू 2 / से भंते ! किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुष्वइ ?, गोयमा ! इहगए.पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ नो अन्नत्थगए पोग्गले जाव विकुव्वति 3 / एवं एगवन्नं Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214], श्रीमदायमसुधासिन्धुः में द्वितीयो विभाग श्रणेगरूवं उभंगो जहा उट्ठसए नवमे उद्देसए तहा इहावि भाणियव्वं, नवरं अणगारे इहगयं इहंगए चेव पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ 4 / सेसं तं चे जाव लुक्खपोग्गलं निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?, हंता पभू 5 / से भंते ! किं इहगए पोग्गले परियाइना जाव नो अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ 6 // सूत्रं 211 ॥णायमेयं अरहया सुयमेयं अरहया विनायमेवं अरहया महासिलाकंटए संगामे महासिलाकंटए संगामे 1 / महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था ?, गोयमा ! वजी विदेहपुत्ते जइत्था, नवमलई नवलेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो पराजइत्था 2 / तए णं से कोणिए राया महासिलाकंटकं संगामं उवट्ठियं जाणित्ता कोड बियपुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! उदाई हत्थिरायं पडिकप्पेह हयगयरहजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणिं सन्नाहेह 2 ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणह 3 / तए णं ते कोडुबियपुरिसा कोणिएणं स्ना एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठ जाव अंजलि कट्टु एवं सामी ! तहत्ति श्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति 2 खिप्पामेव छेयायरियोवएस-मतिकप्पणा-विकप्पेहिं सुनिउणेहिं एवं जहा उववाइए जाव भीमं संगामियं अउज्झ उदाइं हत्थिरायं पडिकपेंति हयगय जाव सन्नाति 2 जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छइत्ता करयल परिग्गहिश्रदसनहं जाव कटटु कूणियस्स रन्नो तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 4 / तए णं से कूणिए राया जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव आगच्छित्ता मजणघरं अणुपविसइ मजणघरं अणुपविसित्ता गहाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सव्वालंकार-विभूसिए सन्नद्ध-बद्ध-वम्मियकवए उप्पीलिय-सरासणपट्टिए पिणद्धगेवेज्जे विमलवर-बद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरिंट-मल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं चउचामर-वालवीतियंगे मंगल-जय-सहकयालोए एवं जहा उववाइए जाव उवागच्छित्ता उदाई Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमयारूपाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतक 7 : उ०१ ] हत्थिरायं दुरूढे 5 / तए णं से कूणिए राया हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे जहा उववाइए जाव सेयवरचामराहिं उद्धृव्वमाणीहिं उद्धव्वमाणीहिं हयगय-रह.पवर-जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे महया भड-चडगरविंद-परिक्खित्ते जेणेव महासिलाए कंटए संगामे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता महासिलाकंटयं संगामं श्रोयाए, पुरयो य से सक्के देविदे देवराया एगं महं अभेजकवयं वइरपडिरूवगं विउवित्ताणं चिट्ठति, एवं खलु दो इंदा संगाम संगामेंति, तंजहा-देविंदे य मणुइंदे य, एगहत्थिणावि णं पभू कूणिए राया पराजिणित्तए 6 / तए णं से कूणिए राया महासिलाकंटकं संगाम संगामेमाणे नव मल्लइ नव लेच्छइ कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो हय-महिय-पवर-वीरघाइय-वियडिय-चिंधद्धय-पडागे किच्छपाणगए दिसो दिसि पडिसेहित्था 7 / से केण?णं भते ! एवं वुच्चइ महासिलाकंटए संगामे 21, गोयमा ! महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे तत्थ श्रासे वा हत्थी वा जोहे वा सारही वा तणेण वा पत्तेण वा कट्टेण वा सकराए वा अभिहम्मति सब्बे से जाणइ महासिलाए अहं अभिहए महासिलाए अहं अभिहए, से तेणटेणं गोयमा ! महासिलाकंटए संगामे 2, 8 / महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीयो वहियायो ?, गोयमा ! चउरासीइं जणसयसाहस्सीयो वहियायो 1 / ते णं भंते ! मणुया निस्सीला जाव निप्पञ्चक्खाणं पोसहोववासा स्ट्ठा परिकुविया समरवहिया अणुवसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया ? कहिं उववन्ना ?, गोयमा ! श्रोसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववन्ना // सूत्रं 300 ॥णायमेयं अरहया सुयमेयं अरहया विनायमेयं अरहया रहमुसले संगामे 2, 1 / रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था के पराजइत्था ?, गोयमा ! वजी विदेहपुत्ते चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया जइत्था नव मलई नव लेच्छई पराजइत्था 2 / तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगामं, उवट्ठियं सेसं Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - / मदीगमसुधासिन्धु म द्वितीयो विमगिः जहा महासिलाकंटए नवरं भूयाणंदे हत्थिराया जाव रहमुसलसंगामं श्रोयाए, पुरो य से सक्के देविदे देवराया, एवं तहेव जाव चिट्ठति, मग्गो य से चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया एगं महं पायस किढिणपडिरूवगं विउविताणं चिटइ, एवं खलु तो इंदा संगाम संगामेति, तंजहा-देविंदे य मणुइदे य असुरिंदे य, एगहत्थिणावि णं पभू कूणिए राया जइत्तए तहेव जाव दिसो दिसि पडिसेहित्था 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुचति रहमुसले संगामे 21, गोयमा ! रहमुसले णं संगामे वट्टमाणे एगे रहे श्रणासए असारहिए अणारोहए समुसले महया जणक्खयं जणवहं जणप्पमई जणसंवट्टकप्पं रुहिरकदमं करेमाणे सव्वत्रो समंता परिधावित्था से तेणटेणं जाव रहमुसले संगामे 2, 4 / रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीयो वहियायो ?, गोयमा ! छनउति जणसयसाहस्सीयो बहियायो 5 / ते णं भंते ! मणुया निस्सीला जाव उववन्ना ?, गोयमा ! तत्थ णं दस साहस्सीयो एगाए मच्छीए कुच्छिसि उववनायो, एगे देवलो. गेसु उववन्ने, एगे सुकुले पञ्चायाए, अवसेसा श्रोसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववन्ना 6 // सूत्रं 301 // कम्हा णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियस्स रनो साहेज दलइस्था ?, गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया पुव्वसंगतिए चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया परियायसंगतिए, एवं खलु गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया चमरे य असुरिदे असुरकुमारराया कूणियस्स रन्नो साहिज्जं दलइत्था // सूत्रं 302 // बहुजणे णं भंते ! अनमन्नस्स एवमाइक्खंति जाव परुवंति एवं खलु बहवे मणुस्सा अन्नयरेसु उच्चावएसु संगामेसु अभिमुहा चेब पहया समाणा कालमासे कालं किचा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं से बहुजणो अनमन्नस्स एवं बाइक्खति जाव उववत्तारो भवंति जे ते एवमासु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोमेदव्यास्याप्रति श्रीमद्भगवती) धत्र : शक्कं 7 : उ०१] 217 गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परुवेमि-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वेसाली नामं नगरी होत्था, वराणयो, तत्थ णं वेसालीए णगरीए वरुणे नामं णागनत्तुए परिवसइ अड्डे जावं अपरिभूए समणोगसए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलामेमाणे छटुं छट्टेणं अनिक्खित्तेणं तवो. कम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरति 1 / तए णं से वरुणे णागनत्तुए अन्नया कयाइ रायाभियोगेणं गणाभियोगेणं बलाभियोगेणं रहमुसले संगामे आणत्ते समाणे छट्ठभत्तिए अट्ठमभत्तं अणुवटृति अट्ठमभत्तं अणुवढेत्ता कोडबियपुरिसे सहावेइ 2 एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं श्रासरहं जुत्तामेव उवट्टावेह हयगयरहपवर जाव सन्नाहेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 2 / तए णं से कोड बियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सच्छत्तं समयं जाव उवट्ठावेंति हयगयरह जाव सन्नाति 2 जेणेव वरुणे नागनत्तुए जाव पञ्चप्पिणंति 3 / तए णं से वरुणे नागनत्तुए जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छति जहा कूणियो जाव पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सन्नद्धबद्ध वम्मियकवए जाव सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं श्रणेगगणनायग जाव दूयसंधिपाल सद्धिं संपरितुडे मजणघरायो पडिनिक्खमति पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे बासरहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छइत्ता चाउग्घंटं श्रासरहं दुरूहइ 2 हयगयरह जाव संपरिबुडे महया भडबडगरविंद-परिक्खित्ते जेणेव रहमुसले संगामे तेणेव उवागच्छइ 2 ना रहमुसलं संगामं श्रोयानो 4 / तए णं से वरुणे णागणत्तुए रहमुसलं संगामं श्रोयाए समाणे अयमेयावं अभिग्गहं अभिगिराहइ-कप्पति मे रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्स जे पुदि पहणइ से पडिहणित्तए अवसेसे नो कप्पतीति, अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेराहइ अभिगेराहइत्ता रहमुसलं संगाम संगामेति 5 / तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्त रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसए 26 Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1.218] श्रीनरागमसुधासिन्धुः। द्वितीभ्यो विभागः सरिसत्तएं सरिसव्वए सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पंडिरहं हन्दमागए 6 / तए णं से पुरिसे वरुणं णागणत्तुयं एवं वयासी-पहण भो वरुणा ! णागणत्या ! पहणं 2, तए णं से वरुणे णागणत्तुए तं पुरिसं एवं वदासी-नो खलु मे कप्पइ देवाणुप्पिया ! पुदि ग्रहयस्स पहणित्तए, तुमं चेव णं पुव्वं पहणाहि 7 / तए णं से पुरिसे वरुणेणं णागणसुएणं एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ 2 उसु परामुसइ उसु परामुसित्ता अणं गति ठाणं ठिचा पाययकन्नाययं उसुकरेइ अाययकन्नाययं उसु करेता वरुणं णागणत्तुयं गाढप्पहारी करेइ = / तए णं से वरुणे णागनत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे ग्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ धणु परामुसित्ता उसु परामुसइ उसु परामुसित्ता प्राययकनायवं उसुकरेइ श्राययकन्नाययं उसु करेत्ता 2 तं पुरिसं एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियायो ववरोवेइ 1 / तए णं से वरुणे णागणत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसकारपरकमे श्रधारणिजमितिकटु तुरए निगिराहइ तुरए निगिरिहत्ता रहं परावत्तेइ रहं परावत्तित्ता रहमुसलायो संगामाश्रो पडिक्खिमति 2 एगंतमंतं अवकमइ एगंतमंतं अवकमित्ता तुरए निगिराहइ 2 रहं ठवेइ 2 त्ता रहायो पचोरहइ 2 रहायो तुरए मोएइ तुरए मोएत्ता तुरए विसज्जेइ 2 ता [ ग्रन्थ 4000 ] दब्भसंथारगं संथरइ 2 दम्भसंथारगं दुरुहइ दम्भसंथारगं दुरहित्ता [ पुरच्छाभिमुहे दम्भसंथारगं दुरूहइ 2 ] पुरच्छाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयल जाव कटु एवं वयासी-नमोत्थु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्यु णं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स प्राइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स वंदामि णं भगवन्तं तत्थगयं इहगए पासउ मे से भंगवं तत्थगए जाव वंदति नमसति .2 एवं वयासी-पुस्विपि मए समयास्स भगवश्री महावीरस्स अंतिए थूलए पापा Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्र : शतकं 7 : उ०९] [216 तिवाए पञ्चक्खाए जावजीचाए एवं जाव थूलए परिग्गहे पचक्खाए जावजीवाए, इयाणिपि णं अरिहंतस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियं सव्वं पाणातिवायं पचक्खामि जावजीवाए एवं जहा खंदयो जाव एयपि णं चरमेहि ऊसासनीसासेहिं वोसिरिस्सामित्तिकट्टु सन्नाहपट्ट मुयइ सन्नाहपट्ट मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेति सल्लुद्धरणं करेत्ता बालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते पाणुपुबीए कालगए 10 / तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स एगे पियवालवयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले जाव अधारणिजमितिकटु वरुणं णागनत्यं रहमुसलायो संगामायो पडिनिक्खममाणं पासइ पासइत्ता तुरए निगिराहइ तुरए निगिरिहत्ता जहा वरुणे नागनत्तुए जाव तुरए विसज्जेति 2 पडि(ड)संथारगं दुरूहइ पडि(ड)संथारगं दुरूहित्ता पुरस्थाभिमुहे जाव अंजलि कटु एवं वयासी-जाई णं भंते ! मम पियबालवयस्सस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स सीलाई वयाई गुणाई वेरमणाई पचक्खाणापोसहोववासाई ताइ णं ममंपि भवंतु त्ति कट्टु सन्नाहपट्ट मुयइ 2 सल्लुद्धरणं करेति सल्लुद्धरणं करेत्ता श्राणुपुवीए कालगए 11 / तए णं तं वरुणं णागणत्तुयं कालगयं जाणित्ता अहासन्निहिएहिं वाणमंतरेहिं देवेहिं दिव्वे सुरभिगंधोदगवासे बु? दसद्धवन्ने कुसुमे निवाडिए दिव्वे य गीयगंधव्वनिनादे कए यावि होत्था 12 / तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स तं दिव्यं देविढि दिव्वं देवज्जुतिं दिव्वं देवाणुभागं सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! बहवे मणुस्सा जाव उववत्तारो भवंति 13 // सूत्रं 303 // वरुणे णं भंते ! नागनत्तुए कालमासे कालं किंचा कहिं गए ? कहिं उववन्ने ?, गोयमा ! सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिग्रोवमाणि ठिती * पनत्ता, तत्थ णं वरुणास्सवि देवस्स चत्तारि पलिग्रोवमाई ठिती पन्नत्ता 1 / Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12] श्रीमदागेमसुचासिन्धुः / द्वितीयो विमानः से णं भंते ! वरुण देवे तायो देवलोगायो पाउखाणं भवक्खएणं ठिइ. क्खएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति 2 / वरुणस्स णं भंते ! णागणतुयस्स पियबालवयंसए कालमासे कालं किवा कहिं गए ? कहिं उववन्ने ?, गोयमा / सुकुले पञ्चायाते 3 / से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छहिति कहिं उववजहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिन्झिहिति जाव अंतं करेहिति 4 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरति // सूत्रं 304 // सत्तमस्स णवमो उद्देसो॥ . ॥इति सप्तमशतके नवम उद्देशकः // 7-9 // // अथ सप्तमशतके अन्ययूथिकाख्य-दसमोद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था वनश्रो, गुणसिलए चेइए वनश्रो, जाव पुढविसिलापट्टए वगणो 1 / तस्स णं गुणसिलयस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे अन्नउत्थिया परिवसंति, तंजहाकालोदाई सेलोदाई सेवालोदाई उदए नामुदए (नोसुइए) तम्मुदए अन्नवालए सेलवालए संखवालए सुहत्थी गाहावई 2 / तए णं तेसिं अन्नउत्थियाणं अनया कयाई एगयो समुवागयाणं सन्निविट्ठाणं सन्निसन्नाणं अयमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पजित्था एवं खलु समणे नायपुत्ते पंच अस्थिकाए पनवेति, तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव श्रागासस्थिकाय, तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अत्थिकाए अजीवकाए पनवेति, तंजहा-धम्मत्थिकायं अधम्मत्थिकायं अागासत्यिकायं पोग्गलत्थिकायं, एगं च समणे णायपुत्ते जीवत्थिकायं अरूविकायं जीवकायं पनवेति, तत्थ णं समणे णायपुत्ते चत्तारि अस्थिकाए अरूविकाए पनवेति, तंजहा-धम्मत्थिकायं अधम्मत्थिकायं अागासत्थिकायं जीवत्थिकायं, एगं च णं समणे णायपुत्ते पोग्गलत्थिकायं रूविकायं अजीवकायं पनवेति, से कहमेयं मन्ने एवं ? 3 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव गुणसिलए चेइए समोसढे जाव परिसा पडिगया Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 7 // उ० 10] [221 4 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स जे? अंतेवाली इंदभूईणामं अणगारे गोयमगोत्तेणं एवं जहा बितियसए नियंठुद्देसए जाव भिक्खायरियाए अडमाणे अहापजत्तं भत्तपाणं पडिग्गहित्ता रायगिहायो जाव अतुरिय-मचवल-मसंभंते जाव रियं सोहेमाणे सोहेमाणे तेसिं अन्नउत्थियाणं अदूरसामंतेणं वीइवयति 5 / तए णं ते अन्नउत्थिया भगवं गोयमं अदूरसामंतेणं वीइवयमाणं पासंति पासेत्ता अनमन्नं सदावेंति अन्नमन्नं सदावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमा कहा अवि(अविउ)प्पकडा अयं च णं गोयमे अम्हं अदूरसामंतेणं वीइवयइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं गोयमं एयमट्ठ पुच्छित्तएत्तिकटु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठ पडिसुगोंति 2 ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता ते भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे णायपुत्ते पंच अस्थिकाए पनवेति, तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव भागासथिकायं, तं चेव जाव रूविकायं अजीवकायं पनवेति, से कहमेयं भंते ! गोयमा ! एवं ? 6 / तए णं से भगवं गोयमे ते अन्नउत्थिए एवं वयासीनो खलु वयं देवाणुप्पिया ! अस्थिभावं नस्थित्ति वदामो, नस्थिभावं अथित्ति वदामो, अम्हे णं देवाणुप्पिया ! सव्वं अस्थिभावं अस्थीति वदामो सव्वं नत्थिभावं नत्थीति क्यामो, तं चेय(वेद)सा खलु तुब्मे देवाणुप्पिया ! एयम४ सयमेव पच्चुवेक्खहत्तिकटु ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-एवं 2, जेणेव गुणसिलए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे एवं जहा नियंठुद्दे सए जाव भत्तपाणं पडिदंसेति भत्तपाणं पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ 2 नचासन्ने जाव पज्जुवासति / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे महाकहापडिवन्ने यावि होत्था, कालोदाई य तं देसं हव्वमागए, कालोदाईति समणे भगवं महावीरे कालोदाई एवं वयासी-से नूणं कालोदाई ! अन्नया कयाई एगयो सहियाणं समुवागयाणं सनिवि विकायं पत्नवानउत्थिए एवं अत्यति Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदगिमसुधासिन्धुः / / द्वितीयो विभागः ट्ठाणं तहेव जाव से कहमेयं मन्ने एवं ?, से नूणं कालोदाई ! अत्थे सम??, हंता अत्थि, / तं सच्चे णं एसम? कालोदाई ! अहं पंचत्थिकायं पनवेमि, तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं, तत्थ णं अहं चत्तारि अस्थिकाए अजीवत्थिकाए अजीवतया पन्नवेमि तहेव जाव एगं च णं अहं पोग्गलत्थिकायं रूविकायं पनवेमि 1 |तए णं से कालोदाई समणं भगवं महावीरं एवं वदासी-एयंसि णं भंते ! धम्मत्थिकार्यसि अधम्मत्थिकायंसि श्रागासत्थिकार्यसि अरूविकायंसि अजीवकायंसि चकिया केइ श्रासइत्तए वा 1 सइत्तए वा 2 चिट्ठइत्तए वा 3 निसीइत्तए वा 4 तुयट्टित्तए वा 5.1, णो तिण? सम?, कालोदाई ! एगंसि णं पोग्गलत्थिकायंसि रूविकायंसि श्रजीवकायंसि चकिया केइ श्रासइत्तए वा सइत्तए वा जाव तुट्टित्तए वा 10 / एयंसि णं भंते ! पोग्गलत्थिकायंसि रूविकायंसि अजीवकायंसि जीवाणं पावा कम्मा पावकम्म-फलविवागसंजुत्ता कज्जति !, णो इण8 समढे कालोदाई !, एयंसि णं जीवत्थिकायंसि अरूविकायंसि जीवाणं पावा कम्मा पावफल-विवागसंजुत्ता कज्जति ?, हंता कज्जति 11 / एत्थ णं से कालोदाई संबुद्धे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीइच्छामि णं भंते ! तुम्भं अंतियं धम्म निसामेत्तए एवं जहा खंदए तहेव पव्वइए तहेव एकारस अंगाई जाव विहरइ 12 ॥सूत्रं 305 // तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ रायगिहायो नगरायो गुणसिलयायो चेइयायो पडिनिक्खमति 2 बहिया जणवयविहारं विहरइ 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे गुणसिले णाम चेइए होत्था, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ जाव समोसढे परिसा जाव पडि. गया 2 / तए णं से कालोदाई श्रणगारे अन्नया कयाइ जेणेव समणे भगवं 'महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी अत्थि णं भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवाग Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) में शतक 7 : उ०१०] [123 संजुत्ता कज्जति ?, हंता अस्थि है। कहराणं भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कति ?, कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुन्न थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाउलं विससंमिस्सं भोयणं भुजेजा तस्स णं भोयणस्स यावाए भद्दए भवति तो पच्छा परिणममाणे 2 दुरूवत्ताए दुगंधत्ताए जहा महासवए जाव भुजो 2 परिणमति एवामेव कालोदाई जीवाणं पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले तस्स णं श्रावाए भदए भवइ, तो पच्छा विपरिणममाणे 2 दुरूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कन्जंति 4 / अस्थि णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा कल्लाणफलविवागसंजुत्ता कजंति ?, हंता अस्थि 5 / कहन्नं भंते ! जीवाणं कलाणा कम्मा जाव कज्जति ?, कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुन्नं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाकुलं पोसहमिस्सं भोयणं भुजेजा, तस्स णं भोयणस्स श्रावाए नो भदए भवइ, तो पच्छा परिणाममाणे 2 सुरूवत्ताए सुवन्नत्ताए जाव सुहत्ताए नो दुक्खत्ताए भुजो 2 परिणमति, एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाझ्यायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, तस्स णं आवाए नो भदए भवइ, तो पच्छा परिणममाणे 2 सुरूवत्ताए जाव नो दुक्खत्ताए भुजो 2 परिणमइ, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा जावं कज्जति 6 // सूत्रं 306 // दो भंते ! पुरिसा सरिसया जाव सरिसभंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नेणं सद्धिं अगणिकायं समारंभंति, तत्थ णं एगे पुरिसे अगणिकायं उज्जालेति एगे पुरिसे अगणिकायं निव्वावेति, एएसि णं भंते ! दोराहं पुरिसाणं कयरे 2 पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव ? महावेयणतराए चेव ? कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए चेक ? जाव अप्पवेयणतराए चेव ?, जेसे पुरिसे अगणिकायं उजालेइ ? जे वा से पुरिसे अगणिकायं निवावेति ?, Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदामितवासिन्धु वितीयो बिमान... कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उजालेइ से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव, तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निवावेइ से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुचइ-तत्थ णं जे से पुरिसे जाव अप्पवेयणतराए चेव ?, कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उजालेइ से णं पुरिसे बहुतरागं पुढविकायं समारंभति बहुतरागं श्राउकायं समारंभति अप्पतरायं तेऊकायं समारंभति बहुतरागं वाऊकायं समारंभति बहुतरायं वणस्सइकायं समारंभति बहुतरागं तसकायं समारंभति, तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेति से णं पुरिसे अप्पतरायं पुढविकायं समारंभइ अप्पतरागं श्राउकायं समारंभइ बहुतरागं तेउकायं समारंभति अप्पतरागं वाउकायं समारंभइ अप्पतरागं वणस्सइकायं समारंभइ अप्पतरागं तसकार्य समारंभति से तेणटेणं कालोदाई ! जाव अप्पवेयणतराए चेव 2 // सूत्रं 307 // अत्थि णं भंते ! अचित्तावि पोग्गला श्रोभासंति उज्जोति तवेंति पभासेंति ?, हंता अस्थि ? / कयरे णं भंते ! अचित्तावि पोग्गला श्रोभासंति जाव पभासेंति ?, कालोदाई ! कुद्धस्स अणगारस्स तेयलेस्सा निसट्टा समाणी दूरं गंता दूरं निपतइ देसं गंता देसं निपतइ जहिं जहिं च णं सा निपतइ तहिं तहिं च णं ते अचित्तावि पोग्गला श्रोभासंति जाव पभासंति, एएणं कालोदाई ! ते अचित्तावि पोग्गला योभासंति जाव पभासेंति 1 / तए णं से कालोदाई श्रणगारे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 बहूहिं चउत्थछट्टट्ठम जाव अप्पाणं भावेमाणे जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते जावं सव्वदुक्खप्पहीणे 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्रं 308 // सत्तम सयं समत्तं // ... . // इति सममशतके वशम उद्देशकः // 7-10 // .. // इति सप्तमं शतकम् // 7 // Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्न्याल्पामज्ञप्ति (बीमझगवती) एवं शतक : उ०१] / 225 .. // अथ अष्टमशतके पुद्गलाख्य-प्रथमोद्देशकः // पोग्गल 1 श्रासीविस 2 रुक्ख 3 किरिय 4 श्राजीव 5 फासुग 6 मदत्ते 7 / पडिणीय 8 बंध 1 धाराहणा य 10 दस अट्ठमंमि सए // 1 // रायगिहे जाव एवं वयासी-कइविहा णं भंते ! पोग्गला पन्नत्ता ?, गोयमा तिविहा पोग्गला पन्नत्ता, तेजहा-पयोगपरिणया मोससापरिणया वीससापरिणया // सूत्रं 301 // पयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पत्नत्ता, तंजहा-एगिदिय-पयोगपरिणया बेइंदियपयोगपरिणया जाव पंचिंदिय-पयोगपरिणया 1 / एगिदिय-पयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पत्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहापुढविकाइय-एगिदिय-पयोगपरिणया जाव वणस्सइकाइय-एगिदिय-पयोगपरिणया 2 | पुढविकाइय-एगिदिय-पयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुम-पुढविकाइय-एगिदियपयोगपरिणया य बादर-पुढविक्काइय-एगिदिय-पयोगपरिणया य 3 / बाउकाइय-एगिदिय-पयोगपरिणया एवं चेव, एवं दुपयत्रो भेदो जाव वणस्सइकाइया य 4 / बेइंदिय-पयोगपरिणया णं पुच्छा, गोयमा ! अणेगविहा पन्नता, तंजहा-, एवं तेइंदिय-चरिंदिय-पयोगपरिणयावि 5 / पंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! चउन्विहा पनत्ता, तंजहा-नेरइय-पंचिंदियपयोगपरिणया तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-पयोगपरिणया, एवं मणुस्सपंचिंदिय. पयोगपरिणया देवपंचिंदियपयोगपरिणया 6 / नेरइयपंचिंदिय-पयोगपरिणया पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहा पनत्ता, तंजहा-रयणप्पभा-पुढवि-नेरइयपंचिंदिय-पयोगपरिणयावि जाव अहेसत्तम-पुढवि-नेरझ्य-पंचिंदिय-पयोगपरिणयावि 7 / तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-पयोगपरिणया णं पुच्छा, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-जलचर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-पयोगपरिणया थलचर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-पयोगपरिणया खहचर-तिरिक्खजोणिय 2. Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [आमदाममसुधीसिन्धुः द्वितीया विभागः पंचिंदिय-पत्रोगपरिणया = | जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-पयोगपुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिमजलयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियपयोगपरिणया गम्भवक्कंतिय-जलयरपंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियपयोगपरिणया 1 / थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणिय-पयोग-परिणया पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियपयोग-परिणया परिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणिय-पश्रोग-परिणया 10 / चउप्पयथलयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणिय-पयोग-परिणया पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-पयोग-परिणया गब्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर--पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियपश्रोग-परिणया 11 / एवं एएणं अभिलावेणं परिसप्पा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-उरपरिसप्पा य भुयपरिसप्पा य 12 / उरपरिसप्पा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–संमुच्छिमा य गम्भवक्कंतिया य, एवं भुयपरिसप्पावि, एवं खहयरावि 13 / मणुस्सपंचिदियपयोग-परिणया पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पनत्ता,तंजहासमुच्छिममणुस्सपंचिंदिय-पयोगपरिणया गब्भवक्कंतियमणुस्सपंचिंदिय-पयोगपरिणया 14 / देवपंचिंदियपयोगपरिणया पुच्छा, गोयमा ! उबिहा पन्नत्ता, तंजहा-भवणवासिदेव-पंचिंदिय-पयोगपरिणया एवं जाव वेमाणिया 15 / भवणवासिदेव-पंचिंदिय-पयोगपरिणया पुच्छा, गोयमा ! दसविहा पनत्ता, तंजहा-असुरकुमारा जाव थणियकुमारा 16 / एवं एएणं अभिलावेणं अट्टविहा वाणमंतरा पिसाया जाव गंधवा 17 / जोइसिया पंचविहा पनत्ता, तंजहा-चंदविमाणजोतिसिय जाव ताराविमाणजोतिसिय-देवपंचिदिय-पत्रोगपरिणया 18 / वेमाणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-कप्पोववन्नग-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय--पयोग-परिणया कप्पातीतगवेमाणिय-देव-पंचिंदिय-पयोगपरिणया 11 / कप्पोववन्नगा दुवालसविहा पण्णत्ता, तंजहा-सोहम्मकप्पोववन्नगवेमाणिया जाव श्रञ्चुय Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमनगवनी) सूर्य : शतकं 8 : उ०१] [227 कप्पोववन्नगवेमाणिया 20 / कप्पातीतवेमाणिया पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-गेवेजकप्पातीत-वेमाणिया अणुत्तरोववाइय-कप्पातीत वेमाणिया, 21 / गेवेजकप्पातीतगा नवविहा परणत्ता, तंजहा-हेट्टिम 2 गेवेजगकप्पातीतग-वेमाणिया जाव उपरिम 2 गेविजगकप्पातीयगवेमाणिया 22 / अणुत्तरोवाइय-कपातीतग-वेमाणिय-देवपंचिंदिय-पयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-विजयप्रणुत्तरोववाइयदेव-पंचिंदिय-पयोगपरिणया जाव सवट्टसिद्ध-अणुत्तरोववाइय-देवपंचिंदिय-पयोगपरिणया 23 / सुहुमपुढविकाइयएगिदिय-पयोगपरिणया गणं भंते ! पोग्गला. कइविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, [केई अपज्जत्तगंपटमं भणंति पच्छा पजत्तगं,तंजहा-पजत्तग- :: सुहुम-पुढविकाइय-एगिदिय-पयोगपरिणया. य अपजत्त-सुहुम--पुढविकाइयएगिदिय-पयोग-परिणया य 24 / बादरपुदविकाइय-एगिदिय-पयोगपरिणया एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया, एक्केका दुविहा पोग्गला-सुहुमा य बादरा य पजत्तगा अपजत्तगा य भाणियन्वा 25 / ३दियपयोगपरिणया णं पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्त बेंदिय-पयोगपरिणया य अपजतग-दिय-पयोग-परिणया य, एवं तेइंदियावि एवं चरिंदियावि 26 / रयणप्पभापुढविनेरइयपयोगपरिणया पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तग-रयणप्पभा-पुढविनेरइय-पयोगपरिणया य अपजत्तगरयणप्पभा-पुढविनेरइय-पयोगपरिणया य, एवं जाव अहेसत्तमा 27 / संमुच्छिम-जलयरतिरिक्ख पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगसंमुच्छिम-जलयर-तिरिक्ख-जोणिय-पंचिंदिय-पयोग-परिणया अपजत्तग-संमु. च्छिम-जलयर-तिरिक्ख-जोणिय-पंचिंदिय-पयोग-परिणया, एवं गभवक्कंतियावि, संमुच्छिम-वउप्पयथलयरा एवं चेव गभवस्कतिया य, एवं जाव संमुच्छिम-खहयर-गब्भवक्कंतिया य एक्केक्के पजत्तगा य अपजत्तगा य संमुम-जलयरतिरिक्स पापारणया य, एवं नागपरिणया य थपडावहा Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 228] :: [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमागः भाणियव्वा 28 / समुच्छिममणुस्सपंचिंदिय पुच्छा, गोयमा ! एगविहा पन्नत्ता, अपजत्तगा चेव 21 गम्भवक्कंतिय-मणुस्स-पंचिंदिय पुच्छा, गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगगम्भवक्कंतियावि अपज्जत्तगगम्भवक्कंतियावि 30 / असुरकुमार-भवणवासि-देवाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पनत्ता, तंजहा-पजत्तगअसुरकुमार-भवणवासिदेवा अपजत्तगअसुरकुमार-भवणवासिदेवा, एवं जाव थणियकुमारा पजत्तगा अपजत्तगा य, एवं एएणं अभिलावेणं दुयएणं भेदेणं पिसाया यजावगंधब्बा, चंदाजाव ताराविमाणा, सोहम्मकप्पोवगा जाव अच्चुयो, हिडिमहिट्ठिम-गेविजकप्पातीय जाव उवरिमउवरिमगेविजकप्पातीय-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय-पयोग-परिणया, विजयश्रणुत्तरोववाइयकप्पातीय-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय-पयोग-परिणया जाव सवट्ठसिद्धकप्पातीय-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय-पयोग-परिणया पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तग जाव परिणया अाजत्तग जाव परिणयावि, 2 दंडगा 31 / जे अाजत्ता सुहुम-पुढवीकाइय-एगिदियपयोगपरिणया ते पोरालियतेयाकम्मग-सरीरप्पयोगपरिणया जे पजत्ता सुहुम जाव परिणया ते श्रोरालिय-तेयाकम्मग-सरीरप्पयोगपरिणया एवं जाव चउरिदिया पजत्ता, नवरं जे पजत्त-बादरवाउकाइय-एगिदियपयोगपरिणया ते पोरालियवेउब्बिय-तेयाकम्मसरीर जाव परिणता, सेसं तं चेव 32 / जे अपजत्तगरयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदिय-पयोगपरिणया ते वेउब्बिय-तेयाकम्मसरीरप्पयोगपरिणया, एवं पजत्तयावि, एवं जाव अहेसत्तमा 33 / जे अपजतग-संमुच्छिम-जलयर जाव परिणया ते श्रोरालिय-तेयाकम्मासरीर जाव परिणया एवं पजत्तगावि,गन्भवक्कंतिया अपजत्तया एवं चेव पजत्तयाणं एवं चेव नवरं सरीरगाणि चत्तारि जहा बादरवाउक्काइयाणं पजत्तगाणं, एवं जहा जलचरेसु चत्तारि बालावगा भणिया एवं चउप्पय-उरंपरिसप्पभुयपरिसप्पखहयरेसुवि चत्तारि बालावगा भाणियव्वा 34 जे संमुच्छिम Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (भीमद्भगवती) स्त्रं शतर्क 8 .1] [26 मणुस्स-पंचिंदिय-पयोगपरिणया ते पोरालियतेयाकम्मासरीर जाव परिणया, एवं गम्भवक्कंतियावि अपजत्तगावि पजत्तगावि एवं चेव, नवरं सरीरगाणि पंच भाणियब्बाणि, जे अपजत्ता असुरकुमारभवणवासि जहा नेरइया तहेव एवं पजत्तगावि, एवं दुयएणं भेदेणं जाव थणियकुमारा एवं पिसाया जाव गंधया चंदा जाव ताराविमाणा, सोहम्मो कप्पो जाव अच्चुयो, हेट्ठिम 2 गेवेज जाव उवरिम 2 गेवेन्ज, विजयश्रणुत्तरोववाइए जाव सब्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइए, एक्कक्केणं दुयश्रो भेदो भाणियबो जाव जे पजत्तसव्वट्टसिद्धश्रणुत्तरोववाझ्या जाव परिणया ते वेउब्बिय-तेयाकम्मा-सरीरपयोगपरिणया, दंडगा, 3, 35 / जे अपजत्ता सुहुमपुढबिकाइय-एगिदियपयोगपरिणता ते फासिंदिय-पयोगपरिणया, जे पजत्ता सुहुमपुढविकाइया एवं चेव, जे श्रपजत्ता बादरपुढविकाइया एवं चेव, एवं पजत्तगावि, एवं चउकएणं भेदेणं जाव वणस्सइकाइया, जे अपजत्ता बेइंदियपयोगपरिणया ते जिभिदिय-फासिंदिय-पयोगपरिणया, जे पजत्ता बेइंदिया एवं चेव, एवं जाव चरिंदिया नवरं एककेक्कं इंदियं वड्ढ यवं जाव अपजत्ता रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदिय–पयोगपरिणया ते सोइंदिय-चक्खिदिय-पाणिंदिय-जिभिदियफासिदिय-पयोगपरिणया एवं पजत्तगावि, एवं सब्वे भाणियव्वा, तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवा जे पजत्ता सव्वट्ठसिद्ध-श्रणुत्तरोक्वाइय जाव परिणया ते सोइंदिय-चक्खिदिय जाव परिणया दंडगा 4, 36 / जे अपजत्ता सुहुमपुटविकाइय-एगिदिय-श्रोरालिय-तेयकम्मासरीरप्पयोगपरिणया ते फासिदियपयोगपरिणया, जे पजत्ता सुहुम जाव परिणया एवं चेव बादर. पुढविकाइय जाव परिणया अपजत्ता एवं चेव, एवं पजत्तगावि, एवं एएणं अभिलावेणं जस्स जइंदियाणि सरीराणि य ताणि भाणियवाणि जाव जे य पजत्ता सव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदिय-वेउन्विय-तेयाकम्मासरीरपयोगपरिणया ते सोइंदियचक्खिदिय जाव फासिंदियपयोगपरिणया Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 23.) [ भीमदाणमसुवासिन् द्वितीयो विभाग दंडगा 5, 37 / जे अपनत्ता सुहमपुढविकाइय-एगिदियपयोगपरिणया ते वनयो कालवनपरिणयावि नीलवनपरिणयावि लोहियवनपरिणयावि हालिवनपरिणयावि सुकिल्लवन्नपरिणयावि, गंधयो सुब्भिगंधपरिणयावि दुभिगंधपरिणयावि,रसो तित्तरसपरिणयावि कडुयरसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अंबिलरसपरिणयावि महुररसपरिणयावि, फासत्रो कक्खडफासपरिणयावि जाव लुक्खफासपरिणयावि, संठाणो परिमंडलसंगणपरिणयावि वट्टसंगणपरिणयावितंससंगणपरिणयावि चउरंसठाणपरिणयाविं श्रायतसंठाणपरिणयावि, जे पजत्ता सुहुमपुढविकाइय-एगिदियपयोगपरिणयता एवं चेव एवं जहाणुपुवीए नेयव्वं जाव जे पजत्ता सबट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव परिणयावि,ते वन्नो कालवन्नपरिणयावि जाव पाययसंगणपरिणयावि दंडगा 6,38 / जे अपज्जत्ता सुहुमपुढविकाइय-एगिदिय-थोरालिय-तेयाकम्मासरीरप्पयोगपरिणया ते वन्नयो कालवनपरिणयावि जाव थाययसंठाणपरिणयावि, जे पजत्ता सुहुमपुढविकाइय-एगिदियपयोगपरिणता एवं चेव, एवं जहाऽऽणुपुवीए भाणियव्वं, नेयव्वं जस्स जइ सरीराणि जाव जे पजत्ता सबट्टसिद्ध-अणुत्तरोववाइय-देवपंचिंदिय-विउव्विय-तेयाकम्मासरीर. जाव परिणया ते वन्नयो कालवन्नपरिणयावि जाव अायतसंगणपरिणयावि दंडगा 7, 31 / जे अपज्जत्ता सुहुमपुढविकाइय-एगिदिय-फासिदियपयोगपरिणया ते वनयो कालवनपरिणया जाव अाययसंठाणपरिणयावि, जे पजत्ता सुहुमपुढवि जाव परिणया एवं चेव, एवं जहाणुपुवीए, जस्स जइ इंदियाणि तस्स तत्तियाणि भाणियवाणि, जाव जे पजत्ता सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय-देवपंचिंदियसोइंदिय जाव फासिंदियपयोगपरिणयावि ते वन्नो कालवनपरिणया जाव अाययसंठाणपरिणयावि दंडगा 8, 40 / जे अपजत्ता सुहुमपुढविकाइय-एगिदिय-श्रोरालिय-तेयाकम्मा-सरीरफासिदिय-पयोगपरिणया ते वन्नयो कालवनपरिणयावि जाव अायतसंडाण Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 8:301] 1931 परिणयावि, जे पजत्ता सुहुमपुढविकाइय-एगिदिय-पयोग-परिणता एवं चेव, एवं जहाणुपुबीए जस्स जइ सरीराणि इंदियाणि य तस्स तइ भाणियव्वाणि जाव जे पजता सबट्टसिद्ध अणुत्तरोक्वाइया जाव देवपंचिंदियवेउव्वियतेयाकम्मा सोइंदिय जाव फासिंदियपयोगपरिणयावि ते वन्नयो कालवनपरिणयावि जाव पाययसंठाणपरिणयावि, एवं एए नव दंडगा 1, 41 / / सूत्रं 310 // मीसापरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा परणता ?, गोयमा ! पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-एगिदियमीसापरिणया जाव पंचिंदियमीसापरिणया 1 / एगिदियमीसापरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! एवं जहा पश्रोगपरिणएहिं नव दंडगा भणिया एवं मीसापरिणएहिवि नव दंडगा भाणियव्वा, तहेव सव्वं निरवसेसं, नवरं अभिलावो मीसापरिणया भाणियव्वं, सेसं तं चेव, जाव जे पजत्ता सवट्ठसिद्धश्रणुत्तरोववाइय जाव श्राययसंठगणपरिणयावि 2 // सूत्रं 311 // वीससापरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पन्नता, तंजहा-वनपरिणया गंधपरिणया रसपरिणया फासपरिणया संठागपरिणया, जे वनपरिणया ते पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-कालवनपरिणया जाव सुकिल्लवनपरिणया, जे गंधारिणया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुभिगंधपरिणयावि दुभिगंधपरिणयावि, एवं जहा पनवणापदे तहेव निरवसेसं जाव जे संगणयो श्रायतसंगणपरिणया ते वनयो कालवनपरिणयावि जाव लुक्खफासपरिणयावि // सूत्रं 312 // एगे भंते ! दव्वे किं पयोगपरिणए ? मीसापरिणए ? वीससापरिणए ?, गोयमा ! पयोगपरिणए वा मीसापरिणए वा वीससापरिणए वा 1 / जइ पयोगपरिणए किं मणप्पयोगपरिणए ? वइप्पयोगपरिणए ? कायप्पयोगपरिणए ?, गोयमा ! मणप्पयोगपरिणए वा वइप्पयोगपरिणए वा कायप्पयोगपरिणए वा 2 | जइ मणप्पयोगपरिणए किं सच्चमणप्पयोगपरिणए ? मोसमणप्पयोगपरिणए ? सच्चामोसमणप्पयोगपरिणए असचामोस Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12) [ श्रीमदागनसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः मणप्पयोगपरिणए ?, गोयमा ! सचमणप्पयोगपरिणए वा मोसमणप्पयोगपरिणए वा सचामोसमणप्पयोगपरिणए वा असञ्चामोसमणप्पयोगपरिणए वा 3 | जइ सचमणप्पश्रोगपरिणए किं श्रारंभ-सचमणप्पयोगपरिणए ? अणारंभ-सच्चमणप्पयोगपरिणए ?, सारंभ-सच्चमणप्पयोगपरिणए ? असारंभसच्चमणप्पयोगपरिणए ? समारंभसच्चमणप्पयोगपरिणए ? असमारंभ-सच्चमणप्पयोग-परिणए ?, गोयमा ! श्रारंभ-सच्चमणप्पश्रोग-परिणए वा जाव श्रसमारंभप्सच्चमणप्पयोगपरिणए वा 4 / जइ मोसमणप्पयोगपरिणए कि श्रारंभमोस-मणप्पयोगपरिणए वा जाव असमारंभ-मोसमणप्पयोग-परिणए वा ? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेणवि, एवं सचामोस-मगाप्पयोगपरिणएवि, एवं असचामोसमणपयोगेणवि 5 / जइ वइप्पयोगपरिणए कि सचबइप्पयोगपरिणए ? मोसवयप्पयोगपरिणए ? एवं जहा मणप्पयोगपरिणए तहा वयप्पयोगारिणएवि जाव असमारंभवयप्पयोगपरिणए वा 6 / जइ कायप्पयोगपरिणए किं पोरालिय–सरीर-कायप्पयोगपरिणए ? थोरालिय–मीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए ? वेउब्बियसरीरकायप्पयोग-परिणए ? वेउब्विय-मीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए ? थाहारगसरीर-कायप्पयोगपरिणए ? थाहारगमीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए ? कम्मासरोर-कायप्पयोगपरिणए ?, गोयमा ! पोरालियसरीर-कायप्पयोगपरिणए वा जाव कम्मासरीर-कायप्पयोगपरिणए वा 7 / जइ थोरालियसरीर-कायप्पयोगपरिणए कि एगिदिय-योरालिय-सरीर-कायप्पयोगपरिणए एवं जाव पंचिंदियोरालिय–सरीरकायप्पयोग-परिणए ?, गोयमा ! एगिदिय-थोरालिय-सरीरकायप्पयोगपरिणए वा जार पंचिंदिय बोरालियसरीरकाय-प्पयोग-परिणए वा 8 / जइ एगिदिय-बोरालिय-सरीरकायप्पयोगपरिणए किं. पुढविकाइय-एगिदिय-पोरालिय–सरीरकायप्पयोगपरिणिए जाव वणस्सइकाइय-एगिदिय-पोरालिय–सरीरकायप्पयोगपरिणए Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं / शतकं 8: उ०१] [236 वा ?, गोयमा ! पुढविक्काइय-एगिदिय जाव पयोग-परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिदिय जाव परिणए वा 1 / जइ पुढविकाइयएगिदिय-बोरालियसरीर जाव परिणए कि सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए बायरपुढविकाइयएगिदिय जाव परिणए ?, गोयमा ! सुहुमपुढविक्काइयणगिदिय जाव परिणए बायरपुढविकाइय जाव परिणए 10 / जइ सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए किं पजत्तसुहुमपुढवि जाव परिणए अपजत्तसुहुमपुढवी जाव परिणए ?, गोयमा ! पजत्तसुहुमपुढविकाइय जाव परिणए वा अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइय जाव परिणए वा 11 / एवं बादरावि, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं चउक्कयो भेदो, बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं दुयत्रो भेदो पजत्तगा य अपजत्तगा य 12 / जइ पंचिंदिय-धोरालिय-सरीरकायप्पयोगपरिणए किं तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-धोरालिय-सरीरकायप्पयोगपरिणए? मणुस्सपंचिदिय जाव परिणए?, गोयमा ! तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए वा 13 / जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए कि जलचरतिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा ? थलचर जाव परिणए वा ? खहचर जाव परिणए वा ?, एवं चउक्कयो भेदो जाव खहचराणं 14 / जइ मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए किं समुच्छिम-मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए गम्भवक्कंतिय-मणुस्स जाव परिणए ?, गोयमा ! दोसुवि 15 / जइ गम्भवक्कंतियमणुस्स जाव परिणए किं पजत्तगभवक्कंतिय जाव परिणए ? अपजत्त-गम्भवक्कंतिय-मणुस्सपंचिंदिय-श्रोरालिय-सरीरकायप्पयोगपरिणए ?, गोयमा ! पजत्तगभवक्कंतिय जाव परिणए वा अपजत्तगब्भवक्कंतिय जाव परिणए 1, 16 / जइ श्रोरालिय-मीसासरीर-कायप्पश्रोगपरिणए किं एगिदिय-श्रोरालियमीसासरीर-कायप्पभोगपरिणए ? बेइंदिय जाव परिणए जाव पंचेंदियथोरालिय जाव परिणए ?, गोयमा ! एगिदियश्रोरालिय एवं जहा पोरालिय-सरीर-कायप्पयोगपरिणएणं आलावगो भणियो तहा ओरालिय-मीसासरीर-कायप्पोग Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 234] श्रीमदाममसुधासिन्धुः। द्वितोयो विभागः परिणएवि पालावगो भाणियबो, नवरं बायरखाउकाइय-गम्भवक्कंतियपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-गम्भवक्कंतियमणुस्साणं, एएसिणं पजत्तापजत्तगाणं सेसाणं अपजत्तगाणं 2, 17 / जइ वेउब्वियसरीर-कायप्पयोगपरिणए किं एगिदिय-वेउब्वियसरीर-कायप्पयोगपरिणए जाव पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीर जाव परिणए ?, गोयमा ! एगिदिय जाव परिणए वा जाव पंचिंदिय जाव परिणए वा, जइ एगिदिय जाव परिणए किंवाउकाइयएगिदिय जाव परिणए ? अबाउकाइयएगिदिय जाव परिणए ?, गोयमा ! वाउकाइयएगिदिय जाव परिणए नो अवाउकाइय जाव परिणए, एवं एएणं अभिलावेणं जहा श्रोगाहणसंठाणे वेउब्बियसरीरं भणियं तहा इहवि भाणियव्वं जाव पजत्त-सब्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववातिय-कप्पातीय-वेमाणिय--देव-पंचिदिय-वेउब्विय-सरीर-कायप्पयोगपरिणए वा अपजत्तसव्वट्ठसिद्ध जाव कायप्पयोगपरिणए वा 3, 18 / जइ वेउविय-मीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए किं एगिदिय-मीसासरीर-कायप्पभोगपरिणए वा जाव पंचिंदिय-मीसासरीर-कायप्पयोगपरिगाए वा ?, एवं जहा वेउ. बिय तहा मीसगंपि, नवरं देवनेरइयाणं अपजत्तगाणं सेसाणं पजत्तगाणं तहेक जाव नो पजत्तसब्वट्ठसिद्धअणुत्तरो जाव पयोगपरिणए अपज्जत्तसवट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववातिय-देवपंत्रिंदिय-वेउब्धिय--मीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए 4, 11 / जइ थाहारग-सरीर-कायप्पश्रोगपरिणए किं मणुस्साहारगसरीर-कायप्पश्रोगपरिणए ? अमणुस्साहारग जाव परिणए ?, एवं जहा श्रीगाहणसंठाणे जाव इड्डिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मदिट्टि-पज्जत्तग-संखेजवासाउय जाव परिणए नो अणिड्डिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मदिहि-पजत्तग-संखेजवासउय जाव परिणए 5, 20 / जइ अाहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए किं मणुस्साहारग-मीसासरीरकायप्पयोगपरिणए ? अमणुस्साहारग-मीसासरीरकायप्पयोग-परिणए ? एवं जहा श्राहारगंतहेव मीसगंपि निरवसेसं भाणियव्वं 6, 21 / जइ कम्मासरीरकायप्पश्रोगपरिणए किं एगिदिय-कम्मासरीर-कायप्प Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्र :: शतक 8 : उ०१ ] [ 235 योगपरिणए जाव पंचिंदिय-कम्मासरीर जाव परिणए ?, गोयमा ! एगिदियकम्मासरीर-कायप्पश्रोगपरिणए, एवं जहा योगाहणसंठाणे कम्मगस्स भेदो तहेव इहावि जाव पजत्त-सव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववाइय-कप्पतीत-वेमाणियदेवपंचिंदिय-कम्मासरीर-कायप्पयोगपरिणए वा अपजत्त-सव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोक्वाइय जाव परिणए वा 7, 22 / जइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए ? वयमीसापरिणए ? कायमीमापरिणए ?, गोयमा ! मणमीसापरिणए वा वयमीसापरिणए वा कायमीसापरिणए वा 23 / जइ मणमीसापरिणए किं सच्चमणमीसापरिणए ? मोसमणमीसापरिणए ? जहा पयोगपरिणए वहा मीसापरिणएवि भाणियव्वं निरवसेसं जाव पजत्त-सव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववाइयवेमाणिय-देवपंचिदिय-कम्मासरीरग-मीसापरिणए वा अपजत्त-सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव कम्मासरीरमीसापरिणए वा 24 / जइ वीससापरिणए किं वनपरिणए ? गंधपरिणए ? रसपरिणए ? फासपरिणए ? संठाणपरिणए ?, गोयमा ! वनपरिणए वा गंधपरिणए वा रसपरिणए वा फासपरिणए वा संगणपरिणए वा 25 / जइ वनपरिणए कि कालवनपरिणए जाव सुकिल्लवनपरिणए ?, गोयमा ! कालवनपरिणए वा जाव सुकिल्लवन्त्रपरिणए वा 26 / जइ गंधपरिणए किं सुभिगंधपरिणए ? दुभिगंधपरिणए ?, गोयमा ! सुभिगंधपरिणए वा दुन्भिगंधपरिणए वा, 27 / जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए 5 ? पुच्छा, गोयमा ! तित्तरसपरिणए वा जाव महुररसपरिणए, वा 28 / जइ फासपरिणए कि कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए ?, गोयमा ! कक्खडफासपरिणए वा जाव लुक्खफासपरिणए वा 21 / जइ संगणपरिगाए पुच्छा, गोयमा ! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव श्राययसंगणपरिणए वा 30 // सूत्रं 313 // दो भंते ! दव्वा किं पयोगपरिणया ? मीसापरिणया ? वीससापरिणया ?, गोयमा ! पश्रोगपरिणया वा 1 मीसापरिणया वा 2 वीससापरिणया वा 3 अहवा एगे पयोग Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 236 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः परिणए एगे मीसापरिणए 4 अहवेगे पयोगपरिणए एगे वीससापरिणए 5 अहवा एगे मीसापरिणए एगे वीससापरिणए एवं 6, 1 / जइ पयोगपरिणया किं मणप्पयोगपरिणया ? वइप्पयोगपरिणया ? कायप्पयोगपरिणया ?, गोयमा ! मणप्पयोगपरिणया वा वइप्पयोगपरिणया वा कायप्पयोगपरिणया वा, ग्रहवेगे मणप्पयोगपरिणए एगे वयप्पयोगपरिणए, ग्रहवेगे मणप्पयोगपरिणए एगे कायपयोगपरिणए, अहवेगे वयप्पयोगपरिणए एगे कायप्पयोगपरिणए 2 / जइ मणप्पयोगपरिणया कि सच्चमणप्पयोगपरिणया ?, असच्चमणप्पयोग-परिणया ? सच्चामोसमणप्पयोगपरिणया ? असञ्चाऽमोसमणप्पयोगपरिणया ? गोयमा ! सच्चमणप्पयोगपरिणया वा जाव असच्चामोसमणप्पयोगपरिणया 1 अहवा. एगे सच्चमणप्पयोगपरिणए एगे मोसमणप्पयोगपरिणए 1 अहवा एगे सच्चमणप्पयोगपरिणए एगे सच्चामोसमणप्पयोगपरिणए 2 अहवा एगे सच्चमणप्पयोगपरिणया एगे असचामोसमणप्पयोगपरिणए 3. अहवा एगे मोसमणप्पयोगपरिणए एगे सच्चामोसमणप्पयोगपरिणए 4 अहवा एगे मोसमणप्पयोगपरिणए एगे असच्चामोसमणप्पयोगपरिणए 5 अहया एगे सच्चामोसमाप्पयोगपरिणए एगे असचामोसमणप्पयोगपरिणए 6, 3 / जइ सच्चमणप्पयोगपरिणए किं प्रारंभसच्चमणप्पयोगपरिणया जाव असमारंभसच्चमणप्पयोगपरिणया ?, गोयमा ! श्रारंभप्तञ्चमणप्पयोगपरिणया वा जाव असमारंभसच्चमणप्पयोगपरिणया वा, अहवा एगे प्रारंभसच्चमणप्पयोगपरिणए एगे अणारंभसच्चमणप्पयोगपरिणए एवं एएणं गमएणं दुयसंजोएणं नेयत्वं, सव्वे संयोगा जत्थ जत्तिया उट्ठति ते भाणियव्वा जाव सवट्ठसिद्धगत्ति 4 / जइ मीसापरिणया किं मणमीसापरिणया ? एवं मीसापरिणया वीससापरिणया 5 / जइ वीससापरिणया किं वनपरिणया गंधपरिणया ? एवं वीससापरिणयावि जाव अहवा एगे चउरंससंगणपरिणए एगे पाययसंगणपरिणए वा 6 / तिन्नि भंते ! दव्वा किं पयोगपरिणया ? Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) खं: शतकं 8 : उ०१] [237 मीसापरिणया ? वीससापरिणया ?, गोयमा ! पयोगपरिणया वा मीसापरिणया वा वीससापरिणया वा 1 अहवा एगे पयोगपरिणए दो मीसापरिणया 1 अहवेगे पयोगपरिणए दो वीससापरिणया 2 श्रवा दो पयोगपरिणया एगे मीससापरिणए 3 अहवा दो पयोगपरिणया एगे वीससापरिणए 4 अहवा एगे मीसापरिणए दो वीससापरिणया 5 ग्रहवा दो मीससापरिणया एगे वीससापरिणए 6 अहवा एगे पयोगपरिणए एगे मीसापरिणए एगे वीससापरिणए 7, 7 / जइ पयोगपरिणया कि मणप्पयोगपरिणया ? वइप्पयोगपरिणया ? कायप्पयोमपरिणया ?, गोयमा ! मणप्पयोगपरिणया वा एवं एकगसंयोगो दुयासंयोगो तियासंयोगो भाणियव्यो 8 / जइ मणप्पयोगपरिणया किं सच्चमणप्पयोगपरिणया 4 ?, गोयमा ! सच्चमणप्पयोगपरिणया वा जाव असचामोसमणप्पयोगपरिणया वा 4, यहवा एगे सच्चमणप्पयोगपरिणए दो मोसमणप्पयोगपरिणया वा, एवं दुयासंयोगो तियासंयोगो भाणियव्वो, एत्थवि तहेव जाव अहवा एगे तंमसंठाणपरिणए वा एगे चउरंससंठाणपरिणए वा एगे पाययसंठाणपरिणए वा 1 / चत्तारि भंते / दव्या किं पयोगपरिणया 3 1, गोयमा ! पयोगपरिणया वा मीसापरिणया वा वीससापरिणया वा, अहवा एगे पयोगपरिणए तिन्नि मीसापरिणया 1 अहवा एगे पयोगपरिणए तिन्नि वीससापरिणया 2 श्रहवा दो पयोगपरिणया दो मीसापरिणया 3 अहवा दो पयोगपरिणया दो वीससापरिणया 4 अहवा तिन्नि पयोगपरिणया एगे मीससापरिणए 5 ग्रहवा तिन्नि पत्रोंगपरिणया एगे वीससापरिणए 6 अहवा एगे मीससापरिणए तिन्नि वीससापरिणया 7 अहवा दो मीसापरिणया दो वीससापरिणया 8 श्रहवा तिन्नि मीसापरिणया एगे वीससापरिणए 1 ग्रहवा एगे पयोगपरिणए एगे मीसापरिणए दो वीससापरिणया 1 अहवा एगे.पयोगपरिणए दो मीसापरिणया एगे वीससापरिणए 2 अहवा दो पयोगपरिणया एगे मीसापरिणए एगे वीससापरिणए Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 230) [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः 3, 10 / जइ पयोगपरिणया कि मणप्पयोगपरिणया 3 ?, एवं एएणं कमेणं पंच छ सत्त जाव दस संखेजा असंखेजा अणंता य दवा भाणियव्वा, दुयासंजोएणं तियासंजोएणं जाव दससंजोएणं बारससंजोएणं उवर्जु जिऊणं जत्थ जत्तिया संजोगा उडेति ते सव्वे भाणियव्वा, एए पुण जहा नवमसए पवेसणाए भणिहामि तहा उवजुञ्जिऊण भाणियव्वा जाव असंखेजा अणंता एवं चेव, नवरं एक पदं अमहियं जाव अहवा अणंता परिमंडलसंगणपरिणया जाव अणंता श्राययसंठाणपरिणया 11 // सूत्रं 314 // एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं पयोगपरिणयाणं मीसापरिणयाणं वीससापरिणयाण य कयरे 2 हिंतो जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सम्बत्योवा पोग्गला पयोगपरिणया मीसापरिणया अणंतगुणा वीससापरिणया श्रणंतगुणा / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्रं 315 // अट्ठमसयस्स पढमो उद्दे सो समत्तो॥ // इति अष्टमशतके प्रथम उद्देशकः / / 8-1 // // अथ अष्टमशतके आशीविषाख्य-द्वितीयोदशकः // ___ कतिविहा णं भंते ! श्रासीविसा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पासीविसा पनत्ता, तंजहा-जातियासीविसा य कम्मश्रासीविसा य 1 / जाइयासीविसा णं भंते ! कतिविहा पत्नत्ता ?, गोयमा ! चउविहा पन्नत्ता, तंजहा-विच्छुयजातियासीविसे मंडुक्कजाइबासीविसे उरगजातियासीविसे मणुस्सजातिपासीविसे 2 / विच्छुयजातिश्रासीविसस्स णं भंते ! केवतिए विसए पन्नते ?, गोयमा ! पभू णं विच्छुयजातिप्रासीविसे श्रद्धभरहप्पमाणमेत्तं बोदि विसेणं विसपरिगयं विसट्टमाणं पकरेत्तए, विसए से विसट्टयाए नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा 1, 3 / मंडुक्कजातिश्रासीविसपुच्छा, गोयमा ! पभू णं मंडुकजातिवासीविसे भरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं शतकं 8 उ० 2] [236. विसपरिगयं सेसं तं चेव जाव करेस्संति वा 2,4 / एवं उरगजातिवासीविसस्सवि नवरं जंबुद्दीवणमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिगयं सेसं तं चेव नो चेव जाव करेम्संति वा 3, 5 / मणुस्सजातिप्रासीविसस्सवि एवं चेव नवरं समयखेत्तप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिगयं सेसं तं चेव जाव करेस्संति वा 4, 6 / जइ कम्मश्रासीविसे किं नेरइयकम्मश्रासीविसे तिरिक्खजोणियकम्मश्रासीविसे मणुस्सकम्मत्रासीविसे देवकम्मासीविसे ?, गोयमा ! नो नेरइयकम्मासीविसे तिरिक्खजोणियकम्मासीविसेवि मणुस्सकम्मासीविसे देवकम्मासीविसे 7 / जइ तिरिक्खजोणियकम्मासीविसे कि एगिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ? जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ?, गोयमा ! नो एगिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे जाव नो चउरिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे पंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे 8 / जइ पंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे किं संमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे? गब्भवक्कतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ?, एवं जहा वेउब्धियसरीरस्स भेदो जाव पजत्तसंखेजवासाउयगम्भवक्कतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे नो अपजत्तसंखेजवासाउयजाव कम्मासीविसे 1 / जइ मणुस्सकम्मासीविसे किं संमुच्छिममणुस्सकम्मासीविसे ? गम्भवक्कंतियमणुस्सकम्मासीविसे ?, गोयमा ! णो समुच्छिममणुस्सकम्मासीविसे गम्भवक्कंतियमणुस्सकम्मासीविसे एवं जहा वेउव्वियसरीरं जाव पजत्तासंखेन्जवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूसकम्मासीविसे नो अपजत्ता जाव कम्मासीविसे 10 / जइ देवकम्मासीविसे किं भवणवासीदेवकम्मासीविसे जाव वेमाणियदेवकम्मासीविसे ?, गोयमा ! भवणवासीदेवकम्मासीविसे वाणमंतरदेवकम्मासीविसे जोतिसियदेवकम्मासीविसे वेमाणियदेवकम्मासीविसे 11 / जइ भवणवासिदेवकम्मासीविसे से किं असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे जाव थणियकुमार जाव क-मासीविसे ?, गोयमा ! पचिदियतिरिकासाविसे पंचिंतियाकम्मासीविसे जा Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24.] श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विमामः असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसेवि जाव थणियकुमार जाव श्रासीविसेवि 12 / जइ असुरकुमार जाव कम्मासीविसे किं पजत्तसुरकुमार. भवणवासीदेवकम्मासीविसे अपजत्त-असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? गोयमा ! नो पजत्तसुरकुमार जाव कम्मासीविसे अपजत्तसुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे एवं थणियकुमाराणं 13 / जइ वाणमंतरदेवकम्मासीविसे किं पिसायवाणमंतरदेवकम्मासीविसे ? एवं सव्वेसिपि अपजत्तगाणं, जोइसियाणं सव्वेसिं अपज्जत्तगाणं 14 / जइ वेमाणियदेवकम्मासी. विसे किं कप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे ? कप्पातीयवेमाणियदेवकम्मासीविसे ?, गोयमा ! कप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे नो कप्पातीयवेमाणियदेवकम्मासीविसे 15 / जइ कप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे किं सोहम्मकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे जाव अच्चुयकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे ?, गोयमा ! सोहम्मकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसेवि जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसेवि, नो प्राणयकप्पोवग जाव नो अच्चुयकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे 16 / जइ सोहम्मकम्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे किं पजत्तसोहम्मकप्पोक्गवेमाणियदेवकम्मासीविसे ? अपजत्तगसोहम्मक-पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे ?, गोयमा ! नो पजत्त सोहम्मकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे ? अपजत्त सोहम्मकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे, एवं जाव नो पजत्तसहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे, अपज्जत्त सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे।