________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 1 :: उ०८] [36 पुरिसवेरेणं पुढे ?, से नूणं गोयमा ! कन्जमाणे कडे संधिजमाणे संधिए निव्वत्तिजमाणे निव्वत्तिए निसिरिजमाणे निसि?त्ति वत्तव्यं सिया ?, हंता भगवं ! कन्जमाणे कडे जाव निसि?त्ति वत्तव्वं सिया, से तेणटेणं गोयमा ! जे मियं मारेइ से मियवरेणं पुढे, जे पुरिसं मारेइ से पुरिसवेरेणं पुढे 1 / अंतो छराहं मासाणं मरइ काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, बाहिं छगह मासाणं मरइ काइयाए जाव पारियावणियाए चउहि किरियाहिं पुढे 2 // सू० 68 // पुरिसे णं भंते ! पुरिसं सत्तीए समभिधंसेजा संयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिदेजा तो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीएअ(सम)भिसंधेइ सयपाणिणा वा से असिणा सीसं विंदइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, श्रासन्नवहएण य अणवकंखवत्तिएणं पुरिसवेरेणं पुढे // सू० 61 // दो भंते ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिव्वया सरिस-भंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नेणं सद्धिं संगामं संगामेन्ति, तत्थ णं एगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइजइ, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! सीरिए पराइाइ अवीरिए पराइजइ, से केण?णं जाव पराइजइ ?, गोयमा ! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माइं णो बद्धाई णो पुट्ठाई जाव नो अभिसमन्नागयाई नो उदिन्नाई उवसंताई भवंति से णं पराइणइ, जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई बढ़ाई जाव उदिन्नाई नो उवसंताई भवंति से णं पुरिसे पराइज्जइ, से तेणढे गां गोयमा ! एवं वुच्चइ सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइजइ ॥सू० 70 // जीवा णं भंते ! किं सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! सवीरियावि अविरियावि, से केण?णं ?, गोयमा ! जीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहासंसारसमावनगा य असंसारसमावनगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावनगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अवीरिया, तत्थ णं जे ते संसारसमावनगा ते