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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति श्रीमद्भगवती) सूत्रं .. शतकं 6 : उ० 31 / [317 एगिदिएसु होजा एगे बेइंदिण्सु होजा एवं जहा नेरझ्यपवेसणए तहा तिरिक्खजोणियपवेसणएवि भाणियब्वे जाव असंखेजा 3 / उक्कोसा भंते ! तिरिक्खजोणिया पुच्छा गंगेया ! सव्वेवि ताव एगिदिएसु होजा श्रवा एगिदिएसु वा बेइंदिएसु वा होजा, एवं जहा नेरतिया चारिया तहा तिरिक्खजोणियावि चारेयवा, एगिदिया अमुञ्च तेसु दुयासंजोगो तियासंजोगो चउकसंजोगो पंचसंजोगो उवउजिऊण भाणियब्बो जाव श्रहवा एगिदिएसु वा बेइंदिय जाव पंचिंदिएसु वा होजा 4 / एयस्स णं भंते ! एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-पवेसणगस्स जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणयस्स कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गंगेया ! सम्वत्थोवे पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-पवेसणए चउरिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए तेइंदियतिरिक्खजोणिय-पवेसणए विसेसाहिए बेइंदियतिरिक्खजोणिय-पवेसणए विसेसाहिए एगिदियतिरिक्खजोणिय-पवेसणए विसेसाहिए 5 // सू 374 // मणुस्सपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गंगेया ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-समुच्छिममणुस्सपवेसणए गब्भवक्कंतिय-मणुस्सपवेसणए य 1 / एगे भंते ! मणुस्से मणुस्सपवेसण एणं पविसमाणे किं समुच्छिममणुस्सेसु होजा गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु होजा ?, गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गम्भवस्कतियमणुस्सेसु वा होजा 2 / दो भंते ! मणुस्सा पुच्छा, गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गम्भववतियमणुस्सेसु वा होजा श्रहवा एगे समुच्छिममणुस्सेसु वा होजा एगे गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होजा, एवं एएणं कमेणं जहा नेरइयपवेसणए तहा मगुस्सपवेसणएवि भाणियब्वे जाव दस 3 / संखेजा भंते ! मणुस्सा पुच्छा, गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होजा गभवक्कंतियमणुस्सेसु वा होजा श्रहवा एगे संमुच्छिममणुस्सेसु होजा संखेजा गम्भवक्कंतिय
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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