सूत्रं 316 // दस गणाई छउमत्थे सव्वभावेणं न जाणइ न पासइ, तंजहाधम्मत्थिकायं 1 अधम्मत्थिकायं 2 श्रागासत्थिकारं 3 जीवं असरीरपडिवद्धं 4 परमाणुपोग्गलं 5 सद्द 6 गंधं 7 वातं 8 अयं जिणे भविस्सइ वा ण वा भविस्सइ 1 अयं सम्बदुक्खाणं अंतं करेस्सति वा-न वा करेस्सइ 10, 1 / एयाणि चेव उपचनाणदंसणधरे धरहा जिणे केवली Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 241 श्रीमद्व्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सत्रं शतकं 8 :: उ० 2 ] सव्वभावेणं जाणइ पासइ, तंजहा-धम्मत्थिकायं जाव करेस्संति वा न वा करेस्संति 2 // सूत्रं 317 // कतिविहे णं भंते ! नाणे पन्नत्ते ?, गोयमा! पंचविहे नाणे पन्नत्ते, तंजहा-श्राभिणिबोहियनाणे सुयनाणे श्रोहिनाणे मणपजवनाणे केवलनाणे, से किं तं आभिणिबोहियनाणे ?, अाभिणिबोहियनाणे चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-उग्गहो ईहा अवाश्रो धारणा, एवं जहा रायप्पसेणइए णाणाणं भेदो तहेव इहवि भाणियब्बो जाव सेत्तं केवलनाणे 1 / अन्नाणे णं भंते ! कतिविहे पाणते ?, गोयमा ! तिविहे पराणत्ते, तंजहा-मइअन्नाणे सुयअन्नाणे विभंगन्नाणे 2 / से किं तं मइअन्नाणे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-उग्गहो जाव धारणा। से किं तं उग्गहे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-अत्थोग्गहे य वंजणोग्गहे य, एवं जहेव श्राभिणिबोहियनाणं तहेव, नवरं एगट्ठियवज्जं जाव नोइंदियधारणा, सेत्तं धारणा, सेत्तं मइयन्नाणे 3 / से किं तं सुयअन्नाणे ?, 2 जं इमं अन्नाणिएहि मिच्छदिट्ठिएहिं जहा नंदीए जाव चत्तारि वेदा संगोवंगा, सेत्तं सुयअन्नाणे 4 / से किं तं विभंगनाणे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-गामसंठिए नगरसंठिए जाव संनिवेससंठिए दीवसंठिए समुद्दसंठिए वाससंठिए वासहरसंठिए पव्वयसंठिए 'रुस्खसंठिए थूभसंठिए हयसंठिए गयसंठिए नरसंठिए किंनरसंठिए किंपुरिससंठिए महोरगसंठिए गंधव्वसंठिए उसभसंठिए पसु-पसय-विहग-वानर-णाणासंगणसंठिए पराणत्ते 5 / जीवा णं भंते ! किं नाणी अन्नाणी ? गोयमा ! जीवा नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते अत्थेगतिया दुन्नाणी अत्थेगतिया तिन्नाणी अत्यंगतिया चउनाणी अत्थेगतिया एगनाणी, जे दुन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य, जे तिन्नाणी ते श्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी श्रोहिनाणी अहवा आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी मणपजवनाणी, जे चउनाणी ते आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी मणपनवनाणी, जे एगनाणी ते नियमा केवलनाणी, जे अन्नाणी ते अत्यंगतिया Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 242 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागा दुअन्नाणी अत्यंगतिया तिअन्नाणी, जे दुअन्नाणी ते मइअन्नाणी य सुयत्रनाणी य, जे तियअन्नाणी ते मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी 6 / नेरझ्या णं भंते ! किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा तिन्नाणी, तंजहा-श्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी श्रोहिनाणी, जे अन्नाणी ते अत्यंगतिया दुअन्नाणी अत्थेगतिया तिअन्नाणी, एवं तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए 7 / असुरकुमारा णं भंते ! किं नाणी अन्नाणी ?, जहेव नेरझ्या तहेव तिनि नाणाणि नियमा, तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए, एवं जाव थणियकुमारा 8 / पुढविकाइया णं भंते ! किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणीमइअन्नाणी य सुयश्रन्नाणी य, एवं जाव वणस्सइकाइया 1 / बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! णाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा दुनाणी, तंजहा-श्राभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य, जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी अभिणिबोहियअन्नाणी सुयअन्नाणी, एवं तेइंदियचउरिंदियावि 10 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते अत्यंगतिया दुन्नाणी अत्थेगतिया तिन्नाणी एवं तिन्नि नाणाणि तिन्नि अन्नाणाणि य भयणाए 11 / मणुस्सा जहा जीवा तहेव पंच नाणाणि तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए 12 / वाणमंतरा जहा नेरइया जोइसियवेमाणियाणं तिनि नाणा तिन्नि अन्नाणा नियमा 13 / सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! णाणी नो अन्नाणी, नियमा एगनाणी केवलनाणी 14 // सूत्रं 318 // निरयगइया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, तिन्नि नाणाइं नियमा तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 1 / तिरियगइया णं भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! दो नाणा दो अन्नाणा नियमा 2 / मणुस्सगइया णं भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! तिन्नि नाणाई. भयणाए दो अन्नाणाई नियमा, Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 8:: उ० 2] [243 देवगतिया जहा निरयगतिया 3 / सिद्धगतिया णं भंते ! जहा सिद्धा 4 / सइंदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! चत्तारि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 5 / एगिदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा पुढविकाइया बेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं दो नाणा दो अन्नाणा नियमा 6 / पंचिंदिया जहा सइंदिया 7 / अणिंदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सिद्धा 8 / सकाइया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! पंच नाणाणी तिन्नि अन्नाणाई भयणाए / पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया नो नाणी अन्नाणी नियमा दुअन्नाणी, तंजहा-मतिअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, तसकाइया जहा सकाइया 10 / अकाइया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सिद्धा 3, 11 / सुहुमा णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा पुढविकाइया 12 / बादरा णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सकाइया 13 / नोसुहुमानोबादरा णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी, जहा सिद्धा 4, 14 / पजत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सकाइया 15 / पजत्ता णं भंते ! नेरइया किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा नियमा जहा नेरइए एवं जाव थणियकुमारा 16 / पुढविकाइया जहा एगिदिया, एवं जाव चारिदिया 17 / पजत्ता णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए 18 / मणुस्सा जहा सकाइया 11 / वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया जहा नेरइया 20 / अपजत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए 21 / अपजत्ता णं भंते ! नेरतिया किं नाणी अन्नाणी ?, तिनि नाणा नियमा तिन्नि अन्नाणा भयणाए, एवं जाव थणियकुमारा 22 / पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया जहा एगिदिया 23 / ३दियाणं पुच्छा, दो नाणा दो अन्नाणा णियमा, एवं जाव पंचिंदियतिक्खजोणियाणं 24 / Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 344 ] - ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः अपजत्तगाणं भंते ! मणुस्सा किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणाई भयणाए दो थन्नाणाई नियमा, वाणमंतरा जहा नेरइया, अपजत्तगा जोइसियवेमाणिया णं तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा नियमा 25 / नो पजत्तगा नो अपजत्तगा णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सिद्धा 5, 26 / निरयभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा निरयगतिया 27 / तिरियभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए 28 / मणुस्सभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सकाइया 21 / देवभवत्था णं भंते ! जहा निरयभवत्था 30 / अभवत्था जहा सिद्धा 6, 31 / भवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सकाइया 32 / प्रभवसिद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 33 / नो भवसिद्धियानोअभवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ? जहा सिद्धा 7, 34 / सन्नीणं पुच्छा जहा सइंदिया, असन्नी जहा बेइंदिया, नोसन्नीनोश्रसन्नी जहा सिद्धा 8, 35 // सूत्रं 311 // कइविहाणं भंते ! लद्धी पराणत्ता ?, गोयमा ! दसविहा लद्धी पराणत्ता, तंजहा-नाणलद्धी 1 दंसणलद्धी 2 चरित्तलद्धी 3 चरित्ताचरित्तलद्धी 4 दाणलद्धी 5 लाभलद्धी 6 भोगलद्धी 7 उवभोगलद्धी 8 वीरियलद्धी 1 इंदियलद्धी 10, 1 / णाणलद्धी णं भंते ! कइविहा पगणता ?, गोयमा ! पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणलद्धी जाव केवलणाणलद्धी 2 / अन्नाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पराणत्ता, तंजहा-मइअन्नाणलद्धी सुयअन्नाणलद्धी विभंगनाणलद्धी 3 / दसणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पराणत्ता, तंजहा-सम्मइसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्मामिच्छादंसणलद्धी 4 / चरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा परणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पत्नत्ता, तंजहा-सामाइयचरित्तलद्धी छेदोवट्ठावणियलद्धी Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञति (श्रीमद्भगवती) शतक 8 : उ०२] .. [145 परिहारविसुद्धलद्धी सुहुमसंपरागलद्धी अहक्खायचरित्तलद्धी 5 / चरित्ताचरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पराणता ?, गोयमा ! एगागारा पराणत्ता, एवं जाव उवभोगलद्धी एगागारा पन्नत्ता 6 / वीरियलद्धी णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तंजहा-बालवीरियलद्धी पंडियवीरियलद्धी बालपंडियवीरियलद्धी 7 / इंदियलद्धी णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचिविहा पराणत्ता, तंजहा-सोइंदियलद्धी जाव फासिदियलद्धी 8 | नाणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, प्रत्येगतिया दुन्नाणी, एवं पंच नाणाई भयणाए 1 / तस्स अलद्धीया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, अत्थेगतिया दुअन्नाणी तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए 10 / श्राभिणिवोहियणाणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, अत्यंगतिया दुन्नाणी चत्तारि नाणाई भयणाए 11 / तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा एगनाणी केवलनाणी, जे अन्नाणी ते प्रत्थेगइया दुअन्नाणी तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 12 / एवं सुयनाणलद्धीयावि, तस्स अलद्धीयावि जहा याभिणिबोहियनामस्स अलद्धीया 13 / श्रोहिनाणलद्धीया णं पुच्छा, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, अत्थेगतिया तिन्नाणी अत्यंगतिया चउनाणी, जे तिन्नाणी ते श्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी श्रोहिनाणी, जे चउनाणी ते ग्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी मणपजवनाणी 14 / तस्स अलद्धीया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि / एवं श्रोहिनाणवजाई चत्तारि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 15 / मजपजवनाणलद्धिया णं पुच्छा, गोयमा ! णाणी णो अन्नाणी, अत्थेगतिया तिन्नाणी अत्थेगतिया चउनाणी, जे तिन्नाणी ते श्राभिणिबोहियनाणी सुयणाणी मणपज्जवणाणी, Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 246 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्थो विभागः जे चउनाणी ते श्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी श्रोहिनाणी मणपजवनाणी 16 / तस्स अलद्धीया णं पुच्छा, गोयमा ! गाणीवि अन्नाणीवि, मणपन्जवणाणवजाइं चत्तारि णाणाई, तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 17 / केवलनाणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, नियमा एगणाणी केवलनाणी 18 / तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणिवि, केवलनाणवजाई चत्तारि णाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 11 / अन्नाणलद्धिया णं पुच्छा, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 20 / तस्स अलद्धियाणं पुच्छा. गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, पंच नाणाई भयणाए जहा अन्नाणस्स लद्धिया अलद्धिया य भणिया एवं मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स य लद्धिया अलद्धिया य भाणियव्वा 21 / विभंगनाणलद्धियाणं तिन्नि अन्नाणाई नियमा, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए दो अन्नाणाई नियमा 22 / दंसणलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 23 / तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! तस्स अलद्धिया नत्थि 24 / सम्मदसणलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, मिच्छादसणलद्धिया णं भंते ! पुच्छा, तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि य अन्नाणाइं भयणाए, सम्मामिच्छादसणलद्धिया य अलद्धिया जहा मिच्छादंसणलद्धी अलद्धी तहेव भाणियव्वं 25 / चरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपजवनाणवजाइं चत्तारि नाणाइं तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए 26 / सामाइयचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी केवलवजाइं चत्तारि नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्यानज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र में शतक उ०२ ] 24.] तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए, एवं जहा सामाइयचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भणिया एवं जहा जाव अहक्खायचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भाणियव्वा, नवरं ग्रहक्खायचरित्तलद्धियाणं पंच नाणाइं भयणाए 27 / चरित्ताचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, अत्थेगइया दुराणाणी अत्यंगतिया तिन्नाणी, जे दुन्नाणी ते श्राभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य, जे तिन्नाणी ते श्राभिणियोहियनाणी य सुयनाणी य श्रोहिनाणी य, तस्स अलद्धीयाणं पंच नाणाइं तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए 4, 28 / दाणलद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 26 / तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणी नो अनाणी, नियमा एगनाणी केवलनाणी 30 / एवं जाव वीरियस्स लद्धी अलद्धी य भाणियव्वा 31 / बालवीरियलद्धियाणं तिन्नि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए 32 / पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपजवनाणवजाइं णाणाई अन्नाणाणि तिनि य भयणाए 33 / बालपंडियवीरियलद्धियाणं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई तिनि अन्नाणाई भयणाए 34 / इंदियलद्धियाणं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! चत्तारि णाणाई तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए 35 / तस्स अलद्धियाणं पूच्छा, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, नियमा एगनाणी केवलनाणी, सोइंदियलद्धियाणं जहा इंदियलद्धियाणं 36 / तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते अत्यंगतिया दुनाणी अत्थेगतिया एगानाणी, जे दुन्नाणी ते श्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी, जे एगनाणी ते केवलनाणी,जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी, तंजहा–मइअन्नाणी य, सुयअन्नाणी य, चक्खिदियघाणिदियाणं लद्धियाणं अलद्धियाण य जहेव सोइंदियस्स, जिभिदियलद्धियाणं चत्तारि णाणाई तिन्नि य अन्नाणाणि भय Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 248 ] [ श्रीमंदागमसुधसिन्धुः / द्वितीयो विभागः णाए 37 / तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि जे नाणी ते नियमा एगनाणी केवलनाणी, जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी, तंजहा-मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, फासिदियलद्धियाणं अलद्धियाणं जहा इंदियलद्धिया य अलद्धिया य 38 // सूत्रं 320 // सागारोवउत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 1 / श्राभिणिबोहियनाणसाकारोवउत्ता णं भंते ! किं नाणी अन्नाणी ? चत्तारि णाणाई भयणाए 2 / एवं सुयनाणसागारोवउत्तावि 3 / श्रोहिनाणसागारोवउत्ता जहा श्रोहिनाणलद्धिया, मणपजवनाणसागारोवउत्ता जहा मणपजवनाणलद्धिया, केवलनाणसागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धिया, मइअन्नाणसागारोवउत्ताणं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, एवं सुयअन्नाणसागारोवउत्तावि, विभंगनाणसागारोवउत्ताणं तिन्नि अन्नाणाई नियमा 4 / अणागारोवउत्ताणं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नागी ?, पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 5 / एवं चक्खुदंसण-अचक्खुदंसण-अणागारोवउत्तावि, नवरं चत्तारि णाणाई तिनि अन्नाणाई भयणाए 6 / श्रोहिदंसणणागारोवउत्ताणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते प्रत्थेगतिया तिन्नाणी अत्थेगतिया चउनाणी, जे तिनाणी ते आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी अोहिनाणी, जे चउणाणी ते प्राभिणियोहियनाणी जाव मणपजवनाणी, जे अन्नाणी ते नियमा तिअन्नाणी, तंजहा-मइअन्नाणी सुययन्नाणी विभंगनाणी, केवलदंसणअणागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धिया 7 / सजोगी ग भंते / जीवा किं नाणी अनाणी ?, जहा सकाइया, एवं मणजोगी वइजोगी कायजोगीवि, अजोगी जहा सिद्धा 8 / सलेस्सा णं भंते ! जहा सकाइया, कराहलेसा णं भंते ! जहा सइंदिया, एवं जाव पम्हलेसा, सुकलेस्सा जहा सलेस्सा, अलेस्सा जहा सिद्धा 1 / सकसाई णं भंते ! जीवा किं नाणी अवाणी?, जहा सइंदिया एवं जाव लोहकसाई 10 / कसाई णं भंते ! जीवा कि Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 8 : उ० 2] [ 246 नाणी अन्नाणी ?, पंच नाणाई भयणाए 11 / सवेदगा णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सइंदिया, एवं इस्थिवेदगावि एवं पुरिसवेयगा, नपुंसकवेयगा, अवेदगा जहा अकसाई 12 / श्राहारगा णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सकसाई नवरं केवलनाणंपि 13 / अणाहारगा णं भंते !जीवा कि नाणी अन्नाणी ?, मणपजवनाणवजाई नाणाई अन्नाणाणि य तिन्नि भयणाए 14 // सूत्रं 321 // आभिणियोहियनाणस्स णे भैते ! केवतिए विसए पन्नते ?, गोयमा ! से समासयो चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वो खेत्तयो कालो भावो, दव्वोणं श्राभिणिबोहियनाणी पाएसेणं सव्वदव्वाइंजाणइ पासइ, खेत्तयो ग्राभिणिबोहियणाणी पाएसेणं सव्वखेत्तं जाणइ पासइ, एवं कालोवि, एवं भावनोवि 1 / सुयनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पराणते ?, गोयमा ! से समासश्रो चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वश्रो 4, दव्वों णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वदव्वाइं जाणति पासति, एवं खेत्तत्रोवि कालोवि, भावो णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वभावे जाणति पासति 2 / श्रोहिनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! से समासो चउविहे पराणत्ते, तंजहा-दवो 4, दव्वयो णं अोहिनाणी रूविदव्वाई जाणइ पासइ जहा नंदिए जाव भावो 3 / * मणपजवनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पराणत्ते ?, गोयमा ! से समासयो चउविहे पराणत्ते, तंजहादव्वयो 4, दवो णं उज्जुमती अणंते अणंतपदेसिए जहा नंदीए जाव भावयो 4 / केवलनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पराणत्ते ?, गोयमा ! से समासयो चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वयो खेत्तो कालो भावो, दव्वनो णं केवलनाणी सव्वदव्वाइं जाणइ पासइ एवं जाव भावयो 5 / मइअन्नाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पन्नत्ते?, गोयमा ! से समासश्रो चउबिहे पन्नत्ते,तंजहा-दव्वरो खेत्तयो कालो भावयो, दवयो णं मइअन्नाणी मइत्रनाणपरिगयाइं दव्वाइं जाणइ पासइ, एवं जाव भावो मइअन्नाणी मइअन्नाण Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 250 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः परिगए भावे जाणइ पासइ 6 / सुयअन्नाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पराणत्ते ? गोयमा ! से समासो चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-दव्यत्रो 4, दबयो णं सुयअन्नाणी सुययन्नाणपरिगयाइं दवाइं श्राघवेति पनवेति परूवेइ, एवं खेत्तयो कालो, भावो णं सुयबन्नाणी सुयअन्नाणपरिगए भावे अाघवेति तं चेव 7 / विभंगणाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पराणते?, गोयमा ! से समासयो चउविहे पराणत्ते, तंजहा-दवो 4, दव्वश्रो णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयाइंदव्वाई जाणइ पासइ, एवं जाव भावो णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगए भावे जाणइ पासइ 8 // सूत्रं 322 // णाणी णं भंते ! गाणीति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! नाणी दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-साइए वा अपज्जवसिए, साइए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपजवसिए से जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं छावढि सागरोवमाई सातिरेगाई 1 / श्राभिणिबोहियणाणी णं भंते ! अाभिणिबोहियणाणीवि कालयो केवचिरं होइ ? एवं नाणी श्राभिणियोहियनाणी जाव केवलनाणी 2 / अन्नाणी मझ्यन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी, एएसिं दसराहवि संचिट्ठणा जहा कायठिईए 3 / अंतरं. सव्वं जहा जीवाभिगमे 4 / अप्पाबहुगाणि तिनि जहा बहुवत्तव्वयाए 5 / केवतिया णं भंते ! याभिणियोहियणाणपज्जवा पराणता ?, गोयमा ! अणंता ग्राभिणिबोहियणाण-पजवा पराणत्ता 6 / केवतिया णं भंते ! सुयनाणपजवा पराणत्ता ? एवं चेव एवं जाव केवलनाणस्स 7 / एवं मइयन्नाणस्स सुयबन्नाणस्स, केवतिया णं भंते ! विभंगनाणपजवा पराणत्ता ?, गोयमा ! अणंता विभंगनाणपजवा पराणत्ता 8 / एएसि णं भंते ! श्राभिणियोहियनाणपजवाणं सुयनाणपजवाणं श्रोहिनाणपजवाणं मणपजवनाणपजवाणं केवलनाणपजवाणं य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा.?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपजवनाणपजवा योहिनाणपजवा अणंतगुणा सुयनाणपजवा अणंतगुणा श्राभिणि Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 8 : उ०३ / [261 बोहियनाणपजवा अणंतगुणा केवलनाणपजवा अणंतगुणा 1 / एएसि णं भंते ! मइअन्नाणपजवाणं सुयशन्नाणपजवाणं विभंगनाणपज्जवाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा विभंगनाणपजवा सुयशनाणपजवा अणंतगुणा मइअन्नाणपजवा अणंतगुणा 10 / एएसि णं भंते ! याभिणिबोहियणाणपज्जवाणं जाव केवलनाणपजवाणं मइअन्नाणपजवाणं सुयअन्नाणपजवाणं विभंगनाणपजवाणं य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा / सव्वत्थोवा मणपजवनाणपजवा विभंगनाणपजवा अणंतगुणा श्रोहिणाणपजवा अणंतगुणा सुयबन्नाणपजवा अणंतगुणा सुयनाणपजवा विसेसाहिया मइअन्नाणपजवा अणंतगुणा श्राभिणिबोहियनाणपजवा विसेसाहिया केवलणाणपजवा अणंतगुणा 11 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति ॥सूत्रं 323 // अट्ठमस्स सयस्स बितिश्रो उद्दसो। // इति अष्टमशतके द्वितीय उद्देशकः // 8-2 // // अथ अष्टमशतके वृक्षाख्य-तृतीयोद्देशकः // कइविहा णं भंते ! रुक्खा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा रुक्खा पराणत्ता, तंजहा-संखेजजीविया असंखेजजीविया अणंतजीविया 1 / से किं तं संखेजजीविया ?, संखेजजीविया श्रोगविया पराणत्ता, तंजहा-ताले तमाले तकलि तेतलि जहा पन्नवणाए जाव नालिएरी, जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं संखेजजीविया 2 / से किं तं असंखेजजीविया ?, असंखेजजीविया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-एगट्टिया य बहुबीयगा य 3 / से किं तं एगट्ठिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-निबंब-जंबु-कोसंब-सालअंकोल्लपीलुसलूया / सल्लइमोयइमालुय बउलपलासे करंजे य // 1 // एवं जहा पन्नवणापए जाव फला बहुबीयगा, सेत्तं बहुबीयगा, सेत्तं असंखेजजीविया 4 / से किं तं अणंतजीविया ?, अणंतजीविया अणेगविहा पराणत्ता, Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 252 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः तंजहा-बालुए मूलए सिंगबेरे, एवं जहा सत्तमसए जाव सीउगहे सिउंदी (सीहकनी सीहंडी) मुसुढी, जे यावन्ने तहप्पकारा, सेत्तं अणंतजीविया 5 // सूत्रं 324 // अह भंते ! कुम्मे कुम्मावलिया गोहे गोहावलिया गोणे गोणावलिया मणुस्से मणुस्सावलिया महिसे महिसावलिया, एएसि णं दुहा वा तिहा वा संखेजहावि छिन्नाणं जे अंतरा तेवि णं तेहिं जीवपएसेहिं फुडा ?, हंता फुडा 1 / पुरिसे णं भंते ! जं अंतरं ते अंतरे हत्थेण वा पादेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा कट्ठण वा किलिंचेण वा श्रामुसमाणे वा संमुसमाणे वा प्रालिहमाणे वा विलिहमाणे वा अन्नयरेण वा तिक्खेणं सत्थजाएणं प्राच्छिदमाणे वा विच्छिदमाणे वा अगणिकाएणं वा समोडहमाणे तेसि जीवपएसाणं किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पायइ ? छविच्छेदं वा करेइ ?, णो तिण? सम?, नो खलु तत्थ सत्थं संकमइ 2 // सूत्रं 325 // कति णं भंते ! पुढवीबो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ पुढवीओ पनत्तायो, तनहा-रयणप्पभा जाव अहे सत्तमा पुढवि ईसि. पभारा 1 / इमा णं भंते! रयणप्पभापुढवी कि चरिमा अचरिमा ?, चरिमपदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव वेमाणिया णं भंते ! फासचरिमेणं कि चरिमा अचरिमा ?, गोयमा ! चरिमावि अचरिमावि 2 / सेवं भंते ! 2 ति भगवं गोतमे जाव विहरति 3 // सूत्रं 326 // // इति अष्टमशतके तृतीय उद्देशकः // 8-3 // . // अथ अष्टमशतके क्रियाख्य-चतुर्थोद्देशकः // . रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! किरियायो पन्नत्तायो ? गोयमा ! पंच किरियायो पन्नत्तात्रो; तंजहा-काइया अहिंगरणिया, एवं किरियापदं निवसेसं भाणियव्वं जाव मायावत्तियात्रो किरियायो विसे Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भंडं अणापरायगं भंडं अणुग में भंडे अभंड भागवसइ नो परा श्रीमद्न्याश्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) यत्रं शतकं 8 : उ०५ ] [253 साहियायो 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव विहरति 2 // सूत्रं 327 // // इति अष्टमशतके चतुर्थ उद्देशकः / / 8-4 / / // अथ अष्टमशतके आजीविकाख्य-पञ्चमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-याजीविया णं भंते ! थेरे भगवंते एवं वयासी-समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ भंडे अवहरेजा से णं भंते ! तं भंडं अणुगवेसमाणे किं सयं भंडं अणुगवेसइ ? परायगं भंडं अंणुगवेसइ ?, गोयमा ! सयं भंडं अणुगवेसति नो परायगं भंडं अणुगवेसेइ, तस्स णं भंते ! तेहिं सीलब्बयगुणवेरमण-पञ्चक्खाण-पोसहोववासेहिं से भंडे अभंडे भवति ?, हंता भवति 1 / से कणं खाइ णं अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ सयं भंड अणुगवेसइ नो परायगं भंडं अणुगवेसइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवति-णो मे हिरन्ने नो मे सुवन्ने नो मे कसे नो मे दूसे नो मे विउल-धण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पवालरत्तरयणमादीए संतसार-सावदेज्जे, ममत्तभावे पुण से अपरिगणाए भवति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सयं भंडं अणुगवेसइ नो परायगं भंडं अणुगवेसइ 2 / समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केति जायं चरेजा से णं भंते ! किं जायं चरइ अजायं चरइ ?, गोयमा ! जायं चरइ नो अजायं चरइ 2 / तस्स णं भंते ! तेहिं सीलव्वयगुण-वेरमण-पञ्चक्खाण-पोसहोववासेहिं सा जाया अजाया भवइ ?, हंता भवइ 3 / से केणं खाइ णं अट्ठणं भंते ! एवं बुचइ-जायं चरइ नो अजायं चरइ ?, गोंयमा ! तस्स णं एवं भवइ-णो मे माता णो मे पिता णो मे भाया णो मे भगिणी णो मे भजा णो मे पुत्ता णो मे धूया नो भे सुराहा, पेजबंधणे पुण से श्रवोच्छिन्ने भवइ, से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 254 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः अजायं चरइ 4 // सूत्रं 328 // समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव थूलए पाणाइवाए अपञ्चक्खाए भवइ से णं भंते ! पच्छा पचाइक्खमाणे किं करेति ?, गोयमा ! तीयं पडिकमइ पडुप्पन्नं संवरेइ अणागयं पञ्चक्खाति 1 / तीयं पडिकममाणे किं तिविहं तिविहेणं पडिकमति 1 तिविहं दुविहेणं पडिकमति 2 तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति 3 दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति 4 दुविहं दुविहेणं पडिक्कमति 5 दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति 6 एकविहं तिविहेणं पडिकमति 7 एकविहं दुविहेणं पडिकमति 8 एकविहं एगविहेणं पडिक्कमति 1 ?, गोयमा ! तिविहं तिविहेणं पडिक्कमति तिविहं दुविहेण वा पडिकमति तं चे जाव एकविहं वा एकविहेणं पडिक्कमति 2 / तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति न कारवेति करेंतं गाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा 1, 3 / तिविहं दुविहेणं पडिकममाणे न करेति न कारवेति करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा 2, अहवा न करेइ न कारवेति करें नाणुजाणति मणसा कायसा 3, ग्रहवा न करेइ 3 वयसा कायसा 4, 4 / तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति 3 मणसा 5, ग्रहवा न करेइ 3 वयसा 6, ग्रहवा न करेइ 3 कायसा 7, 5 / दुविहं तिविहेणं पडिकममाणे न करेइ न कारवेति मणसा वयसा कायसा 8, ग्रहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा 1, ग्रहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायप्ता 10, 6 / दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेति न कारवेति मणसा वयसा 11, ग्रहवा न करेति न कारवेति मणसा कायसा 12, अहवा न करेति न कारवेति वयसा कायसा 13, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा 14, अहवा न करेति करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा 15, ग्रहवा न करेति करेंतं नाणुजाणति वयसा कायसा 16, ग्रहवा न कारवेति करेंतं नाणुजाणति मणसा वयसा 17, अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 8:: उ० 5 ] [ 255 कायसा 18, श्रवा न कारवेति करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा 11, 7 / दुविहं एकविहेणं पडिकममाणे न करेति न कारवेति मणसा 20, ग्रहवा न करेति न कारवेति वयसा 21, अहवा न करेति न कारवेति कायसा 22, अहवा न करेति करेंतं नाणुजाणइ मणसा 23, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा 24, ग्रहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा 25, अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा 26, श्रहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा 27 हवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा 28, 8 / एगविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा वयसा कायसा 21, अहवा न कारवेइ मणसा वयसा कायसा 30, अहवा करेंतं नाणुजाणति मणसा 3, 31, 1 / एकविहं दुविहेणं पडिकममाणे न करेति मणसा वयसा 32, अहबा न करेति मणसा कायसा 33, अहवा न करेइ वयसा कायसा 34, अहवा न कारवेति मणसा वयसा 35, अहवा न कारवेति मणसा कायसा ३६,अहवा न कारवेइ वयसा कायसा 37, अहवा करेंतं नाणुजाणति मणसा वयसा 38, ग्रहवा करेंतं नाणुजाणति मणसा कायसा 36, अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा 40, 10 / एकविहं एगविहेणं पडिकममाणे न करेति मणसा 41, अहवा न करेति वयसा 42, अहवा न करेति कायसा 43, हवा न कारवेति मणसा 44, अहवा न कारवेति वयसा 45, अहवा न कारवेइ कायसा 46, ग्रहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा 47 अहवा करेंतं नाणुजाणति वयसा 48 अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा 41, 11 / पडुप्पन्नं संवरेमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ ?, एवं जहा पडिकममाणेणं एगणपन्नं भंगा भणिया एवं संवरमाणेणवि एगणपन्नं भंगा भाणियव्वा 12 / अणागयं पञ्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं पञ्चक्खाइ ? एवं ते चेव भंगा एगणपन्ना भाणियव्वा जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा 13 / समणोवासगस्त णं भंते ! पुवामेव थूलमुसावाए Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ { श्रीबदामणसुवासिन्धुः ।द्वितीयो विभागः अपचक्खाए भवइ से णं भंते ! पच्छा पचाइक्खमाणे एवं जहा पाणाइवायस्स सीयालं भंगसयं भणियं तहा मुसावायस्सवि भाणियब्वं 14 / एवं अदिनादाणस्सवि, एवं थूलगस्स मेहुणस्सवि थूलगस्स परिग्गहस्सवि जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा 15 / एए खलु एरिसगा समणोवासगा भवंति, नो खलु एरिसगा भाजीवियोवासगा भवंति 16 // सूत्रं 326 // श्राजीवियसमयस्स णं अयम? पराणत्ते अक्खीणपडिभोइणो सव्वे सत्ता से हंता छेत्ता भेत्ता लुपित्ता विलुपित्ता उद्दवइत्ता श्राहारमाहारेंति, तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवंति, तंजहा-ताले 1 तालपलंबे 2 उविहे 2 संविहे 4 अवविहे 5 उदए 6 नामु(म)दए७ णमु(म्मु)दए 8 अणुवाल(लु)ए 1 संखवालए 10 अयंवुले 11 कायरए 12, 1 / इच्चेते दुवालसमाजीवियोवासगा अरिहंतदेवतागा अम्मापिउसुस्सूसगा पंचफलपडिक्कता, तंजहा-उंबरेहि वडेहिं बोरेहिं सतरेहिं पिलंखुहिं 2 / पलंडुल्हसण-कंदमूलविवजगा अणिलछिएहिं अणकभिन्नेहिं गोणेहिं तसपाणविवजिएहिं चित्तेहिं वित्ति कप्पेमाणे विहरंति 3 / एएवि ताव एवं इच्छंति, किमंग पुण जे इमे समणोवासगा भवंति ? जेसिं नो कप्पंति इमाइं पन्नरस कम्मादाणाई सयं करेत्तए वा कारवेत्तए वा करेंतं वा अन्न न समणुजाणेत्तए, तंजहा-इंगालकम्मे वणकम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे फोडीकम्मे दंतवाणिज्जे लक्खवाणिज्जे केसवाणिज्जे रसवाणिज्जे विसवाणिज्जे जंतपीलणकम्मे निल्लंकणकम्मे दवग्गिदावणया सर-दहतलायपरिसोसणया असतीपोसणया, इच्चे ते समरणोवासगा सुका सुक्काभिजातीया भविया भवित्ता कालमासे कालं किचा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति 4 // सूत्रं 330 // कतिविहा णं भंते ! (देवा) देवलोगा पराणत्ता ?, गोयमा ! चउबिहा देवलोगा पराणत्ता, तंजहांभवणवासि-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया, सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 331 // अट्ठमसयस्स पंचमो उद्देसयो॥ // इति अष्टमशतके पञ्चम उद्देशकः // 8-6 // Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र शतकं 8 :: उ० 6 ] [257 // अथ अष्टमशतके प्रामुकदानाख्य-षष्ठोद्देशकः // __समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासुए. सणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेमाणस्स किं कजति ?, गोयमा ! एगंतसो निजरा कजइ नत्थि य से पावे कम्मे कजति 1 / समणोवासगस्स णं भंते ! तहास्वं समणं वा माहणं वा श्रफासुएणं श्रणेसणिज्जेणं असणपाण जाव पडिलाभेमाणस्स किं कज्जइ ?, गोयमा ! बहुतरिया से निजरा कजइ अप्पतराए से पावे कम्मे कजइ 2 / समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं अस्संजय-अविरय-पडिहय-पञ्चक्खाय-पावकम्म फासुएण वा अफासुएण वा एसणिज्जेण वा अणेसणिज्जेण वा असणपाण जाव किं कजइ ?, गोयमा ! एगंतसो से पावे कम्मे कजइ नत्थि से काइ निजरा कन्जइ 3 // सूत्रं 332 // निग्गंथं च णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविट्ट केई दोहिं पिंडेहिं उवनिमंतेजा-एगं थाउसो ! अप्पणा मुंजाहि एगं थेराणं दलयाहि, से य तं पिण्डं पडिग्गहेजा, थेरा य से अणुगवेसियवा सिया जत्थेव श्रणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्थेवाणुप्पदायब्वे सिया नो चेव णं अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तं नो अप्पणा भुजेजा नो अन्नेसिं दायए एगते अणावाए अचित्ते बहुफासुए थंडिल्ले पडिलेहेत्ता पमजिता परिहावेयवे सिया 1 / निग्गंथं च णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविट्ठ केति तिहिं पिंडेहिं उवनिमंतेजा-एगं ग्राउसो ! अप्पणा मुंजाहि दो थेराणं दलयाहि, से य ते पडिग्गहेजा, थेरा य से अणुगवेसेयव्वा, सेसं तं चेव जाव परिट्ठावेयब्वे सिया 2 / एवं जाव दसहिं पिंडेहिं उवनिमंतेजा नवरं एगं श्राउसो ! अप्पणा मुंजाहि नव थेराणं दलयाहि सेसं तं चेव जाव परिहावेयध्वे सिया 3 / निग्गंथं च णं गाहावइ जाव केइ दोहिं पडिग्गहेहिं उवनिमंतेजा एगे पाउसो ! अप्पणा पडिमुजाहि एगं थेराणं दलयाहि, से य 33 Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 258] :- [-श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः तं पडिग्गाहेजा, तहेव जाव तं नो अप्पणा पडिभुजेजा नो अन्नेसि दावए, सेसं तं चेव जाव परिवेयव्वे सिया 4 / एवं जाव दसहि पडिग्गहेहिं, एवं जहा पडिग्गहवत्तव्वया भणिया एवं गोच्छग-रयहरण-चोलपट्टगकंबल-लट्टी-संथारगवत्तव्वया य भाणियवा जाव दसहिं संथारएहिं उपनिमंतेजा जाव परिहावेयव्वे सिया 5 // सूत्रं 333 // निग्गंथेण य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पवितुणं अन्नयरे अकिञ्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स णं एवं भवति-इहेव ताव अहं एयरस ठाणस्स पालोएमि पडिकमामि निंदामि गरिहामि विउट्टामि विसोहेमि अकरणयाए अब्भुट्ठोमि अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवजामि, तो पच्छा थेराणं अंतियं पालोएस्सामि जाव तबोकम्मं पडिवजिस्सामि, से य संपट्ठिए संपत्ते थेरा य पुव्वामेव अमुहा सिया, से णं भंते ! किं धाराहए विराहए ?, गोयमा ! श्राराहए नो विराहए 1 / से य संपट्ठिए असंपत्ते अप्पणा य पुवामेव अमुहे सिया से णं भंते / किं पाराहए विराहए ?, गोयमा ! पाराहए नो विराहए 2 / से य संपट्ठिए असंपत्ते अप्पणा य पुवामेव थेरा य कालं करेजा से णं भंते ! किं श्राराहए विराहए ?, गोयमा ! अाराहए नो विराहर 3 / से य संपट्टिए असंपत्ते अप्पणा य पुत्वामेव कालं करेजा से णं भंते ! किं धाराहए विराहए ?, गोयमा! श्राराहए नो विराहए 4 / से य संपट्ठिए संपत्ते थेरा य अमुहा सिया से णं भंते ! किं धाराहए विराहए ?, गोयमा ! श्राराहए नो विराहए 5 / से य संपट्ठिए संपत्ते अप्पणा य, एवं संपत्तेणवि चत्तारि पालावगा भाणियव्वा जहेव असंपत्तेणं 6 / निग्गंथेण य बहिया वियारभूमि विहारभूमि वा निवखंतेणं अन्नयरे अकिचट्ठाणे पडिसेविए तस्स णं एवं भवति-इहेव ताव अहं एवं एत्थवि एते चेव अट्ठ पालावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए 7 / निरगंथेण य गामाणुगामं दूइज्जमाणेणं अन्नयरे अकिचट्ठाणे पडिसेविए तस्स णं Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) त्रं // शतकं 8 उ• 6 ] [ 256 एवं भवति इहेव ताव अहं एत्थवि ते चेव अट्ठ पालावगा भाणियव्या जाव नो विराहए 8 / निग्गंथीए य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए श्रणुपविट्ठाए अन्नयरे अकिञ्चट्ठाणे पडिसेविए तीसे णं एवं भवइ इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स आलोएमि जाव तवोकम्मं पडिवजामि तो पच्छा पवत्तिणीए अंतियं पालोएस्सामि जाव पडिवजिस्सामि, सा य संपट्ठिया असंपत्ता पवत्तिणी य. अमुहा सिया सा णं भंते ! कि श्राराहिया विराहिया ?, गोयमा ! श्राराहिया नो विराहिया, सा य संपट्ठिया जहा निग्गंथस्स तिन्नि गमा भणिया एवं निग्गंथीएवि तिन्नि घालावंगा भाणियव्वा जाव पाराहिया नो विराहिया 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-बाराहए नो विराहए ?, गोयमा ! से जहा नामए केइ पुरिसे एगं महं उन्नालोमं वा गयलोमं वा सणलोमं वा कप्पासलोम वा तणसूयं वा दुहा वा तिहा वा संखेजहा वा छिदित्ता अगणिकायंसि पक्खिवेजा, से नूणं गोयमा ! छिजमाणे छिन्ने पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते दज्झमाणे दड्डेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता भगवं ! छिज्जमाणे छिन्ने जाव दड्डत्ति वत्तव्वं सिया, से जहा वा केइ पुरिसे वत्थं अहतं वा धोतं वा तंतुग्गयं वा मंजिट्ठादोणीए पक्खिवेजा से नूणं गोयमा ! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते रजमाणे रत्तेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता भगवं ! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते जाव रत्तेत्ति वत्तव्वं सिया, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-बाराहए नो विराहए 10 // सूत्रं 334 // पईवस्स णं भंते ! झियायमाणस्स किं पदीवे झियाति लट्ठी झियाइ वत्ती मियाइ तेल्ले झियाइ दीवचंपए झियाइ जोति झियाइ ? गोयमा ! नो पदीवे झियाइ जाव नो पदीवचंपए झियाइ जोइ झियाई 1 / श्रगारस्स णं भंते ! झियायमाणस्स किं श्रागारे झियाइ छड्डा झियाइ कडाणा झियाइ धारणा झियाइ बलहरणे झियाइ वंसा मियाइ मला झियाइ वग्गा मियाइ छित्तरा Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 260 ] [श्रीमदीगमसुधासिन्धुः // द्वितीयो विभाग मियाइ छाणे झियाति जोति झियाति ?, गोयमा ! नो अगारे झियाति नो. कुड्डा झियाति जाव नो छाणे झियाति जोति झियाति // सूत्रं 335 / / जीवे णं. भंते ! श्रोरालियसरीरात्रो कति किरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए. सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए 1 / नेरइए णं भंते ! श्रोरालियसरीरायो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए 2 / असुरकुमारे णं भंते ! ओरालियसरीरायो कतिकिरिए ? एवं चेव, एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे 3 / जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए 4 / नेरइए णं भंते ! श्रोरालियसरीरेहितो कतिकिरिए ?, एवं एसो जहा पढमो दंडयो तहा इमोवि अपरिसेसो भाणियब्वो जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे 5 / जीवा णं भंते ! ओरालियसरीरायो कतिकिरिया ?, गोयमा ! सिय तिकिरिया जाव सिय अकिरिया 6 / नेरइया णं भंते ! ओरालियसरीराथो कतिकिरिया ?, एवं एसोवि जहा पढमो दंडयो तहा भाणियवो जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा 7 / जीवा णं भंते ! थोरालियसरीरेहितो कतिकिरिया?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि अकिरियावि 8 / नेरइया णं भंते ! पोरालियसरीरेहितो कइकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि एवं जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा 1 / जीवे णं भंते ! वेउब्वियसरीराथो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय अकिरिए 10 / नेरइए णं भंते ! वेउब्वियसरीरात्रो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे, एवं जहा पोरालियसरीरा(रे)णं चत्तारि दंडका तहा वेउब्वियसरीरेणवि चत्तारि दंडगा भाणियत्वा, नवरं पंचमकिरिया न भन्नइ, सेसं तं चेव, एवं Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्रं : शतकं 8:: उ०७] [ 261 जहा वेउब्वियं तहा पाहारगंपि तेयगंपि कम्मगंपि भाणियव्वं 11 / एक्केक्के चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव वेमाणिया णं भंते ! कम्मगसरीरेहिंतो कइकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि. 12 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्रं 336 // अष्टमसयस्स छट्टो उद्देसयो समत्तो॥ . इति अष्टमशतके षष्ठ उद्देशकः // 8-6 // // अथ अष्टमशतके अदत्तादानाख्य-सप्तमोद्देशकः // तेणं कालेणं 2 रायगिहे नगरे वन्नो , गुणसिलए चेइए वनश्रो, जाव पुढविसिलावट्टश्रो, तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदुरसामंते बहवे अन्नउत्थिया परिवसंति 1 / तेणं कालेणं 2 समणे भगवं महावीरे श्रादिगरे जाव समोसढे जावं परिसा पडिगया 2 तेणं कालेणं 2 समणस्स भगवत्रो महावीरस्स बहवे अंतेवासी थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना जहा बितियसए जाव जीवियासा-मरणभयविप्पमुका समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अदूरसामंते उ8'जाणू अहोसिरा झाणकोट्टोवगया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा जाव विहरंति 3 / तए णं ते अन्नउत्थिया जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति 2 ता ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुब्भे णं अजो ! तिविहं तिविहेणं अस्संजयअविरयप्पडिहय जहा सत्तमसए वितिए उद्देसए जाव एगंतबाले यावि भवह 4 / तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं क्यासी-केण कारणेणं अजो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं अस्संजयअविरय जाव एगंतबाला यावि भवामो ?, तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुम्भे णं अजो! श्रदिन्नं गेराहह अदिन्नं भुजह अदिन्नं सातिजह, तए णं ते तुम्भे अदिन्नं गेगहमाणा अदिन्नं भुजमाणा अदिन्नं सातिजमाणां तिविहं तिविहेणं Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 262 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः अस्संजयअविरय जाव एगंतबाला यावि भवह 5 / तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-केण कारणेणं अजो ! अम्हे अदिन्नं गेराहामो अदिन्नं भुजामो अदिन्नं सातिजामो ?, जए णं अम्हे अदिन्नं गेराहमाणा जाव अदिन्नं सातिजमाणा तिविहं तिविहेणं अस्संजय जाव एगंतबाला यावि भवामो ?, तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुम्हा णं अजो ! दिजमाणे अदिन्ने पडिग्गहेजमाणे अपडिग्गहिए निस्सिरिजमाणे अणिस?, तुम्भे णं अजो ! दिजमाणं पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा- केइ अवहरिजा, गाहावइस्स णं तं भंते ! नो खलु तं तुभं, तए णं तुज्झे अदिन्नं गेराहह जाव अदिन्नं सातिजह, तए णं तुज्झे अदिन्नं गेराहमाणा जाव एगंतबाला यावि भवह 6 / तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी–नो खलु अन्जो ! अम्हे अदिन्नं गिराहामो अदिन्नं भुजामो अदिन्नं सातिजामो, अम्हे णं अजो ! दिन्नं गेराहामो दिन्नं भुजामो दिन्नं सातिजामो, तए णं अम्हे दिन्नं गेराहमाणा दिन्नं भुजमाणा दिन्नं सातिजमाणा तिविहं तिविहेणं संजयविरयपडिहय जहा सत्तमप्तए जाव एगंतपंडिया यावि भवामो 7 / तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अजो ! तुम्हे दिन्नं गेराहह जाव दिन्नं सातिजह, जए णं तुज्झे दिन्नं गेगहमाणा जाव एगंतपंडिया यावि भवह ?, तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं क्यासी-अम्हे णं अजो ! दिजमाणे दिन्ने पडिग्गहेजमाणे पडिग्गहिए निसिरिजमाणे निसट्टे, जेणं अम्हे णं अजो ! दिजमाणं पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा केई अवहरेजा अम्हाणं तं णो खलु तं गाहावइस्स, जए णं अम्हे दिन्नं गेराहामो दिन्नं भुजामो दिन्नं सातिजामो तए णं अम्हे दिन्नं गेराहमाणा जाव दिन्नं सातिजमाणा तिविहं तिविहेणं संजय जाव एगंतपंडिया यावि भवामो, तुज्झे णं अजो! अप्पणा Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं : उ०७] [263 चेव तिविहं तिविहेणं अस्संजय जाव एगंतबाला यावि भवह 8 / तए णं ते अन्नउस्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अजो ! अम्हे तिविहं जाव एगंतबाला यावि भवामो ?, तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-तुज्झे णं अजो! अदिन्नं गेराहह अदिन्नं भुजह अदिन्नं साइजह, तए णं तु अज्जो ! तुब्भे अदिन्नं गेराहह जाव एगंतबाला यावि भवह 1 / तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अजो ! अम्हे अदिन्नं गेराहामो जाव एगंतबाला यावि भवामो ?, तए णं ते थेरे भगवंते ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-तुज्झे णं अजो ! दिजमाणे श्रदिन्ने तं चेव जाव गाहावइस्स णं णो खलु तं तुझे, तए णं तुज्झे अदिन्नं गेराहह, तं चेव जाव एगंतबाला यावि भवह 10 / तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुझे णं अजो ! तिविहं तिविहेणं अस्संजय जाव एगंतबाला यावि भवह 11 / तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए ऐवं वयासी-केण कारणेणं अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवामो ?, तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुज्झे णं अजो ! रीयं रीयमाणा पुढविं पेच्चेह अभिहणह वत्तेह लेसेह संघाएह संघटुंह परितावेह किलामेह उवद्दवेह, तए णं तुझे पुढवि पेच्चेमाणा जाव उबद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं असंजयविरय जाव एगंतबाला यावि भवह 12 / तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-नो खलु अजो ! अम्हे रीयं रीयमाणा पुढवि पेच्चेमो अभिहणामो जाव उबद्दवेमो, अम्हे णं अजो ! रीयं रीयमाणा कायं वा जोयं वा रियं वा पडुच्च देसं देसेणं वयामो पएसं पएसेणं वयामो तेणं श्रम्हे देसं देसेणं वयमाणा पएसं पएसेणं वयमाणा नो पुढविं पेञ्चेमो अभिहणामो जाव उवहवेमो, तए णं अम्हे पुढविं अपेच्चेमाणा श्रणभिहणेमाणा जाव अणुवहवेमाणा Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264.] मदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः तिविहं तिविहेणं संजय जाब एगंतपंडिया यावि भवामो, तुझे णं अजो! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं अस्संजय जाव बाला यावि भवह. 13 / तए णं ते अन्नउस्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अजो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवामो ?, तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-तुझे णं अजो ! रीयं रीयमाणा पुढविं पेच्चेह जाव उपद्दवेह, तए णं तुज्मे पुढविं पेञ्चेमाणा जाव उवद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाक एगंतबाला यावि भवह 14 / तए णं ते अन्नउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुन्झे णं अजो गममाणे अगते वीतिकमिजमाणे प्रवीतिक्कते रायगिहं नगरं संपाविउकामे असंपत्ते ? तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउथिए एवं :वयासी-नो खलु अजो! अम्हं गममाणे अगए वीइकमिजमाणे श्रवीतिक्कते रायगिहं नगरं जाव असपत्ते, श्रम्हा णं अजो ! गममाणे गए वीतिकमिजमाणे वीतिक्कते रायगिहं नगरं संपाविउकामे संपत्ते, तुझे णं अप्पणा चेव गममाणे अगए वीतिकमिजमाणे अवीतिक्कते रायगिह नगरं जाव असंपत्ते 15 / तए णं ते थेरा भगवंतो ते अन्नउत्थिए एवं पडिहणेन्ति पडिहणित्ता गइप्पवायं नाम श्रझवणं पनवइंसु 16 // सूत्रं 337 // कइविहे णं भंते ! गइप्पवाए पराणत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे गइपवाए पराणत्ते, तंजहा–पयोगगती ततगती बंधणछेयणगती उववायगती विहायगती, एत्तो पारम्भ पयोगपयं निरवसेसं भाणियब्वं, जाव सेतं विहायगई / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरति // सूत्र 338 // अट्ठमसयस्स सत्तमो // // इति अष्टमशतके सप्तम उद्देशकः // 8-7 // Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भागपती) सत्र शतक 8 : उ०८] [265 // अथ अष्टमशतके प्रत्यनीकाख्याष्टमोद्देशकः // - रायगिहे नयरे जाव एवं वयासी-गुरू णं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पराणता ?. गोयमा ! तो पडिणीया पराणता, तंजहा-पायरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए थेरपडिणीए 1 / गई णं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पराणत्ता ?, गोयमा ! तो पडिणीया पराणत्ता, तंजहा-इहलोगपडिणीए. परलोगपडिणीए दुहबोलोगपडिणीए 2 / समूहगणं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पराणत्ता ?, गोयमा ! तो पडिणीया पराणत्ता तंजहा-कुलपडिणीए गणपडिणीए संघपडिणीए 3 / अणुकंपं पडुच्च पुच्छा, गोयमा ! तो पडिणीया पराणत्ता, तंजहा-तवस्सि. पडिणीए गिलाणपडिणीए सेहपडिणीए 4 / सुयराणं भंते ! पडुच्च पुच्छा, गोयमा ! तो पडिणीया पराणत्ता, तंजहा-सुत्तपडिणीए अत्थपडिणीए तदुभयपडिणीए 5 / भावं णं भंते ! पडुच पुच्छा, गोयमा ! तो पडिणीया पन्नत्ता, तंजहा-नाणपडिणीए दंसणपडिणीए चरित्तपडिणीप 6 // सूत्रं 331 // कइविहे णं भंते ! ववहारे पन्नते ?, गोयमा ! पंचविहे ववहारे पन्नत्ते, तंजहा-श्रागमे सुत्तं पाणा धारणा जीए, जहा से तत्थ श्रागमे सिया आगमेणं ववहारं पट्टवेजा, णो य से तत्थ श्रागमे सिया जहा से तत्थ सुते सिया सुएणं ववहारं पट्टवेजा, णो वा से तत्थ सुए सिया जहा से तत्थ प्राणा सिया श्राणाए ववहारं पट्ठवेजा, णो य से तत्थ आणा सिया जहा से तत्थ धारणा सिया धारणाए णं ववहारं पट्टवेजा, णो य से तत्थ धारणा सिया जहा से तत्थ जीए सिया जीएणं ववहारं पट्टवेजा, इच्चेएहिं पंचहिं ववहारं पट्टवेजा, तंजहा-आगमेणं सुएणं श्राणाए घारणाए जीएणं, जहा 2 से श्रागमे सुए श्राणा धारणा जीए तहा 2 ववहारं पट्टवेज्जा 1 / से किमाहु भंते !, बागमबलिया समणा निग्गंथा इच्चेयं पंचविहं ववहारं जया 2 जहिं 2 तहा 2 तहिं 2 24 Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 266 ] [ श्रीमदगिमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः प्रणिस्सियोवस्सितं सम्मं ववहरमाणे समणे निग्गंथे आणाए. बाराहए। भवइ 2 // सूत्रं 340 // कइविहे णं भंते ! बंधे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे बंधे पन्नत्ते, तंजहा-ईरियावहियाबंधे य संपराइयबंधे य 1 / ईरियावहियगणं भंते ! कम्मं किं नेरइयो बंधइ तिरिक्खजोणियो बंधइ तिरिक्खजोणिणी बंधइ मणुस्सो बंधइ मणुस्सी बंधइ देवो बंधइ देवी बंधइ ?, गोयमा ! नो नेरइश्रो बंधइ नो तिरिक्खजोणीयो बंधइ नो तिरिक्खजोगिणी बंधइ नो देवो बंधइ नो देवी बंधइ पुवपडिवन्नए पडुच्च मणुस्सा य मणुस्सीयो य बंधति पडिवजमाणए पडुच्च मणुस्सो वा बंधइ 1 मणुस्सी वा बंधइ 2 मगुस्सा वा बंधति 3 मणुस्सीओ वा बंधति 4 अहवा मणुस्सो य मणुस्सी य बंधइ 5 अहवा मणुस्सो य मणुस्सीयो य बंधति 6 अहवा मणुस्सा य मणुसी य बंधति 7 हवा मणुस्सा य मणुस्सीयो य बंधति 8, 2 / तं भते ! कि इत्थी बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? नपुंसगो बंधति ? इत्थीयो बंधति ? पुरिसा बंधंति ? नपुंसगा बंधंति ? नोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसो बंधइ ?, गोयमा ! नो इत्थी बंधइ नो पुरिसो बंधइ जाव नो नपुंसगा बंधति, पुवपडिवन्नए पडुच्च अवगयवेदा बंधंति, पडिबजमाणए य पडुच्च अवगयवेदो वा बंधति, श्रवगयवेदा वा बंधति 3 / जइ भंते ! अवगयवेदो वा बंधइ अयगयवेदा वा बंधति तं भंते ! किं इत्थीपच्छाकडो बंधइ 1 ? पुरिसपच्छाकडो बंधइ 2 ? नपुंसकपच्छाकडो बंधइ 3 ? इत्थीपच्छाकडा बंधति 4 ? पुरिसपच्छाकडावि बंधंति 5 ? नपुंसगपच्छाकडावि बंधति 6 ? उदाहु इत्थिपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधति 4 ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य णपुंसगपच्छाकडो य बंधइ 4 ? उदाहु पुरिसपच्छाकडो य णपुंसगपच्छाकडो य बंधइ 4 ? उदाहु इस्थिपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य णपुंसगपन्छाकडो य भाण्यिव्वं 8, एवं एते छब्बीसं भंगा 26 जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याल्याप्रज्ञप्ति (भीमद्भगवती) ले शतकं. 8 :: उ०८] [267 नपुंसयपच्छाकडा बंधति ?, गोयमा ! इत्थिपच्छाकडोवि बंधइ 1 पुरिसपच्छाकडोवि बंधइ 2 नपुंसगपच्छाकडोवि बंधइ 3 इत्थीपच्छाकडावि बंधति 4 पुरिसपच्छाकडावि बंधंति 5 नपुंसकपच्छाकडावि बंधति 6 अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ 7 एवं एए चेव छव्वीसं भंगा भाणियब्वा, जाव अहवा इत्थिपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति 3 / तं भंते ! किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1 बंधी बंधइ न बंधिस्सइ 2 बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 3 बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 4 न बंधी बंधइ बंधिस्सइ 5 न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ 6 न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 7 न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 8 ?, गोयमा ! भवागरिसं पडुच अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, एवं तं चेव सव्वं जाव अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ, गहणागरिसं पडुच्च अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ एवं जाव अत्थेगतिए न बंधी बंधइ बंधिस्सइ, णो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 4 / तं भंते ! किं साइयं सपजवसियं बंधइ साइयं अपजवसियं बंधइ श्रणाइयं सपन्जवसियं बंधइ अणाइयं अपजवसियं बंधइ ?, गोयमा ! साइयं सपन्जवसियं बंधइ नो साइयं अपजवसियं बंधइ नो श्रणाइयं सपजवसियं बंधइ नो श्रणाइयं अपजवसियं बंधइ 5 / तं भंते ! किं देसेणं देसं बंधइ ? देसेणं सव्वं बंधइ ? सव्वेणं देसं बंधइ ? सव्वेणं सव्वं बंधइ ?, गोयमा ! नो देसेणं देसं बंधइ णो देसेणं सव्व बंधइ नो सव्वेणं देसं बंधइ सव्वेणं सव्वं बंधइ 6 // सूत्रं 341 // संपराइयगणं भंते ! कम्मं किं नेरइयो बंधइ तिरिक्खजोणीयो बंधइ जाव देवी बंधइ ?, गोयमा ! नेरइनोवि बंधइ तिरिक्खजोणीश्रोवि बंधइ तिरिक्खजोणिणीवि बंधइ मणुस्सोवि बंधइ मणुस्सीवि बंधइ देवोवि बंधइ देवीवि बंधइ 1 / तं भंते ! किं इत्थी बंधइ पुरिसो Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268 ] [ श्रीमदगिमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमागा बंधइ तहेब जाव नोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसयो बंधइ ?, गोयमा / इत्थीवि बंधइ पुरिसोवि बंधइ जाव नपुंसगोवि बंधइ अहवेए य अवगयवेदो य बंधइ अहवेए य श्रवगयवेया य बंधइ 2 / जइ भंते ! अवगयवेदो य बंधइ अवगयवेदा य बंधति तं भंते ! कि इत्थीपच्छाकडो बंधइ पुरिसपच्छाकडो बंधइ ? एवं जहेव ईरियावहियाबंधगस्स तहेव निरवसेसं जाव ग्रहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति 3 / तं भंते ! किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1 ? बंधी बंधइ न बंधिस्सइ 2.? बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 3 ? बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 4 ?, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1 अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ 2 अत्यंगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 3 अत्यंगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 4 / तं भंते ! किं साइयं सपजवसियं बंधइ ? पुच्छा तहेव, गोयमा ! साइयं वा सपज्जवसियं बंधइ अणाइयं वा सपज्जवसियं बंधइ अणाइयं वा अपज्जवसियं बंधइ णो चेव णं साइयं अपजवसियं बंधइ 5 / तं भंते ! किं देसेणं देसं बंधइ ? एवं जहेव ईरियावहियाबंधगस्स जाप सव्वेणं सव्वं बंधइ 6 // सूत्रं 342 // कइ णं भंते ! कम्मपयडीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! अट्ट कम्मपयडीयो पन्नत्तायो, तंजहा–णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं 1 / कइ णं भंते ! परीसहा पराणत्ता , गोयमा ! बावीसं परीसहा पनत्ता, तंजहा-दिगिंछापरीसहे पिवासापरीसहे जाव दंसणपरीसहे 2 / एए णं भंते ! बावीसं परीसहा कतिसु कम्मपगडीसु समोयरंति ?, गोयमा ! चउसु कम्मपयडीसु समोयरंति, तंजहा-नाणावरणिज्जे वेयणिज्जे मोहणिज्जे अंतराइए 3 / नाणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?, गोयमा ! दो परीसहा समोयरंति, तंजहा-पन्नापरीसहे नाण(अन्नाण)परीसहे य 4 / वेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा. समोयरंति ?, गोयमा ! एकारस परीसहा. समोयरंति, तंजहा Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्न्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सत्र शतकं 8 3.0] [ 269 पंचेव आणुपुब्बी चरिया सेन्जा वहे य रोगे य। तणफास जल्लमेव य एकारस वेदणिज्जमि॥१॥५। दसणमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?, गोयमा ! एगे दंसणपरीसहे समोयरइ 6 / चरित्तमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?, गोयमा ! सत्त परीसहा समोयरंति, तंजहा-अरती अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अकोसे / सकारपुरकारे चरित्तमोहंमि सत्तेते // 1 // 7 / अंतराइए णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?, गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरइ८ / सत्तविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा पराणत्ता ?, गोयमा! बावीसं परीसहा पराणत्ता, वीसं पुण वेदेइ, जं समयं सीयपरीसहं वेदेति णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ णो तं समयं सीयंपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेति णो तं समयं निसीहियापरीसहं वेदेति जं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ 1 / अट्टविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा पराणता ?, गोयमा ! बावीसं परीसहा पराणत्ता, तंजहा-छुहापरीसहे पिवासापरीसहे सीयपरीसहे दंसपरीसहे मसगपरीसहे जाव अलाभपरीसहे एवं अविहबंधगस्सवि सत्तविहबंधगस्सवि 10 / छविहबंधगस्स णं भंते ! सरागछउमत्थस्स कति परीसहा पराणता ?, गोयमा ! चोइस परीसहा पराणत्ता, बारस पुण वेदेइ, जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेति णो तं समयं सेजापरीसहं वेदेइ जं समयं सेजापरीसहं वेदेति णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ 11 / एकविहबंधगस्स णं भंते ! वीयरागछउमत्थस्स कति परीसहा पराणत्ता ?, गोयमा ! एवं चेव जहेव छविहबंधगस्स णं 12 / एगविहबंधगस्स णं भंते ! सजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा परणता ?, गोयमा ! Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 200 ] / भोमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागा एकारस परीसहा पराणत्ता, नव पुण वेदेइ, सेसं जहा छबिहबंधगस्स 13 / श्रबंधगस्स णं भंते ! अजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पराणता ?, गोयमा ! एकारस परीसहा पराणत्ता, नव पुण वेदेइ, जं समय सीयपरीसहं वेदेति नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेति नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेड, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेनापरीसहं वेदेति जं समयं सेनापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ 14 // सूत्रं 343 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति मझतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति अत्थमणमुहुतंसि दूरे य मूले य दीसंति ?, हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य तं चेव जाव अत्थमणमुहुतंसि दूरे य मूले य दीसंति 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि मझसि य मुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं ?, हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमण जाव उच्चत्तेणं 2 / जइ णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि य मझतियमुहत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तसि य जाव उच्चत्तेणं से केणं खाइ अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ?, गोयमा ! [ ग्रन्थागं 5000 ] लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति लेसाभितावेणं मझतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति लेस्सापडिघाएणं अत्थमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-जंबुद्दीने णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अत्थमण जाव दीसंति 3 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेतं गच्छति पडुप्पन्न खेत्तं गच्छति श्रणागयं खेत्तं गच्छति ?, गोयमा ! णो तीयं खेत्तं गच्छंति पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति णो अणागयं खेत्तं गच्छति / Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्यांच्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 8 उ०] [21 जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं श्रोभासंति पडुप्पन्नं खेत्तं श्रोभासंति अणागयं खेत्तं श्रोभासंति ?, गोयमा ! नो सीयं खेत्तं श्रोभासंति पडुप्पन्नं खेत्तं प्रोभासंति नो श्रणागयं खेत्तं श्रोभासंति 5 / तं भंते ! किं पुढे श्रोभासंति अपुटुं श्रोभासंति ?, गोयमा ! पुटुं श्रोभासंति नो अपुटुं श्रोभासंति जाव नियमा छदिसि 6 / जंबूद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उजोवेंति ? एवं चेव जाव नियमा छदिसिं, एवं तति एवं भासंति जाव नियमा छदिसि 7 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरियाणं किं तीए खेत्ते किरिया कन्जइ पडुप्पन्ने खेते किरिया कजइ अणागए खेते किरिया कज्जइ ?, गोयमा ! नो तीए खेत्ते किरिया कज्जइ पडुप्पन्ने खेत्ते किरिमा कन्जइ णो अणागए खेत्ते किरिया कजइ, सा भंते ! किं पुट्ठा कजति अपुट्ठा कजइ ?, गोयमा ! पुट्ठा कजइ नो अपुट्ठा कजति जाव नियमा छदिसि 8 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया केवतियं खेतं उट्ठ तवंति केवतियं खेतं अहे तवंति केवतियं. खेत्तं तिरियं तवंति ?, गोयमा ! एगे जोयणसयं उ8 तवंति अट्ठारस जोयणसयाइं अहे तवंति सीयालीसं जोयणसहस्साई दोन्नि तेवढे जोयणसए एकवीसं च सट्टियाए जोयणस्स तिरियं तवंति 1 / अंतो णं भंते ! माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिमसूरिय-गहगणणक्खत्तताराख्वा ते णं भंते ! देवा कि उड्डोवपन्नगा ? जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव उक्कोसेणं छम्मासा 10 / बहिया णं भंते ! माणुसुत्तरस्स जहा जीवाभिगमे जाव इंदट्ठाणे णं भंते ! केवतियं कालं उववाएणं विरहिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं छम्मासा 11. / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 12 // सूत्रं 344 // अट्ठमसए अट्ठमो उद्देसो समत्तो॥ // इति अष्टमशतके अष्टम उद्देशकः // 8-8 // . Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 272 ] [श्रीमदगिमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः // अथ अष्टमशतके बन्धाख्य-नवमोद्देशकः // कइविहे णं भंते ! बंधे पराणते ?, गोयमा! दुविहे बंधे पराणत्ते, तंजहा–पयोगबंधे य वीससाबंधे य॥ सूत्रं 345 // वीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-साइयवीससाबंधे श्रणाइयवीससाबंधे य 1 / अणाइयवीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पराणते?, गोयमा ! तिविहे पराणत्ते, तंजहा-धम्मत्थिकाय-अन्नमन-श्रणादीय-वीससाबंधे अधम्मत्थिकाय-अन्नमन्न-श्रणादीय-वीससाबंधे अागासत्थिकाय-अन्नमन-प्रणादीय-वीससाबंधे 2 / धम्मत्थिकाय-अन्नमन-प्रणादीयवीससाबंधे णं भंते / किं देसबंधे सव्वबंधे ?, गोयमा ! देसबंधे नो सव्वबंधे, एवं चेव अधम्मत्थिकाय-अन्नमन-श्रणादीय-वीससाबंधेवि, एवमागासत्थिकाय-अन्नमन-श्रणादीय-वीससाबंधेवि 3 / धम्मत्थिकाय-अन्नमन्नश्रणादीय-वीससाबंधे णं भंते ! कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वद्धं, एवं अधम्मत्थिकाए, एवं श्रागासत्थिकाये 4 / सादीयवीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पराणत्ते, तंजहा-बंधणपञ्चइए भायणपञ्चइए परिणामपञ्चइए 5 / से किं तं बंधणपचइए. ?, 2 जन्नं परमाणुपुग्गला दुपएसिया तिपएसिया जाव दसपएसिया संखेजपएसिया असंखेजपएसिया, श्रणंतपएसियाणं खंधाणं वेमायनिद्धयाए वेमायलुक्खयाए वेमायनिद्धलुक्खयाए बंधणपञ्चए णं बंधे समुप्पजइ जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं, सेत्तं बंधणपञ्चइए 6 / से किं तं भायणपञ्चइए ?, भायणपञ्चइए जन्नं जुन्नसुरा-जुन्नगुल-जुन्नतंदुलाणं भायणपञ्चइएणं बंधे समुप्पजइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं, सेत्तं भायणपञ्चइए 7 / से किं तं परिणामपञ्चइए ?, परिणामपञ्चइए जन्नं श्रभाणं अब्भरक्खाणं जहा ततियसए जाव अमोहाणं परिणामपञ्चइए णं बंधे समु. प्पज्जइ जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं छम्मासा, सेत्तं परिणामपञ्चइए, सेत्तं Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतक : उ० 6 ] [ 273 सादीयवीससाबंधे, सेत्तं वोससाबंधे 8 // सूत्रं 346 // से किं तं पयोगबंधे ?, पयोगबंधे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-अणाइए वा अपजवसिए साइए वा अपज्जवसिए साइए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे से अणाइए अपज्जवसिए, से णं श्रट्टराहं जीवमज्झपएसाणं 1 / तत्थवि णं तिराहं 2 अणाइए अपज्जवसिए सेसाणं साइए, तत्थ णं जे से सादीए अपजवसिए से णं सिद्धाणं तत्थ णं जे से साइए सपजवसिए से णं चउबिहे पन्नते, तंजहा-घालावणबंधे अल्लियावणबंधे सरीरबंधे सरीरप्पयोगबंधे 2 / से किं तं पालावणबंधे ?, थालावणबंधे जगणं तणभाराण वा कट्ठभाराण वा पत्तभाराण वा पलालभाराण वा वेल्लभाराण वा वेत्तलया-वागवरत्त-रज्जु-बल्लि-कुस-दभमादिएहिं घालावणबंधे समुप्पज्जइ, जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं, सेत्तं पालावणबंधे 3 / से किं तं श्रल्लियावणबंधे ?, अल्लियावणबंधे चउविहे पत्नत्ते, तंजहा-लेसणाबंधे उच्चयबंधे समुच्चयबंधे साहणणाबंधे, से किं तं लेसणावंधे ?, लेसणाबंधे जन्नं कुट्टाणं कोट्टिमाणं खंभाणं पासा. याणं कट्टाणं चम्माणं घडाणं पडाणं कडाणं छुहाचिक्खिल्ल-सिलेस-लक्खमहुसित्थ-माइएहिं लेसणएहिं बंधे समुप्पजइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्ज कालं, सेत्तं लेसणाबंधे 1, से किं तं उच्चयबंधे ?, उच्चयबंधे जन्नं तणरासीण वा कट्टरासीण वा पत्तरासीण वा तुमरासीण वा भुसरासीण वा गोमयरासीण वा अवगररासीण वा उच्चत्तेणं बंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं, सेत्तं उच्चयबंधे 2, से किं तं समुच्चयबंधे ?, समुच्चयबंधे जन्नं अगड-तडाग-नदी-दह-वावी-पुक्खरिणी-दीहियाणं गुजालियाणं सराणं सरपंतियाणं सरसरपंतियाणं विलपंतियाणं देवकुल-सभा-पव्व(वा)-थूभ-खाइयाणं फरिहागां पागारष्टालग-चरियदारगोपुर-तोरणाणं पासाय-घर-सरणलेण-श्रावणाणं सिंघाडग-तिय चउक--चचर--चउम्मुह-महापहमादीणं छुहाचिक्खिल्ल-सिलेस-समुच्चएणं बंधे समुच्चए णं बंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 274 ] [ श्रीमंदार्गमसुधासिन्धु: / द्वितीयों विभाग अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेन्जं कालं, सेत्तं समुच्चयबंधे 3, से किं तं साहणणाबंधे ?, साहणणाबंधे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-देससाहणणाबंधे यसव्वसाहणणावंधे य, से किं तं देससाहणणाबंधे ?, देससाहणणाबंधे जन्नं सगड-रह-जाणजुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीय-संदमाणिया-लोही--लोहकडाह-कडच्छुपासणसयणखंभ-भंडमत्तोवगरणमाईणं देससाहणणावंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं संखेज्जं कालं, सेत्तं देससाहणणाबंधे, से किं तं सव्वसाहणणाबंधे ?, सव्वसाहणणाबंधे से णं खीरोदगमाईणं, सेत्तं सव्वसाहणणाबंधे, सेत्तं साहणणावंधे 4, सेत्तं अल्लियावणबंधे 4 / से किं तं सरीरबंधे ?, सरीरबंधे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पुवप्पयोगपञ्चइए य पडुप्पन्नपयोगपञ्चइए य, से किं तं पुवप्पयोगपञ्चइए ?, पुवप्पश्रोगपञ्चइए जन्नं नेरइयाणं संसारवत्थाणं सव्वजीवाणं तत्थ 2 तेसु 2 कारणेसु समोहणमाणाणं जीवप्पदेसाणं बंधे समुप्पजइ, सेत्तं पुव्वपयोगपञ्चइए 1, से किं तं पडुप्पन्नप्पयोगपञ्चइए ?, 2 जन्नं केवलनाणस्स अणगारस्स केवलिसमुग्घाएणं समोहयस्स तायो समुग्घायायो पडिनियत्तेमाणस्स अंतरा मंथे वट्टमाणस्स तेयाकम्माणं बंधे समुप्पजइ, कि कारणं ?, ताहे से पएसा एगत्तीगया य भवंतित्ति, सेत्तं पडुप्पन्नप्पयोगपञ्चइए 2, सेत्तं सरीरबंधे 5 / से किं तं सरीप्पयोगबंधे ?, सरीरप्पयोगबंधे पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-थोरालियसरीर. प्पयोगबंधे वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे थाहारगसरीरप्पयोगबंधे तेयासरीरप्पयोगबंधे कम्मासरीरप्पयोगबंधे 6 / ओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदिय-पोरालियसरीरप्पयोगबंधे बंदिय-बोरालिय-सरीर-प्पयोगबंधे जाव पंचिंदिय-रोरालियसरीरप्पयोगबंधे। एगिदिय-बोरालिय-सरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा–पुढविकाइय-एगिदियश्रोरालिय-सरीर-प्पयोगवंधे एवं एएणं अभिलावेणं भेदो जहा श्रोगाहण Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्यायप्रिज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) क्षेत्र : शतक 8 उ०९] [ 275 संगणे थोरालियसरीरस्स तहा भाणियव्वो जाव पजत्त-गम्भवक्कंतियमणुस्स-पंचिंदिय-शोरालिय-सरीरप्पयोगबंधे य अपजत्त-गम्भवपकतियमणुस्स-पंचिंदिय-योरालिय-सरीर-प्पयोगबंधे य७। थोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, गोयमा ! वीरियसजोगसद्दव्वयाए पमादपञ्चया कम्म च जोगं च भवं च पाउयं च पडुच्च ओरालिय-सरीरप्पयोग-नामकम्मस उदएणं ओरालियसरीरप्पयोगबंधे 8 / एगिदिय-धोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, एवं चेव, पुढविक्काइयएगिदिय-श्रोरालिय-सरीरप्पयोगबंधे एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया, एवं बेइंदिया एवं तेइंदिया एवं चरिंदिया 1 / तिरिक्खजोणिय-पंचिंदियओरालिय-सरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, एवं चेव 10 / मणुस्स-पंचिंदिय-ओरालिय-सरीरप्पयोगबंधे णं भंते / कस्स कम्मस्स उदएणं ?, गोयमा ! वीरिय-सजोग-सहव्वयाए पमादपच्चया जाव अाउयं च पडुच्च मणुस्सपंचिंदिय-योरालिय-सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं मणुस्स-पंचिंदिय-पोरालिय-सरीरप्पयोगबंधे 11 / बोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे सव्वबंधे ?, गोयमा ! देसबंधेवि सव्वबंधेवि 12 / एगिदिय-बोरालिय-सरीरप्पयोबंधे णं भंते / किं देसबंधे सव्वबंधे ?, एवं चेव, एवं पुढविकाझ्या 13 / एवं जाव मणुस्सपंचिंदिय-श्रोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे सव्वबंधे ?, गोयमा ! देसवंधेवि सव्वबंधेवि 14 / श्रोरालिय-सरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वबंधे एक समयं, देसबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाइं समयऊणाई 15 / एगिदिय-योरालिय-सरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं देसबंधे जहन्नेणं एक समयं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई समऊणाई 16 / पुढविकाइयएगिदियपुच्छा, गोयमा! Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 276 ] .:... - श्रीमर्दागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः . सव्वबंधे एवकं समयं देसबंधे जहन्नेणं खुड्डागभवग्गहणं तिसमयऊणं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई समऊणाई 17 / एवं सब्वेसि सव्वबंधो एक्कं समयं देसबंधो जेसि नत्थि वेउब्बियसरीरं तेसिं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयऊणं उक्कोसेगां जा जस्स उक्कोसिया ठिती सा समऊणा .कायब्वा, जेसि पुण अस्थि वेउब्वियसरीरं तेसिं देसबंधो जहन्नेगां एक्कं समयं उक्कोसेणं जा जस्स ठिती सा समऊणा कायबा जाव मणुस्साणां देसबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेगां तिन्नि पलिग्रोवमाइं समयूणाई 18 / श्रोरालियसरीरबंधंतरं गां भंते ! कालयो केवचिरं होइ ?, -गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेएं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयऊणं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुवकोडिसमयाहियाई, देसंबंधंतरं जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं तिसमयाहियाई 16 / एगिदिय ओरालियपुच्छा, गोयमा. ! सव्वबंधतरं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयऊणं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई समयाहियाई, देसबंधंतरं जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 20 / पुढविकाइय-एगिदियपुच्छा गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहेब एगिदियस्स तहेव भाणियव्वं, देसबंधंतरं जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तिन्नि समया जहा पुढविक्काइयाणं 21 / एवं जाव उरिदियाणं वाउकाइयवजाणं, नवरं सव्वबंधतरं उक्कोसेणं जा जस्स ठिती मा समयाहिया कायव्वा, वाउकाइयाणं सबबंधंतरं जहन्नेणं खुड्डागभवग्गहणं तिसमयऊणं उकोसेणं तिनि वाससहस्साई समयाहियाई, देसबंधंतरं जहन्नेणं एक समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं 22 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिय-धोरालियपुच्छा, सब्वबंधंतरं जहन्नेणं खुड्डागभवग्गहणं तिसमयऊणं उक्कोसेणं पुव्वकोडी समयाहिया, देसबंधंतरं जहा एगिदियाणं तहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, एवं मणुस्साणवि निखसेसं भाणियव्वं जाव उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं 23 / जीवस्स णं भंते ! एगिदियत्ते णोएगिदियत्ते Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 8 :: उ०६] [277 पुणरवि एगिदियत्ते एगिदिय--पोरालिय-सरीरप्पनोगतरं कालो केचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वबंधतरं जहन्नेणं दो खुड्डाग-भवग्गहणाई तिसमयऊणाई उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमन्भहियाई, देसबंधंतरं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उकोसेणं दो सागरोवमसहस्साइं संखेजवासमब्भहियाई 24 / जीवस्स णं भंते ! पुढविकाइयत्ते नोपुढविकाइयत्ते पुणरवि पुढविकाइयत्ते पुढविकाइय-एगिंदिय-योरालियसरीरप्पयोगबंधंतरंकालयो केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! सब्वबंधंतरं जहन्नेणं दो खुड्डाई भवग्गहणाई तिसमयऊणाई उक्कोसेणं अणतं कालं अणंता उस्सप्पिणीयोसप्पिणीयो कालो, खेत्तयो अणंता लोगा असंखेजा पोग्गलपरियट्टा ते णं पोग्गलपरियट्टा श्रावलियाए असंखेजइभागो, देसबंधतरं जहन्नेणं खुड्डागभवग्गहणं समयाहियं उकोसेणं अणंतं कालं जाव प्रावलियाए असंखेजइभागो, जहा पुढविकाइयाणं एवं वणस्सइकाइयवजाणं जाव मणुस्साणं, बणस्सइकाइयाणं दोनि खुड्डाई, एवं चेव उक्कोसेणं असंखिज्जं कालं असंखिज्जायो उस्सप्पिणि-योसप्पिणीयो कालो, खेत्तयो असंखेजा लोगा, एवं देसबंधंतरंपि उकोसेणं पुढवीकालो 25 / एएसि णं भंते / जीवाणं योरालियसरीरस्स देसबंधगाणं सव्वबंधगाणं प्रबंधगाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा श्रोरालियसरीरस्स सव्वबंधगा प्रबंधगा विसेसाहिया देसबंधगा असंखेजगुणा 26 // सूत्रं 348 // वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदिय-वेउब्विय-सरीरप्पयोगबंधे य पंचिंदिय-वेउन्वियसरीरप्पयोगबंधे य 1 जइ एगिदिय-वेउब्धिय-सरीरप्पयोगबंधे किं वाउकाइयएगिदिय-वेउब्धिय-सरीरप्पयोगबंधे य अवाउकाइय-एगिदिय वेउब्धिय-सरीरप्पयोगबंधे ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा योगाहणसंठाणे वेउब्विय-सरीरभेदो तहा भाणियब्यो जाव पजत्त-सब्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववाइय-कप्पातीय Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ च पडुच्च वाउकामशरणयोगबंधे णं भय वा पहुंच रयणायवाणिय 278 ...., [श्रीमदगिमसुधार्सिन्धुः / द्वितीयो विभागः वेमाणिय-देवपंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरप्पयोगबंधे य अपजत्त-सव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववाइय जाव पयोगबंधे य 2 / वेउब्बियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, गोयमा ! वीरियसजोगसहव्वयाए जाव पाउयं वा लद्धिं वा पडुच्च वेउब्वियसरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे 3 / वाउकाइय-एगिदिय-वेउब्विय-सरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, गोयमा ! वीरिय-सजोगसहब्बयाए तं चेव जाव लद्धिं च पडुच्च वाउकाइय-एगिदियवेउबिय जाव बंधो 4 / रयणप्पभापुढवि. नेरइय-पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! वीरियसयोगसहव्वयाए जाव पाउयं वा पडुच्च रयणप्पभापुढविसजोगसद्दव्वयाए जाव बंधे, एवं जाव अहेसत्तमाए 5 / तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-वेउब्विय--सरीरपुच्छा, गोयमा ! वीरियसरीरप्पयोगबंधे जहा वाउकाइयाणं 6 / मणुस्सपंचिंदियवेउब्बिय-सरीरप्पयोगबंधे, एवं चेव, असुरकुमार-भवणवासि-देवपंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरप्पयोगबधे जहा रयणप्पभापुढविनेरइया एवं जाव थणियकुमारा, एवं वाणमंतरा, एवं जोइसिया, एवं सोह. म्मकप्पोवगया वेमाणिया, एवं जाव अच्चुयगेवेजकप्पातीया वेमाणिया एवं चेव, श्रणुत्तरोववाइयकप्पातीया वेमाणिया एवं चेव ७।वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे सव्वबंधे ?, गोयमा! देसबंधेवि सव्वबंधेवि, वाउकाइयएगिदिय एवं चेव रयणप्पभापुढविनेरइया एवं चेव, एवं जाव अणुत्तरोववाइया 8 | वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं दो समया, देसबंधे जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं समयूणाई 1 / वाउकाइएगिदिय-वेउब्वियपुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधै एक्कं समयं देसबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 10 / रयणप्पभापुढविनेरइय * पुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं देसबंधे जहन्नेणं दसवाससहस्साई तिसमय Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 8: उ०९] [276 ऊणाई उक्कोसेणं सागरोवमं समऊणं, एवं जाव अहेसत्तमा, नवरं देसबंधे जस्स जा जहनिया ठिती सा तिसमऊणा कायव्वा जस्स जाव उक्कोसा सा समयूणा 11 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण मणुस्साण य जहा वाउकाइयाणं 12 / असुरकुमारनागकुमार जाव अणुत्तरोववाइयाणं जहा नेरझ्याणं, नवरं जस्स जा. ठिई सा भाणियव्या जाव अणुत्तरोववाइयाणं सब्वबंधे एक्कं समयं देसबंधे जहन्नेणं एकतीसं सागरोवमाइं तिसमऊणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं समऊणाई 13 / वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधंतरे णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वबंधतरं जहन्नेणं एक्क समयं उक्कोसेणं अणंतं कालं अणंतानो जाव श्रावलियाए असंखेजइभागो, एवं देसबंधंतरंपि 14 / वाउकाइयवेउब्वियसरीरपुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेजइभागं, एवं देसबंधतरंपि 15 / तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरप्पयोगबंधंतरं पुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी हुत्तं, एवं देसबंधंतरंपि, एवं मणूसस्सवि 16 ।जीवस्स णं भंते ! वाउकाइयत्ते नोवाउकाइयत्ते पुणरवि वाउकाइयत्ते वाउकाइय-एगिदिय-वेउव्वियपुच्छा, गोयमा ! सब्वबंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, एवं देसबंधंतरंपि 17 / जीवस्स णं भंते ! रयणप्पभापुढविनेरइयत्ते णोरयणप्पभापुढविनेरइयत्ते पुच्छा, गोयमा ! सन्धबंधतरं जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं वणस्सइकालो, देसबंधतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, एवं जाव अहेसत्तमाए, नवरं जा जस्स ठिती जहनिया सा सव्वबंधतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तमभहिया कायब्बा, सेसं तं चेव. पंचिंदियतिरिक्खजोणियमणुस्साण य जहा वाउकाइयाणं 18 / असुरकुमारनागकुमार जाव सहस्सारदेवाणं एएसि जहा रयणप्पभापुढविनेरइयाणं, नवरं सव्वबंधंतरे जस्स जा. ठिती जहनिया सा. Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28.] . . भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभाग अंतोमुहुत्तमभहिया कायव्वा, सेसं तं चेव 11 / जीवस्स णं भंते ! श्राणयदेवत्ते नोवाणयदेवत्ते पुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधंतरंजहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमाई वासपुहुत्तमब्भहियाइं उकोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, देसबंधंतरं जहन्नेणं वासपुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, एवं जाव अच्चुए, नवरं जस्स जा ठिती सा सव्वबंधतरं जहराणेणं वासपुडुत्तमभहिया. कायब्वा, सेसं त चेव 20 / गेवेजकप्पातीयपुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधतरं जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई वासपुडुत्तमभहियाई उकोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो, देसबंधतरं जहन्नेणं वासपुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 21 / जीवस्स णं भंते ! अणुत्तरोववातियपुच्छा, गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं एकतीसं सागरोवमाइं वासपुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं संखेजाइं सागरोवमाई, देसबंधंतरं जहन्नेणं वासपुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजाई सागरोवमाई 22 / एएसिणं भंते ! जीवाणं वेउब्वियसरीरस्स देसबंधगाणं सव्वबंधगाणं अबंधगाण य कयरे 2 हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा वेउब्वियसरीरस्स सव्वबंधगा देसबंधगा असंखेनगुणा अबंधगा अणंतगुणा 23 / श्राहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! एगागारे पराणत्ते 24 / जइ एगागारे पराणत्ते किं मणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे कि अमणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे ?, गोमया ! माणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे नो श्रमणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे, एवं एएणं अभिलावेणं जहा श्रोगाहणसंठाणे जाव इडिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मदिट्टि-पजत्त-संखेजवासाउय-कम्मभूमिग-गब्भव कंतिय-मणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे णो अणिडिपत्तपमत्त जाव श्राहारगसरीरप्पयोगबंधे 25 / पाहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, गोयमा ! बीरियसयोगसहव्वयाए जाव लद्धिं पडुच्च श्राहारगसरीरप्पयोगणामाए कम्मस्स उदएणं पाहारगसरीरप्पयोगबंधे 26 / Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याज्ञप्ति श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 8 :: उ०६] पाहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे सव्वबंधे ?, गोयमा ! देसबंधेवि सव्वबंधेवि 27 / श्राहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वबंधे एक समयं देसबंधे जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 28 / श्राहारगसरीरप्पयोगबंधंतरे णं भंते ! कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सबबंधतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं श्रणंतं कालं अयंतात्रों श्रोसप्पिणिउस्सप्पिणीयो कालो, खेत्तश्रो श्रणंता लोया अवडपोग्गलपरियट्ट देसूणं, एवं देसबंधंतरंपि 21 / एएसि णं भंते ! जीवाणं श्राहारगसरीरस्स देसबंधगाणं सव्वबंधगाणं प्रबंधगाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा श्राहारगसरीरस्स सव्वबंधगा देसबंधगा संखेजगुणा बंधगा अणंतगुणा 3, 30 // सूत्रं 341 // तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणते, तंजहा-एगिदिय-तेयासरीरप्पयोगबंधे बेइंदियतेयासरीरप्पयोगबंधे तेइंदियतेयासरीरप्पयोगबंधे जाव पंचिंदियतेयासरीरप्पयोगबंधे 1 / एगिदियतेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कइविहे पराणते ?. एवं एएणं अभिलावेणं भेदो जहा श्रोगाहणसंगणे जाव पजत्त-सव्वट्ठसिद्ध-श्रणुत्तरोववाइय-कप्पातीय-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय-तेयासरीरप्पयोगबंधे य अपजत्त-सव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववाइय जाव बंधे य 2 / तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भन्ते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, गोयमा ! वीरियसजोगसद्दव्वयाए जाव भाज्यं च पडुच्च तेयासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं तेयासरीरप्पयोगबंधे 3 / तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे सव्वबंधे ?, गोयमा ! देसबंधे नो सब्वबंधे 4 / तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा! दुविहे पराणत्ते, तंजहाश्रणाइए वा अपजवसिए श्रणाइए वा सपजवसिए 5 | तेयासरीरप्पयोमबंधंतरे णं भंते ! कालो केवचिरं होई !, गोयमा ! श्रणाइयस्स अपज Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 281] {श्रीमदागमसुधासिन्धुः - द्वित्तीयो विभागः वसियस्स नत्थि अंतरं, अणाइयस्स सपन्जवसियस्स नत्थि अंतरं 6 / एएसि णं भंते ! जीवाणं तेयासरीरस्स देसबंधगाणं प्रबंधगाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा तेयासरीरस्स श्रबंधगा देसबंधगा अणंतगुणा 4 // सूत्रं 350 // कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा! अट्टविहे पराणत्ते, तंजहा-नाणावरणिजकम्मासरीरप्पयोगबंधे जाव अंतराइय-कम्मासरीरप्पयोगबंधे 1 / णाणावर. णिज-कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं 1, गोयमा ! नाणपडिणीययाए णाणणिराहवणयाए णाणंतराएणं णाणप्पदोसेणं णाणचासादणाए णाणविसंवादणाजोगेणं णाणावरणिज-कम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं णाणावरणिज-कम्मासरीरप्पयोगबंधे 2 / दरिसणावरणिजकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, गोयमा ! दसणपडिणीययाए एवं जहा णाणावरणिज्जं नवरं दंसणनाम घेत्तव्वं जाव दंसणविसंवादणाजोगेणं दरिसणावरणिज-कम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं जाव प्पश्रोगबंधे 3 / सायावेयमिज-कम्मासरीरप्पयोगबंधे गां भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?, गोयमा ! पाणाणुकंपयाए भूयाणुकंपयाए एवं जहा सत्तमसए दसमुद्देसए जाव अपरियावणयाए सायावेयणिज-कम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं सायावेयणिज्जकम्मा जाव बंधे 4 / अस्सायावेयणिजपुच्छा, गोयमा ! परदुक्खणयाए परसोरणयाए जहा सत्तमसए दसमोहे सए जाव परियावणयाए अस्सायावेयणिज-कम्मा जाव पयोगबंधे 5 / मोहणिज-कम्मासरीरप्पयोगपुच्छा, गोयमा ! तिब्बकोहयाए तिब्वमाणयाए तिब्वमायाए तिव्वलोभाए तिव्वदंसममोहणिजयाए तिव्वत्ररित्तमोहणिजयाए मोहणिज-कम्मासरीरपयोगबंधे 6 / नेरइयाउय-कम्मासरीर-प्पयोगबंधे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा / महारंभयाए महापरिगहयाए कुणिमाहारेणं पंचिंदियवहेणं नेरइयाउय-कम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 8:: उ०६ ] 1 [283 उदएणं नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे 7 / तिरिक्ख जोणियाउय-कम्मासरीरप्पयोगपुच्छा, गोयमा ! माइल्लियाए नियडिल्लयाए अलियवयणेणं कूडतुलकूडमाणेणं तिरिक्खजोणिय-कम्मासरीरप्पयोगबंधे 8 / मणुस्सयाउय-कम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! पगइभद्दयाए पगइविणीययाए साणुकोसयाए अमछरियाए मणुस्साउयकम्मा जाव पयोगवंधे 1 / देवाउय-कम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! सरागसंजमेणं संजमासंजमेणं बालतवोकम्मेणं अकामनिजराए देवाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे 10 / सुमनाम-कम्मा. सरीरपुच्छा, गोयमा ! कायउज्जुययाए भावुज्जुययाए भासुज्जुययाए अविसंवादणजोगेणं सुभनाम-कम्मासरीरजावप्पयोगबंधे 11 / असुभनाम-कम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! कांयत्रणुज्जुययाए भावअणुज्जुययाए भासवणुज्जुययाए विसंवायणाजोगेणं असुभनामकम्मा जाव प्पयोगबंधे 12 / उच्चागोयकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! जातिश्रमदेणं कुलश्रमदेणं बलश्रमदेणं स्वश्रमदेणं तवरमदेणं सुयश्रमदेणं लाभश्रमदेणं इस्सरिय श्रमदेणं उच्चागोयकम्मासरीरप्पयोगबंधे, नीयागोय-कम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! जातिमदेणं कुलमदेणं बलमदेणं जाव इस्सरियमदेणं णीयागोय-कम्मासरीरपयोगबंधे 13 / अंतराइय-कम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! दाणंतराएणं लाभतराएणं भोगंतराएणं उपभोगंतराएणं वीरियंतराएणं अंतराइय-कम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं अंतराइय-कम्मासरीरप्पयोगबंधे 15 / णाणावरणिज-कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे सव्वबंधे ?, गोयमा ! देसबंधे णो सव्वबंधे, एवं जाव अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे 16 / णाणावरणिज-कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! णाणावरणिज-कम्मासरीरप्पयोगबंधे दुविहे पराणत्ते, तंजहाअणाइए सपन्जवसिए श्रणाइए अपज्जवसिए वा एवं जहा तेयगस्स संचिट्ठणा तहेव एवं जाव अंतराइयकम्मरस 17 / णाणावरणिज-कम्मासरीरप्प Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 284 ] [भौमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विमागः योगबंधंतरे णं भंते ! कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! अणाइयस्स एवं जहा तेयगसरीरस्स अंतरं तहेव एवं जाव अंतराइयस्स 18 / एएसि णं भंते ! जीवाणं नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स देसबंधगाणं श्रबंधगाण य कयरे 2 जाव अप्पाबहुगं जहा तेयगस्स 11 / एवं श्राउयवज्ज जाव अंतराइयस्स / श्राउयस्स पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा श्राउयस्स कम्मस्स देसबंधगा श्रबंधगा संखेनगुणा 5, 20 // सूत्रं 351 // जस्स णं भंते ! ओरालियसरीरस्स सञ्चबंधे से णं भंते ! वेउब्वियसरीरस्स किं बंधए अबंधए ?, गोयमा ! नो बंधए अबंधए 1 / श्राहारगसरीरस्स किं बंधए प्रबंधए ?, गोयमा ! नो बंधए प्रबंधए 2 / तेयासरीरस्स किं बंधए प्रबंधए ?, गोयमा ! बंधए नो अबंधए 3 / जइ बंधए किं देसबंधए सबबंधए ?, गोयमा ! देसबंधए नो सबबंधए 4 / कम्मासरीरस्स किं बंधए प्रबंधए ?, जहेव तेयगस्स जाव देसबंधए नो सव्वबंधए 5 / जस्स णं भंते ! श्रोरालियसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! वेउब्वियसरीरस्स कि बंधए अबंधए ?, गोयमा! नो बंधए श्रबंधए, एवं जहेव सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसवधेणवि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स 6 / जस्म णं भंते ! वेउव्वियसरीस्स्स सबबंधए से णं भंते ! श्रोरालियसरीरस्स किं बंधए अबंधए !, मोयमा ! नो बंधए अबंधए, अाहारगसरीरस्स एवं चेव, तेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियव्वं जाव देसबंधए नो सव्वबंधए 7 / जस्स णं भंते ! वेउब्बियसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! भोरालियसरीरस्स किं बंधए अबंधए ?, गोयमा ! नो बंधए अबंधए, एवं जहा सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसवंधेणवि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स 8 / जस्स णं भंते ! श्राहारगसरीरस्स सव्वबंधे से णं भंते ! श्रोरालियसरीरस्स किं बंधए प्रबंधए ?, गोयमा ! नो बंधए प्रबंधए, एवं वेउब्वियस्सवि, तेयाकम्माणं जहेव श्रोरालिएणं समं भणियं Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवनी) सूत्र : शतकं 8 :: उ०९] [285 तहेव भाणियव्वं 1 / जस्स णं भंते ! श्राहारगसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए अबंधए ? एवं जहा थाहारगसरीरस्स सव्वबंधेणं भणियं तहा देसबंधेणवि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स 10 / जस्स णं भंते ! तेयासरीरस्स देमबंधे से णं भंते ! पोरालियसरीररस किं बंधए प्रबंधए ?, गोयमा ! बंधए वा प्रबंधए वा, जइ बंधए कि देसबंधए सव्वबंधए ? गोयमा ! देसबंधए वा सव्वबंधए वा, वेउब्वियसरीरस्स किं बंधए श्रबंधए ? एवं चेव, एवं श्राहारगसरीरस्सवि, कम्मगसरीरस्स किं बंधए अबंधए ? गोयमा ! बंधए नो अबंधए, जइ बंधए किं देसबंधए सव्वबंधए ?, गोयमा ! देसबंधए नो सव्वबंधए 11 / जस्स णं भंते ! कम्मगसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स जहा तेयगस्स वत्तव्वया भणिया तहा कम्मगस्सवि भाणियव्वा जाव तेयासरीरस्स जाव देसबंधए नो सव्वबंधए 12 // सूत्रं 352 // एएसि णं भंते ! सव्वजीवाणं श्रोरालियवेउब्विय-पाहारग-तेयाकम्मासरीरगाणं देसबंधगाणं सव्वबंधगाणं बंधगाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा श्राहारगसरीरस्स सव्वबंधगा 1 तस्स चेव देसबंधगा संखेजगुणा 2 वेउब्वियसरीरस्स सव्वबंधगा असंखेजगुणा 3 तस्स चेव देसबंधगा असंखेजगुणा 4 तेयाकम्मगाणं दुराहवि तुल्ला प्रबंधगा श्रणंतगुणा 5 श्रोरालियसरीरस्स सव्वबंधगा अणंतगुणा 6 तस्स चेव श्रबंधगा विसेसाहिया 7 तस्स चेव देसबंधगा असंखेजगुणा 8 तेयाकम्मगाणं देसबंधगा विसेसाहिया 1 वेउ. ब्वियसरीरस्स अबंधगा विसेसाहिया 10 श्राहारगसरीरस्स श्रबंधगा विसेसाहिया 11 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 353 // थट्टमसयस्स नवमो उद्देसो समत्तो॥ // इति अष्टमशतके नवम उद्देशकः // 8-9 // Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 286 ] [ श्रीमदानमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः // अथ अष्टमशतके आराधनाख्य-दशमोद्देशकः // . रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी-ग्रनउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव एवं परुति-एवं खलु सील सेयं.१ सुयं सेयं 2 सुयं सेयं 3 सील सेयं 4, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जन्नं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! तंजहा-सीलसंपन्ने णामं एगेणो सुयसंपन्ने 1 सुयसंपन्ने नामं एगे नो सीलसंपन्ने 2 एगे सीलसंपन्नेवि सुयसंपन्नेवि 3 एगे णो सीलसंपन्ने नो सुयसंपन्ने 4, 1 / तत्थ णं जे से पढमे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं असुयवं, उवरए अविनायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसाराहए पराणत्ते, 2 / तत्थ णं जे से दोच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं सुयवं, अणुवरए विनायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसविराहए पराणत्ते 3 / तत्थ णं जे से तच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं सुयवं, उवरए विनायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे सव्वाराहए पनत्ते 4 / तत्थ णं जे से चउत्थे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं असुतवं, अणुवरए अविराणायधम्मे, एस णं गोयमा ! मए पुरिसे सव्वविराहए पनते 5 / // सूत्रं 354 // कतिविहा णं भंते ! अाराहणा परणता ?, गोयमा ! तिविहा बाराहणा पराणत्ता, तंजहा-नाणाराहणा दंसणाराहणा चरित्ताराहणा 1 / णाणाराहणा णं. भंते ! कतिविहा पराणत्ता, गोयमा ! तिविहा पराणत्ता, तंजहा-उकोसिया मज्झिमा जहन्ना दंसणाराहणा भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, एवं चेव तिविहावि / एवं चरित्ताराहणावि 2 / जस्स णं भंते ! उक्कोसिया णाणाराहणा तस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा ? जस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स उकोसिया णाणाराहणा ?, गोयमा ! जस्स उक्कोसिया णाणाराहणा तस्स दंसणाराहणा उकोसिया वा अजहन्न Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उकोसिया व गाणाराहण अत्यगइए ताणं श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं : उ० 10 ] [ 287 उकोसिया वा, जस्स पुण उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स नाणाराहणा उक्कोसा वा जहन्ना वा अजहन्नमणुकोसा वा 3 / जस्स णं भंते ! उक्कोसिया णाणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरित्ताराहणा ? जस्सुक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्सुकोसिया णाणाराहणा ? जहा उकोसिया णाणाराहणा य दंसणाराहणा यभणिया तहा उकोसिया नाणाराहणा य चरित्ताराहणा य भाणियब्वा य 4 / जस्त णं भंते ! उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्सुक्कोसिया चरित्ताराहणा ? जस्सुकोसिया चरित्ताराहणा तस्सुकोसिया दंसणाराहणा ?, गोयमा / जस्स उकोसिया दंसणाराहणा तस्स चरित्ताराहणा उक्कोसा वा जहन्ना वा अजहनमणुकोसा वा, जस्स पुण उक्कोसिया चरित्ताराहमा तस्स दंसणाराहणा नियमा उक्कोसा 5 / उकोसियं णं भंते ! गाणाराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिझति जाव अंतं करेंति ?, गोयमा ! अत्थेगइए तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंत करेंति, अत्यंगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं करेंति, अत्थेगतिए कप्पोवएसु वा कप्पात्तीएसु वा उववज्जति 6 / उकोसियं णं भंते ! दंसणाराहणं अाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिझति जाव अंतं करेंति ?, एवं चेव सिझति जाव अंतं करेंति 7 / उकोसियगणं भंते ! चरित्ताराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिझति जाव अंतं करेंति ?, एवं चेव, नवरं प्रत्थेगतिए कप्पातीयएसु उववज्जति 8 / मन्झिमियं णं भंते ! णाणाराहणं धाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिझति जाव अंतं करेंति ?, गोयमा ! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिमंइ जाव अंतं करेंति तच्चं पुण भवग्गहणं नाइकमइ 1 / मन्झिमियं णं भंते ! दंसणाराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिझति जाव अंतं करेंति? एवं चेव, एवं मज्झिमियं चरित्ताराहणंपि .10 / जहनियन्नं भंते ! नाणाराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं सिझति जाव अंतं करेंति ?, गोयमा! अत्थेगतिए तच्चेणं भवग्गहणेणं Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Tilflilliiitiile 288 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयों विभाग सिज्मइ जाव अंत करेइ, सत्तट्ठभवग्गहणाइं पुण नाइक्कमइ, एवं दसणाराहणंपि, एवं चरित्ताराहणापि 11 // सूत्रं 355 // कतिविहे णं भंते ! पोग्गलपरिणामे पराणते ?, गोयमा! पंचविहे पोग्गलपरिणामे पराणत्ते, तंजहा-वनपरिणामे 1 गंधपरिणामे 2 रसपरिणामे 3 फासपरिणामे 4 संगणपरिणामे 5, 1 / वनपरिणामे णं भंते ! कइविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-कालवनपरिणामे जाव सुकिल्लवनपरिणामे, एएणं अभिलावेणं गंधपरिणामे दुविहे रसपरिणामे पंचविहे फासपरिणामे अट्टविहे 2 / संठाणपरिणामेणं भंते ! कइविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-परिमंडलसंगणपरिणामे जाव अाययसंठाणपरिणामे 3 // सूत्रं 356 // एगे भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसे किं दव्वं 1 दव्वदेसे 2 दव्वाई 3 दव्वदेसा 4 उदाहु दव्वं च दव्वदेसे य 5 उदाहु दव्वं च दबदेसा य 6 उदाहु दवाइं च दव्वदेसे य 7 उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य 81, गोयमा ! सिय दव्वं सिय दव्वदेसे नो व्वाइं नो दव्वदेसा नो दव्वं च दव्वदेसे य जाव नो दवाइं च दव्वदेसा य 1 / दो भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं दव्वदेसे ? पुच्छा तहेव, गोयमा ! सिय दव्वं 1 सिय दबदेसे 2 सिय दवाइं 3 सिय दव्वदेसा 4 सिय दव्वं च दव्वदेसे य 5 नो दव्वं च दव्वदेसा य 6 सेसा पडिसेहेयवा 2 / तिन्नि भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं दव्वदेसे ? पुच्छा, गोयमा ! सिय दव्वं 1 सिय दबदेसे 2 एवं सत्त भंगा भाणियव्वा, जाव सिय दव्वाइं च दब्वदेसे य नो दव्वाई दव्वदेसा य 3 / चत्तारि भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा कि दव्वं ? पुच्छा, गोयमा ! सिय दव्यं 1 सिय दव्वदेसे 2 अट्ठवि भंगा भाणियव्वा जाव सिय दव्वाई च दबदेसा य 8, 4 / जहा चत्तारि भणिया एवं पंच छ सत्त जाव असंखेजा 5 / अणंता भंते ! पोग्गलस्थिकावपएसा किं दव्वं ?, पुच्छा, एवं Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमागवती) सत्र : शतकं 8 : उ० 1.] [ 286 चेव जाव सिय दव्वाइं च दव्वदेसा य 5 // सूत्रं 357 // केवतिया णं भंते ! लोयागासपएसा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा लोयागासपएसा पन्नत्ता 1 / एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स केवइया जीवपएसा पराणत्ता ?, गोयमा ! जावतिया लोगागासपएसा एगमेगस्स णं जीवस्स एवतिया जीवपएसा पराणत्ता 2 // सूत्रं 358 // कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-नाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं 1 / नेरझ्याणं भते ! कइ कम्मपगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ट, एवं सव्वजीवाणं अट्ठ कम्मपगडीयो ठावेयब्वायो जाव वेमाणियाणं 2 / नाणावरणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतिया अविभाग-पलिच्छेदा पराणत्ता ?, गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पराणत्ता 3 / नेरइयाणं भंते ! णाणावरणिजस्स कम्मस्स केवतिया अविभागपलिच्छेया पएणत्ता ?, गोयमा! अणंता अविभागपलिच्छेदा पराणात्ता 4 / एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पराणत्ता 5 / एवं जहा णाणावरणिजस्स अविभागपलिच्छेदा भणिया तहा श्रट्टराहवि कम्मपगडीणं भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं 6 / एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स एगमेगे जीवपएसे णाणावरणिजस्स कम्मस्स केवइएहिं अविभागपलिच्छेदेहिं श्रावेढिए परिवेढिए सिया ?, गोयमा ! सिय श्रावेढियपरिवेढिए सिय नो आवेढियपरिवेढिए, जइ श्रावेढियपरिवेढिए नियमा अणंतेहिं 7 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स एगमेगे जीवपएसे णाणावरणिजस्स कम्मस्स केवइएहिं अविभागपलिच्छेदेहिं श्रावेढिए परिवेढिते सिया ?, गोयमा ! नियमा अणंतेहिं, जहा नेरइयस्स एवं जाव वेमाणियस्स नवरं मणूसस्स जहा जीवस्स 8 / एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स एगमेगे जीवपएसे दरिसणावरणिजस्स कम्मस्स केवतिएहिं अविभागपलिच्छेदेहिं आवेदिए परिवेदिते सिया ? एवं जहेव नाणावरगिजस्स तहेव दंडगो भाणि Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: द्वितीयो-विभागः . ययो जाव वेमाणियस्स, एवं जाव अंतराइयस्स भाणियव्वं, नवरं वेयणिजस्स पाउयस्स णामस्स गोयस्स एएसि चउराहवि कम्मा मणूसस्स जहा नेरइयस्स तहा भाणियव्वं सेसं तं चेव 1 // सूत्रं 351 // जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स दरिसणावरणिज्जं जस्स दंसणावरणिज्ज तस्स नाणावरणिज्जं ?, गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिज्जं तस्स दंसणावरणिज्ज नियमा अस्थि जस्स णं दरिसणावरणिज्जं तस्सवि नाणावरणिज्जं नियमा अत्थि 1 / जस्स णं भंते ! णाणावरणिज्जं तस्स वेयणिज्जं जस्स वेयणिज्ज तस्स णाणावरणिज्जं?, गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्जं तस्स वेयणिज्जं नियमा अत्थि जस्स पुण वेयणिज्जं तस्स णाणावरणिज्जं सिय अस्थि सिय नत्थि 2 / जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स मोहणिज्जं जस्स मोहणिज्जं तस्स नाणावरणिज्जं?, गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्जं तस्स मोहणिज्जं सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण मोहणिज्जं तस्स नाणावरणिज्जं नियमा अस्थि 3 / जस्स णं भंते ! णाणावरणिज्ज तस्स पाउयं जस्स पाउयं तस्स णाणावरणिज्ज ?, एवं जहा वेयणिज्जेण समं भणियं तहा पाउएणवि समं भाणियव्वं, एवं नामेणवि एवं गोएणवि समं, अंतराइएण समं जहा दरिसणावरणिज्जेण समं तहेव नियमा परोप्परं भाणियव्याणि 1, 4 / जस्स णं भंते ! दरिसणावरणिज्जं तस्स वेयणिज्जं जस्स वेयणिज्जं तस्स दरिसणावरणिज्ज ? जहा नाणावरणिज्ज उवरिमेहिं सत्तहिं कम्मेहि समं भणियं तहा दरिसणावरणिज्जपि उवरिमेहिं छहिं कम्मेहिं समं भाणियब्वं जाव अंतराइएणं 2,5 / जस्स णं भंते ! वेयणिज्ज तस्स मोहणिज्ज जस्स मोहणिज्ज तस्स वेयणिज्ज ?, गोयमा ! जस्स वेय. णिज्जं तस्स मोहणिज्ज सिय अस्थि सिय नस्थि, जस्स पुण मोहणिज्जं तस्स वेयणिज्जं नियमा अस्थि 6 / जस्स णं भंते ! वेयणिज्ज तस्स पाउयं जस्स पाउयं तस्स वेयणिज्ज?, एवं एयाणि परोप्परं नियमा, जहा पाउएण Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती)' : शतकं 8 : उ० 10] [291 समं एवं नामेणवि गोएणवि समं भाणियव्वं 7 / जस्स णं भंते ! वेयणिज्ज तस्स अंतराइयं जस्स अंतराइयं तस्स वेयणिज्जं? पुच्छा, गोयमा ! जस्स वेयणिज्जं तस्स अंतराइयं सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्म पुण अंतराइयं तस्स वेयणिज्जं नियमा अत्थि 3, 8 | जस्स णं भंते ! मोहणिज्ज तस्स श्राउयं जस्स पाउयं तस्स मोहणिज्ज ?, गोयमा ! जस्स मोहणिज्जं तस्स थाउयं नियमा अस्थि जस्स पुण श्राउयं तस्स पुण मोहणिज्जं सिय अस्थि सिय नत्थि, एवं नामं गोयं अंतराइयं व भाणियव्वं 4, 1 / जस्स णं भंते ! श्राज्यं तस्स नामं जस्स नामं तस्स पाउयं ? पुच्छा, गोयमा ! दोवि परोप्परं नियम, एवं गोत्तेणवि समं भाणियत्वं 10 / जस्स णं भंते ! पाउयं तस्स अंतराइयं जस्स अंतराइयं तस्स पाउयं ?, पुच्छा, गोयमा / जस्स पाउयं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स पाउयं नियमा 5, 11 / जस्स णं भंते ! नाम तस्स गोयं जस्स णं गोयं तस्स णं नाम ? गोयमा ! जस्स णं णामं तस्स णं नियमा गोयं जस्स णं गोयं तस्स नियमा नाम, गोयमा ! दोवि एए परोप्परं नियमा 12 / जस्स णं भंते ! णामं तस्स अंतराइयं जस्स अंतराइयं तस्स नाम ? गोयमा / जस्स नामं तस्स अंतराइयं सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स नाम नियमा अस्थि 6, 13 / जस्स णं भंते ! गोयं तस्स अंतराइयं जस्स अंतराइयं तस्स गोयं ?, गोयमा ! जस्स णं गोयं तस्स अंतराइयं सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स गोयं नियमा अस्थि 7, 14 // सूत्रं 360 // जीवे णं भंते ! किं पोग्गली पोग्गले ?, गोयमा ! जीवे पोग्गलीवि पोग्गलेवि 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुचइ जीवे पोग्गलीवि पोग्गलेवि ?, गोयमा ! से जहानामए छत्तेणं छत्ती दंडेगां दंडी घडेगां घडी पडेगां पडी करेणं करी, एवामेव गोयमा ! जीवेवि सोइंदियचक्खिदिय-घाणिंदिय-जिभिदिय-फासिंदियाई पडुच्च पोग्गली, जीवं पडुच्च Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 292 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः पोग्गले, से तेंणढणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जीवे पोग्गलीवि पोग्गलेवि 2 / नेरइए गां भंते ! किं पोग्गली पोग्गले ?, एवं चेव, एवं जाव वेमाणिए नवरं जस्स जइ इंदियाई तस्स तइवि भाणियब्बाई 3 / सिद्धे गां भंते ! किं पोग्गली पोग्गले ?, गोयमा ! नो पोग्गली पोग्गले 4 / से केणटेगां भंते ! एवं बुच्चइ जाव पोग्गले ?, गोयमा ! जीवं पडुच्च, से तेणटेगां गोयमा ! एवं बुच्चइ सिद्धे नो पोग्मली पोग्गले 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 6 // सूत्रं 361 // अट्ठमसए दशमः // समत्तं अट्ठमं सयं // // इति अष्टमशतके दशम् उद्देशकः // 8-10 // // इति अष्टमं शतकम // 8 // // अथ नवमशतके जंबूद्वीपाख्य-प्रथमोद्देशकः // जंबुद्दीवे 1 जोइस 2 अंतरदीवा 30 असोच 31 गंगेय 32 / कुंडग्गामे 33 पुरिसे 34 नवमंमि सए चउत्तीसा // 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिलानामं नगरी होत्था वन्नो, माणभद्दे चेइए वन्नो, सामी समोसढे परिसा निग्गया धम्मो कहियो जाव भगवं गोयमे पज्जुवासमाणे एवं वयासी-कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ? किंसंठिए णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ? एवं जंबुद्दीवपन्नत्ती भाणियब्वा जाव एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीवे 2 चोइस सलिला सयसहस्सा छप्पन्नं च सहस्सा भवंतीतिमक्खाया। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्र 362 // नवमस्स पढमो॥ // इति नवमशतके प्रथम उद्देशकः // 1-1 // // अथ नवमशतके ज्योतिष्काख्य-द्वितीयोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-जम्बुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा ?, एवं जहा जीवाभिगमे जाव Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं शतकं 6 : उ० 3-30 ] [ 263 'एगं च सयसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साई / नव य सया पन्नासा तारागणकोडिकोडीणं // 1 // ' सोभं सोभिंसु सोभिंति सोभिस्संति // सूत्रं 363 // लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतिया चंदा पभासिंसु वा पभासिंति वा पभासिस्संति वा ? एवं जहा जीवाभिगमे जाव तारायो 1 / धायइसंडे कालोदे पुक्खरखरे अभितरपुक्खरद्धे मणुस्सखेत्ते, एएसु सव्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव-एगससी परिवारो तारागणकोडाकोडीणं' 2 / पुक्खरद्धे णं भंते ! समुद्दे केवइया चंदा पभासिंसु ... पभासंति वा पभासिसंति वा ?, एवं सब्वेसु दीवसमुद्देसु जोतिसियाणं भाणियव्वं जाव सयंभूरमणे जाव सोभं सोभिंसु वा सोभंति वा सोभिस्संति वा 3 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 4 // सूत्रं 363 // नवमसए बीश्रो उद्दसो समत्तो॥ // इति नवमशतके द्वितीय उद्देशकः // 9-2 // ॥अथ नवमशतके अन्तरद्वीपाख्य-तृतीयतस्त्रिंशत्तमोद्दशकाः॥ . रायगिहे जाव एवं वयासी-कहि णं भंते ! दाहिणिलाणं एगोरु यमणुस्साणं एगोरुयदीवे णामं दीवे पन्नते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्स वासहरपब्वयस्स पुरच्छिमिलायो चरिमतायो लवणसमुद्द उत्तरपुरच्छिमे णं तिन्नि जोयणसयाइं श्रोगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिलाणं एगोरुयमणुस्साणं एगोरुयदीवे नामं दीवे पराणत्ते, तें गोयमा ! तिन्नि जोयणसयाई श्रायामविक्खंभेणं णवएकोणवन्ने जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं पन्नत्ते, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते दोगहवि पमाणं वनश्रो य, एवं एएणं कमेणं जहा जीवाभिगमे जाव सुद्धदंतदीवे जाव देवलोगपरिग्गहा णं ते मणुया पगणता समणाउसो ! 1 / एवं अट्ठावीसं अंतरदीवा सएणं 2 Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ] [श्रीसमनसुवासिन्धुः। द्वितीयो विमागः श्रआयामविक्खंभेणं माणियब्वा, नवरं दीवे 2 उद्देसयो, एवं सब्वेवि अट्ठावीसं उद्द सगा भाणियव्वा 2 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 364 // नवमस्स तईयाइथा तीसंता उद्देसा समत्ता // / // इति नवमशतके तृतीयस्त्रिंशतत्तमा उद्देशकाः॥९-३॥३०॥ // अथ नवमशतके अश्रुत्वाख्यैकत्रिंशत्तमोद्देशकः // / रायगिहे जाव एवं वयासी-असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा केवलिसावगस्त वा केवलिसावियाए वा केवलिउवासगस्स वा केवलिउवासियाए वा तप्पक्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा तप्पक्खियसावियाए वा तप्पक्खियउवासगस्स वा तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धर्म लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! असोचा णं केवलिस्स वा जाव तप्पट्टिखयउवासियाए वा अत्यंगतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए अत्थेगतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं नों लभेजा सवणयाए 1 / से केण?णं भंते ! एवं / वुच्चइ-असोचा णं जाव नो लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिजाणं कम्माणं खयोवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए या केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, जस्स णं नाणावरणिजाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोचा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए केवलिपन्नत्तं धम्म नो लभेज सवणयाए, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-तं चेव जाव नो लभेज सवणयाए 2 / असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खिय'उवासियाए वा केवलं बोहिं बुज्झेजा ?, गोयमा ! असोचा णं केवलिस्स वा जाव अत्यंगतिए केवलं बोहिं बुज्झेजा, अत्थेगतिए केवलं बोहिं णो बुज्झेजा 3 / से केणटेणं भंते ! जाव नो बुज्झेजा ?, गोयमा ! जस्स णं दरिसणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवइ से णं असोचा Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) वंशवकं 9 : उ० 31] [295 केवलिस वा जाव केवलं बोहिं बुज्झेजा, जस्स णं दरिसणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे णो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं बोहिं णो बुज्झेजा, से तेणटेणं जाव णो बुज्झेजा 4 / असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मुडे. भवित्ता अगारात्रो अणगारियं पव्वएजा ?, गोयमा / असोचा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं मुंडे भवित्ता अगा. रायो अणगारियं पव्वइजा अत्थेतगिए केवलं मुडे भवित्ता अगारामो अणगारियं नो पव्वएजा, से केणटेणं जाव नो पव्वएज्जा ?, गोयमा ! जस्स णं धम्मंतराइयाणं कम्माणं खयोवसमे कडे भवति से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं मुडे भवित्ता अगाराश्रो अणगारियं पव्वएजा, जस्स णं धम्मंतराइयाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवति से णं असोचा केवलिस्स वा जाव मुडे भवित्ता जाव णो पव्वएजा, से तेण?णं गोयमा ! जाव नो पव्वएजा 5 / असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा केवलं बंभचेरवासं श्रावसेन्जा ?, गोयमा ! असोचा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा प्रत्येगतिए केवलं बंभचेरवासं श्रावसेजा अत्थेगतिए केवलं बंभचेरवासं नो पावसेजा 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव नो श्रावसेजा ?, गोयमा ! जस्स णं चरित्तावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं बंभचेरवासंश्रावसेज्जा, जस्स णं चरित्तावरणिजाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव नो पावसेजा, से तेण?णं जाव नो श्रावसेजा 7 / असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव केवलेणं संजमेणं संजमेजा ?, गोयमा! असोचा णं केवलिस्स जाव उवासियाए वा जाव अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं संजमेजा प्रत्येगतिए केवलेणं संजमेणं नो संजमेजा ८।से केण?णं जाव नो संजमेजा ?, गोयमा! जस्स णं जयणावरणिजाणं Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असवरणिजाणं कमाणाजा, से तेणटेणू वाहियनाणं उष्ण 266 ] श्रिीमदाममसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं असोचा णं केवलिस्स वा जाव केवलेणं संजमेणं संजमेजा जस्स णं जयणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव नो संजमेजा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव अत्यंगतिए नो संजमेजा 1 / असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा केवलेणं संवरेणं संवरेजा ?, गोयमा ! असोचा णं केवलिस्स जाव अत्थेगतिए केवलेणं संवरेगां संवरेजा अत्थेगतिए केवलेणं जाव नो संवरेना १०से केण?णं जाव नो संवरेजा ?, गोयमा ! जस्स णं अज्झवसाणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलेणं संवरेजा, जस्स णं अज्झवसाणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे णो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव नो संवरेजा, से तेणद्वेणं जाव नो संवरेजा 11 / असोचा गां भंते ! केवलिस्स जाव केवलं पाभिणिबोहियनाणं उप्पाडेजा ?, गोयमा ! असोचाणं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं श्राभिणिबोहियनाणं उप्पाडेजा अत्थेगइए केवलं श्राभिणिबोहियनाणं नो उप्पाडेजा 12 / से केणटेणं जाव नो उप्पाडेजा ? गोयमा ! जस्स णं श्राभिणिबोहिय-नाणावरणिजाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्पाडेजा, जस्स णं श्राभिणिबोहियनाणावरणिजाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोचा केवलिस्स वा जाव केवलं पाभिणिबोहियनाणं नो उप्पाडेजा से तेण?णं जाव नो उप्पाडेजा 13 / असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव केवलं सुयनाणं उप्पाडेजा ? एवं जहा श्राभिणिवोहियनाणस्स वत्तव्वया भणिया तहा सुयनाणस्सवि भाणियब्वा, नवरं सुयनाणवरणिजाणं कम्माणं खोवसमे भाणियव्वे 14 / एवं चेव केवलं श्रोहिनावं भाणियब्वं, नवरं श्रोहिणाणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे भाणिवब्बे, एवं केवलं Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 6 :: उ० 31] [297 मणपजवनाणां उप्पाडेजा, नवरं मणपजव-णाणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे भाणियब्वे 15 / असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खिय-उवासियाए वा केवलनाणं उप्पाडेजा?, एवं चेव नवरं केवलनाणावरणिजाणं कम्माणं खए भाणियव्वे, सेसं तं चेव, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव केवलनाणं उप्पाडेजा 16 / असोचा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खिय-उवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्म लभेजा सवणयाए ? केवलं बोहिं बुज्झेजा? केवलं मुंडे भवित्ता श्रागाराग्रो अणगारियं पव्वाजा? केवलं बंभचेरवासं श्रावसेजा ? केवलेणं संजमेणं संजमेजा ? केवलेणं संवरेणं संवरेजा? केवलं पाभिणिबोहियनाणं उप्पाडेजा ? जाव केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेजा ? केवलनाणं उप्पाडेजा ?, गोयमा ! असोचाणं केवलिस्स वा जाव वासियाए वा अत्यंगतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए अत्थेगतिए केवलियनतं धम्मं नो लमेना सवणयाए अत्यंगतिए केवलं बोहिं बुभेजा अत्यंगतिए केवलं बोहिं णो बुज्झेजा अत्यंगतिए केवलं मुंडे भवित्ता श्रागाराश्रो अणगारियं पव्वएजा अत्थेगतिए जाव नो पव्वएजा प्रत्येगतिए केवलं बंभचेरवासं श्रावसेज्जा अत्थेगतिए केवलं बंभचेरखासं नो श्रावसेज्जा अस्थेगतिए केवलेणं संजमेणं संजमेजा अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा एवं संवरेणवि, अत्थेगतिए केवलं पाभिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा श्रत्थेगतिए जाव नो उप्पाडेज्जा, एवं जाव मणपज्जवनाणं, अत्यंगतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा 17 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ असोचा णं तं चेव जाव अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा ?, गोयमा ! जस्स णं नाणावरगिजाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ 1 जस्स णं दरिसणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ 2 जस्स णं धमतराइयाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ 3 एवं चरित्तावरणिजाणं 4 जयणावरणिजाणं 5 अज्झवसाणावरणिजाणं Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 298] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः 6 श्राभिणियोहिय नाणावरणिजाणं 7 जाव मणपज्जव-नाणावरणिजाणं कम्माणं खयोवसमे नो कडे भाइ 10 जस्स णं केवलनाणावरणिजागां जाव खए नो कडे भवइ 11 से गां असोचा केवलिस्स वा जाव केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभेजा सवणयाए केवलं बोहिं नो बुज्झेजा जाव केवलनाणं नो उप्पाडेजा, जस्स णं नाणावरणिजाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवति जस्स णं दरिसणावरणिजाणं कम्माणं खश्रोवसमे कडे भवइ जस्स णं धम्मंतराइयाणं एवं जाव जस्स णं केवलनाणावरणिजाणं कम्माणं खए कडे भवइ, से णं असोचाकेवलिस्स वा जाव केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए केवलं बोहि बुज्झेजा जाव केवलणाणं उप्पाडेजा 18 // सूत्रं 365 // तस्स णं भंते ! छटुंछट्ठणं अनिक्खित्तेणं तवोंकम्मेणं उर्ल्ड बाहायो पगिझिय पगिझिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए पायावेमाणस्स पगतिभद्दयाए पगइ-उवसंतयाए पगति-पयणु-कोहमाणमायालोभयाए मिउमद्दवसंपन्नयाए अल्लोवणयाए भद्दयाए विणीययाए अन्नया कयाइ सुभेणं अज्झवसाणेणं सुभेणं परिणामेणं लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं 2 तयावरणिजाणं कम्माणं खयोवसमेणं ईहापोहमग्गणगवेसणं करेमागास्स विभंगे नाम अन्नाणे समुप्पजइ 1 / से णं तेणं विभंगनाणेणं समुप्पन्नेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं असंखेजाई. जोयणसहस्साइं जाणइ पासइ. 2 / से णं तेणं विभंगनाणेणं समुप्पन्नेणं जीवेवि जाणइ अजीवेवि जाणइ पासंडत्थे सारंभे सपरिग्गहे संकिलिस्समाणेवि जाणइ विसुज्झमागणेवि जाणइ, से णं पुव्वामेव सम्मत्तं पडिवज्जइ संमत्तं पडिवजित्ता समणधम्म रोएति समणधम्मं रोएत्ता चरित्तं पडिवजइ चरित्तं पडिवजित्ता लिंगं पडिवजइ 3 / तस्स णं तेहिं मिच्छत्तपजवेहिं परिहायमाणेहिं 2 सम्मदसणपजवेहिं परिवड्डमाणेहिं 2 से विन्भंगे नाणे सम्मत्तपरिणहिए खिप्पामेव श्रोही परावत्तइ 4 // सूत्रं 366 // से णं भंते ! कतिलेस्सासु Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याक्यप्रज्ञप्ति श्रीमद्भगवती) सूत्रं शतकं 9 : उ० 31 ) [ 29 होजा ?, गोयमा ! तिसु विसुद्धलेस्सासु होजा, तंजहा-तेउलेस्साए पम्हले. स्साए सुकलेस्साए 1 / से णं भंते ! कतिसु णाणेसु होला ?, गोयमा ! तिसु ग्राभिणिबोहिय-नाण-सुयनाण-प्रोहिनाणेसु होजा 2 / से णं भंते ! किं सजागी होजा अजोगी होजा?, गोयमा ! सजोगी होजा नो अजोगी होजा 3 / जइ सजोगी होजा किं मणजोगी होजा वइजोगी होजा कायजोगी होजा ?, गोयमा ! मणजोगी वा होजा वइजोगी वा होजा कायजोगी वा होजा 4 / से णं भंते ! किं सागरोवउत्ते होजा अणागारोवउत्ते होजा ?, गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होजा अणागारोवउत्ते वा होजा 5 / से णं भंते ! कयरंमि संघयणे होजा ?, गोयमा ! वइरोसभनारायसंघयणे होजा 6 / से णं भंते ! कयरंमि संठाणे होजा?, गोयमा ! छराहं संठगणाणं अन्नयरे संठाणे होजा 7 से णं भंते ! कयरंमि उच्चत्ते होजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्त रयणी उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होजा 8 / से णं भंते ! कयरंमि श्राउए होजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सातिरेगहवासाउए उकोसेगं पुवकोडिअाउए होजा 1 / से णं भंते ! किं सवेदए होजा अवेदए होजा ?, गोयमा ! सवेदए होजा नो अवेदए होजा 10 / * * जइ सवेदए होजा कि इत्थीवेयए होजा पुरिसवेदए होजा नपुंसगवेदए होजा पुरिसनपुंसगवेदए होजा ?, गोयमा ! नो इत्थिवेदए होजा पुरिसवेदए वा होजा नो नपुंसगवेदए होजा पुरिसनसगवेदए वा होजा 11 / से णं भंते ! किं सकसाई होजा अकसाई होजा ?, गोयमा ! सकसाई होजा नो अकसाई होजा 12 / जइ सकसाई होजा से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होजा ?, गोयमा ! चउसु संजलणकोहमाणमायालोमेसु होजा 13 / तस्स णं भंते ! केवतिया अज्झवसाणा पनत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा अमवसाणा पन्नत्ता 14 / ते णं भंते ! पसत्था अप्पसत्था ?, गोयमा ! पसत्था नो अप्पसत्था 15 / सेणं भंते ! तेहिं पसत्थेहिं अज्म Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 300 "[ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीया विभागः वसाणेहिं वट्टमाणेहिं अणतेहिं नेरइयभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ श्रणंतेहिं तिरिक्खजोणिय जाव विसंजोएइ अणंतेहिं मणुस्सभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ अणंतेहिं देवभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ 16 / जागोवि य से इमायो. नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवगतिनामाश्रो चत्तारि उत्तरपयडीयो तासिं च णं उवग्गहिए अणंताणुबंधी कोहमाणमायालोमे खवेइ 2 अपञ्चक्खाणकसाए कोहमाणमायालोभे खवेइ 2 पञ्चक्खाणावरणकोहमाणमायालोभे खवेइ 2 संजलणकोहमाणमायालोभे खवेइ. 2 पंचविहं नाणावरणिज्जं नवविहं दरिसणावरणिज्जं पंचविहमंतराइयं तालमत्थकडं चणं मोहणिज्ज कटु कम्मरय-विकरणकरं अपुवकरणं अणुपविट्ठस्स श्रणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने 17 // सूत्रं 367 // से णं भंते ! केवलिपन्नत्तं धम्मं श्राघवेज वा पनवेज वा परूवेज वा ?, नो तिण? सम8, णरणत्थ एगरणाएण वा एगवागरणेण वा. 