________________ 228] :: [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमागः भाणियव्वा 28 / समुच्छिममणुस्सपंचिंदिय पुच्छा, गोयमा ! एगविहा पन्नत्ता, अपजत्तगा चेव 21 गम्भवक्कंतिय-मणुस्स-पंचिंदिय पुच्छा, गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगगम्भवक्कंतियावि अपज्जत्तगगम्भवक्कंतियावि 30 / असुरकुमार-भवणवासि-देवाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पनत्ता, तंजहा-पजत्तगअसुरकुमार-भवणवासिदेवा अपजत्तगअसुरकुमार-भवणवासिदेवा, एवं जाव थणियकुमारा पजत्तगा अपजत्तगा य, एवं एएणं अभिलावेणं दुयएणं भेदेणं पिसाया यजावगंधब्बा, चंदाजाव ताराविमाणा, सोहम्मकप्पोवगा जाव अच्चुयो, हिडिमहिट्ठिम-गेविजकप्पातीय जाव उवरिमउवरिमगेविजकप्पातीय-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय-पयोग-परिणया, विजयश्रणुत्तरोववाइयकप्पातीय-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय-पयोग-परिणया जाव सवट्ठसिद्धकप्पातीय-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय-पयोग-परिणया पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तग जाव परिणया अाजत्तग जाव परिणयावि, 2 दंडगा 31 / जे अाजत्ता सुहुम-पुढवीकाइय-एगिदियपयोगपरिणया ते पोरालियतेयाकम्मग-सरीरप्पयोगपरिणया जे पजत्ता सुहुम जाव परिणया ते श्रोरालिय-तेयाकम्मग-सरीरप्पयोगपरिणया एवं जाव चउरिदिया पजत्ता, नवरं जे पजत्त-बादरवाउकाइय-एगिदियपयोगपरिणया ते पोरालियवेउब्बिय-तेयाकम्मसरीर जाव परिणता, सेसं तं चेव 32 / जे अपजत्तगरयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदिय-पयोगपरिणया ते वेउब्बिय-तेयाकम्मसरीरप्पयोगपरिणया, एवं पजत्तयावि, एवं जाव अहेसत्तमा 33 / जे अपजतग-संमुच्छिम-जलयर जाव परिणया ते श्रोरालिय-तेयाकम्मासरीर जाव परिणया एवं पजत्तगावि,गन्भवक्कंतिया अपजत्तया एवं चेव पजत्तयाणं एवं चेव नवरं सरीरगाणि चत्तारि जहा बादरवाउक्काइयाणं पजत्तगाणं, एवं जहा जलचरेसु चत्तारि बालावगा भणिया एवं चउप्पय-उरंपरिसप्पभुयपरिसप्पखहयरेसुवि चत्तारि बालावगा भाणियव्वा 34 जे संमुच्छिम