________________ श्रीमद्ध्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शेतकं 2 :: 70 9-10 ] [77. // अथ द्वितीयशतके समयक्षेत्राख्य-नवमोद्देशकः // किमिदं भंते / समयखेत्तेत्ति पचति ?, गोयमा ! अड्डाइजा दीवा दो य समुद्दा एस णं एवइए समयखेत्तेति पवुच्चति 1 / तत्थ णं श्रयं जंबूद्दीवे 2 सम्बदीवसमुदाणं सव्वभंतरे एवं जीवाभिगमवत्तव्वया जोइस(अ)विहणं नेयव्वा जाव अभितरं पुक्खरद्धं जोइसविहूणं जाव इमा गाहा-अरिहंत समय बायर विज्जू थणिया बलाहगा अगणी / श्रागर निहि नइ उवराग निग्गमे बुड्डिवयणं च // 1 // सू० 117 // वितीयस्स नवमो उद्देसो // .. // इति द्वितीयशतके नवम उद्देशकः // 2-9 // // अथ द्वितीयशतके अस्तिकायाख्य-दशमोद्देशकः // कति णं भंते ! अत्थिकाया पन्नता ?, गोयमा ! पंच अत्थिकाया पराणत्ता, तंजहा-धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए भागासस्थिकाए जीवत्थिकाए पोगलत्थिकाए 1 / धम्मत्थिकारणं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे ?, गोयमा ! अवराणे अगंधे अरसे अफासे अरुवे अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे, से समासश्रो पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वश्रो खेत्तयो कालश्रो भावनो गुणो, दव्वश्रो णं धम्मत्थिकाए एगे दव्वे, खेत्तयो णं लोगप्पमाणमेत्ते, कालो न कयावि न पासि न कयाइ नत्थि जाव निच्चे, भावो अवराणे अगंधे अरसे अफासे, गुणो गमणगुणे 2 / अहम्मत्थिकाएवि एवं चेव, नवरं गुणत्रो ठगणगुणे, श्रागासस्थिकाएवि एवं चेव, नवरं खेत्तो णं श्रागासत्थिकाए लोयालोयप्पमाणमेत्ते अणंते चेव जाव गुणयो अवगाहणागुणे 3 / जीवस्थिकाए णं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कइफासे ?, गोयमा / अवगणे जाव अस्वी जीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे, से समासयो पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वत्रो जाव गुणयो, दव्वयो णं जीवत्थिकाए अणंताई जीवदव्वाई, खेत्तयो लोगप्प