1 / से णं भंते ! पव्वावेज वा मुंडावेज वा ?, णो तिण8 समठे, उवदेसं पुण करेजा 2 / से णं भंते ! सिज्झति जाव अंतं करेति ?, हंता सिझति जाव अंतं करेति 3 // सूत्रं 368 // से णं भंते ! कि उढ होजा अहो होजा तिरियं होजा ?, गोयमा ! उड्ड वा होजा अहे वा होजा तिरियं वा होजा, उड्ड होजमाणे सद्दावइ वियडावइ गंधावइ मालवंत-परियाएसु वट्टवेयड्ड-पब्बएसु होजा, साहरणं पडुच्च सोमणसवणे वा पंडगवणे वा होजा, अहे होजमाणे गड्डाए वा दरीए वा होजा, साहरणं पडुच्च पायाले वा भवणे वा होजा, तिरियं होजमाणे पन्नरससु कम्मभूमीसु होजा, साहरणं पडुच्च अड्डाइज्जे दीवसमुद्दे तदेकदेसभाए होजा 1 / ते णं भंते ! एगसमएणं केवतिया होजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं ‘एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं दस, से तेणटेणं गोयमा ! एवं. वुच्चइ * असोचा णं केवलिस्स, वा जाव प्रत्येगतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं शतक :: उ० 31 ] सवणयाए अत्थेगतिए असोचा णं केवलिस वा जाव नो लभेजा सवणयाए जाव अत्थेगतिए केवलनाणं उप्पाडेजा अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेजा 2 // सूत्रं 361 // सोचा णं भंते ! केवलिस्म वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए ? गोयमा ! सोचाणं केलिस्स वा जाव अत्थेगतिए केवलिपन्नत्तं धम्म, एवं जा चेव असोचाए वत्तव्वया सा चेव सोचाएवि भाणियब्वा 1 / नवरं अभिलावो सोच्चेति, सेसं तं चेव निखसेसं जाव जस्स णं मणपजवनाणावरणिजाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ जस्स णं केवलनाणावरणिजाणं कम्माणं खए कडे भवइ से णं सोचा केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्म लब्भइ सवणयाए केवलं बोहिं बुज्झेजा जाव केवलनाणं उप्पाडेजा, तस्स गं अट्ठमंट्टमेणं अनिविखत्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणस्स पगइभद्दयाए तहेब जाव गवेसणं करेमाणस्स श्रोहिणाणे समुप्पजइ 2 / से णं तेणं श्रोहिनाणेणं समुप्पन्नेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं असंखेजाइं अलोए लोयप्पमाणमेत्ताई खराडाईजाणइ पासइ 3 / से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होजा ?,गोयमा ! छसु लेस्सासु होजा, तंजहा-कराहलेसाए जाव सुक्कलेसाए 4 / से णं भंते ! कतिसु णाणेसु होजा ?, गोयमा ! तिसु वा चउसु वा होजा, तिसु होजमाणे तिसु श्राभिणिबोहियनाण-सुयनाणभोहिनाणेसु होजा, बउसु होजमाणे आभिणिबोहियनाण-सुयनाण-श्रोहिनाण-मणपजवनाणेसु होजा 5 / से णं भंते ! किं सयोगी होजा अयोगी होजा ?, एवं जोगोवयोगो संघयणं संगणं उच्चत्तं श्राउयं च, एयाणि सव्वाणि जहा असोचाए तहेव भाणियव्वाणि 6 / से णं भंते ! किं सवेदए होजा ? अवेदए होजा ? पुच्छा, गोयमा ! सवेदए वा होजा अवेदए वा 7 / जइ श्रवेदए होजा किं उवसंतवेयए होजा खीणवेयए होजा?, गोयमा ! नो उवसंतवेदए होजा खीणवेदए होजा ।जह सवेदए होना Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3.2] [ श्रीनशनमसुजासिन्धुः द्वितीयो विमानः / किं इत्यीवेदए होजा पुरिसवेदए होजा नपुसगवेदए वा होजा पुरिसनपु. सगवेदए होजा ?, पुच्छा, गोयमा ! इत्थीवेदए वा होजा पुरिसवेदए वा होज़ा पुरिसनपुंसगवेदए होजा 1 / से णं भंते ! किं सकसाई होजा कसाई वा होजा ?, गोयमा ! सकसाई वा होजा अकसाई वा होजा 10 / जइ अकसाई होजा किं उवसंतकसाई होजा खीणकसाई होजा ?, गोयमा ! नो उवसंतकसाई होजा खीणकसाई होजा 11 / जइ सकसाई होजा से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होजा ?, गोयमा ! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एक्कमि वा होजा, चउसु होजमाणे चउसु संजलणकोहमाणमायालोभेसु होजा, तिसु होजमाणे तिसु संजलणमाणमायालोमेसु होजा, दोसु होजमाणे दोसु संजलणमायालोभेसु होजा, एगंमि होजमाणे एगंमि संजलणे लोभे होजा 12 / तस्स णं भंते : केवतिया अज्झवसाणा पराणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा, एवं जहा असोचाए तहेव जाव केवलवरनाणदसणे समुप्पज्जइ 13 / से णं भते ! केवलिपन्नत्तं धम्मं श्राघवेज वा पनवेज वा परवेज वा ?, हंता श्राघवेज वा पनवेज वा परवेज वा 14 / से णं भंते ! पवावेज वा मुंडावेज वा ?, हंता गोयमा ! पव्वावेजा वा मुंडावेज वा 15 / तस्स णं भंते ! सिस्सावि पवावेज वा मुंडावेज वा ?, हंता पब्वावेज वा मुंडावेज वा 16 / तस्स णं भंते ! पसिस्सावि पवावेज वा मुंडावेज वा ?, हंता पवावेज वा मुंडावेज वा 17 / से णं भंते ! सिज्झति बुज्झति जाव अंतं करेइ ?, हंता सिज्झइ वा जाव अंत करेइ 18 / तस्स णं भंते ! सिस्सावि सिझति जाव अंतं करेंति ?, हंता सिमंति जाव अंतं करेंति 11 / तस्स णं भंते ! पसिस्सावि सिझति जाव अंतं करेंति, एवं चेव जाव अंतं करेंति 20 / से णं भंते ! किं उड्ढ होजा ? जहेव असोचाए जाव तदेकदेसभाए होजा 21 / ते णं भंते ! एगसमएणं केवतिया होजा ?, Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 6 : उ० 32] [3 // गोयमा ! जहन्नेणं एक्कों वा दो वा तिनि वा उकोसेणं अट्ठसय 22 / से तेण?णं गोयमा ! एवं बुच्चइ-सोचा णं केवलिस्स वा जाव केवलिउवासियाए वा जाव अत्थेगतिए केवलनाणं उप्पाडेजा अत्थेगतिए नो केवल नाणं उप्पाडेजा 23 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 24 // सूत्रं 370 // नवमसयस्स इगतीसइमो उद्दे सो // // इति नवमशतके एकत्रिंशत्तम उद्देशकः // 9-31 // // अथ नवमशतके गाङ्गयाख्य-द्वात्रिंशत्तमोद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नगरे होत्था वन्नश्रो, दूतिपलासे चेइए, सामी समोसदे, परिसा निग्गया, धम्मो कहियो, परिसा पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावञ्चिज्जे गंगेए नाम श्रणगारे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छइत्ता समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अदूरसामते ठिचा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-संतरं भंते ! नेरइया उववज्जति निरंतरं नेरइया उववज्जति , गंगेया ! संतरंपि नेरइया उववज्जंति निरंतरपि नेरइया उववज्जंति 2 / संतरं भंते ! असुरकुमारा उववज्जति निरंतरं असुरकुमारा * उववज्जति ?, गंगेया ! संतरंपि असुरकुमारा उववज्जति निरंतरंपि असुरकुमारा उवव. ज्जंति एवं जाव थणियकुमारा 3 / संतरं भंते ! पुढविकाइया उववज्जति निरंतरं पुढविकाडया उववज्जति ?, गंगेया ! नो संतरं पुढविकाइया उववज्जंति निरंतरं पुढविकाइया उववज्जंति, एवं जाव वणस्सइकाइया 4 / बेइंदिया जाव वेमाणिया एते जहा णेरइया 5 // सूत्रं 371 // संतरं भंते ! नेरइया उबवट्टति निरंतरं नेरइया उववति ?, गंगेया ! संतरंपि नेरइया उववट्टति निरंतरंपि नेरइया उवषट्टति, एवं जाव थणियकुमारा 1 / संतरं भंते ! पुढविकाइया उववट्टति निरंतरं पुढविकाइया उववट्टति ? Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3.] Fभीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागा गंगेया ! णो संतरं पुढविकाइया उववति निरंतरं पुढविकाइया उव्वदृति, एवं जाव वणस्सइकाइया नो संतरं निरंतरं उबट्टांति 2 / संतरं भंते ! बेइंदिया उव्वट्टीति निरंतरं दिया उवट्टति ?, गंगेया ! संतरंपि बेइंदिया उव्वट्टीति निरंतरंपि बेइंदिया उव्वट्टांति, एवं जाव वाणमंतरा 3 / संतरं भंते ! जोइसिया चयंति ? पुच्छा, गंगेया ! संतरपि जोइसिया चयंति निरंतरंपि जोइसिया चयंति, एवं जाव वेमाणियावि 4 // सूत्रं 372 // कइविहे णं भंते ! पवेसणए पनत्ते ?, गंगेया ! चउबिहे पवेसणए पन्नत्ते, तंजहा-नेरइयपवेसणए तिरियजोणियपवेसणए मणुस्सपवेसणए देवपवेसणए 1 / नेरइयपवेसणए णं भंते ! कहविहे पन्नत्ते ?, गंगेया ! सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-रयणप्पभा-पुढवि-नेरइयपवेसणए जाव अहेसत्तमा-पुढवि-नेरइयपवेसणए 2 / एगे णं भंते ! नेरइए नेरइयपवेसणएणं पविसणमाणे किं रयणप्पभाए होजा सकरप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए होजा ?, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा 3 / दो भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होजा ?,गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा, हवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए होजा हवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयपप्पभाए होजा जाव एगे रणयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा, हवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा जाव ग्रहवा एगे सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा, श्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा, एवं एक्केका पुढवी छड्ड यवा जाव अहवा एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 4 / तिन्नि भंते / नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए होजा ?, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) शतकं 6 :: उ० 11 ] [305 होज्जा 6 अहवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 12 अहवा एगे सकरप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा जाव श्रहवा एगे सकरप्पभाए दो अहेसत्तमाए होंजा 17 अहवा दो सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा दो सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 22 एवं जहा सकरप्पभाए वत्तव्वया भणिया तहा सव्वपुढवीणं भाणियव्वा जाव हवा दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा, 4-4-3-3-2-2-1-1 (42) 5 / अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा 1 श्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा 2 जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 5 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा 6 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा 7 एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 1, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा 10 जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 12 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा 13 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 14 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 15 अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा 16. अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाऐ एगे धूमप्पभाए होजा 17 जाव अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 11 अहवा एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा 20 जाव ग्रहवा एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 22 श्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा 23 श्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 24 अहवा एगे Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 306 ] . . .--[ श्रीमदागमसुभासिन्धुः : द्वितीयो विभागः सकरप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 25 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा 26 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होजा 27 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 28 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा 21 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 30 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 31 श्रहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा . 32 ग्रहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 33 अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेमत्तमाए होजा 34 अहवा. एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 35, 6 / चत्तारि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा ? पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा 7, अहवा एगे रयणप्पभाए तिनि सकरप्पभाए होजा अवा एगे स्यणप्पभाए तिन्नि वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिन्नि अहेसत्तमाए होजा 6 अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होजा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा 12, अहवा तिन्नि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा तिन्नि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 18, ग्रहवा एगे सकरप्पभाए तिनि वालुयप्पभाए होजा, एवं जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहिं समं चारियं तहा सकरप्पभाएवि उवरिमाहि समं चारेयव्वं 15, एवं एक्केक्काए समं चारियव्वं जाव ग्रहवा तिनि तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 12-1-6-3 (63) 7 / श्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए दो पंकप्पभाए होजा एवं जाव एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा 5 अहवा एगे रयणप्पभाए दो Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 9 : उ० 32] [307 सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 10 अहवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 15 श्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होजा एवं जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा 4 एवं एएणं गमएणं जहा तिराहं तियजोगो तहाभाणियव्वो जाव अहवा दो धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा१०५,८ / अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा 1 श्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा 2 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए होज्जा 3 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 4 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए 5 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होजा 6 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 7 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा 8 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 1 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 10 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा 11 अहवाएगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होजा 12 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 13 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगेतमाए होज्जा 14 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 15 श्रहवा एगेरयणप्पभाए एगेवालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 16 Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 308] [ श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभाग अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा 17 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे आहेसत्तमाए होजा 18 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 11 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 20 अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा 21 एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमायो पुढवीश्रो चारियायो तहा सकरप्पभाएवि उवरिमायो चारियव्वायो जाव. अहवा एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 30 ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकष्यभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा 31 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 32 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाऐ एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 33 अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 34 अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 35, 6 / पंच भंते / नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए होजा ? पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव आहेसत्तमाए वा होजा 7, 10 / अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सकरप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होजा अहवा दो रयणप्पभाए तिन्नि सकरप्पभाए होजा एवं जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए तिन्नि अहेसत्तमाए होजा अहवा तिन्नि रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहेसत्तमाए होजा अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे सकरप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होजा एवं जहा रयणप्पभाए समं उवरिमपुढवीयो चारियायो तहा सकरप्पभाएवि समं चारेयव्वाश्रो जाव श्रहवा Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चारेयत्वा हवा एग रयणप्पभाए जाए दो बानुमत्तमाए श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 6 : उ० 32] [306 चत्तारि सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा एवं एक्केकाए समं चारेयव्वायो जाव अहवा चत्तारि तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 84, 11 / अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए तिन्नि वालुयप्पभाए होजा एवं जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए तिन्नि अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा एवं जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा एवं नाव अवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए दो अहेसत्तमाएं होजा अहवा एगे रयणप्पभाए तिनि सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिन्नि सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा एवं जाव दो रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए अहवा तिन्नि रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा तिन्नि रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए तिन्नि पंकप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं जहा चउगहं तियासंजोगो भणितो तहा पंचराहवि तियासंजोगो भाणियब्वो नवरं तत्थ एगो संचारिजइ इह दोनि सेसं तं चेव जाव अहवा तिन्नि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 210, 12 / अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा 4 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहेसत्तमाए 8, अहवा एगे रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 12 Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 310 ) - - - [श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमागा अहवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 16 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए दो धूमप्पभाए होजा 140, 13 / एवं जहा चउराहं चउक्कसंजोगो भणियो तहा पंचराहवि चउकसंजोगो भाणियब्यो, नवरं अब्भहियं एगो संचारेयधो (140), एवं जाव अहवा दो पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए .. एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा 1 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होजा 2 ग्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 3 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा 4 अहवा एगे रयणप्पभाए एगेसकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 5 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगेवालयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 6 ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगेसकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा ७.यहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 8 ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 1 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 10 ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा 11 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 12 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 13 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 9 :: उ० 32] [311 होजा 14 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा 15 अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होजा 16 अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 17 अहवा एगे सकरप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 18 अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 11 अहवा एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 20 अहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 21, (462) 14 / छन्भंते ! नेरझ्या नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा 7, 15 / ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच सकरप्पभाए वा होजा श्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच वालुयप्पभाए वा होजा जाव श्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच अहेसत्तमाए होजा अहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होजा जाव ग्रहवा दो स्यणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होजा अहवा तिन्नि रयणप्पभाए तिनि सकरप्पभाए एवं एएणं कमेणं जहा पंचराहं दुयासंजोगो तहा छराहवि भाणियबो नवरं एको अन्भहियो संचारेयव्वो जाव अहवा पंच तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 105, 16 / अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए चत्तारि पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए तिन्नि वालुयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं जहा पंचराहं तियासंजोगो भणियो तहा छराहवि भाणियब्वो 350, 17 / नवरं एको अहिश्रो उचारेयव्वो सेसं तं चेव 350, 18 / चउकसंजोगोवि तहेव, पंचगसंजोगोवि तहेव, नवरं एको अब्भहिश्रो संचारेयब्वो जाव Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 112 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमागे पच्छिमो भंगो ग्रहवा दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 105, 11 / ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए जाव एगे तमाए होजा 1 अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा 2 ग्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 3 अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा 4 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसतमाए होजा 5 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा 6 अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वासुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा 7, (124) 20 / सत्त भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहे सत्तमाए वा होज्जा 7, 21 / अहवा एगे रयणप्पभाए छ सकरप्पभाए होजा एवं एएणं कमेणं जहा छराहं दुयासंजोगो तहा सत्तरहंवि भाणियव्वं नवरं एगो अभहियो संचारिज्जइ, सेसं तं चेव 126, 22 / तियासंजोगो 525 चउकसंजोगो 700 पंचसंजोगो 315 छक्कसंजोगो 42 य छराहं जहा तहा सत्तराहवि भाणियव्वं 23 / नवरं एक्केको अब्भहियो संचारेयब्यो जाव छकगसंजोगो अहवा दो सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभार एगे जाव आहेसत्तमाए होजा (1716) 24 / 'अट्ठ भंते ! नेरतिया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा हाजा 7, 25 / अहवा एगे रयणप्पभाए सत्त सक्करप्पभाए होजा एवं दुयासंजोगो जाव छक्कसंजोगो य जहा सत्तराहं भणियो तहा अट्टाहवि भाणियव्वो नवरं एक्केको अब्भहियो संचारेयव्यो सेसं तं चेव 147, 26 / जाव छक्कसंजोगस्स अहवा तिन्नि सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञाप्त (श्रीमद्भगवती) पुत्र : शतकं : उ०१५ ] [ 313 होजा श्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे तमाए दो अहेसत्तमाए होजा श्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा एवं संचारेयव्वं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा 735, 1225, 735, 147, 7, (3003), 27 / नव भंते ! नेरतिया नेरतियपवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा अहवा एगे रयणप्पभाए अट्ठ सकरप्पभाए होजा एवं दुयासंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा अट्टराहं भणियं तहा नवराहपि भाणियव्वं नवरं एक्केको अब्भहियो संचारेयब्बो, सेसं तं चेव पच्छिमो पालावगो श्रवा तिन्नि रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए वा होजा 7-168-180-1160-1470-312-28 (5005), 28 / दस भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा 7 अहवा एगे रयणप्पभाए नव सकरप्पभाए होजा एवं दुयासंजोगो जाव सत्तसंजोगो य जहा नवराह नवरं एक्केको अब्भहियो संचारेयव्वो सेसं तं चेव अपच्छिमत्रालावगो अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा, 7-181 --1260-2140-2646-882-84 (8008) 21 / संखेजा भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा. 7 अहवा एगे रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा श्रहवा दो रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए वा होजा एवं जाव श्रवा दो रयणप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा तिनि रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए होजा एवं एएणं कमेणं एक्केको संचारेयवो जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेजा सक्करप्पभाए होजा एवं जाव Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः . 'अहवा दस रयणप्पभाए संखेन्जा अहेसत्तमाए होजा अवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए होजा जाव अहवा संखेजा रयणप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा अवा एगे सकरप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होजाएवं जहा रयणप्पभाए उवरिमपुढवीएहिं समं चारिया एवं सक्करप्पभाएवि उवरिमपुढवीएहिं समं चारेयव्वा, एवं एक्केका पुढवी उवरिमपुदवीएहिं समं चारेयवा जाव अहवा संखेजा तमाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा, 11 / श्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखेजा पंकप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए दो सकरप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए तिनि सकरप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं एक्केको संचारेयवो ग्रहवा एगे रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होजा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा दो रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा दो रयणप्पभाए सखेजा सकरप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा ग्रहवा तिन्नि रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं एक्केको रयणप्पभाए संचारेयव्वो जाव ग्रहवा संखेजा रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होजा जाव यहवा संखेजा रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेजा पंकप्पभाए होजा जाव श्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए दो वालुयप्पभाए संखेजा पंकप्पभाए होजा 231, एवं एएणं कमेणं तियासंजोगो 735 चउक्कसंजोगो 1085.861-357 जाव सत्तगसंजोगो य Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) शतकं 9 : 30 32] / 315 61 जहा दसराहं तहेव भाणियव्यो पच्छिमो पालावगो सत्तसंजोगस्स ग्रहवा संखेजा रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए जाव संखेजा अहेसत्तमाए होजा (3337) 30 / असंखेजा भंते / नेरइया नेरइयपवेसणएणं पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए होजा, श्रहवा एगे रयणप्पभाए असंखेजा सकरप्पभाए होजा, एवं दुयासंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा संखिजाणं भणियो तहा असंखेजाणवि भाणियव्वो, 'नवरं असंखेजायो अभहियो भाणियव्यो, सेसं तं चेव जाव सत्तगसंजोगस्स पच्छिमो पालावगो ग्रहवा असंखेजा रयणप्पभाए असंखेजा सकरप्पभाए जाव असंखेजा अहेसत्तमाए होजा, 7-252.805.1110-145.312-67 (3658) 31 / उकोसेणं भंते ! नेरइया नेरतियपवेसएणं पुच्छा, गंगेया ! सब्वेवि ताव रयणप्पभाए होजा श्रहवा रयणप्पभाए य सकरप्पभाए य होजा ग्रहवा रयणप्पभाए य वालुयप्पभाए य होजा जाव श्रहवा रयणप्पभाए य ग्रसत्तमाए होजा 6 / ग्रहवा रयणप्पभाए य सकरप्पभाए य वालुयप्पभाए य होजा एवं जाव ग्रहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाएय अहेसत्तमाए य होजा 5 अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए य होजा जाव अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए होजा 4 श्रहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए धूमाए होजा एवं रयणप्पभं प्रमुयंतेसु जहा तिराहं तियासंजोगो भणियो तहा भाणियव्वं जाव ग्रहवा रयणप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होजा 15 अहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए य होजा श्रहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए य होजा जाव श्रहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होजा 4 श्रवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होजा एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा चउराहं चउकसंजोगो तहा भाणियव्वं जाव श्रहवा रयणप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए होजा 20 श्रहवा Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होजा 1 ग्रहवा रयणप्पभाए जाव पंकप्पभाए तमाए य होजा 2 ग्रहवा रयणप्पभाए जाव पंकप्पभाए यहेसत्तमाए य होजा 3 ग्रहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए य होजा 4 एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा पंचराहं पञ्चकसंजोगो तहा भाणियव्यं 15 जाव ग्रहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए जाव अहेसत्तमाए होजा अहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए जाव धूमप्पभाए तमाए य होजा 1 ग्रहवा रयणप्पभाए जाव धूमप्पभाए अहेसत्तमाए य होजा 2. श्रहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए जाव पंकप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होजा 3 अहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए होजा 4 अहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए पंकप्पभाए जाव अहेसत्तमाए य होजा 5 अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए जाव अहेसत्तमाए होजा 6 श्रहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए जाव अहेसत्तमाए य होजा 1 (63) 32 / एयस्स णं भंते ! रयणप्पभा-पुढविनेरइय-पवेसणगस्स सकरप्पभा-पुढवि-नेरइय-पवेसणगस्स जाव अहेसत्तमापुढवि-नेरइय-पवेसणगस्स य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गंगेया ! सव्वत्थोवे अहेसत्तमा-पुढवि-नेरइय-पवेसणए तमापुढवि-नेरइय-पवेसणए असंखेजगुणे एवं पडिलोमगं जाव रयणप्पभा-पुढवि नेरइय-पवेसणए असंखेजगुणे 33 // सूत्रं 373 // तिरिक्खजोणियपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गंगेया! पंचविहे पन्नते, तंजहा-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-पवेसणए जाव पंचेंदिय-तिरिखणजोणिय-पवेसणए 1 / एगे भंते / तिरिक्खजोणि एतिरिक्खजोणिय-पवेसणएणं पविसमाणे किं एगिदिएसु होजा जाव पंचिदिएसु होजा ?, गंगेया ! एगिदिएसु वा होजा जाव पंचिदिएसु वा होजा 2 / दो भंते ! तिरिक्खजोणिया पुच्छा, गंगेया ! एगिदिएसु वा होजा जाव पंचिंदिएसु वा होजा, हवा एगे Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति श्रीमद्भगवती) सूत्रं .. शतकं 6 : उ० 31 / [317 एगिदिएसु होजा एगे बेइंदिण्सु होजा एवं जहा नेरझ्यपवेसणए तहा तिरिक्खजोणियपवेसणएवि भाणियब्वे जाव असंखेजा 3 / उक्कोसा भंते ! तिरिक्खजोणिया पुच्छा गंगेया ! सव्वेवि ताव एगिदिएसु होजा श्रवा एगिदिएसु वा बेइंदिएसु वा होजा, एवं जहा नेरतिया चारिया तहा तिरिक्खजोणियावि चारेयवा, एगिदिया अमुञ्च तेसु दुयासंजोगो तियासंजोगो चउकसंजोगो पंचसंजोगो उवउजिऊण भाणियब्बो जाव श्रहवा एगिदिएसु वा बेइंदिय जाव पंचिंदिएसु वा होजा 4 / एयस्स णं भंते ! एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-पवेसणगस्स जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणयस्स कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गंगेया ! सम्वत्थोवे पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-पवेसणए चउरिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए तेइंदियतिरिक्खजोणिय-पवेसणए विसेसाहिए बेइंदियतिरिक्खजोणिय-पवेसणए विसेसाहिए एगिदियतिरिक्खजोणिय-पवेसणए विसेसाहिए 5 // सू 374 // मणुस्सपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गंगेया ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-समुच्छिममणुस्सपवेसणए गब्भवक्कंतिय-मणुस्सपवेसणए य 1 / एगे भंते ! मणुस्से मणुस्सपवेसण एणं पविसमाणे किं समुच्छिममणुस्सेसु होजा गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु होजा ?, गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गम्भवस्कतियमणुस्सेसु वा होजा 2 / दो भंते ! मणुस्सा पुच्छा, गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गम्भववतियमणुस्सेसु वा होजा श्रहवा एगे समुच्छिममणुस्सेसु वा होजा एगे गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होजा, एवं एएणं कमेणं जहा नेरइयपवेसणए तहा मगुस्सपवेसणएवि भाणियब्वे जाव दस 3 / संखेजा भंते ! मणुस्सा पुच्छा, गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गभवक्कंतियमणुस्सेसु वा होजा श्रहवा एगे संमुच्छिममणुस्सेसु होजा संखेजा गम्भवक्कंतिय Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6.18 - [श्रीमदागममुधासिन्धुः द्वितीयो विमागा माणुस्सेसु वा होजा श्रवा दो समुच्छिममणुस्सेसु होजा संखेन्जा गभवक्कंतियमणुस्सेसु होजा एवं एक्कक्क उस्मारितेसु जाव अहवा संखेजा संमुच्छिममणुस्सेसु होजा संखेजा गभवक्कंतियमणुस्सेसु होजा 4 / असंखेजा भंते ! मणुस्सा पुच्छा, गगेया ! सव्वेवि ताव संमुच्छिममणुस्सेसु होजा अहवा असंखेजा संमुच्छिममणुस्सेसु एगे गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु. होजा अहवा. असंखेजा संमुच्छिममणुस्सेसु दो गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु होजा एवं जाव असंखेजा संमुच्छिममणुस्सेसु होजा . संखेजा गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु होजा 5 / उकोसा भंते ! मणुस्सा पुच्छा, गंगेया ! सव्वेवि ताव संमुच्छिममणुस्सेसु होजा अहवा समुच्छिममणुस्सेसु य गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होज़ा 6 / एयस्स णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सपवेसणगस्स गम्भवक्कंतिय-मणुस्सपवेसणगस्स य कयरे 2 जाव विसेसाहिया ?, गंगेया ! सव्वत्थोवा गम्भवक्कंतिय-मणुस्सपवेसणए संमुच्छिम-मणुस्समवेसणए असंखेजगुणे 7 // सूत्रं 375 // देवपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गंगेया ! चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-भवणवासिदेवपवेसणए जाव वेमाणिय-देवपवेसणए 1 / एगे भंते ! देवपवेसणएणं पविसमाणे किं भवणवासीसु होजा वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु होजा ?, गंगेया ! भवणवासीसुवा होजा वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु वा होजा २।दोभते ! देवा देवपवेसणए पुच्छा, गंगेया ! भवणवासीसु वा होजा वाणमंतर-जोइसियवेमाणिएसु वा होजा अहवा एगे भवणवासीसु एगे वाणमंतरेसु होजा एवं जहा तिरिक्ख-जोणियपवेसणए तहादेवपवेसणएवि भाणियव्वेजाव असंखेजत्ति 3 / उकोसा भंते ! पुच्छा, गंगेया ! सव्वेवि ताव जोइसिएसु होजा अहवा जोइसिय-भवणवासीसु य होजा ग्रहवा जोइसिय-वाणमंतरेसु य होजा अहवा जोइसिय-वेमाणिएसु य होजा हवा जोइसिएसु य भवणवासीसुय वाणमंतरेसु य होजा अहवा जोइसिएसु य भवणवासिसु य वेमाणिएसु य होजा अहवा Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्यारूपाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 9 :: उ० 32] [319 जोइसिएसु वाणमंतरेसु वेमाणिएसुय होजाग्रहवा जोइसिएसु य भवणवासीय वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होजा 4 / एयस्स णं भंते ! भवणवासि देवपवेसणगस्स वाणमंतर-देवपवेसणगस्स जोइसिय-देवपवेसणगस्स माणिय देवपवेसणगस्स य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, गंगेया! सव्वत्थोवे वेमाणिय-देवपवेसणएभवणवासि-देवपवेसणए असंखेजगुणे वाणमंतर-देवपवेसणए असंखेजगुणे जोइसिय-देवपवेसणए संखेजगुणे ५॥सूत्रं 376 // एयस्स णं भंते ! नेरइयपवेसणगस्स तिरिक्खपवेसणगस्स मणुस्सपवेसणगस्स देवपवेसणगस्स कयरेकयरेहितो जाव विसेसाहिए वा ?, गंगेया ! सव्वत्थोवे मणुस्सपवेसणए नेरइयपवेसणए असंखेजगुणे देवपवेसणए असंखेजगुणे तिरिक्खजोणियपवेसणए असंखेजगुणे ॥सूत्रं 377 // संतरं भंते ! नेरइया उववज्जंति? निरंतरं नेरइया उववज्जंति? संतरं असुरकुंमारा उववज्जति ? निरंतरं असुरकुमारा उववज्जंति ? जाव संतरं वेमाणिया उववज्जति ? निरंतरं वेमाणिया उववज्जति ? संतरं नेरइया उववट्टति निरंतरं नेरतिया उववट्टति ? जाव संतरं वाणमंतरा उववट्टति ? निरंतरं वाणमंतरा उववट्टांति ? संतरं जोइसिया चयंति ? निरंतरं जोइसिया चयंति ? संतरं वेमाणिया चयंति ? निरंतरं वेमाणिया चयंति ?, गंगेया ! संतरंपि नेरतिया उववज्जति निरंतरं नेरतिया उववज्जंति जाव संतरंपि थाणयकुमारा उबवज्जति निरंतरं थणियकुमारा उववज्जतिनो संतरंपि पुढविकाइया उववज्जंति निरंतरं पुढविकाझ्या उववज्जंति एवं जाव वणस्सइकाइया सेसा जहा नेरइया जाव संतरंपि वेमाणिया उववज्जति निरंतरंपि वेमाणिया उववज्जंति, संतरंति नेरइया उववट्टति निरंतरंपि नेरइया उववट्टांति एवंजाव थणियकुमारा नो संतरं पुढविक्काइया उववट्टांति निरंतरं पुढविकाइया उववति एवं जाव वणस्सइकाइया सेसा जहा नेरइया, नवरं जोइसियवेमाणिया चयंति अभिलायो, जाव संतरंपि वेमाणिया चयंति निरंतरं वेमाणिया चयंति 1 / संतो भंते ! नेरतिया उव Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 320 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीया विभागः वज्जति असंतो भंते ! नेरइया उववज्जति ?, गंगेया ! संतो नेरझ्या उववज्जति नो असंतो नेरइया उववज्जंति, एवं जाव वेमाणिया 2 / संतो भंते ! नेरतिया उववति असंतो नेरझ्या उववति ?, गंगेया ! संतो नेरइया उबबट्टति नो असंतो नेरइया उववति, एवं जाव वेमाणिया, नवरं जोइसियवेमाणिएसु चयंति भाणियव्वं 3 / सो भंते ! नेरझ्या उबवट्टति असंतो भंते ! नेरइया उववट्टति ? संतो असुरकुमारा उववट्टीति ? जाव सतो वेमाणिया उववज्जति ? असतो वेमाणिया उववज्जंति ? सतो नेरतिया उववट्टति ? असतो नेरइया उववट्टति ? संतो असुरकुमारा उववट्टति जाव संतो वेमाणिया चयंति ? असतो वेमाणिया चयंति ?, गंगेया ! सतो नेरइया उववज्जति नो असो नेरइया उववट्टति सत्रो असुरकुमारा उववज्जति नो असतो असुरकुमारा उववज्जति जाव सश्रो वेमाणिया उववज्जति नो असतो वेमाणिया उववज्जंति सतो नेरतिया उववट्टति नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयंति नो असतो वेमाणिया चयंति, 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुबइ सतो नेरइया उववज्जंति नो असतो नेरझ्या उववज्जति जाव सत्रो वेमाणिया चयंति नो असो वेमाणिया चयंति ?, से नूणं भंते ! गंगेया ! पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए वुइए अणादीए अणवयग्गे जहा पंचमसए जाव जे लोकइ से लोए, से तेण?णं गंगेया ! एवं वुच्चइ जाव सतो वेमाणिया चयंति नो असतो वेमाणिया चयंति 5 / सयं भंते ! एवं जाणह उदाहु असयं ? असोचा एते एवं जाणह उदाहु सोचा ? सतो नेरइया उववज्जति नो असतो नेरइया उववज्जति ? जाव सत्रो वेमाणिया चयंति नो असत्रो वेमाणिया चयंति ?, गंगेया ! सयं एते एवं जाणामि नो असयं, असोचा एते एवं जाणामि नो सोचा, सतो नेरइया उववज्जति नो. असो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 9 : उ० 32] [321 चयंति 6 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ तं चेव जाव नो असतो वेमाणिया चयंति ?, गंगेया ! केवली णं पुरच्छिमेणं मियंपि जाणइ श्रमियंपि जाणइ दाहिणेगां एवं जहा सगडुद्दे सए जाव निव्वुडे नाणे केवलिस्स, से तेणटेणं गंगेया ! एवं वुच्चइ तं चेव जाव नो असतो वेमाणिया चयंति 7 / सयं भंते ! नेरझ्या नेरइएसु उववज्जति असयं नेरझ्या नेरइएसु उववज्जति ?, गंगेया ! सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति नो असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति 8 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव उववज्जति ?, गंगेया ! कम्मोदएणं कम्मगुरुयत्ताए कम्मभारियत्ताए कम्मगुरुसंभारियत्ताए असुभागां कम्माणं उदएणं असुभाणं कम्माणं विवागेणं असुभाणं कम्माणं फलविवागेगां सयं नेरझ्या नेरइएसु उववज्जति नो असयं नेस्ड्या नेरइएसु उववज्जंति, से तेण?णं गंगेया ! जाव उववज्जति 1 / सयं भंते ! असुरकुमारा पुच्छा, गंगेया ! सयं असुरकुभारा जाव उववज्जति नो असयं असुरकुमारा जाव उववज्जति 10 / से केण?णं तं चेव जाव उववज्जति ?, गंगेया ! कम्मोदएणं कम्मोवसमेणं कम्मविगतीए कम्मविसोहीए कम्मविसुद्धीए सुभाणं कम्माणं उदएणं सुभाणं कम्माणं विवागणं सुभाणं कम्माणं फलविवागेगां सयं असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए जाव उववज्जति नो असयं असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए उववज्जंति से तेण?णं जाव उववज्जति एवं जाव थणियकुमारा 11 / सयं भंते ! पुढविकाइया पुच्छा, गंगेया ! सयं पुढविकाइया जाव उववज्जति नो असयं पुच्छा जाव उववज्जति 12 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ नाव उववज्जति ?, गंगेया ! कम्मोदएणं कम्मगुरुयत्ताए कम्मभारियत्ताए कम्मगुरुसंभारियत्ताए सुभासुभागां कम्मागां उदएणां सुभासुभाण कम्मागां विवागेणां सुभासुभागां कम्मागां फलविवागेगां सयं पुढविकाइया जाव उववज्जति नो असयं पुढविकाइया जाव उववज्जंति, से तेण?णां जाव उववज्जति 13 / एवं जाव मणुस्सा, वाणमंतरजोइसिया Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 322) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः वेमाणिया जहा असुरकुमारा, से तेण? गां गंगेया ! एवं वुच्चइ सयं वेमाणिया जाव उववज्जति नो असयं जाव उववज्जति 14 // सूत्रं 378 // तप्पभिई च णं से गंगेये अणगारे समणं भगवं महावीरं पञ्चभिजाणइ सव्वन्नु सव्वदरिसी 1 / तए णं से गंगेये अणगारे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहिणां करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीइच्छामि णं भंते ! तुझ अंतियं चाउजामायो धम्मायो पंचमहब्वइयं एवं जहा कालासवेसियपुत्तो तहेव भाणियव्वं जाव सव्वदुक्खप्पहीणे 2 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्रं 371 // गंगेयो समत्तो॥ ; .. // इति नवमशतके द्वात्रिंशत्तम उद्देशकः // 9-32 // ... // अथ नवमशतके ब्राह्मणकुण्डग्रामाख्य त्रयस्त्रिंशत्तमोद्देशकः // ... तेणं कालेणं तेणं समएणं माहणकुंडग्गामे नयरे होत्था वनश्रो, बहुसालए चेतिए वन्नयो, तत्थ णं माहणकुडग्गामे नयरे उसमदत्ते नाम माहणे परिवसति ड्ढ दित्ते वित्ते जाव अपरिभूए, रिउवेदजजुवेदसामवेद अथव्वणवेद जहा खदयो जाव अन्नेसु य बहुसु बंभन्नएसु नएसु 'सुपरिनिट्ठिए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुराणपावे जाव अप्पाणं भावमाणे विहरति, तस्स णं उसभदत्तमाहणस्म देवाणंदा नाम माहणी होत्था, सुकुमालपाणिपाया जाव पियदंसणा सुरूवा समणोवासिया अभिगयजीवाजोवा उवलद्धपुन्नपावा जाव विहरइ 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे, परिसा जाव पज्जुवासति, तए णं से उसभदत्ते माहणे इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्ट जाव हियए जेणेव देवाणंदा माहणी तेणेव उवागच्छति 2 देवाणंदं माहणि एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! समणे भगवं महावीरे श्रादिगरे जाव सव्वन्नू सव्वदरिसी श्रागासगएणं चक्केणं जाव सुहंसुहेणं विहरमाणे बहुसालए चेइए अहापडि. Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 9 : उ० 33] [323 रूपं जाव विहरति, तं महाफलं खलु देवाणुप्पिए ! जाव तहारूवाणं अरिहंताणं भगवंताणं नामगोयस्सवि सवणयाए किमंग पुण अभिगमण-वंदणनमसण-पांडेपुच्छण-पज्जुवासणयाए ?, एगस्सवि थायरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ?, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिर ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमंसामो जाव पज्जुवासामो, एयराणं इहभवे य परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए थाणुगामियत्ताए भविस्तइ 2 / तए णं सा देवाणंदा माहणी उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वुत्ता समाणी हट्ट जाव हियया करयल जाव कटु उसभदत्तस्स माहणस्स एयमट्ठ विणएणं पडिसुणेइ 3 / तए णं से उसभदत्ते माहणे कोडवियपुरिसे सद्दावेइ कोडबियपुरिसे सद्दावेत्ता एवं वयासि-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरण-जुत्त जोइय-समखुर-वालिहाण-समलिहियसिंगेहिं जंबणयामय-कलाव-जुत्त-परिविसिट्ठोहिं रययामय-घंटा-सुत्तरज्जुय-पवरकंचणनत्थ-पग्गहोग्गहियएहिं नीलुप्पल-कयामेलएहिं पवरगोण-जुवाणएहिं नाणामणि-रयण-घंटिया-जालपरिगयं सुजाय-जुगजोत्त-रज्जुय-जुग-पसत्थ-सुविरचितनिम्मियं पवरलक्खणोववेयं [ ग्रन्थानम् 6000 ] धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह 2 मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 4 / तए णं ते कोडुबियपुरिसा उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ट जाव हियया करयल जाव एवं सामी ! तहत्ति प्राणाए विणएणं वयणं जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव लहुकरणजुत्त जाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेत्ता जाव तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 5 / तए णं से उसमदत्ते माहणे राहाए जाव अप्पमहग्याभरणालंकिनसरीरे सायो गिहायो पडिनिक्खमति सायो गिहायो पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ. तेणेव उवागच्छित्ता धम्मियं जागप्पवरं दुरूढे 6 / तए णं सा देवाणंदा माहणी अंतो अंतेउरंसि राहाया कयबलिकम्मा कय Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 324 ] . . [ श्रीमदागभसुवासिन्धुः द्वितीयो विभागः कोउयमंगल-पायच्छित्ता किंच वरपादपत्तनेउर-मणिमेहलाहार विरइय-उचियकडग-खुड्डाग--एकावली-कंठसुत्त-उरत्थ-गेवेज-सोणिसुत्तग-नाणामणिरयणभूसण-विराइयंगी चीणंसुय-वत्थ-पवर-परिहिया दुगुल्ल-सुकुमाल--उत्तरिजा सव्वोउय-सुरभि-कुसुम-वरियसिरया वरचंदणवंदिया वराभरणभूसियंगी कालागुरुधूवधूविया सिरिसमाणवेसा जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा बहूहि खुजाहिं चिलाइयाहिं वामणियाहिं वडहियाहिं बब्बरियाहिं पयोसियाहिं ईसिगणियाहिं वासगणियाहिं जोगिह(जोणि)याहिं (चारुगणियाहिं) पल्ल(ल्ह)वियाहिं ल्हासियाहिं लउसियाहिं आरबीहिं दमिलीहिं सिंघलीहिं पुलिंदीहिं पुकणी(क्खली)हिं बहलीहिं मुरुडीहिं सबरीहिं पारसीहिं नाणादेसीहिं विदेसपरिपिडियाहिं (नाणादेसविदेसपरिपिडियाहि) सदेस-नेवत्थगहियवेसाहिं इंगित-चिंतित-पत्थिय-वियाणियाहिं कुसलाहिं विणीयाहि य चेडिया-चकवाल-बरिसधर-थेरकंचुइज-महत्तरग-वंदपरिक्खित्ता अंतेउराश्रो निग्गच्छति अंतेउरायो निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता जाव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा 7 / तए णं से उसभदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढे समाणे णियग-परियाल-संपरिखुडे माहणकुडग्गाम नगरं मझमज्मेणं निग्गच्छइ निग्गच्छइत्ता जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उबागच्छइत्ता छत्तादीए तित्थकरातीसए पासइ 2 धम्मिमं जाणप्पवरं ठवेइ 2 ता धम्मियायो जाणप्पवरात्रो पचोरुहइ 2 समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छति, तंजहा-सवित्ताणं दवाणं विउसरणयाए एवं जहा बितियसए जाव तिविहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासति = / तए णं सा देवाणंदा माहणी धम्मियायो जाणप्पवरात्रो पचोरुभति धम्मियायो जाणप्पवरात्रो पचोरुभित्ता बहूयाहिं खुजाहिं जाव महत्तरग-वंदपरिक्खित्ता समणं भगवं Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 9:308 महावीरं पंचविहेगां अभिगमेगां अभिगच्छइ, तंजहा-सचित्तागां दव्वाग विउसरणयाए, अचित्तागां दवाणां विमोयणयाए, विणयोणयाए गायलट्ठीए, चक्खुफासे अंजलिपग्गहेगा, मणस्स एगत्तीभावकरोगां, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहियां पयाहिणां करेइ 2 ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता उसभदत्तं माहगां पुरयो कट्टु ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी णमंसमाणी अभिमुहा विणएगां पंजलिउडा जाव पज्जुवासइ 1 // सूत्रं 380 // तए णं सा देवाणांदा माहणी भागयपराहाया पप्फुयलोयणा संवरिय-वलयबाहा कंचुय-परिक्खित्तिया धाराहय-कलंबगंपिव समूसविय-रोमकूवा समां भगवं महावीरं अणिमिसाए दिट्टीए देहमाणी 2 चिट्ठति 1 भंते!त्ति भगवं गोयमे समणां भगवं महावीरं वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-किराणां भंते ! एसा देवाणांदा माहणी श्रागयपराहवा तं चेव जाव रोमकूवा देवाणुप्पिए अणिमिसाए दिट्टीए देहमाणी 2 चिटइ ?, गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! देवाणंदा माहणी मम अम्मगा, अहन्नं देवाणांदाए माहणीए अत्तए, तए णं सा देवाणंदा माहणी तेणं पुवपुत्त-सिणेहाणुराएणं आगयपराहया जाव समूसवियरोमकूवा मम अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी 2 चिट्ठइ 2 // सूत्रं 381 // तए णं समणे भगवं महावीरे उसमदत्तस्स माहणस्स देवाणांदाए माहणीए तीसे य महतिमहालियाए इसिपरिसाए जाव परिसा पडिगया 1 / तए गां से उसभदत्ते माहणे समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्टतु? उट्ठाए उ?ई उट्ठाए उद्वेत्ता समगां भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वदासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! जहा खंदयो जाव सेयं तुज्झे वदहत्ति कटु उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ उत्तरपुच्छिमं दिसीभागं श्रवक्कमित्ता सयमेव श्राभरण-मल्लालंकारं श्रोमुयइ सयमेव Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ tota [ श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमागः श्राभरण-मल्लालंकारं योमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करित्ता.जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिंगों पयाहियां जाव नमंसित्ता एवं वयासी-श्रालित्तें णं भंते ! लोए, पलिते णं भंते ! लोए, प्रालित्तपलिते गां भंते ! लोए जराए मरणेण य 2 / एवं एएगां कमेणां इमं जहा खंदयो तहेव पवइयो जाव सामाइयमाझ्याइं एकारस अंगाई अहिज्जइ जाव बहूहिं चउत्थ-छट्टट्ठम-दसम जाव विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणां भावेमाणे बहूई वासाइं सामनपरियागं पाउणइ 2 मासियाए संलेहणाए अत्ताणां भूसेति 2 त्ता सर्टि भत्ताई अणसणाए छेदेति 2 ता जस्सट्ठाए कीरति नग्गभावो जाव तमटुं श्राराहइ जाव तमट्ठ पाराहेत्ता तए गां सो जाव सव्वदुक्खप्पहीणे 3 / तए गां सा. देवाणांदा माहणी समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतियं धम्म सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा समणां भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहियां जाव नमंसित्ता एवं वयासि-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! एवं जहा उसमदत्तो तहेव जाव धम्माइक्खियं 4 / तए गां समणे भगवं महावीरे देवाणंदं माहणिं सयमेव पवावेति सयमेव मुडावेति 2 सयमेव अजचंदणाए अजाए सीसिणिताए दलय३ 5 / तए णं सा अजचंदणा श्रजा देवाणंदं माहणि सयमेव पवावेति सयमेव मुंडावेति सयमेव सेहावेति एवं जहेब उसभदत्तो तहेव अजचंदणाए अजाए इमं एयारूवं धम्मियं उवदेसं सम्मं संपडिवजइ तमाणाए तह गच्छद जाव संजमेणं संजमति 6 / तए णं सा देवाणंदा अजा अजचंदणाए अजाए अंतियं सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिजइ, सेसं तं चेव जाव सव्वदुक्खप्पहीणा 7 / सूत्रं 382 // तस्स णं माहाकुंडग्गामस्स नगरस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे नाम नगरे होत्था वन्नो, तत्थ णं वत्तिय डग्गामे नयरे जमालीनाम खत्तियकुमारे परिवसति. अड्ढ दित्ते जाव अपरिभूए Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र में शतकं 6 : उ०३३] [327 उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमस्थएहिं बत्तीसतिबद्धेहिं नाडएहिं णाणाविह-वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवनचिजमाणे उवनचिजमाणे उवगिजमाणे 2 उवलालिजमाणे 2 पाउस-वासारत्त-सरद-हेमंत-वसंत-गिम्हपज्जते छप्पिउऊ जहा विभवेणं माणमाणे 2 कालं गालेमाणे इ8 सदफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पञ्चणुब्भवमाणे विहरइ 1 / तए णं खत्तियकुंडग्गामे नगरे सिंघाडग-तिय-चउक-चचर जाव बहुजणसद्देइ वा जहा उववाइए जाव एवं पनवेइ एवं परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे श्राइगरे जाव सम्वन्नू सव्वदरिसी माहणकुडग्गामस्स नगरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं महष्फलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहताणं भगवंताणं जहा उववाइए जाव एगाभिमुहे खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छंति निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंड. ग्गामे नगरे जेणेव बहुसालए चेइए एवं जहा उववाइए जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति 2 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तं महया जणसह वा जाव जणसन्निवायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-किन्नं अज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा मुगुदमहेइ वा णागमहेइ वा जक्खमहेइ वा भूयमहेइ वा कूवमहेइ वा तडागमहेइ वा नईमहेइ वा दहमहेइ वा पव्वयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा चेइयमहेइ वा थूभमहेइ वा ? जगणं एए बहवे उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा णाया कोरव्वा खत्तिया खत्तियमुत्ता भडा भडपुत्ता जहा उववाइए जाव सत्थवाहप्पभिइयो राहाया कयबलिकम्मा जहा उववाइए जाव निग्गच्छति ?, एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता कंचुइजपुरिसं सदावेति 2 त्ता एवं क्यासी-किराहं देवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा जाव निग्गच्छति ?, 3 / तए णं से कंचुइज्जपुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुडे समणस्स भगवत्रो महावीरस्स Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 328 ] भीमदागमसुधासिन्धुपाहिलीयो विभागः श्रागमण-गहिय-विणिच्छए करयल जाव जमालि खत्तियकुमारंजएणं विजएणं . वडावेइ वद्धावेत्ता एवं वयासी-णो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहेइ वा जाव निग्गच्छंति, एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज समणे भगवं महावीरे जाव सव्वानू सव्वदरिसी माहगाकुडग्गामस्स नयरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं जाव विहरति, तए णं एए बहवे उग्गा भोगा जाव अप्पेगइया वंदणवत्तियं जाव निग्गच्छति 4 / तए णं से जमालिय-खत्तियकुमारे कंचुइज्जपुरिसस्स अंतिए एयम8 सोचा निसम्म हटुतु? कोडंबियपुरिसे सदावेइ कोडुबियपुरिसे सद्दावइत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं श्रासरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह उपट्टवेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 5 / तए णं ते कोडंबियपुरिसा जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ता समाणा जाव पञ्चप्पिणंति 6 / तए णं से जमालियखत्तियकुमारे जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता राहाए- कयबलिकम्मे जहा उववाइए परिसावन्नथो तहा भाणियव्वं जाव चंदणाकिन्नगायसरीरे सव्वालंकारविभूसिए मज्जणघरायो पडिनिक्खमइ मज्जणघरायो पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया. उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे श्रासरहे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता चाउग्घंटे श्रासरहं दुरूहेइ 2 ता सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भडचडकर-पहकर-वंद-परिक्खित्ते खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमज्झणं निग्गछइ निग्गच्छित्वा जेणेव माहणकुंडग्गामे नगरे जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता तुरए निगिरहेइ 2 ता रहे ठवेइ रहं ठवेत्ता रहायो पचोरुहति 2 ता पुप्फतंबोलाउहमादीयं वाहणायो य विसज्जेइ 2 ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ एगसाडियं उत्तरासंगं करेत्ता आयते चोक्खे परमसुइब्भूए अंजलिमउलियहत्थे जेणेव समणे भगवं महावीरे :: तेणेव उवागन्छ। तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतक :: उ० 33 ] ( 326 थायाहिणपयाहिणं करेइ 2 ता जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ 7 / तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तीसे य महतिमहालियाए इसि जाव धम्मकहा जाव परिसा पडिगया 8 / तए णं ते जमाली खत्तियकुमारे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ट जाव उट्ठाए उट्ठइ उट्ठाए उठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वयासी-सदहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, पत्तयामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, अब्भुट्ठोमि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! जाव से जहेयं तुम्भे(तुझे) वदह, जं नवरं देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो श्रापुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुडे भवित्ता अगारायो अणगारियं पव्वयामि 1 / श्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 10 ॥