________________ 78] [श्रीमदागमसुधासिन्धु द्वितीयो विमाग माणमेत्ते कालो न कयाइ न पासि जाव निच्चे, भावो पुण अवराणे अगंधे अरसे अफासे, गुणयो उपयोगगुणे 4 / पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! कतिवराणे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे ?, गोयमा ! पंचवरणे पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे रूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे 5 / से समासयो पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वयो खेत्तयो कालो भावयो गुणो, वो णं पोग्गलत्थिकाए अणंताई दबाई, खेत्तयो लोयप्पमाणमेत्ते, कालयो न कयाइ न यासि जाव निच्चे, भावयो वराणमंते गंधमंते रसमंते फासमंते, गुणो गहणगुणे 6 // सू० 118 // एगे भंते ! धम्मत्थिकायपदेसे धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! णो इण? समढे 1 / एवं दोनिवि तिन्निवि चत्तारि पंच छ सत्त अट्ठ नव दस संखेज्जा, असंखेजा भंते ! धम्मस्थिकायप्पासा धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! णो इण? समढे 2 / एगपदेसूणेवि य णं भंते ! धम्मत्थिकाए 2 ति वत्तव्वं सिया ? णो तिण? समढे 3 / से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ ? एगे धम्मस्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणेवि य णं धम्मस्थिकाए नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ?, से नूणं गोयमा ! खंडे चक्के सगले चक्के ?, भगवं ! नो खंडे चक्के सकले चक्के, एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे घाउहे मोयए, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणेवि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया / से किंखातिए णं भंते ! धम्मस्थिकाए ति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! असंखेजा धम्मस्थिकायपएसा ते सव्वे कसिणा पडिपुराणा निरवसेसा एगगहणगहिया एस णं गोयमा ! धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया 5 / एवं अहम्मत्थिकाएवि, अागासत्थिकाएवि, जीवत्थिकाय-पोग्गलत्थिकायावि एवं चेव, नवरं तिराहपि पदेसा अणंता भाणियव्वा, सेसं तं चेव 6 ॥सू० 116 //