________________ श्रीमद्व्यात्प्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) भूत्र :: शतकं 1. ] [ 47 अदुक्खा किरियासमयवीतिवकंतं च णं कडा किरिया दुवखा, जा सा पुब्बि किरिया दुक्खा कन्जमाणी किरिया अदुक्खा, किरियासमयवीइकतं चणं कडा किरिया दुक्खा, सा किं करणयो दुक्खा अकरणयो दुक्खा ?, अकरणो णं सा दुक्खा, णो खलु सा करणयो दुक्खा 3 / सेवं वत्तव्वं सिया-अकिच्चं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकजमाणकडं दुक्खं अकटु अकटु पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदेतीति वत्तव्वं सिया 4 / से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अरणउत्थिया एवमातिक्खंति जाव वेदणं वेदेति, वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंस, अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि, एवं खलु चलमाणे चलिए जाव निजरिजमाणे निजिराणे, दो परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहणंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहराणंति ?, दोराहं परमाणुपोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति, ते भिजमाणा दुहा कज्जंति, दुहा कजमाणे एगयो परमाणुपोग्गले एगयो परमाणुपोग्गले भवंति, तिगिण परमाणुपोग्गला एगो साहणंति, कम्हा तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति ?, तिराहं परमाणुपोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा तिरिण परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति, ते भिजमाणा दुहावि तिहावि कन्जंति, दुहा कजमाणा एगो परमाणुपोग्गले एगययो दुपदेसिए खंधे भवति, तिहा कजमाणा तिरिण परमाणुपोग्गला भवंति, एवं जाव चत्तारिपंच-परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति साहणित्ता खंधत्ताए कज्जति, खंधेवि य णं से असासए सया ममियं उचिजइ य अवचिज्जइ य 5 / पुबि भासा अभासा भासिन्जमाणी भासा 2 भासासमयवीतिकंतं च णं भासिया भासा अभासा जा सा पुब्बि भासा अभासा भासिज्जमाणी भासा 2 भासासमयवीतिक्कतं च णं भासिया भासा अभासा सा कि भासयो भासा अभासयो भासा ?, भासयो णं