सूत्रं 383 // तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हटुतु? समणं भगवं महावीरं तिवखुत्तो जाव नमंसित्ता तमेव चाउग्घंटे श्रासरहं दुरूहेइ दुरूहित्ता समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियात्रो बहुसालायो चेइयायो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता सकोरंट जाव धरिज्जमाणेणं महया भडचडगर जाव परिक्खित्ते जेणेव खत्तियकुंडग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमज्मेणं जेणेव सए गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता तुरए निगिराहइ तुरए निगिरिहत्ता रहं ठवेइ रहं ठवेत्ता रहायो पचोरहइ रहायो पचोरुहित्ता जेणेव अभितरिया उवट्ठाणसाला जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता अम्मापियरो जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अम्मताभो ! मए समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, सेवि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए 1 / तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं असूत्र 383 // तए त समण भगता समणास मानिमित्त चाउग्चंट बासरह पदयात्री पडिनिक्ला वखत्ते जेणेव खा 42 Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 130 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयों विभागः वयासि-धन्नेसि णं तुमं जाया ! कयत्थेसि णं तुमं जाया ! कयपुन्नेसि णं तुमं जाया ! कयलक्खणेसि णं तुम जाया ! जन्नं तुम समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते सेवि य ते धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए 2 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो दोच्चंपि एवं वयासी-एवं खलु मए अम्मतानो समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतिए धम्मे निसंते जाव अभिरुइए, तए णं अहं अम्मतायो ! संसारभउविगे भीए जम्मजरामरणेणं, तं इच्छामिणं अम्म ! तायो ! तुज्झहिं अब्भणुनाए .. समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं मुडे भवित्ता आगाराश्रो अणगारियं पवइत्तए 3 / तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माता तं अणिटुं अकंतं अप्पियं अमणुन्नं श्रमणामं असुयपुव्वं गिरं सोचा निसम्म सेयागय-रोमकूध-पगलंत-विलीणगत्ता सोगभर-पवेवियंगमंगी नित्तेया दीणविमणवयणा करयलमलियन कमलमाला तक्खण-भोलुग्ग-दुब्बल-सरीर-लावन्नसुन्न-निच्छाया गयसिरीया पसिढिल-भूसण-पडत-खुरिणय-संचुन्निय-धवलवलयफभट्ठउत्तरिज्जा मुच्छाक्स-गट्ठ-चेतगरुई सुकुमाल-विकिन्न-केसहत्था परसु. णियत्तव्य चंपगलया निव्वत्तमहे व्व इंदलट्ठी विमुक्कसंधिवंधणा कोट्टिमतलंसि धसत्ति सव्वंगेहिं संनिवडिया, तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया ससंभमोयत्तियाए तुरियं कंचण-भिंगार-मुहविणिग्गय-सीयल-विमल-जलधारापरिसिंचमाण-निबविय-गायलट्ठी उक्खेवग-तालियंट-वीयणग-जणियवाएणं सफुसिएणं अंतेउरपरिजणेणं यासासिया समाणी रोयमाणी कंदमाणी सोयमाणी विलामाणी जमालिं खत्तियकुमारं एवं वयासी-तुमंसि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इट्टे कते पिए मणुन्ने मणामे थेज्जे वेसासिए संमए बहुमए श्रणुमए भंड-करंडग-समाणे रयणे रयणभूए जीविऊसविये हिययानंदिजणणे उंबरपुष्फमिव दुल्लभे सवणयाए किमंग पुण पासणयाए ?, तं नो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो तुज्झ खणमवि विप्पयोगं, तं श्रच्छाहि ताव Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 6 : उ० 33 ]. . [ 331 जाया ! जाव ताव अम्हे जीवामो, तो पच्छा अम्हेहिं कालगएहिं समाणेहिं परिणयवये वड्डिय-कुल-वंस-तंतु-कज्जमि निखयक्खे समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतियं मुडे भवित्ता अागोरायो अणगारियं पव्वइहिसि 4 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहावि णं तं श्रम्म ! तायो ! जराणं तुज्झे मम एवं वदह तुमंसि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इट्टे कंते तं चेव जाव पवइहिसि, एवं खलु अम्म ! तायो ! माणुस्सए भवे श्रणेग-जाइ-जरा-मरण--रोग-सारीर-माणस्स---प(ए)काम-दुक्खवेयण-वसणसतोवद्दवाभिभूए अधुए अणितिए असासए संज्झन्भ-राग-सरिसे जल-बुब्बुदसमाणे कुसग्ग-जलविंदु-सन्निभे सुविणग-दंसणोवमे विज्जुलयाचंचले अणिच्चे सडणपडण-विद्धंसणधम्मे पुछि वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वे भविस्सइ, से केस णं जाणइ अम्म ! ताश्रो ! के पुब्बिं गमणयाए के पच्छा गमणयाए ?, तं इच्छामि णं अम्मतायो ! तुझेहिं अब्भणुनाए समाणे समणस्स भगवत्रो महावीरस्त जाव पव्वइत्तए 5 / तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमं च ते जाया ! सरीरगं पविसिट्ठरुवं लक्खणवंजणगुणोववेयं उत्तम-बलवीरिय-सत्तजुत्तं विराणाण-वियक्खणं ससोहग्गगुणसमुस्सियं अभिजाय-महक्खमं निरुवहय--उदत्तलट्ठ-पंचिदिय-पडविविहवाहि-रोगरहियं पढमजोव्वणत्थं श्रणेगउत्तमगुणेहिं संजुत्तं तं श्रणुहोहि ताव जाव जाया ! नियग-सरीररूप-सोहग्ग-जोव्वणगुणे, तो पच्छा अणुभूय-नियग-सरीर-रुव-सोहग्ग-जोवणगुणे अम्हेहिं कालगएहिं समाणेहिं परिणयवये वड्डिय-कुलवंस-तंतुकमि निरवयक्खे समणस्स भगवथो महावीरस्स अंतियं मुडे भवित्ता आगारायो अणगारियं पव्वइहिसि 6 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो. एवं वयासी-तहावि णं तं अम्मतायो ! जन्नं तुझे ममं एवं वदह-इमं च णं ते जाया ! सरीरगं तं चेव जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मताभो ! माणुस्सगं सरीरं दुक्खाययणं Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 332 / ... .श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभाग: विविहवाहिसय-संनिकेतं अष्ट्रिय कलुट्टियं छिरा राहारु-जाल-श्रोणद्ध संपिणद्धं मट्टियभंडं व दुब्बलं असुइ-संकिलिट्ठ अणिट्ठविय-सबकाल-संठप्पयं जराकुणिम-जजरघरं व सडण-पडण-विद्धंसण-धम्मं पुब्बिं वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वं भविस्सइ, से केस णं जाणति ? अम्मताभो ! के पुब्बि तं चेव जाव पव्वइत्तए 7 / तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमायो य ते जाया ! विपुलकुल-बालियानो सरित्तयागो सरिव्वयात्रो सरिस-लावन्न-रूव-जोवण-गुणोववेयाश्रो सरिसएहितो श्र कुलेहितो. श्राणिएल्लियात्रो कला-कुसल-सब्बकाल-लालिय-सुहोचियात्रो मद्दव-गुण-जुत्तनिउण-विणोवयार-पंडिय-वियक्खणाओ. मंजुल-मिय-महुर-भणिय-विहसियविप्पेक्खिय-गतिविसाल-चिट्टिय-विसारदायो अविकल-कुल-सील-सालिणीश्रो विसुद्ध-कुल-वंस-संताण-तंतु-बद्धणप्पगब्भवयवद्धण-पगम्भुभव-प)भाविणीयो मणाणुकूल-हियइच्छियायो श्र? तुझ गुणवल्लहायो उत्तमायो निच्चं भावाणुरत्त-सव्वंग-सुदरीश्रो भारियायो, तं भुजाहि ताव जाया ! एताहिं सद्धिं विउले माणुस्सए कामभोगे, तो पच्छा भुत्तभोगी विसय-विगयवोच्छिन्न-कोउहल्ले अम्हेहिं कालगएहिं जाव पव्वइहिसि 8 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहावि णं तं अम्म ! तायो ! जन्नं तुज्झे मम एवं वयह इमायो ते जाया ! विपुलकुल जाव पवइहिसि, एवं खलु अम्म ! ताओ! माणुस्सगा कामभोगा असुई असासया वंतासवा पित्तासवा खेलासवा सुक्कासवा सोणियासवा उच्चार-पासवण-खेलसिंघाणग-वंतपित्त-पूय-सुक्क-सोणियसमुभवा अमान्न-दुरूव मुत्त-पुइय-पुरासपुन्ना मय-गंधुस्सास-असुभ-निस्सास-उव्वेयणगा बीभच्छा अप्पकालिया लहुसगा कलमलाहिवास-दुक्ख-बहुजण-साहारणा परिकिलेस-किच्छ-दुक्खसज्मा अबुहजण-णिसेविया सदा साहुगरहणिज्जा अणंतसंसारबद्धणा कडुगफलविवागा चुडलिव्व अमुचमाणे दुक्खाणुबंधिणो सिद्धिगमणविग्घा, से केस णं जाणति Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्र : शतकं 9 : उ०३३ ] ( 333 अम्मतायो ! के पुब्बिं गमणयाए के पच्छा गमणयाए ?, तं इच्छामि णं अम्मतायो ! जाव पब्वइत्तए 1 / तएणं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमे य ते जाया ! अजय-पजय-पिउपजयागए बहु हिरन्ने य सुवन्ने य कसे य दूसे य विउल-धण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संखसिलप्पवाल-रत्तरयण-संत-सारसावएज्जे अलाहि जाव श्रासत्तमायो कुलवंसायो पकामं दाउं पकामं भोत्तु पकामं परिभाएउं तं श्रणुहोहि ताव जाया ! विउले माणुस्सए इडि-सकार-समुदए, तो पच्छा अणुहूयकलाणे वडियकुलवंसतंतु जाव पव्वइहिसि 10 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहावि णं तं अम्मतायो ! जन्नं तुझे मम एवं वदह-इमे च ते जाया ! अजगपज्जग जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मताओं! हिरन्ने य सुवन्ने य जाव सावएज्जे अग्गिसाहिए बोरसाहिए रायसाहिए मच्चुसाहिए दाइयसाहिए अग्गिसामन्ने जाव दाइयसामन्ने अधुवे अणितिए असासए पुल्लिं वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वे भविस्सइ, से केस णं जाणइ तं चेव जाव पव्वइत्तए 11 / तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मताश्रो जाहे नो संचाएन्ति विसयाणुलोमाहिं बहूहिं श्राघवणाहि य पनवणाहि य सन्नवणाहि य विनवणाहि य श्राघवेत्तए वा पनवेत्तए वा सन्नवेत्तए वा विनवेत्तए वा ताहे विसयपडिकूलाहिं संजम-भयुव्वेयणकराहिं . पन्नवणाहिं पनवेमाणा एवं वयासी-एवं खलु जाया ! निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले जहा श्रावस्सए जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति अहीव एगंतदिट्ठीए खुरो इव एगंतधाराए लोहमया जवा चावेयव्वा वालुयाकवले इव निस्साए गंगा वा महानदी पडिसोयगमणयाए महासमुद्दे वा भुयाहि दुत्तरो तिक्खं कमियव्वं गरुयं लंबेयव् असिधारगं वतं चरियव्वं, नो खलु कप्पइ जाया ! समणाणं निग्गंथाणं श्रहाकम्मिएत्ति वा उद्देसएइ वा मिस्सजाएइ वा अभोयरएइ वा पूइएइ वा कीएइ वा पामिच्चेइ वा Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ --- ताव अाहा खत्तियकमारे शव वयह एवं दान, एवं खलु वाण परलो -334 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः अच्छेज्जेइ वा अणिसटे इ वा अभिहडेइ वा कतारभत्तेइ वा दुभिक्खभत्तेइ वा गिलाणभत्तेइ वा वदलियाभत्तेइ वा पाहुणगभत्तेइ वा सेजायरपिंडेइ वा रायपिंडेइ वा मूलभोयणेइ वा कंदभोयणेइ वा फलभोयणेइ वा बीयभोयणेइ वा हरियभोयणेइ वा भुत्तए वा पायए वा, तुमं च णं जाया ! सुहसमुचिए णो चेव णं दुहसमुचिते नालं सीयं नालं उराहं नालं खुहा नालं पिपासा नालं चोरा नालं वाला नालं दंसा नालं मसया नालं वाइय-पित्तिय-सेंभिय-सन्निवाइए विविहे रोगायके परीसहोवसग्गे उदिन्ने अहियासेत्तए, तं नो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो तुझ खणमवि विप्पयोगं तं अच्छाहि ताव जाया ! जाव ताव अम्हे जीवामो, तो पच्छा अम्हेहिं जाव पव्वइहिसि 12 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहावि णं तं अम्म ! ताश्रो ! जन्नं तुझे ममं एवं वयह-एवं खलु जाया / निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले.तं चेव जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मतायो ! निग्गंथे पावयणे कीवाणं कायराण कापुरिसाणं इहलोग-पडिबद्धाणं परलोगपरंमुहाणं विसयतिसियाणं दुरणुचरे पागयजणस्स धीरस्स निच्छियस्स ववसियस्त नो खलु एत्थं किंचिवि दुकरं करणयाए, तं इच्छामि णं अम्म ! तायो ! तुज्झहिं अब्भणुनाए समाणे समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जाव पव्वइत्तए 13 / तए णं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति विसयागुलोमाहि य विसयपडिकूलाहि य बहूहि य ाघवणाहि य पनवणाहि य 4 श्राघवेत्तए वा जाव विनवेत्तए वा ताहे अकामए चेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स निक्खमणं अणुमन्नित्था 14 // सूत्रं 384 // तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! खत्तियकुडग्गामं नगरं सभितर. बाहिरियं आसिय-संमजियोवलितं जहा उववाइए जाव पञ्चप्पिणंति 1 / तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया दोच्चपि कोडुबियपुरिसे सदावेइ Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 6 : उ० 33 ] [335 सदावइत्ता एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स महत्थं महग्धं महरिहं विपुलं निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह 2 / तए णं ते कोडवियपुरिसा तहेव जाव पचप्पिणंति 3 / तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं निसीयावेंति निसीयावेत्ता अट्ठसएणं सोवन्नियाणं कलसाणं एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव अट्ठसएणं भोमेजाणं कलसाणं सब्विड्डीए जाव रखेणं महया महया निक्खमणाभिसेगेणं अभिसिंचइ निक्खमणाभिसेगेणं अभिसिंचित्ता करयल जाव जएणं विजएणं वद्धान्ति, जएणं विजएणं वद्धावेत्ता एवं वयासीभण जाया ! किं देमो ? किं पयच्छामो ? किणा वा ते अट्ठो ?, 4 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-इच्छामि णं अम्म ! तायो ! कुत्तियावणाश्रो रयहरणं च पडिग्गहं च श्रामिाउं कासवगं च सदाविउं 5 / तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडंबियपुरिसे सदावेइ सहावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिए ! सिरिघरायो तिन्नि सयसहस्साइं गहाय दोहिं सयसहस्सेहिं कुत्तियावणाश्रो रयहरणं च पडिग्गहं चाणेह सयसहस्सेणं कासवगं च सद्दावेह 6 / तए णं ते कोडांबियपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा करयल जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सिरिघरायो तिनि सयसहस्साइं तहेव जाव कासवगं सदावेति 7 / तए णं से कासवए जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडुबियपुरिसेहिं सदाविए समाणे हटे तु? राहाए कयबलिकम्मे जाव सरीरे जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता करयल जाव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पियरं जएणं विजएगां वद्धावेइ जएणं विजएणं वद्धावित्ता एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! जं मए करणिज्ज 8 / तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कासवगं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया! जमालिस्स खत्तिय Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमागः कुमारस्स परेणं जत्तेग चउरंगुलवज्जे निक्खमणपोगे अग्गकेसे (पडि)कप्पेहि 1 / तए णं से कासवे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टे करयल जाव एवं सामी ! तहत्ताणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ 2 ता सुरभिणा गंधोदएणं हत्थपादे पक्खालेइ सुरभिणा 2 सुद्धाए अट्ठपडलाए पोत्तीए मुहं बंधइ मुहं बंधित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरंगुलवज्जे निक्खमणपयोगे अग्गकेसे कप्पइ 10 / तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छइ अग्गकेसे पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेत्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहिं मल्लेहिं अञ्चेति 2 सुद्धवत्थेणं बंधेइ सुद्धवत्येणं बंधित्ता रयणकरंडगंसि पक्खिवति 2 हार-वारिधारा-सिंदुवार-छिन्न-मुत्तावलिप्पगासाइंसुय-वियोग-दूसहाई अंसूई विणिम्मुयमाणी 2 एवं वयासी-एस णं श्रम्हं जमालिस्स खत्तियकुमारस्स बहूसु तिहीसु य पव्वणीसु य उस्सवेसु य जन्नेसु य छणेसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सतीतिकटु श्रोसीसगमूले ठवेति 11 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो दोच्चपि उत्तरावकमणं सीहासणं रयाति 2 जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयापीयएहिं कलसेहिं नाराहेति सीयापीयएहि कलसेहिं नाराहेत्ता पम्हसुकुमालाए सुरभिए गंधकासाइए गायाइं लूहेंति सुरभिए गंधकासाइए गायाई गुहेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिंपन्ति गायाइं अणुलिंपित्ता नासा-निस्सास-वायवोझं चक्खुहरं वन-फरिस-जुत्तं हय-लाला-पेलवातिरेगं धवलं कणगखचियंतकम्मं महरिहं हंसलवखण-पडसाडगं परिहिति 2 हारं पिणद्धेति 2 श्रद्धहारं पिणद्धेति 2 एवं जहा सूरियाभस्स अलंकारो तहेव जाव चित्तं रयणसंकडुक्कडं मउडं पिणद्धति, कि बहुणा ?, गंथिम-वेढिम-पूरिमसंघातिमेणं चउविहेणं मल्लेणं कप्परुक्खगं पिव अलंकियविभूसियं करेंति Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्राप्ति (श्रीमद्भगवती) सत्र : शतकं : उ०१३] [337 12 / तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडबियपुरिसे सदावेइ सदावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! श्रणेग-खंभसयसनिविट्ठ लीलट्ठिय-सालभंजियागं जहा रायप्पसेणइज्जे विमाणवन्नो जाव मणिरयण-घंटियाजाल-परिक्खित्तं पुरिस-सहस्सवाहणीयं सीयं उवट्ठवेह उवट्ठवेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडबियपुरिसा जाव पञ्चप्पिणंति 13 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे केसालंकारेणं वस्थालंकारेणं मल्लालंकारेणं श्राभरणालंकारेणं चउविहेणं अलंकारेणं श्रलंकारिए समाणे पडिपुन्नालंकारे सीहासणायो अभुढेइ मीहासणाश्रो अब्भु?त्ता सीयं श्रणुप्पदाहिणीकरेमाणे सीयं दुरूहइ 2 सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सन्निसगणे 14 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया राहाया कयबलिकम्मा जाव सरीरा हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सीयं अणुप्पदाहिणी-करेमाणी सीयं दुरूहइ सीयं दुरूहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणे पासे भदासणवरंसि संनिसन्ना 15 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मधाई गहाया जाव सरीरा रयहरणं च पडिग्गहं च गहाय सीयं श्रणुप्पदाहिणी-करेमाणी सीयं दुरूहइ सीयं दुरूहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स वामे पासे भद्दासणवरंसि संनिसन्ना 16 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिट्ठयो एगा वरतरुणी सिंगारागार-चारवेसा संगयगय जाव रूव-जोव्वण-विलासकलिया सुंदरथणजहण वयण-कर-चरण-नयण-लावराण-रूव-जोवण-गुणोववेया हिम-रययकुमुद-कुदेंदुप्पगासं सकोरेंट-मल्लदामं धवलं श्रायवत्तं गहाय सलीलं उवरि धारेमाणी 2 चिट्ठति 17 / तए णं तस्स जमालिस्स उभोपासिं दुवे वरतरुणीश्रो सिंगारागार-चारु जाव कलियायो नाणा मणि-कणग-रयणविमल-महरिह-तवणिज्जुज्जल-विचित्त-चित्तदंडाश्रो चिल्लियाथो संखंककुदेंदु-दगरय-श्रमय-महिय-फेण-पुजसंनिकासाश्रो धवलायो चामरात्रो Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 338 ] :: . . श्रीमदागमसुधासिन्धुः // द्वितीयो विभागा गहाय सलील वीयमाणीयो वीयमाणीयो चिट्ठति, तए णं तस्स जमालिस्स खनियकुमारस्त उत्तरपुरच्छिमेणं एगा वरतरुणी सिगारागार जाव कलिया सेत-रययामय-विमल-सलिलपुराणं मत्त-गय–महामुहाकितिसमाणं भिंगारं गहाय चिट्ठइ 18 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणपुरच्छिमेणं एगा वरतरुणी सिंगारागार जाव कलिया चित्तकणगदंड तालवेंट गहाय चिट्ठति 11 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडबियपुरिसे सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सरिसयं सरित्तयं सरिव्वयं सरिस-लावन्न रूप-जोवण-गुणोववेयं एगाभरणं वसणगहिय-निजोयं कोडुबिय-वरतरुणसहस्सं सदावेह, तए णं ते कोड बियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सरिसयं सरित्तयं जाव सद्दावेंति 20 / तए णं ते कोडवियपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडांबियपुरिसेहिं सदाविया समाणा हट्टतुट्ठ जाव राहाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता एगाभरण-वसण-गहियनिजोया जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छइ 2 ता करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! जं अम्हेहिं करणिज्ज 21 / तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्म पिया तं: कोड बिय-वरतरुण-सहस्सं एवं वदासी-तुझे णं देवाणुप्पिया ! गहाया कयबलिकम्मा जाव गहियनिजोगा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहह 22 / तए णं ते कोडबियपुरिसा(तरुणा) जमालिस्स खत्तियकुमारस्स जाव पडिसुणेत्ता राहाया जाव गहियनिजोगा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहति 23 / तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणी सीयं दुरूटस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठमंगलगा पुरयो अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया, तंजहा-सोत्थिय सिविच्छ जाव दप्पणा, तदाणंतरं च णं पुन्नकलसभिंगारं - जहा उववाइए जाव गगणतल-मणुलिहंती पुरश्रो अहाणुपुबीए संपट्ठिया, Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कामव्याख्यावज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) : शतक : उ० 33 ] . [ 139 एवं जहा उबवाइए तहेव भाणियव्वं जाव 'बालोयं वा करेमाणा जय 2 सद च पउंजमाणा पुरश्रो श्रहाणुपुव्वीए संपट्ठिया 24 ] तदाणंतरं च णं बहवे उग्गा भोगा जहा उववाइए ज़ाव महापुरिस-वग्गुर-परिक्खित्ता जमालिस्स खत्तियस्स पुरो य मग्गयो य पासयी य श्रहाणुपुव्वीए संपट्टिया 25 / तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया राहाया कयबलिकम्मा जाव विभूसिए हथिखंधवरगए सकोरेंट-मल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सैयवरचामराहिं उद्धृब्वमाणे 2 हयगय-रह-पवरजोह-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे महयाभडचडगर जाव परिक्खित्ते जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिट्ठश्रो 2 घणुगच्छइ 26 / तए णं तस्स जमालिस खत्तियकुमारस्स पुरश्रो महं श्रासा पासवरा उभो पासिं णागा णागवरा पिट्टयो रहा रहसंगेली 27 / तए ण से जमाली खत्तियकुमारस्स अब्भुग्गभिंगारे परिग्गहियतालियंटे ऊसवियसेतछत्ते पवीइयसेतचामर-बालवीयणीए सब्बिड्डीए जाव णादितरवेणं 28 / तयाणंतरं च णं बहवे लट्ठिग्गाहा कुतग्गाहा जाव पुत्थयगाहा जाव वीणगाहा, तयाणंतरं च णं अट्ठसयं गयाणं अट्ठसयं तुरयाणं अट्ठसयं रहाणं, तयाणंतरं च णं लउड-असि-कोतहत्थाणं वहणं पायत्ताणीणं पुरश्रो संपट्ठियं, तयाणंतरं च णं बहवे राईसर-तलवर जाव सत्यवाहप्पभिइयो पुरश्रो संपट्टिया जाव णादितरवेणं खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमज्झेणं जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्य गमणाए 21 / तए णं तस जमालिस्स खत्तियकुमारस्स खत्तियकुंडग्गामं नगरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छमाणस्स सिंघाडग-तिय-चउक्क जाव पहेसु बहवे अत्यत्थिया जहा उववाइए जाव अभिनंदंताय श्रभित्थुणंता य एवं वयासी-जय जय गंदा! धम्मेणं, जय जय गंदा / तवेणं, जय जय णंदा ! भदंते अभग्गेहि णाणदंसणचरित्तमुत्तमेहिं अज़ियाई जिणाहि इंदियाइं जियं च पालेहि समणधम्म Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयों विभागः जियविग्योऽवि य वसाहि तं देवं ! सिद्धिमझे णिहणाहि य रागदोसमल्ले तवेण धितिधणियबद्धकच्छे महाहि अट्टकम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं अप्पमत्तो हराहि श्राराहणपडागं च धीर ! तेलोकरंगमज्झे पावय वितिभिरमणुत्तरं केवलं च णाणं गच्छय मोक्खं परं पदं जिणवरोवदिठेणं सिद्धिमग्गेणं अकुडिलेणं हंता परीसहचमू अभिभविय गामकंटकोवसग्गाणं धम्मे ते अविग्धमत्थुत्तिकट्टु अभिनंदति यः अभिथुणति य 30 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे नयणमालासहस्सेहिं पिच्छिजमाणे 2 एवं जहा उववाइए कूणियो जाव णिगच्छति निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता छत्तादीए तित्थगरातिसए पासइ पासित्ता पुरिससहस्सवाहिणीं सीयं ठवेइ 2 पुरिससहस्सवाहिणीयो सीयायो पचोरुहइ 31 / तए णं तं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो पुरयो काउं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वदासी-एवं खलु भंते ! जमाली खत्तियकुमारे अम्हं एगे पुत्ते इ8 कंते जाव किमंग पुण पासणयाए ? से जहानामए-उप्पलेइ वा पउमेइ वा जाव पउमसहस्सपत्तेइ वा पंके जाए जले संवुड्ढे णोवलिपति पंकरएणं णोवलिप्पइ जलवरएणं एवामेव जमालीवि खत्तियकुमारे कामेहिं जाए भोगेहिं संवुड गोवलिप्पइ कामरएणं णोवलिप्पइ भोगरएणं णोवलिप्पइ , मित्त-णाइ-नियग-सयण-संबंधिपरिजणेणं, एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउधिग्मे भीए जम्मणमरणेणं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराश्रो अणगारियं पव्वएइ, तं एयन्नं देवाणुप्पियाणं अम्हे सीस-भिक्खं दलयामो, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सीसभिक्खें, तए णं समणे भगवं महावीरे तं जमालिं खत्तियकुमारं एवं वयासी-ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध करेह 32 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणेणं भगवया Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याख्याप्रवासि (श्रीमद्भगवती) स्त्रं : शतक है. उ३३ ] [341 महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतु8 समणं. भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ 2 सयमेव श्राभरणमल्लालंकारं श्रोमुयइ 33 / तते णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं श्राभरणमल्लालंकारं पडिच्छति पडिच्छित्ता हारवारि जाव विणिम्मुयमाणा 2 जमालि खत्तियकुमारं एवं पयासी-घडियव्वं जाया ! जइयव्वं जाया ! परिकमियव्वं जाया ! अस्सि च णं अट्ठ णो पमायेतव्वं तिकट्टु जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो समणं भगवं महावीर वंदइ णमंसई वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया 34 / तए णं से जमाली खत्तियकुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता एवं जहा उसभदत्तो तहेव पव्वइयो नवरं पंचहिं पुरिससएहिं सद्धिं तहेव जाव सव्वं सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई. अहिजइ सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई अहिज्जेत्ता बहूहिं चउत्थ-छट्टट्ठम जाव मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 35 // सूत्रं 385 // तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाई जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छइत्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति वंदित्ता 2 एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुज्झेहिं अब्भणुनाए समाणे पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरित्तए 1 / तए णं से समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अंणगारस्स एयमटुंणो थाढाइ णो परिजाणाइ तुसिणीए संचिट्ठइ 2 / तएं णं से जमाली श्रणगारे समणं भगवं महावीरं दोच्चपि तच्चपि एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुज्झहिं अब्भणुनाए समाणे पंचहिं श्रणगारसएहिं सद्धिं जाव विहरित्तए 3 / तए णं समो भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स दोच्चपि तञ्चपि एयमटुंणो आढाइ जाव तुसिणीए संचिटइ 4 / तए णं से ' . .. . .. Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभाग जमाली अणगारे, समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता समणस्स भगवश्रो * महावीरस्स अंतियायो बहुसालाथो चेइयायो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता पंचहिं श्रणगारसएहिं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरइ 5 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थीनामं णयरी होत्था वनभो, कोट्ठए चेइए वन्नो, जाव वणसंडस्स, तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था वनश्रो पुनभद्दे चेइए वनश्रो, जाव पुढविसिलावट्टयो 6 / तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाइ पंचहिं श्रणगारसएहिं सद्धिं संपरिबुडे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोट्ठए चेइए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिएहति ग्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ 7 / तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयावि पुवाणुपुब्बिं चरमाणे जाव सुहं सुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपानगरी जेणेव पुन्नभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिाहति 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 8 / तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहिं अरसेहि य विरसेहि य अंतेहि य पंतेहि य लूहेहि य तुच्छेहि य कालाइक्कतेहि य पमाणाइक्कतेहि य सीतएहि य पाणभोयणेहिं अन्नया कयावि सरीरगंसि विउले रोगातंके पाउन्भूए उनले विउले पगाढे ककसे कडुए चंडे दुक्खे दुग्गे तिब्वे दुरहियासे पित्तज्जरपरिगतसरीरे दाहवक्कंतिए यावि विहरइ 6 / तए णं से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे णिग्गंथे सदावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-तुज्जे णं देवाणुप्पिया ! मम सेनासंथारगं संथरेह, तए णं ते समणा णिग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमट्ट विणएणं पडिसुणेति पडिसुणेत्ता जमालिस्स अणगारस्स सेजासंथारगं संथरेति 10 / तए णं से जमाली श्रणगारे बलियतरं वेदणाए . Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदव्याख्याप्रज्ञप्ति (भीमद्भगवती) / शतर्क उ. 33] / 343 .. अभिभुए समाणे दोच्चपि समणे निग्गंथे सदावेइ 2 ता दोच्चपि एवं वयासी-ममन्नं देवाणुप्पिया ! सेजासंथारए किं कडे ? कजइ ?, (एवं वुत्ते समाणे समणा निग्गंथा विति-भो सामी ! कीरड), तए णं ते समणा निग्गंथा जमालि श्रणगारं एवं वयासी-णो खलु देवाणुप्पियाणं सेनासंथारए कडे कजति 11 / तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स श्रयमेयाख्वे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-जन्न समणे भगवं महावीरे एवं बाइक्खइ एवं परुवेइ-एवं खलु चलमाणे चलिए उदीरिजमाणे उदीरिए जाव निजरिजमाणे णिजिन्ने, तं णं मिच्छा इमं च णं पञ्चक्खमेव दीसइ सेन्जासंथारए कन्जमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथरिए जम्हा णं सेजासंथाए कजमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथरिए तम्हा चलमाणेवि अचलिए जाव निजरिजमाणेवि अणिजिन्ने, एवं संपेहेइ एवं संपेहेत्ता समणे निग्गंथे सदावेइ समणे निग्गंथे सहावेत्ता एवं वयासी-जन्नं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवं बाइक्खइ जाव पख्वेइ-एवं खलु चलमाणे चलिए तं चेव सव्वं जाव णिजरिजमाणे अणिजिन्ने 12 / तए णं तस्स जमालिस्स यणगारस्स एवं बाइक्खमाणस्स जाव परुवेमाणस्स अत्थेगइया समणा निग्गंथा एयमटुं सदहति पत्तियंति रोयंति अत्थेगइया समणा निग्गंथा एपमट्ठ णो सदहति णो पत्तियति णो रोयंति 13 / तत्थ णं जे ते समणा निग्गंथा जमालिस्म श्रणगारस्स एयमट्ठ सदहति 3 ते णं जमालि चेव अगगारं उपसंपजित्ताणं विहरंति, तत्थ णं जे ते समणा णिग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमटुंणो सद्दहति णो पत्तियंति णो रोयंति ते णं जमालिस्स अणगारस्स अंतियायो कोट्ठयारों चेइयात्रो पडिनिक्खमंति 2 पुव्वाणुपुदि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव चंपानयरी जेणेव पुन्नभद्दे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुनो आयाहिणं पयाहिणं Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 344] :: [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः रितीयो विभागः करेंति 2 ता वंदइ णमंसइ 2 समणं भगवं महावीरं उपसंपजित्ता णं विहरंति 14 // सूत्रं 386 // तए णं से जमाली अणगारे अत्रया कयावि तायो रोगायंकायो विप्पमुक्के हटे तुट्टे जाए अरोए बलियसरीरे सावत्थीयो नयरीश्रो कोट्ठयायो चेइयायो पडिनिक्खमइ 2 पुव्वाणुपुब्धि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुन्नभद्दे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अदूरसामंते ठिचा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-जहाणं देवाणुप्पियाणं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्या भवेत्ता छउमत्थावकमणेणं श्रवक्ता णो खलु अहं तहा छउमत्थे भवित्ता छउमत्थावकमणेणं श्रवक्कमिए, अहन्नं उप्पन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवकमणेणं श्रवक्कमिए 1 / तए णं भगवं गोयमे जमालिं अणगारं एवं वयासी-णो खलु जमाली ! केवलिस्स णाणे वा दंसणे वा सेलसि वा थंभंसि वाथू सि वा श्रावरिजइ वा णिवारिजइ वा, जइ णं तुमं जमाली ! उप्पन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवकमणेणं अवक्कते तो णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि-सासए लोए जमाली ! असासए लोए जमाली ?, सासए जीवे जमाली ! असासए जीवे जमाली ? 2 / तए णं से जमाली श्रणगारे भगवया गोयमेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए जाव कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था, णो संचाएति भगवो गोयमस्स किंचिवि पमोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीए संचिट्टइ 3 / जमालीति समणे भगवं महावीरे जमालिं अणगारं एवं क्यासी-अत्थि णं जमाली ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था जे णं पभू एवं वागरणं वागरित्तए जहाणं अहं नो चेव णं एयप्पगारं भासं भासित्तए जहा गंतुम, सासए लोए जमाली ! जन्न कयावि णासि ण कयाविण भवति ण कदावि ण भविस्सइ भुवि च भवइ य भविस्सइ य, धुवे णितिए सासए अक्खए श्रव्वए Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्न्या च्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सत्र : शतकं 6 :: उ० 33 ] अवट्ठिए णिच्चे, असासए लोए जमाली ! जश्रो श्रोसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ उस्सप्पिणी भवित्ता अोसप्पिणी भाइ, सासए जीवे जमाली ! जं न कयाइ णासि जाव णिच्चे असासए जीवे जमाली जन्नं नेरइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ मणुस्से भवित्ता देवे भवइ 4 / तए णं से जमाली अणगारे समणस्त भगवश्रो महावीरस्स एवमाइक्खमाणस जाव एवं परूवेमाणस्स एयमट्ठ णो सद्दहइ णो पत्तिएइ णो रोएइ एयमट्ठ असदहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे दोच्चपि समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियाो आयाए अवक्कमइ दोच्चंपि धायाए अवकमित्ता बहुहिं असम्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे बहूयाई वासाई सामनपरियागं पाउणइ 2 अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं भूसेइ 2 तीसं भत्ताई श्रणसणाए. छेदेति 2 तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा लतए कप्पे तेरस-सागरोवम-ठितिएसु देवकिब्विसिएसु देवेसु देवकिदिवसियत्ताए उववन्ने 5 // सूत्रं 387 // तए णं से भगवं गोयमे जमालिं अणगारं कालगयं जाणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से जमालिणामं श्रणगारे से णं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किचा कहिं गए कहि उववन्ने ?, गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी कुसिस्से जमाली नाम श्रणगारे से णं तदा मम एवं श्राइक्खमाणस्स 4 एयमटुंणो सद्दहइ 3 एयम४ असदहमाणे 3 दोच्चपि ममं अंतियायो पायाए अवकमइ 2 बहुहिं असम्भावुभावणाहिं तं चेव जाव देवकिन्विसियत्ताए उववन्ने // सूत्र 388 // कतिविहा णं भंते ! देवकिब्विसिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा देवकिब्विसिया पराणत्ता, Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 346] ....... श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः तंजहा-तिपलिश्रोवमट्टिया तिसागरोवमट्टिया तेरससागरोवमट्टिया 1 / कहि णं भंते ! तिपलियोवमद्वितीया देवकिब्बिसिया परिखसंति ?, गोयमा ! उप्पिं जोइसियाणं हिटि सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु एत्थ णं तिपलि. ओवमट्टिइया देवकिब्विसिया परिवसंति 2 / कहि णं भंते ! तिसागरोवमट्टिइया देवकिबिसिया परिवसंति ?, गोयमा ! उप्पिं सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं हिडिं सणकुमारमाहिदेसु कप्पेसु एत्थ णं तिसागरोवमट्ठिइया देवकिविसिया परिवसंति 3 / कहि णं भंते ! तेरससागरोवमहिइया देवकिबिसिया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! उप्पि बंभलोगस्स कप्पस्स हिडिं लंतए कप्पे एत्थ णं तेरसप्तागरोवमट्ठिया देवकिविसिया देवा परिवसंति 4 / देवकिब्विसिया णं भंते ! केसु कम्मादाणेसु देवकिग्विसियत्ताए उववत्तारो भवंति ?, गोयमा ! जे इमे जीवा थायरियपडिणीया उवझायपडिणीया कुलपडिणीया गणपडिणीया संघपडिणीया पायरियउवझायाणं अयसकरा अवनकरा अकित्तिकरा बहूहि असम्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं च परं च उभयं च बुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा बहूइं वासाइं सामनपरियागं पाउणंति 2 तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवकिपिसिएसु देवकिदिवसियत्ताए उववत्तारो भवंति, तंजहा-तिपलिग्रोवमट्टितीएसु वा तिसागरोवमहितीएसु वा तेरससागरोवमट्टितीएसु वा 5 / देवकिविसियाणं भंते ! तायो देवलोगायो बाउक्खएणं भवरखएणं ठिक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति ?, गोयमा ! जाव चत्तार पंच नेरइयतिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवभवग्गहणाई संसारं अणुपरियट्टित्ता तो पच्छा सिझति बुज्झति जाव अंतं करेंति, अत्थेगइया अणादीयं श्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियट्टांति 6 / जमाली णं भंते ! अणगारे अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहाहारे तुच्छाहारे Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती सत्र में शतक है # 8. 34] [3] अरसजीवी विरसजीवी जाव तुच्छजीवी उवसंतजीवी पसंतजीवी विवित्तजीवी ?, हंता गोयमा ! जमाली णं श्रणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी, 7 / जति णं भंते ! जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी कम्हा णं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरस-सागरोवम-ट्ठितिएसु देवकिबिसिएसु देवेसु देवकिब्विसियत्ताए उववन्ने ?, गोयमा ! जमाली णं अणगारे पायरियपडिणीए उवभायपडिणीए पायरियउवझायाणं श्रयसकारए जाव बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे जाव बहूई वासाइं सामनपरियागं पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई श्रणसणाए छेदेति 2 तस्स ठाणस्स श्रणालोझ्यपडिक्कते कालमासे कालं किचा लंतए कप्पे जाव उबवन्ने 8 ॥सूत्रं 386 // जमाली णं भंते ! देवे तायो देवलोयानो बाउक्खएगां जाव कहिं उववजइ?, गोयमा ! चत्तारिपंच तिरिक्खजोणिय मणुस्स-देवभवग्गहणाई संसारं अणुपरियट्टित्ता तो पच्छा सिज्झिहिति जाव अंतं काहेति / सेवं भंते 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 310 // जमाली-समत्तो // // इति नवमशतके त्रयस्त्रिंशत्तम उद्देशकः // 9-33 // // अथ नवमशतके पुरुषाख्य-चतस्त्रिंशत्तमोहद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी-पुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसं हणइ नोपुरिसं हणइ ?, गोयमा ! पुरिसंपि हणइ नोपुरिसेवि हणति 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुबइ पुरिसंपि हणइ नोपुरिसेवि हणइ ?, गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ एवं खलु अहं एगं पुरिसं हणामि से णं एगं पुरिसं हणमाणे अणेगजीवा हणइ, से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ पुरिसंपि हणइ नोपुरिसेवि हणति 2 / पुरिसे णं भंते ! श्रासं हणमागणे किं श्रासं हणइ नोग्रासेवि हणइ ?, Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 348) श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः गोयमा ! श्रासंपि हणइ नोग्रासेवि हणइ 3 / से केण?णं ? अहो तहेव, एवं हत्यिं सीहं वग्धं जाव चिललगं 4 / पुरिसे णं भंते ! अन्न रं तसपाणं हणमाणे किं अन्नयरं तसपाणं हणइ नोअन्नयरे तसपाणे हणइ ?, गोयमा ! अनयरंपि तसपाणं हणइ नो अन्नयरेवि तसे पाणे हणइ ५।से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ अन्नयरंपि तसं पाणं हणइ नोअन्नयरेवि तसे पाणे हणइ ?, गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ एवं खलु अहं एगं अन्नयरं तसं पाणं हणामि से णं एगं अन्नयरं तसं पाणं हणमाणे अणेगे जीवे हणइ, से तेण?णं. गोयमा ! तं चेव एए सब्वेवि एकगमा 6 / पुरिसे णं भंते ! इसिं हणमाणे कि इसि हणइ नोइसिं हणइ ?, गोयमा ! इसिपि हणइ नोइसिपि हणइ 7 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव नोइसिपि हणइ ?, गोयमा / तस्स णं एवं भवइ एवं खलु अहं एगं इसिं हणामि, से णं एगं इसिं हणमाणे अणंते जीवे हणइ से तेण?णं निक्खेवश्रो 8 / पुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसवेरेणं पुढे नोपुरिसवेरेणं पुढे ?, गोयमा ! नियमा ताव पुरिसवेरेणं पुढे ग्रहवा पुरिसवेरेण य णोपुरिसवेरेण य पुढे अहवा पुरिसवेरेण य नोपुरिसवेरेहि य पुढे, एवं प्रासं एवं जाव चिल्ललगं जाव अहवा चिल्ललगवेरेण य णो चिल्ललगवेरेहि य पुढे 1 / पुरिसे णं भंते ! इसिं हणमाणे किं इसिवेरेणं पुढे नोइसिवरेणं पुढे ?, गोयमा ! नियमा ताव इसिवेरेणं पुढे ग्रहवा इसिवरेण य णोइसिवरेण य पुढे अहवा इसिवरेण य नोइसिवरेहि य पुढे 10 // सूत्रं 311 // पुढविकाइया णं भंते ! पुढविकाय चेव श्राणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ?, हंता गोयमा ! पुढविक्काइए पुढविक्काइयं चेव प्राणमंति वा जाव नीससंति वा 1 / पुढवीकाइए णं भंते ! श्राउकाइयं श्राणमंति वा जाव नीससंति ?, हंता गोयमा ! पुढविकाइए अाउकाइयं प्राणमंति वा जाव नीससंति वा, एवं तेउकाइयं वाउकाइयं एवं वणस्सइकाइयं 2 / श्राउकाइए णं भंते ! पुढवी Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमव्याख्खापनप्ति (श्रीमद्भगवती) एवं शतक 1.1.1] m काइयं श्राणमंति वा पाणमंति वा जाव नीससंति वा ?, एवं चेष 3 / थाउकाइए णं भंते ! अाउकाइयं चेव श्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, एवं चेव, एवं तेउवाऊवणस्सइकाइयं 4 / तेऊकाइए णं भंते ! पुढविक्काइयं आणमंति वा जाव नीससंति वा ?, एवं जाव वणस्सइकाइए णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव पाणमंति वा जाव नीससंति वा तहेव 5 / पुढविकाइए णं भंते ! पुढविकाइयं चेव आणममाणे वा पाणममाणे वा ऊससमाणे वा नीससमाणे वा कइकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए 6 / पुढविकाइए णं भंते ! श्राउकाइयं श्राणममाणे वा जाव नीससमाणे वा कइकिरिए ? एवं चेव एवं जाव वणस्सइकाइयं, एवं पाउकाइएणवि सब्वेवि भाणियव्वा, एवं तेउकाइएणवि, एवं वाउकाइएणवि 7 / वणस्सइकाइए णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव श्राणममाणे वा जाव नीससमाणे वा कइकिरिए ? पुच्छा, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए 8 // सूत्रं 312 // वाउकाइए णं भंते ! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए 1 / एवं कंदं एवं जाव मूलं बीयं पचालेमाणे वा पुच्छा, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति // सूत्रं 363 // नवमं सयं समत्तं // // इति नवमशतके चतुस्त्रिंशत्तम उद्देशकः // 1-34 // // इति नवमं शतकम् // 9 // // अथ दशमशतके दिगाख्य-प्रथमोद्देशकः // दिसि 1 संवुडणगारे 2 श्रायट्ठी 3 सामहत्थि 4 देवि 5 सभा 6 / उत्तर अंतरदीवा 28 दसमंमि सयंमि चोत्तीसा // 1 // रायगिहे जाव एवं Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाळया जीवपसा गन्यमा पगिदियादसा जाव आयाणमा 350 } [ श्रीमदागमसुधासिन्धु : द्वितीयो विभाग वयासी-किमियं भंते ! पाईणत्ति पवुचई ?, गोयमा / जीवा चेव अजीवा चेव 1 / किमियं भंते ! पडीणाति पवुच्चई ?, गोयमा ! एवं चेव एवं दाहिणा एवं उदीणा एवं उड्डा एवं ग्रहोवि 2 / कति णं भंते ! दिसायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! दस दिसायो पराणत्ताओ, तंजहा-पुरच्छिमा 1 पुरच्छिमदाहिणा 2 दाहिणा 3 दाहिणपचत्थिमा 4 पञ्चस्थिमा 5 पञ्चस्थिमुत्तरा 6 उत्तरा 7 उत्तरपुरच्छिमा 8 उड्डा 1 अहो 10, 3 / एयासि णं भंते ! दसराहं दिसाणं कति णामधेजा पराणता ?, गोयमा ! दस नामधेजा पराणत्ता, तंजहा-इंदा 1 अग्गेयी 2 जमा य 3 नेरती 4 वारुणी 5 वायव्वा 6 सोमा 7 ईसाणी य 8 विमला य 1 तमा य 10 बोद्धब्बा 4 / इंदा णं भते / दिसा कि जीवा जीवदेसा जीवपएसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! जीवावि 3 तं चेव जाव अजीवपएसावि 5 / जे जीवा ते नियमा एगिदिया बेइंदिया जाव पंचिंदिया अणिंदिया, जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव अणिंदियदेसा, जे जीवपएसा ते एगिदियपएसा बेइंदियपएसा जाव अणिदियपएसा 6 / जे अजीवा ते दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-रूवी अजीवा य अरूवी अजीवा य, जे ख्वी अजीवा ते चउब्धिहा पन्नत्ता, तंजहा-खंधा 1 खंधदेसा 2 खंधपएसा 3 परमाणुपोग्गला 4, जे अस्वी अजीवा ते सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पएसा नोयधम्मस्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे अधम्मत्थिकायस्स पएसा नोथागासत्थिकाए भागासस्थिकायस्स देसे वागासस्थिकायरस पएसा श्रद्धासमए 7 / अग्गेई णं भंते ! दिसा कि जीवा जीवदेसा जीवपएसा ? पुच्छा, गोयमा ! णो जीवा जीवदेसावि 1 जीवपएसावि 2 अजीवावि 1 अजीवदेसावि 2 अजीवपएसावि 3, 8 / जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा हवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे 1 श्रहवा एगिदियदेसा Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमझगवती) सर / शतक 10 ।-उ०१] [1 य बेइंदियस्स देसा 2 ग्रहवा एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा 3 अहवा एगिदियदेसा तेइंदियस्स देसे एवं चेव तियभंगो भाणियव्वो एवं जाव श्रणिदियाणं तियभंगो 1 / जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा अहवा एगिदियपएसा य बेइंदियस्स पएसा अहवा एगिदियपदेसा य बेइंदियाण य पएसा एवं श्राइलविरहियो जाव अणिंदियाणं 10 / जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-रूविग्रजीवा य अस्वीयजीवा य, जे ख्वी अजीवा ते चउबिहा पन्नत्ता, तंजहा-खंधा जाव परमाणुपोग्गला 4, जे अस्वी अजीवा ते सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-नो धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पएसा एवं अधम्मत्थिकायस्सवि जाव श्रागासत्थिकायस्स पएसा श्रद्धासमए 11 / विदिसासु नस्थि जीवा देसे भंगो य होइ सव्वत्थ 12 / जमा णं भंते ! दिसा किं जीवा ? जहा इंदा तहेव निरवसेसा नेरई य जहा अग्गेयी वारुणी जहा इंदा वायव्वा जहा अग्गेयी सोमा जहा इंदा ईसाणी जहा अग्गेयी, विमलाए जीवा जहा अग्गेयी, अजीवा जहा इंदा, एवं तमाएवि, नवरं अस्वी छविहा श्रद्धासमयो न भन्नति 13 // सूत्रं 314 // कति णं भंते ! सरीरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरा पन्नत्ता, तंजहा-पोरालिए जाव कम्मए 1 / थोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविह पन्नत्ते ?, एवं श्रोगाहणसवाणं निरवसेसं भाणियव्वं जाव अप्पाबहुगंति 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 315 // दसमे सए पढमो उद्देसो समत्तो॥ ॥इति दशमशतके प्रथम उद्देशकः // 10-1 // ' Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमोगः // अथ दशमशतके संवृतानगाराख्य-द्वितीयोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स वीयीपंथे ठिचा पुरयो रुवाई निभायमाणस्स मग्गयो रूवाई अवयक्खमाणस्स पासयो रुवाइं अवलोएमाणस्स उड्डे स्वाइं बोलोएमाणस्स आहे ख्वाइं बालोएमाणस्स तस्स णं भंते / किं ईरियावहिया किरिया कन्जइ संपराइया किरिया कज्जइ ?, गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वीयीपंथे ठिचा जाव तस्स णं णो ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कज्जइ 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुचइ संवडस्स जाव संपराइया किरिया कन्जइ ?, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोभा एवं जहा सत्तमसए पढमोद्दे सए जाव से णं उस्सुत्तमेव रीयति, से तेण?णं जाव संपराइया किरिया कन्जइ 2 / संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा पुरश्रो स्वाइं निभायमाणस्स जाव तस्स णं भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कजइ ?, पुच्छा, गोयमा ! संवुडस्स जाव तस्स णं ईरियावहिया किरिया कज्जइ नो संपराइया किरिया कजइ 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहा सत्तमे सए पढमोहे सए जाव से णं अहासुत्तमेव रीयति से तेणढेणं जाव नो संपराइया किरिया कन्जइ // सूत्रं 316 // कइविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जोणी परणत्ता, तंजहा-सीया उसिणा सीतोसिणा, एवं जोणीपयं निरवसेसं भाणियव्वं // सूत्रं 317 // कतिविहा णं भंते ! वेयणा पन्नता ?, गोयमा ! तिविहा वेयणा पत्नत्ता, तंजहा-सीया उसिणा सीयोसिणा, एवं वेयणापयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव नेरइयाणं भंते ! किं दुक्खं वेदणं वेदेति सुहं वेयणं वेयंति अदुक्खमसुहं वेयणं वेयंति ?, गोयमा ! दुक्खंपि वेयणं वेयंति सुहंपि वेयणं वेयंति अदुक्खममुहंपि वेयणं वेयंति // सूत्रं 318 // मासियगणं भंते ! भिक्खुपडिमं पडियन्नस्स अणगारस्स निच्चं वोस? काये चियत्ते देहे, एवं Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 10 : उ०३ ] [ 353 मासिया भिक्खुपडिमा निरवसेसा भाणियव्वा [जहा दसाहिं ] जाव धाराहिया भवइ / / सूत्रं 311 // भिक्खू य अन्नयरं अकिञ्चट्टाणं पडिसे-" , वित्ता से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय-पडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स थाराहणा, से णं तस्स ठाणस्स बालोइयपडिक्कते कालं करेइ अस्थि तस्स थाराहणा 1 / भिक्खू य अन्नयरं अकिचट्ठाणं पडिसेवित्ता(ज) तस्स णं एवं भवइ पच्छावि णं अहं चरमकालसमयंसि एयस्स ठाणस्स पालोएस्सामि जाव पडिवजिस्सामि, से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते जाव नत्थि तस्स बाराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्कते कालं करेइ अत्थि तस्स राहणा 2 / भिक्खू य अन्नयरं अकिचट्ठाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवइ-जइ ताव समणोवासगावि कालमासे कालं किचा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति किमंग पुण अहं अन्नपनियदेवत्तणंपि नो लभिस्सामित्तिकटटु से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स धाराहणा, से णं तस्स ठाणस्स बालोइयपडिक्कते कालं करेइ अस्थि तस्स बाराहणा 3 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 4 // सूत्रं 400 // - इति दशमशतके द्वितीय उद्देशकः // 10-2 // // अथ दशमशतके आत्माख्य-तृतीयोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-प्राइड्डीए णं भंते ! देवे जाव चत्तारि पंच देवावासंतराइं वीतिकंते तेण परं परिडीए ?, हंता गोयमा ! आइडीए णं तं चेव, एवं असुरकुमारेवि, नवरं असुरकुमारावासंतराइं सेसं तं चेव, एवं एएणं कमेणं जाव थणियकुमारे, एवं वाणमंतरे जोइसवेमाणिय जाव तेण परं परिडीए 1 / अप्पडिए णं भंते ! देवे से महडियस्स देवस्स मझमज्झणं वीइवइजा ?, णो तिण? समढे 2 / समिडीए णं भंते ! देवे Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 354 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीपो विभागः समड्डियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएजा :, णो तिगा? सम8, पमत्तं पुण वीइवएजा 3 / से णं भंते ! किं विमोहित्ता पभू अविमोहित्ता पभू ?, गोयमा ! विमोहेत्ता पभू नो अविमोहेत्ता पभू 4 / से भंते ! कि पुवि विमोहेत्ता पच्छा वीइवएजा पुब्बि वीइवएत्ता पच्छा विमोहेजा ?, गोयमा ! पुरि विमोहेत्ता पच्छा वीइवएजा णो पुब्बिं वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा 5 / महिड्डीए णं भंते ! देवे अप्पड्डियस्स देवस्स मज्भमज्झेणं वीइवएज्जा ?, हंता वीइवएजा 6 / से णं भंते ! किं विमोहित्ता पभू अविमोहेत्ता पभू ?, गोयमा! विमोहेत्तावि पभू अविमोहेत्तावि पभू 7 / से भंते ! किं पुब्बिं विमोहेत्ता पच्छा वीइवइजा पुब्बिं वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा ?, गोयमा ! पुवि वा विमोहेत्ता पच्छा वीइवएजा पुब्बि वा वीइवएत्ता पच्छा विमोहेजा = | अप्पिड्डिए णं भंते ! असुरकुमारे महड्डीयस्स असुरकुमारस्स मझमज्मेणं वीइवएजा ?, णो इण? सम8, एवं असुरकुमारेवि तिन्नि श्रालावगा भाणियव्वा जहा श्रोहिएणं देवेणं भणिया, एवं जाव थणियकुमाराणं, वाणमंतरजोइसियवेमाणिएणं एवं चेव 1 / अप्पडिए णं भंते ! देवे महिड्डियाए देवीए मझमझेणं वीइवएजा ? णो इण? सम? 10 / समड्डिए णं भंते ! देवे समिडीयाए देवीए मझमझेणं वीइवइज्जा ? एवं तहेव देवेण य देवीण य दंडयो भाणियम्बो जाव वेमाणियाए 11 / अप्पडिया णं भंते ! देवी महड्डीयस्स देवस्स मझमझेणं एवं एसोवि तइयो दंडो भाणियब्बो जाव महड्डिया वेमाणिणी अप्पडियस्स वेमाणियस्स मज्झमज्झणं वीइवएजा ?, हंता वीइवएजा 12 / अप्पड्डिया णं भंते ! देवी महिड्डियाए देवीए मझमज्झेणं वीइवएजा ?, णो इण? समठे, एवं समडिया देवी समड्डियाए देवीए, तहेव, महड्डियावि देवी अप्पड्डियाए देवीए तहेव, एवं एक्केक्के तिन्नि 2 पालावगा भाणियव्वा जाव महड्डिया णं भंते ! वेमाणिणी अप्पडियाए वेमाणिणीए मझमझेणं Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) एवं शतकं 10 उ०४] [31 वीइवएज्जा ?, हंना वीइवएजा 13 / सा भंते ! किं विमोहित्ता पभू तहेव जाव पुब्बिं वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा एए चत्तारि दंडगा 14 // सू० 401 // वासस्स णं भंते ! धावमाणस्स. किं खुखुत्ति करेति ?, गोयमा ! श्रासस्स णं धावमाणस्स हिदयस्स य जगयम्स य अंतरा एत्थ णं कब्बडए नामं वाए संमुच्छइ जेणं श्रासस्स धावमाणस्स खुखुत्ति करेइ // सू० 402 // अह भंते ! श्रासइस्सामो सइस्लामो चिट्ठिस्सामो निसिइस्सामो तुयट्टिस्सामो, श्रामंतणि श्राणवणी जायणि तह पुच्छणी य पराणवणी। पञ्चक्खाणी भासा भासा इच्छाणुलोमा य // 1 // श्रणभिग्गहिया भासा भासा य अभिग्गहमि बोद्धया। संसयकरणी भासा वोयडमधोयडा चेव // 2 // पन्नवणी णं एसा न एसा भासा मोसा ?, हता गोयमा ! श्रासइस्सामो तं चेव जाव न एसा भासा मोसा। सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति // सूत्रं 403 // दसमे सए तईश्रो उद्देसो // // इति दशमशतके तृतीय उद्देशकः / / 10-3 // // अथ दशमशतके श्यामहस्तिनामक-चतुर्थोद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नाम नयरे होत्था वन्नो, दूतिपलासए चेइए, सामी समोसढे, जाव परिसा पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे जाव उड्डजाणू जाव विहरइ 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो मेहावीरस्स अंतेवासी सामहत्थी नाम श्रणगारे पयइभदए जहा रोहे जाव उहजाणू जाव विहरइ 3 / तए णं ते सामहत्थी अणगारे जायसड्ढे जाव उटाए उ?त्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता भगवं गोयमं तिक्खुत्तो जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-त्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुर Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमागा कुमारस्स तायत्तीसगा देवा ?, हंता अस्थि 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमारस्स तायचीसगा देवा तायत्तीसगा देवा ?, एवं खलु सामहत्थी ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे कायंदी नाम नयरी होत्था वन्नो, तत्थ णं कायंदीए नयरीए तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा परिवसइ अड्डा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुराणपावा विहरति जाव तए णं ते तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया पुदि उग्गा उग्गविहारी संविग्गा संविग्गविहारी भवित्ता तो पच्छा पासस्था पासस्थविहारी श्रोसन्ना श्रोसन्नविहारी कुसीला कुसोलविहारी अहाछंदा अहाछंदविहारी बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणंति 2 अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूति अत्ताणं भूसेत्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेति 2 तस्स गणस्स प्रणालोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किचा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, जप्पभिई च णं भंते ! कायंदगा तायत्तींसं सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसदेवत्ताए उववन्ना तप्पभिई च णं भंते ! एवं वुच्चइ चमरस्स असुरिंदस्स यसुरकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा 5 / तए णं भगवं गोयमे सामहत्थिणा अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिएं उठाए उढेइ उट्ठाए उर्दुत्ता सामहत्थिणा अणगारेणं सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररराणों तायत्तीसगा देवा तायत्तीसगा देवा ?, हंता अस्थि, से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ ?, एवं तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव तप्पभिई च णं एवं वुच्चइ चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमारस्नो तायत्तीसगा देवा २१,-णो इण? सम8,गोयमा ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्ती Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं शतकं 10:: उ० 4 ) सगाणं देवाणं सासए नामधेज्जे पराणत्ते, जं न कयाइ नासी.न कदावि न भवति ण कयाई ण भविस्सई जाव निच्चे श्रवोच्छित्तिनयट्टयाए भन्ने चयंति अन्ने उववज्जति 6 / अत्थि णं भंते ! बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरत्रो तायत्तीसगा देवा तायत्तीसगा देवा 2 ?, हंता अस्थि 7 / से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ बलिस्स वइरोयणिदस्स जाव तायत्तीसगा देवा 2 ?, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समेएणं इहेब जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे बिभेले णामं संनिवेसे होत्था वनयो, तत्थ णं विभेले संनिवेसे जहा चमरस्स जाव उववन्ना, जप्पभिई च णं भंते ! ते बिभेलगा तायत्तीसं सहाया गाहावइसमणोवासगा बलिस्स वइरोयर्णिदस्स, सेसं तं चेव जाव निच्चे अब्बोच्छित्तिणयट्ठयाए अन्ने चयंति अन्ने उववज्जति 8 / अत्थि णं भंते ! धरणस्स णागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा तायत्तीसगा देवा ?, हंता अस्थि 1 / से केण?णं जाव तायत्तीसगा देवा . 2 , गोयमा ! धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो तायत्तीसगाणं. देवाणं सासए नामधेज्जे पनत्ते जं न कयाइ नासी जाव अन्ने चयंति अन्ने उववज्जति, एवं भूयाणंदस्सवि एवं जाव महाघोसम्स 10 / अस्थि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, हंता अस्थि से केण?णं जाव तायत्तीसगा देवा 21, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पालासए नामं संनिवेसे होत्था वन्नो, तत्थ. णं पालासए सनिवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया जहा चमरस्स जाव विहरंति, तए णं तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा पुविपि पच्छावि उग्गा उग्गविहारी संविग्गा संविग्गविहारी बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अताणं झूसेइ झसित्ता सढि भत्ताई अणसणाए छेदेति 2 पालोइयपडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे काले किचा Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 358] श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितायो विभागः जाव उबवन्ना, जप्पभिई च णं भंते ! पालासिगा तायत्तीससहाया गाहावई समणोवासगा सेसं जहा चमरस्स जाव उववज्जति 11 / अस्थि णं भंते ! ईसाणस्स एवं जहा सकस्स नवरं चपाए नयरीए जाव उववन्ना, जप्पभिई च णं भंते ! चंपिजा तायत्तीसं सहाया, सेसं तं चेव जाव अन्ने उववज्जति 12 / अस्थि णं भंते ! सणंकुमारस्स देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, हंता अत्थि, से केण?णं जहा धरणस्स तहेव एवं जाव पाणयस्स एवं अच्चुयस्स जाव अन्ने उववज्जति 13 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 14 // सूत्रं 404 // दसमस्स चउत्थो॥ ॥