________________ ... . HTTOMAN' E-VIRL गवत) श्रीमव्याख्य प्रज्ञान (श्रीमद्भगवति) सूर्ण : शतके 2 0 1.] [n जीवे णं भंते ! सउटाणे सकम्मे सबले सीरिए सपुरिसकारपरकमे पायभावेणं जीवभाव उवदंसेतीत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा! जीवे णं सउट्ठाणे जाव उवदंसेतीत्ति वत्तव्वं सिया 1 / से केण?णं जाव वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! जीवे णं अणंताणं श्राभिणिबोहिय-नाणपजवाणं एवं सुयनाणपजवाणं श्रोहिनाणपजवाणं मणपज्जवनाणपज्जवाणं केवलनाणपज्जवाणं मइअन्नाणपजवाणं सुयअन्नाणपजवाणं विभंगणाणपजवाणं चक्खुदंसणाजवाणं अवखुदंसणपजवाणं श्रोहिदंसणपजवाणं केवलदसणपजवाणं उपयोगं गच्छइ, उवयोगलक्खणे णं जीवे, से तेण?णं एवं वुचइ-गोयमा ! जीवेणं सउटाणे जाव वत्तव्वं सिया 2 // सू० 120 // कतिविहे णं भंते ! भागासे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे यागासे पराणत्ते तंजहा-लोयागासे य अलोयागासे य 1 / लोयागासे णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा जीवपदेसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! जीवावि जीवदेसावि जीवपदेसावि अजीवावि अजीवदेसावि अजीवपदेसावि जे जीवा ते नियमा एगिदिया बेदिया तेइंदिया चरिंदिया पंचेंदिया अणिदिया, जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा, जे जीवपदेसाते नियमा एगिदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता; तंजहा-रूवी य अस्वी य, जे ख्वी ते चउब्विहा पराणत्ता, तंजहा-खंधा खंधदेसा खंधपदेसा परमाणुपोग्गला, जे अरूवी ते पंचविहा परासत्ता, तंजहा-धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए नो अधम्मत्थिकायस्स देसे अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, श्रद्धासमए 2 // सू० 121 // अलोगागासे णं भंते / किं जीवा ? पुच्छा तह चेव, गोयमा ! नों जीवा जाव नो अजीवप्पएसा' एगे अजीवदबदेसे गुरुयलहुए अणंतेहिं अगुरुलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासे अणंतभागणे // सू० 122 // धम्मत्थिकाए णं भंते ! किं (के) महालए