________________ 234] श्रीमदाममसुधासिन्धुः। द्वितोयो विभागः परिणएवि पालावगो भाणियबो, नवरं बायरखाउकाइय-गम्भवक्कंतियपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-गम्भवक्कंतियमणुस्साणं, एएसिणं पजत्तापजत्तगाणं सेसाणं अपजत्तगाणं 2, 17 / जइ वेउब्वियसरीर-कायप्पयोगपरिणए किं एगिदिय-वेउब्वियसरीर-कायप्पयोगपरिणए जाव पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीर जाव परिणए ?, गोयमा ! एगिदिय जाव परिणए वा जाव पंचिंदिय जाव परिणए वा, जइ एगिदिय जाव परिणए किंवाउकाइयएगिदिय जाव परिणए ? अबाउकाइयएगिदिय जाव परिणए ?, गोयमा ! वाउकाइयएगिदिय जाव परिणए नो अवाउकाइय जाव परिणए, एवं एएणं अभिलावेणं जहा श्रोगाहणसंठाणे वेउब्बियसरीरं भणियं तहा इहवि भाणियव्वं जाव पजत्त-सब्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववातिय-कप्पातीय-वेमाणिय--देव-पंचिदिय-वेउब्विय-सरीर-कायप्पयोगपरिणए वा अपजत्तसव्वट्ठसिद्ध जाव कायप्पयोगपरिणए वा 3, 18 / जइ वेउविय-मीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए किं एगिदिय-मीसासरीर-कायप्पभोगपरिणए वा जाव पंचिंदिय-मीसासरीर-कायप्पयोगपरिगाए वा ?, एवं जहा वेउ. बिय तहा मीसगंपि, नवरं देवनेरइयाणं अपजत्तगाणं सेसाणं पजत्तगाणं तहेक जाव नो पजत्तसब्वट्ठसिद्धअणुत्तरो जाव पयोगपरिणए अपज्जत्तसवट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववातिय-देवपंत्रिंदिय-वेउब्धिय--मीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए 4, 11 / जइ थाहारग-सरीर-कायप्पश्रोगपरिणए किं मणुस्साहारगसरीर-कायप्पश्रोगपरिणए ? अमणुस्साहारग जाव परिणए ?, एवं जहा श्रीगाहणसंठाणे जाव इड्डिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मदिट्टि-पज्जत्तग-संखेजवासाउय जाव परिणए नो अणिड्डिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मदिहि-पजत्तग-संखेजवासउय जाव परिणए 5, 20 / जइ अाहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगपरिणए किं मणुस्साहारग-मीसासरीरकायप्पयोगपरिणए ? अमणुस्साहारग-मीसासरीरकायप्पयोग-परिणए ? एवं जहा श्राहारगंतहेव मीसगंपि निरवसेसं भाणियव्वं 6, 21 / जइ कम्मासरीरकायप्पश्रोगपरिणए किं एगिदिय-कम्मासरीर-कायप्प