इति दशमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 10-4 // // अथ दशमशतके देवीनामक-पञ्चमोद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे गुणसिलए चेइए जाव परिसा पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स बहवे अंतेवासी थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जहा अट्ठमे सए सत्तमुद्दे सए जाव विहरंति 2 / तए णं ते थेरा भगवंतो जायसड्डा जाय संसया जहा गोयमसामी जाव पज्जुवासमाणा एवं वयासी-चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररनो कति अग्गमहिसीओ पत्नत्तायो ?, जो ! पंच अग्गमहिसीओ पन्नत्तायो, तंजहा-काली रायी रयणी विज्जु मेहा, तत्य णं एगमेगाए देवीए अट्ठ देवीसहस्सा परिवारो पन्नत्तो 3 / पभू णं भंते ! तायो एगमेगा देवी अन्नाइं अट्ठदेवीसहस्साइं परिवारं विउवित्तए ?, एवामेव सपुधावरेणं चत्तालीसं देवीसहस्सा, से तं तुडिए 4 / पभू णं भंते ! चमरे असुरिदे असुरकुमारराया त्रमरचंचाए रायहाणीए सभाए चमरंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ?, णो तिण? समढे 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ नो पभू चमरे असुरिंदे चमरचंचाए Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्र शतक 10 उ०६) [ 356 रायहाणीए जाव विहरित्तए ?, अजो चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए माणवए चेइयखंभे वइरामएसु गोलबट्टसमुग्गएसु बहूश्रो जिणसकहाश्रो संनिक्खित्तायो चिट्ठति, जात्रो णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररनो अन्नेसिं च बहूणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य अञ्चणिजायो वंदणिजाश्रो नमंसणिज्जायो पूयणिजायो सकारणिजायो सम्माणणिजात्रो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिजात्रो भवंति तेसि पणिहाए नो पभू, से तेणढणं अजो! एवं वुच्चइ-नो पभू चमरे असुरिंदे जाव राया चमरचंचाए जाव विहरित्तए 6 / पभू णं अजो ! चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचाए रायहाणीए सभासुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं तायत्तीसाए जाव अन्नेहिं च बहुर्हि असुरकुमारेहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे महयाहय जाव भुजमाणे विहरित्तए० केवलं परियारिडीए नो चेव णं मेहुणवत्तियं 7 // सूत्रं 405 // चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सोमस्स महारनो कति अग्गमहिसीश्रो पन्नत्तायो ?, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्ताओ, तंजहा-कणगा कणगलया चित्तगुत्ता वसुंधरा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगंसि देविसहस्सं परिवारो पन्नत्तो, पभू णं तायो एगमेगाए देवीए अन्नं एगमेगं देवीसहस्सं परियारं विउवित्तए, एवामेव सपुधावरेणं चत्तारि देविसहस्सा, सेत्तं तुडिए 1 / पभू णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सोमे महाराया सोमाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि तुडिएणं अवसेसं जहा चमरस्स, नवरं परियारो जहा सूरियाभस्स, सेसं तं चेव, जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं 2 / चमरस्स णं भंते ! जाव रनो जमस्स महारनो कति अग्गमहिसीओ.?, एवं चेव नवरं जमाए रायहाणीए सेसं जहा सोमस्स एवं वरुणस्सवि, नवरं वरुणाए रायहाणीए, एवं वेसमणस्सवि Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36..] श्रीमागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो पिभागः नवरं वेसमणाए- रायहाणीए सेसं तं चेव जाव मेहुणवत्तियं 3 / बलिस्स णं भंते ! वइरोयणिंदस्स पुच्छा, अजो ! पंच अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो, तंजहा-सुभा निसुभा रंभा निरंभा मदणा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ठ सेसं जहा चमरस्स, नवरं बलिचंचाए रायहाणीए परियारो जहा मोउद्दे सए, सेसं तं चेव, जाव मेहुणवत्तियं 4 / बलिस्स णं भंते / वइरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो सोमस्स महारनो कति अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो ?, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्ताओं, तंजहा-मीणगा सुभदा विजया असणी, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसं जहा चमरसोमस्स, एवं जाव वेसमणस्स 5 / धरणस्स णं भंते ! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो कति अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो ?, अजो ! छ अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो, तंजहा-इला सुका सदारा सोदामणी इंदा घणविज्जुया, तत्थ णं एगमेगाए देवीए छ छ देविसहस्सा परिवारो पनत्तो 6 / पभू णं भंते ! तायो एगमेगाए देवीए अन्नाई छ छ देविसहस्साइं परियारं विउव्वित्तए एवामेव सपुत्वावरेणं छत्तीसं देविसहस्साई, सेत्तं तुडिए 7 / पभू णं भंते ! धरणे सेसं तं चेव, नवरं धरणाए रायहाणीए धरणंसि सीहासणंसि सो परियाथो सेसं तं चेव 8 | धरणस्स णं भंते ! नागकुमारिंदस्स कालवालस्स लोगपालस्स महारनो कति अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो ?, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो, तंजहा-असोंगा विमला सुप्पभा सुदंसणा, तत्थ णं एगमेगाए अवसेसं जहा चमरस्स लोगपालाणं, एवं सेसाणं तिराहवि 1 / भूयाणंदस्स णं भंते ! पुच्छा, अजो! छ अग्गमहिस्सीयो, पन्नत्तायो, तंजहा-ख्या रुयंसा सुख्या रुयगावति रुयकता स्यप्पभा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए श्रवसेसं जहा धरणस्स 10 / भूयाणंदस्स णं भंते ! नागचित्तस्स (कुमार. स्स) पुच्छा, अजों ! चत्तारि श्रग्गमहिसीयो पराणत्तात्रो, तंजहा-सुणंदा सुभदा सुजाया सुमणा, तत्य णं एगमेगाए देवीए अवसेसं जहा चमरलोग Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती सूत्र : शतकं 10 : उ० 5 ] [36 पालाणं एवं सेमाणं तिराहवि लोगपालाणं, जे दाहिणिलागिंदा तेसिं जहा धरणिंदस्स, लोगालाणंपि तेसिं जहा धरणस्स लोगपालाणं, उत्तरिल्लाणं इंदाणं जहा भूयाणंदस्स, लोगपालाणवि तेसिं जहा भूयाणंदस्स लोगपालाणं, नवरं दाणं सव्वेसिं रायहाणीयो सीहासणाणि य सरिसणामगाणि परियारो जहा तइयसए पढमे उद्देसए, लोगपालाणं सव्वेसिं रायहाणियो सीहासणाणि य सरिसनामगाणि परियारो जहा चमरस्स लोगपालाणं कालस्स 11 / कालस्स णं भंते ! पिसायिंदस्स पिसायरन्नो कति अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो ?, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीश्रो पन्नत्ताश्रो, तंजहा-कमला कमलप्पभा उप्पला सुदंसणा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देविसहस्सं सेसं जहा चमरलोगपालाणं, परियारो तहेव, नवरं कालाए रायहाणीए कालंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव, एवं महाकालस्सवि 12 / सुरुवस्स णं भंते ! भूइंदस्स रन्नो पुछा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो, तंजहा-रूववती बहुरूवा सुरूवा सुभगा, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा कालस्स, एवं पडिरूवस्सवि 13 / पुन्नभदस्स णं भंते ! जक्खिदस्स पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीयो पनत्तात्रो, तंजहापुन्ना बहुपुत्तिया उत्तमा तारया, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा कालस्स, एवं माणिभहस्सवि 14 / भीमस्स णं भंते ! रक्खसिंदस्स पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीयो पत्नत्तायो, तंजहा-पउमा पउमावती कणगा रयणप्पभा, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा कालस्स, एवं महाभीमस्सवि 15 / किन्न स णं भंते ! पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो, तंजहा-वडेंसा केतुमती रतिसेणा रइप्पिया, तत्थ णं सेसं तं चेव, एवं किंपुरिसस्सवि 16 / सप्पुरिसस्स णं पुच्छा, अजो! चत्तारि श्रग्गमहिसीश्रो पन्नत्तानो, तंजहारोहिणी नवमिया हिरी पुप्फवती, तत्थ णं एगमेगाए, सेसं तं चेव, एवं महापुरिसस्सवि 17 / अतिकायस्स णं पुच्छा, अजो / चत्तारि अग्गमहिसी Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 362] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धु द्वितीयो विभागः पन्नत्ता, तंजहा-भुयंगा भुयंगवती महाकच्छा फुडा, तत्थ णं एगमेगाए, सेसं तं चेव, एवं महाकायस्सवि 18 / गीयरइस्स णं भंते ! पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्सई, तत्थ णं एगमेगाए, सेसं तं चेव, एवं गीयजसस्सवि, सव्वेसि एएसिं जहा कालस्स, नवरं सरिसनामियाश्रो रायहाणीयो सीहासणाणि य, सेसं तं चेव 11 / चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरनो पुच्छा, अजो चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-चंदप्पभा दोसिणाभा अचिमाली पमंकरा, एवं जहा जीवाभिगमे जोइसिय उद्देसए तहेव, सूरस्सवि सूरपामा श्रायवाभा अचिमालीपभंकरा, सेसंत चेव,जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं 20 / इंगालस्स णं भंते ! महग्गहस्स कति अग्गमहिसी ? पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसं तं चेव जहा चंदस्स, नवरं इंगालवडेंसए विमाणे इंगालगंसि सीहासणंसि सेतं तं चेव, एवं जाव वियालगस्सवि, एवं अट्टासीतोएवि महागहाणं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स, नवरं वडेंसगा सीहासणांणि य सरिसनामगाणि, सेसं तं चेव 21 / सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, अजो ! श्रट्ठ अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-पउमा सिवा सेया अंजू अमला अच्छरा नवमिया रोहिणी, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सोलस सोलस देविसहस्सा परिवारो पन्नत्तो, पभू णं ताश्रो एगमेगा देवी अन्नाई सोलस देविसहस्सपरियारं विउवित्तए, एवामेव सपुवावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देविसयसहस्सं परियारं विउवित्तए, सेत्तं तुडिए 22 / पभू ण भंते ! सक्के देविंद देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं सेसं जहा चमरस्स, नवरं परियारो जहा मोउद्देसए 23 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारत्नो कति अग्गमहिसीनो ?, पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गहिसी पन्नत्ता, तंजहा Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 10 उ०६] [363 रोहिणी मदणा चित्ता सोमा, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा चमरलोगपालाणं, नवरं सयंपभे विमाणे सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासांसि, सेसं तं चेव, एवं जाव वेसमणस्स, नवरं विमाणाई जहा तइयसर 23 / ईसाणस्स णं भंते ! पुच्छा, अजो ! अट्ठ अग्गमहिसी पनत्ता, तजहा-कराहा कराहराई रामा रामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा, तत्थ णं एगमेगाए, सेसं जहा सक्कस्स 24 / ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स सोमस्स महारराणो कति अग्गमहिसीथो ?, पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहापुढवी रायी रयणी विज्जू, तत्थ णं एगमेगाए, सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाणं, एवं जाव वरुणस्स नवरं विमाणा जहा चउत्थसए, सेसं ते चेव, जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं 25 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ // सूत्रं 406 // ॥इति दशमशतके पश्चम उद्देशकः // 10-6 // // अथ दशमशतके सुधर्मसभाख्य-षष्ठोद्देशकः // . कहि णं भंते / सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सभा सुहम्मा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पंच वडेंसगा पन्नत्ता, तंजहा-असोगवडेंसए जाव मज्झे सोहम्मवडेंसए, से णं सोहम्मवडेंसए महाविमाणे श्रद्धतेरम य जोयणसयसहस्साई पायामविखंभेणं,-एवं जह सूरियाभे तहेव माणं तहेव उववायो। सकस्स य अभिसेश्रो तहेव जह सूरियाभस्स॥१॥अलंकारप्रचणिया तहेव जाव आयरक्खत्ति, दो सागरोवमाई ठिती 1 / सक्के णं भंते ! देविंदे देवराया केमहिड्डीए जाव केमहसोक्खे ?, गोयमा ! महिड्डीए जाव महसोक्खे, से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साणं जाव विहरति, Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 354 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः / एवंमहडिए जाव महासोक्खे सक्के देविंदे देवराया 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 407 // // इति दशमशतके षष्ठ उद्देशकः // 10-6 // // अथ दशमशतके उत्तरान्तद्वीपाख्य - सप्तमतश्चतुस्विंशतमोद्दशकाः // कहिन्न भंते ! उत्तरिल्लाणं एगोरुयमणुस्साणं एगोरुयदीवे नामं दीवे पन्नत्ते ?, एवं जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव सुद्धदंतदीवोत्ति, एए अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा / सेवं भंते ! सेवं भंतेचि जाव विहरति // सूत्रं 408 // दसमं सयं समत्तं // // इति दशमशतके सप्तमतश्चतुस्त्रिंशत्तमा उद्देशकाः // 10-7 / 34 // // इति दशमं शतकम् // 10 // // अथ एकादशमशतके उत्पलाख्य-प्रथमोद्देशकः // उप्पल 1 सालु 2 पलासे 3 कुंभी 4 नाली य 5 पउम 6 कन्नी 7 य / नलिण 8 सिव 1 लोग 10 काला 11 लंभिय 12 दस दो य एक्कारे // 1 // उववाश्रो 1 परिमाणं 2 अवहारु 3 चत्त 4 बंध 5 वेदे 6 य / उदए 7 उदीरणाए 8 लेसा 1 दिट्ठी 10 य नाणे 11 य // 1 // जोगु 12 वयोगे 13 वन्न 14 रसमाई 15 ऊसासगे 16 य ाहारे 17 / विरई 18 किरिया 11 बंधे 20 सन्न 21 कसायि 22 त्थि 23 बंधे 24 य॥ 2 // सन्निं २५.दिय 26 अणुबंधे 27 संवेहा 28 हार 21 दिइ 30 समुग्घाए 31 / त्रयणं 32 मूलादीसु य उबवायो 33 सव्वजीवाणं // 3 // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र में शतक 11 : उ० 1] [365 जाव पज्जुबासमाणे एवं वयासी-उप्पले णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे प्रणेगजीवे ?, गोयमा ! एगजीवे नो अणेगजीवे, तेण परं जे अन्ने जीवा उअवज्जति ते णं णो एगजीवा अणगेजीवा 1 / ते णं भंते ! जीवा करोहितो उववज्जंति ? किं नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? मणुस्सेहितो. उववज्जंति ? देवेहितो उववज्जति ?,गोयमा ! नो नेरतिएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितोवि उववज्जति मणुस्सेहितोवि उववज्जंति देवेहितोवि उववज्जंति, एवं उववायो भाणियब्वो, जहा वकंतीए वणस्सइकाइयाणं जाव ईसाणेति 2 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति 3 / ते णं भंते ! जीवा समए 2 श्रवहीरमाणा 2 केवतिकालेणं अवहीरंति ?, गोयमा ! ते णं असंखेजा समए 2 अवहीरमाणा 2 असंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति नो चेव णं अवहिया सिया 4 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं 5 / ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं बंधगा प्रबंधगा ?, गोयमा ! नो अबंधगा बंधए वा बंधगा वा एवं जाव अंतराइयस्स 6 / नवरं श्राउयस्स पुच्छा, गोयमा ! बंधए वा प्रबंधए वा बंधगा वा प्रबंधगा वा हवा बंधए य प्रबंधए य श्रहवा बंधए य प्रबंधगा य श्रहवा बंधगा य प्रबंधए य श्रहवा बंधगा य अबंधगा य = एते अट्ठ भंगा 7 / ते णं भंते ! जीवा गाणावरणिजस्स कम्मस्स किं वेदगा अवेदगा ?, गोयमा ! नो श्रवेदगा वेदए वा वेदगा वा एवं जाव अंतराइयस्स 8 / ते णं भंते ! जीवा किं सायावेयगा असायावेयगा ?, गोयमा ! सायावेदए वा असायावेयए वा अट्ठ भंगा 1 / ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदाममसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः किं उदई अणुदई ?, गोयमा ! नो अणुदई उदई वा उदइणो वा, एवं जाव अंतराइयस्स 10 / ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स. कम्मस्स किं उदीरगा अणुदीरगा ?, गोयमा ! नो अणुदीरगा उदीरए वा उदीरगा वा, एवं जाव अंतराइयस्स, नवरं वेयणिजाउएसु अट्ठ भंगा 11 / ते णं भंते ! जीवा किं कराहलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेसा ?, गोयमा ! कराहलेसे वा जाव तेउलेसे वा कराहलेस्सा वा नीललेस्सा वा काउलेस्सा वा तेउलेसा वा अहवा कराहलेसे य नीललेस्से य, एवं एए दुयासंजोगतियायंजोग-चउकसंजोगेणं असीतो भंगा भवंति 12. / ते णं भंते ! जीवा किं सम्मट्ठिी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, गोयमा ! नो सम्मदिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी मिच्छादिट्ठी वा मिच्छादिट्ठिणो वा 13 / ते णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नो नाणी अराणाणीवा अन्नाणिणो वा 14 / ते णं भंते ! जीवा किं मणजोगी वयजोगी कायजोगी ?, गोयमा ! नो मणजोगी णो वयजोगी कायजोगी वा कायजोगिणो वा 15 / ते णं भंते ! जीवा किं सागरोवउत्ता अणागारोवउत्ता. ?, गोयमा ! सागरोवउत्ते वा अणागारोवउत्ते वा अट्ठ भंगा 16 / तेसि. णं भंते ! जीवाणं सरीरगा कतिवन्ना कतिगंधा कतिरसा कतिफासा. पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा अट्ठफासा पनत्ता, ते पुण अप्पणा श्रवन्ना अगंधा अरसा अफासा पत्नत्ता 17 / ते णं भंते ! जीवा कि उस्सासा निस्सासा नो उस्सासनिसासा ?, गोयमा ! उस्सासए वा 1. निस्सासए वा 2 नो उस्सासनिस्सासए वा 3 उस्सासगा वा 4 निस्सासगा वा 5 नो उस्सासनीसासगा वा 6, अहवा उस्सासए य निस्सासए य 4 अहवा उस्सासए य नो उस्सासनिस्सासए य श्रवा निस्सासए य नो उस्सासनीसासए.य 4, श्रहवा ऊसासए य नीसासए य नो उस्सासनिस्सासए य, अट्ट भंगा एए छब्बीसं भंगा भवंति 26, 18 | ते णं भंते ! जीवा किं श्राहारगा Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) एवं शतकं 11 // उ० 1] [367 श्रणाहारगा ?, गोयमा ! नो श्रणाहारगा श्राहारए वा श्रणाहारए वा एवं अट्ठ भंगा 11 / ते णं भंते ! जीवा किं विरता अविरता विरताविरता ?, गोयमा! नो विरता नो विरयाविरया अविरए वा अविरया वा 20 / ते णं भंते ! जीवा किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! नो अकिरिया सकिरिए वा सकिरिया वा 21 ते णं भंते ! जीवा कि सत्तविहबंधगा अट्टविहबंधगा ?, गोयमा / सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा अट्ट भंगा 22 / ते णं भंते ! जीवा कि श्राहारसन्नोवउत्ता भयसन्नोवउत्ता मेहुणसन्नोवउत्ता परिग्गहसन्नोवउत्ता?, गोयमा ! श्राहारसन्नोवउत्ता वा असीती भंगा 23 / ते णं भंते ! जीवा किं कोहकसाई माणकसाई मायाकसाई लोभकसाई ?, असीती भंगा 24 / ते णं भंते ! जीवा किं इत्थीवेदगा पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगा?, गोयमा ! नो इत्थिवेदगा नो पुरिसवेदगा नपुंसगवेदए वा नपुंसगवेदगा वा 25 / ते णं भंते ! जीवा किं इत्थीवेदवंधगा पुरिसवेदबंधगा नसगवेदबंधगा?, गोयमा ! इस्थिवेदबंधए वा पुरिसवेदबंधए वा नपुसगवेयबंधए वा, छव्वीसं भंगा 26 / ते णं भंते ! जीवा किं सन्नी श्रसन्नी ?, गोयमा ! नो सन्नी श्रसन्नी वा असन्निणो वा 27 / ते णं भंते ! जीवा किं सइंदिया अणिदिया ?, गोयमा ! नो अणिंदिया सइंदिए वा सइंदिया वा 28 / से णं भंते ! उप्पलजीवेति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं असंखेज्जं कालं 21 / से णं भंते ! उप्पलजीवे पुढविजीवे पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतियं कालं सेवेजा ?, केवतियं कालं गतिरागति करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उकोसेणं असंखेजाई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं, एवतियं कालं सेवेजा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा 30 / से णं भंते ! उप्पलजीवे श्राउजीवे सर्व चेव एवं जहा पुढविजीवे Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268) [ श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः भणिऐ तहा जाव वाउजीवे भाणियव्वे 31 / से णं भंते! उप्पलजीवे से वणस्सइ. जीवे से पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवइयं काल सेवेज्जा केवतियं कालं गतिरागति कन्जइ ?, गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अणंताई भवग्गहणाई, कालाएसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं अयंतं कालं तरकालं एवइयं कालं सेवेजा एवइयं कालं गतिरागतिं कन्जड़ 32 / से णं भंते ! उप्पलजीवे बेइंदियजीवे पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवइयं कालं सेवेजा केवइयं कालं गतिरागतिं कन्जइ ?, गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उकोसेणं संखेजाई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं संखेज्जं कालं एवतियं कालं सेवेजा एवतियं कालं गतिरागति कन्जइ, एवं तेइंदियजीवे, एवं चउरिदियजीवेवि 33 / से णं भंते ! उप्पलजीवे पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियजीवे पुणरवि उप्पलजोवेत्ति पुच्छा, गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ताई उक्कोसेणं पुव्वकोडिपुहुत्ताई एवतियं कालं सवेज्जा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा, एवं मणुस्सेणवि समं जाव एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा 34 / ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा ! दव्वयो अणंतपएसियाई दव्वाई एवं जहा याहारुद्देसरा वणस्सइकाइयाणं ग्राहारो तहेव जाव सव्वप्पणयाए आहारमाहारेंति नवरं नियमा छदिसि सेसं तं चेव 35 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केवइयं कालं ठिई पगणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं दस वाससहस्साई 36 / तेसि गं भंते ! जीवाणं कति समुग्घाया पराणत्ता ?, गोयमा / तो समुग्घाया पराणना, तंजहा-वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए 37 / ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्घाएणं किं समोहया मरंति असमोहया मरंति ?, गोयमा ! समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति 38 | ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उव्वट्टित्ता Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूई शतक 11 उ० 2.3 3 ( 169 कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति किं नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति एवं जहा वक्कंतीए उव्वट्टणाए वणस्सइकाइयाणं तहा भाणियव्वं 31 / श्रह भंते ! सव्वपाणा सव्वभूया सव्वजीवा सव्वसत्ता उप्पलमूलत्ताए उप्पलकंदत्ताए उप्पलनालताए उप्पलपत्तत्ताए उप्पलकेसरत्ताए उप्पलकन्नियत्ताए उप्पलथिभुगत्ताए उववनपुव्वा ?, हंता गोयमा ! असति अदुवा श्रणतक्खुत्तो 40 / सेवं भंते ! सेवं भंते ति जाव विरहति 41 // सू०४०१ // उप्पलुद्दे सए // _ इति एकादशमशतके प्रथम उद्देशकः // 11-1 // // अथ एकादशमशतके शालूकाख्य-द्वितीयोद्देशकः // सालुए णं भंते ! एगपत्तए किं एगजीवे अणेगजीवे ?. गोयमा ! एगजीवे एवं उप्पलुहे सग-वत्तव्वया अपरिसेसा . भाणियन्वा जाव अणंतखुत्तो, नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं धणुपुहुत्तं, सेसं तं चेव / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति / सूत्रं 410 // 11-2 // // अथ एकादशमशतके पलाशाख्य-तृतीयोदशकः // : पलासे णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ?, एवं उप्पलुद्दे सगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियब्या, नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं गाउयपुहुत्ता, देवाएएसु चेव न उववज्जंति 1 / लेसासु ते णं भंते ! जीवा किं कराहलेसे नीललेसे काउलेसे ?, गोयमा / कराहलेस्से वा नीललेस्से वा काउलेस्से वापछव्वीसं भंगा, सेसं तं चेव 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 3 ॥सूत्रं 411 // 11-3 // Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः . // अथ एकादशमशतके कुम्भिनामक-चतुर्थोद्देशकः // कुंभिए णं भंते जीवे एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ?, एवं जहा पलासुद्दे सए तहा भाणियव्वे, नवरं ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वासपुहत्तं, सेसं तं चेव / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति // सूत्रं 412 // 11-4 // // अथ एकादशमशतके नालिकाख्य-पञ्चमोशद्देशकः // __नालिए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ?, एवं कुभिउद्दसगवत्तव्वया निरवसेसं भाणियवा। सेवं भंते ! सेवं भंते त्ति जाव विहरति // सूत्रं 413 // 11-5 // // अथ एकादशमशतके पद्माख्य-षष्ठोद्देशकः // पउमे णं भंते / एगपत्तए किं एगजीवे अणेगजीवे ?, एवं उप्पलुद्दे सगवत्तव्बया निरवसेसा भाणियव्वा / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरति // सूत्रं 414 // 11-6 // // अथ एकादशमशतके कर्णिकाख्य-सप्तमोद्देशकः // - कन्निए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे अणेगजीवे ?, एवं चेव निरवसेसं भाणियव्वं / सेवं भंते ! सेवं भंते ति जाव विहरति // सूत्रं 415 / / 11-7 // // अथ एकादशमशतके. नलिनाख्याष्टमद्देशकः // ___नलिणे णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे श्रणेगजीवे ?, एवं चेव निरवसेसं जाव अणंतक्खुत्तो। सेवं भंते / सेवं भते ति जाव विहरति // सूत्रं 416 // 11-8 // Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतके 11 :: उ० है ! (1. // अथ एकादशमशतके शिवराजर्षिनामक-नवमोशद्देशकः॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं हथिणापुरे नाम नगरे होत्था वनश्रो, तस्स णं हत्थिणागपुरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे एत्थ णं सहसंबवणे णाम उजाणे होत्था, सब्बोउयपुष्फफलसमिद्धे रम्मे णंदणवण-संनिप्पगासे सुहसीयलच्छाए मणोरमे सादुफले अकंटए पासादीए जाव पडिरूवे 1 / तत्थ णं हथिणापुरे नगरे सिवे नाम राया होत्था महयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे, वन्नो 2 / तस्स णं सिवस्स रनो धारिणी नाम देवी होत्था सुकुमाल-पाणिपाया, वन्नो 3 / तस्स णं सिवस्स रनो पुत्ते धारणीए अत्तए सिवभदए नामं कुमारे होत्था सुकुमाल जहा सूरियकंते जाव पच्चुवेक्खमाणे पच्चुवेक्खमाणे विहरइ 4 / तए णं तस्स सिवस्स रन्नो श्रन्नया कयावि पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि रज्जधुरं चिंतेमाणस्स अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-अस्थि ता मे पुरा पोराणाणं जहा तामलिस्स जाव पुत्तेहिं वड्डामि पसूहि वड्डामि रज्जेणं वहामि एवं रतुणं बलेणं वाहणेणं कोसेां कोट्ठागारेणं पुरेणं अंतेउरेणं वडामि, विपुल-धण-कणग-रयण जाव संत-सारसावएज्जेणं अतीव 2 अभिवड्डामि तं किन्नं अहं पुरा पोराणाणं जाव दगंतसोक्खयं उब्वेहमाणे विहरामि ?, तं जाव ताव अहं हिरन्नेणं वड्डामि तं चेव जाव अभिवहामि जाव मे सामंतरायाणोवि वसे वटंति ताव ता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए जाव जलते सुबहुं लोही-लोहकडाह-कडुच्छुयं तंबियं तावसभंडगं घडावेत्ता सिवभद्द कुमारं रज्जे ठावेत्ता चं सुबहुं लोही-लोह-कडाह-कडच्छुयं तंबियं तावसभंडगं गहाय जे इमे गंगाकूले वाणपत्था तावसा भवंति, तंजहाहोत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जनई सडई थालई जं च उट्ठदंतुक्खलिया उम्मजया संमजगा निमजगा संपक्खाला उद्धकंडूयगा अहोकडूयगा दाहिणकूलगा उत्तरकूलगा संखधमया कूलधमगा मितलुद्धया हत्थितावसा Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 372) __ [ श्रीमदागमसुधासिन्युः / द्वितीयो विभागः उद्दडगा दिसापोक्खिणो वकलवासिणो (अंबुवासिणो वाउवासिणो) चे(वे)लवासिणो जलवासिणो जलाभिसेयकिढिणगाया (जलाभिसेगकढिणगायभूया) अंबुभक्खिणो वायभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा पत्ताहारा पुष्पाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूल-पंडु-पत्तपुप्फफलाहारा रुक्खमूलिया वालवासिणो वकपासियो दिसापोक्खिया पायावरणाहिं पंचग्गितावेहिं ईंगालसोल्लियंपिव कंडुसोल्लियंपिव कट्ठसोल्लियंपिव अप्पाणं जाव करेमाणा विहरंति, जहा उपवाइए जाव कट्टसोल्लियंपिव अप्पाणं . करेमाणा विहरंति 5 / तत्थ णं जे ते दिसापोक्खियतावसा तेसिं अंतियं मुंडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइत्तए, पब्वइएवि य णं समाणे श्रयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिरिहस्सामि-कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछट्ठणं अनिक्खित्तेणं दिसाचकवालेणं तवोकम्मेणं उड्ड बाहायो पगिझिय 2 जाव विहरित्तएत्तिकटु 6 / एवं संपेहेति संपेहेत्ता कल्लं जाव जलते सुबहुं लोहीलोह जाव घडावेत्ता कोड बियपुरिसे सदावेइ सहावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! हत्थिणागपुरं नगरं सभितरवाहिरियं श्रासिय जाव तमाणत्तियं पचप्पिणंति 7 / तए णं से सिवे राया दोच्चंपि कोडबियपुरिसे सहावेंति 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सिवभहस्स कुमारस्स महत्थं 3 विउलं रायाभिसेयं उबट्टवेह, तए णं ते कोडबियपुरिसा तहेव उवट्ठवेंति 8 | तए णं से सिवे राया अणेगगणनायग दंडनायग जाव संधिपाल-सद्धिं संपरिवुडे सिवभद्द कुमार सीहासणवरंसि पुरस्थाभिमुहं निसीयान्ति 2 अट्ठसएणं सोवन्नियाणं कलसाणं जाव अट्ठसएणं भोमेजाणं कलसाणं सब्विड्डीए जाव रवेणं महया 2 रायाभिसेएणं अभिसिंचइ 2 पम्हलसुकुमालाए सुरभिए गंधकासाईए गायाइं लूहेइ 2 सरसेणं गोसीसेणं एवं जहेव जमालिस्स अलंकारों तहेव जाव कप्परुक्खगंपिव श्रलंकियविभूसियं करेंति 2 करयल जाव कटु Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 11 :: उ० 6 ] [ 373 सिवभई कुमारं जएणं विजएणं वद्धाति जएणं विजएणं वद्धावेत्ता ताहिं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं जहा उववाइए कोणियस्स जाव परमाउं पालियाहि इट्ठजणसंपरिखुडे हथिणपुरस्स नगरस्स अन्नेसि च बहूणं गामागरनगर जाव विहराहित्तिकटु जयजयसह पउंजंति 1 / तए णं से सिवभद्दे कुमारे राया जाए महया हिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे वनो जाव विहरइ 10 / तए णं से सिवे राया अन्नया कयाई सोभणंसि तिहि-करणदिवस-मुहुत्त-नक्खत्तंसि विपुलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडावेंति उवक्खडावेत्ता मित्तणाइनियग जाव परिजणं रायाणो. य खत्तिया अामंतेति श्रामंतेत्ता तो पच्छा राहाए जाव सरीरे भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए तेणं मित्तणातिनियगसयण जाव परिजणेणं राएहि य खत्तिएहि य सद्धिं विपुलं असणपाणखाइमप्साइमं एवं जहा तामली जाव सकारेति संमाणेति सकारेत्ता संमाणेत्ता तं मित्तणाति जाव परिजणं रायाणो य खत्तिए य सिवभदं च रायाणं श्रापुच्छइ अापुच्छित्ता सुबहुं लोहोलोहकडाहकडुच्छ जाव भंगं गहाय जे इमे गंगाकूलगा वाणपत्था तावसा भवंति तं चेव जार तेसिं अंतियं मुडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए 11 / पव्वइएऽविय णं समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहइ-कप्पइ मे जावजीवाए छ8 तं चेव जाव अभिग्गहं अभिगिराहइ 2 पढमं छ?क्खमणं उपसंपजित्ताणं विहरइ 12 / तए णं से सिवे रायरिसी पढम-टुक्खमण-पारणगंसि पायावणभूमीए पचोरुहइ पायावणभूमिए पचोरुहिता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयगं गिराहइ गिरिहत्ता . पुरच्छिमं दिसं पोक्खेइ पुरच्छिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवे रायरिसी अभिरक्खिउ सिवे रायरिसी, जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुष्पाणि य Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 304 ) - ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः // द्वितीयों विमानों फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि श्रणुजाणउत्ति कटु पुरच्छिम दिसं पसरति पुरच्छिमं दिसं पसरिता, जाणि य नत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेराहइ 2 किढिणसंकाइयं भरेइ किढिसंकाइयं भरित्ता दम्भे य कुसे य समिहायो य पत्तामोडं च गेराहेइ 2 जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ 2 किढिणसंकाइयगं ठवेइ किढिणसंकाइयं उवित्ता वेदि वह इ 2 उक्लेवणसंमजणं करेइ 2 ता दन्भ-सगन्भ-कलसाहत्थगए जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छइ गंगामहानदीं श्रोगाहेति 2 जलमजणं करेइ 2 जलकीडं करेइ 2 जलाभिसेयं करेति 2 श्रायते चोक्खे परमसुइभूए देवयपिति-कयकज्जे दब्भ-सगब्भ-कलसाहस्थगए गंगाश्रो महानईश्रो पच्चुत्तरइ 2 जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता दन्भेहि य कुसेहि य वालुयाएहि य वेतिं रएतिवेति रएत्ता सरएणं अरणि महेति सरएणं श्ररणिं महेत्ता अग्गि पाडेति 2 अग्गि संधुक्केइ 2 समिहाकट्टाई पक्खिवइ समिहाकट्ठाई पक्खिवित्ता अग्गि उज्जालेइ अग्गि उज्जालेता-'अग्गिस्स दाहिणे पासे, सत्तंगाई समादहे। तंजहा-सकहं वकलं गणं, सिजा भंडं कमंडलु॥१॥ दंडदारुतहा पाणं अहे ताई समादहे 13 / महुणा य घएण य तंदुलेहि य अग्गि हुणइ, अग्गि हुणित्ता चरु साहेइ, चरु साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ बलिं वइस्सदेवं करेत्ता अतिहिप्पूयं करेइ अतिहिपूयं करेत्ता तो पच्छा अप्पणा आहारमाहारेति, तए णं से सिवे रायरिसी दोच्च छटुक्खमणं उवसंपजित्ताणं विहरइ 14 / तए णं से सिवे रायरिसी दोच्चे छ?क्खमणपारणगंसि पायावणभूमीयो पचोरुहइ पायावणभूमीयो पचोरुहित्ता एवं जहा पढमपारणगं नवरं दाहिणगं दिसं पोखेति 2 दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं सेसं तं चेव श्राहारमाहारेइ, तए णं से सिवरायरिसी तव्चं छट्टक्खमणं उपसंपजित्ताणं विहरति 15 / तए णं से सिवे रायरिसी सेसं तं चेव नवरं पञ्चच्छिमाए दिसाए वरुणे महाराया पत्थाणे पत्थियं सेसं l! Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 1? :: उ० 9 ] [ 375 तं चेव जाव पाहारमाहारेइ, तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थं छटवखमणं उवसंपजित्ताणं विहरइ 16 / तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थं घट्टवखमणं एवं तं चेव नवरं उत्तरदिसं पोक्खेइ उत्तराए दिसाए वेसमणे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं, सेसं तं चेव जाव तो पच्छा अप्पणा श्राहारमाहारेइ 17 // सूत्रं 417 // तए णं तस्स. सिवस्स रायरिसिस्स छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं दिसाचकवालेणं जाव पायावेमाणस्स पगइभद्दयाए जाव विणीययाए अन्नया कयावि तयावरणिजाणं कम्माणं खोवसमेणं ईहापोह-मग्गणगवेसणं करेमाणस्स विभंगे नामं अन्नाणे समुप्पन्ने 1 / से णं तेणं विभंगनाणेणं समुप्पन्नेणं पासइ अस्सि लोए सत्त दीवे सत्त समुद्दे तेणं परं न जाणति न पासति 2 / तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स श्रयमेयारूवे अब्भथिए जाव समुप्पजित्था-अत्थि णं ममं अइसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य 3 / एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता पायावणभृमीयो पच्चोरुहइ अायावणभूमीयो पचोरुहित्ता वागल-वत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ 2 सुबहुं लोही-लोह-कडाह-कडुच्छुयं जाव भंडगं किढिणसंकाइयं च गेराहइ 2 जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ 2 भंडनिक्खेवं करेइ 2 हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडगतिग जाव पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-अस्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए जाव दीवा य समुद्दा य 4 / तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म हथिणापुरे नगरे सिंघाडगतिग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परुवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! सिवे रायरिसी एवं प्राइक्खइ जाव परुवेइ-अस्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदसणे जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीया य समुद्दा य, से Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 371 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागा कहमेयं मन्ने एवं ? 5 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे परिसा जाव पडिगया 6 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जे अंतेवासी जहा बितियसए नियंठुद्देसए जाव अडमाणे बहुजणसह निसामेइ बहुजणो अन्नमन्नस्स एवं श्राइक्खइ एवं जाव परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवं श्राइवखइ जाव परूवेइ-अस्थि णं देवाणुप्पिया ! तं चेव जाव वोच्छिन्ना दीवा सादा य, से कहमेयं मन्ने एवं ?, 7 / तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमढे सोचा निसम्म जाव सड्ढे जहा नियंठुद्देसए जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, से कहमेयं भंते! एवं ?, गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-जन्न गोयमा ! से बहुजणे अन्नमन्नस्स एवमातिक्खइ तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव भंडनिक्खेवं करेति हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग जाव पहेसु तं चेव जाव वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य तराणं मिच्छा 8 / अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु जंबुद्दीवादीया दीवा लवणादीया समुहा संगणयो एगविहिविहाणा वित्थारो अणेगविहिविहाणा एवं जहा जीवाभिगमे जाव सयंभूरमणपजवसाणा अस्सि तिरियलोए असंखेज्जे दीवसमुद्दे पन्नत्ते समणाउसो! 1 / अस्थि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दव्वाइं सवन्नाइपि श्रवन्नाइंपि सगंधाइंपि अगंधाईपि सरसाइंपिअरसाइंपि सफासाइंपि अफासाइपि यन्नमन्नवद्धाइं अन्नमन्नपुट्ठाई जाव घडताए चिट्ठति ?, हंता अस्थि 10 / अस्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे दव्वाई सवन्नाइंपि श्रवन्नाइपि सगंधाइं अगंधाइंपि सरसाइपि अरसाइपि सफासाइंपि अफासाइपि अन्नमनबद्धाई अन्नमन्नपुट्ठाई जाव घडत्ताए चिट्ठांति ?, हंता अस्थि 11 / अस्थि णं भंते ! धागइसंडे दीवे दवाई सवन्नाइपि एवं चेव Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञति (श्रीमद्भगवती) s : शतक 11 / उ०९ (3n एवं जाव सयंभूरमणसमुद्दे ?, जावहता अस्थि 12 / तए णं सा महतिमहालिया महत्वपरिसा समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियं; एयम8 सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया 13 / तए - णं हथिणापुरे नगरे सिंघाडग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइखइ जावः परूवेइ-जन्नं देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अस्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणे जाव समुद्दा य तं नो इण? समढे, समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परुवेइ-एवं खलु एयस्स सिवस्स रायरिसिस्स छ8छट्टेणं तं चेव जाव भंडनिक्खेवं करेइ भंडनिक्खेवं करेत्ता हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग जाव समुद्दा य, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतियं एयम8 सोचा निसम्म जावं समुद्दा य तरणं मिच्छा, समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परुवेइ-एवं खलु जंबुद्दीवादीया दीया लवणादीया समुद्दा त चेव जाव असंखेजा दीवसमुद्दा पनत्ता समणाउसो ! 14 / तए णं से सिवे रायरिसी बहुजणस्स अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म संकिए कंखिए वितिगिन्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने जाव यावि होत्था 15 / तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स संखियस्स कंखियस्स जाव कलुससमावन्नस्स से विभंगे अन्नाणे खिप्पामेव परिवडिए 16 / तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारूवे अन्भथिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु समणे भगवं महावीरे श्रादिगरे तित्थगरे जाव सम्वन्नू सव्वदरिसी भागासगएणं चक्केणं जाव सहसंचवणे उज्जाणे श्रहापडिरूवं जाव विहरइ, तं महाफलं खलु तहारूवाणं श्ररहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स जहा उववाइए जाव गहणयाए, तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि जाव पज्जुवासामि, एयं णे इहभवे य परभवे य जाव भविस्सइत्तिकट्टु एवं संपेहेति एवं 2 ता जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता तावसावसहं श्रणुप्पविसति 2 त्ता द Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 370) [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः। द्वितीयो विभागः सुबहुं लोही-लोह-कडाह जाव किढिणसंकातिगं च गेगहइ गेरिहत्ता तावसावसहायो. पडिक्खिमति 2 पखिडियविभंगे हथिणागपुरं नगरं मझमज्झणं निग्गच्छइ निगच्छिना जेणेव सहसंबवणे उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहिणं करेइ वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता नचासन्ने नाइदूरे [ ग्रन्थाग्रं 7000 ] जाव पंजलिउडे पज्जुवा. सइ 17 / तए णं समणे भगवं महावीरे सिवस्स रायरिसिस्स तीसे य महतिमहालियाए जाव आणाए श्राराहए भवइ 18 / तए णं से सिवे रायरिसी समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियं धम्म सोचा निसम्म जहा खंदो जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीमागं श्रवकमइ 2 सुबहुं लोहीलोहकडाह जाव किढिणसंकातिगं एगते एडेइ 2 सयमेव पंचमुट्टियं लोयं करेति सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेत्ता समणं भगवं महावीरं एवं जहेव उसभदत्ते तहेव पवइनो तहेवं इक्कारस अंगाई अहिजति तहेव सव्वं जाव सम्वदुक्खप्पहीणे 11 // सूत्रं 418 // भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भमवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरंमि संघयणे सिझति ?, गोयमा ! वयरोसभ-णारायसंघयणे सिमंति एवं जहेव उववाइए तहेव संघयणं संगणं उच्चत्तं पाउयं च परिवसणा, एवं सिद्धिगंडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव (निच्छिन्नसव्वदुक्खा जाइजरामरणबंधण-विमुक्का) अव्वाबाह सोक्खं श्रो९ति सासयं सिद्धा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति // सूत्र 416 // सिवो समत्तो॥ // इति एकादशमशतके नवम उद्देशकः // 11-9 // Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्यास्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) : शतक 11 : उ० 10] [35 // अथ एकादशमशतके लोकाख्य-दशमोद्देशकः // . . रायगिहे जाव एवं वयासी-कतिविहे णं भंते ! लोए पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउबिहे लोए पन्नत्ते, तंजहा-दबलोए खेत्तलोए काललोए भावलोए 1 / खेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पन्नत्ते, तंजहा अहोलोयखेत्तलोए 1 तिरियलोयखेत्तलोए 2 उड्डलोयखेत्तलोए 3, 2 / अहोलोयखेतलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! सत्तविहे पनत्ते, तंजहा-रयणप्पभा-पुढवि-अहेलोय खेत्तलोए जाव आहेसत्तमापुढविश्रहोलोय-खेत्तलोए 3 / तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा! असंखेजविहे पन्नत्ते, तंजहा-जंबुद्दीवे तिरियखेत्तलोए जाव सयंभूरमणममुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए 4 / उड्डलोगखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पनरसविहे पन्नत्ते, तंजहा-सोहम्मकप्प-उडलोगखेतलोए जाव अच्चुय-उड्डलोए गेवेजविमाणउड्डलोए अणुत्तरविमाणउड्डलोए ईसिंपन्भार-पुढवि उड्डलोग-खेत्तलोए 5 / श्रहोलोगखेत्तलोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! तप्पागारसंठिए पन्नत्ते 6 / तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नते ?, गोयमा ! मल्लरिसंठिए पन्नत्ते 7 / उड्डलोयखेत्तलोय पुच्छा, उडमुइंगाकारसंठिए पन्नत्ते 8 / लोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा सुपइट्ठगसंठिए लोए पन्नत्ते, तंजहा-हेट्ठा विच्छिन्ने मज्के संखित्ते जहा सत्तमसए पढमुद्देसए जाव अंतं करेंति 1 / अलोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! असिरगोलसंठिए पन्नत्ते 10 / अहेलोगखे. तलोए णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा ? एवं जहा इंदा दिसा तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव श्रद्धासमए 11 / तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा ?, एवं चेव, एवं उड्डलोयखेत्तलोएवि, नवरं अस्वी छब्बिहा श्रद्धासमश्रो नत्थि 12 / लोए णं भंते ! किं जीवा जहा वितियसए अत्थिउद्देसए लोयागासे, नवरं अस्वी सत्तवि Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 380 ] ....... [ श्रीमदागगसुधासिन्धुः :: द्वितीया विभागः जाव अहमत्थिकायस्स पएसा नो अागासत्थिकाये श्रागासत्थिकायस्स देसे श्रागासस्थिकायपएसा अद्धासमए सेसं तं चेव 13 / अलोए णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा ? एवं जहा अस्थिकायउद्देसए अलोयागासे तहेव निरवसेसं जाव अणंतभागूणे 14 / अहेलोगखेत्तलोगस्स णं भंते ! एगंमि श्रागासपएसे किं जीवा जीवदेसा जीवप्पएसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! नो जीवा जीवदेसावि जीवपएसावि अजीवावि अजीवदेसावि अजीवपएसावि, जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा 1 श्रवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे 2 अहवा. एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा 3 एवं मस्मिल्लविरहियो जाव अणिदिएसु जाव श्रवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य, जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा 1 अहवा एगिदियपएसा य बंदियस्स पएसा 2 श्रहवा एगिदियपएसा य बेइंदियाण य पएसा 3 एवं थाइलविरहियो जाव पंचिदिएसु श्रणिदिएसु तियभंगो, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-स्वी अजीवा य अरूवी जीवा य. ख्वी तहेव, जे अस्वी जीवा ते पंचविहा पराण त्ता, तंजहा-नो धम्मस्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे 1 धम्मत्थिकायस्स परसे 2 एवं अहम्मत्थिकायस्सवि 4 श्रद्धासमए 5, 15 / तिरियलोगखेलोगरस णं भंते ! एगंमि श्रागासपएसे किं जीवा जाव अजीवपएसा ?, एवं जहा अहोलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एवं उडलोगखेत्तलोगरसवि, नवरं श्रद्धासमश्रो नत्थि, अस्वी चउब्विहा 16 / लोगस्स जहा अहेलोगखेत्तलोगरस एगंमि श्रागासपएसे 17 / अलोगस्स णं भंते ! एगंमि श्रागासपएसे पुच्छा, गोयमा! नो जीवा नो जीवदेसा तं चेव जाव अणंतेहिं श्रगुरुयलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासस्स अणंतभागणे 18 / दव्यश्रो णं अहेलोगखेत्तलोए अणंताई जीवदब्वाइं अणंताई अजीवदन्वाइं अणंता जीवाजीवदव्वा एवं तिरियलोयखेत्तलोएवि, एवं उद्दलोयखेत्तलोएवि, दव्वश्रो णं अलोए Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमव्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 11 : उ० 10 / [381 णेवत्थि जीवदव्वा नेवत्थि श्रजीवदव्वा नेवत्थि जीवाजीवदव्वा एगे श्रजीवदव्वदेसे जाव सबागासश्रणंतभागूणे 11 / कालो णं अहेलोयखेत्तलोए न कयाइ नासि जाव निच्चे एवं जाव अलोगे 20 / भावो णं श्रहेलोगखेतलोए अणंता वनपजवा जहा खंदए जाव अणंता श्रगुरुयलहुयपजवा एवं जाव लोए, भावो णं अलोए नेवत्थि वन्नपजवा जाव नेवत्यि श्रगुरुयलहुयपज्जवा एगे अजीवदबदेसे जाव श्रणंतभागणे 21 ॥सूत्रं 420 // लोए णू भंते ! केमहालए पन्नत्ते ?, गोयमा ! श्रयन्नं जंबुद्दीवे 2 सव्वदीवा जाव परिक्खेवेणं 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं छ देवा महिडीया ज़ाव महेसक्खा जंबुद्दीवे 2 मंदरे पव्वए मंदरचूलियं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ट जा, अहे णं चत्तारि दिसाकुमारीयो महत्तरियायो चत्तारि बलिपिंडे गहाय जंबद्दीवस्स 2 चउसुवि दिसासु बहियाभिमुहीयो ठिचा ते चत्तारि बलिपिंडे जमगसमगं बहिगाभिमुहे पक्खिवेजा, पभू णं गोयमा ! तायो एगमेगे देवे ते चत्तारि बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए, ते णं गोयमा ! देवा ताए उकिटाए जाव देवगइए एगे देवे पुरच्छाभिमुहे पयाते एवं दाहिणाभिमुद्दे एवं पचत्थाभिमुहे एवं उत्तराभिमुहे एवं उड्डाभिमुहे एगे देवे ग्रहोभिमुहे पयाए 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससहस्साउए दारए पयाए, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति णो चेव णं ते देवा लोगतं संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स पाउए पहीणे भवति, णो चेव णं जाव संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स अट्टिमिंजा पहीणा भवंति णो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स. श्रासत्तमेवि कुलवंसे पहीणे भवंति णो चेवणं ते देवा लोगंतं संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स नामगोएवि पहीणे भवंति णो चेव णं ते देवा लोगंत संपाउणंति 3 / तेसि णं भंते ! देवाणं किं गए बहुए अगए बहुए ?, गोयमा / Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 382) ..... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः गए बहुए नो अगए बहुए, गयाउ से अगए असंखेजइभागे अगयाउ से गए असंखेजगुणे, लोए णं गोयमा ! एमहालए पन्नते 4 / श्रलोए णं भंते ! केमहालए पन्नत्ते ?, गोयमा ! अयन्नं समयखेते पणयालीसं जोयणसयसहस्साई श्रायामविक्खंभेणं जहा खंदए जाव परिक्खेवेणं 5 / तेणं कालेणं तेणं समएणं दस देवा महिडिया तहेव.जाव संपरिक्खित्ताणं संचिट्ठ जा, अहे णं अट्ठ दिसाकुमारीश्रो महत्तरियायो अट्ठ बलिपिंडे गहाय माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स चउसुवि दिसासु चउसुवि विदिसासु बहियाभिमुहीयो श्चिा अट्ट बलिपिंडे गहाय माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जमगसमगं बहियाभिमुहीनो पक्खिवेजा, पभू णं गोयमा ! तो एगमेगे देवे ते अट्ठ बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए, ते णं गोयमा ! देवा ताए उकिट्ठाए जाव देवगईए लोगंसि ठिचा असभावपट्ठवणाए एगे देवे पुरच्छाभिमुहे पयाए एगे देवे दाहिणपुरच्छाभिमुहे पयाए एवं जाव उत्तरपुच्छाभिमुहे एगे देवे उड्डाभिमुहे एगे देवे अहोभिमुहे पयाए 6 / तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससयसहस्साउए दारए पयाए, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति, तं चेव / तेसि णं देवाणं किं गए बहुए अगए बहुए ?, गोयमा ! नो गए पहुए अगए बहुए गयाउ से अगए अणंतगुणे अगयाउ से गए श्रणंतभागे, अलोए णं गोयमा ! एमहालए पन्नत्ते 8 // सूत्रं 421 // लोगस्स णं भंते / एगंमिश्रागासपएसे जे एगिदियपएमा जाव पंचिदियपएसा अणिंदियपदेसा अन्नमनबद्धा अन्नमन्नपुट्टा जाव अन्नमन्न-समभरघडताए चिट्ठति, अस्थि णं भंते ! अन्नमन्नस्स किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पायंति अविच्छेदं वा करेंति ?, णो तिणढे समढे 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुचइ लोगस्स णं एगंमि भागासपएसे जे एगिदियपएसा जाव चिट्ठति णस्थि णं भंते ! अन्नमन्नम्स किंचि श्रावाह. वा जाव करेंति ?, गोयमा ! Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 11 : उ० 11 / ... [345 से जहानामए नट्टिया सिया सिंगारागारचारवेसा जाव कलिया रंगट्ठाणंसि जणसयाउलंसि जणमयसहस्साउलंसि बत्तीसइविहस्स नट्टस्स अन्नयरं नट्टविहिं उवदंसेजा, से नूणं गोयमा ! ते पेच्छगा तं नट्ठियं श्रणिमिसाए दिट्ठीए सव्वश्रो समंता समभिलोएंति ?, हंता समभिलोएंति, ताश्रो णं गोयमा ! दिट्ठीयो तसि नट्टियंसि सव्वत्रो समंता संनिपडियायो ?, हता सन्निपडियायो, अत्थि | गोयमा ! तायो दिट्ठीयो तीसे नट्टियाए किंचिवि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेंति ?, णो तिण8 समढे, श्रहवा सा नट्टिया तासि दिट्ठीणं किंचि आवाहं वा वाबाई वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेइ ?, णो तिणटे समडे, तारो वा दिट्ठीश्रो अन्नमनाए दिट्ठीए किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेंति ?, णो तिण? सम?, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ जाव तं चेव जाव छविच्छेदं वा करेंति 2 // सूत्रं 422 // लोगस्स णं भंते ! एगंमि श्रागासपए जहन्नपए जीवपएसाणं उकोसपए जीवपएसाणं सव्वजीवाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा लोगस्स एगंमि श्रागासपएसे जहन्नपए जीवपएसा, सयजीवा असंखेजगुणा, उकोसपए जीवपएसा विसेसाहिया 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 423 // एकारससयस्स दसमोद्दे सो समत्तो॥ ॥इति एकादशमशतके दशम उद्देशकः // 11-10 // // अथ एकादशमशतके कालाख्य-एकादशमोद शकः // - तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नामं नगरे होत्था वनश्रो, दूतिपलासे चेइए वनयो जाव पुढविसिलापट्टयो, तत्थ णं वाणियगामे नगरे सुदंसणे नामं सेट्ठी परिखसइ अड्डे जाव अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, सामी समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ v. T. L TD 38.] . . बीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः 1 / तए णं से सुदंसणे सेट्ठी इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुट्टे राहाए कय जाव पायच्छित्ते सबालंकारविभूसिए साश्रो. गिद्दारो पडिमिक्खमइ साश्रो गिहायो 'पडिनिक्खमित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं पायविहारचारेणं महया पुरिसवग्गुरापरिक्खत्ते वाणियगाम नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव दूतिपलासे चेइए जेगोव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवामच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छति, तंजहा–सचित्ताणं दव्वाणं जहा उसमदत्तो जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ 2 / तए णं समणे भगवं : महावीरे सुदंसणस्स सेट्ठिस्स तीसे य महतिमहालयाए जाव बाराहए भवइ 3 / तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणस्स भगवश्री महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुटु जाव हयहियये उडाए उ?ई 2 ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वयासी-कविहे णं भंते ! काले पन्नत्ते ?, सुदंसणा ! चउविहे काले पत्नत्ते, संजहा-पमाणकाले 1 श्रहाउनिव्वत्तिकाले 2 मरणकाले 3 श्रद्धाकाले 4,3 / से किं तं पमाणकाले ?, 2 दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-दिवसप्पमाणकाले 1 राइप्पमाणकाले य 2, चउपोरिसिए दिवसे चउपोरिसिया राई भवइ 4 // सूत्रं 424 // उक्कोसिया श्रद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ 1 / जदा णं भंते ! उकोसिया पद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति तदा णं कतिभागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी 2 जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसो भवति ?, जदा गं जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति तदा णं. कतिभागमुहुत्तभागेणं परिवड्डमाणी 2 उक्कोसिया श्रद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ?, सुदंसणा ! जदा णं उक्मेसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तदा णं बावीससय Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्यात्रहप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 11 : उ० 11.] [385 भाग-मुहुत्तभागेणं परिहायमाणी 2 जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जदा णं जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया णं बावीस-सयभाग-मुहुत्तभागेणं दखिड्डमाणी 2 उक्कोसिया श्रद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति 2 / कदा णं भंते ! उकोसिया श्रद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स राईए वा पोरिसी भवइ ? कदा वा जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ?, सुदंसणा ! जदा णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ तदा णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ जहन्निया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जया णं उकोसिया अट्ठारसमुहुत्तिया राई भवति जहनिए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तदा णं उकोसिया श्रद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ 3 / कदा णं भंते ! उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? कदा वा उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहन्नए दुवासलमुहुत्ते दिवसे भवइ ?, सुदंसणा ! श्रासाढपुन्निमाए उक्कोसए श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, पोसस्स पुनिमाए णं उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 4 / अस्थि णं भंते ! दिवसा य राईश्रो य समा चेव भवन्ति ?, हंता ! अस्थि 5 / कदा णं भंते ! दिवसा य राईश्रो य समा चेव भवन्ति ?, सुदंसणा ! चित्तासोयपुन्निमासु णं, एत्थ णं दिवसा य राईयो य समा चेव भान्ति, पनरसमुहुत्ते दिवसे पनरसमुहुत्ता राई भवइ चउभागमुहुत्तभाणा चउमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, सत्तं पमाणकाले 6 // सूत्रं 425 // से किं तं अहाउनिबत्तिकाले?, 2 जन्नं जेणं नेरइएण वा तिरिक्खजोणिएण वा. मणुस्सेण वा देवेण वा अहाउयं निव्वत्तियं सेत्तं पालेमाणे श्रहाउनियत्तिकाले / / से किं तं HERE भवाइ, पोमकासए श्रद्वारसालमहत्ते दिवसावा उकोसिया दिवसे भवा Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 386 ) ::, 2 . श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः मरणकाले ?, 2 जीवो वा सरीरायो सरीरं वा जीवायो, सेत्तं मरणकाले 2 / से किं तं यद्वाकाले ?, 2 अणेगविहे पत्नत्ते, से णं समयट्टयाए श्रावलियट्टयाए / जाव उस्सप्पिणीट्टयाए 3 / एस णं सुदंसणा ! श्रद्धा दोहारच्छेदेणं छिजमाणी जाहे विभागं नो हव्दमागच्छइ सेत्तं समए, समयट्टयाए असंखेजाणं समयाणं समुदय-समिइसमागमेणं सा एगा श्रावलियत्ति पवुच्चइ, संखेजात्रो श्रावलियायो जहा सालिउद्देसए जाव सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परिमाणं 4 / एएहि णं भंते ! पलियोवमसागरोकमेहि किं पपोयणं ?, सुदंसणा ! एएहि पलिश्रोवम-सागरोवमेहिं नेरइयतिरिवखजोणिय-मगुस्सादेवाणं श्राउयाई. मविज्जति 5 // सूत्र 426 // नेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई. पन्नत्ता ?, एवं ठिइपदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता // सूत्रं 427 // अस्थि णं भंते ! एएसि पलिग्रोवम-सागरोवमाणं खएति वा अवचयेति वा.?,. हंता अस्थि 1 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ अस्थि णं एएसि णं पलिश्रोवम-सागरोवमाणं जाव अवचयेति वा ? एवं खलु सुदंसणा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं हथिणागपुरे नाम नगरे होत्था वन्नो , सहसंबबणे उजाणे वनयो, तत्थ णं हत्थिणागपुरे नगरे बले नाम राया होत्था वन्नयो, तस्स णं बलस्स रन्नो पभावई नाम देवी होत्था सुकुमाल वनश्रो जाव विहरइ 2 / तए णं सा पभावई देवी श्रन्नया कयाई तसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरो सचित्तकम्मे बाहिरयो दूमियघढमढे विचित्तउल्लोगचिल्लिगतले मणि-रयण-पणासियंधयारे बहुसमसुविभत्त-देसभाए पंचवन्न-सरस-सुरभि-मुक-पुष्फपुंजोवयार-कलिए कालागुरु पवर-कुंदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामे सुगंधिवरगंधिए गंधर्वाट्टभूए तसि तारिसगंसि सयणिज्जसि सालिंगणवट्टिए उभो विन्बोयणे दुहयो उन्नए मज्मे.