________________ श्रीमद्व्याश्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) की शतकं 6 : उ० 2-3 ] [1. तणहत्थे य कवल्ले करण महावेदणा जीवा॥ 1 // सूत्रं 231 // सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 3 // छट्ठसयस्स पढमो उद्दसो समत्तो॥ इति षष्ठशतके प्रथम उद्देसकः / / 6--1 // // अथ षष्ठशतके आहाराख्य-द्वितीयोद्देशकः // - रायगिहं नगरं जाव एवं वयासी-श्राहारुद्द सो जो पनवणाए सो सव्वो निरवसेसो नेयम्बो / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्र 23.2 / / छ? सए बीश्रो उद्देसो समत्तो॥ // इति षष्ठशतके द्वितीय उद्देशकः // 6-2 / / // अथ षष्ठशतके महावाख्य-तृतीयोद्देशकः // बहुकम्म 1 वत्थपोग्गल-पयोगसा-वीससा 2 य सादीए 3 / कम्मद्वितीथि 4-5 संजय 6 सम्मट्टिी 7 य सन्नी = य॥१॥ भविए 1 दंसण 10 पजत्ते 11 भासत्र 12 परित्त 13 नाण 14 जोगे 15 य / उवयोगाहारग 16.17 सुहुम 18 चरिम 11 बंधे य अप्पब९ 20 // 2 // से नूणं भंते ! महाकम्मस्स महाकिरियस्स महासवस्स महावेदणस्स सव्वश्रो पोग्गला बज्झति सबथो पोग्गला चिजति सव्वश्रो पोग्गला उवचिज्जंति सया समियं च णं पोग्गला बझति सया समियं पोग्गला चिज्जति सया समियं पोग्गला उवचिजति सया समियं च णं तस्स श्राया दुरूवत्ताए दुवन्नत्ताए दुगंधत्ताए दुरसत्ताए दुफासत्ताए अणि?त्ताए अकंतत्ताए अप्पियत्ताए असुभत्ताए अमणुन्नत्ताए अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए नो उड्डत्ताए दुक्खत्ताए नो सुहत्ताए भुजो 2 परिणमंति ?, हंता गोयमा ! महाकम्मस्स तं चेव 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुचइ-महाकम्मस्स जाव परिणमंति ?, गोयमा ! से जहा