________________ [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागःताव सकस्स देविंदस्स देवरन्नो दिव्वं देविहिं जाव अभिसमन्नागयं जाणउ ताव अम्हवि सक्के देविंदे देवराया दिव्वं देविढि जाव अभिसमराणागयं 2 / एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा उड्ड उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो। सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 146 // चमरो समत्तो // // इति तृतीयशतके द्वितीय उद्देशकः // 3-2 // // अथ तृतीयशतके क्रियाभिध-ततीयोद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था जाव परिसा पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव अंतेवासी मंडियपुत्ते णाम अणगारे पगतिभदए जाव पज्जुवासमाणे एवं वदासी-कति णं भंते ! किरियायो पराणत्तायो ?, मंडियपुत्ता ! पंच किरियायो पराणत्तायो, तंजहा-काइया अहिगरणिया पाउसिया पारियावणिया पाणाइवायकिरिया 2 / काइया णं भंते ! किरिया कतिविहा पराणत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-अणुवरयकायकिरिया य दुप्पउत्तकायकिरिया य 3 / अहिगरणिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पराणत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा परांणत्ता, तंजहा.-संजोयणाहिगरणकिरिया य निव्वत्तणाहिगरणकिरिया य 4 / पायोसिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पराणत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-जीवपांयोसिया य अजीवपादोसिया य 5 / पारियावणिया णं भंते ! किरिया कइविहा पराणत्ता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पराणत्ता,तंजहा-सहत्थपारियावणिया य परहस्थपारियावणिया य 6 / पाणाइवायकिरिया णं भंते ! (पुच्छा, पाणाइवाय)किरिया कइविहा पराणता ?, मंडियपुत्ता ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सहत्थपाणाडवायकिरिया य परहत्थपाणाइवायकिरिया य 7 // सूत्रं 150 // पुबि भंते ! किरिया पच्छा वेदणा, पुदि वेदणा पच्छा किरिया ?, मंडि.