रायगंभीरे गंगा-पुलिण-वालुय-उद्दालसालिसए उवचिय Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 11 : उ० 11 ) [ 387 खोमिय दुगुल्लपट्ट-पडिच्छन्ने सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे पाइणगरूय-बूर-णवणीय-तूलफासे सुगंधवर-कुसुम-चुन्न-सयणोवयार-कलिए श्रद्धरत्तकालसमयंसि सुत्तजागरा श्रोहिरमाणी 2 अयमेयाख्वं श्रोरालं कलाणं सिवं धन्न मंगलं सस्सिरीयं महासुविणं पासित्ताणं पडिबुद्धा, हार-रययखीरसागर-ससंककिरण-दगरय-रययमहासेल-पंडुरतरोरु-रमणिज-पेच्छणिज्ज थिर-लट्ठ-पउट्ठ-बट्ट-पीवर-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-तिखदाढा-विडंबिय-मुहं परिकम्मिय-जच-कमल-कोमल-माइय-सोभंत-लट्टउट्ट, रत्तुप्पल-पत्त-मउय-सुकुमालतालु-जीहं (महुगुलियाभिसंतषिगलच्छ) मूसागय-पवर-कणग-ताविय-श्रावत्तायंत-बट्ट-तडिविमल-सरिसनयणं विसालपीवरोरु पडिपुन्न-विमलखधं मिउ. विसय-सुहुम-लक्खण-पसत्थविच्छिन्न केसर-सडोवसोभियं ऊसिय-सुनिम्मियसुजाय-अप्फोडिय-लंगलं सोमं सोमाकारं लीलायंत जंभायंतं नहयलायो ओवयमाणं नियय-वयण-मतिवयंत सीहं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धा 3 / तए णं सा पभावति देवी अयमेयारूवं पोरालं जाव सस्सिरीयं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुद्धा समाणी हट्टतुट्ठ जाव हियया धाराहय-कलंबपुष्पगं पिव समूससिय रोमकूवा तं सुविणं योगिराहति योगिरिहत्ता सयणिजात्रो अब्भुटुइ सयणिजायो भुट्ठत्ता अतुरिय-मचवल-मसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गईए जेणेव बलस्स रन्नो सयणिज्जे तेणेव उवागच्छ। तेणेव उवागच्छित्ता बलं रायं ताहिं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं अोरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं मियमहुरमंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी संलवमाणी पडिबोहेति पडिबोहेत्ता बलेणं रन्ना अब्भणुनाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि भद्दासणंसि णिसीयति णिसीयित्ता भासत्था वीसत्था सुहासणवरगया बलं रायं ताहि इटाहिं कताहिं जाव संलवमाणी 2 एवं क्यासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! अजःतंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि सालिंगणवट्टिए तं चैव जाव नियग Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 388 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः वयणमइवयंत सीहं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, तगणं देवाणुप्पिया! एयस्स पोरालस्स जाव महासुविणस्स के मन्ने कलाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ?, 4 / तए णं से बले राया पभावईए देवीए अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म हट्टतुटु जाव हयहियये धाराहय-नीव-सुरभि-कुसुम चंचुमालइयतणुय-उसविय-रोमकूवे तं सुविणं योगिराहइ अोगिरिहत्ता ईहं पविस्सइ ईहं पविसित्ता थप्पणो साभाविएणं मइपुव्वएणं बुद्धिविन्नाणेणं तस्स सुविणस्स अत्थोग्गहणं करेइ तस्स सुविणस्स प्रत्थोग्गहणं करित्ता पभावई देविं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं जाव मंगलाहिं मियमहुरसस्सिरीयहिं गिराहिं संलवमाणे 2 एवं वयासी-बोराले णं तुमे देवी ! सुविणे दिट्ठ, कलाणे णं तुमे जाव सस्सिरीए णं तुमे देवी! सुविणे दिट्टे, आरोग्ग-तुट्ठि-दीहाउ-कल्लाण-मंगलकारए णं तुमे देवी ! सुविणे दिडे, श्रत्थलाभो देवाणुप्पिए ! भोगलाभो देवाणुप्पिए / पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! रजलाभो देवाणुप्पिए ! एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए ! णवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाण राइंदियाणं विइक्कंताणं श्रम्हं कुलकेउं कुलदीवं कुलपव्वयं कुलवडेंसयं कुलतिलगं कुलकित्तिकरं कुलनंदिकरं कुलजसकरं कुलाधारं कुलपायवं कुलविवद्धणकरं सुकुमालपाणिपायं बहीणपडिपुन-पंचिंदियसरीरं जाव मसिसोमाकारं कंतं पियदंसणं सुरूवं देवकुमारसमप्पभं दारगं पयाहिसि 5 / सेवि य णं दारए उम्मुक्कबालभावे विनायपरिणयमित्ते जोवणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कते वित्थिन्नविउलबलबाहणे रजवई राया भविस्सइ, तं उराले णं तुमे जाव सुमिणे दिट्ठ आरोग्गतुट्ठि जाव मंगलकारए णं तुमे देवी ! सुविणे दि?त्तिक पभावतिं देविं ताहिं इटाहिं जाव वग्गूहिं दोच्चंपि तचंवि अणुवूहति 6 / तए णं सा पभावती देवी बलस्स .रन्नो अंतियं एयमट्ट सोचा निसम्म हट्टतुटु जाव हयहियया करयल जाव एवं वयासी-एवमेयं देवाणुप्पिया ! तहमेयं देवाणुप्पिया ! अवितहमेयं देवाणुप्पिया! असंदिद्धमेयं Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 11 : उ० 11 / [386 : देवाणुपिया ! इच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छियपडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! से जहेयं तुज्झे वदहत्तिकटु तं सुविणं सम्म पडिल्छइ पडिच्छित्ता बलेणं रन्ना अब्भणुनाया समाणी णाणामणि-रयण-भत्तिचित्तायो भदासणाश्रो अन्?अभु?त्ता अतुरियमचवल जाव गतीए जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता सयणिज्जंसि निसीयति निसीइत्ता एवं वयासी-मा मे से उत्तमे पहाणे मंगल्ले सुविणे अन्नेहिं पावसुमिणेहिं पडिहम्मिस्सइत्तिकट्टु देवगुरुजणसंबद्धाहिं पसत्थाहिं मंगल्लाहिं धम्मियाहिं कहाहिं सुविणजागरियं पडिजागरमाणी 2 विहरति 7 / तए णं से बले राया कोडुबियपुरिसे सहावेइ सहावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अज सविसेसं बाहिरियं उबट्ठाणसालं गंधोदयसित्त-सुइय-संमजियोवलित्तं सुगंधवरपंचवन्नपुष्फोवयारकलियं कालागुरु-पवर-कुदुरुक जाव गंधवट्टिभूयं करेह य करावेह य करेत्ता करावेत्ता सीहासणं रएह सीहासणं रयावेत्ता ममेतं जाव पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडुबिय जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सविसेसं बाहिरियं उवट्ठाणसालं जाव पञ्चप्पिणंति 8 / तए णं से बले राया पच्चूसकालसमयंसि सयणिजायो अब्भुटुइ सयणिज्जायो अब्भुट्ठता पायपीढायो पचोरहइ पायपीढायो पचोरुहित्ता जेणेव भट्टणसाला तेणेव उवागच्छति अट्टणसालं अणुपविसइ जहा उववाइए तहेव अट्टणसाला तहेव मजणघरे जाव ससिव्व पियदंसणे नरवई मजणघरायो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता सीहासणवरंसि पुरच्छाभिमुहे निसीयइ निसीइत्ता अप्पणो उत्तरपुरच्छिमे दिसीमाए ? भदासणाई सेयवत्थपञ्चुत्थुयाई सिद्धत्थगकय-मंगलोवयाराई रयावेइ रयावेत्ता अप्पणो अदूरसामंते णाणामणिरयणमंडियं श्रहियपेच्छणिज्जं महग्यवरपट्टणुग्गयं सराहपट्ट-बहुभत्ति-सयचित्तताणं Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः: ईहामिय-उसभ जाव भत्तिचित्तं अभितरियं जवणियं अंछावेइ अंडावेत्ता नाणामणि-रयण-भत्तिचित्तं अच्छरय-मउय-मसूर-गोच्छगं सेयवत्थपच्चुत्थुयं अंगसुहफासुयं सुमउयं पभावतीए देवीए भद्दासणं रयावेइ रयावेत्ता कोडवियपुरिसे सद्दावेइ सदावेत्ता एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुःपया ! अटुंगमहानिमित्त-सुत्तत्थधारए विविहसत्यकुसले सुविणलक्खणपाढए सद्दावेह 1 / तए णं ते कोड बियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता बलस्स रन्नो अंतियात्रो पडिनिक्खमंति पडिनिक्खमित्ता सिग्धं तुरियं. चवलं चंडं वेइयं हथिणपुरं नगरं मझमज्झणं जेणेव तेसिं सुविण-लक्खण-पाढगाणं गिहाई तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए सद्दावेंति 10 / तए णं ते सुविणलक्खणपाढगा बलस्स रन्नो कोडुबियपुरिसेहिं सदाविया समाणा हट्टतुट्ट जाव हयहियया राहाया कय. जाव सरीरा सिद्धत्थगहरियालिया-कय-मंगलमुद्धाणा सरहिं 2 गिहेहितो निग्गच्छंति 2 हत्थिणापुरं नगरं मझमज्झणं जेणेच बलस्स रन्नो भवणवरखडेंसए तेणेव उबागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता भवण-वर-वडेंसग-पडिदुबारंसि एगो मिलंति एगो मिलित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता करयल जाव कटु बलरायं जएणं विजएणं वद्धाति 11 / तए णं सुविणलक्खणपादगा बलेणं रन्ना वंदियपूइय-सकारिय-सम्माणिया समाणा पत्तेयं 2 पुवन्नत्थेसु भदासणेसु निसीयंति 12 / तए णं से बले राया पभावतिं देविं जवणियंतरियं ठगवेइ ठावेत्ता पुष्फफलपडिपुग्नहत्थे परेणं विणएणं ते सुविणलक्खणपाढए एवं वयासी--एवं खलु देवाणुप्पिया ! पभावती देवी अज तंसि तारिसगंसि वासघरंसि जाव सीहं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा तरणं देवासुप्पिया ! एयस्स पोरालस्स जाव के मन्ने कलाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ?, 13 / तए णं सुविणलक्खणपाढगा बलस्स रन्नो अंतियं एयमढे सोचा Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सत्रं : शतकं 11 : उ० 11] [361 निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हयहियया तं सुविणं योगिरहति 2 ईहं अणुप्पविसंति अणुप्पविसित्ता तस्स सुविणस्स अत्थोग्गहणं करेंति 2 त्ता अन्नमन्नेणं सद्धिं संचालेंति 2 तस्स सुविणस्स लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा बलस्स रन्नो पुरषो सुविणसस्थाई उचारेमाणा 2 एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं सुविणसत्थंसि वायालीसं सुविणा तीसं महासुविणा बावत्तरि सब्वसुविणा दिट्टा, तत्थ णं देवाणुप्पिया ! तित्थगरमायरो वा चकवट्टिमायरो वा तित्थगरंसि वा चकवट्टिसि वा गभं वकममाणंसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं इमे चोदस महासुविणे पासित्ताणं पडिबुझति, तंजहा-गय-वसह-सीह-अभिसेय-दाम-ससि-दिणयरं झयं कुंभं। पउमसर-सागर-विमाण-भवण-रयणुच्चय-सिहिं च 14 // 1 // 14 / वासुदेवमायरो वा वासुदेवंसि गम्भं वक्कममाणसि एएसिं चोद्दसराहं महासुविणाणं अन्नयरे सत्त महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति, बलदेवमायरो वा बलदेवसि गम्भं वकममाणंसि एएसिं चोदसराहं महासुविणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ता णं पडिबुझति, मंडलियमायरो वा मंडलियंसि गम्भं वकममाणंसि एतेसि णं चउदसराहं महासुविणाणं अन्नयरं एगं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुज्झति 15 / इमे य णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए एगे महासुविणे दिट्ट, तं श्रोराले णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिढे जाव आरोग्गतुट्टि जाव मंगलाकारए णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिट्ट, अत्यलाभो देवाणुप्पिए ! भोगलाभो देवाणुप्पिए ! पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! रजलाभो देवाणुप्पिए !, एवं खलु देवाणुप्पिए / पभावती देवी नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं जाव वीतिक्कंताणं तुम्हं कुलकेउं जाव पयाहिति, सेऽविय णं दारए उम्मुक्कबालभावे जाव रजवई राया भविस्सइ अणगारे वा भावियप्पा, तं थोराले णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिट्ठ Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 392 ] ... [ बीमदागमसुधासिन्धु : द्वितीयो विभागः जाव आरोग्ग-तुट्ठिीहाउय-कलाण जाव दिढे 16 / तए णं से बले राया सुविणलक्खणपाढगाणं अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म हट्टतुट्टे करयल जान कटु ते सुविणलक्खणपाढगे एवं वयासी-एवमेयं देवाणुप्पिया / जाव से जहेयं तुब्भे वदहत्तिकटु तं सुविणं सम्मं पडिच्छइ 2 ता सुविणलक्खणपाढए बिउलेणं असण-पाण-खाइम-साइम-पुष्फ-वस्थ गंध-मल्लालंकारेणं सकारेति संमाणेति सकारेत्ता संमाणेत्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयति 2 पडिविसज्जेति पडिविसज्जेत्ता सीहासणाश्रो अन्भुट्ठई सीहासणायो अमुट्ठत्ता जेणेव पभावती देवी तेणेव उवागल्छ। तेणेव उवागच्छित्ता पभावती देवी ताहिं इटाहि कंताहिं जाव संलवमाणे संलवमाणे एवं वयासी-एवं खलु देवासुप्पिया ! सुविणसत्थंसि बायालीसं सुविणा तीसं महासुविणा बावत्तरि सब्बसुविणा दिट्ठा, तत्थ णं देवाणुप्पिए ! तित्थगरमायरो वा चकवट्टिमायरो वा तं चेव जाव अन्नयरं एगं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुझंति, इमे य णं तुमे देवाणुप्पिए ! एगे महासुविणे दिद्रुतं श्रोराले तुमे देवी ! सुविणे दिढे जाव रजवई राया भविस्सइ अणगारे वा भावियप्पा, तं अोराले णं तुमे देवी ! सुविणे दि8 जाव दिट्ठत्तिकट्टु पभावति दविं ताहि इटाहि कंताहिं जाव दोच्चंपि तव्वंपि अणुबहइ 17 / तए णं सा पभावती देवी बलस्स रनो अंतियं एयम? सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा करयल जाव एवं वयासी-एयमेयं देवाणुप्पिया / जाव तं सुविणं सम्म पडिच्छत्ति तं सुविणं सम्म पडिच्छित्ता बलेणं रन्ना अभणुनाया समाणी नाणामणिरयण-भत्तिचित्त जाव अब्भुट्ठति अतुरिय-मचवल जाव गतीए जेणेव सए भवणे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता सयं भवर्णमणुपविट्ठा 18 / तए णं सा पभावती देवी राहाया कयबलिकम्मा जाव सव्वालंकारविभूसिया तं गभं णाइसीएहिं नाइउपहेहिं नाइतित्तेहिं नाइकडएहि नाइकसाएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहुरेहिं उउ-भयमाण-सुहेहिं भोयण-च्छायण-गंधमल्लेहिं Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 11:: उ० 11 ] [363 जं तस्स गभस्स हियं मितं पत्थं गम्भपोसणं तं देसे य काले य श्राहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहिं सयणासणेहिं पइरिकसुहाए मणाणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला संपुन्नदोहला सम्माणियदोहला अविमाणियदोहला वोच्छिन्नदोहला वव(वि)णीयदोहला ववगयरोगमोहभयपरित्तासा तं गभं सुहंसुहेणं परिवहति (जाव तुयट्टइ) 11 / तए णं सा पभावती देवी नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं श्रद्धट्ठमाण राइंदियाणं वीतिक्कंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीण-पडिपुन्न-पंचिंदिय-सरीरं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं जाव ससिसोमाकारं कंतं पियदंसणं सुरूवं दारयं पयाया 20 / तए णं तीसे पभावतीए देवीए अंगपडियारियायो पभावति देविं पसूयं जाणेत्ता जेणेव बले राया तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता करयल जाव बलं रायं जयेणं विजएणं वद्धाति जएणं विजएणं वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! पभावती पियट्टयाए पियं निवेदेमो पियं मे भवउ 21 / तए णं से बले राया अंगपडियारियाणं अंतियं एयमट्ट सोचा निसम्म हटुतुट्ठ नाव धाराहयणीव जाव रोमकूवे तासिं अंगपडियारियाणं मउडवजं जहामालियं श्रोमोयं दलयति 2 सेतं रययामयं विमलसलिलपुन्नं भिंगारं च गिराहइ गिरिहत्ता मत्थए धोवइ मत्थए धोवित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयति पीइदाणं दलयित्ता सकारेति सम्माणेति 22 // सूत्रं 428 // तए णं से बले राया कोडुबियपुरिसे सदावेइ सदावेत्ता एवं वयासी-खिप्पाभेव भो देवाणुप्पिया ! हत्थिणापुरे नयरे चारगसोहणं करेह 2 माणुम्माणवडणं करेह 2 हत्थिणापुरं नगरं सभितरवाहिरियं आसियसंमजियोवलित्तं जाव करेह कारवेह करेत्ता य कारवेत्ता य यसहस्सं वा चकसहस्सं वा पूयामहामहिमसकारं वा उस्सवेह 2 ममेतमाणत्तियं पचप्पिणह, तए णं ते कोडबियपुरिसा बलेणं रना एवं वुत्ता समाणा जाव पचप्पिणंति 1 / तए णं से बले राया जेणेव श्रट्टणसाला तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता तं चेव जाव मजण Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 394 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः घरायो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता उस्सुक्कं उकरं उकिट्ठ अदिज्ज अमिज्ज अभडप्पवेसं अदंडकोडंडिमं अधरिमं गणियावर-नाडइज कलियं अणेग-तालावराणुचरियं अणुद्धय-मुइंगं अमिलाय-मल्लदामं पमुइय-पक्कीलियं सपुर-जण-जाणवयं (विजय-वेजइयं) दसदिवसे ठिइवडियं करेति 2 / तए णं से बले राया दसाहियाए ठिइवडिवाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए य दलमाणे य दवावेमाणे य सए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य लंभे पडिच्छेमाणे पडिच्छावेमाणे एवं विहरइ 3 / तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे टिइवडियं करेइ तइए दिवसे चंदसूरदंसणियं करेइ छ8 दिवसे जागरियं करेइ एकारसमे दिवसे वीतिक्कते निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहदिवसे विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडाविति 2 जहा सिवो जाव खत्तिए य पामतेति 2 तश्रो पच्छा राहाया कयबलिकम्मा तं चेव जाव सकारेंति सम्माणेति 2 तस्सेव मित्तणाति जाव राईण य खत्तियाण य पुरश्रो अजय-पजय-पिउपजयागयं बहुपुरिस-परंपरप्परूदं कुलागुरूवं कुलसरिसं कुलसंताण-तंतुवद्धणकरं अयमेयाख्वं गोन्नं गुणनिष्फन्नं नामधेज्जं करेंतिजम्हा णं अम्हं इमे दारए बलस्स रन्नो पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए तं होउ णं अम्हं एयस्स दारगस्स नामधेज्जं महब्बले, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्जं करेंति महब्बलेत्ति 4 / तए णं से महब्बले दारए पंचधाईपरिग्गहिए, तंजहा-खीरधाईए एवं जहा दढपइन्ने जाव निवाय. निबाघायंसि सुहंसुहेणं परिवड्डति 5 / तए णं तस्स महब्बलस्स दारगस्स अम्मापियरो अणुपुटवेणं ठितिरडियं वा चंदसूरदंसावणियं वा जागरियं वा नामकरणं वा परंगामणं वा पयचंकमणं वा जेमामणं वा पिंडवद्धणं. वा पजपावणं वा कराणवेहणं वा संवच्छरपडिलेहणं वा चोलोयणगं च उवणयणं च अन्नाणि य बहूणि गम्भाधाण-जम्मण-मादियाई कोउयाई करेंति 6 / Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . . . . श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 11 : उ० 11 ] [ 365 तए णं तं महब्बलं कुमारं अम्मापियरो सातिरेगट्टवासगं जाणित्ता सोभणंसि तिहिकरणमुहुत्तंसि एवं जहा दढप्पइन्नो जाव अलं भोगसमत्थे जाए यावि होत्था 7 / तए णं तं महब्बलं कुमारं उम्मुक्कबालभावं जाव प्रलं भोगसमत्थं विजाणित्ता अम्मापियरो अट्ट पासायव.सए करेंति 2 अभुग्गय-मूसियपहसिए इव वन्नो जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पडिरूवे तेसि णं पासायवडेंसगाणं बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महेगं भवणं करेंति अणेग-खंभ-सयसंनिविट्ठ वनयो जहा रायप्पसेणइज्जे पेच्छाघरमंडवंसि जाव पडिरूवे 8 // सूत्रं 421 // तए णं तं महब्बलं कुमारं अम्मापियरो अन्नया कयावि सोभणंसि तिहि-करण-दिवस-नक्सत्त-मुहुत्तंसि राहायं कयवलिकम्मं कयकोउयमंगल-पायच्छित्तं सवालकार-विभूसियं पमक्खणग-गहाण-गीय-वाइय-पसाहणटुंगतिलग-कंकण-अविहबबहु-उवणीयं मंगल-सुजंपिएहि य वरकोउयमंगलोवयार-कय-संतिकम्म सरिसयाणं सरित्तयाणं सरिव्वयाणं सरिस-लावन्नरूव--जोवण -गुणोववेयाणं विणीयाणं कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ताणं सरिसएहिं रायकुलेहितो पाणिल्लियाणं अट्टराहं रायवरकन्नाणं एगदिवसेणं पाणिं गिराहाविंसु 1 / तए णं तस्स महाबलस्स कुमारस्स अम्मापियरो अयमेयास्वं पीइदाणं दलयंति, तंजहा-अट्ठ हिरनकोडीयो, अट्ठ सुवनकोडीयो, अट्ट मउडे मउडप्पवरे, अट्ठ कुंडलजुए कुंडलजुयप्पवरे, अट्ट हारे हारप्पवरे, अट्ठ श्रद्धहारे अद्धहारप्पवरे, अट्ठ एगावलीयो एगावलिप्पवरायो, एवं मुत्तावलीयो, एवं कणगावलीयो, एवं रयणावलीयो, अट्ठ कडगजोए कडगजोयप्पवरे, एवं तुडियजोए, अट्ठ खोमजुयलाई खोमजुयलप्पवराई, एवं वडगजुयलाई, एवं पट्टजुयलाई, एवं दुगुलजुयलाई, अट्ठ सिरीयो, अट्ठ हिरीयो, एवं धिईयो, कित्तीयो, बुद्धीयो, लच्छीओ, अट्ठ नंदाई, अट्ठ भदाई, अट्ठ तले तलप्पवरे सब्बरयणामए णियग-वर-भवणकेऊ, अट्ट झए झयप्पवरे, अट्ट वये वयप्पवरे दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अट्ठ Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 393 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयों विभागः , नाडगाइं नाडगप्पवराई बत्तीसब द्रेणं नाडएणं, अट्ठ असे श्रामप्पवरे सब्बरयणामए सिरिघरपडिरूबए, अट्ट हत्थी हत्थिप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए, अट्ठ जाणाई जाणप्पवराई, अट्ठ जुगाई जुगप्पवराई, एवं सिबियायो, एवं संदमाणीयो, एवं गिल्लीयो, थिल्लीयो, अट्ठ वियडजाणाई वियडजाणप्पवराई, अट्ठरहे पारिजाणिए, अट्ठ रहे संगामिए, अट्ठ श्रासे अासप्पवरे, अट्ट हत्थी हस्थिप्पवरे, अट्ठ गामे गामप्पवरे, दसकुलसाहस्सिएणं गामेणं, अट्ठ दासे दासप्पवरे, एवं चेव दासीयो, एवं किंकरे, एवं कंचुइज्जे, एवं वरिमधरे, एवं महत्तरए, अट्ट सोवन्निए अोलंबणदीवे, अट्ट रुप्पामए अोलंबणदीवे, अट्ट सुवन्नरुप्पामए अोलंबणदीवे, अट्ट सोवनिए उसकंचणदीवे, एवं चेव तिन्निवि अट्ट सोवन्निए थाले, अट्ठ रुप्पमए थाले,अट्ट सुवन्नरम्पमए थाले, अट्ट सोवन्नियायो पत्तीश्रो 3, अट्ट सोपनियाई थासयाइं 3, अट्ट सोवन्नियाई मंगलाई 3, अट्ठ सोवन्नियायो तलियारो, अट्ट सोवन्नियायो कावइयायो, अट्ट सोवन्निए अवएडए, श्र? सोवनियायो अवयकायो, अटुं सोवरिणए पायपीढए 3, अट्ट सोवन्नियायो भिसियाओ, अट्ट सोवनियायो करोडियायो, अट्ट सोवनिए पल्लंके, अट्ट सोवनियायो पडिसेजायो, अट्ट हंसासणाई, अट्ट कोंचासणाई, एवं गरुलासणाई, उन्नयासणाई, पणयासणाई, दीहासणाई, भद्दासणाई, पक्खासणाई, मगरासणाई, अट्ठ पउमासणाई, अट्ट दिसासोवत्थियासणाई, अट्ट तेल्लसमुग्गे, जहा रायप्पसेणइज्जे जाव अट्ठ सरिसवसमुग्गे, अट्ठ खुजायो, जहा उववाइए जाव अट्ठ पारिसीयो, अट्ठ छत्ते, अट्ठ छत्तधारियो चेडीयो, अट्ठ चामरायो, अट्ठ चामरधारीयो चेडीयो, अट्ठ तालियंटे, अट्ठ तालियंटधारीयो चेडीयो, अट्ठ करोडियाधारीयो, चेडीयो, अट्ठ खीरधातीश्रो जाव अट्ट अंकधातीयो, अट्ट अंगमदियायो, अट्ठ उम्मदियायो, अट्ट राहावियायो, अट्ठ पसाहियायो, अट्ठ वन्नगपेसीश्रो, अट्ठ चुन्नगपेसीयो, अटु कोट्ठागारीयो, अट्ट दवकारीयो, अट्ट उवत्थाणि Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 11 : उ० 11 ] [ 367 यायो, अट्ठ नाडइजात्रों, अट्ट कोडविणीश्रो, अट्ठ महाणसिणीओ, अट्ठ भंडागारिणीयो, अट्ट अज्झाधारिणीयो, अट्ठ पुप्फधरणीयो, अट्ठ पाणिधरणीयो, अट्ठ बलिकारीयो, अट्ट सेजाकारीयो, अट्ठ अभितरियायो पडिहारीयो, अट्ठ बाहिरियारो पडिहारीयो, अट्ठ मालाकारीयो, अट्ठ पेसणकारीयो, अन्नं वा सुबहुं हिरन्नं वा सुवन्नं वा कंसं वा दूसं वा विउलधण-कणग जाव संत-सार-सावएज्जं अलाहि जाव भासत्तमात्रो कुलवंसायो पकामं दाउं पकामं भोत्तुपकामं परिभाएउं 2 / तए णं से महब्बले कुमारे एगमेगाए भजाए एगमेगं हिरनकोडिं दलयति, एगमेगं सुवनकोडिं दलयति, एगमेगं मउडं मउडप्पवरं दलयति, एवं तं चेव सव्वं जाव एगमेगं पेसणकारिं दलयति अन्नं वा सुबहुं हिरन्नं वा जाव परिभाएउं, तए णं से महब्बले कुमारे उर्षि पासायवरगए जहा जमाली जाव विहरति 3 // सूत्रं 430 // तेणं कालेणं 2 विमलस्स अरहयो पोप्पए धम्मघोसे नामं अणगारे जाइसंपन्ने वनो जहा केसिसामिस्स जाव पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिबुडे पुवाणुपुरि चरमाणे गामाणुगामं दूतिजमाणे जेणेव हत्थिणागपुरे नगरे जेणेव सहसंबवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ 2 ग्रहापडिरूवं उग्गहं श्रोगिराहति 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति 1 / तए णं हथिणापुरे नगरे सिंघाडगतिय जाय परिसा पन्जुवासइ 2 / तए णं तस्त महब्बलस्स कुमारस्स तं महया जणसह वा जणवूहं वा एवं जहा जमाली तहेव चिंता तहेव कंचुइजपुरिसं सदावेति, कंचुइजपुरिसोवि तहेव अक्खाति, नवरं धम्मघोसस्स अणगारस्स श्रागमण-गहिय-विणिच्छए करयल जाव निग्गच्छइ, एवं खलु देवाणुप्पिया ! विमलस्स अरहयो पउप्पए धम्मघोसे नाम अणगारे सेसं तं चेव जाव सोवि तहेव रहवरेणं निग्गच्छति 2 / धम्मकहा जहा केसिसामिस्स, सोवि तहेव अम्मापियरो श्रापुज्छइ, नवरं धम्मघोसस्स अणगारस्त अंतियं मुडे भवित्ता Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 368 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वित्तीयो विमागः श्रगाराश्रो अणगारियं पव्वइत्तए तहेव वृत्तपडिवुत्तया नवरं इमायो य ते जाया ! विउलराय-कुलबालियायो कलाकुसल-सव्व-काल-लालिय-सुहोचि. यात्रो सेसं तं चेव जाव ताहे अकामाई चेव महब्बलकुमारं एवं वयासीतं इज्छामो ते जाया ! एगदिवसमवि रजसिरिं पासित्तए, तए णं से महब्बले कुमारे अम्मापियराण वयणमणुयत्तमाणे तुसिणीए संचिट्ठति 3 / तए णं से बले राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ एवं जहा सिवभहस्स तहेव रायाभिसेयो भाणियव्यो जाव अभिसिंचति करयलपरिग्गहियं महब्बलं कुमारं जएणं विजएणं वद्धाति जएणं विजएणं वद्धावित्ता जाव एवं वयासी-भण जाया ! कि देमो किं पयज्छामो ? सेसं जहा जमालिस्स, तहेव जाव तए णं से महब्बले अणगारे धम्मघोसस्स अणगारस्स अंतियं सामाइयमाइयाइं चोइस पुव्वाइं अहिजति 2 बहूहिं चउत्थ जाव विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणे बहुपडिपुन्नाई दुवालस वासाइं सामनपरियागं पाउणति 2 मासियाए संलेहणाए सढि भत्ताई अणसणाएं छेदेति बालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा उ8 चंदमसूरिय जहा अम्मडो जाव बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिती पराणत्ता, तत्थ णं महब्बलस्सवि दस सागरोवमाई ठिती पत्नत्ता 4 / से णं तुमं सुदंसणा ! बंभलोगे कप्पे दस सागरोवमाई दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्ता ताबो चेव देवलोगायो आउक्खएणं 3 अणंतरं चयं चइत्ता इहेव वाणियगामे नगरे सेट्ठिकुलंसि पुत्तत्ताए पञ्चायाए 5 // सूत्रं 431 // तए णं तुमे सुदंसणा ! उम्मुक्कबालभावेणं विनायपरिणयमेत्तेणं जोव्वणगमणुप्पत्तेणं तहारूवाणं थेराणं अंतियं केवलिपन्नत्ते धम्मे निसंते, सेविय धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए तं सुट्ठ णं तुमं सुदंसणा ! इदाणिं पकरेसि 1 / से तेणटेणं सुदंसणा ! एवं वुच्चइ-अस्थि णं एतेसिं पलिग्रोवमसागरोवमाणं खयेति Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 11 : उ० 12 ) [ 399 वा अवचयेति वा 2 / तए णं तस्स सुदंसणस्स सेटिम्स समणस्स भगवश्रो महावीरस्त अंतियं एयम8 सोचा निसम्म सुभेणं अज्झवसाणेणं सुभेणं परिणामेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तयावरणिजाणं कम्माणं खोवसमेणं ईहापोहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स सन्नीपुव्वे जातीसरणे समुप्पन्ने एयमट्ठ सम्म अभिसमेति 3 / तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणेणं भगवया महावीरेणं संभारिय-पुन्वभवे दुगुणाणीय-सडसंवेगे आणंदंसु-पुन्ननयणे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ 2 वंदइ नमसइ 2 ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! जाव से जहेयं तुझे वदहत्तिकट्टु उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमइ सेसं जहा उसमदत्तस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे 4 / नवरं चोइस पुव्वाइं अहिजइ, बहुपडिपुन्नाई दुवालस वासाई सामन्नपरियागं पाउणइ, सेसं तं चे 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरति 6 // सूत्रं 432 // महब्बलो समत्तो // // इति एकादशमशतके एकादशम उद्देशकः // 11-11 // ॥अथ एकादशमशतके आलभिकाख्य-द्वादशमोशद्देशकः॥ ... तेणं कालेणं 2 थालभिया नाम नगरी होत्था वन्नो, संखवणे चेइए वनयो, तत्थ णं श्रालंभियाए नगरीए बहवे इसिभदपुत्तपामोक्खा समणोवासया परिखसंति अड्डा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव विहरंति 1 / तए णं तेसिं समणोवासयाणं अन्नया कयावि एगयो सहियाणं समुवागयाणं संनिविट्ठाणं सन्निसन्नाणं अयमेयाख्वे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पजित्था-देवलोगेसु णं अजो ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणता ?, तए णं से इसिभद्दपुत्ते समणोवासए देवट्टितीगहिय? ते समणोवासए एवं वयासी-देवलोएसु णं अजो ! देवाणं जहराणेणं दसवाससहस्साई ठिती पराणत्ता, तेण परं समयाहिया दुसमयाहिया जाव Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 400 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयों विभागः दससमयाहिया संखेजसमयाहिया असंखेजसमयाहिया उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता, तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य 2 / तए णं ते समणोवासया इसिभइपुत्तस्स समणोवासगस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परुवेमाणस्म एयम8 नो सद्दहति नो पत्तियंति नो रोयंति एयम? असदहमाणा अपत्तियमाणा अरोएमाणा जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया 3 // सूत्रं 433 // तेणं कालेणं 2 समणे भगवं महावीरे जाव समोसड्ढे जाव परिसा पज्जुवासइ 1 / तए णं ते समणोवासया इमीसे कहाए लट्ठा समाणा हट्टतुट्ठा एवं जहा तुगिउद्देसए जाव पज्जुवासंति 2 / तए णं समणे भगवं महावीरे तेसि समणोवासगाणं तीसे य महतिमहालियाए जाव धम्मकहा जाव आणाए श्राराहए. भवइ 3 / तए णं ते समणोवासया समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियं धम्म सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा उट्ठाए उट्टेइ उट्ठाए उर्दुत्ता समणं भगवं महावीर वंदन्ति नमंसन्ति 2 एवं वदासी-एवं खलु भंते ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए अम्हं एवं श्राइक्खइ जाव परुवेइ-देवलोएसु णं अजो ! देवाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई ठिती पन्नत्ता तेण परं समयाहिया जाव तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य, से कहमेयं भंते ! एवं ?, 4 / अजोत्ति ! समणे भगवं महावीरे ते समणोवासए एवं वयासी-जन्नं अजो ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए तुझ एवं श्राइक्खइ जाव परुवेइ-देवलोगेसु णं अजो ! देवाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई ठिई पन्नत्ता, तेण परं समयाहिया जाव तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य, सच्चे णं एसमढे, अहं पुण अजो ! एवमाइक्खामि जाव परुवे मि-देवलोगेसु णं अजो ! देवाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई तं चेव जाव तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य, सञ्च णं एसमढे 5 / तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म समणं भगवं महावीरं वंदन्ति नमंसन्ति 2 Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतर्फ 11 : उ० 12 ] [4.1 जेणेव इसिभइपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागज्छन्ति 2 इसिभद्दपुत्तं समणोवासगं वंदंति नमसंति 2 एयमढे संमं विणएणं भुजो 2 खामेंति 6 / तए णं समणोवासया पसिणाई पुच्छंति 2 अट्ठाई परियादेयंति 2 समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति 2 जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया 7 // सूत्र 434 // भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ 2 एवं वयासी-पभू णं भंते ! इसिभद्दपुत्ते समाणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं मुडे भवित्ता श्रागाराश्रो अणगारियं पव्वइत्तए ?, गोयमा ! णो तिण? सम?; गोयमा ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए बहूहि सीलव्वय-गुणवयवेरमण-पञ्चक्खाण-पोसहोववासेहिं ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे बहूई बासाइं समणोवासगपरियागं पाउहिति 2 मासियाए संलेहणाए अंत्ताणं झूसेहिति 2 सढि भत्ताई श्रणसणाई छेदेहिति 2 श्रालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणामे विमाणे देवत्ताए उववजिहिति, तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलियोधमाई ठिती पराणत्ता, तत्थ णं इसिभदपुत्तस्सवि देवस्स चत्तारि पलिग्रोवमाई ठिती भविस्सति 1 / से णं भंते ! इसिभद्दपुत्ते देवे तातो देवलोगाश्रो बाउक्खएणं भवक्खएणं ठिक्खएणं जाव कहिं उववजिहिति?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहेति 2 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति भगवं गोयमे जाव अप्पाणं भावमाणे विहरइ // सूत्रं 435 // तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयावि पालभियायो नगरीयो संखवणायो चेइयायो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं ग्रालंभिया नामं नगरी होत्था वनयो, तत्थ णं संखवणे णामं चेइए होत्था वन्नयो, तस्स ण संखवणस्स अदूरसामंते पोग्गले नाम परिव्वायए परिवसति रिउव्वेदजजुरवेद जाव नएसु सुपरिनिट्टिए छट्टछट्टणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेगां उड्ड-बाहायो जाव 51 Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 402) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः पायावेमाणे विहरति 2 / तए णं तस्स पोग्गलस्स छटुंछट्ठणं जाव पायावेमाणस्स पगतिभद्दयाए जहा सिवस्स जाव विभंगे नाम अन्नाणे समुप्पन्ने, से णं तेणं विभंगेगां नाणेणं समुष्पन्नेणं बंभलोए कप्पे देवाणां वितिं जाणति पासति 3 / तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-अस्थि णं ममं अइसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, देवलोएसु णं देवाणं जहन्नेगां दसवाससहस्साई ठिती पराणत्ता, तेण परं समयाहिया दुसमयाहिया जाव उक्कोसेगां असंखेज-समयाहिया उक्कोसेगां दससागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य 4 / एवं संपेहेति एवं 2 पायावणभूमीग्रो पचोरुहइ 2 तिदंड-कुडिया जाव धाउरत्तायो य गेराहइ 2 जेणेव बालंभिया णगरी जेणेव परिवायगावसहे तेणेव उवागच्छइ 2 भंडनिक्खेवं करेति 2 श्रालंभियाए नगरीए सिंघाडग जाव पहेसु अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परुवेइ-अस्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, देवलोएंसु णं देवाणां जहन्नेगां दसवाससहस्साइं तहेव जाव वोज्छिन्ना देवा य देवलोगा य 5 / तए णं श्रालंभियाए नगरीए एएगां अभिलावेगां जहा सिवस्स तं चेव जाव से कहमेयं मन्ने एवं ?, सामी समोसढे नाव परिसा पडिगया, भगवं गोयमे तहेब भिक्खायरियाए तहेव बहुजणसई निसामेइ तहेव बहुजणसह निसामेत्ता तहेव सव्वं भाणियव्वं जाव अहं पुण गोयमा ! एवं प्राइक्खामि एवं भासामि जाव परूवेमि-देवलोएसु णं देवाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई ठिती पराणत्ता तेण परं समयाहिया दुसमयाहिया जाव उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता, तेण परं वोच्छिन्ना देवा य देवलोगा य 6 / त्थि णं भंते ! सोहम्मे कप्पे दव्वाइं सवन्नाइंपि अवन्नाइंपि ? तहेव जाव हंता अस्थि, एवं ईसाणेवि, एवं जान बच्चुए, एवं गेवेजविमाणेसु श्रणुत्तरविमाणेसुवि, ईसिपभागएवि ? जाव हंता अस्थि 7 / तए णं सा Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्न्याश्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र में शतकं 12. उ० 1] [401 महतिमहालिया जाव पडिगया, तए णं पालंभियाए नगरीए सिंघाडगतिय जाव पहेसु अवसेसं जहा सिवस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे नवरं तिदंडकुंडियं जाव धाउरत्त-वत्थ-परिहिए परिवडिय-विभंगे पालंभियं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छति जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमति 2 तिदंडकुडियं च जहा खंदयो जाव पव्वइयो सेसं जहा सिवस्स जाव अब्बाबाहं सोक्खं अणुभवंति सासयं सिद्धा / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 436 // एकारसमं सयं समत्तं // // इति एकादशमशतके द्वादशम उद्देशकः / / 11-12 // // इति एकादशमं शतकम् // 11 // ॥अथ द्वादशमशतके शङ्खश्रमणोपासकाख्य-प्रथमोद्देशकः॥ संखे 1 जयंति 2 पुढवि 3 पोग्गल 4 श्रइवाय 5 राहु 6 लोगे य 71 नागे य 8 देव 1 पाया 10 बारसमसए दसुबेसा // 1 // तेणं कालेणं 2 सावत्थीनाम नगरी होत्था वन्नयो, कोट्ठए चेइए पन्नो, तत्थ णं सावत्थीए नगरीए बहवे संखप्पामोक्खा समणोवासगा परिवसंति अड्डा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव विहरंति 1 / तस्स णं संखस्स समणोवासगस्स उप्पला नाम भारिया होत्था सुकुमाल जाव सुरुवा समणोवासिया अभिगयजीवा 2 जाव विहरइ 2 / तत्थ णं सावत्थीए नगरीए पोक्खलीनामं समणोंवासए परिवसइ अड्डे अभिगय जाव विहरइ 3 / तेणं कालेणं 2 सामी समोसढे परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ, तए णं ते समणोवासगा इमीसे जहा पालभियाए जाव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणां तीसे य महतिमहालियाए जाव धम्मकहा जाव परिसा पडिगया 4 / तए णं ते समणोवासगा समणस्त भगवत्रो महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हटतुट्ठ जाव Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4.4 ] ... . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः यहियया समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता पसिणाई पुच्छति अट्ठाई परियादियंति 2 उठाए उ8ति 2 समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियात्रो कोट्ठयायो चेइयायो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव सावत्थी नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए 5 // सूत्रं 437 // तए णं से संखे समणोवासए ते समणोवासए एवं वयासी-तुज्झे णं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेह, तए णं अम्हे तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं यासाएमाणा विसाएमाणा परिभुजेमाणा परिभाएमाणा .. पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा विहरिस्सामो 1 / तए णं ते समणोवामगा संखस्स समणोवासगस्स एयम४ विणएणं पडिसुणंति, तए णं तस्स संखस्स समणोवासगस्स अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-नो खलु मे सेयं तं विउलं असणं जाव साइमं अस्साएमाणस्स 4 पविखयं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, सेयं खलु मे पोसहसालाए पोसहियस्स बंभचारिस्स उम्मुक्कमणिसुवन्नस्स ववगय-मालावन्नग-विलेवणस्स निक्खित्तसत्थमुसलस्स एगस्स अबिइयस्स दम्भ संथारोवगयस्स पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तएत्तिकटटु एवं संपेहेति 2 जेणेव सावस्थीनगरी जेणेव सए गिहे जेणेव उप्पला समणोवासिया तेणेव उवागच्छइ 2 उप्पलं समणोवासियं प्रापुच्छइ 2 जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 पोसहसालं अणुपविसइ 2 पोसहसालं पमजइ 2 उच्चारपासवणभूमी पडिलेहेइ 2 दम्भसंथारगं संथरति 2 दव्भसंथारगं दुरूहइ 2 पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे विहरति 2 / तए णं ते समणोवासगा जेणेव सावत्थी नगरी जेणेव साइं गिहाई तेणेव उवागच्छंति 2 विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेति 2 अन्नमन्ने सदाति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हेहिं से विउले असण-पाण-खाइम-साइमे उवक्खडाविए, संखे य णं समणोवासए Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतक 12 :: उ०१] (4.5 नो हव्वमागच्छइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं संखं समणोवासगं सदावेत्तए 3 / तए णं से पोक्खली समणोवासए ते समणोवासए एवं वयासी-अच्छह णं तुज्झे देवाणुप्पिया ! सुनिव्वुया वीसत्था अहन्नं संखं समणोवासगं सदावेमित्तिकट्टु तेसिं समणोवासगाणं अंतियायो पडिनिक्खमति 2 सावत्थीए नगरीए मज्झमझेणं जेणेव संखस्स समणोवासगस्स गिहे तेणेव उवागच्छति 2 संखस्स समणोवासगस्स गिहं अणुपवि? 4 / तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलि समणोवासयं एजमाणं पासइ 2 हट्टतुट्ठ जाव हयहियया भासणायो अब्भु?इ 2 ता सत्त? पयाई श्रणुगच्छइ 2 पोक्खलि समणोवासगं वंदति नमसति वंदित्ता नमंसित्ता भासणेणं उवनिमंतेइ 2 एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणप्पयोयणं ?, 5 / तए णं से पोक्खली समणोवासए उप्पलं समणोवासियं एवं वयासी-कहिन्नं देवाणुप्पिए ! संखे समणोवासए ?, तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलं समणोवासयं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए वंभयारी जाव विहरइ 6 / तए णं से पोक्सली समणोवासए जेणेव पोसहसाला जेणेव संखे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 गमणागमणाए पडिक्कमइ 2 संखं समणोवासगं वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुपिया ! अम्हेहिं से विउले असण जाव साइमे उवक्खडाविए तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! तं विउलं असणं जाव साइमं श्रासाएमाणा जाव पडिजागरमाणा विहरामो 7 / तए णं से संखे समणोवासए पोक्खलिं समणोवासगं एवं वयासी-णो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया ! तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं अासाएमाणस्स जाव पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, कप्पइ मे पोसहसालाए पोसहियस्स जाव विहरित्तए, तं छदेणं देवाणुप्पिया ! तुम्भे तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं श्रासाएमाणा Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो पिनानः जाव विहरइ 8 / तए णं से पोक्सली समणोवासगे संखस्स समणोवासगस्स अंतियायो पोसहसालारो पडिनिक्खमइ 2 ता सावत्थिं नगरिं मझमज्झेणं जेणेव ते समणोवासगा तेणेव उवागच्छइ 2 ते समणोवासए एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए जाव विहरइ, तं छदेणं देवाणुप्पिया ! तुज्झे विउलं असणपाणखाइमसाइमे जाव विहरह, संखे णं समणोवासए नो हव्वमागच्छइ 1 / तए णं ते समणोवासगा तं विउलं असणपाणखाइमसाइमे श्रासाएमाणा. जाव विहरंति 10 / तए णं तस्स संखस्स समणोवासगस्स पुठवरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे जाव समुप्प. जित्था-सेयं खलु मे कल्लं जाव जलते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता जाव पज्जुवासित्ता तयो पडिनियत्तस्स पक्खियं पोसहं पारित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति एवं 2 कल्लं जाव जलते पोसहसालायो पडिनिक्खमति 2 सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवर-परिहिए सयायो गिहायों पंडिनिक्खमति सयायो गिहायो पडिनिक्खमित्ता पादविहारचारेणं सावत्थिं नगरि मझमझेणं जाव पज्जुवासति, अभिगमो नत्थि 11 / तए णं ते समणोवासगा कल्लं पादुभुयाए जाव जलते राहाया कयबलिकम्मा जाव सरीरा सएहिं सएहिं गेहेहितो पडिनिक्खमंति सएहिं 2 एगयत्रो मिलायंति एगयो 2 सेसं जहा पढमं जाव पज्जुवासंति 12 / तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणं तीसे य धम्मकहा जाव श्राणाए धाराहए भवति 13 / तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवत्रो महावीरस्म अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा उठाए उट्ठति 2 समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव संखे समणोवासए तेणेव उवागच्छन्ति 2 संखं समणोवासयं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया ! हिज्जा अम्हेहिं अप्पणा चेव एवं वयासी-तुम्हे णं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12:: उ०१] [ 407 जाव विहरिस्सामो, तए णं तुमं पोसहसालाए जाव विहरिए तं सुठ्ठ णं तुमं देवाणुप्पिया ! अम्हं हीलसि 14 / अजोत्ति समणे भगवं महावीरे ते समणोवासए एवं वयासी-मा णं अजो ! तुज्झे संखं समणोवासगं हीलह निदह खिंसह गरहह अवमन्नह, संखे णं समणोवासए पियधम्मे चेव दढधम्मे चेव सुदक्खुजागरियं जागरिए 15 // सूत्रं 438 // भतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-कइविहा णं भंते ! जागरिया पराणत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जागरिया पराणत्ता, तंजहा-बुद्धजोगरिया अबुद्धजागरिया सुदक्खुजागरिया 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ तिविहा जागरिया पराणत्ता तंजहा-बुद्धजागरिया 1 अबुद्धजागरिया 2 सुदक्खुजागरिया 3?, गोयमा ! जे इमे अरिहंता भगवंता उप्पन्न-नाण-दसणधरा जहा खंदए जाव सवन्नू सव्वदरिसी एए णं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया भासासमिया जाव गुत्तवंभचारी एए णं श्रबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे समणोवासगा अभिगयजीवाजीवा जाव विहरन्ति एते णं सुदक्खुजागरियं जागरिति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ तिविहा जागरिया जाव सुदक्खुजागरिया 2 // सूत्रं 431 // तए णं से संखे समणोवासए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 एवं वयासी-कोहवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधए ? किं पकरेति ? किं चिणाति ? किं उवचिणाति ?, संखा ! कोहवस? णं जीवे पाउयवजायो सत्त कम्मपगडीयो सिदिलबंधणबद्धाश्रो एवं जहा पढमसए असंवुडस्स अणगारस्स जाव अणुपरियट्टइ 1 / माणवस? णं भंते ! जीवे एवं चे 2 / एवं मायावसट्टवि एवं लोभवसझेवि जाव अणुपरियट्टइ 3 / तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियं एयमढे सोचा निसम्म भीया तत्था तसिया संसारभउठिवग्गा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति 2 जेणेव संखे Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10. ......-[ भीमदानमसुभासिन्धुः / द्वितीयो विमाणा समणोवासए तेणेव उवागच्छंति 2 संखं समणोवासगं वदति नमसंति 2 त्ता एसमटुं समं विणएणं भुजो 2 खामेंति 4 / तए णं ते समणोवासगा सेसं जहा अालंभियाए जाव पडिगया 5 / भतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 एवं वयासी-पभू गां भंते ! संखे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं सेसं जहा इसिभद्दपुत्तस्स जाव अंतं काहेति 6 / से भंते ! सेवं भंते ति जाव विहरइ 7 // सूत्रं 440 // // इति द्वादशमशतके प्रथम उद्देशकः // 12-1 // ... . // अथ द्वादशमशतके जयन्तिश्रमणोपासिकाख्य द्वितीयोद्देशकः // तेणं कालेणं 2 कोसंबी नामं नगरी होत्था वन्नयो, चंदोवतरणे चेइए पन्नो, तत्थ णं कोसंबीए नगरीए सहस्साणीयस्स रनो पोत्ते सयाणीयस्स रन्नो पुत्ते चेडगस्स रन्नो नत्तुए मिगावत्तीए देवीए अत्तए जयंतीए समणोवासियाए भत्तिजए उदायणे नामं राया होत्था वनश्रो 1 / तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रन्नो सुराहा सयाणीयस्स रनो भन्जा चेडगस्स रन्नो धूया उदायणस्स रन्नो माया जयंतीए सम्णोवासियाए भाउजा मिगावती नामं देवी होत्था वन्नो, सुकुमाल जाव सुरूवा समणोवासिया जाव विहरइ 2 / तत्थ णं कोसंबीए नगरीए सहस्साणीयस्स रन्नो धूया सयाणीयस्स रन्नो भगिणी उदायणस्स रन्नो पिउच्छा मिगावतीए देवीए नणंदा वेसालीसावयाणं अरहताणं पुव्वसिजायरी जयंती नामं समणोवासिया होत्था सुकुमाल जाव सुरूवा अभिगय जाव विहरइ 3 // सूत्रं 441 // तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसड्ढे जाव परिसा पज्जुवासइ 1 / तए णं से उदायणे राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतु? कोडबियपुरिसे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-खिप्पामेव Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र // शतक 12 // 70 2] [41 भो देवाणुप्पिया ! कोसंबिं नगरि-मभितर-बाहिरियं एवं जहा कूणियो तहेव सव्वं जाव पज्जुवासए 2 / तए णं सा जयंती समणोवासिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्टतुट्ठा जेणेव मियावती देवी तेणेव उवागच्छइ 2 मियावती देवीं एवं वयासी-एवं जहा नवमसए उसभदत्तो जाव भविस्सइ 3 / तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेति 4 / तए णं सा मियावती देवी कोडबियपुरिसे सदावेइ 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्तजोइय जाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव उवट्ठवेंति जाव पञ्चप्पिणंति 5 / तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं राहाया कयबलिकम्मा जाव सरीरा बहूहिं खुजाहिं जाव अंतेउरायो निग्गच्छति अंतेउरायो निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ 2 जाव दुरूढा 6 / तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा समाणी नियगपरियालगा जहा उसभदत्तो जाव धम्मियायो जाणप्पवरात्रो पच्चोरुहइ 7 / तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं बहूहिं खुजाहिं जहा देवाणंदा जाव वंदइ नमसइ, उदायणं रायं पुरयो कटु ठितिया चेव जाव पज्जुवासइ 8 / तए णं समणे भगवं महावीरे उदायणस्स रन्नो मियावईए देवीए जयंतीए समणोवासियाए तीसे य महतिमहालियाए जाव धम्मकहा, परिसा पडिगया, उदायणे पडिगए, मियावती देवीवि पडिगया 1 // सूत्रं 442 // तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं . धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्टा समणं भगवं महावीर वंदइ नमसइ 2 एवं वयासी-कहिन्नं भंते ! जीवा गरुयत्तं हवमागच्छन्ति ?, जयंती ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं, एवं खलु जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छन्ति, एवं जहा 52 Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 410 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः पढमसए जाव वीयीवयंति 1 / भवसिद्धियत्तणं भंते ! जीवाणं किं सभावो परिणामो ?, जयंती ! सभावो नो परिणामयो 2 / सव्वेवि णं भंते ! भवसिद्धिया जीवा सिन्झिस्संति ?, हता! जयंती ! सव्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिन्झिस्संति 3 / जइ भंते / सव्वे भवसिद्धिया जीवा सिन्झिस्संति तम्हा णं भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ?, णो तिण? सम? 4 / से केणं खाइएणं अटेणं भंते ! एवं बुचइ सब्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिझिस्संति नो चेव णं भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ?, जयंती ! से जहानामए सव्वागाससेढी सिया श्रणादीया अणवदग्गा परित्ता परिवुडा सा णं परमाणुपोग्गलमत्तेहिं खंडेहिं समये 2 अवहीरमाणी 2 अणंताहिं श्रोसप्पिणीअवसप्पिणीहिं अवहीरंति नो चेव णं अवहिया सिया, से तेणटेणं जयंती ! एवं वुच्चइ सव्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिभिस्संति नो चेव णं भवसिद्धिअविरहिए लोए भविस्सइ 5 / सुत्तत्तं भंते ! साहू जागरियत्तं साहू ?, जयंती ! अथेगइयाणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू अत्थेगतियाणं जीवाणं जागरियत्तं साहू 6 / से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ अत्थेगइयाणं जाव साहू ?, जयंती! जे इमे जीवा अहम्मिया अहम्माणुया अहम्मिट्ठा अहम्मक्खाई अहम्मपलोई ग्रहम्मपलजमाणा अहम्मसमुदायारा ग्रहम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति एएसि णं जीवाणं सुत्तत्तं साहू, एए णं जीवा सुत्ता समाणा नो बहूणं पाणभूयजीवसत्ताणं दुक्खणयाए सोयणयाऐ जाव परियावणयाए वट्टति, एए णं जीवा सुत्ता समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो बहूहिं अहम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति, एएसि जीवाणं सुत्तत्तं साहू, जयंती ! जे इमे जीवा धम्मिया धम्माणुया जाव धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति एएसि णं जीवाणं जागरियत्तं साहू, एए णं. जीवा जागरा समाणा बहूणं पाणाणं जाव सत्ताणं अदुक्खणयाए जाव Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र " शतकं 12 : उ० 2 [411 अपरियावणियाए वट्टति, ते णं जीवा जागरमाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बहूहिं धम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति, एए णं जीवा जागरमाणा धम्मजागरियाए अप्पाणं जागरइत्तारो भवंति, एएसि णं जीवाणं जागरियत्तं साहू, से तेण?णं जयंती ! एवं वुच्चइ अथेगइयाणां जीवाणं सुत्तत्तं साहू अत्थेगइयाणां जीवाणं जागरियत्तं साहू 7 / बलियत्तं भंते ! साहू दुबलियत्तं साहू ?, जयंती ! अत्थेगइयाणां जीवाणं बलियत्तं साहू अत्थेगइयाणां जीवाणं दुबलियत्तं साहू 8 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव साहू ?, जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव विहरंति एएसि णं जीवाणं दुबलियत्तं साहू, एए णं जीवा एवं जहा सुत्तस्स तहा दुबलिस्स वत्तव्वया भाणियन्वा, बलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियध्वं जाव संजोएत्तारो भवंति, एएसि णं जीवाणं बलियत्तं साहू ?, से तेण?णं जयंती ! एवं बुच्चइ तं चेव जाव साहू 1 / दक्खत्तं भंते ! साहू यालसियत्तं साहू ?, जयंती ! अत्थेगतियाणं जीवाणं दवखत्तं साहू अत्थेगतियाणां जीवाणं श्रालसियत्तं साहू 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ तं चेव जाव साहू, ?, जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव विहरंति एएसि णं जीवाणं पालसियत्तं साहू, एए णं जीवा थालसा समाणा नो बहूणं जहा सुत्ता बालसा भाणियबा, जहा जागरा तहा दक्खा भाणिवा जाव संजोएतारो भवंति, पए णं जीवा दक्खा समाणा बहूहि शायरियवेयापव्वेहिं अज्झायवेयावच्चेहि थेरवेयावच्चेहिं तवस्सिवेयावच्चेहिं गिलाणवेयावच्चेहिं सेहवेयावच्चेहिं कुलवेयावच्चेहि गणवेयावच्चेहिं संघवेयावच्चेहिं साहम्मियवेयावच्चेहिं अत्ताणं संजोएत्तारो भवंति, एएसि णं जीवाणं दक्खत्तं साहू, से तेणढणं तं चेव जाव साहू 11 / सोइंदियवस? णं भंते ! जीवे किं बंधइ ?, एवं जहा कोहवसट्टे तहेव जाव अणु परियट्टइ 12 / एवं चक्खिदियवसट्टेवि, एवं जाव फासिदियवसट्टे Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 412 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागा जाव अणुपरियट्टइ 13 / तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतियं एयमढे सोचा निसम्म हटुतुट्ठा सेसं जहा देवाणंदाए तहेव पव्वइया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा 14 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 15 // सूत्रं 443 // // इति द्वादशमशतके द्वितीय उद्देशकः // 12-2 // // अथ द्वादशमशतके पृथिवीनामक-तृतीयोद्देशकः // ____ रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! पुढवीश्रो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! सत्त पुढवीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-पढमा दोचा जाव सत्तमा 1 / पढमा णं भंते ! पुढवी किंनामा किंगोत्ता पराणत्ता ?, गोयमा ! घम्मा नामेणं रयणप्पभा गोत्तेणं, एवं जहा जीवाभिगमे पढमो नेरइयउद्दसत्रो सो चेव निरवसेसो भाणियबो जाव अप्पाबहुगंति 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 444 // // इति द्वादशमशतके तृतीय उद्देशकः // 12-3 // // अथ द्वादशमशतके पुद्गलाख्य-चतुर्थोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-दो भंते ! परम्माणुपोग्गला एगयो साहन्नति एगयो साहरिणत्ता किं भवति ?, गोयमा ! दुप्पएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहा कन्जइ एगयत्रो परमाणु गोग्गले एगयो परमाणुपोग्गले भवइ 1 / तिनि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहन्नति 2 किं भवति ?, गोयमा ! तिपएसिए खंधे भवति, से भिन्जमाणे दुहावि तिहावि कजइ, दुहा कजमाणे एगयत्रो परमाणुपोग्गले एगयो दुपएसिए खंधे भवइ, तिहा कन्जमाणे तिरिण परमाणुयोग्गला भवंति 2 / चत्तारि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहन्नंति जाव पुच्छा, गोयमा ! Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 12 // 304 ] [413 चउपएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि तिहावि उहावि कन्जइ, दुहा कन्जमाणे एगयत्रो परमाणुपोग्गले एगयो तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा दो दुपएसिया खंधा भवंति, तिहा कजमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयत्रो दुप्पएसिए खंधे भवइ, चउहा कज्जमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति 3 / पंच भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा / पंचपएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि तिहावि चउहावि पंचहावि कजइ, दुहा कन्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले एगयो चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगपत्रो दुपएसिए खंधे भवति एगयो तिपएसिए खंधे भवइ, तिहा कजमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो तिप्पएसिए खंधे भवति अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति, चउहा कजमाणे एगययो तिनि परमाणुपोग्गला एगयो दुप्पएसिए खंधे भवति, पंचहा कन्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति 4 / छब्भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा ! छप्पएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि तिहावि जाव छव्विहावि कन्जइ, दुहा कन्जमाणे एगययो परमाणुपोग्गले ऐगयो पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयो दुप्पएसिए खंधे एगयो चउपएसिऐ खंधे भवइ अहवा दो तिपऐसिया खंधा भवइ, तिहा कजमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयत्रो दुपएसिए खंधे एगयो तिपएसिए खंधे भवइ अहवा तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति चउहा कन्जमाणे एगयो तिनि परमाणुपोग्गला एगयो तिपएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला भवंति एगयो दो दुप्पएसिया खंधा भवंति, पंचहा कजमाणे एगययो चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयो दुपएसिए खंधे भवति, छहा कन्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति 4 / सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा ! सत्तपएसिए खंधे भवइ, से Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ f] " [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमागर भिजमाणे दुहावि नाव सत्तहावि कज्जइ, दुहा कजमाणे एगययो परमाणुपोग्गले एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयो दुप्पएसिए खंचे भवइ एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयो तिप्पएसिए एगयो चउपएसिए खंधे भवइ, तिहा कन्जमाणे एगययो दो परमाणुपोग्गला एगयो पंचपएसिए खंधे भवति अहवा एगययो परमाणुपोग्गले एगयो दुपपएसिए खंधे एगययो चउपएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गला एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति एगयो तिपएसिए खंधे भवति, चउहा कजमाणे एगययो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगययो चउप्पएसिए खंधे भवति अहवा एगययो दो परमाणुपोग्गला एगययो दुपएसिए खंधे एगययो तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगययो परमाणुपोग्गला एगयो तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति, पंचहा कजमाणे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला एयगयो तिपएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगयो तिन्नि परमाणुपोग्गला एंगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति, छहा कजमाणे एगयो पंचमाणुपोगग्ला एगययो दुपएसिए खंधे भवइ, सत्तहा कजमाणे सत्त परमाणुपोग्गला भवंति 6 / अट्ट भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा ! अट्टपएसिए खंधे भवइ जाव दुहा कन्जमाणे एगययो परमाणुपोग्गला एगययो सत्तपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयो दुपएसिए खंधे एगययो छप्पएसिए खंधे भवइ श्रवा एगययो तिपएसिए खंधे एगययो पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा दो चउप्पएसिया खंधा भवंति, तिहा कन्जमाणे एगययो परमाणुपोग्गला एगययो छप्पएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगयो परमाणुपोगग्ला एगययो दुप्पएसिए खंधे एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गला एगययो निपएसिए खंधे एगययो चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगययो दो दुपएसिया खंधा एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ श्रवा एगयो Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतर्क 12 : 30 4] [115 दुपएसिए खंधे एगयत्रो दो तिपएसिया खंधा भवंति, चउहा कन्जमाणे एगययो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो पंचपएसिए खंधे भवति अहवा एगययो दोन्नि परमाणुपोग्गला एगयो दुपएसिए खंधे एगयो चउप्पएसिए संधे भवति श्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो दो तिपरसिया खंधा भवंति अहवा एगयो परमाणुपोग्गला एगयो दो दुपएसिया खंधा एगययो. तिपएसिए खंधे भवति अहवा चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति, पंचहा कजमाणे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयो चउप्पएसिए खंधे भवति यहवा एगयो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो दुपएसिए एगयो तिपएसिए खंधे भवति श्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति, छहा कन्जमाणे एगयो पंच परमाणुंपोग्गले एगययो तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगययो चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयो दो दुपएसिया खंधा भवइ, सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला एगयो दुपएसिए खंधे भवइ, अट्टहा कजमाणे अट्ट परमाणुपोग्गला भवंति 7 / नव भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा ! जाव नवविहा कज्जति, दुहा कन्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले एगययो अट्ठपएसिए खंधे भवति, एवं एक्केक्कं संचारेंतेहिं जाव अहवा एगयो चउप्पएसिए खंधे एगयो पंचपएसिए खंधे भवति, तिहा कन्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयो दुपएसिए एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ ग्रहया ऐगयो परमाणुपोग्गले एगयो तिपएसिए खंधे एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयो परमाणुपोग्गला एगयो दो चउप्पएसिया खंधा भवंति अहवा एगयो दुपएसिए संधे एगयो तिपएसिए खंधे एगयो चउपएसिए खंधे भवइ अहवा तिन्नि तिपएसिया खंधा भवंति, चउहा कजमाणे एगयो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयत्रो छप्पसिए Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // द्वितीयो विभायः खंधे भवइ अहवा एगय यो दो परमाणुपोग्गला एगयों दुपएसिए खंधे एगययो पंचपएसिए खंधे भवति श्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गले एगयो तिपएसिए खंधे एगययो चउप्पएसिए खंधे भवति ग्रहवा एगययो परमाणुपोग्गले एगययो दो दुपएसिया खंधा एगयो चउप्पएप्लिए खंधे भवति ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयो दुपएसिए खंधे एगययो दो तिपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगययो तिन्नि दुप्पएसिवा खंधा एगयो तिपएसिए खंधे भवति, पंचहा कजमाणे एगययो चत्तारि परमाणुपोग्गला एगययो पंचपएसिए खंधे भवइ श्रहवा एगयो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगययो दुपएसिए खंधे भवइ एगययो चउप्परसिए खंधे भवइ अहवा एगययो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो दो दुपएसिया खंधा एगययो तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयत्रो परमाणुपोग्गले एगययो चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति, छहा कजमाणे एगययो पंच परमाणुपोग्गला एगययो चउप्पएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगययो चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयो दुप्पएसिए खंधे भवइ एगययो तिपएसिए खंधे भवति अहवा एगययो तिन्नि परपाणुपोग्गले एगययो तिन्नि दुप्पएसिया खंधा भवंति, सत्तहा कन्जमाणे एगयत्रो छ परमाणुपोग्गला एगययो तिप्पएसिए खंधे भवति यहवा एगयो पंच परमाणुपोग्गला एगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति, अट्टहा कजमाणे एगययो सत्त परमाणुपोग्गला एगयो दुपएसिए खंधे भवति, नवहा कजमाणे नव परमाणुपोग्गला भवंति 8 / दस भंते ! परमाणुपोग्गला जाव दुहा कन्जमाणे एगययो परमाणुपोग्गले एगययो नवपएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे एगयो अट्ठ पएसिए खंधे भवइ एवं एक्केक्कं संचारेयव्वंति जाव ग्रहवा दो पंच पएसिया खंधा भवंति, तिहा कजमाणे एगययो दो परमाणुपोग्गला एगयो Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 12 : उ० 4 ] [417 अट्ठपएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगयश्रो परमाणुपोग्गले एगययो दुपएसिए खंधे भवइ एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयो तिपएसिए खंधे भवइ एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयत्रो परमाणुपोग्गले एगययो चउप्पएसिए एगयो पंचपएसिए खंधे भवति अहवा एगयो दुपएसिए खंधे भवइ एगयो दो चउप्पएसिया खंधा भवंति अहवा एगयश्रो दो तिपएसिया खंधा भवंति एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ, चउहा कजमाणे एगयो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ श्रवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो दुपएसिए खंधे भवइ एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो तिप्पएसिए खंधे एगयत्रो पंचपएसिए खंधे भवति अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो दो चउप्पएसिया खंधा भवति अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगययो दुपएसिए एगययो तिपएसिए एगयो चउप्पयसिए खंधे भवति श्रहवा एगयत्रो परमाणुपोग्गले एगययो तिन्नि तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयो तिन्नि दुपएसिया खंधा एगयो चउपएसिए खंधे भवति श्रहवा एगयो दो दुपएसिया खंधा एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति, पंचहा कन्जमाणे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला पगयो छपएसिए खंधे भवइ ग्रहवा एगययो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयत्रो दुपएसिए खंधे भवइ एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ श्रहवा एगयो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो तिपएसिए खंधे एगययो चउपएमिए खंधे भवति श्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो दुपऐसिए खंधे भवइ एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयाश्रो परमाणुपोग्गला एगयो तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति एगयो तिपएसिए खंधे भवति ग्रहवा पंच दुपएसिया खंधा भवंति, छहा कन्जमाणे एगयो पंच परमाणुपोग्गला एगययो पंचपएसिए खंधे Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 418 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // द्वितीयो विभागा भवति ग्रहवा एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला एगययो दुपएसिए खंधे भवइ एगययो चउपएसिए खंधे भवति यहवा एगययो चत्तारि परमाणुपोग्ग ला एगययो दो तिपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगययो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति एगयो तिपएसिए खंधे भवति अहवा एगययो दो परमाणुपोग्गला एगयश्रो चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति, सत्तहा कजमाणे एगययो छ परमाणुपोग्गला एगययो चउप्पएसिए खधे भवति ग्रहवा एगययो पंच परमाणुपोग्गला ऐगयो दुपएसिए एगययो तिपएसिए खंधे भवति अहवा एगयश्रो चत्तारि परमारगुपोग्गला एगययो तिन्नि दुपएसिया खंधा भवति, अट्टहा कज्जमाणे एगयो सत्त परमाणुपोग्गला एगययो तिपएसिए खंधे भवति अहवा एगययो छ परमाणुपोग्गला एगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति, नवहा कन्जमाणे एगययो अट्ठ परमाणुपोग्गला एगययो दुपएसिए खंधे भवति अहवा एगपयो छ परमाणुपोग्गला एगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति, दसहा कन्जमाणे दस परमाणुपोग्गला भवंति 1 / संखेजा भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहन्नति एगययो साहरिणत्ता किं भवति ?, गोयमा ! संखेजपएसिए खंधे भवति, से भिन्जमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेजहावि कज्जति, दुहा कजमाणे एगययो परमाणुपोग्गले एगययो संखेजपएसिए खंधे भवति ग्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे एगययो संखेजपएसिए खंधे भवति एवं ग्रहवा एगययो तिपएसिए एगययो संखेज्जपएसिए खंधे भवति एवं जाव ग्रहवा एगयो दसपएसिए खंधे एगययो संखेजपणसिए खंधे भवति ग्रहया दो संखेजपएसिया खंधा भवंति, तिहा कजमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला एगययो संखेजपएसिए खधे भवति अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगययो दुपएसिए खंधे भवइ एगयो संखेजपएसिए खंधे भवति अहवा एगययो परमाणुपोग्गले एगयो तिपएसिए खंधे भवइ Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदव्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12 :: उ० 4 ] एगय यो संखेजपएसिए खंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयो दसपएसिए खंधे भवइ एगयश्रो संखेजपएसिए खंधे भवति अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयो दो संखेजपएसिया खंधा भवंति, अहवा एगयो दुपएसिए खंधे भवइ एगयश्रो दो संखेजपएसिया खंधा भवंति, एवं जाव ग्रहवा एगययो दसपएसिए खंधे भवइ एगयो दो संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि संखेजपएसिया खंधा भवंति, चउहा कजमाणे एगयत्रो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो संखेजपएसिए भवति अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो दुपएसिए खंधे भवइ एगयो संखेजपएसिए भवति श्रवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो तिप्पएसिए खंधे भवइ एगयश्रो संखेजपएसिए भवति एवं जाव श्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो दसपएसिए एगयो संखेजपएसिए भवति अहवा एगयत्रो दो परमाणुपोग्गला एगयो दो संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयत्रो परमाणुपोग्गले एगयो दुपएसिए एगयो दो संखेजपएसिया खंधा भवंति जाव अहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयो दसपएसिए एगयो दो संखेजपएसिया खंधा भवंति श्रवा एगयो परमाणुपोग्गले एगययो तिनि संखेजपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगययो दुपएसिए एगयो तिन्नि संखेजपएसिया भवंति जाव अहवा एगयो दसपएसिए एगययो तिन्नि संखेजपएसिया भवंति श्रया चत्तारि संखेजपएसिया भवंति एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगोवि भाणियब्बो जाव नवगसंजोगो, दसहा कजमाणे एगययो नव परमाणुपोग्गला एगयो संखेजपएसिए भवति अहवा एगययो अट्ठ परमाणुपोग्गला एगययो दुपएसिए एगयत्रो संखेजपएसिए खंधे भवति, एएणं कमेणं एक्केको पूरेयधो जाव अहवा एगयो दसपएसिए एगयो नव संखेजपएसिया भवंति अहवा दस संखेजपएसिया खंधा भवंति Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 420 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः संखेनहा कन्जमाणे संखेजा परमाणुपोग्गला भवंति 10 / असंखेजा भंते ! परमाणुपोग्गला एगययो साहणंति एगययो साहणित्ता किं भवति ?, गोयमा ! असंखेजपएसिए खंधे भवति, से भिजमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेजहावि असंखेजहावि कन्जइ, दुहा कंजमाणे एगयंत्रों परमाणुपोग्गले एगयो असंखेजपएसिए भवति जाव अहवा एगयो दसपएसिए एगययो असंखिजपएसिए भवति अहवा एगययो संखेजपएसिए खंधे एगययो असंखेजपएसिए खंधे भवति अहवा दो असंखेजपएसिया खंधा भवंति, तिहा कज्जमाणे एगययो दो परमाणुपोग्गला एगयो असंखेजपएसिए भवति ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगयत्रो दुपएसिए एगयो असंखिजपएसिए भवति जाव ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले एगययो दसपएसिए एगयो असंखेजपएसिए भवति ग्रहवा एगे परमाणुपोग्गले एगे संखेजपएसिए एगे असंखेजपएसिए भवति अहवा एगे परमाणुपोग्गले एगयो दो असंखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा एंगे दुपएसिए एगयो दो असंखेजपएसिया भवंति एवं जाव अहवा एगे संखेजपएसिए भवति एगयो दो असंखिजपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि असंखेजपएसिया भवंति, चउहा कज्जमाणे एगययो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगययो असंखेजपएसिए भवति एवं चउकगसंजोगो जाव दसंगसंजोगो एए जहेव संखेजपएसियस्स नवरं असंखेजगं एगं अहिगं भाणियव्वं जाव अहवा दस असंखेजपएसिया खंधा भवंति, संखेजहा कजमाणे एगययो संखेजा परमाणुपोग्गला एगययो असंखेजपएसिए खंधे भवति अहवा एगयो संखेना दुपएसिया खंधा एगययों असंखेजपएसिए खंधे भवति एवं जाव ग्रहवा एगययो संखेजा दसपएसिया खंधा एगययो असंखेजपएसिए खंधे भवति ग्रहवा एगययो संखिजा संखिजपएसिया खंधा एगयो असंखिजपएसिए खंधे भवति यहवा संखेजा असंखेजपएसिया खंधा भवंति, Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12 // उ० 4 ] असंखिजहा कन्जमाणे असंखेजा परमाणुपोग्गला भवंति 11 / अणंताणं भंते ! परमाणुपोग्गला जाव किं भवंति ?, गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे भवति, से भिन्जमाणे दुहावि तिहावि जाव दसहावि संखिजा असंखिजा अणंतहावि कन्जइ, दुहा कन्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले एगयो अणंतपएसिए खंधे जाव अहवा दो अणंतपएसिया खंघा भवंति, तिहा कन्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला एगययो अणंतपएसिए भवति ग्रहवा एगययो परमाणुपोग्गले एगयत्रो दुपएसिए एगयो श्रणंतपएसिए भवति जाव अहवा एगययो परमाणुपोग्गले एगयो असंखेजपएसिए एगयो अणंतपएसिए भवति अहवा एगययो परमाणुपोग्गला एगयो दो अणंतपएसिया भवंति अहवा एगययो दुपएसिए एगयो दो अणंतपएसिया भवंति एवं जाव. अहवा एगयो दसपएसिए एगयो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयो संखेजपदेसिए खंधे एगयो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगयो असंखेजपएसिए खंधे एगयो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि अणंतपएसिया खंधा भवंति, चउहा कजमाणे एगयो तिन्नि परमाणुपोग्गला एगययो अणंतपएसिए भवति एवं चउकसंजोगो जाव असंखेजगसंजोगो, एते सव्वे जहेव असंखेजाणं भणिया तहेव अणंताणवि भाणियव्वा नवरं एक्कं अणंतगं अब्भहियं भाणियव्वं जाव श्रहवा एगयो संखेजा संखिजपएसिया खंधा एगयो अणंतपएसिया भवंति अहवा एगयो संखेजा असंखेजपएसिया खंधा एगयो अणंतपएसिए खंधे भवति अहवा संखिजा अणंतपएसिया खंधा भवंति, असंखेजहा कजमाणे एगययो असंखेजा परमाणुपोग्गला एगययो अणंतपएसिए खंधे भवइ अहवा एगययो असंखिजा दुपएसिया खंधा एगयो अणंतपएसिए भवति जाव अहवा एगययो असंखेजा संखिजपएसिया एगयो अणंतपएसिए भवति अहवा एगयत्रो असंखिजा असंखिज्जपएसिया खंधा एगयो Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 422 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः अणंतपएसिए भवति ग्रहवा असंखेजा अणंतपएसिया खंधा भवंति, अणंतहा कन्जमाणे अणंता परमाणुपोग्गला भवंति 12 // सूत्रं 445 // एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं साहणणा-भेदाणुवाएणं अणंताणंता पोग्गलपरियट्टा समणुगंतव्वा भवंतीति मक्खाया ?, हंता गोयमा ! एएसि णं परमाणुपोग्गलाणं साहणणा जाव मक्खाया 1 / कइविहे णं भंते ! पोग्गलपरियट्टे पराणत्ते, गोयमा ! सत्तविहा पोग्गलपरियट्टा पराणत्ता, तंजहा-श्रोरालियपोग्गलपरियट्ट वेउब्बियपोग्गलपरियट्ट तेयापोग्गलपरिय? कम्मापोग्गलपरिय? मणपोग्गलपरियट्टे वइपोग्गलपरिय? श्राणापाणु-पोग्गलपरिय? 2 / नेरझ्याणं भंते ! कतिविहे पोग्गलपरिय? पराणत्ते ?, गोयमा ! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे परणत्ते, तंजहा-थोरालियपोग्गलपरियट्टे वेउब्विय-पोग्गलपरियट्टे जाव श्राणापाणु-पोग्गलपरियट्ट एवं जाव वेमाणियाणं 3 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीया ?, अणंता 4 / केबइया पुरेक्खडा ?, कस्सइ अस्थि कस्तइ नत्थि जस्सत्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा 5 / एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवतिया ओरालियपोग्गला अतीया ?, एवं चेव, एवं जाव वेमाणियस्स 6 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवतिया वेउब्वियपोग्गलपरियट्टा अतीया ?, अणंता, एवं जहेव श्रोरालियपोग्गलपरियट्टा तहेव वेउवियपोग्गलपरियट्टावि भाणियव्वा, एवं जाव वेमाणियस्स आणापाणुपोग्गलपरियट्टा, एते एगत्तिया सत्त दंडगा भवंति 7 / नेरइयाणं भंते ! केवतिया ओरालिय-पोग्गलपरियट्टा अतीता ?, गोयमा अनंता 8 / केवइया पुरेक्खडा ?, अणता, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं वेउविपोग्गलपरियट्टावि एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टा वेमाणियाणं, एवं एए पोहत्तिया सत्त चउव्वीसतिदंडगा 1 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 12 : उ०१] [423 केवतिया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ?, नत्थि एकोवि 10 केवतिया पुरेक्खडा ?, नत्थि एकोवि 11 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स असुरकुमारत्ते केवतिया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीया ? एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारत्ते जहा असुरकुमारत्ते 12 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स पुढविकाइयत्ते केवतिया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ?, अणंता 13 / केवतिया पुरेक्खडा ?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि जस्सत्थि तस्स जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा घणंता वा एवं जाव मणुस्सत्ते, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियत्ते जहा असुरकुमारते 14 / एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स नेरइयत्ते केवतिया अतीया पोरालियपोग्गलपरियट्टा ? एवं जहा नेरइयस्स वत्तव्यया भणिया तहा असुरकुमारस्सवि भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं, एवं जाव थणियकुमाररस, एवं पुढविकाइयस्सवि, एवं जाव वेमाणियस्स, सव्वेसि एको गमो 15 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया वेउव्विय-पोग्गलपरियट्टा अतीया ?, अणंता 16 / केवतिया पुरेक्खडा ?, एकोत्तरिया जाव अणंता, . एवं जाव थणियकुमारत्ते 17 / पुढवीकाइयत्ते पुच्छा, नत्थि एकोवि 18 / केवतिया पुरेक्खडा ?, नत्थि एकोवि, एवं जत्थ वेरब्वियसरीरं अस्थि तत्थ एगुत्तरियो जत्थ नत्थि तत्थ जहा पुढविकाइयत्ते तहा भाणियव्वं, जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते 11 / तेयापोग्गलपरियट्टा कम्मापोग्गलपरियट्टा य सव्वस्थ एकोत्तरिया भाणियव्वा, मणपोग्गलपरियट्टा सव्वेसु पंचिंदिएसु एगोत्तरिया, विगलिंदिएसु नस्थि, वइपोग्गलपरियट्टा एवं चेव, नवरं एगिदिएसु नत्थि भाणियव्वा 20 / प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा सव्वत्थ एकोत्तरिया जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते 21 / नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीया ?, नत्थि एकोवि 22 / केवइया पुरेक्खडा ?, नत्थि एकोवि, एवं जाव थणियकुमारत्ते 23 / Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 424 / [भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः पुढविकाइयत्ते पुच्छा, गोयमा ! अणंता 24 / केवइया पुरेक्खडा ?, अणंता, एवं जाव मणुस्सत्ते, वाणमंतरजोइसियवेमाणियत्ते जहा नेरइयत्ते, एवं जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते, एवं सत्तवि पोग्गलपरियट्टा भाणियव्वा 25 / जत्थ अस्थि तत्थ अतीयावि पुरेक्खडावि अणंता भाणियब्वा, जत्थ नत्थि तत्थ दोवि नत्थि भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते केवतिया श्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा अतीया ?, अणंता 26 / केवतिया पुरेक्खडा ?, अणंता 27 // सूत्रं 446 // से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइ-थोरालियपोग्गल-परियट्टे पोरालिय-पोग्गल-परिय??, गोयमा ! जगणं जीवेणं श्रोरालियसरीरे वट्टमाणेणं पोरालिय-सरीर-पयोगाई दव्वाइं पोरालियसरीरत्ताए गहियाई बधाई पुट्ठाई कडाई पट्टवियाई निविट्ठाई अभिनिविट्ठाई अभिसमन्नागयाइं परियाझ्याइं परिणामियाइं निजिन्नाई निसिरियाई निसिट्टाई भवंति, से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ थोरालियपोग्गलपरियट्टे ओरालियपोग्गल परिय? 1 / एवं वेउब्वियपोग्गलपरियट्टेवि, नवरं वेउब्वियसरीरे वट्टमाणेणं वेउब्वियसरीरप्पयोगाई सेसं तं चेव सव्वं एवं जाव प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टे, नवरं प्राणापाणुपयोगाइं सव्वदम्बाई आणापाणत्ताए सेसं तं चेव 2 / पोरालिय-पोग्गलपरियट्टणं भंते ! केवइकालस्स निव्वत्तिजइ?, गोयमा ! अणंताहिं उस्तप्पिणि-योसप्पिणीहिं एवतिकालस्स निव्वत्तिजइ, एवं वेउब्वियपोग्गलपरियट्टवि, एवं जाव प्राणापाणुपोग्गलपरियोवि 3 / एयस्स णं भंते ! श्रोरालिय-पोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणाकालस्स वेउब्वियपोग्गला जाव प्राणुपाणु-पोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणा-कालस्स कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ?,गोयमा ! सव्वत्थोवे कम्मग-पोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणाकाले तेया-पोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणा-काले अणंतगुणे पोरालिय-पोग्गलपरियट्टे अणंतगुणे आणापाणुपोग्गलपरिय? अणंतगुणे मणपोग्गलपरियट्टे अणंतगुणे वइपोग्गल-परिय? अणंतगुणे वेउब्वियपोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणा Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12 : उ०५] [425 काले अणंतगुणे 4 // सूत्रं 447 // एएसि णं भंते ! पोरालिय-पोग्गलपरियट्टाणं जाव श्राणापाणु-पोग्गलपरियट्टाण य कयरे 2 हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा वेउब्वियपोग्गल-परियट्टा वइपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा मणपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा श्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा अनंतगुणा बोरालियपोग्गल-परियट्टा अणंतगुणा तेयापोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा कम्मगपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति भगवं जाव विहरइ // सूत्रं 448 // // इति द्वादशमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 12-4 // // अथ द्वादशमशतके अतिपाताख्य-पञ्चमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-श्रह भंते ! पाणाइवाए मुसावाए अदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे एस णं कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पराणते ?, गोयमा ! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे पराणत्ते 1 / ग्रह भंते ! कोहे 1 कोवे 2 रोसे 3 दोसे 4 अखमे 5 संजलणे 6 कलहे 7 चंडिक्क 8 भंडणे 1 विवादे 10, एस णं कतिवन्ने जाव कतिफासे पराणते ?, गोयमा ! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे पराणत्ते 2 | अह भंते ! माणे मदे दप्पे थंभे गवे अत्तुकोसे परपरिवाए उकासे अवकासे उन्नामे दुन्नामे 12, एस णं कतिवन्ने 4 ?, गोयमा ! पंचवन्ने जहा कोहे तहेव 3 / श्रह भंते ! माया उवही नियडी वलये गहणे मे कक्के कुरूए जिम्हे किब्बिसे 10 पायरणया गृहणया वंचणया पलिउंचणया सातिजोगे य 15, एस णं कतिवन्ने 4 ?, गोयमा ! पंचवन्ने जहेव कोहे 4 / अह भंते ! लोभे इच्छा मुच्छा कंखा गेही तगहा भिज्मा अभिज्झा श्रासासणया पत्थणया 10 लालप्पणया कामासा भोगासा जीवियासा मरणासा नंदीरागे 16, एस णं कतिवन्ने ?, जहेब कोहे 5 / श्रह भंते ! Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 126 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः पेज्जे दोसे कलहे जाव मिच्छादसणसल्ले, एस णं कतिवन्ने ! जहेव कोहे तहेव चउफासे 6 // सूत्रं 441 // श्रह भंते ! पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, एस णं कतिवन्ने जाव कतिफासे पराणत्ते ?, गोयमा! अवन्ने अगंधे अरसे अफासे पराणत्ते 1 / अह भंते ! उप्पत्तिया वेणइया कम्मिया परिणामिया, एस णं कतिवन्ना तं चेव जाव अफासा पन्नत्ता 2 / अह भंते / उग्गहे ईहा अवाये धारणा, एस णं कतिवन्ना ?, एवं चेव जाव अफासा पन्नत्ता 3 / .. अह भंते ! उटाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे, एस णं कतिवन्ने ? तं चेव जाव अफासे पन्नत्ते 4 / सत्तमे णं भंते ! उवासंतरे कतिवन्ने ? एवं चेव जाव अफासे पन्नत्ते 5 / सत्तमे णं भंते ! तणुवाए कतिवन्ने ?, जहा पाणाइवाए, नवरं अट्टफासे पराणत्ते, एवं जहा सत्तमे तणुवाए तहा सत्तमे घणवाए घणोदधि पुढवी, छठे उवासंतरे श्रवन्ने, तणुवाए जाव छट्ठी पुढवी एयाइं अट्ठ फासाई, एवं जहा सत्तमाए पुढवींए वत्तव्वया भणिया तहा जाव पढमाए पुढवीए भाणियव्वं, जंबुद्दीवे 2 सयंभुरमणे समुद्दे सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपब्भारा पुढवी नेरतियावासा जाव वेमाणियावासा एयाणि सव्वाणि अट्ठफासाणि 6 / नेरइया णं भंते ! कतिवन्ना जाव कतिफासा पनत्ता ?, गोयमा ! वेउब्बियतेयाइ पडुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुग्गंधा फासा पराणत्ता, कम्मगं पडुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा चउफासा पराणत्ता, जीवं पडुच्च श्रवन्ना जाव अफासा पराणत्ता, एवं जाव थणियकुमाराणं 7 / पुढविकाइय पुच्छा, गोयमा ! पोरासियतेयगाइं पडुच पंचवन्ना जाव अट्टफासा पराणत्ता, कम्मगं पडुच्च जहा नेरइयाणं, जीवं पडुच्च तहेव, एवं.जाव चउरिंदियाणं, नवरं वाउकाइया पोरालिय वेउविय तेयगाइं पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पराणत्ता, सेसं जहा नेरझ्याणं, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा वाउकाइया 8 / मणुस्साणं पुच्छा, थोरा Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12:: उ० 5 ) [427 लिय-वेउब्विय-श्राहारगतेयगाइं पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पराणत्ता, कम्मगं जीवं च पडुच्च जहा नेरइयाणं, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइयाणं, धम्मत्थिकाए जाव पोग्गलत्थिकाए, एए सव्वे अवन्ना, नवरं पोग्गलत्थिकाए, पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे पराणत्ते, णाणावरणिज्जे जाव अंतराइए एयाणि चउफासाणि 1 / कराहलेसा णं भंते ! कइवन्ना जाव कइफासा ? पुच्छा दवलेसं पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पराणत्ता, , भावलेसं पडुच्च अवन्ना 4, एवं जाव सुकलेस्सा 10 / सम्मदिट्टि 3 चम्खुद्दसणे 4 श्राभिणिबोहियणाणे जाव विभंगणाणे श्राहारसन्ना जाव परिग्गहसन्ना एयाणि अवन्नाणि 4, 11 / बोरालियसरीरे जाव तेयगसरीरे एयाणि अट्ठफासाणि कम्मगसरीरे चउफासे, मणजोगे वयजोगे य चउफासे, कायजोगे अट्ठफासे, सागारोवोगे य अणगारोवोगे य श्रवन्ना १२।सव्वदवा णं भंते ! कतिवन्ना ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिया सव्वदव्वा पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पराणत्ता, अत्थेगतिया सव्वदव्या पंचवन्ना चउफासा पराणत्ता, अत्थेगतिया सव्वदव्वा एगगंधा एगवराणा एगरसा दुफासा पन्नत्ता, अत्थेगइया सव्वदव्वा अवन्ना जाव अफासा पन्नत्ता, एवं सव्वपएसावि सव्वपजवावि, तीयद्धा अवना जाव अफासा पराणत्ता, एवं श्रणागयद्धावि, एवं सव्वद्धावि 13 // सूत्रं 450 // जीवे णं भंते ! गभं वकममाणे कतिवन्नं कतिगंध कतिरसं कतिफासं परिणामं परिणमइ ?, गोयमा ! पंचवन्नं पंचरसं दुगंधं अट्ठफासं परिणाम परिणमइ // सूत्रं 451 // कम्मश्रो णं भंते ! जीवे नो अकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ कम्मश्रो णं जए नो अकम्मा विभत्तिभावं परिणमइ ?- हंता गोयमा ! कम्मो णं तं चेव जाव परिणमइ नो अकम्मश्रो विभत्तिभावं परिणमइ। सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति // सूत्रं 452 // // इति द्वादशमशतके पञ्चम उद्देशकः // 12-5 / / Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 428 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः // अथ द्वादशमोशतके राहुनामक-षष्ठोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-बहुजणे णं भंते ! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खति जाव एवं परूवेइ-एवं खलु राहू चंदं गेराहति एवं खलु राहू चंदं गेराहति, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जन्नं से बहुजणे णं अन्नमन्नस्स जाव मिच्छं ते एव माहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमि–एवं खलु राहू देवे महिड्डीए जाव महेसक्खे वरखत्थधरे वरमल्लधरे वरगंधधरे वराभरणधारी 1 / राहुस्स णं देवस्स नव नामधेजा पराणत्ता, तंजहा-सिंघाडए 1 जडिलए 2 खंभए [ खत्तए ] 3 खरए 4 दद्दुरे 5 मगरे 6 मच्छे 7 कच्छभे 8 कराहसप्पे 1, 2 / राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवन्ना पराणत्ता, तंजहा-किराहा नीला लोहिया हालिदा सुकिल्ला 3 / अस्थि कालए राहुविमाणे खंजणवन्नाभे पण्णत्ते अत्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवन्नामे पराणत्ते, अस्थि लोहिए राहुविमाणेमंजिट्ठवन्नामे पन्नत्ते, अत्थि पीतए राहुविमाणे हालिवन्नामे पन्नत्ते, अस्थि सुकिल्लए राहुविमाणे भासरासि वन्नामे पन्नत्ते 4 / जया णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पुरच्छिमेणं आवरेत्ता एं पञ्चच्छिमेणं वीतीवयइ तदा णं पुरच्छिमेणं चंदे उवदंसेति पचच्छिमेणं राहू 5 / जदा णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे चंदलेस्सं पञ्चच्छिमेणं आवरेत्ताणं पुरच्छिमेणं वीतीवयति तदा णं पञ्चच्छिमेणं चंदे उवदंसेति पुरच्छिमेणं राहू 6 / एवं जहा पुरच्छिमेणं पञ्चच्छिमेणं दो पालावगा भणिया एवं दाहिणणं उत्तरेण य दो थालावगा भाणियव्वा 7 / एवं उत्तरपुरच्छिमेण दाहिणपञ्चच्छिमेण य दो पालावगा भाणियव्वा 8 / दाहिणपुरच्छिमेणं उत्तरपुरच्छिमेणं दो घालावगा भाणियव्वा 1 / एवं चेव जाव तदा णं उत्तरपञ्चच्छिमे णं चंदे उवदंसेति दाहिणपुरिच्छमेणं राहू 10 / जदा णं राहू श्रागच्छमाणे वा Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं शतकं 12 : उ० 6 ] [429 गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे चंदलेस्संथावरेमाणे 2 चिट्ठति तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति–एवं खलु राहू चंदं गेराहति एवं खलु राहू चंदं गेराहति 11 / जदाणं राहू श्रागच्छमाणे वा 4 चंदस्स लेस्सं श्रावरेत्ताणं पासेणं वीइवयइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति–एवं खलु चंदेणं राहुस्स कुच्छी भिन्ना एवं खलु 2, 12 / जदा णं राहू श्रागच्छमाणे वा 4 चंदस्स लेस्सं पावरेत्ताणं पच्चोसकइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंतिएवं खलु राहुणा चंदे वंते, एवं खलु 2, 13 / जदा णं राहू श्रागच्छमाणे वा 4 जाव परियारेमाणे वा चंदलेस्सं अहे सपक्खि सपडिदिसि पावरेत्ताणं चिट्ठति तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु राहुणा चंदे घत्थे एवं खलु 2,.14 / कतिविहे णं भंते ! राहू पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे राहू पन्नत्ते ?, तंजहा-धुवराहू पव्वराहू य 15 / तत्थ णं जे से धुवराहू से णं बहुलपक्खस्स पाडिवए (ग्रन्थाग्रं 8000) पन्नरसतिभागेणं पन्नरसइभागं चंदस्स लेस्सं पावरेमाणे 2 चिट्ठति, तंजहा-पढमाएं पढमं भागं बितियाए बितियं भागं जाव पन्नरसेसु पनरसमं भागं, चरिमसमये चंदे रत्ते भवति अवसेसे समये चंदे रत्ते य विरत्ते य भवति 16 / तमेव सुक्कपक्खस्स उवदंसेमाणे 2 चिट्ठति, पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसेसु पनरसमं भागं, चरिमसमये चंदे विरत्ते भवइ अवसेसे समये चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ 17 / तत्थ णं जे से पव्वराहू से जहन्नेणं छराहं मासाणं उक्कोसेणं बायालीसाए मासाणं चंदस्स अडयालीसाए संवच्छराणं सूरस्स 18 // सूत्रं 453 // से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-चंदे ससी 2 ?, गोयमा !. चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरन्नो मियंक विमाणे कंता देवी कंतायो देवीयो कताई पासण-सयण-खंभ-भंडमत्तोवगरणाई अप्पणोवि य णं चंदे जोइसिंदे जोइसराया सोमे कंते सुभए पियदंसणे सुरूवे से तेण?णं जाव ससी // सूत्रं 454 // से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-सूरे श्राइच्चे Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 430 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः सूरे प्राइच्चे ?, गोयमा ! सूरादिया णं समयाइ वा प्रावलियाइ वा जाव उस्सप्पिणीइ वा अवसप्पिणीइ वा से तेणटेणं जाव सूरे श्राइच्चे 2 // सूत्रं 455 // चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो कति अग्गमहिसीयो पराणत्तायो जहा दसमसए जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं 1 / सूरस्सवि तहेव 2 / चंदमसूरिया णं भंते ! जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पचणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे पढम-जोव्वणुट्ठाण-बलत्थे पढमजोव्वणुढाणबलट्ठाए भारियाए सद्धिं अचिरवत्त-विवाहकज्जे अत्थ-गवेसणयाए सोलस-वास-विप्पवासिए से णं तयो लट्ठ कयकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि नियगगिहं हव्वमागए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सब्वालंकारविभूसिए मणुन्नं थालिपागसुद्धं श्रद्वारसवंजणाकुलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि वन्नयो महब्बले कुमारे जाव सयणोवयारकलिए ताए तारिसियाए भारियाए सिंगारागार-चारुवेसाए जाव कलियाए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणाणुकूलाए सद्धिं इ8 सहे फरिसे जाव पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पचणुभवमाणे विहरति 3 / से णं गोयमा ! पुरिसे विउसमण-कालसमयंसि केरिसयं सायासोक्खं पचणुब्भवमाणो विहरति ?, योरालं समणाउसो !, तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स कामभोगेहितो वाणमंतराणं देवाणं अणंतगुणविसिट्टतराए चेव कामभोगा, वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहितो असुरिंदवजियाणं भवणवासीणं देवाणं एत्तो अणंतगुण-विसिट्टतराए चेव कामभोगा, असुरिंदवजियाणं भवणवासियाणं देवाणं कामभोगेहितो असुरकुमाराणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिट्ठतराए चेव कामभोगा, असुरकुमाराणं देवाणं कामभोगेहितो गहगण-नक्खत्त-ताराख्वाणं जोतिसियाणं देवाणां एत्तो अनंतगुण-विसिद्वतराए चेव कामभोगा, गहगणनक्खत्त जाव कामभोगेहितो चंदिमसूरियाणां जोतिसियाणां जोतिसराईगां एत्तो श्रणंतगुण-विसिट्टयरा चेव कामभोगा 4 / कचराभवमाणे खाद बड़े सहा जाव कलियापारकलिए तार तारिसगांस Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 12 : उ० 7 ] [431 चंदिमसूरियाणां गोयमा ! जोतिसिंदा जोतिसरायाणो एरिसे कामभोगे पचणुभवमाणा विहरंति 5 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं जाव विहरइ 6 // सूत्रं 456 // // इति द्वादशमशतके षष्ठ उद्देशकः // 12-6 // : // अथ द्वादशमशतके लोकाख्य-सप्तमोद्देशकः // तेणं कालेणं 2 जाव एवं वयासी-केमहालए णं भंते ! लोए पन्नत्ते ?, गोयमा ! महतिमहालए लोए पन्नत्ते, पुरच्छिमेणं असंखेजायो जोयणकोडाकोडीयो, दाहिणणं असंखिज्जायो एवं चेव, एवं पञ्चच्छिमेणवि, एवं उत्तरेणवि, एवं उट्ठपि अहे असंखेजात्रो जोयणकोडाकोडीयो पायामविक्खंभेणं 1 / एयंसि णं भंते ! एमहालगंसि लोगंसि अस्थि केइ . परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा न मए वावि ?, गोयमा ! नो इण? सम? 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ एयंसि णं एमहालगंसि लोगंसि नत्थि केइ परमाणुपोग्गलमत्तेवि पएसे जत्थ णं अयं जीवे ण जाए वा न मए वावि ?, गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे श्रयासयस्स एगं महं श्रयावयं करेजा, से णं तत्थ जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं अयासहस्सं पक्खिवेजा तायो णं तत्थ पउरगोयरायो पउरपाणियायो जहन्नेणं एगाहं वा बियाहं वा तियाहं वा उक्कोसेणं छम्मासे परिवसेज्जा 3 / अस्थि णं गोयमा ! तस्स अयावयस्स केई परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जे णं तासिं श्रयाणां उच्चारेण वा पासवणेण वा खेलेण वा सिंघाणएण वा वंतेण वा पित्तेण वा पूएण वा सुक्केण वा सोणिएण वा चम्मेहिं वा रोमेहि वा सिंगेहि वा खुरेहिं वा नहेहिं वा श्रणाकंतपुब्वे भवइ ?, भगवं ! णो तिण? समढे 4 / होजावि णं गोयमा ! तस्स अयावयस्स केई परमाणुपोग्गलमत्तेवि परसे ने णं तासिं Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 432 ] [ भीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः अयाणं उचारेण वा जाव गहेहि वा अणक्कंतपुव्वे, णो चेव णं एयंसि एमहालगंसि लोगंसि लोगस्स य सासयं भावं संसारस्स य अणादिभावं जीवस्स य णिचभावं कम्मबहुत्त जम्मगामरणबाहुल्लं च पडुच्च नस्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा न मए वावि, से तेण?णं चेव जाव न मए वावि 5 // सूत्रं 457 // कति णं भंते ! पुढवीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! सत्त पुढवीयो पराणत्तायो जहा पढमसए पंचमउद्देसए तहेव श्रावासा ठावेयव्वा जाव अणुत्तरविमाणेत्ति जाव . अपराजिए सव्वट्ठसिद्धे 1 / अयन्नं भंते ! जीवे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए नरगत्ताए नेरइयत्ताए उववन्नपुव्वे ?, हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो 2 / श्रयन्नं भंते ! जीवे सकरप्पभाए पुढवीए पणवीसा एवं जहा रयणप्पभाए तहेव दो श्रालावगा भाणियब्वा, एवं जाव धूमप्पभाए 3 / श्रयन्नं भंते ! जीवे तमाए पुढवीए पंचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगंसि सेसं तं चेव, अयन्नं भंते ! जीवे अहेसत्तमाए पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महानिरएसु एगमेगंसि निरयावासंसि सेसं जहा रयणप्पभाए, अयन्नं भंते ! जीवे चोसट्टीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवीत्ताए पासण-सयण-भंडमत्तोवगरणत्ताए उवयन्नपुव्वे ?, हंता गोयमा ! जाव अणंत खुत्तो 4 / सव्वजीवावि णं भंते ! एवं चेव, एवं थणियकुमारेसु, नाणत्तं श्रावासेसु, श्रावासा पुव्वभणिया 5 / अयन्नं भंते ! जीवे असंखेज्जेसु पुढविकाइयावास-सयसहस्सेसु एगमेगसि पुढविकाइयावासंसि पुदविकाइयत्ताए जाव वणस्सइ-काइयत्ताए उववन्नपुव्वे ?, हंता गोयमा ! जाव अणंतखुत्तो एवं सव्वजीवावि, एवं जाव वणस्सइकाइएसु 6 / श्रयगणं भंते ! जीवे असंखेज्जेसु बेंदियावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12 : उ०७] [433 बेदियावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए बेइंदियत्ताए उववन्नपुब्वे ?, हंता गोयमा ! जाव खुत्तो 7 / सव्वजीवावि णं एवं चेव एवं जाव मणुस्सेसु, नवरं तेंदियएसु जाव वणस्सइकाइयत्ताए तेंदियत्ताए चरिंदिएसु चरिंदियत्ताए पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएसु पंचिंदिय-तिरिवखजोणियताए मणुस्सेसु मणुस्सत्ताए सेसं जहा बेंदियाणं, वाणमंतर-जोइसिय-सोहम्मीसाणेसु य जहा असुरकुमाराणं 8 / अयराणं भंते ! जीवे सणंकुमारे कप्पे बारससु विमाणावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि विमाणियावासंसि पुढविकाइयत्ताए, सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव अणंतखुत्तो, नो चेव णं देवीत्ताए, एवं सव्वजीवावि, एवं जाव प्राणयपाणएसु, एवं श्रारणच्चुएसुवि 1 / श्रयन्नं भंते ! जीवे तिसुवि अट्ठारसुत्तरेसु गेविज-विमाणावास-सयेसु एवं चेव 10 / अयन्नं भंते ! जीवे पंचसु अणुत्तरविमाणेसु एगमेगंसि श्रणुत्तरविमाणंसि पुढवि तहेव जाव अणंतखुत्तो नो चेव णं देवत्ताए वा देवीत्ताए वा एवं सब्बजीवावि 11 / अयन्नं भंते ! जीवे सव्वजीवाणां माइत्ताए पियत्ताए भाइत्ताए भगिणित्ताए भजताए पुत्तत्ताए धूयत्ताए सुराहत्ताए उववनपुव्वे ?, हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो 12 / सव्वजीवावि णं भंते! इमस्स जीवस्स माइत्ताए जाव उववन्नपुव्वे ?, हंता गोयमा ! जाव अणंतखुत्तो 13 / अयगणं भंते ! जीवे सव्वजीवाणां अरित्ताए वेरियत्ताए घायकत्ताए वहगत्ताए पडिणीयत्ताए पञ्चामित्तत्ताए उववन्नपुब्वे ?, हंता गोयमा!जाव अणंतखुत्तो 14 ।सव्वजीवाविणं भंते! एवं चेव 15 / श्रयन्नं भंते ! जीवे सव्वजीवाणां रायत्ताए जुवरायत्ताए जाव सत्थवाहत्ताए उववन्नपुटवे?, हंता गोयमा ! असतिं जाव अणंतखुत्तो, सम्बजीवाणं एवं चेव 16 / अयन्नं भंते ! जीवे सव्वजीवाणां दासत्ताए पेसत्ताए भयगत्ताए भाइलगत्ताए भोगपुरिसत्ताए सीसत्ताए वेसत्ताए उववन्नपुव्वे ?, हंता गोयमा ! जाव अणंतखुत्तो, एवं सव्वजीवावि अणंतखुत्तो 17 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 18 // सूत्रं 458 // // इति द्वादशमशतके सप्तम उद्देशकः // 12--7 // 55 Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 434 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमागा .. // अथ द्वादशमशतके नागाख्याष्टमोद्दशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वयासी-देवे णं भंते ! महड्डीए 'जाव महेसक्खे अणंतरं चयं चइत्ता बिसरीरेसु नागेसु उववज्जेज्जा ?, हंता गोयमा ! उववज्जेजा 1 / से णं तत्थ अच्चिय-वंदिय-पूइय-सकारिय-सम्मा "णिए दिब्बे सच्चे सचोवाए संनिहिय-पाडिहरे यावि भवेज्जा ?, हंता भवेजा 2 / से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता सिमेजा बुज्झेजा जाव अंतं करेजा ?, हंता सिझिजा जाव अंतं करेजा 3 / देवे णं. भंते ! महड्डीए एवं चेव जाव विसरीरेसु मणीसु उववज्जेजा, एवं चेव जहा नागाणं 4 / देवे णं भंते ! महड्डीए जाव बिसरीरेसु रुवखेसु उववज्जेजा ?, हंता उववज्जेजा एवं चेव 5 / नवरं इमं नाणत्तं जाव सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिते यावि भवेज्जा ?, हंता भवेजा, सेसं तं चेव जाव अंतं करेजा 6 // सूत्रं 451 // अह भंते ! गोलंगूल-वसभे कुक्कुड-वसभे मंडुक्क-वसभे एए णं निस्सीला निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पचक्खाणपोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसेणं सागरोवमट्टितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेजा ? 1 / समणे भगवं महावीरे वागरेइ-उववजमाणे उववन्नेत्ति वत्तव्वं सिया 2 / अह भंते ! सीहे वग्घे जहा उस्सप्पिणीउद्देसए जाव परस्सरे एए णं निस्सीला एवं चेव जाव वत्तव्वं सिया 3 / अह भंते ! ढंके कंक वि(पि)लए मग्गु(ड्ड)ए सिखीए, एए णं निस्सीला जाव उववज्जेज्जा ?; सेसं तं चेव जाव वत्तव्यं सिया 4 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ // सूत्रं 460 // // इति द्वादशमशतके अष्टम उद्देशकः // 12--8 // Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12 : उ० 6 ] [435 // अथ द्वादशमशतके देवाख्य-नवमोद्देशकः // कइविहा णं भंते ! देवा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा देवा पराणत्ता, तंजहा-भवियदव्वदेवा 1 नरदेवा 2 धम्मदेवा 3 देवाति(हि)देवा 4 भावदेवा 5, 1 / से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइ भवियदव्वदेवा भवियदव्वदेवा ?, गोयमा ! जे भविए पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवेसु उववजित्तए, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ भवियदव्यदेवा 2, 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ नरदेवा नरदेवा ?, गोयमा ! जे इमे रायाणो चाउरंतचकवट्टी उप्पन्न-समत्त-चक्क-रयणप्पहाणा नवनिहीपइणो समिद्धकोसा बत्तीसं रायवर-सहस्साणुजाय-मग्गा सागर-वर-मेहलाहिवइणो मणुस्सिदा, से तेण?णं जाव नरदेवा 2, 3 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ धम्मदेवा धम्मदेवा ?, गोयमा ! जे इमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया जाव गुत्तबंभयारी, से तेण?णं जाव धम्मदेवा 2, 4 / से केणढणं भंते ! एवं वुच्चइ देवाधिदेवा देवाधिदेवा ?, गोयमा ! जे इमे अरिहंता भगवंतो उप्पन्ननाणदंसणधरा जाव सव्वदरिसी, से तेण?णं जाव देवाधिदेवा 2, 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-भावदेवा भावदेवा ?, गोयमा ! जे इमे भवणवइवाणमंतर-जोइस-वेमाणिया देवा देवगति-नाम-गोयाई कम्माइं वेदेति, से तेण?णं जाव भावदेवा 6 // सूत्रं 461 // भवियदव्वदेवा णं भंते ! करोहिंतो उववज्जंति ? किं नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंतिमणुस्सेहितो उववज्जंति देवेहितो उववज्जति?, गोयमा!नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितोवि उववज्जति मणुस्सेहितोवि उववज्जति देवेहितोवि उववज्जंति, भेदो जहा वक्कंतीए सव्वेसु उववाएयव्वा जाव अणुत्तरोववाइयत्ति, नवरं असंखेजवासाउय-अकम्मभूमग-अंतरदीवग-सब्वट्ठसिद्धवजं जाव अपराजिय-देवेहिंतोवि उववज्जति, णो सव्वट्ठसिद्धदेवेहितो उववज्जति 1 / नरदेवा णं भंते ! कत्रोहितो उववज्जति ? किं Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 536 ] .: - [श्रीमदागमसुधासिन्धु द्वितोयो विभागा नेरतिए ? पुच्छा, गोयमा ! नेरतिएहितोवि उववज्जति नो तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति नो मणुस्सेहितो उपवज्जंति देवेहितोवि उववज्जति 2 जइ नेरइएहिंतो उववज्जंति किं रयणप्पभा-पुढवि-नेरइएहिंतो उववज्जति जाव अहे. सत्तमा-पुढवि-नेरइएहितों उवज्जति ?, गोयमा ! रयणप्पभा-पुढवि-नेरइएहितो उववज्जति नो सकर जाव नो अहेसत्तमा-पुढवि-नेरइएहितो उववज्जति ३।जइ देवेहितो उववज्जति किं भवणवासि-देवेहितो उववज्जति ? वाणमंतरदेवेहितो उववज्जंति ? जोइसियदेवेहितो उववज्जंति ? वेमाणियदेवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! भवणवासिदेवेहितोवि उववज्जंति वाणमंतर एवं सव्वदेवेसु उववाएयव्वा वक्तीभेदेणं जाव सब्वट्ठसिद्धत्ति 4 | धम्मदेवा णं भंते ! करोहिंतो उववज्जति किं नेरइएहितो जाव उववज्जति ? एवं वक्कंतीभेदेणं सव्वेसु उववाएयबा जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, नवरं तमा अहेसत्तमाए नो उववायो असंखिज-वासाउय-अकम्मभूमग-अंतरदीवग-वज्जेसु 5 / देवाधिदेवाणं भंते ! कतोहितो उववज्जति किं नेरइहितो उववज्जति ? पुच्छा, गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जति नो तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति नो मणुस्सेहिंतो उववज्जंति देवेहितोवि उववज्जंति 6 / जइ नेरइएहितो एवं तिसु पुढवीसु उववज्जंति, सेसानो खोडेयव्वायो, जइ देवेहिंतो उववज्जति वेमाणिएसु सव्वेसु उववज्जति जाव सबट्टसिद्धत्ति, सेसा खोडेयब्बा 7 / भावदेवा णं भंते ! कत्रोहिंतो उववज्जंति ?, एवं जहा वक्कंतीए भवणवासीणं उववाश्रो तहा भाणियव्यो 8 // सू० 462 // भवियदव्वदेवाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाइं 1 / नरदेवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं सत्त वाससयाई उक्कोसेणं चउरासीई पुव्वसयसहस्साई 2 / धम्मदेवाणां भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 3 / देवाधिदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं बावत्तरिं वासाई Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12:: उ० 8 ] [437 उकोसेणं चउरासीई पुवसयसहस्साई 4 / भावदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 5 // सूत्रं 463 // भवियदव्वदेवा णं भंते ! किं एगत्तं पभू विउवित्तए पुहुत्तं पभू विजवि. त्तए ?, गोयमा ! एगत्तंपि पभू विउवित्तए पुहुर्तपि पभू विउवित्तए, एगत्तं विउव्वमाणे एगिदियख्वं वा जाव पंचिंदियरूवं वा पुहुत्तं विउव्वमाणे एगिदियख्वाणि वा जाव पंचिंदियख्वाणि वा ताई संखेजाणि वा असंखेजाणि वा संबद्धाणि वा असंबद्धाणि वा सरिसाणि वा असरिसाणि वा विउव्वंति विउवित्ता तो पच्छा अप्पणो जहिच्छियाई कजाई करेंति 1 / एवं नरदेवावि, एवं धम्मदेवावि 2 | देवाधिदेवाणां पुच्छा, गोयमा ! एगतंपि पभू विउब्वित्तए पुहुत्तंपि पभू विउवित्तए नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा विउविति वा विउविस्संति वा 3 / भावदेवाणां पुच्छा, जहा भवियदव्वदेवा 4 // सूत्रं 464 // भवियदव्वदेवाणं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहिं उववज्जति ? किं नेरइएसु उववज्जति ? जाव देवेसु उववज्जति ?, गोयमा! नो नेरइएसु उववज्जंति नो तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति नो मणुस्सेसु उववज्जंति देवेसु उववज्जंति, जइ देवेसु उववज्जति सब्वदेवेसु उववज्जति जाव सम्वट्ठसिद्धत्ति 1 / नरदेवा णं भंते ! अणंतरं उध्वट्टित्ता पुच्छा, गोयमा ! नेरइएसु उववज्जति नो तिरिक्खजोणियेसु उववज्जति नो मणुस्सेसु उववज्जति णो देवेसु उववज्जति 2 / जइ नेरइएसु उववज्जंति, सत्तसुवि पुढवीसु उववज्जति 3 / धम्मदेवा णं भंते ! अणंतरं पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जेजा नो तिरिक्खजोणिएसु उववज्जेजा नो मणुस्सेसु उववज्जेजा देवेसु उववज्जति 4 / जइ देवेसु उववज्जति किं भवणवासि पुच्छा, गोयमा ! नो भवणवासिदेवेसु उववज्जति नो वाणमंतरदेवेसु उववज्जति नो जोइसियदेवेसु उववजंति वेमाणियदेवेसु उववज्जंति 5 / सव्वेसु वेमाणिएसु उववज्जंति जाव सव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववाइएसु Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 438 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विभागः जाव उववज्जति, अत्थेगइया सिझंति जाव अंतं करेंति 6 / देवाधिदेवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति ?, गोयमा ! सिझति जाव अंतं करेंति 7 / भावदेवा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता पुच्छा, जहा वक्कंतीए असुरकुमाराणं उव्वट्टणा तहा भाणियव्वा 8 / भवियदव्वदेवे णं भंते ! भवियदव्वदेवेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई, एवं जहेव ठिई सच्चेव संचिट्ठणावि जाव भावदेवस्स, नवरं धम्मदेवस्स जहराणेणं एक समयं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 1 / भवियदव्वदेवस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो 10 / नरदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं सातिरेगं सागरोवमं उकोसेणं अणंतं कालं श्रवड्डु पोग्गलपरियट्ट देसूणं 11 / धम्मदेवस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमपुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं जाव श्रवड पोग्गलपरिट्ट देसूणं 12 / देवाधिदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! नत्थि अंतरं 13 / भावदेवस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं वणस्सइंकालो 14 / एएसि णं भंते ! भवियदव्वदेवाणं नरदेवाणं जाव भावदेवाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नरदेवा देवाधिदेवा संखेजगुणा धम्मदेवा संखेजगुणा भवियदव्वदेवा असंखेजगुणा भावदेवा थसंखेजगुणा 15 // सूत्रं 465 // एएसि णं भंते ! भावदेवाणं भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं सोहम्मगाणं जाव अच्चुयगाणं गेवेजगाणं अणुत्तरोववाइयाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वस्थोवा अणुत्तरोववाझ्या भावदेवा उवरिमगेवेना भावदेवा संखेजगुणा मज्झिमगेवेजा संखेजगुणा हेट्ठिमगेवेजा संखेज्जगुणा अच्चुए कप्पे देवा संखेज्जगुणा जाव प्राणयकप्पे देवा संखेज्जगुणा 1 / एवं जहा जीवाभि Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 12:: उ० 10 ] [ 436 गमे तिविहे देवपुरिसे अप्पाबहुयं जाव जोतिसिया भावदेवा असंखेज्जगुणा 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहति 3 // सूत्रं 466 // बारसमसयस्स नवमो॥ // इति द्वादशमशतके नवम उद्देशकः // 12-9 // // अथ द्वादशमशतके आत्माख्य-दशमोद्देशकः // कइविहा णं भंते ! श्राया पराणत्ता, गोयमा ! अट्टविहा पाया पराणता. तंजहा-दवियाया कसायाया योगाया उपयोगाया णाणाया दंसणाया चरित्ताया वीरियाया 1 / जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स कसायाया जस्स कसायाया तस्स दवियाया ?, गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स कसायाया सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि 2 / जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स जोगाया ? एवं जहा दवियाया कसायाया भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणिय वा 3 / जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स उवयोगाया एवं सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा, गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उवयोगाया नियमं अस्थि, जस्सवि उवयोगाया तस्सवि दवियाया नियम अस्थि 4 / जस्स दवियाया तस्स णाणाया भयणाए, जस्स पुण णाणाया तस्स दवियाया नियम अस्थि 5 / जस्स दवियाया तस्स दंसणाया नियम अस्थि, जस्सवि दंसणाया तस्स दवियाया नियमं अस्थि 6 / जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए, जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियमं अस्थि, एवं वीरियायाएवि समं 7 / जस्स णं भंते ! कसायाया तस्स जोगाया पुच्छा, गोयमा ! जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियमं अस्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अस्थि सिय नथि 8 / एवं वोगायाएवि समं कसायाया नेयव्वा, कसायाया य णाणाया य परोप्परं दोवि भइयव्वाश्रो 1 / जहा कसायाया य उवयोगाया य तहा कसायाया Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमामा य दंसणाया य कसायाया य चरित्ताया य दोवि परोप्परं भइयव्यायो 10 / जहा कसायाया य जोगाया य तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियबायो 11 / एवं जहा कसायायाए वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाएवि उवरिमाहिं समं भाणियवायो 12 / जहा दवियायाए वत्तव्बया भणिया तहा उवयोगायाएवि उवरिल्लाहिं समं भाणियव्वा 13 / जस्स नाणाया तस्स दंसणाया नियमं अस्थि, जस्स पुण दंसणाया तस्स णाणाया भयणाए, जस्स नाणाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण चरित्ताया तस्स नाणाया नियमं अस्थि, णाणाया वीरियाया दोवि परोप्परं भयणाए 14 / जस्स दंसणाया तस्स उवरिमायो दोवि भयणाए, जस्स पुण तायो तस्स दंसणाया नियमं अत्थि 15 / जस्स चरित्ताया तस्स वीरियाया नियमं अस्थि, जस्स पुण वीरियाया तस्स चरित्ताया सिय अस्थि सिय नत्थि 16 / एयासि णं भंते ! दवियायाणं कसायायाणं जाव वीरियायाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया ? गोयमा! सब्बत्थोवायो चरित्तायायो, नाणायायो अणंतगुणायो, कसायायो अणंतगुणायो, जोगायायो विसेसाहियायो वीरियायायोवि, उवयोगदवियदंसणायायो तिन्निवि तुल्लायो विसेसाहियायो 17 // सूत्रं 467 // पाया भंते ! नाणे अन्नाणे ?, गोयमा ! श्राया सिय नाणे सिय अन्नाणे, णाणे पुण नियमं आया 1 / प्राया, भंते ! नेरइयाणं नाणे अन्ने नेरइयाणं नाणे ? गोयमा ! पाया नेरझ्याणं सिय नाणे सिय अनाणे, नाणे पुण से नियमं आया, एवं जाव थणियकुमाराणं 2 / बाया भंते ! पुढविकाइयाणं अन्नाणे नाणे पुढविकाइयाणं अन्नाणे ? गोयमा ! थाया पुढविकाइयाणं नियम अन्नाणे, अन्नाणेवि नियमं आया 3 / एवं जाव वणसइकाइयाणं बेइंदिय-तेइंदिय जाव वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं 4 / बाया भंते ! दंसणे अन्ने दंसणे ? गोयमा !, श्राया नियमं दंसणे, दंसणेवि नियमं आया 5 / पाया भंते ! नेरइयाणं दसणे अन्ने नेरइयाणं Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं " शतकं 12 : उ० 10 ] [ 441 दसणे, गोयमा ! आया नेरइयाणं नियमा दंसणे दंसणेवि से नियम श्राया एवं जाव वेमाणियाणं निरंतरं दंडयो 6 // सूत्रं 468 // श्राया भंते ! रयणप्पभापुढवी अन्ना रयणप्पभा पुढवी ?, गोयमा ! रयणप्पभा सिय आया सिय नो श्राया, सिय अवत्तव्वं श्रायाति य नो आयाइ य 1 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ रयणप्पभा पुढवी सिय पाया सिय नो पाया, सिय अवत्तव्वं श्रातातिय नो श्रातातिय ?, गोयमा ! अप्पणो अादिठे श्राया परस्स आदिठे नो अाया, तदुभयस्स श्रादिठे अवत्तव् रयणप्पभा पुढवी श्रायातिय नो अायाति य, से तेणठेणं तं चेव जाव नों श्रायातिय 2 / श्राया भंते ! सकरप्पभा पुढवी जहा रयणप्पभा पुढवी तहा सकरप्पभाएवि एवं जाव अहे सत्तमा 3 / श्राया भंते ! सोहम्मकप्पे पुच्छा, गोयमा। सोहम्मे कप्पे सिय पाया सिय नो पाया जाव नो पायाति य 5 / से केणठेणं भंते ! जाव नो आयातिय ?, गोयमा ! अप्पणो अाइठे पाया परस्स प्राइठे नो पाया, तदुभयस्स श्राइठे अवत्तव्वं, प्राताति य नो श्राताति य, से तेण?णं तं चेव जाव नो आयाति य, एवं जाव अच्चुए कप्पे 6 / श्राया भंते ! गेविजविमाणे अन्ने गेविजविमाणे एवं जहा रयणप्पभा तहेव, एवं अणुत्तरविमाणावि, एवं ईसिपब्भारावि 7 / श्राया भंते ! परमाणुपोग्गले अन्ने परमाणुपोग्गले ? एवं जहा सोहम्मे कप्पे तहा परमाणुपोग्गलेवि भाणियब्वे 8 / श्राया भंते ! दुपएसिए खंधे अन्ने दुपएसिए खंधे ?, गोयमा ! दुपएसिए खंधे सिय पाया 1 सिय नो. पाया 2 सिय अवत्तव्यं पायाइ य नो श्रायातिय 3 सिय अाया य नो आया य 4 सिय पाया य अवत्तव्वं श्रायाति य नो. श्रायाति य 5 सिय नो पाया य अवत्तव्वं श्रायाति य नो श्रायाति य 6, 1 / से केगा?णं भंते ! एवं तं चेव जाव नो श्रायाति य अवत्तव्वं श्रायाति य नो श्रायाति य, गोयमा ! अप्पणो श्रादितु श्राया 1 परस्स श्रादितु नो पाया 2 56 . Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 442 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभाग तदुभयस्स आदितु अवत्तव्वं दुपएसिए खंधे श्रआयाति य नो श्रायाति य 3 देसे श्रादितु सम्भावपजवे देसे आदिट्टे असल्भावपजवे दुप्पएसिए खंधे आया य नो पाया य 4 देसे श्रादितु सम्भावपजवे देसे श्रादिढे तदुभयपजवे दुपएसिए खंधे श्राया अवत्तव्वं पायाइ य नो श्रआयाइ य 5 देसे आदितु असब्भावपजवे देसे आदितदुभयपजवे दुपएसिए खंधे नो आया य अवत्तवं श्रायाति य नो आयाति य 6 से तेण?णं तं चेव जाव नो श्रायाति य 10 / पाया भंते ! तिपएसिए खंधे अन्ने तिपएसिए खंधे ?,.. गोयमा ! तिपएसिए खंधे सिय आया 1 सिय नो श्राया 2 सिय अवत्तव्वं श्रायाति य नो आयाति य 3 सिय पाया य नो पाया य 4 सिय पाया य नो पायायो य 5 सिय आयाउ य नो पाया य 6 सिय पाया य अवतव्वं पायाति य नो पायाति य 7 सिय पायाइय अवत्तव्वाइं आयायो य नो पायायो य 8 सिय पायायो य अवत्तव्वं पायाति य नो आयाति य 1 सिय नो पाया य अवत्तव्वं श्रायाति य नो आयाति य 10 सिय आया य अवतव्वाइं पायायो य नो पायायो य 11 सिय नो भायात्रो य श्रवत्तव्वं पायाइ य नो बायाइ य 12 सिय पाया य नो बाया य अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य 13, 11 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ तिपएसिए खंधे सिय श्राया एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव सिय पाया य नो पाया य अवत्तवं श्रआयाति य नो श्रआयाति य ?, गोयमा ! अप्पणो श्राइ? आया 1 परस्स प्राइ? नो पाया 2 तदुभयस्स प्राइ8 अवत्तव्यं श्रायाति य नो अायाति य 3 देसे प्राइ8 सब्भावपज्जवे देसे श्रादि? असम्भावपजवे तिपएसिए खंधे पायाय नो पाया य 4 देसे श्रादितु सब्भावपज्जवे देसा श्राइट्ठा असब्भावपजवे तिपएसिए खंधे श्राया य नो अायायो य 5 देसा आदिट्ठा सम्भावपजवे देसे श्रादिले असभाक्पजवे तिपएसिए खंधे अायायो य नो पाया य 6 देसे श्रादितु सम्भावपज्जवे Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धोमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12 :: उ० 10 ] [443 देसे श्रादितु तदुभयपजवे तिपएसिए खंधे पाया य अवत्तव्वं श्रायाइ य नो आयाइ य 7 देसे आदितु सब्भावपजवे देसा श्रादिट्ठा तदुभयपजवा तिपएसिए खंधे पाया य अवत्तव्वाई आयाउ य नो अायाउ य 8 देसा श्रादिट्ठा सम्भावपजवा देसे आदितु तदुभयपनवे तिपएसिए खंधे आयाउ य अवत्तव्यं श्रायाति य नो आयाति य 1 एए तिन्नि भंगा, देसे श्रादि? असब्भावपजवे देसे आदितु तदुभयपनवे तिपएसिए खंधे नो पाया य अवत्तव्वं पायाइ य नो पायाति य 10 देसे श्रादितु असब्भावपजवे देसा श्रादिट्ठा तदुभयपजवा तिपएसिए खंधे नो पाया य अवतव्वाइं श्रायाउ य नो श्रायाउ य 11 देसा आदिट्ठा असब्भावपजपा देसे श्रादितु तदुभयपजवे तिपएसिए खंधे नो आयाउ य अवत्तव्वं पायाति य नो थायाति य 12 देसे श्रादि? सम्भावपज्जवे देसे आदितु असम्भावपज्जवे देसे श्रादि? तदुभयपजवे तिपएसिए खंधे पाया य नो श्राया य श्रवत्तव्यं श्रायाति य नो आयाइ य 13 से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ तिपएसिए खंधे सिय आया तं चेव जाव नो श्रायाति य 12 / श्राया भंते ! चउप्पएसिए खंधे अन्ने चउप्पएसिए खंधे पुच्छा, गोयमा ! चउप्पएसिए खंधे सिय श्राया ? सिय नो पाया 2 सिय अवत्तव्वं श्रायाति य नो श्रआयाति य 3 सिय श्राया य नो पाया य 4 सिय पाया य अवत्तव्वं 4 सिय नो पाया य अवत्तव्वं 4 सिय पाया य नो पाया य अवत्तवं श्रायाति य नो आयाति य 16 सिय पाया य नो पाया य अवत्तव्वाइं अायायो य नो अायाश्रो य 17 सिय पाया य नो यायायो य अवत्तव्वं श्रायाति य नो श्रायाति य 18 सिय यायायो य नो पाया य अवत्तव्वं श्रायाति य नो आयाति य 11, 13 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ चउप्पऐसिए खंधे सिय पाया य नो पाया य अवत्तव्वं तं चेव ? पडिउच्चारेयव्वं ? गोयमा ! अप्पणो अादिट्ठ आया 1 परस्स आदि8 नो पाया 2 तदुभयस्स आदिट्टे Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 444 ] [ श्रीमदागर्मसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विभागः अवत्तव्वं श्रआयाति य नो श्रायाति य 3 देसे आदितु सञ्भावपजवे देसे श्रादिट्टे असब्भावपजवे चउभंगो, सब्भावपज्जवेणं तदुभयेण यं चउभंगो असब्भावेणं तदुभयेण य चउभंगो, देसे श्रादितु सम्भावपजवे देसे आदि8. असम्भावपजवे देसे श्रादिट्ट तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे पाया य नो आया य अवत्तव्वं प्रायाति य नो आयाति य, देसे श्रादि? सब्भावपजवे देसे श्रादि8 असम्भावपजवे देसा आदिट्ठा तदुभयपजवा चउप्पएसिए खंधे भवइ अाया य नो पाया य अवत्तव्वाइं पायाश्रो य नो पायायो य 17.. देसे आदितु सम्भावपज्जवे देता अादिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे श्रादि? तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे आया य नो पायायो य अवत्तज्वं प्रायाति य नो आयाति य 18 देसा बाइट्टा सब्भावपजवा देसे श्राइ? असब्भावपजवे देसे प्राइ8 तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे आयायो य नोभाया य अवत्तव्यं पायाति य नो श्रायाति य 11 से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ चउप्पएसिए खंधे सिय पाया सिय नो श्राया सिय अवतव्वं, निक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयन्वा जाव नो आयाति य 14 / श्राया भंते ! पंचपएसिए खंधे अन्ने पंचपएसिए खंधे ?, गोयमा ! पंचपएसिए खंधे सिय आया 1 सिय नो आया 2 सिय अवत्तव्वं श्रआयाति य नो श्रआयाति य 3 सिय पाया य नो पाया य सिय अवत्तव्वं 4 नो अाया य अवत्तव्वेण य 4 तियगसंजोगे एको ण पडइ 15 / से केण?णं भंते ! तं चेव पडिउच्चारेयव्वं ?, गोयमा ! अप्पणो श्रादितु श्राया 1 परस्स श्रादितु नो पाया 2 तदुभयस्स श्रादि8 अवत्तव्वं 3 देसे श्रादि? सब्भावपजवे देसे श्रादिट्टे असम्भावपजवे एवं दुयगसंजोगे सव्वे पडंति तियगसंजोगे एको ण पडइ 16 / छप्पएसियस्स सव्वे पडंति जहा छप्पएसिए एवं जाव अणंतपएसिए 17 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 18 // सूत्रं 4-61 // दसमो उद्दे सो समतो॥ बारसमं सयं समत्तं // // इति द्वादशमशतके दशम उद्देशकः // 12-10 // // इति द्वादशमं शतकम् // 12 // Page #462 -------------------------------------------------------------------------- _